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Thursday, July 30, 2020

बेसिक शिक्षा न्यूज़ । Basic Shiksha News

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INCOME Tax : अब 30 सितम्बर तक भर सकेगे आयकर रिटर्न अंतिम तिथि में की गई बढ़ोत्तरी

Posted: 29 Jul 2020 10:17 PM PDT

INCOME Tax : अब 30 सितम्बर तक भर सकेगे आयकर रिटर्न अंतिम तिथि में की गई बढ़ोत्तरी

इस करोना काल में सरकार द्वारा बित्तवर्ष 2018-2019  के लिए आयकर भरने की तारीख दो महीने और बढ़ा कर 30 सितम्बर तक कर दिया है यह जानकारी विभाग ने ट्विटर कर के बताया,करोना महामारी के बिच कर दातो को बड़ी रहत सरकार एव आयकर विभाग द्वारा दिया गया है| आप को बताते चले की इस बार ये तीसरी बार है की इसकी तारीख में बृद्धि की गई है| कर दातो के लिय कूछ देखने योग्य बाते यह है|

इनकम टैक्स रिटर्न
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भारत सरकार एव आयकर विभाग द्वारा अपने कर दातो को बड़ी रहत भरी खबर दी है | वित्तीय वर्ष 2018-19 के रिटर्न को अब कर दाता 31 जुलाई से 30 सितम्बर तक बाधा दिया गया है यह पहली बार हुवा है जब किसी बित्तीय वर्ष में चर बार रिटर्न की तिथि बधाई गई हो| आयकर विभाग ने इसकी जानकारी एक tweet कर के यह जानकारी साझा की इस फैसले के साथ ही इस महामारी में कर दातो को बड़ी रहत सरकार द्वारा दी गई है| आरकर विभाग द्वारा TWEET में कहा गया है| इस वैश्विक महामारी में करदाताओ को सहूलियत देते हुवे केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड CBDC ने बित्तीय वर्ष २०१८-19 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को बाधा कर ३० सितम्बर कर दिया गया है|


 पूर्व में अंतिम तिथि ३१ जुलाई को को राखी गई थी लेकिन इसे बढ़ाते हुवे अब इस प्रक्रिया को अप ३० सितम्बर तक पूरा कर सकते है लाक डाउन की वजह से कर दातो को रिटर्न भरने में खासी समस्या का सामना करना पड रहा था| इन्ही सब को ध्यान में रखते हुवे अब आई टी आर दाखिल ली अंतिम तिथि में बढ़ोतरी की गई है।

POLICY, SHIKSHAK NEETI : नई शिक्षा नीति - 2020 जबरन नहीं थोपी जाएगी कोई भाषा, पांचवीं कक्षा तक स्थानीय भाषा में होगी पढ़ाई

Posted: 29 Jul 2020 07:38 PM PDT

POLICY, SHIKSHAK NEETI : नई शिक्षा नीति - 2020 जबरन नहीं थोपी जाएगी कोई भाषा, पांचवीं कक्षा तक स्थानीय भाषा में होगी पढ़ाई

पुराने त्रिभाषा फार्मूला को लेकर नहीं हुई कोई बात, किसी भाषा को आवश्यक नहीं बनाया गया


स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। पाली प्राकृत और पर्शियन जैसी लुप्त होती जा रही भाषाओं को बचाने के लिए विशेष कदम भी उठाए गए हैं।...



नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति में स्थानीय संदर्भो और भाषाओं को पूरा स्थान मिलेगा। इसके तहत स्कूल में पांचवीं कक्षा तक स्थानीय भाषा में पढ़ाने का सुझाव है। वैसे यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी।


गौरतलब है कि त्रिभाषा फार्मूला लागू होने के बाद खासकर दक्षिणी राज्यों से विरोध का स्वर उठा था। उसके तहत स्कूलों में एक क्षेत्रीय भाषा, अंग्रेजी और हिंदी को स्थान दिया गया। विरोध के बाद इसे लचीला कर दिया गया और किसी भाषा को आवश्यक नहीं बनाया गया। यही व्यवस्था आगे भी लागू रहेगी।


नई शिक्षा नीति में स्थानीय भाषाओं और हुनर को बढ़ावा देने पर दिया गया जोर 
स्थानीय भाषाओं और हुनर को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया है। पाली, प्राकृत और पर्शियन जैसी लुप्त होती जा रही भाषाओं को बचाने के लिए विशेष कदम भी उठाए गए हैं।


नई शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास को बढ़ावा देना है
नई शिक्षा नीति में साफ कहा गया है कि इसका उद्देश्य सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास को बढ़ावा देना है। इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रटेशन (आइआइटीआइ) बनाने का सुझाव दिया है।


भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विशेष संस्थान बनाने की सिफारिश
इसी तरह पाली, प्राकृत और पर्शियन के लिए अलग से ऐसे ही संस्थान बनाने का भी सुझाव दिया गया है। संस्कृत जहां हर स्तर पर उपलब्ध होगी वहीं विदेशी भाषा हायर सेकेंड्री के स्तर से उपलब्ध होगी।

POLICY, SCHOOL, SHIKSHA NEETI, TEACHING QUALITY : New Education Policy में स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव, जानिए 10 सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बातें

Posted: 29 Jul 2020 07:37 PM PDT

POLICY, SCHOOL, SHIKSHA NEETI, TEACHING QUALITY : New Education Policy में स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव, जानिए 10 सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बातें


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं, साथ ही शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत करने तथा उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचने का लक्ष्य है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। 


उन्होंने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है। बैठक के बाद उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव अनिता करवल ने प्रेस वार्ता के दौरान एक प्रस्तुति दी जिसमें नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। पढ़ें, इसकी 10 बड़ी बातें:



1- नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए। इसमें (लॉ और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर) उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेगुलेटर (एकल नियामक) रहेगा। इसके अलावा उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन दर पहुंचने का लक्ष्य है।


2- नई नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू किया गया है। खरे ने बताया कि आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी । यह छात्रों के हित में एक बड़ा फैसला है।


3- जो छात्र रिसर्च में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा, जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे। नई व्यवस्था में एमए और डिग्री प्रोग्राम के बाद एफफिल करने से छूट की भी एक व्यवस्था की गई है।


4- उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा, शिक्षा में कुल जीडीपी का अभी करीब 4.43 फीसदी खर्च हो रहा है, लेकिन उसे 6 फीसदी करने का लक्ष्य है और केंद्र एवं राज्य मिलकर इस लक्ष्य को हासिल करेंगे।


5- उन्होंने कहा कि हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के अलावा आठ क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्स होगा। वर्चुअल लैब के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जायेगा। इसके साथ ही नेशनल एजुकेशन टेक्नॉलोजी फोरम बनाया जा रहा है।


6- उन्होंने कहा कि नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना होगी जिससे अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। शिक्षा (टीचिंग, लर्निंग और एसेसमेंट) में तकनीकी को बढ़वा दिया जाएगा। तकनीकी के माध्यम से दिव्यांगजनों में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।


7- वहीं, स्कूली शिक्षा सचिव अनिता करवल ने बताया कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 के 15 वर्ष हो गए हैं और अब नया पाठ्यचर्या आयेगा । इसी प्रकार से शिक्षक शिक्षा के पाठ्यक्रम के भी 11 साल हो गए हैं, इसमें भी सुधार होगा।


8- बोर्ड परीक्षा के भार को कम करने की नई नीति में पहल की गई है। बोर्ड परीक्षा को दो भागों में बांटा जा सकता है जो वस्तुनिष्ठ और विषय आधारित हो सकता है। उन्होंने बताया कि शिक्षा का माध्यम पांचवी कक्षा तक मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा या घर की भाषा में हो। बालिकाओं के लिए लैंगिक शिक्षा कोष की बात कही गई है।


9- करवल ने कहा कि बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के स्वरूप मे बदलाव करते हुए समग्र मूल्यांकन पर आधारित रिपोर्ट कार्ड की बात कही गई है। हर कक्षा में जीवन कौशल परखने पर जोर होगा ताकि जब बच्चा 12वीं कक्षा में निकलेगा तो उसके पास पूरा पोर्टफोलियो होगा। इसके अलावा पारदर्शी एवं आनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नए भारत के निर्माण में नई शिक्षा नीति 2020 मील का पत्थर साबित होगी।


10- नई शिक्षा नीति को लेकर समाज के सभी वर्गो के 2.25 लाख सुझाव आए और जो सुझाव आए हमने उनका व्यापक विश्लेषण किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले वर्ष मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को नई शिक्षा नीति का मसौदा सौंपा था जब निशंक ने मंत्रालय का कार्यभार संभाला था।

SHIKSHA NEETI, POLICY : नई शिक्षा नीति में बदलाव के अहम बिन्दु एक नजर में

Posted: 29 Jul 2020 07:32 PM PDT

SHIKSHA NEETI, POLICY : नई शिक्षा नीति में बदलाव के अहम बिन्दु एक नजर में 


● - मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया जाएगा। 


● - देश में उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक(Regulator) होगा, इसमें अप्रूवल और वित्त के लिए अलग-अलग वर्टिकल होंगे। वो नियामक 'ऑनलाइन सेल्फ डिसक्लोजर बेस्ड ट्रांसपेरेंट सिस्टम' पर काम करेगा। 


● - मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी। 


● - इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।



● - अब कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम (co-curricular) या अतिरिक्त पाठ्यक्रम ( extra- curricular) नहीं कहा जाएगा।


● - आयोग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की है।


● - शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए उच्च गुणवत्ता और व्यापक शिक्षा तक सबकी पहुँच सुनिश्चित की गई है। इसके जरिए भारत का निरंतर विकास सुनिश्चित होगा साथ ही वैश्विक मंचों पर 


● - आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, समानता और पर्यावरण की देख - रेख, वैज्ञानिक उन्नति और सांस्कृतिक संरक्षण के नेतृत्व का समर्थन करेगा।


● - 4 साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं। 


● - सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि GDP का 6% शिक्षा में लगाया जाए जो अभी 4.43% है। इसमें बढ़ोतरी करके शिक्षा का क्षेत्र बढ़ाया जाएगा। 


● - प्राथमिक स्तर पर शिक्षा में बहुभाषिकता को प्राथमिकता के साथ शामिल करने और ऐसे भाषा शिक्षकों की उपलब्धता को महत्व दिया दिया गया है जो बच्चों के घर की भाषा समझते हों। यह समस्या राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्यों में दिखाई देती है। पहली से पाँचवी तक जहाँ तक संभव हो मातृभाषा का इस्तेमाल शिक्षण के माध्यम के रूप में किया जाये। जहाँ घर और स्कूल की भाषा अलग-अलग है, वहां दो भाषाओं के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है।


● - पहली व दूसरी कक्षा में भाषा व गणित पर काम करने पर जोर देने की बात नई शिक्षा नीति के मसौदे में है। इसके साथ ही चौथी व पाँचवीं के बच्चों के साथ लेखन कौशल पर काम करने पर भी ध्यान देने की बात कही गई है। भाषा सप्ताह, गणित सप्ताह व भाषा मेला व गणित मेला जैसे आयोजन करने की बात भी इस प्रारूप में लिखी गई है। 


● - इसमें पुस्तकालयों को जीवंत बनाने व गतिविधियों को कराने पर ध्यान देने की बात कही गई है। इसमें कहानी सुनाने, रंगमंच, समूह में पठन, लेखन व बच्चों के बनाये चित्रों व लिखी हुई सामग्री का डिसप्ले करने पर ध्यान देने की बात कही गई है।


● - लड़कियों की शिक्षा जारी रहे इसके लिए उनको भावनात्मक रूप से सुरक्षित वातावरण देने का सुझाव दिया गया है। कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय का विस्तार 12वीं तक करने का सुझाव नई शिक्षा नीति-2019 के मसौदे में किया गया है।


● - रेमेडियल शिक्षण को मुख्य धारा में शामिल करने जैसा सुझाव दिया गया है। इसके तहत 10 सालों की परियोजना का प्रस्ताव किया गया है। इसमें स्थानीय महिलाओं व स्वयं सेवकों की भागीदारी हासिल करने की बात कही गई है।


● - शिक्षकों के सपोर्ट के लिए तकनीकी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने की बात भी नई शिक्षा नीति-2019 के मसौदे में है। इसके लिए कंप्यूटर, लैपटॉप व फोन इत्यादि के जरिए विभिन्न ऐप का इस्तेमाल करके शिक्षण को रोचक बनाने की बात कही गई है।


● - U.S. की NSF (नेशनल साइंस फाउंडेशन) की तर्ज पर हम NRF (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) ला रहे हैं। इसमें न केवल साइंस बल्कि सोशल साइंस भी शामिल होगा। ये बड़े प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में हमें आगे आने में मदद करेगा। 


● - अर्ली चाइल्डहुड केयर एवं एजुकेशन के लिए कैरिकुलम एनसीईआरटी द्वारा तैयार होगा। इसे 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए विकसित किया जाएगा। बुनियादी शिक्षा (6 से 9 वर्ष के लिए) के लिए फाउंडेशनल लिट्रेसी एवं न्यूमेरेसी पर नेशनल मिशन शुरु किया जाएगा। 


● - पढ़ाई की रुपरेखा 5+3+3+4 के आधार पर तैयारी की जाएगी। इसमें अंतिम 4 वर्ष 9वीं से 12वीं शामिल हैं। 


● - नया कौशल (जैसे कोडिंग) शुरु किया जाएगा। एक्सट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज को मेन कैरिकुलम में शामिल किया जाएगा।


● - गिफ्टेड चिल्ड्रेन एवं गर्ल चाइल्ड के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल को जोड़ा जाएगा।


● - नई नेशनल क्यूरिकुलम फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा जिसमें ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा। बोर्ड एग्जाम को भाग में बांटा जाएगा।


● - बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा। जिससे बच्चों में लाइफ स्किल्स का भी विकास हो सकेगा। अभी रिपोर्ट कार्ड में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। 


● - वर्ष 2030 को हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी। विद्यालयी शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास कम से कम लाइफ स्किल होगी। जिससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहेगा कर सकेगा। 


● - नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा। 


● - पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, 'राष्ट्रीय शिक्षा आयोग' का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है।

SHIKSHAK BHARTI : 68500 अध्यापक भर्ती में पुनर्मूल्यांकन के समय कुछ प्रश्नों को छोड़ देने को लेकर दाखिल याचिका पर जवाब तलब

Posted: 29 Jul 2020 07:32 PM PDT

SHIKSHAK BHARTI : 68500 अध्यापक भर्ती में पुनर्मूल्यांकन के समय कुछ प्रश्नों को छोड़ देने को लेकर दाखिल याचिका पर जवाब तलब


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की उत्तर पंजिका के पुनर्मूल्यांकन के समय कुछ प्रश्नों को छोड़ देने को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार के अधिवक्ता से जानकारी मांगी है। याचिका की अगली सुनवाई सात अगस्त को होगी।



यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने अभिषेक कुमार बाजपेयी की याचिका पर दिया है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा का कहना है कि उनकी उत्तर पंजिका का पुनर्मूल्यांकन किया गया। 5 अंक बढे़ भी हैं, लेकिन कुछ ऐसे प्रश्नों की जांच नहीं की गई है, जिनकी पंजिका में कटिंग रही है।


अनिरुद्ध नारायण शुक्ल केस के निर्देश का पालन नहीं किया गया है। यदि प्रश्नों के उत्तर नहीं जांचे गए तो उसका कारण बताया जाना चाहिए। राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने जानकारी लेने के लिए समय मांगा कि याची के सही उत्तर की जांच की गई, अथवा नहीं और यदि नहीं तो किस कारण से नहीं की गई है। कोर्ट ने सात अगस्त की सुनवाई की तिथि तय करते हुए सरकार से हलफनामा मांगा है। सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि उक्त अध्यापक भर्ती में दो बार पुनर्मूल्यांकन कराया गया है। ऐसे में बार-बार इसी प्रक्रिया को अपनाने से भर्ती में अनावश्यक विलंब होगा।

COOK, MDM, MANDEYA : यूपी में 3.84 लाख MDM रसोइयों के मानदेय वृद्धि का प्रस्ताव नामंजूर, ₹3000 की सिफारिश केंद्र सरकार ने लौटाई

Posted: 29 Jul 2020 07:27 PM PDT

COOK, MDM, MANDEYA : यूपी में 3.84 लाख MDM रसोइयों के मानदेय वृद्धि का प्रस्ताव नामंजूर, ₹3000 की सिफारिश केंद्र सरकार ने लौटाई


यूपी में कक्षा एक से आठ तक के सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए भोजन बनाने वाले 3.84 लाख रसोइयों को झटका लगा है। प्रदेश सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से 2020-21 सत्र से इनका मानदेय तीन हजार रुपये करने की सिफारिश की थी लेकिन यह मंजूर नहीं हो सका है। मानदेयवृद्धि का प्रस्ताव इसलिए मंजूर नहीं हो सका है क्योंकि यह सिर्फ उत्तर प्रदेश का मामला नहीं है। यूपी में रसोइयों का मानदेय बढ़ाने पर अन्य राज्यों में भी इसे लागू करना पड़ता जो वर्तमान परिस्थितियों में संभव नहीं है।


साथ ही मानदेय साल में 10 महीने की बजाय पूरे 12 महीने देने की सिफारिश भी की गई थी। मई और जून में मानदेय नहीं मिलने के कारण रसोइयों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो जाता है। हालांकि मानदेय वृद्धि एवं 12 महीने मानदेय के लिए रसोईयों को फिलहाल इंतजार करना होगा। प्रदेश सरकार ने पिछले साल अप्रैल 2019 से रसोइयों का मानदेय बढ़ाकर 1500 रुपये कर दिया था। साथ ही मानदेय की राशि हर महीने उनके बैंक खाते में सीधे ऑनलाइन देनी शुरू कर दी थी।

इनका कहना है

रसोईयों का मानदेय वृद्धि का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश की ओर से भेजा गया था। लेकिन केंद्र सरकार से मंजूरी नहीं मिल सकी है। - विजय किरन आनंद, राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा अभियान एवं महानिदेशक स्कूल शिक्षा

POLICY, SHIKSHA NEETI : New Education Policy 2020 शिक्षकों की पदोन्नति में होगा काम का मूल्यांकन, प्रशिक्षण में भी होगा बदलाव

Posted: 29 Jul 2020 07:23 PM PDT

POLICY, SHIKSHA NEETI : New Education Policy 2020 शिक्षकों की पदोन्नति में होगा काम का मूल्यांकन, प्रशिक्षण में भी होगा बदलाव


शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी बनाई जाएगी। पदोन्नति के योग्यता के साथ ही समय-समय पर कार्य-प्रदर्शन का आकलन भी देखा जाएगा। इसके जरिये शैक्षणिक प्रशासक या शिक्षाविद बनने की व्यवस्था होगी। शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद 2022 तक राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (एनपीएसटी) बनाएगा। जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों से परामर्श होगा।



शिक्षकों के प्रशिक्षण में भी होगा बदलाव
एनसीईआरटी के परामर्श से एनसीटीई अध्यापक शिक्षण के लिए नया और व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा बनाया जाएगा। गुणवत्ताविहीन स्वचालित अध्यापक शिक्षण संस्थान (टीईओ) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों को सलाह देने और प्रोफेशनल मदद करने के लिए राष्ट्रीय सलाह मिशन की स्थापना की जाएगी।

BED, FAKE : आंबेडकर विवि आगरा की बीएड 2005 की 812 डिग्री और फर्जी घोषित, 1084 टैंपर्ड पर अब फैसला लेना शेष

Posted: 29 Jul 2020 07:19 PM PDT

BED, FAKE : आंबेडकर विवि आगरा की बीएड 2005 की 812 डिग्री और फर्जी घोषित, 1084 टैंपर्ड पर अब फैसला लेना शेष


डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ने बीएड-2005 के मामले में 812 डिग्री और फर्जी मान लीं। विश्वविद्यालय की बुधवार को हुई परीक्षा समिति और कार्य परिषद की बैठक में आपत्ति देने वाले 812 कैंडिडेट को फर्जी मान लिया। एसआईटी की सूची पर 814 ने आपत्ति दी थी। इसमें से सिर्फ दो को ही सही पाया गया।


डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के खंदारी परिसर स्थित इंजीनियरिंग संस्थान में कार्य परिषद की बैठक हुई। कुलपति प्रो. अशोक कुमार मित्तल की अध्यक्षता में हुई कार्य परिषद की बैठक में जांच समिति के निर्णयों को रखा गया। विवि की जांच समिति ने एसआईटी की सूची पर प्रत्यावेदन और आपत्ति दर्ज कराने वाले अभ्यर्थियों के आवेदनों का परखा। विवि ने जिन बिन्दुओं पर आपत्ति मांगी थी, ज्यादातर ने उन बिन्दुओं पर सूचना ही नहीं दी थी। जांच समिति ने आपत्तियों को परखने के बाद अपनी रिपोर्ट विवि को सौंप दी। इस पर कार्य परिषद ने फैसला ले लिया।



कार्य परिषद ने आपत्ति देने वाले 814 में से 812 को फेक माना। वहीं दो अभ्यर्थियों की आपत्तियां सही मिलीं। ऐसे में उनके बारे में एसआईटी को रिपोर्ट देने का फैसला लिया गया, ताकि उनके नाम फेक सूची से हटाए जा सकें। बैठक में कुलसचिव डॉ. अंजनी कुमार मिश्र, परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजीव कुमार, वित्ताधिकारी एके सिंह, प्रो. रामशंकर कठेरिया, डॉ. एसपी सिंह, प्रो. मो. अरशद, प्रो. हेमा पाठक, डॉ. देवेन्द्र कुमार, डॉ. जीके गुप्ता, डॉ. हरीश कुमार शर्मा, प्रो. पीके सिंह, प्रो. मनोज श्रीवास्तव, प्रो. लवकुश मिश्रा, प्रो. एचएस सोलंकी, प्रो. अजय तनेजा और प्रो. वीके सारस्वत उपस्थित रहे।


अब तक 3635 रोल नंबर हुए फेक

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ने एसआईटी की सूची पर आपत्तियां मांगी थीं। इसमें शामिल 814 रोल नंबर पर आपत्ति मिली। फेक सूची में शामिल और आपत्ति ना देने वाले अन्य 2823 रोल नंबर को विवि ने सात फरवरी को हुई कार्य परिषद में फर्जी मान लिया था। विवि अभी तक 3635 रोल नंबर को फर्जी मान चुका है।

1084 टैंपर्ड पर अब लेना है फैसला

एसआईटी की सूची में तीन कैटेगिरी में रोल नंबर को शामिल किया गया था। इसमें फेक, टैंपर्ड और डुप्लीकेट रोल नंबर शामिल थे। विश्वविद्यालय अभी तक फेक मामलों में फैसला ले चुका है। अब विवि टैंपर्ड पर फैसला लेगा। टैंपर्ड की सूची में 1084 रोल नंबर हैं। इन रोल नंबर के परिणाम में अंकों का खेल हुआ था।

CUTOFF, SHIKSHAMITRA, SHIKSHAK BHARTI : 69000 शिक्षक भर्ती में भारांक पाने वाले नए शिक्षामित्रों के चयन से जिलों में बदलेगी मेरिट, पड़ेगा प्रभाव देखें।

Posted: 29 Jul 2020 07:17 PM PDT

CUTOFF, SHIKSHAMITRA, SHIKSHAK BHARTI : 69000 शिक्षक भर्ती में भारांक पाने वाले नए शिक्षामित्रों के चयन से जिलों में बदलेगी मेरिट, पड़ेगा प्रभाव देखें।

 
प्रयागराज : परिषदीय स्कूलों की 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती में करीब 250 नए शिक्षामित्रों के चयन से कई जिलों में मेरिट बदलेगी। चयनित होने वाले शिक्षामित्र मनचाहे जिले में तैनाती पा जाएंगे लेकिन, कम मेरिट वालों को दूसरे जिले का रुख करना पड़ सकता है। वजह, यह है कि शिक्षामित्रों का गुणांक वेटेज अंक मिलने के कारण अन्य से अधिक रहेगा। हालांकि अभी तो साफ्टवेयर में सुधार कौन करेगा इसी को लेकर दो संस्थान आमने-सामने हैं।



बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा का परिणाम मई माह में घोषित हुआ था। उसमें वैसे तो 8818 शिक्षामित्र उत्तीर्ण घोषित हुए थे लेकिन, करीब 250 शिक्षामित्रों को वेटेज अंक न मिल पाने की वजह से चयन से बाहर हो गए थे। इस मामले में विभागीय मंत्री के हस्तक्षेप पर लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण शिक्षामित्रों को नियुक्ति देने का निर्देश हुआ है। इसके लिए साफ्टवेयर में बदलाव करना होगा। असल में प्रदेश में कई ऐसे भी शिक्षामित्र भी तैनात रहे हैं, जिन्होंने दूरस्थ बीटीसी की जगह रेगुलर बीटीसी या फिर विशिष्ट बीटीसी कर रखा है। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के आधार पर उन्हें वेटेज अंक का लाभ नहीं दिया जा सका था। ऐसे शिक्षामित्रों ने कई बार बेसिक शिक्षा परिषद पर प्रदर्शन किया था।


इन शिक्षामित्रों को चयन सूची में शामिल करने से पहले से घोषित जिला आवंटन की सूची में बदलाव के आसार हैं, क्योंकि शिक्षामित्रों को वेटेज अंक मिलने के बाद वे चयन में सबसे ऊपर होंगे। अब उन जिलों में जो अभ्यर्थी शीर्ष पर रहे होंगे वे अब नीचे हो जाएंगे। इसका असर कम मेरिट वालों पर पड़ेगा।


हर जिले में अभ्यर्थियों के लिए पद पहले से तय हैं। इसलिए चयनितों की संख्या बढ़ने पर कम मेरिट वालों को दूसरा जिला आवंटित हो सकता है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय परिषद को इस संबंध में पत्र भेज रहा है कि प्रत्यावेदन उन्हें मिले हैं और बदलाव करने का अधिकार परिषद के पास ही है।

NPS, CIRCULAR : बेसिक शिक्षा परिषद एवं अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के अधीन नेशनल पेंशन स्कीम से आच्दादित शिक्षकों/शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का प्रान न0 आवंटन के सम्बंध में।

Posted: 29 Jul 2020 06:46 PM PDT

NPS, CIRCULAR : बेसिक शिक्षा परिषद एवं अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के अधीन नेशनल पेंशन स्कीम से आच्दादित शिक्षकों/शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का प्रान न0 आवंटन के सम्बंध में।



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