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Thursday, March 25, 2021

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रोजाना सुबह भूनकर खा लें लहसुन की दो कलियां, मर्दो में बढ़ जायेगी शारीरिक क्षमताएं

Posted: 24 Mar 2021 06:50 PM PDT

रोजाना सुबह भूनकर खा लें लहसुन की दो कलियां, मर्दो में बढ़ जायेगी शारीरिक क्षमताएं

जल्दी ठंड लगने वाले के लिए जिन लोगों को जल्दी ठंड लग जाती है उन्हें भी भुना लहसुन खाना चाहिए। इससे शरीर में गर्माहट रहती है और तापमान नियंत्रित रहता है। हालांकि गर्मी के मौसम में इसका सेवन ध्यान से करें, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है।

शारीरिक थकान के लिए जिन लोगों को शारीरिक थकान लगती है उन्हें अंकुरित लहसुन को भूनकर खाना चाहिए। इसके लिए लहसुन जितना ज़्यादा पुराना होगा शरीर को उतनी ही ताकत देगा।

कैंसर जैसी घातक बीमारी 
लहसुन कैंसर जैसी घातक बीमारी को ठीक करने में भी मददगार है। अगर रोजाना खाली पेट लहसुन की भुनी हुई दो कलियां खाई जाए तो इससे कैंसर के बैक्टीरिया शरीर में फैल नहीं पाएंगे।

दांतों के दर्द में भुने हुए भुने लहसुन को पीसकर दांतों में रखने से दर्द में आराम मिलता है। चूंकि इसमें एंटी बैक्‍टीरियल तत्‍व होते हैं इसलिए ये मुंह की बदबू को भी मिटाता है।

पेट खराब हो तो 
अगर आपका पेट खराब रहता है या जल्‍दी जल्‍दी इंफेक्‍शन हो जाता है। तो भुना हुआ लहसुन खाएं, इससे कब्ज, एसिडिटी, गैस्ट्रिक आदि पेरशानियों से छुटकरा मिलेगा।

पुरुषों के लिए भुने हुए लहसुन के सेवन से शारीरिक क्षमताएं भी बढ़ती है। ये पुरुषों के लिए भी लाभकारी होता है। अगर वे जल्दी थक जाते हैं या कमजोरी महसूस करते हैं तो दूध के साथ भुने हुए लहसुन चबाकर खाएं।

बैड कोलेस्ट्रॉल की समस्या के लिए 
भुना लहसुन बैड कोलेस्ट्रॉल की समस्या को दूर करने में भी मदद करता है। ये खून में मौजूद अतिरिक्त तेल को हटाकर दिल को ठीक से काम करने में मदद करता है।

ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित के लिए रोजाना खाली पेट भुना हुआ लहसुन खाने से ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है। ये रक्त धमनियों में आए ब्लॉकेज को दूर करता है।

इम्यूनिटी पावर बूस्ट करने के लिए भुना हुआ लहसुन इम्यूनिटी पावर बूस्ट करने में भी मदद करता है। इससे सर्दी-जुकाम आदि संक्रामक रोगों से बचाव होता है।

एंटी बायोटिक के लिए लहसुन में एंटी बायोटिक गुण होते हैं इसलिए अगर चोट लग जाए तब भुने हुए लहसुन को कूटकर इसमें शहद मिलाकर खाने से लाभ होता है। इससे घाव जल्दी भर जाता है।

आप भी इन पांच चीजों के सेवन से घर बैठे-बैठे कम कर सकते हैं डिप्रेशन

Posted: 24 Mar 2021 06:47 PM PDT

आप भी इन पांच चीजों के सेवन से घर बैठे-बैठे कम कर सकते हैं डिप्रेशन

डिप्रेशन की वजह से लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वे किसी काम को पूरे मन से नहीं कर पाते और सामजिक तौर पर भी उनके व्यवहार में काफी बदलाव आता है।वे किसी से भी खुल कर बात नहीं कर पाते । डिप्रेशन के लक्षणों के बारे में तो आपने कई दफा पढ़ा होगा पर डिप्रेशन का इलाज आप इन चीजों का सेवन कर घर बैठे-बैठे कर सकते हैं….

1. केला: केला खाने से हमारे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। इसके अलावा हमारा नर्वस सिस्टम भी स्वस्थ रहता है। जब हमारा शरीर स्ट्रेस में होता है तो उसमें विटामिन-बी की कमी होती है। केला हमारे शरीर को विटामिन बी भी देता है।

2. अंडा अंडा खाने से हमारा शरीर पूरे दिन चुस्त-दुरुस्त रहता है।अंडे का सेवन करने से हमारा ब्लड-शुगर लेवल भी सही रहता है।साथ ही यह हमारे वजन को भी सही रखने में मदद करता है और इन सब फायदों से हमें खुशी मिलती है जिसकी वजह से हम कम तनाव महसूस करते हैं।

3. आटे से बनी ब्रेड यह कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होती है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है।इसमें सेलेनियम भी पाया जाता है जो शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद करता है और आप अपनी हेल्थ को लेकर अच्छा महसूस करते हैं।

4. चीज भारी मात्रा में चीज का सेवन करना नुकसानदायक साबित हो सकता है पर अगर सही मात्रा में चीज को खाया जाए तो डिप्रेशन से लड़ा जा सकता है। इसमें मौजूद जिंक डिप्रेशन को कम करता है।

5. डार्क चॉकलेट्स यह तो सब जानते हैं कि चॉकलेट्स मूड चेंज करने में मदद करती हैं।इसके अलावा डार्क चॉकलेट्स में डोपामाइन,सेरोटोनिन और फिनाइल इथाइल अमीन पाए जाते हैं जो हमारे दिमाग में बुरे खयालों को आने से रोकते हैं।

सोने की इन पोजिशन से जानिए कैसी है आपकी पर्सनैलिटी

Posted: 24 Mar 2021 06:44 PM PDT

सोने की इन पोजिशन से जानिए कैसी है आपकी पर्सनैलिटी

लोगों से जब भी सोते हैं तो उनको यह पता नहीं होता कि वह किस पोजीशन में सो रहे है। लेकिन आपके सोने की पोजीशन आपके बारे में बहुत कुछ बता सकती है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सोने की पोजीशन व्यक्ति का स्वभाव बता सकती है कि इस पोजीशन में सोने वाले व्यक्ति का स्वभाव कैसा होगा और इस पोजीशन में सोने वाले व्यक्ति का स्वभाव कैसा होगा। तो चलिए आज जानते हैं कि पोजीशन के अनुसार किस व्यक्ति के नीचे अंदाजा लगाया जा सकता है।

लॉग पोजिशन : लोक पोजीशन मतलब एक करवट में सोना। इस तरह की पोजीशन में सोने वाले लोग काफी सकारात्मक होते हुए वे एक दूसरे के साथ मिलकर लोगों की मदद भी करते है। इनको अपने से ज्यादा दूसरों की मदद करना पसंद होता है और यह खुले विचारों के होते है। जब भी किसी से मिलते हैं तो खुशी खुशी मिलते हैं।

बेबी पोजिशन : इसका मतलब है बच्चे की तरह सोना. जैसे बच्चा गर्भ गर्भ में सोता है ठीक उसी तरह. इसमें दोनों घुटने सीने की तरफ होते है. लगभग 35 – 40 % लोग इस पोजीशन में सोना पसंद करते है।हालांकि महिलाएं इस पोजीशन में सबसे ज्यादा सोती है। इस पोजीशन में सोने वाले लोग भरपूर नींद नहीं ले पाते।

स्टारफिश पोजीशन : इस पोजीशन में हम अपने दोनों हाथों को तकिए के आसपास रखते हैं और हमारी पोजीशन स्टार फिश की तरह होती है। हालांकि इस पोजीशन में लोग सोना बहुत कम पसंद करते है। इस पोजीशन में सोने वाले लोग काफी आत्मविश्वासी होते है और अपने दोस्तों परिजनों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते है। ये नकारात्मक विचारों से बिल्कुल दूर रहते हैं।

स्काईडाइवर पोजिशन : इस पोजीशन में लोग उल्टा सोते हैं अगर दूसरी भाषा में कहीं तो पेट के बल. उनके दोनों हाथ तकिए के ऊपर होते है. यह लोग काफी खुले विचारों की होते है। इनका स्वभाव काफी संवेदनशील होता है। ये काफी गुस्से वाले भी होते है। अगर इनको किसी बात पर गुस्सा आए तो यह लंबे समय तक किसी से नाराज हो सकते है. लेकिन अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हैं और जल्दी से इनको गुस्सा नहीं आता।

सोल्जर पोजीशन : इस पोजीशन में हम पेट के बल सोते है. हमारे हाथ व पैर एकदम समानांतर स्थिति में होते है और इस पोजीशन में सोने वाले लोग काफी शांत स्वभाव के होते है। ये लोग फ्री होकर सोचने की कोशिश करते है। अपने काम को समय पर पूरा करने की चेष्टा रखते है और ये लोग घूमने के बड़े शौकीन होते है।

होटल में बचे हुए साबुन का क्या किया जाता है, क्या आप जानते है

Posted: 24 Mar 2021 06:41 PM PDT

होटल में बचे हुए साबुन का क्या किया जाता है, क्या आप जानते है

158आमतौर पर सभी बड़े होटल्स में व्यक्ति की रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली सभी चीजें उपलब्ध होती है। यानि साबुन से लेकर टूथपेस्ट तक हर चीज का प्रबंध होता है। अब कुछ होटल्स में तो शैम्पू और साबुन हर रोज बदले जाते है, लेकिन कुछ होटल्स में ऐसा नहीं होता। मगर क्या आपने कभी ये सोचा है कि होटल में बचे हुए साबुन का आखिर क्या किया जाता है। जी हां होटल में जो शैम्पू और साबुन आदि का हम इस्तेमाल नहीं करते या थोड़ा सा इस्तेमाल करके छोड़ देते है, उनका हमारे होटल से जाने के बाद क्या किया जाता है। बहरहाल आज हम आपको इसी जानकारी से रूबरू करवाना चाहते है। अब अगर हम इसका सीधा और साफ जवाब दे तो ऐसा हो सकता है कि जो चीजें हम आधी इस्तेमाल करते है, उन्हें हमारे जाने के बाद फेंक दिया जाता है।

होटल में बचे हुए साबुन का ऐसे होता है इस्तेमाल : तो वही जिन चीजों का हम इस्तेमाल नहीं करते और जो पैक्ड होती है उन्हें दूसरे मेहमानो को दे दिया जाता है। मगर आपको जान कर हैरानी होगी कि ये पूरा सच नहीं है। दरअसल एक रिपोर्ट के अनुसार यह सच सामने आया है कि जहाँ एक तरफ इन चीजों को कूड़े के ढेर में मिला दिया जाता है, वही ये चीजें कई गरीब लोगों की स्वच्छता की समस्या को दूर करने में मदद कर सकती है। इसका मतलब ये है कि जो गरीब लोग ऐसी चीजें नहीं खरीद सकते और गंदगी के कारण कई बीमारियों का सामना करते है, उन्हें ये चीजें दी जा सकती है। बता दे कि साल 2009 में कुछ एनजीओ ने इस मुद्दे को लेकर मुहिम भी चलाई थी।

रिसाइकल किया जाता है बचे हुए सभी प्रोडक्ट्स को : इसके इलावा अगर रिपोर्ट की माने तो भारत में हर रोज लाखों की गिनती में ऐसे प्रोडक्ट्स होटल्स के कमरों से बाहर निकाले जाते है, जिनसे गरीबों का भला हो सकता है। गौरतलब है कि इस समस्या को खत्म करने के लिए पूरी दुनिया में क्लीन द वर्ल्ड और कई संस्थाओं ने ग्लोबल सोप प्रोजक्ट के साथ मिल कर एक मुहिम शुरू की थी। जिसके तहत आधे इस्तेमाल किए गए साबुन को नया साबुन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके इलावा बाकी प्रोडक्ट्स के साथ भी ऐसा ही होता है। फिर इन रिसाइकल किए गए प्रोडक्ट्स को विकासशील देशों में भेज दिया जाता है। यहाँ तक कि इस मुहिम का लाभ उन क्षेत्रों में रह रहे लोग भी उठा पाते है, जिनके पास स्वच्छ पानी, साबुन और सैनिटेशन की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होती।

गरीबों की स्वच्छता का रखा जाता है ध्यान : यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि स्थानीय स्तर पर ऐसे कई एनजीओ काम करते है जो बड़े बड़े होटल्स से हर रोज कई तरह के प्रोडक्ट्स इकट्ठे करते है और उन्हें गरीबों में बाँट देते है। हालांकि जरूरतमंद लोगों को देने से पहले इन्हे रिसाइकल जरूर किया जाता है। जी हां रिसाइकल के दौरान बचे हुए साबुन और सभी प्रोडक्ट्स को कीटाणुरहित किया जाता है, ताकि लोग बिना किसी दिक्क्त के इनका इस्तेमाल कर सके। यहाँ तक कि इनकी शुद्धता की जांच भी की जाती है। अब यूँ तो होटल में बचे हुए साबुन का दोबारा इस्तेमाल करने का यह सबसे बढ़िया तरीका है, लेकिन अब भी ऐसे बहुत से होटल्स है, जिनमें बचे हुए साबुन को कचरे के रूप में फेंक दिया जाता है।

पाक मीडिया का दावा: भारत और पाकिस्तान के बीच इस साल हो सकती है क्रिकेट सीरीज

Posted: 24 Mar 2021 06:37 PM PDT

पाक मीडिया का दावा: भारत और पाकिस्तान के बीच इस साल हो सकती है क्रिकेट सीरीज

भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट रिश्ते इस साल फिर से शुरू होने की संभावना है। दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव के कारण भारत और पाकिस्तान ने लगभग एक दशक तक द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज नहीं खेली है। दोनों देशों के बीच आखिरी टेस्ट सीरीज 2007 में हुई थी जब पाकिस्तान ने पांच वनडे और तीन टेस्ट मैचों के लिए भारत का दौरा किया था।

जहां तक दोनों देशों के बीच आखिरी द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज का सवाल है, यह 2012-13 के सीजन में हुआ था, जब पाकिस्तान ने कुछ सीमित ओवरों की सीरीज के लिए भारत का दौरा किया था। दूसरी ओर, भारत ने आखिरी बार 2008 में एशिया कप के लिए पाकिस्तान का दौरा किया था। द्विपक्षीय संबंधों में खटास आने के बाद से, दोनों टीमों ने केवल एशिया कप और आईसीसी टूर्नामेंट में एक दूसरे के खिलाफ खेला है। वे आखिरी बार 2019 विश्व कप में एक दूसरे के खिलाफ खेले थे।

पाक के उच्च अधिकारियों से मिले संकेत

पाकिस्तानी मीडिया डेली जंग की रिपोर्ट के अनुसार अगर योजना के अनुसार सब कुछ ठीक रहता है तो प्रशंसक इस साल भारत और पाकिस्तान की एक द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज देखने को मिल सकती है। पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) को उच्च अधिकारियों से संकेत मिला है इस साल भारत के साथ एक द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज हो सकती है। एक अनाम पीसीबी अधिकारी ने मीडिया को बताया कि इस वर्ष ये होना संभव है। उन्होंने कहा कि "हमें तैयार रहने के लिए कहा गया है।"

पाकिस्तानी मीडिया डेली जंग के अनुसार अधिकारी का कहना है कि इस साल के अंत तक ये मैच काराया जा सकता है। यदि सबकुछ ठीक रहता है तो तीन टी 20 मैचों के लिए छह दिनों के लिए कराया जा सकता है। इस माह की शुरुआत में, पीसीबी के अध्यक्ष एहसान मणि ने भी दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों को लेकर एक आशाजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को 2023 में एशिया कप के लिए भारत की मेजबानी की उम्मीद थी।

पाकिस्तान को 2023 में एशिया कप की मेजबानी करनी है। टूर्नामेंट में भारत की भागीदारी पाकिस्तान क्रिकेट के लिए एक बड़ी सफलता होगी। मणि ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तब तक राजनीतिक स्थिति में सुधार होगा।

टीम इंडिया के लिए एक साथ खेलने वाले तीन भाइयों की जोड़ी

Posted: 24 Mar 2021 06:35 PM PDT

टीम इंडिया के लिए एक साथ खेलने वाले तीन भाइयों की जोड़ी

भारत और इंग्लैंड के बीच मुकाबले के दौरान दोनों ओर से भाइयों की जोड़ियां खेलती नजर आई। टीम इंडिया की ओर से पांड्या बंधु (हार्दिक और क्रुणाल) तो इंग्लैंड की ओर से करन बंधु (सैम और टॉम)। यह भी संयोग ही है कि यह चारों क्रिकेटर ऑलराउंडर ही हैं। इनमें से सिर्फ क्रुणाल ही स्पिनर हैं जबकि हार्दिक, सैम और टॉम तीनों तेज गेंदबाज हैं। सैम और टॉम इससे पहले 2011 में श्रीलंका के खिलाफ एक-साथ वनडे में खेल चुके हैं।

हार्दिक और क्रुणाल भारतीय वनडे इतिहास में एक-साथ खेलने वाले तीसरी भाइयों की जोड़ी है। हालांकि 6 फरवरी 2019 को न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 इंटरनेशनल में भी दोनों भाई साथ में दिख चुके थे, एकदिवसीय में ऐसा संयोग पहली बार आया। हार्दिक पांड्या 2016 से टीम के स्थायी सदस्य हैं जबकि क्रुणाल को अभी अपनी जगह पक्की करनी है। पांड्या बंधु आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए अरसे से साथ में धमाल मचाते आ रहे हैं।

नौ साल बाद ऐसा मौका आया जब टीम इंडिया में दो भाई एक-साथ खेले। इससे पहले मार्च 2012 में इरफान और यूसुफ पठान एक साथ खेले थे। बड़ौदा के ही बेहद साधारण परिवार में जन्में इन भाइयों की जोड़ी ने भी बचपन में गरीबी देखी, लेकिन एक-दूसरे को सपोर्ट करते हुए क्रिकेट के शिखर तक पहुंचे। यहां भी पहले छोटे भाई इरफान ने टीम इंडिया में जगह बनाई बाद में बड़े भाई यूसुफ की एंट्री हुई। दोनों 2007 में हुए पहले टी-20 विश्व कप में टीम इंडिया का हिस्सा भी थे। पठान बंधुओं ने भारत के लिए आठ वनडे और इतने ही टी-20 साथ खेले हैं। इरफान स्विंग तेज गेंदबाज के साथ-साथ बल्लेबाजी भी करना जानते थे तो यूसुफ पठान पावर हिटर थे और पार्ट टाइम स्पिन भी करते थे।

इससे पहले मोहिंदर और सुरिंदर अमरनाथ ने भी राष्ट्रीय टीम के लिए तीन मैच साथ में खेले। दोनों आजाद भारत के पहले क्रिकेट कप्तान लाला अमरनाथ की संतान हैं। उस वक्त अमरनाथ परिवार को देश में खेल जगत के सबसे प्रतिष्ठित परिवार के रूप में याद किया जाता था। सुरिंदर आक्रामक खब्बू बल्लेबाज थे, जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगाया था, लेकिन पर्याप्त मौके न मिलने की वजह से वह भारतीय टीम के लिए ज्यादा खेल नहीं पाए। दूसरी ओर मोहिंदर अमरनाथ की गिनती विश्व क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर्स में होती है। बेहतरीन बल्लेबाज के साथ-साथ वह मध्यम तेज गति के गेंदबाज भी थे। 1983 विश्व कप में भारत की जीत में उनका अहम योगदान था।

किसान से रिश्वत लेते पटवारी गिरफ्तार, गिरदावरी के नाम पर मांगी थी रिश्वत

Posted: 24 Mar 2021 06:30 PM PDT

किसान से रिश्वत लेते पटवारी गिरफ्तार, गिरदावरी के नाम पर मांगी थी रिश्वत

हरियाणा के फतेहाबाद में विजिलेंस की टीम ने एक पटवारी सुभाष को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। आरोपी पटवारी ने जमीन की गिरदावरी के लिए किसान से 20 हजार की रिश्वत मांगी थी। जानकारी के मुताबिक फतेहाबाद में पटवारी ने किसान से जमीन की गिरदावरी के लिए 20 हजार की मांग की थी जिसके बाद किसान ने इसकी शिकायत विजिलेंस को दी थी। 

 इसमें विजिलेंस की टीम को बताया कि उसने पांच हजार रुपये पहले ही पटवारी को दे दिये हैं और अब 15 हजार रुपये और देने हैं। जिसके बाद टीम ने पटवारी को 15 हजार रुपये के नोट रंग लगाकर दिये। किसान ने आज जैसे ही वो 15 हजार रुपये पटवारी को दिये तो विजिलेंस की टीम ने मौके से काबू कर लिया।





हमीरपुर: किसान आंदोलन में गया है बेटा, नाराज पिता ने संपत्ति से किया बेदखल

Posted: 24 Mar 2021 06:28 PM PDT

हमीरपुर: किसान आंदोलन में गया है बेटा, नाराज पिता ने संपत्ति से किया बेदखल

एक रिटायर्ड फौजी का बेटा दिल्ली में किसानों का समर्थन करने गया तो बाप ने उसे अपनी जायदाद से बेदखल कर दिया। ये मामला है जिला हमीरपुर के बड़सर के गांव जामली। शायद ये देश का ऐसा पहला मामला है। जिसमें बेटे के किसानों का समर्थन देने पर एक बाप बुरी तरह बिफर गया।
 
दरअसल बाप का कहना है कि परमजीत उसका इकलौता बेटा है। और वो कुछ नहीं करता है। रिटायर्ड फौजी अजमेर सिंह ने कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए कहा। कि उसके बेटे परमजीत को यह तक पता नहीं कि कब कौन सी फसल बीजी जाती है। और वो घर में बैठकर मुफ्त का खाना खाता है। गुस्साए अजमेर सिंह ने आंदोलन को गलत बताते हुए दिल्ली पुलिस से गुहार लगाई कि आंदोलन में शामिल मेरे बेटे की मार-मार कर हड्डियां तोड़ दी जाएं। बता दें कि अजमेर सिंह भारतीय सेना से साल 2005 में सेवानिवृत्त हुए हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वह अपने गांव में ही एक दुकान चलाते हैं और साथ में खेतीबाड़ी करते हैं।

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