जनवादी पत्रकार संघ |
- ऊर्जा तोमर ने विद्युत विभाग के अधिकारियों की बैठक दिए आवश्यक दिशा- निर्देश
- नूराबाद में सब्जी उत्पादन से संबंधित राष्ट्रीय स्तर का सेंट्रल ऑफ एक्सीलेंस स्थापित होगा- राज्य मंत्री श्री कुशवाहा
- संपादकीय * प्रकृति हमें कब बचाएगी?*
ऊर्जा तोमर ने विद्युत विभाग के अधिकारियों की बैठक दिए आवश्यक दिशा- निर्देश Posted: 16 Jul 2020 07:10 PM PDT ग्वालियर /ऊर्जा मंत्री का पदभार ग्रहण कर प्रथम नगर आगमन पर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने रोशनी घर स्थित विद्युत विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए कहा कि हर घर में टिम-टिम नहीं, प्रकाश के साथ बल्व जलें, हमें इस प्रकार कार्य करना है। आपको जहां जिस सामान की आवश्यकता है आप मुझे अवगत करायें। बिजली कटैती बर्दास्त नहीं की जायेगी। बैठक में ग्वालियर महानगर के भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष श्री कमल माखीजानी, चेम्बर ऑफ कॉमर्स के मानसेवी सचिव श्री प्रवीण अग्रवाल, चीफ इंजीनियर श्री जी के भरदया, एसई श्री विनोद कटारे, एसई श्री सुनील कुमार, डीई, एई सहित बिजली विभाग के सभी अधिकारी कर्मचारी उपस्थि थे। ऊर्जा मंत्री श्री तोमर ने बैठक में अधिकारियों से चर्चा करते हुए कहा कि ग्वालियर में बिजली उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए कॉल सेंटर बनाया गया है। कॉल सेंटर पर आने वाली समस्याओं का निराकरण प्राथमिकता से किया जाये। साथ ही ट्रांसफारमर के चारों तरफ तार फेंसिग या जाली लगाई जाये जिससे अप्रिय घटना होने से बचा जा सके। इसके साथ ही अवैध कॉलोनियों का स्टीमेट बनाकर नये कनेक्शन दिये जायें और मेंटिनेंस के नाम पर बिजली कटोती ना की जाये एक बार में ही शहर के सभी फीडरों पर मेंटिनेंस किया जाये। मंत्री श्री तोमर ने कहा कि विधुत बिल जमा करने वाले रेगूलर उपभोक्ताओं का सम्मान करें जिससे अन्य उपभोक्ताओं में भी बिल जमा करने का मनोबल बडेगा। इसके साथ ही रात्रीकालीन में पेट्रोलिंग बडायें अगर वाहन कम है तो वाहन बडायें । ऊर्जा मंत्री श्री तोमर ने कहा कि उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए शीघ्र ही कैम्प का आयोजन किया जायेगा जिससे एक साथ में आमजन की समस्या का निराकरण एक ही जगह आसानी से हो जाए। |
Posted: 16 Jul 2020 06:58 PM PDT ग्वालियर, दतिया व शिवपुरी जिले में विकसित होंगे अलग-अलग सब्जियों व मसाला फसलों के क्लस्टर उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री का ग्वालियर में हुआ आत्मीय स्वागत ग्वालियर 16 जुलाई 2020/ उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह ने कहा है कि मुरैना जिले के नूराबाद में जल्द ही सब्जी उत्पादन से संबंधित राष्ट्रीय स्तर के ''सेंन्ट्रल ऑफ ऐक्सीलेंस'' (वेजीटेविल) की स्थापना होगी। विभागीय अधिकारियों को इस सेंटर की स्थापना के लिये एक हफ्ते के भीतर निविदा की कार्रवाई पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं। श्री कुशवाह ने गुरूवार को ग्वालियर प्रवास के दौरान जनप्रतिनिधियों से चर्चा के दौरान इस आशय की जानकारी दी। ज्ञात हो भारत सरकार द्वारा नूराबाद में ''सेंन्ट्रल ऑफ ऐक्सीलेंस'' (वेजीटेविल) स्थापित करने की स्वीकृति दी गई है। राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह आवंटित विभागों का कार्यभार ग्रहण करने के बाद पहली बार ग्वालियर पहुँचे थे। यहाँ व्हीआईपी सर्किट हाउस मुरार पर उनका आत्मीय स्वागत किया गया। उन्होंने सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखकर आम नागरिकों एवं कार्यकर्ताओं से भेंट की। इस अवसर पर जीडीए के पूर्व अध्यक्ष श्री अभय चौधरी एवं जिला अध्यक्ष श्री कमल माखीजानी सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण मौजूद थे। इस अवसर पर उन्होंने जानकारी दी कि ग्वालियर-चंबल संभाग सहित सम्पूर्ण प्रदेश में आत्मनिर्भर भारत के अन्तर्गत योजनाओं को मूर्तरूप देकर विभिन्न प्रकार की सब्जियों के लिये क्लस्टरों का चयन किया जायेगा। जिसमें ग्वालियर जिले के बरई (घाटीगाँव) विकासखण्ड में मटर की खेती, शिवपुरी में टमाटर एवं दतिया के सेंवडा विकासखण्ड में लहसून की खेती शामिल है। इस संबंध में भोपाल में विभागीय अधिकारियों को बैठक लेकर निर्देश जारी कर दिए गए हैं। राज्य मंत्री श्री कुशवाह ने कहा कि शिवपुरी जिलें में टमाटर फसल उत्पादन एवं प्रसंस्करण के लिए किसानों की कार्यशाला आयोजित की जायेगी। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा प्रदेश में संचालित लगभग 300 नर्सरियों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, मनरेगा, एवं विभागीय मद से उन्नत किया जायेगा, जिससे प्रदेश के किसानों को उचित मांपदण्ड के फलदार पौधे एवं विभिन्न फसलों के मानक स्तर के बीज प्राप्त हो सकें। राज्य मंत्री श्री कुशवाह आज रतनगढ़ जाएंगे उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह 17 जुलाई को प्रात: 11 बजे ग्वालियर जिले के ग्राम दंगियापुरा में मनीरामदास महाराज के दर्शन कर नसरोल जिला भिंड के लिए रवाना होंगे । श्री कुशवाह नसरोल में मस्तराम महाराज मंदिर के दर्शन उपरांत रतनगढ़ जिला दतिया जाएंगे । रतनगढ़ में मां रतनगढ़ माता मंदिर में माता के दर्शन करेंगे । राज्य मंत्री श्री कुशवाह रतनगढ़ से शाम को ग्वालियर बापिस आयेंगे और ग्वालियर में स्थानीय कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे । |
संपादकीय * प्रकृति हमें कब बचाएगी?* Posted: 16 Jul 2020 06:08 PM PDT १७ ०७ २०२० *प्रकृति हमें कब बचाएगी ?* इस दुष्काल में हुए लॉक डाउन ने भारतीयों को प्रकृति का सानिध्य महसूस कराया था हम घर में रहते हुए सुबह की मंद बयार और गौधुली की उष्मा महसूस करने लगे थे | लॉक डाउन-१ हटा हो या २ हालत बदतर ही हुए | अब उद्योग खुलने के साथ पर्यावरण सूचकांक फिर डराने लगा है | सच भी है कोई भी व्यावहारिक कारोबार हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहेगा कि वह वो सब करे करे जिन पर उसका कारोबार निर्भर है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का विरोध ठप है क्योंकि लॉकडाउन के कारण लोग एकत्रित नहीं हो सकते। ऐसे में अब तक उनकी अनदेखी करता आया मंत्रालय अब क्यों ध्यान देगा? सच तो यह है कि सारा भारतीय समाज जिस पर्यावरण की निर्मलता से निरापद रहेगा | उस पर्यावरण के मोर्चे पर देश पिछड़ रहा है |इस नाकामी का एक मानक येल विश्वविद्यालय के पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में दिखता है। सन २०२० में जारी सूचकांक में भारत १८० देशों में १६८ वें स्थान पर रहा। जबकि २०१४ में देश १७४ देशों में १५५ वें स्थान पर था। सन २०२० के सूचकांक में अफगानिस्तान को छोड़कर अन्य सभी दक्षिण एशियाई देश भारत से बेहतर स्थिति में थे। इससे पर्यावरण कार्यकर्ताओं की चिंताओं को बल मिलता है। इसका सबसे ताजा उदाहरण है पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना को शिथिल करने का प्रस्ताव। सरकार निर्माण उद्ध्योग को कुछ विशेष छूट इस दुष्काल ने नाम पर देने जा रही है | इसका आधार वह अधिसूचना है जो २००६ में पारित की गई थी |इसके तहत सभी परियोजनाओं को दो मोटी श्रेणियों में बांटा जाता है-पहली श्रेणी वह जहां केंद्र सरकार की मंजूरी और जांच की जरूरत है और दूसरी श्रेणी वह जहां राज्य सरकार को निर्णय लेना होता है। दूसरी श्रेणी में आगे और बंटवारा किया गया और उसके एक हिस्से में समुचित जांच और मंजूरी की आवश्यकता थी जबकि दूसरे को केवल प्रभाव आकलन प्रस्तुत करना होता था और राज्य को यह अधिकार था कि वह परियोजनाओं को इनमें से किसी भी श्रेणी में रखे। इन्ही प्रावधान का इस्तेमाल करके पर्यावरण प्रभाव आकलन की आवश्यकताओं को शिथिल किया जा रहा है और कई ऐसी परियोजनाओं को बिना जांच और मंजूरी वाली श्रेणी में डाला जा रहा है जो अत्यधिक प्रदूषण फैलाने के लिए जाने जाते हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि संशोधन में प्रस्ताव रखा गया है कि दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले उद्योग मामूली जुर्माना चुकाकर बच सकते हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि पर्यावरण संरक्षण को विकास विरोधी मान लिया गया है। यदि वृद्धि को सही ढंग से परिभाषित किया जाए तो ऐसा नहीं है। वृद्धि का अर्थ केवल वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाना नहीं है। उसका अर्थ है संपत्ति बढ़ाना और संपत्ति का अर्थ केवल जमीन, उपकरण और अन्य वस्तुएं नहीं बल्कि मानव संसाधन और प्राकृतिक संसाधन भी है। इन तमाम बातों को ग्रीन नैशनल अकांउट्स इन इंडिया, अ फ्रेमवर्क नामक २०१३ की रिपोर्ट में विस्तार से समझाया गया है। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समूह ने तैयार की थी जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर पार्थ दासगुप्ता के पास थी जो केंब्रिज विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्री हैं। इस रिपोर्ट से उपजे कुछ सवाल के हल ऐसे निकल सकते हैं 'आर्थिक आकलन जिस आधार पर किया जाना चाहिए, उसे संपत्ति की व्यापक धारणा के साथ अंजाम देना चाहिए। इसमें पुनरुत्पादन लायक पूंजी मसलन सड़क, बंदरगाह, केबल, भवन, मशीनरी, उपकरण आदि शामिल हों। इनके अलावा मानव संसाधन और प्राकृतिक संसाधन मसलन जमीन, पर्यावास आदि को शामिल किया जाना चाहिए।'' किसी वन के साथ छेड़छाड़ किए बिना उसे सघन होने देना भी उसमें निवेश करना है। प्राकृतिक परिस्थितियों में मछली मारने की गतिविधि को अंजाम देना भी उस काम में निवेश करना होगा।' प्रश्न यह है कि क्या पर्यावरण संरक्षण मुनाफा कमाने वाले कारोबारियों के लिए बाधा है? वास्तव में यदि ऐसे कारोबार दूरगामी दृष्टि लेकर चलें तो यह कोई बाधा नहीं है। कोई भी व्यावहारिक कारोबार हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहेगा कि वह उन संसाधनों की रक्षा करे जिन पर उसका कारोबार निर्भर है। वह नहीं चाहेगा कि स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण पर उसकी गतिविधियों का नकारात्मक असर हो। क्योंकि ऐसी स्थिति में पर्यावरण प्रभाव को लेकर संवेदनशील ग्राहकों और अन्य लोगों के मन में उसकी छवि खराब होगी। यह दलील भी दी जा सकती है कि दशकों तक चलने की दूरगामी दृष्टि वाले कारोबार पर्यावरण चुनौतियों को लेकर उन सरकारों की तुलना में ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं जिनका ध्यान चुनावों पर केंद्रित रहता है। प्राय: ऐसी सरकारें अल्पावधि के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करती हैं। पर्यावरण निगरानी मानकों को शिथिल करने का असली दबाव ऐसे कारोबारों से आता है जो शीघ्र मुनाफा कमाने के चक्कर में रहते हैं। हमारा देश भारत घनी आबादी वाला देश है और हमें उस संरक्षण की आवश्यकता है जो पर्यावरण हमें स्वच्छ हवा, स्वच्छ जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के रूप में प्रदान करता है। जलवायु परिवर्तन बढऩे के साथ विपरीत मौसमी घटनाएं भी बढ़ रही हैं। ऐसे में हमें संरक्षण की आवश्यकता और अधिक होगी। प्रकृति हमें तभी बचाएगी जब हम उसे बचाएंगे| |
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