प्राइमरी का मास्टर ● इन |
- लखनऊ में चार हजार शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेजों की होगी जांच, टीम गठित
- 69000 भर्ती फर्जीवाड़ा : एसटीएफ तक पहुंची 500 से अधिक शिकायतें, मिले नए सुराग
- यूनीफार्म वितरण : चुनिंदा फर्म को टेंडर दिलाने का ‘खेल’ शुरू, दबी जुबान से शिक्षक कर रहे असंतोष व्यक्त
- राजकीय महाविद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू
- फतेहपुर : बगैर टीसी प्रवासियों के बच्चों के परिषदीय विद्यालयों में होंगे दाखिले
- Polytechnic Entrance Exam 2020: पॉलीटेक्निक प्रवेश परीक्षा अब 12 और 15 सितंबर को
- मथुरा : शिक्षकों के संबद्धीकरण समाप्त होने से कई वर्षों से कार्यालयों में सम्बद्ध शिक्षक नेताओ में बेचैनी
लखनऊ में चार हजार शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेजों की होगी जांच, टीम गठित Posted: 25 Jul 2020 06:28 PM PDT लखनऊ में चार हजार शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेजों की होगी जांच, टीम गठित लखनऊ में मंगलवार से राजकीय जुबिली कॉलेज में होगी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच कोविड-19 के पूरे प्रोटोकॉल का करना होगा पालन। ... लखनऊ। सूबे में लगातार फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विद्यालयों में शिक्षकों के नौकरी पाने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। सबसे पहले कस्तूरबा गांधी में और उसके बाद बेसिक विद्यालयों में कई मामले पकड़े गए। वहीं, राजधानी के बालिका विद्यालयों में भी 98 शिक्षकों की नियम विरुद्ध हुई भर्ती की जांच चल ही रही है। अब माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले करीब 4000 शिक्षकों के दस्तावेजों की पड़ताल के लिए जांच दल गठित कर दिया गया है। डीआइओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि दस्तावेजों की जांच के दौरान विद्यालय और शिक्षकों को कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करना होगा। सभी शिक्षक मास्क लगाकर पहुंचेंगे। शारीरिक दूरी का पालन करेंगे। विद्यालय में सैनिटाइजर, हैंड वॉश, साबुन और सफाई का ध्यान रखना होगा। इसकी व्यवस्थाएं कराई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि विद्यालयों की क्रम संख्या के अनुसार उनके शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच के लिए समय सुनिश्चित कर दिय गया है। यह मूल शैक्षिक प्रपत्र जमा करना होगा समिति के पास शिक्षकों को नियुक्ति के समय प्रस्तुत किए गए सभी अभिलेष जमा करने होंगे। जाति प्रमाणपत्र निवास प्रमाणपत्र, शैक्षिक अनुभव प्रमाण पत्र समेत सभी वास्तविक अभिलेखों को फोल्डर में रखकर लाने होंगे। जमा हुए इन अभिलेखों की जांच उनके शैक्षिक बोर्ड से कराई जाएगी। इन विद्यालयों के करीब चार हजार शिक्षकों के दस्तावेजों की होगी जांच राजकीय विद्यालय - 50 एडेड विद्यालय - 98 संस्कृत विद्यालय - 03 शिक्षकों की संख्या - 4000 98 एडेड विद्यालयों के शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच व्यवस्था विद्यालय क्रम संख्या तिथि और समय 01 से 12 तक 28 जुलाई / सुबह 10 बजे से 13 से 24 तक 29 जुलाई / सुबह 10 बजे से 25 से 36 तक 30 जुलाई / सुबह 10 बजे से 37 से 48 तक 31 जुलाई / सुबह 10 बजे से 49 से 61 तक 04 अगस्त / सुबह 10 बजे से समस्त संस्कृत विद्यालयों हेतु 04 अगस्त / सुबह 10 बजे से 50 राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच व्यवस्था विद्यालय क्रम संख्या तिथि और समय 01 से 10 तक 28 जुलाई / दोपहर एक बजे से 11 से 20 तक 29 जुलाई / दोपहर एक बजे से 21 से 30 तक 30 जुलाई / दोपहर एक बजे से 31 से 40 तक 31 जुलाई / दोपहर एक बजे से 41 से 51 तक 04 अगस्त / दोपहर एक बजे से |
69000 भर्ती फर्जीवाड़ा : एसटीएफ तक पहुंची 500 से अधिक शिकायतें, मिले नए सुराग Posted: 25 Jul 2020 06:24 PM PDT 69000 भर्ती फर्जीवाड़ा : एसटीएफ तक पहुंची 500 से अधिक शिकायतें, मिले नए सुराग प्रयागराज : परिषदीय स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े को लेकर अब तक 500 से अधिक लोग शिकायत कर चुके हैं। स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के पास पहुंचीं ऐसी शिकायतों में तमाम आधारहीन हो सकती हैं, फिर भी इनकी जांच जरूर की जा रही है। हालांकि, कुछ शिकायतों से एसटीएफ को नए सुराग भी मिले हैं। एक माह में मिली 500 शिकायतों में अचरज का सबब यह है कि पिछले सप्ताह से जो शिकायतें मिलीं उनमें शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में 100 नंबर से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों पर भी फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया जा रहा है। एसटीएफ अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती दिनों में जो शिकायतें मिलीं, वह प्रथम दृष्टया जांच में सही पाई गईं इसलिए उन्हें विवेचना में शामिल कर लिया था। अब कतिपय समाजसेवी, अधिवक्ता और कुछ जनप्रतिनिधि भी शिकायत कर रहे हैं। बंद लिफाफे पहले किए जाते हैं सैनिटाइज ज्यादा शिकायत बंद लिफाफे में आ रही हैं। कोरोना देखते हुए लिफाफे सैनिटाइज करने के बाद कुछ घंटे रखने के बाद ही खोलकर पढ़े जाते हैं। |
Posted: 25 Jul 2020 06:21 PM PDT यूनीफार्म वितरण : चुनिंदा फर्म को टेंडर दिलाने का 'खेल' शुरू, दबी जुबान से शिक्षक कर रहे असंतोष व्यक्त प्रयागराज : परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को स्कूल यूनीफार्म वितरित करने के लिए सभी विद्यालय प्रबंध समिति के बैंक खातों में राशि भेजने के साथ चुनिंदा फर्म को टेंडर दिलाने का 'खेल' भी शुरू हो गया है। शासन की तरफ से भेजी रकम से प्रत्येक बच्चे को दो सेट (शर्ट-पैंट) यूनीफार्म उपलब्ध कराना है। एक बच्चे पर 600 रुपये खर्च किये जाने की व्यवस्था है। पिछले दिनों वैचारिक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से बेसिक शिक्षाधिकारी को भेजे पत्र में आरोप लगाया गया कि यूनीफार्म वितरण का केंद्रीयकरण कर एक निश्चित फर्म से यूनीफार्म वितरण के लिए दबाव बनाया जा रहा है। कौंधियारा, चाका, उरुवा, करछना, जसरा, मांडा आदि के शिक्षकों का कहना है कि मीटिंग बुलाकर एक निश्चित फर्म का कपड़ा लेने को कोटेशन दिलाकर बांटने का दबाव है। हालांकि कोई भी शिक्षक खुलकर सामने नहीं आ रहा है। कुछ यूनीफार्म विक्रेताओं ने शहर उत्तरी के विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी से भी मुलाकात की थी। वैचारिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह ने भी बताया कि उनके पास कई शिकायतें मिली हैं। उन्होंने पत्र लिखकर महानिदेशक स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश व शिक्षा निदेशक बेसिक से अनुरोध किया है कि स्वेटर, जूता, मोजा, किताबों की तरह यूनीफार्म भी सरकारी टेंडर के जरिए वितरित कराई जाएं। अभी मेरे पास कोई शिकायत नहीं आई है। यह जरूर है कि कोरोना संकट के चलते शासन की मंशा के अनुरूप स्थानीय स्तर पर महिला समूहों से यूनीफार्म की सिलाई करवाने का निर्देश है। उसके अनुसार कदम भी उठाए जा रहे हैं। संजय कुशवाहा, बेसिक शिक्षाधिकारी। |
राजकीय महाविद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू Posted: 25 Jul 2020 05:48 PM PDT राजकीय महाविद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू राजकीय महाविद्यालयों में प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को तृतीय श्रेणी में किया जाना है प्रोन्नत परीक्षा से होगा प्रमोशन, लॉकडाउन में ठप हो गई थी प्रक्रिया प्रयागराज। प्रदेश के राजकीय स्नातक एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तृतीय श्रेणी में प्रोन्नति की प्रक्रिया फिर शुरू कर दी गई है। यह प्रोन्नति परीक्षा के माध्यम से की जानी है। पिछले साल तो कर्मचारियों को प्रमोशन मिल गया था, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण प्रमोशन की प्रक्रिया ठप हो गई, जिसे शुरू करने के लिए उच्व्च शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी राजकीय महाविद्यालयों,ख्क्षेत्रीय उच्च शिाक्षा अधिकारियों और राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी के पुस्तकालयाध्यक्षों को पत्र जारी किया गया है। राजकीय स्नातक एवं स्नाताकोत्तर महाविद्यालयों में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को हर साल तृतीय श्रेण्ी में प्रोन्नत किया जाता है। इसके लिए अर्ह कर्मचारियों को परीक्षा में शामिल होना पड़ता है और परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर कर्मचारियों को प्रोन्नति दी जाती है। इस साल यह परीक्षा जून/जुलाई में प्रस्तावित थी लेकिन लॉकडाउन के कारण परीक्षा को स्थगित कर दिया गया और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की तृतीय श्रेणी में प्रोन्नति की प्रक्रिया ठप हो गई। हालांकि प्रमोशन के लिए महाविद्यालयों ने उच्च शिक्षा निदेशालय को अर्ह कर्मचारियों की सूची प्रेषित कर दी थी। इनमें से कुछ कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं और कुछ निकट भविष्य में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। निदेशालय की ओर से ऐसे कर्मचारियों का नाम हटाते हुए पुन: नई सूची प्रेषित की गई है। इस सूची में जिन कर्मचारियों के नाम शामिल हैं, उनके बारे में निदेशालय ने जानकारी मांगी है। निदेशालय की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि वर्ष २०१९-२० की गोपनीय आख्या प्राचार्य द्वारा ग्रेडिंग अंकित करते हुए भेजी जाए। संबंधित कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई चलने अथवा न चलने के बारे में आख्या दी जाए। संबंधित कर्मचारी की प्रोन्नति के संबंध में सहमति पत्र प्राचार्य से प्रमाणित हो और संबंधित कर्मचारियों की प्रोन्नति के बारे में प्राचार्य द्वारा स्पष्ट संस्तुति या असंस्तुति हो। इसके अलावा जिन कर्मचारियों के नाम सूची में नहीं हैं, वे भी प्रोन्नति की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। ऐसे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सेवा कम से कम पांच वर्ष की होनी चाहिए और वे हाईस्कूल या उसके समक्षक परीक्षा उत्तीर्ण हों। वर्ष २०१५-१६ से वर्ष २०१९-२० तक पांच वर्षों की आख्या ग्रेडिंग सहित, प्रथम नियुक्ति एवं कार्यभार ग्रहण करने से संबंधित प्रमाणपत्र की प्रमाणित छायाप्रति और प्रोन्नति के लिए कर्मचारी की सहमति/असहमति प्राप्त करनी होगी। इसके बाद कॉलेजों को ऐसे कर्मचारियों की सूची निदेशालय को २८ जनवरी तक भेजनी होगी। साथ ही बताना होगा कि कर्मचारी के खिलाफ कोई शिकायती प्रकरण/विभागीय कार्यवाही तो नहीं चल रही है, जिससे प्रोन्नति की प्रक्रिया में बाधा आए। |
फतेहपुर : बगैर टीसी प्रवासियों के बच्चों के परिषदीय विद्यालयों में होंगे दाखिले Posted: 25 Jul 2020 06:15 PM PDT फतेहपुर : बगैर टीसी प्रवासियों के बच्चों के परिषदीय विद्यालयों में होंगे दाखिले। फतेहपुर :: कोरोना संक्रमण को लेकर बीते दिनों किए गए लॉक डाउन के दौरान तमाम प्रवासी लोग अपने गांव घर वापस आ गए हैं। जिनमें से तमाम लोगों के बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हुई है। ऐसे में परिषदीय विद्यालय इन बच्चों का दाखिला लेना। दाखिलें में टीसी की भी आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे में सम्बंधित विद्यालयों में नामांकन संख्या में भी वृद्धि हो सकेगी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए हैं। बिना टीसी या बिना किसी प्रमाण पत्र के बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिया जाएगा। गांव में प्रवासी परिवारों के बच्चों की संख्या देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। वहीं गांव छोड़ कर चले गए परिवारों के बच्चों के नाम भी स्कूल से काटे नहीं जाएंगे। कोरोना संक्रमण के कारण बेसिक शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया है कि अभिभावकों की जानकारी के आधार पर बच्चों को अपेक्षित कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा आदेश भी जारी कर दिया गया है। उन्होंने कहा है कि प्रवेश के समय दो सूचियां तैयार की जाएंगी। आने वाले प्रवासी बजाने वाले प्रवासी के बच्चों की सूची अलग-अलग बनाई जाए। जो बच्चे गांव छोड़ कर चले गए हैं उनके नाम रजिस्टर से नहीं काटे जाएंगे। उनकी सूची अलग बनाई जाए। बाहर से जो परिवार गांव आए हैं। उनके बच्चों को प्रवेश देने के लिए किसी भी पहचान पत्र का इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे बच्चों को रेमेडियल लर्निंग करवाई जाए। इसके साथ ही पुस्तकालय आदि से किताबें देकर उन्हें साथ में जोड़ने का प्रयास किया जाए। इन सभी बच्चों को किताबें, जूते-मोजे, मिड डे मील आदि योजनाओं का लाभ दिया जाए। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए हैं। परिषदीय स्कूल : गांवों में प्रवासी परिवारों के बच्चों की संख्या देखते हुए लिया गया निर्णय, आने वाले परिवारों के बच्चों एवं गांव छोड़कर जाने वाले बच्चों का होगा चिन्हांकन। श्रमिकों के बच्चों का डाटा प्रशासन ने किया तलब फतेहपुर : वैश्विक बीमारी कोरोना के चलते दूसरे प्रांतों से आए श्रमिकों के बच्चों को शिक्षा के साथ शासन की योजनाओं से लाभान्वित करने के लिए विद्यालयों में प्रवेश दिए जाने का आदेश मार्च. माह में दिया गया था। शासन ने इसकी पड़ताल शुरू कर दी है। निदेशक बेसिक शिक्षा ने सभी जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है, जिसमें 6 से 14 साल के परदेश से अपने गांव घर लौटे बच्चों का डाटा भेजने के निर्देश दिया हैं। जिले के 13 ब्लॉकों और जिला मुख्यालय तथा बिंदकी नगर क्षेत्र में 2650 परिषदीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इसमें नए सत्र अप्रैल से लेकर अभी तक 8540 बच्चों को चिह्नित किए गए हैं। यह प्रवेश उन बच्चों के हैं जो माता पिता के साथ बाहर में रहते थे लॉकडाउन और कोरोना बीमारी संकट के चलते अपने घर वापस आए हैं। शासन ने लॉकडाउन में परदेश से काम छोड़ गांव वासप लौटे श्रमिकों को गांव में रोजगार देने के साथ ही उनके बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए निर्देश दिया था। बीएसएफ अधिकारी शिवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के आंकड़े मांगे हैं। ![]() |
Polytechnic Entrance Exam 2020: पॉलीटेक्निक प्रवेश परीक्षा अब 12 और 15 सितंबर को Posted: 25 Jul 2020 05:15 AM PDT Polytechnic Entrance Exam 2020: पॉलीटेक्निक प्रवेश परीक्षा अब 12 और 15 सितंबर को लखनऊ : पॉलिटेक्निक का नया सत्र 2020-21 अब नवंबर में शुरू होगा। पॉलिटेक्निक में दाखिले की प्रवेश परीक्षा और कॉउंसलिंग के बाद ही सत्र की शुरुआत होगी। संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद में नवंबर में सत्र की शुरुआत का ऐलान किया है। प्रवेश परीक्षा परिषद सचिव एसके वैश्य के मुताबिक पॉलिटेक्निक में दाखिले की प्रक्रिया के लिए प्रवेश परीक्षा की तिथि निर्धारित हो चुकी है। आने वाले 12 सितंबर को इंजीनियरिंग व फार्मेसी की प्रवेश परीक्षा होगी। इसके बाद 15 सितंबर को भी दो चरण में ऑनलाइन परीक्षाएं करायी जानी हैं। परीक्षा के 10 दिन बाद परीक्षा परिणाम घोषित किये जायेंगे जिसके बाद कॉउंसलिंग प्रक्रिया चलेगी। पहली बार होगी ऑनलाइन कॉउंसलिंग एसके वैश्य के मुताबिक कॉउंसलिंग प्रक्रिया पांच चरणों मे होनी है। इसमें 30 से 35 दिन का समय चाहिए। इसके बाद नवंबर में ही सत्र शुरू हो सकेगा। एसके वैश्य ने बताया कि इस बार कॉउंसलिंग के सभी चरण ऑनलाइन माध्यम से पूरे किये जाएंगे। छात्रों को शिक्षा फीस भी ऑनलाइन माध्यम से जमा करनी होगी। राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालय होंगे केंद्र पहली बार प्रवेश परीक्षा के लिए राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालय को केंद्र बनाया गया है। कोरोना संक्रमण के चलते प्रत्येक कक्षा में 24 छात्र ही परीक्षा दे सकेंगे। वहीं एहतियातन प्रवेश परीक्षा केंद्रों पर सैनिटाइज़र और थर्मामीटर भी रखे जाएंगे। प्रत्येक परीक्षा केंद्र पर दो कक्षाएं आरक्षित भी रखी जाएंगी। Polytechnic Entrance Exam 2020 कोरोना के मद्देनजर बढ़ाई गई तिथि पहले 19 और 25 जुलाई को होनी थी परीक्षा । लखनऊ || कोरोना संक्रमण के मद्देनजर शासन ने पॉलीटेक्निक प्रवेश परीक्षा की तिथि बढ़ा दी है। अब यह परीक्षा 12 और 15 सितंबर को होगी। पहले इसकी तिथि 19 और 25 जुलाई निर्धारित की गई थी। गुरुवार को यह जानकारी संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के सचिव एसके वैश्य ने दी। दो पालियों में होगी परीक्षा दोनों तिथियों में दो पालियों में परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। परीक्षा सूबे के 75 जिलों में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से होगी। पूरे प्रदेश से करीब चार लाख विद्यार्थियों ने इसके लिए आवेदन किया है। लॉकडाउन से बढ़ी प्रवेश परीक्षा की तिथि गौरतलब हैै कि पहले प्रवेश परीक्षा की तिथि पांच और छह जुलाई थी, लेकिन लॉकडाउन और बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण परिषद को यह तिथि बढ़ानी पड़ी थी। 20 मई को जारी हुए आदेश में परिषद ने प्रवेश परीक्षा की नई तिथि 19 और 25 जुलाई निर्धारित की थी, लेकिन एक बाद फिर परीक्षा की तिथियोंं में बदलाव किया गया है। परीक्षा शेड्यूल ग्रुप-ए (तीन वर्षीय डिप्लोमा ऑनलाइन परीक्षा), 12 सितंबर, सुबह नौ से दोपहर 12:00 बजे तक। - ग्रुप-ई-वन, ई-टू (डिप्लोमा इन फार्मेसी ऑफलाइन परीक्षा), 12 सितंबर, दोपहर 02:30 बजे से शाम 05:30 बजे तक। ग्रुप-बी, सी, डी, एफ, जी, एच और आई (ऑनलाइन परीक्षा), 15 सितंबर, सुबह नौ बजे से दोपहर 12:00 बजे तक। ग्रुप-के वन से के-आठ (ऑनलाइन परीक्षा), 15 सितंबर, दोपहर 02:30 बजे से शाम 05:30 बजे तक। |
Posted: 25 Jul 2020 08:06 AM PDT मथुरा | बीएसए और खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय और विद्यालयों में कई वर्षों से नियम विरुद्ध संबद्ध शिक्षक- शिक्षकों को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तत्काल प्रभाव से समस्त प्रकार के संबद्धीकरण समाप्त कर मूल तैनाती वाले विद्यालयों में वापस कर दिया है। बीएसए के आदेश से कई वर्षों से कार्यालयों में जमे हुए शिक्षक नेताओं में बैचेनी बढ़ गई है और विद्यालय जाने से बचने के लिए जुगत लगाने के लिए बीएसए पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि मथुरा में शिक्षकों के नियम विरुद्ध संबद्धीकरण का प्रकरण शासन, महानिदेशक स्कूल शिक्षा, बेसिक शिक्षा परिषद के निदेशक और सचिव के संज्ञान में था। संबद्धीकरण निरस्त को लेकर अपर मुख्य सचिव उ.प्र., बेसिक शिक्षा परिषद के निदेशक और सचिव ने भी समस्त बीएसए को कई बार पत्र भेज कर आदेशित किया गया था। लगभग एक माह पूर्व महानिदेशक, स्कूल शिक्षा विजय किरन आंनद ने सम्बद्ध अध्यापकों और खंड शिक्षा अधिकारियों की सूचना मांगी थी। संबद्धीकरण की सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने बीएसएफ के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। वहीं दूसरी ओर शिक्षकों के संबद्धीकरण के संबंध में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जिलाध्यक्ष मुकेश शर्मा ने जनसूचना के अंतर्गत जनवरी 2019 में सूचना मांगी थी। बीएसए कार्यालय से सूचना न देने पर राज्य सूचना आयोग में अपील कर दी थी। पुनः 5 अगस्त 2020 को थी। पुनः 5 अगस्त 2020 को ऑनलाइन सुनवाई लगी है। बताते हैं कि इन सभी को लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चंद्रशेखर ने समस्त प्रकार के शिक्षकों के संबद्धीकरण को समाप्त कर दिया है। अब शिक्षकों से लिपिकीय कार्य कराने का कोई औचित्य नहीं है। खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जारी संबद्धीकरण आदेश तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है। बीएसए ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा उ.प्र. के आदेश के अनुपालन में विद्यालयों में स्काउट-गाइड और खेलकूद की गतिविधियां संचालित नहीं होने के कारण बीएसए कार्यालय में सम्बद्ध शिक्षक जिला स्काउट मास्टर, गाइड कैप्टन, जिला पीटीआई बालक और बालिका एवं दस ब्लॉक एवं नगर क्षेत्र में संबद्ध शिक्षक ब्लॉक और नगर पीटीआई का संबद्धीकरण भी समाप्त कर वापस मूल तैनाती वाले विद्यालयों में भेजने के आदेश किए है। बीएसए पर बना रहे दबाव : जो शिक्षक नेता कई वर्षों से बीआरसी पर सम्बद्ध हैं। वह विद्यालय न जाने के लिए बीएसए पर दबाव बनाने में जुट गये हैं। संबद्धीकरण समाप्त होने से शिक्षण कार्य के लिए विद्यालयों को लगभग 100 शिक्षक-शिक्षिकाएं और मिल जायेंगे। |
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