क्रांतिदूत |
- मप्र उपचुनाव - भाजपा युवा मोर्चा ने की विधानसभा प्रभारी, सह-प्रभारियो की घोषणा
- पद्मनाभ मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैंसला प्राचीन सनातन परंपरा की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय - संजय तिवारी
- मप्र की राजनीति में पुनः उमा भारती के आने की सुगबुगाहट के मायने – दिवाकर शर्मा
- क्या सचमुच कोरोना के नाम पर फिजूल डराया जा रहा है ?
मप्र उपचुनाव - भाजपा युवा मोर्चा ने की विधानसभा प्रभारी, सह-प्रभारियो की घोषणा Posted: 13 Jul 2020 01:31 AM PDT भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा एवं प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत के मार्गदर्शन मे भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष डा.अभिलाष पाण्डेय ने आगामी 24 विधानसभा उपचुनावो हेतु प्रदेश से उपचुनाव व्यवस्था समिति एवं विधानसभा प्रभारी, सह-प्रभारियो की घोषणा की है |उपचुनाव व्यवस्था समिति में चंद्र प्रकाश मिश्र को प्रभारी एवं सदस्यों के रूप में डॉ विक्रम सिंह चौहान, अश्विनी राय, दीपक उइके, दीपेंद्र पाल, सतेन्द्र सिंह, विशेष सोनी, जयवर्धन जोशी, विवेक शर्मा (भोपाल), अभिमन्यु सिंह राठौर, कीसना मिश्रा (भोपाल), भारतेश जैन (बंसल), अभिनव पाण्डेय, मुकेश द्विवेदी, रवि लोहानी को रखा गया है |24 विधानसभा उपचुनाव हेतु विधानसभा ग्वालियर के प्रभारी कुलदीप यादव एवं सह प्रभारी रहत अली जैदी, संजीव बोहरे ग्वालियर पूर्व के प्रभारी गौरव गोहद एवं सह प्रभारी चन्दन जाट, सुमित यादव डबरा के प्रभारी निखिल विजयवर्गीय एवं सह प्रभारी अभिषेक चौहान, अनुराग कटारे बामोरी के प्रभारी गौरव गर्ग एवं सह प्रभारी अविचल भार्गव, कविन्द्र सिंह चौहान करैरा के प्रभारी प्रभात किरण जोशी एवं सह प्रभारी ब्रजमोहन शर्मा, अभिमन्यु भदौरिया पोहरी के प्रभारी विनय जैन एवं सह प्रभारी गोलू व्यास, आकाश शर्मा मुंगावली के प्रभारी अंशुल तिवारी एवम सह प्रभारी राहुल राजपूत, प्रशांत रघुवंशी, वैभव दुबे अशोकनगर के प्रभारी रितेश बिरथरे एवं सह प्रभारी रामकुमार रघुवंशी, राघवेन्द्र वशिष्ठ, डॉ शैलेन्द्र भटनागर मुरैना के प्रभारी सुदीप भदौरिया एवं सह प्रभारी ए पी एस जादौन, महेंद्र सिकरवार सुमावली के प्रभारी प्रतिक तिवारी एवं सह प्रभारी जीतेंद्र किरार, डॉ रुपेंद्र चौहान, शरद पराशर जौरा के प्रभारी सुधीर उपाध्याय एवं सह प्रभारी विष्णु सिंघल, अजय शर्मा दिमनी के प्रभारी नरेन्द्र शर्मा एवं सह प्रभारी प्रदीप शर्मा, समीर भदौरिया अम्बाह के प्रभारी शैली शर्मा एवं सह प्रभारी सुगीव शंखवार, नीरज जैन गोहद के प्रभारी आशीष पाण्डेय एवं सह प्रभारी विक्रांत कुशवाह, अनिल बोहरे मेहगांव के प्रभारी गिर्राज व्यास एवं सह प्रभारी आशीष सिंह, आकाश पुरोहित भांडेर के प्रभारी सनत पुजारी एवं सह प्रभारी जीतेंद्र यादव, अतुल्कांत शर्मा सांवेर के प्रभारी दिनेश चौहान एवं सह प्रभारी आयुष मिश्रा, कमल यादव, योगेन्द्र सिंह डोडिया आगर के प्रभारी राजा कालरा एवं सह प्रभारी वैभव शर्मा, केपी पंवार अनूपपुर के प्रभारी जीतेंद्र सोनी एवं सह प्रभारी नन्द किशोर गुप्ता, जीतेंद्र भट्ट सुरखी के प्रभारी राजेंद्र उपाध्याय एवं सह प्रभारी नवीन पालीवाल, इन्द्रराज सिंह लोधी, अमित गोस्वामी हाट पिपल्या के प्रभारी प्रदीप नायर एवं सह प्रभारी विनय, दीपक बैरागी साँची के प्रभारी वैभव पंवार एवं सह प्रभारी श्रवण मिश्रा, कुलदीप राठौर अजय मिश्रा सुवासरा के प्रभारी डॉ केपी झाला एवं सह प्रभारी आयुष कोठारी, राहुल उपमन्यु बदनावर के प्रभारी विकास भरसाकले एवं सह प्रभारी सचिन चौहान, शशांक पाण्डेय, राजेश तोमर बनाये गए है |इसके अतिरिक्त जिले की तरफ से सभी विधानसभा में समन्वय हेतु समन्वयक समिति की घोषणा युवा मोर्चा जिला अध्यक्षों के द्वारा की जायेगी | |
Posted: 13 Jul 2020 12:07 AM PDT यह निश्चय ही युग परिवर्तन है। भारत की प्राचीन परंपराओं की स्थापना की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर केप्रशासन और उसकी संपत्तियों पर अधिकार को लेकर सुप्रीम काेर्ट में सुनवाई हो रही है। कोर्ट ने कहा है कि मंदिर के प्रबंधन का अधिकार त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास बरकरार रहेगा। मंदिर की संपत्ति पर भी कोर्ट फैसला देगा। मंदिर के पास करीब दो लाख करोड़ रुपएकी संपत्ति है। प्राचीन सनातन परंपरा की स्थापना की दिशा में यह एक बड़ी उपलब्धि है।स्थापना और इतिहासपद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण आराधना-स्थली है। मंदिर की संरचना में सुधार कार्य किए गए जाते रहे हैं। उदाहरणार्थ 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने करवाया था। पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुडी है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है।मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं। तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है।अद्भुत सौंदर्य और स्थापत्यकेरल संस्कृति एवं साहित्य का अनूठा संगम है। इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट है और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य, इन सभी अमूल्य प्राकृतिक निधियों के मध्य स्थित- है पद्मनाभ स्वामी मंदिर। इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है। |
मप्र की राजनीति में पुनः उमा भारती के आने की सुगबुगाहट के मायने – दिवाकर शर्मा Posted: 12 Jul 2020 09:41 AM PDT
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क्या सचमुच कोरोना के नाम पर फिजूल डराया जा रहा है ? Posted: 12 Jul 2020 03:28 AM PDT भारत में एक ख्यातनाम शख्स हैं- डॉ विश्वरूप राय चौधरी | डॉ. विश्वरूप राय चौधरी का जन्म 23 जुलाई को हैदराबाद में हुआ और आगे चलकर इन्हें एक Nutritionist के रूप में जाना जाने लगा इन्होंने Indo Vietnam Medical Board से PhD किया है | इनका भारत के अतिरिक्त स्विटजरलेंड और वियतनाम में भी संस्थान हैं, जहाँ पर लोगो का इलाज प्राकृतिक पद्धति से किया जाता है और इसमें इन्हें काफी सफलता भी मिल रही है | डॉ विश्वरूप राय चौधरी अपनी इन्वेस्टिगेटिव किताबों के लिए प्रसिद्ध है | इनकी अब तक लगभग 25 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | डॉ विश्वरूप राय चौधरी नें मेडिसिन से जुड़ी किताबों के जरिए अपनी एक खास पहचान बनाई है। याददाश्त पर लिखी उनकी पहली किताब बेस्टसेलर रही है। उसके बाद, उन्होंने अस्पताल से जिंदा कैसे लौटें नाम की किताब लिखकर सनसनी मचा दी थी। डॉ. चौधरी अपनी किताबों एवं समय समय पर दिए जाने वाले व्याख्यानों में प्राइमरी रिसर्च का उल्लेख तो करते ही, साथ ही डब्ल्यूएचओ जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के द्वारा जुटाए गए आंकड़े भी देते हैं।किन्तु इसके साथ ही डॉ. विश्वरूप चौधरी का कई डॉक्टरों व चिकित्सा संस्थानों द्वारा विरोध भी प्रारम्भ हो गया है | कारण भी समझा जा सकता है | हाल ही में उनके द्वारा व्यक्त विचारों ने लगभग समूचे आधुनिक चिकित्सा जगत को कठघरे में खड़ा कर दिया है | जैसे कि कोरोना वायरस के बारे में डॉ विश्वरूप राय चौधरी का कहना है कि यह एक सामान्य फ्लू वाइरस की तरह ही है और इसके नाम पर लोगो को फिजूल ही डराया जा रहा और लोग डरते जा रहे है।वेक्सीन को लेकर भी डॉ चौधरी कहते है कि "जब भी दुनिया में कोई भी वायरल या वेक्टिरिअल बीमारी आती है तो जब उसकी भीषणता समाप्त हो जाती है या वह बीमारी लगभग समाप्त हो चुकी होती है, तब उसका वैक्सीन मार्केट में उलब्ध होता है | डॉ चौधरी इस बात को उदाहरण के साथ समझाते है कि पोलियो बीमारी विश्व में 1950 में आई और इसकी सर्वाधिक विभीषिका 1950 से 1952 के बीच रही | लेकिन वर्ष 1956 तक जब यह बीमारी लगभग लगभग समाप्त हो गयी थी तब इसका वैक्सीन आया और प्रचारित किया गया कि पोलियो की वैक्सीन की वजह से पोलियो विश्व से समाप्त हो गया है | खसरा 1880 में सामने आया और इसकी वैक्सीन 1970 में आई तब तक यह भी लगभग निष्क्रिय हो चुका था और इसके निष्क्रिय होने का पूरा श्रेय भी वैक्सीन को प्राप्त हुआ| रोहिणी या डिप्थीरिया बीमारी भी १८८० में सामने आई और इसका सर्वाधिक प्रभाव १८८० से १९०० के बीच देखा गया और इसके बाद यह स्वतः ही समाप्त होने लगा था तथा 1940 से 1950 के दौरान यह लगभग समाप्त हो गया था तभी 1950 में इसका वैक्सीन लॉन्च कर दिया गया |कुक्कर खांसी की भी यही कहानी है | यह 1980 में सामने आई और इसका वैक्सीन बना १९५० में | टाईफाइड 1900 के दौरान सामने आया इसका तो कोई व्यापक टीकाकरण भी नहीं हुआ, इसके बावजूद इसके संक्रमितों की संख्या १९६० तक न के बराबर रह गयी | लाल बुखार (स्कार्लेट फीवर) जिसका कोई वैक्सीन नहीं है यह 1900 में अस्तित्व में आया और 1950 तक इसके द्वारा होने वाली मौतों की संख्या मामूली रह गयी |वैक्सीन के बारे में डॉ चौधरी कहते है कि यदि आप सोचते है कि हम दवा के बगैर जिन्दा नहीं रह सकते तो वह एक भ्रम है | यह ठीक है कि यदि हम सरदर्द की दवा खा लेंगे तो सरदर्द से आराम मिल जाएगा पर सरदर्द ठीक हो जाएगा यह कहना गलत है | आराम मिलने का यहाँ अर्थ यह है कि आपको यह पता नहीं चलता कि आपके सर में कुछ गडबड है, अर्थात दवा आपकी बीमारी के अहसास को मिटाती है न कि बीमारी को |डॉ चौधरी कहते है कि जिस प्रकार गाड़ी में ब्रैक का अपना विशेष महत्व होता है ठीक उसी तरह हमारे शरीर में भी प्रकृति ने कई ब्रेक बनाये है | हमारे शरीर में यह ब्रेक, स्टोन, ट्यूमर और कैंसर है | उदाहरण के लिए हम स्टोन को लेते है | प्रत्येक मनुष्य के शरीर में स्टोन बनता है जो एक निश्चित आकार तक बढ़ता है जैसे 3 mm, 4mm, 6mm, 7mm और जब यह बढते हुए अपनी उच्च सीमा से भी अधिक यानि 10mm तक पहुँचता है तब व्यक्ति को दर्द होना प्रारंभ होता है, तब व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है | डॉक्टर तब स्कैन, अल्ट्रासाउंड कराने को कहते है और उसमें वह स्टोन दिखाई देता है, जिसकी सर्जरी डॉक्टर द्वारा की जाती है | जबकि वह स्टोन जिसे सर्जरी के माध्यम से निकाल दिया जाता है, उसके लिए किसी बाहरी सर्जरी की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हमारे शरीर का मेकेनिज्म है कि जिस तरह से वह स्टोन बढ़ता है, उसी तरह से वह घटता भी है | और यह स्टोन के अलावा ट्यूमर आदि में भी होता है | यह हमारे शरीर में वैसे भी होते ही है, बस किसी लापरवाही के कारण इनका आकार निर्धारित आकार से अधिक हो जाता है, तब हमें दर्द का अनुभव होता है | इसे किसी सर्जरी के द्वारा नहीं बल्कि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के द्वारा स्वतः ही ठीक किया जा सकता है |डॉ चौधरी कैंसर के बारे में चौकाने वाला खुलासा करते हुए कहते है कि आम तौर पर कैंसर को एक बीमारी माना जाता है, परन्तु ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जिसके शरीर में कैंसर न हो | यदि किसी व्यक्ति के शरीर में कैंसर न हो तो उस व्यक्ति को हार्ट अटेक, ब्रेन स्ट्रोक होने के चांस बढ़ जाते है | इसे समझाते हुए डॉ चौधरी कहते है कि आपने ब्रेस्ट कैंसर, ब्लड कैंसर, लंग्स कैंसर तो सुना होगा, पर क्या कभी आपने हार्ट कैंसर सुना है ? दरअसल हम जो भी कुछ खाते है उनमें से कई तत्वों को शरीर उपयोग नहीं कर पाता तो ऐसे में कई बार शरीर स्टोन या ट्यूमर का निर्माण करता है | जब शरीर यह दोनों ही चीजें नहीं बनाता है, तो शरीर उस अवशिष्ट पदार्थ को यहाँ-वहां फैकने लगता है | ऐसे में शरीर के भीतर ब्लोकेज बनना प्रारंभ होते है जो पूरे शरीर में बनते है | यह ब्लोक्स जहाँ भी बनेंगे शरीर का वह भाग ठीक से काम नहीं करेगा | जब यह अवशिष्ट पदार्थ रक्त नलिकाओं को बाधित कर देते है तो रक्त का बहना बंद हो जाता है | ऐसे में जिस स्थान के आगे रक्त नहीं जा पाता है, उस स्थान में मौजूद सेल को उनका भोजन मिलना बंद हो जाता है तथा उन सेलों की मृत्यु हो जाती है | यह अधिकांश लोगों के शरीर में होता है, परन्तु 1 या 2 प्रतिशत लोगों के शरीर में यह मृत होते सेल एक चोरी का रास्ता बनाते है, जिसे मेडिकल की भाषा में एंजियोजेनेसिस कहा जाता है | यह सेल भोजन प्राप्त होना बंद होने के बाद इस रास्ते के द्वारा 2-4 दिन के बाद भोजन प्राप्त करने लगते है | इस दौरान सेल कई बार जरुरत से ज्यादा भोजन प्राप्त करने लगते है और इस स्थिति को कैंसर कहा जाता है | कैंसर में सेलों की संख्या में बढोत्तरी होती है और उस स्थान पर दर्द होना प्रारंभ होता है | दर्द से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति अस्पताल जाता है और उसे कैंसर होने की जानकारी प्राप्त होती है | |
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