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Tuesday, March 23, 2021

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विराट कोहली ने वनडे में रचा इतिहास, अपनी धरती पर कम पारियों में 10,000 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने

Posted: 23 Mar 2021 08:10 AM PDT

विराट कोहली ने वनडे में रचा इतिहास, अपनी धरती पर कम पारियों में 10,000 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने

टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने इंग्लैंड के खिलाफ पहले वनडे मुकाबले में भी अपना फॉर्म जारी रखा और अर्धशतकीय पारी खेली। विराट कोहली ने इस मैच में 60 गेंदों पर 6 चौके की मदद से 56 रन बनाए और इस पारी के दम पर उन्होंने वनडे क्रिकेट में नया इतिहास रच दिया। विराट कोहली दुनिया के पहले ऐसे बल्लेबाज बन गिए जिन्होंने अपनी धरती पर सबसे कम पारियों में 10,000 रन पूरे कर लिए। उन्होंने इस मामले में रिकी पोटिंग को पीछे छोड़ दिया।

अपनी घरेलू धरती पर सबसे कम पारियों में 10,000 रन पूरे करने वाले टॉप 6 बल्लेबाज-

विराट कोहली - 195 पारियां

रिकी पोंटिंग - 219 पारियां

सचिन तेंदुलकर - 223 पारियां

महेला जयवर्धने - 223 पारियां

कुमार संगकारा - 229 पारियां

जैक कैलिस - 236 पारियां

विराट ने राहुल द्रविड़ को पीछे छोड़ा


विराट कोहली ने इंग्लैंड के खिलाफ अपने करियर में 27वीं बार 50 या उससे ज्यादा की पारी खेली। इस मामले में उन्होंने राहुल द्रविड़ को पीछे छोड़ दिया जिन्होंने 26 बार ये कमाल किया था। इंग्लैंड के खिलाफ 50 या उससे ज्यादा की पारी खेलने के मामले में सचिन तेंदुलकर पहले स्थान पर हैं और उन्होंने 32 बार ऐसा किया था।

इंग्लैंड के खिलाफ 50 या उससे ज्यादा की पारी सबसे ज्यादा खेलने वाले भारतीय बल्लेबाज-


32 - सचिन तेंदुलकर

27 - विराट कोहली

26 -राहुल द्रविड़

24 - MS Dhoni

भारत में विराट के 10,000 रन पूरे

इंग्लैंड के खिलाफ 56 रन की पारी खेलने के बाद विराट दूसरे ऐसे बल्लेबाज बन गए जिन्होंने भारतीय धरती पर हर प्रारूप को मिलकर 10,000 रन पूरे किए हैं। इससे पहले सचिन ने ये कमाल किया था। भारतीय धरती पर हर प्रारूप में सचिन के 14,192 रन थे तो वहीं विराट के अब 10,002 रन हो गए हैं। तीसरे नंबर पर 9004 रन के साथ राहुल द्रविड़ हैं।

आजादी के लिए वीर सपूतों ने दे दी थी कुर्बानी, 90 साल पहले भगत सिंह-सुखदेव और राजगुरु को दी गई फांसी

Posted: 23 Mar 2021 08:02 AM PDT

आजादी के लिए वीर सपूतों ने दे दी थी कुर्बानी, 90 साल पहले भगत सिंह-सुखदेव और राजगुरु को दी गई फांसी

23 मार्च 1931 को क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। भारतवर्ष को आजाद कराने के लिए इन वीर सपूतों में हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया था, इसलिए इस दिन को शहीद दिवस कहा जाता है। भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना हमारे देश इतिहास की बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है।

भारत के इन महान सपूतों को ब्रिटिश हुकूमत ने लाहौर जेल में फांसी पर लटकाया था। इन स्वंतत्रता सेनानियों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। अंग्रेजों ने इन तीनों को तय तारीख से पहले ही फांसी दे दी थी। तीनों को 24 मार्च को फांसी दी जानी था। मगर देश में जनाक्रोश को देखते हुए गुप-चुप तरीके से एक दिन पहले ही फांसी पर लटका दिया गया। पूरी फांसी की प्रक्रिया को गुप्त रखा गया था।

लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया

27 सितंबर 1907 को अविभाजित पंजाब के लायलपुर (अब पाकिस्तान) में जन्मे भगत सिंह बहुत छोटी उम्र से ही आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए और उनकी लोकप्रियता से भयभीत ब्रिटिश हुक्मरान ने 23 मार्च 1931 को 23 बरस के भगत को फांसी पर लटका दिया। उनका अंतिम संस्कार सतलज नदी के तट पर किया गया था। 1928 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या करने के लिए उन्हें फांसी की सजा दी गई थी। उन्होंने गलती से उसे ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट समझ लिया था। स्कॉट ने उस लाठीचार्ज का आदेश दिया था, जिसमें लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई थी।

जेल में लिखे क्रान्तिकारी विचार

भगत सिंग अपने साहसी कारनामों के कारण युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए। उन्होंने 8 अप्रैल 1929 को अपने साथियों के साथ इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाते हुए केंद्रीय विधानसभा में बम फेंके। सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट करके उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ खुले विद्रोह को बुलंदी प्रदान की। इन्होंने असेंबली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। भगत सिंह करीब 2 साल जेल में रहे। इस दौरान वे लेख लिखकर अपने क्रान्तिकारी विचार व्यक्त करते रहते थे। जेल में रहते हुए भी उनका अध्ययन लगातार जारी रहा। फांसी पर जाने से पहले वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे और जब उनसे उनकी आखरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वह लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे और उन्हें वह पूरी करने का समय दिया जाए।

छुट्टी पर घर आया था फौजी लेकिन दर्दनाक हादसे में मौत, पत्नी-बेटे की हालत भी गंभीर

Posted: 23 Mar 2021 07:58 AM PDT

छुट्टी पर घर आया था फौजी लेकिन दर्दनाक हादसे में मौत, पत्नी-बेटे की हालत भी गंभीर

उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल से बीते दिन एक दुखद खबर सामने आयी है। दरसल लैंसडौन तहसील क्षेत्र में स्कूटी के खाई में गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि उसकी पत्नी और बेटा घायल हो गये। घायलों का इस वक्त कोटद्वार में उपचार चल रहा है। बताया जा रहा है कि मृतक भारतीय सेना में कार्यरत था, जो वर्तमान में छुट्टी पर घर आया हुआ था। जानकारी के अनुसार फरसूला गांव के रहने वाले 35 वर्षीय ओमप्रकाश अपनी पत्नी प्रियंका और बेटे अर्पित के साथ स्कूटी में सवार होकर दुगड्डा जा रहे थे। दरसल पूरा परिवार वहां अपने बेटे का उपचार कराने जा रहा था। लेकिन इसी दौरान तुसरानी बैंड के पास स्कूटी अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी। 

दुर्घटना में तीनों गंभीर रूप से घायल हो गये थे। सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, जिसके बाद घायलों को राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार में पहुंचाया गया। जहाँ उनका उपचार चल रहा था जिनमे से ओमप्रकाश की मृत्यु हो गयी। कोटद्वार कोतवाली के वरिष्ठ उपनिरीक्षक प्रदीप नेगी ने बताया कि लैंसडौन तहसील के फरसूला गांव निवासी 35 वर्षीय ओमप्रकाश पुत्र जगदीश प्रसाद अपनी 30 वर्षीय पत्नी प्रियंका और 5 वर्षीय बेटा अर्पित के साथ सोमवार सुबह स्कूटी में सवार होकर आमसौड़-दुगड्डा में बेटे का उपचार कराने आ रहे थे।

सफलता की गजब कहानी! बड़े भाई की 11 बार तो छोटे भाई की 6 बार लगी सरकारी नौकरी, अब IAS बनने का जुनून सवार है

Posted: 22 Mar 2021 08:02 PM PDT

सफलता की गजब कहानी! बड़े भाई की 11 बार तो छोटे भाई की 6 बार लगी सरकारी नौकरी, अब IAS बनने का जुनून सवार है

गरीब परिवारों से आज भी सरकारी नौकरी बहुत दूर की बात होती है। किसी गरीब परिवार में यदि कोई मेहनत करके सरकारी नौकरी हासिल कर लेता है, तो उसके उदाहरण पूरा परिवार देता है। दूर के रिश्तेदार तक उससे कुछ सीखने को कहते हैं। क्योंकि ग़रीबी के बीच आज के प्रतिस्पर्धा वाले दौर में सरकारी नौकरी हासिल करना किसी चुनौती से कम नहीं होता है।

लेकिन आज हम जो कहानी आपको बताने जा रहे हैं, वह आप यदि निराश हो चुके हैं। हालातों और संसाधनों के मारे कुछ कर नहीं पा रहे हैं, तो आपके अंदर जो श भरने का काम करेगी। हमारी कहानी राजस्थान (Rajasthan) के एक ऐसे परिवार से जुड़ी है जिसके घर में पीढियों से सरकारी नौकरी का ख़्वाब देखा जा रहा था। लेकिन उस ख़्वाब को हकीकत करने वाले उस घर में दो ऐसे लाल पैदा हुए। उन्होंने इतनी सरकारी नौकरी की परीक्षा पास की कि आपको गिनने के लिए कागज-कलम उठानी पड़ेगी।
ये है कामयाब बच्चों का परिवार

ये दो भाई राकेश कुमार तानाण और महेंद्र कुमार तानाण हैं। इनके पिता मोतीलाल गाँव के पास ही टेम्पों चलाने का काम करते हैं। उनकी माता कमला देवी ज़्यादा पढ़ी-लिखी ना होने के चलते घर के काम-काज देखने का काम करती हैं। इनकी बहन प्रियंका की शादी हो चुकी है। उनके पति पेशे से डाॅक्टर हैं। दो भाइयों का सबसे छोटा भाई संजोग बीएसी पूरी कर चुका है। वर्तमान में वह भी अपने दोनों भाइयों से प्रभावित होकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गया है। आपको बता दें कि सबसे बड़े भाई राकेश कुमार ने अब तक 11 नौकरियों में सफलता पाई है साथ ही छोटे भाई ने 6 सरकारी पेपर पास किए हुए हैं।
राकेश कुमार तानाण (Rakesh Kumar Tanan) ने इन परीक्षाओं में पाई है सफलता
राकेश ने सबसे पहले वर्ष 2010 में एसएससी एमटीएस (SSC MTS) की परीक्षा को पास किया। जो कि महज़ एक शुरुआत थी।
इसके बाद साल 2011 में एसएससी आर्मी (SSC ARMY) की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए।
साल 2011 में शिक्षक भर्ती से जुड़ी टेट (TET) और सीटेट (CTET) परीक्षा पास की।
वर्ष 2011 के अंदर ही एसएससी स्टेनोग्राफर (SSC STENOGRAPHER) की परीक्षा को निकाला।
वर्ष 2011 के दौरान ही एसएससी (SSC) की एक और परीक्षा शानदार अंकों से पास की।
साल 2011 में ही राजस्थान के थर्ड ग्रेड एग्जाम में भी सफलता प्राप्त की।
इसके बाद साल 2013 के दौरान ही फिर से थर्ड ग्रेड परीक्षा में शानदार अंकों के साथ पास की।
साल 2013 के अंदर सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती की परीक्षा पास की। इस परीक्षा के बाद इन्होंने सीकर में अपनी नौकरी ज्वाइन की।
वर्ष 2015 में ही राजस्थान के प्रथम ग्रेड व्याख्याता भर्ती की परीक्षा को पास किया। लेकिन बांसवाड़ा में पोस्टिंग आने के बाद ज्वाइन नहीं की।
साल 2018 के दौरान प्रथम श्रेणी व्याख्याता परीक्षा पास की। जो कि राजनीति विज्ञान विषय से थी।
इसके बाद साल 2018 में फिर प्रथम श्रेणी व्याख्याता परीक्षा दी। इस बार अंग्रेज़ी विषय से पास करके दिखाया।
छोटे भाई महेंद्र कुमार तानाण (Mahendra Kumar Tanan) ने भी लगातार पास की परीक्षाएँ
सबसे पहले इन्होंने लोवर डिवीजन क्लर्क (LDC) की परीक्षा पास की।
साल 2015 में रेलवे (RAILWAY) की परीक्षा पास कर स्टेशन मास्टर का पद हासिल किया।
राजस्थान में ही आयोजित हुई साल 2016 में पटवारी (PATWARI) परीक्षा पास की।
साल 2016 में रेलवे की एनटीपीसी (NTPC) परीक्षा को निकाल कर दिखाया।

वर्ष 2017 में ग्राम सेवक (GEAM SEVAK) की परीक्षा पास की। फिलहाल वह इसी पद पर कार्यरत भी हैं।
साल 2018 के दौरान इन्होंने भी अपने भाई की तरह द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती की परीक्षा को पास किया। हालांकि इन्होंने नौकरी नहीं की।
घंटों करते थे पढ़ाई

इनके द्वारा पास की गई परीक्षाओं को देखकर आपको आभास हो गया कि ये पढ़ाई में ही लगे रहते होंगे। ये दोनों भाई बताते हैं कि घर में खा पीकर कमरे की कुंडी बंद कर लिया करते थे और घंटों पढ़ाई किया था। कमरा बंद होने की वज़ह से कोई डिस्टर्ब नहीं करता था। बड़े भाई की तो इस दौरान शादी हो चुकी थी, पर छोटे भाई की शादी नहीं हुई थी। ऐसे में हर रोज़ ये कमरे में बंद होकर अपने लक्ष्य के प्रति जी जान से जुट जाया करते थे।

सोशल मीडिया से रहे दूर

ये दोनों भाई बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान उन्होंने हमेशा सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी। आपको जानकर हैरानी होगी कि हम लोग जहाँ आज एक दिन भी सोशल मीडिया के बिना नहीं बिता सकते। वहीं इन भाइयों ने साल 2013 में आखिरी बार सोशल मीडिया का प्रयोग किया था। इतनी कामयाबी के बाद अब भी दोनों भाई रुके नहीं हैं। अब वह राजस्थान की आरएएस (Rajasthan Administrative Service) और आईएएस (Indian Administrative Service) जैसी बड़ी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इनका मानना है कि यदि ये भाई भी अगर सोशल मीडिया पर लगे रहते तो आज ये दिन उनकी ज़िन्दगी में कभी नहीं आता।
नोट्स बनाकर की पढ़ाई

दोनों भाई की यदि हम पढ़ने की रणनीति पर बात करे तो पता चलता है कि इन्होंने नोट्स (Study Notes) के माध्यम से पढ़ाई की है। वह सबसे पहले किसी भी टॉपिक को पूरा पढ़ते थे फिर उसके महत्त्वपूर्ण नोट्स बनाते थे। इसके बाद लगातार उसी नोट्स को पढ़ते और अपडेट भी करते रहते थे। इस तरह से परीक्षा के दिनों में कभी भी रिवीजन करने में उन्हें परेशानी नहीं होती थी। साथ ही उनकी सफलता का राज भी इन्हीं नोट्स में छिपा रहता था। वह सभी को नोट्स बनाकर ही पढ़ने की सलाह देते हैं।

इलायची की खेती से भी हो सकती है सालाना लाखों की कमाई

Posted: 22 Mar 2021 07:57 PM PDT

इलायची की खेती से भी हो सकती है सालाना लाखों की कमाई

भारत देश के मसालों की पहचान तो दुनियाभर में है। कहते हैं जब पहली बार अंग्रेज भारत आए थे तो यहाँ से मसाले ही लेकर गए थे और उसे अपने यहाँ कई गुना मुनाफे में बेचा था। इसके बाद तो अंग्रेज़ी हुकूमत को मानो भारत सोने से भी प्यारा हो गया। लगातार आते गए और मसालों की नई-नई फैक्टरी खड़ी करते गए। इससे भारत गुलामी के साथ घाटे में भी जाता गया।

आज हम आपको इलाइची के बारे में बताने जा रहे हैं। इलायची तो आपने कई बार खाने के साथ, तो कई बार चाय में डालकर ज़रूर पी होगी। इलायची का बेहद अलग-सा स्वाद उसे सभी दूसरे मसालों से अलग करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इलायची की खेती भी की जा सकती है। आपने भले ही इलायची की खेती को अबतक कभी ना देखा हो, पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आख़िर कैसे होती है इलायची की खेती? इलायची की खेती कर आप लाखों रूपये की आमदनी भी कर सकते हैं। क्योंकि बाज़ार में कुछ ग्राम इलायची की क़ीमत भी सैकड़ों में होती है।

कब करें बुवाई

ईलायची के पौधे (Cardamom plant) की बुवाई जुलाई माह में करनी चाहिए। क्योंकि इस मौसम में बारिश अच्छी होती है जिससे पानी नहीं देना पड़ता। साथ ही ध्यान रखें इलायची के पौधे छायादार जगह में लगाएँ। सूर्य के सीधे प्रकाश में ये पौधे सूख जाते हैं। इलायची की खेती पानी बहुत लेती है। इसलिए पानी समय-समय पर देते रहें। इलायची की कुल दो किस्में हैं। एक तो छोटी इलायची और दूसरी बड़ी इलायची। ये दोनों किस्में अच्छी किस्मों की इलायची में आती हैं।

इलायची से कितनी होगी कमाई 

Cardamom Cultivation – इलायची का पौधा लगाने के बाद तीन साल तक लंबा इंतज़ार करना पड़ता है। तीन साल बाद इसमें इलायची लगनी शुरू हो जाती है। इस दौरान इसकी अच्छी देखभाल भी करनी पड़ती है। एक हेक्टेयर में सूखी इलायची करीब 130 से 150 किलो तक निकल जाती है। इलायची की फिलहाल बाज़ार में क़ीमत 2 हज़ार रूपये प्रति किलो है। ऐसे में आप इलायची की खेती से तीन लाख रूपये सालाना की कमाई बड़े आराम से कर सकते हो। बस ज़रूरत है कि आप अच्छे से देखभाल कर सकते हों।

आज से भारत और इंग्लैंड का मैच टाई हुआ तो भी एक टीम बनेगी विजेता

Posted: 22 Mar 2021 07:54 PM PDT

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तीन मैचों क वनडे सीरीज (India vs England) मंगलवार से शुरू हो रही है. टेस्ट और टी20 सीरीज जीतने के बाद टीम इंडिया वनडे सीरीज भी जीतना चाहेगी. यह सीरीज वर्ल्ड कप सुपर लीग (world cup super league) का हिस्सा है. ऐसे में अगर कोई मैच टाई होता है तो सुपर ओवर खेला जाएगा. अगर सुपर ओवर भी टाई रहा तो सुपर ओवर तब तक चलता रहेगा, जब तक कोई टीम जीत नहीं जाती. वनडे की बात की जाए तो भारत और इंग्लैंड ने 9-9 टाई मैच खेले हैं. इसके पहले द्विपक्षीय सीरीज में मैच टाई होने पर सुपर ओवर नहीं होता था.

आईसीसी ने पिछले साल जुलाई से वर्ल्ड कप सुपर लीग की शुरुआत की है. इसमें 13 टीम को शामिल किया गया है. हर टीम को 8 टीमों से सीरीज खेलनी है. चार सीरीज घर में और चार सीरीज घर के बाहर खेलनी है. हर सीरीज में 3 मैच होंगे. यानी एक टीम को कुल 24 मैच खेलने हैं. हर मैच के 10 अंक हैं. वनडे में द्विपक्षीय सीरीज में मैच टाई होने पर सुपर ओवर नहीं होता. लेकिन यह सीरीज आईसीसी की वर्ल्ड कप सुपर लीग का हिस्सा है. ऐसे में जब तक मैच का रिजल्ट नहीं निकल जाता तब तक मैच चलता रहेगा. 2019 वर्ल्ड कप के फाइनल में सुपर ओवर के टाई रहने के बाद बाउंड्री काउंट नियम से इंग्लैंड विजेता बना था.

इंग्लैंड के विजेता बनने के बाद आईसीसी के इस नियम की आलोचना हुई थी. इसके बाद आईसीसी ने तय किया था कि जब तक मैच रिजल्ट नहीं निकल जाता है तब तक सुपर ओवर चलता रहेगा. वर्ल्ड कप सुपर लीग में टीम इंडिया ने अब तक सिर्फ एक ही सीरीज खेली है. पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में हुई तीन मैचों की सीरीज में उसे 1-2 से हार मिली थी. इंग्लैंड के खिलाफ टीम दूसरी सीरीज खेलने जा रही है.

हिमाचल में अब खुद फीस तय करेंगे निजी स्कूल, 1 अप्रैल से वसूलेंगे पूरा शुल्क

Posted: 22 Mar 2021 07:50 PM PDT

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निजी स्कूलों की फीस को लेकर मचे बवाल के बीच हिमाचल प्रदेश पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन पहली बार खुलकर सामने आया है. संगठन ने आज इस बाबत शिमला में प्रेसवार्ता की. इसमें एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष यूएस चौहान ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना काल में फीस माफ करने के संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया. लॉकडाउन के दौरान सरकार ने वार्षिक शुल्क को डैफर करने का आदेश जारी किया था, जिसका स्कूलों ने पालन किया. इसलिए अब 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए शैक्षणिक सत्र से स्कूल पूरी फीस लेंगे. आपको बता दें कि इस संगठन में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड से एफिलेटिड स्कूल शामिल हैं.

एसोसिएशन के अध्यक्ष यूएस चौहान ने कहा कि नए सत्र से प्रदेश के सभी निजी स्कूल प्रबंधन हिमाचल प्राइवेट स्कूल रेगुलेशन एक्ट-1997 के तहत खुद फीस तय करेंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश में ज्यादातर निजी स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जहां शहरों की अपेक्षा फीस कम है. चौहान ने कहा कि सरकार निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है, जबकि पहले से ही एक्ट बना हुआ है. सरकार के प्रस्तावित कानून का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों की फीस एक समान नहीं हो सकती, क्योंकि सबका मूलभूत ढांचा अलग-अलग है. उन्होंने प्रस्तावित कानून को स्कूलों और अभिभावकों के बीच खाई पैदा करने वाला बताय.

अभिभावक और छात्र पर नहीं बनाया दबा
प्राइवेट स्कूल एसो. की प्रेसवार्ता के दौरान ने कहा गया कि निजी स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों को अपनी मर्जी से पढ़ाते हैं. जो अभिभावक गरीब हैं, उनके बच्चों को स्कूल मुफ्त में भी पढ़ाते हैं. कई छात्रों की फीस आधी की गई है. इसकी सूची बाकायदा उपायुक्तों को सौंपी गई है. यदि किसी अभिभावक को स्कूल का फीस स्ट्रक्चर पसंद नहीं है तो वह अपनी स्वेच्छा से निर्णय ले सकता है. कोई स्कूल प्रबंधक उसे रोकेगा नहीं.

स्कूल बसों की टैक्स माफी को ज्ञापन
एसोसिएशन के अध्यक्ष ने प्रेसवार्ता के दौरान प्रदेश सरकार से मांग की कि पंजाब की तर्ज पर स्कूल बसों का टैक्स माफ किया जाए. उन्होंने कहा कि इस बाबत बीते दिनों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन सौंपा हैं. एसोसिएशन का कहना है कि पिछले एक साल से स्कूल बंद है, बसें खड़ी हैं. ऐसे में टैक्स माफ होने चाहिए.

जब 17 साल के लड़के ने ज़हीर खान को बोलिंग से हटवा दिया था

Posted: 22 Mar 2021 07:47 PM PDT

चोट इतनी बड़ी थी कि मैदान पर फिज़ियो आए और तमीम की हालत देखकर उन्हें मैदान से बाहर ले गए. दूसरा ओवर खत्म होते-होते बांग्लादेश के तीन बल्लेबाज़ वापस पवेलियन लौट चुके थे. मुश्फिकुर ने एक छोर थामे रखा और टीम को एक अच्छे स्कोर की तरफ ले जा रहे थे कि 47वें ओवर में बांग्लादेश का नौवां विकेट भी गिर गया. मुश्फिकुर क्रीज़ पर अकेले छूट गए. क्योंकि तमीम तो पहले ही रिटायर्ड हर्ट होकर चले गए थे. बांग्लादेश का स्कोर था 229 रन. लेकिन तीन ओवर बाकी थे. श्रीलंकाई खिलाड़ी मैदान छोड़ने की फिराक में थे.  मुश्फिकुर ड्रेसिंग रूम की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे थे, कि तभी तमीम हाथ में प्लास्टर के साथ अंधेरे गलियारे से उजाले में दिखे. ऐसा होते देख किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था. फ्रैक्चर के साथ खेलने आए तमीम का एक हाथ बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा था. लेकिन यहां बात सिर्फ मुश्फिकुर का साथ देने की नहीं थी. जब क्रीज़ पर हैं तो बल्लेबाज़ी भी करनी होगी. तमीम अब गेंद का सामना करने आए. उन्होंने लकमल के ओवर से गेंद का सामना किया. वो भी एक हाथ से. इसके बाद मुश्फिकुर ने 50वें ओवर तक बल्लेबाज़ी कर टीम को 261 रनों तक पहुंचा दिया.

2003 और 2011 विश्वकप के बीच क्रिकेट का एक विश्वकप और हुआ था, 2007 में. वेस्टइंडीज़ में खेले इस विश्वकप को कोई भी इंडियन फैन याद नहीं करना चाहता. दुनिया की सबसे मज़बूत बैटिंग लाइन अप वाली टीम टूर्नामेंट के पहले स्टेज में ही हारकर बाहर हो गई थी. बांग्लादेश और श्रीलंका ने टीम इंडिया को हराकर काम खराब कर दिया था.

20 मार्च, 2007 को अपने 18वें जन्मदिन से तीन दिन पहले. उसी मैच में एक 17 साल का लड़का ऐसे खेल रहा था मानो उसे पता ही न हो कि वो कहां पर और किसके खिलाफ खेल रहा है. टीम इंडिया 191 रनों पर ढेर हो गई थी. बांग्लादेश टीम की बल्लेबाज़ी आई. उनके लिए एक अनजान सा लड़का पारी शुरू करने उतरा. पारी के पांचवे ओवर में ज़हीर ने शाहरियार नफीस को आउट करके बांग्लादेश पर दबाव बनाया. इसके बाद सातवें ओवर में ज़हीर ने आते ही 17 साल के उस लड़के को तेज़ बाउंसर दे मारी. बॉल उसकी गर्दन पर लगकर स्लिप में खड़े सहवाग के हाथों में चली गई. पूरी टीम जश्न मनाने लगी. अंपायर ने गर्दन हिलाकर इनकार कर दिया. वो बच्चा ज़मीन पर अपनी गर्दन पकड़े बैठा था. उस लड़के का नाम था तमीम इकबाल. वही इकबाल जो आज बांग्लादेश क्रिकेट की सबसे बड़ी पहचान है.

सब ठीक हुआ. वो फिर से खेलने के लिए खड़ा हुआ. इस ओवर में आखिरी दोनों गेंदों पर उसने झन्नाटेदार चौके जड़ दिया. पहला पॉइंट में. और दूसरा आगे बढ़कर सीधे ज़हीर के सिर के ऊपर से. सबको लगा नॉर्मल है. कभी-कभी ऐसा होता है.

लेकिन कप्तान द्रविड़ दूरदर्शी आदमी थे. वो पहचान चुके थे, आज इसे रोकना ज़रूरी है. उन्होंने ज़हीर को 11वें ओवर तक एक छोर पर लगाए रखा. लेकिन 11वें ओवर में तमीम ने वो कर दिया. जो शायद दुनिया का बड़े से बड़ा बल्लेबाज़ ज़हीर की गेंदों पर करने से डरता रहा. ओवर की पांचवी गेंद पर तमीम ज़हीर की 136 से ऊपर की रफ्तार वाली गेंद पर आगे बढ़ा और लॉन्ग ऑन के ऊपर से एक बड़ा छक्का दे मारा. इस ओवर में वो पहले भी लगातार दो चौके लगा चुका था.

इसके बाद कप्तान द्रविड़ ने ज़हीर खान का स्पेल ही खत्म कर दिया. तमीम ने इस मुकाबले में 53 गेंदों पर 51 रनों की पारी खेली. मुनाफ पटेल ने बाद में तमीम को कैच आउट करवाया. लेकिन लो स्कोरिंग मैच में तमीम ने बांग्लादेश के लिए चीजें बिल्कुल आसान कर दी थीं. बांग्लादेश ने इस मैच को पांच विकेट से जीत लिया था. इस पारी के 13 साल बाद भी तमीम इसमें ज़हीर के ओवर में लगाए छक्के को अपना बेस्ट सिक्स बताते हैं.

वनडे क्रिकेट के इतिहास में ऐसा सिर्फ एक बार नहीं हुआ. तमीम के डेब्यू करने के बाद से बांग्लादेश ने चार बार भारत को हराया. जिसमें से तीन बार तमीम की बदौलत ही बांग्लादेश ने मैच पर अपनी पकड़ बनाई.

तमीम बांग्लादेश क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े बल्लेबाज़ हैं. टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने दूसरे सबसे ज्यादा 4405 रन. जबकि वनडे में सबसे ज्यादा 7202 रन बनाए हैं.

जब टूटे हाथ के साथ मैदान पर उतर आए तमीम:

ऐसा नहीं है कि तमीम सिर्फ रनों के लिए पहचाने जाते हैं. उन्होंने अपनी हिम्मतवाली पारियों से भी दिखाया है कि वह क्रिकेट का एक नायाब हीरा हैं. एक मौका आया साल 2018 में. 2018 का एशिया कप. टीम इंडिया चैम्पियन बनी थी. लेकिन उस टूर्नामेंट का पहला मैच हुआ था बांग्लादेश और श्रीलंका के बीच. मैच शुरू हुआ. बांग्लादेश पहले खेलने उतरा लेकिन मलिंगा के आगे बांग्लादेशी धूल खाते दिखने लगे.

पहले ओवर में ही लिटन दास और शाकिब उल हसन आउट हो गए. एक ओवर के बाद टीम का स्कोर एक रन पर दो विकेट. दूसरा ओवर शुरू हुआ. तमीन ने लकमल के ओवर में एक रन ले लिया. मुश्फिकुर रहीम ने पांचवी गेंद पर सिंगल लेकर स्ट्राइक फिर से तमीम को लौटा दी. अब तमीम आखिरी गेंद का सामने करने आए. लकमल की गेंद पर तमीम ने पुल शॉट खेलने की कोशिश की. लेकिन गेंद सीधे उनकी कलाई पर जा लगी. तमीम दर्द से बिलखते हुए ज़मीन पर बैठ गए.

चोट इतनी बड़ी थी कि मैदान पर फिज़ियो आए और तमीम की हालत देखकर उन्हें मैदान से बाहर ले गए. दूसरा ओवर खत्म होते-होते बांग्लादेश के तीन बल्लेबाज़ वापस पवेलियन लौट चुके थे. मुश्फिकुर ने एक छोर थामे रखा और टीम को एक अच्छे स्कोर की तरफ ले जा रहे थे कि 47वें ओवर में बांग्लादेश का नौवां विकेट भी गिर गया. मुश्फिकुर क्रीज़ पर अकेले छूट गए. क्योंकि तमीम तो पहले ही रिटायर्ड हर्ट होकर चले गए थे. बांग्लादेश का स्कोर था 229 रन. लेकिन तीन ओवर बाकी थे. श्रीलंकाई खिलाड़ी मैदान छोड़ने की फिराक में थे.

मुश्फिकुर ड्रेसिंग रूम की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे थे, कि तभी तमीम हाथ में प्लास्टर के साथ अंधेरे गलियारे से उजाले में दिखे. ऐसा होते देख किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था. फ्रैक्चर के साथ खेलने आए तमीम का एक हाथ बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा था. लेकिन यहां बात सिर्फ मुश्फिकुर का साथ देने की नहीं थी. जब क्रीज़ पर हैं तो बल्लेबाज़ी भी करनी होगी. तमीम अब गेंद का सामना करने आए. उन्होंने लकमल के ओवर से गेंद का सामना किया. वो भी एक हाथ से. इसके बाद मुश्फिकुर ने 50वें ओवर तक बल्लेबाज़ी कर टीम को 261 रनों तक पहुंचा दिया.

जबलपुर रेल मंडल में निकली भर्ती, 5 अप्रैल आवेदन की आखिरी तारीख

Posted: 22 Mar 2021 07:45 PM PDT

सरकारी नौकरी और विशेषकर रेलवे की तैयारी कर रहे प्रदेश के युवाओं के लिए एक अच्छी खबर है। मध्यप्रदेश के जबलपुर रेल मंडल में सैकड़ों पदों पर भर्तियां निकली हैं जिनके लिए इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 5 अप्रैल 2021 तक आवेदन कर सकते हैं। जबलपुर रेल मंडल में ट्रेड अप्रेंटिस के पद के लिए भर्तियां निकली हैं जिनके लिए विभाग की ऑफिशियल वेबसाइड के जरिए आवेदन किया जा सकता है। खास बात ये है कि इन पदों पर जिन उम्मीदवारों का चयन होगा उन्हें किसी भी परीक्षा का सामना नहीं करना पड़ेगा।     ये भी पढ़ें- जनता पर महंगाई की एक और मार, इतने रुपए महंगा हुआ दूध     योग्यता एवं आयु सीमा जबलपुर रेल मंडल में 680 पदों पर ट्रेड अप्रेंटिस के लिए भर्तियां की जानी है जिसके आवेदन की पूरी प्रक्रिया विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर दी गई है। 10वीं पास और आईटीआई का डिप्लोमा करने वाले अभ्यार्थी इन पदों के लिए अप्लाई कर सकते हैं। भर्ती नियमों के अनुसार आवेदक की उम्र सीमा अधिकतम 24 वर्ष तय की गई है और आरक्षिक वर्ग के उम्मीदवारों को नियमानुसार आयु सीमा में छूट देने का भी प्रावधान है। रेलवे की तरफ से इन पदो के लिए 18 मार्च को नोटिफिकेशन जारी किया गया था और आवेदन की अंतिम तिथि 5 अप्रैल 2021 तय की गई है।     ये भी पढ़ें- फटी जींस पर अब एमपी के कृषि मंत्री का बयान     आवेदन शुल्क व ऐसे करें आवेदन आवेदन करने वाले जनरल और ओबीसी कैटेगरी के अभ्यार्थियों को 170 रुपए व एससी, एसटी व अन्य कैटेगिरी के लिए 70 रुपए आवेदन शुल्क निर्धारित किया गया है। आवेदक अपना आवेदन फॉर्म सीधे विभाग की ऑफिशियल साइट https://www.mponline.gov.in/portal/ पर जाकर भर सकते हैं। इच्छुक उम्मीदवार ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद एक प्रिंट आउट जरुर ले लें जिससे कि भविष्य में किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो।

सरकारी नौकरी और विशेषकर रेलवे की तैयारी कर रहे प्रदेश के युवाओं के लिए एक अच्छी खबर है। मध्यप्रदेश के जबलपुर रेल मंडल में सैकड़ों पदों पर भर्तियां निकली हैं जिनके लिए इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 5 अप्रैल 2021 तक आवेदन कर सकते हैं। जबलपुर रेल मंडल में ट्रेड अप्रेंटिस के पद के लिए भर्तियां निकली हैं जिनके लिए विभाग की ऑफिशियल वेबसाइड के जरिए आवेदन किया जा सकता है। खास बात ये है कि इन पदों पर जिन उम्मीदवारों का चयन होगा उन्हें किसी भी परीक्षा का सामना नहीं करना पड़ेगा।

योग्यता एवं आयु सीमा
जबलपुर रेल मंडल में 680 पदों पर ट्रेड अप्रेंटिस के लिए भर्तियां की जानी है जिसके आवेदन की पूरी प्रक्रिया विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर दी गई है। 10वीं पास और आईटीआई का डिप्लोमा करने वाले अभ्यार्थी इन पदों के लिए अप्लाई कर सकते हैं। भर्ती नियमों के अनुसार आवेदक की उम्र सीमा अधिकतम 24 वर्ष तय की गई है और आरक्षिक वर्ग के उम्मीदवारों को नियमानुसार आयु सीमा में छूट देने का भी प्रावधान है। रेलवे की तरफ से इन पदो के लिए 18 मार्च को नोटिफिकेशन जारी किया गया था और आवेदन की अंतिम तिथि 5 अप्रैल 2021 तय की गई है।

आवेदन शुल्क व ऐसे करें आवेदन
आवेदन करने वाले जनरल और ओबीसी कैटेगरी के अभ्यार्थियों को 170 रुपए व एससी, एसटी व अन्य कैटेगिरी के लिए 70 रुपए आवेदन शुल्क निर्धारित किया गया है। आवेदक अपना आवेदन फॉर्म सीधे विभाग की ऑफिशियल साइट https://www.mponline.gov.in/portal/ पर जाकर भर सकते हैं। इच्छुक उम्मीदवार ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद एक प्रिंट आउट जरुर ले लें जिससे कि भविष्य में किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो।

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