जनवादी पत्रकार संघ |
- एक याद बनकर रह गए हैं सावन के झूले
- *पूर्व जनपद अध्यक्ष श्रीमती संजू जाटव लड़ेंगी विधानसभा उपचुनावः भाजपा छोड़ कांग्रेस में हुई थी शामिल विधानसभा क्षेत्र से की दावेदारी*
- कॉमरेड यू शाम्बशिव राव का निधनः क्रांतिकारी आंदोलन के लिए एक बड़ी क्षति
- संपादकीय/*गंभीर अपराध ,पुलिस और जमानत*
- ग्वालियर -चंबल क्षेत्र का विशाल बीहड़ विश्व बैंक की मदद से बनेगा कृषि योग्य
एक याद बनकर रह गए हैं सावन के झूले Posted: 26 Jul 2020 07:29 AM PDT ग्वालियर/ ग्वालियर -चंबल क्षेत्र में कहीं, कहीं देखने को मिला पेड़ों पर झूला झूल रहे बच्चों को देख मैं रुक स गया औए पास में ही बैठी महिलाओं से सावन के झूले के बारे में बात हुई तो महिलाओं ने कुछ इस तरह बताया कि पहले सावन का महीना आते ही गांव के मोहल्लों में झूले पड़ जाते थे और सावन की मल्हारें गूंजने लगती थीं। ग्रामीण युवतियां महिलाएं एक जगह देर रात तक श्रावणी गीत गाकर झूला झूलने का आनंद लेती थीं। समय के साथ पेड़ गायब होते गए और बहुमंजिला इमारतों के बनने से आंगन का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया। ऐसे में सावन के झूले भी इतिहास बनकर हमारी परम्परा से गायब हो रहे हैं। अब सावन माह में झूले कुछ जगहों पर ही दिखाई देते हैं। जन्माष्टमी पर मंदिरों में सावन की एकादशी के दिन भगवान को झूला झुलाने की परम्परा जरूर अभी भी निभाई जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र की युवतियां भी सावन के झूलों का आनंद नहीं उठा पाती हैं। आज से दो दशक पहले तक झूलों और मेंहदी के बिना सावन की परिकल्पना भी नहीं होती थी। आज के समय में सावन के झूले नजर ही नहीं आते हैं। लोग इसका कारण जनसंख्या घनत्व में वृद्धि के साथ ही वृक्षों की कटाई मानते हैं। लोग अब घर की छत पर या आंगन में ही रेडीमेड फ्रेम वाले झूले पर झूलकर मन को संतुष्ट कर रहे हैं।झूला गांव के बागीचों,में लगाया जाता है। जिस पर अधिकतर युवतियों का ही कब्जा होता था। और पेड़ों पर झूला डाल कर झूलती थीं। झुंड के रूप में इकट्ठा होकर महिलाएं सावनी गीत गाया करती थीं। लेकिन इस बार लॉक डाउन में सब और फीका हो गया न कहीं आना न जाना। बुजुर्ग महिलायें बताती हैं कि त्योहार में बेटियों को ससुराल से बुलाने की परम्परा आज भी चली आ रही है, लेकिन जगह के अभाव में न तो कोई झूला झूल पाता है और न ही अब मोर, पपीहा व कोयल की सुरीली आवाज ही सुनने को मिलती हैं। बुजुर्ग महिलाओं की मानें तो दस साल पहले तक यहां रक्षाबंधन तक झूले का आनंद लिया जाता रहा है। गांव के पेड़ पर मोटी रस्सी से झूला डाला जाता था और सारे गांव की बहन-बेटियां झूलती थीं। अब पेड़ ही नहीं हैं तो झूला कहां डालें।सावन में झूला झूलना मात्र आनंद की अनुभूति नहीं कराता अपितु यह स्वास्थ्यवर्धक प्राचीन योग है जो सावन के मनोरम मौसम के कारण प्रदूषण मुक्त शुद्ध वायु देता है और स्वास्थ्य प्रदायक है। सावन महीने की विशेषता है कि इस माह हवा अन्य महीनों की तुलना में अधिक शुद्ध होती है। सावन में चहुंदिशा हरियाली छाई होती है। हरा रंग आंखों पर अनुकूल प्रभाव डालता है। इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है। झूला झूलते समय श्वांस-उच्छवास लेने की गति में तीव्रता आती है। इससे फेफड़े सुदृढ़ होते हैं। इसके साथ ही झूलते समय श्वांस अधिक भरा, रोका एवं वेग से छोड़ा जाता है। इससे नवीन प्रकार का प्राणायाम पूर्ण हो जाता है जो स्वास्थ्य सहयोगी है। झूलते समय रस्सी पर हाथों की पकड़ सुदृढ़ होती है। इसी प्रकार खड़े होकर झूलते समय झूले को गति देने पर बार-बार उठक-बैठक लगानी पड़ती हैं। इन क्रियाओं से एक ओर हाथ, हथेलियों और उंगलियों की शक्ति बढ़ती है वहीं दूसरी ओर हाथ-पैर और पीठ-रीढ़ का व्यायाम हो जाता है। यह अच्छे स्वास्थ्य का कारक है। |
Posted: 26 Jul 2020 05:16 AM PDT गोहद विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक गांव में सघन जनसंपर्क कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने हेतु अभियान जारी। भोपाल/ मध्य प्रदेश में उपचुनाव के पहले राजनीतिक घमासान मचा है सत्ता संग्राम में कांग्रेस से भाजपा और भाजपा से कांग्रेस राजनीतिक उठापटक ने दिग्गजों को बेचैन कर दिया है । आस लगाए बैठे टिकट के दावेदारों में दल बदल का खेल चल रहा है ।उप चुनाव के पहले भाजपा को भाजपाइयों ने ही झटका दिया है, भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष एवं जनपद पंचायत गोहद की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती संजू जाटव ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है ।किसानों, दलितों और पिछड़ों के लिए दिग्गज नेत्री श्रीमती संजू जाटव संघर्ष करती आ रही हैं । जन आंदोलन के दौरान कई मर्तबा उनकी माफियाओं और प्रशासन से बहस भी हुई, प्रशासन और दिग्गजों से लड़ाई लेकर दलितों और पिछड़ों की आवाज उठाई । चंबल संभाग की दिग्गज नेत्री संजू जाटव गोहद विधानसभा क्षेत्र से प्रबल दावेदार है ।उन्होंने कहा कि गोहद विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में नहीं क्षेत्र का प्रत्येक मतदाता लड़ेगा, जनता के सम्मान स्वाभिमान की लड़ाई के लिए संघर्ष करती रहूंगी । *विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक गांव श्रीमती संजू जाटव में कर रही है सघन जनसंपर्क* पूर्व जनपद अध्यक्ष श्रीमती संजू जाटव विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर गांव- गांव, गली -गली, मजरों, टोला में सघन जनसंपर्क कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने के लिए आम मतदाता बंधुओं से निरंतर चर्चा कर अभियान छेड़े हुए हैं जिससे एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा है।आज इसी क्रम में महिला कांग्रेस नेत्री एवं पूर्व जनपद अध्यक्ष भिंड श्रीमती संजू जाटव द्वारा गोहद विधानसभा के मौ नगर परिषद क्षेत्र के जाटव धर्मशाला वार्ड नंबर 4, बाबा का थोक वार्ड नंबर 2, द्वारकापुरी वार्ड नंबर 13 आदि क्षेत्रों में जनसंपर्क कर क्षेत्रीय नागरिकों से कांग्रेस को जिताने की अपील की गई। |
कॉमरेड यू शाम्बशिव राव का निधनः क्रांतिकारी आंदोलन के लिए एक बड़ी क्षति Posted: 25 Jul 2020 10:47 PM PDT कॉमरेड यू शाम्बशिव राव जो दोस्तों में उसा के नाम से जाने जाते थे, हमें 24 जुलाई की अलसुबह छोड़ गए। वे 20 जुलाई को बहुत बुखार से पीड़ित थे, और उस दिन अपनी अस्वस्थता के चलते जातिउन्मूलन आंदोलन के अखिल भारतीय समन्वय समिति की ऑनलाइन बैठक में उपस्थित नहीं हो पाए। उसी दिन वे हैदराबाद में हॉस्पिटल में भर्ती हुए। जहां वे कोविड19 संक्रमित हैं जांच मे प्रमाणित हुआ।नक्सलबाड़ी के वसंत के वज्रनिर्घोष से प्रभावित होकर वे कम्युनिस्ट क्रांतिकारी पांतों में शामिल हुए और UCCRI की धारा से जुड़े। लेकिन कम्युनिस्ट आंदोलन का जाति के सवाल पर तथा जातिउन्मूलन को वर्गसंघर्ष के हिस्से के रूप में महत्व देने के सवाल पर उनका नेतृत्व से मतभेद हो गया। इस मतभेद के न सुलझने के कारण उन्होंने 1987 में UCCRI को छोड़ दिया। बाद में जब कॉमरेड सत्यमूर्ति के द्वारा इन्ही सवालों पर सीपीआई(एम एल) पीपुल्स वॉर से अलग होने पर इन दोनों ने कुछ वर्षों तक एक साथ काम किया। लेकिन सत्यमूर्ति के बसपा में शामिल होने पर, इसे अवसरवादी लाइन करार देते हुए शाम्बशिव राव ,सत्यमूर्ति से अलग हो गए। 2011 में सीपीआई(एम एल)रेड स्टार के साथ उनकी सैद्धान्तिक मसलों पर गहन चर्चा हुई और वर्ग संघर्ष के अविभाज्य अंग के रूप में जातिउन्मूलन आंदोलन छेड़ने के बारे में उनकी सहमति बनी। वर्तमान में वे जातिउन्मूलन आंदोलन के एक अखिल भारतीय संयोजक थे और दक्षिण भारत के प्रभारी थे। वे OPDR(जनवादी अधिकार रक्षा समिति) तेलंगाना के अध्यक्ष थे। वे तेलंगाना में फासीवाद विरोधी आंदोलन के भी अध्यक्ष थे। वे कम्युनिस्ट क्रांतिकारी खेमे में मौजूद विजातीय प्रवित्तियों के खिलाफ संघर्ष में बहुत सक्रिय थे। उन्होंने सीपीआई(एम एल)रेड स्टार के 11वे महाधिवेशन में जाति के सवाल पर केंद्रित सेमिनार में शिरकत की थी। यह हमारे लिए बहुत मुश्किल की घडी है,यह विश्वास करना कि वे अब हमारे बीच नहीं हैं। वे तेलंगाना राज्य में ऑनर किलिंग व जाति बहिष्कार के खिलाफ अभियान में अगुआ थे। कॉमरेड उसा का जाना समूचे क्रांतिकारी आंदोलन के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्हें लाल सलाम।" Kn Ramachandran, General Secretary CPI(ML) red star |
संपादकीय/*गंभीर अपराध ,पुलिस और जमानत* Posted: 25 Jul 2020 07:43 PM PDT २६ ०७ २०२० *गम्भीर अपराध, पुलिस और जमानत* देश की न्यायिक व्यवस्था में पुलिस का रोल अहम है | कभी- कभार नहीं अक्सर पुलिस राजनीति या सरकार के हाथ का खिलौना दिखाई देती है | पुलिस को सरकार से थोड़ा अलग होकर काम करना चाहिए, वरना पुलिस पर बचा-खुचा विश्वास भी समाप्त हो जायेगा | अभी अधिकांश प्रकरणों को राजनीतिक ताकत से हल या प्रभावित करने की कोशिश की जाती है, जिससे समस्या सुलझने के बजाय और गंभीर होती जाती है| वर्षों से पुलिस सुधार की बात की जा रही है| अब सुधार की अभी जरूरत बहुत गम्भीर होती जा रही है| इसी लेतलाली से माफिया पैदा हो रहे हैं और उनके राज लगभग देश के हर प्रदेश में चल रहे हैं | गंभीर से गंभीर मामले में अब जमानत आसानी से हो जाती है | किसी भी मामले में जमानत देने से पहले कोर्ट को उसके विविध पक्षों पर बारीकी से विचार करना होता है| वह देखता है कि कहीं इससे समाज में कोई भय तो नहीं है| उस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले की वजह क्या है? ऐसे तमाम बिंदुओं पर विचार जरूरी भी है| अगर किसी आरोपी के खिलाफ कई सारे मामले दर्ज हैं या ऐसा प्रतीत होता है कि वह व्यक्ति भाग जायेगा या कोर्ट को लगता है कि वह गवाहों को तोड़ने की कोशिश करेगा, तो ऐसे मामलों में आरोपी की जमानत नहीं होती है| ताजा चर्चित विकास दुबे जैसे मामलों की बात है कि उसमें पुलिस ने कैसे तथ्य कोर्ट में पेश किये कि वो जमानत पर बाहर घूम रहा था ? सबका मानना है कि अगर उसकी खिलाफत की जाती, तो उसकी की जमानत ही नहीं होती| स्पष्ट है कि सरकार की कहीं न कहीं खामी रही है, जिससे ऐसे मामलों में भी प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती है | सिद्धांत: गंभीर आपराधिक मामलों में जमानत नहीं मिलनी चाहिए| अगर किसी अपराधी को जमानत मिल गयी, तो जिस ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में जमानत दी, उसकी कार्यवाही पर भी प्रश्नचिह्न लगना चाहिए| उच्च न्यायालय या वहां संबंधित न्यायालय जिसे सुपरिंटेडेंट की शक्ति प्राप्त है, इस विषय में प्रश्न पूछना चाहिए कि इस मामले में जमानत किस आधार पर दी गयी| ऐसे मामलों में सबसे बड़ी जिम्मेदारी राज्य की बनती है कि वह इस मामले को कोर्ट में किस तरह से ले जाता है| दूसरी बात, अगर जमानत हो गयी, तो उन्होंने मामले की निगरानी क्यों नहीं की? प्रोसिक्यूशन ने कोई विरोध क्यों नहीं किया? इससे साबित हो जाता है कि अपराधी का कहीं न कहीं प्रभाव अधिक है| वैसे सर्वोच्च न्यायालय इस बात का संज्ञान लेता है कि राज्यों में होनेवाले अपराधों से सरकारें किस प्रकार निपट रही हैं, उसे राज्यों को निर्देश जारी करने की शक्ति है| वैसे अपराध से सख्ती के साथ निपटने और पुलिस की रोजमर्रा कार्रवाई दोनों ही अलग-अलग तरह की बातें हैं| एनकाउंटर करना तो बिल्कुल अलग तरह की बात है. पुलिस को सरकार से थोड़ा अलग होकर काम करना चाहिये | सुप्रीम कोर्ट पुलिस रिफॉर्म की बात करता है| कोर्ट पुलिस को निर्देश देता है कि एनकाउंटर के मामलों में किस तरह से कार्रवाई की जायेगी| अगर पुलिस ने बचाव के अधिकार का इस्तेमाल करके अपराधी को मारा है, तो उस पर भी कोर्ट संज्ञान लेता है और लेना भी चाहिए | सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसे मामलों के लिए बाकायदा दिशा-निर्देश तय किये गये हैं| पुलिस इन निर्देशों का उल्लंघन नहीं कर सकती है, पर अक्सर स्थिति विपरीत दिखती है | वैसे भी लॉ एंड ऑर्डर का मतलब होता है- कानून के हिसाब से आप सख्ती रखें, यह नहीं कि शांति बनाने के लिए आपको जहां लगे कि यह व्यक्ति अशांति फैला सकता है, उसे बिना ट्रायल के ही निपटा दें| यह कोई राज्य नहीं कर सकता| यह कानून और व्यवस्था दोनों के खिलाफ है| होना यह चाहिए कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए, जहां-जहां अपराधी जमानत पर छूट गये हैं, वहां संज्ञान लेते हुए सरकार को अदालतों में उनकी जमानत के खिलाफ में अर्जी देनी चाहिए| यह लापरवाही समाज और सरकार दोनों के लिए गंभीर हो सकती है| |
ग्वालियर -चंबल क्षेत्र का विशाल बीहड़ विश्व बैंक की मदद से बनेगा कृषि योग्य Posted: 25 Jul 2020 10:51 PM PDT बीहड़ क्षेत्र में खेती-किसानी व पर्यावरण में होगा सुधार, क्षेत्र के लोगों को मिलेगा रोजगार... ग्वालियर /केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री और मुरैना-श्योपुर क्षेत्र के सांसद श्री नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के बीहड़ को कृषि योग्य बनाने के लिए विश्व बैंक की मदद से एक बड़ी परियोजना बनाते हुए व्यापक काम किया जाएगा। इस संबंध में श्री तोमर की पहल पर शनिवार को उच्चस्तरीय बैठक हुई। बैठक में श्री तोमर के अलावा विश्व बैंक व मध्यप्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी एवं कृषि विशेषज्ञ शामिल हुए। श्री तोमर ने कहा कि इस परियोजना से बीहड़ क्षेत्र में खेती-किसानी तथा पर्यावरण में अत्यधिक सुधार होगा, साथ ही रोजगार के काफी अवसर पैदा होंगे। परियोजना पर सभी ने सैद्धांतिक सहमति जताई तथा प्रारंभिक रिपोर्ट महीनेभर में बनाना भी तय हुआ है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने प्रस्तावित परियोजना के माध्यम से बीहड़ क्षेत्र में कृषि का विस्तार करने, उत्पादकता बढ़ाने तथा वैल्यू चैन विकसित करने पर जोर दिया। श्री तोमर ने बताया कि चंबल क्षेत्र के लिए पूर्व में विश्व बैंक के सहयोग से बीहड़ विकास परियोजना प्रस्तावित थी, पर विभिन्न कारणों से विश्व बैंक उस पर राजी नहीं हुआ। अब नए सिरे से इसकी शुरूआत की गई है, ताकि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के समग्र विकास का सपना हकीकत का रूप ले सकें। परियोजना के माध्यम से बीहड़ को कृषि योग्य बनाने का उद्देश्य तो है ही, कृषि का विस्तार होने के साथ उत्पादकता भी बढ़ेगी। कृषि बाजारों, गोदामों व कोल्ड स्टोरेज का विकास परियोजना के अंतर्गत करने का विचार है। श्री तोमर ने बताया कि बीहड़ की 3 लाख हैक्टेयर से ज्यादा जमीन खेती योग्य नहीं है। प्रोजेक्ट के माध्यम से क्षेत्र में सुधार हो जाएं तो वहां खेती प्रारंभ होगी तथा पर्यावरण की दृष्टि से भी यह ठीक होगा, आजीविका भी मिलेगी। विश्व बैंक तथा म.प्र. के अधिकारी, सभी इस पर काम करने के इच्छुक है। परियोजना से बीहड़ विकास के अलावा नए रिफार्म से खेती-किसानी के लिए मदद होगी। इस संबंध में उनकी पिछले दिनों विश्व बैंक के अधिकारियों से बात हुई थी, जिसके बाद राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल करते हुए यह बैठक रखी गई। श्री तोमर ने कहा कि क्षेत्र में नदी किनारे काफी जमीन है जहां कभी खेती नहीं हुई तो यह क्षेत्र जैविक रकबे में जुड़ेगा जो बड़ी उपलब्धि होगी। जो चंबल एक्सप्रेस बनेगा, यहीं से गुजरेगा। इस तरह क्षेत्र का समग्र विकास हो सकेगा। प्रारंभिक रिपोर्ट बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भी बैठक की जाएगी और आगे की बातें तय होगी। बैठक में म.प्र. के कृषि संचालक श्री संजीव सिंह ने बताया कि पूर्व में विभिन्न विभागों के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट प्लान किया गया था। अब सहमति के उपरांत नए सिरे से प्रदेश में कृषि की वर्तमान स्थितियों तथा अन्य प्रदेशों का तत्संबंधी आकलन करते हुए परियोजना का प्रारूप बनाया जाएगा। सरकार द्वारा किए गए खेती संबंधी रिफार्म के आधार पर किसानों तथा अन्य संबंधित वर्गों को ज्यादा से ज्यादा लाभ कैसे मिलें, यह भी देखा जाएगा। म.प्र. में देश का सबसे ज्यादा आर्गेनिक क्षेत्रफल है, जिसे प्रमोट करने की जरूरत है। प्रोजेक्ट को मिशन मोड में लेकर अत्याधुनिक तकनीक के साथ काम करेंगे। गुणवत्तायुक्त बीजों के विकास तथा म.प्र. को इसमें सफिशियेंट बनाने के साथ-साथ सरप्लस राज्य बनाने का भी उद्देश्य रहेगा। म.प्र. के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री के.के. सिंह ने कहा कि पुराने प्रोजेक्ट को रिवाइज किया जाएगा। श्री तोमर के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, श्री सिंह ने महीनेभर में प्रारंभिक रिपोर्ट बनाने पर सहमति जताई। विश्व बैंक के साथ सहयोग करते हुए सेटेलाइट इमेज सहित अन्य माध्यमों से परीक्षण कर प्रारूप बनाया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने कहा कि रिसर्च, टेक्नालाजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, पूंजीगत लागत, निवेश आदि पर विचार किया जाएं, साथ ही छोटे एलोकेशन के साथ परियोजना का प्रारंभिक काम शुरू कर सकते है। विश्व बैंक के अधिकारी श्री आदर्श कुमार ने कहा कि विश्व बैंक म.प्र. में काम करने की इच्छुक हैं। परियोजना से जुड़े जिलों में किस तरह से, कौन-सा निवेश हो सकता है, देखना होगा। प्रोजेक्ट नए रिफार्म के अनुकूल हो सकता है। विश्व बैंक के ही अधिकारी श्री एबल लुफाफा ने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर भूमि इत्यादि की जो स्थितियां है, उन्हें समझते हुए प्रोजेक्ट पर विचार किया जाएगा। हम अन्य देशों का उदाहरण लेकर काम कर सकते हैं। मार्केटिंग की सुविधा, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि को ध्यान में रखते हुए पूरी योजना बनाना होगी। वैल्यू चैन पर काम करना ज्यादा फायदेमंद होगा। हम तत्पर है और यह काम करना चाहेंगे। |
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