प्राइमरी का मास्टर ● इन |
- महराजगंज : मृतक आश्रित तथा अन्य सभी शिक्षक/शिक्षिकाओं के नियुक्ति सम्बन्धी वांछित अभिलेखों की पत्रावली प्रेषण के सम्बन्ध में बीएसए ने किया पुनः निर्देशित
- यूपी बोर्ड में पाठ्यक्रम घटने के अनुमोदन का इंतजार, 30% कौन पाठ शामिल कौन नहीं, स्पष्ट नहीं
- डीएलएड 2018 में सेमेस्टर परीक्षा में प्रोन्नत किये जाने की मांग को लेकर राज्यपाल से गुहार
- सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों में प्रवेश प्रक्रिया अगस्त से होगी शुरू, यूजीसी ने दिए संकेत
- दस्तावेजों की जांच से शिक्षक नाराज, उप मुख्यमंत्री ने कहा न होने पाए उत्पीड़न
- पहले बच्चों की सुरक्षा फिर शिक्षा, बोले MHRD मिनिस्टर
- यूपी बोर्ड से मान्यता मिली नहीं, 767 स्कूलों के हजारों छात्रों का क्या होगा
- प्रदेश में खुलेंगे दो दर्जन नए डिग्री कॉलेज, बुंदेलखंड व पूर्वांचल को मिलेगी प्राथमिकता
- CBSE : दसवीं के अंकों से संतुष्ट नहीं, करा सकते हैं पुर्न:मूल्यांकन, ले सकते हैं उत्तरपुस्तिका की फोटोकॉपी
- जालौन : प्रा0/उ0प्रा0 विद्यालयों में अनियमित/नियम विरुद्ध /फर्जी रूप से की गई नियुक्तियों की जांच हेतु तिथियों में हुआ आंशिक संशोधन, बीएसए का पत्र देखें
- फतेहपुर : राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार हेतु जनपद से आवेदन करने वाले शिक्षकों के अभिलेखों व गतिविधियों के सत्यापन हेतु सामिति गठित, देखें आवेदकों के नाम व सामिति सदस्यों का विवरण
- फतेहपुर : शिक्षामित्रों व अंशकालिक अनुदेशकों का सेवा विवरण मानव सम्पदा पोर्टल पर अपलोड करने, डाटा सत्यापन, अभिलेखों एवं आधार का सत्यापन किए जाने के सम्बन्ध में
Posted: 17 Jul 2020 07:35 PM PDT |
यूपी बोर्ड में पाठ्यक्रम घटने के अनुमोदन का इंतजार, 30% कौन पाठ शामिल कौन नहीं, स्पष्ट नहीं Posted: 17 Jul 2020 05:49 PM PDT यूपी बोर्ड में पाठ्यक्रम घटने के अनुमोदन का इंतजार, 30% कौन पाठ शामिल कौन नहीं, स्पष्ट नहीं प्रयागराज : सीबीएसई की तर्ज पर यूपी बोर्ड ने भी संबद्ध कालेजों का पाठ्यक्रम घटाने का ऐलान किया है। अब तक यह तय नहीं है कि छात्र छात्रओं को किस विषय का कौन पाठ नहीं पढ़ना है। सभी उसका इंतजार कर रहे हैं। पाठ्यक्रम घटने का असर प्रदेश भर के 27,373 कालेजों की पढ़ाई पर पड़ेगा। बोर्ड ने जून माह में पाठ्यक्रम कम करने का प्रस्ताव भेजा था, उस पर शासन में मंथन चला उपमुख्यमंत्री ने गुरुवार को 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम घटाने का ऐलान कर दिया है। अब माध्यमिक शिक्षा निदेशक के अनुमोदन के बाद विषयवार पाठ्यक्रम बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड करने की तैयारी है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण अब तक स्कूल-कालेज नहीं खुल सके हैं जिससे पढ़ाई बाधित है, शैक्षिक सत्र पहली अप्रैल से ही शुरू हो चुका है। शासन, बोर्ड प्रशासन ने छात्र-छात्रओं की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए ऑनलाइन माध्यम को अपनाया है। लेकिन, फिर भी उस गति से पढ़ाई नहीं हो सकी है। इसीलिए पाठ्यक्रम को 30 प्रतिशत कम किया गया है। यूपी बोर्ड में कई विषयों में एनसीईआरटी का ही पाठ्यक्रम लागू हो चुका है। बोर्ड ने शासन के निर्देश पर जून में ही शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पांडेय की देखरेख में पाठ्यक्रम घटाने के लिए बैठकें की थीं। पाठ्यचर्या समिति (पाठ्यक्रम बनाने वाले) के सदस्यों व विशेषज्ञों से चर्चा करने के बाद पाठ्यक्रम कम करने का प्रस्ताव भेजा। इसमें हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के अहम विषयों में पाठ्यक्रम कम करने पर सहमति बनी थी। इसके अलावा कक्षा नौ व ग्यारह का सिलेबस घटाने का प्रस्ताव है। यह पत्रवली अनुमोदन के लिए शिक्षा निदेशक माध्यमिक के यहां लंबित है। आदेश निर्गत होने के बाद बोर्ड प्रशासन विषयवार घटाए गए पाठ्यक्रम को वेबसाइट पर अपलोड करेगा, ताकि छात्र-छात्रएं, शिक्षक व अभिभावक उससे अवगत हो सकें। उधर, यूपी बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल का कहना है कि पाठ्यक्रम घटाने का का निर्णय हो गया है, उसका अनुपालन कराया जाएगा। पाठ्यक्रम में कमी सिर्फ इसी सत्र के लिए है, अगले शैक्षिक सत्र से घोषित पूरा पाठ्यक्रम ही पढ़कर परीक्षा की तैयारी करनी होगी। |
डीएलएड 2018 में सेमेस्टर परीक्षा में प्रोन्नत किये जाने की मांग को लेकर राज्यपाल से गुहार Posted: 17 Jul 2020 05:44 PM PDT डीएलएड 2018 में सेमेस्टर परीक्षा में प्रोन्नत किये जाने की मांग को लेकर राज्यपाल से गुहार प्रयागराज : कोरोना के बढ़ते संक्रमण से पढ़ाई व परीक्षाएं दोनों प्रभावित हैं। डीएलएड 2018 तृतीय व चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षाएं नहीं हो पा रही हैं। प्रशिक्षु इस संबंध में परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव से मिलकर तृतीय सेमेस्टर में प्रोन्नत करने की मांग कर चुके हैं, उन्होंने यह कहकर इन्कार कर दिया था कि प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रोन्नत नहीं किया जा सकता। अब इसकी गुहार राज्यपाल को पत्र भेजकर की गई है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने इस संबंध में शासन को पत्र भेजा है। इसमें लिखा है कि उन्हें डीएलएड संयुक्त मोर्चा के विक्रांत प्रताप सिंह का पत्र मिला है। इसमें मांग की गई है कि उन्हें तृतीय सेमेस्टर में प्रशिक्षुओं को प्रोन्नत करके चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा जुलाई माह में कराई जाए। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक की ओर से उप निदेशक विष्णु श्याम द्विवेदी ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव को पत्र भेजकर प्रोन्नत व परीक्षा कराने का निर्णय लेने का निर्देश दिया है। इसमें प्रशिक्षुओं के पत्रों का हवाला दिया गया है। सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि वह इन दिनों कार्यालय से दूर हैं, उन्हें पत्र की जानकारी नहीं है। वापस आने पर कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते परीक्षा के संबंध में विचार किया जाएगा। |
सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों में प्रवेश प्रक्रिया अगस्त से होगी शुरू, यूजीसी ने दिए संकेत Posted: 17 Jul 2020 05:38 PM PDT सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों में प्रवेश प्रक्रिया अगस्त से होगी शुरू, यूजीसी ने दिए संकेत नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते बंद पड़े विश्वविद्यालयों और कालेजों में जल्द ही फिर से शैक्षणिक गतिविधियां शुरु होगी। इसकी तैयारी तेज हो गई है। फिलहाल इसकी शुरूआत अंडर ग्रेजुएट से जुड़ी प्रवेश प्रक्रिया से होगी। जो सभी विवि और कालेजों में अगस्त में शुरू हो जाएगी। वहीं नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत अभी तक पिछली गाइडलाइन के तहत सितंबर से ही करने की है, लेकिन इस पर अंतिम फैसला उस समय कोरोना संक्रमण की स्थिति का आंकलन करने के बाद लिया जाएगा। नए शैक्षणिक सत्र को लेकर संशोधित गाइडलाइन अगले हफ्ते तक जारी होगी इस बीच यूजीसी ने प्रवेश प्रक्रिया सहित नए शैक्षणिक सत्र को लेकर संशोधित गाइडलाइन अगले हफ्ते तक जारी करने के संकेत दिए है। माना जा रहा है कि यह सोमवार या मंगलवार तक जारी हो जाएगी। यूजीसी ने यह सक्रियता उस समय दिखाई है, जब सीबीएसई सहित देश भर के लगभग सभी शैक्षणिक बोर्डो का 12 वीं का रिजल्ट घोषित हो चुका है। ऐसे में छात्रों को अब विश्वविद्यालय और कालेजों की शुरू होने वाली प्रवेश प्रक्रिया का इंतजार है। ज्यादातर विश्वविद्यालय परीक्षाओं को लेकर तैयार- यूजीसी यूजीसी से जुड़े सूत्रों की मानें तो विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर विवाद न खड़ा हुआ होता, तो अब तक प्रवेश और नए शैक्षणिक सत्र को लेकर भी गाइडलाइन जारी हो गई होती, लेकिन अचानक इस विवाद से खड़े होने से यूजीसी इस मामले में पूरी तरह से उलझ गई। जिसके चलते गाइडलाइन को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था। हालांकि यूजीसी का मानना है कि अब स्थिति सामान्य है। ज्यादातर विश्वविद्यालयों की ओर से अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर जवाब मिल गया है। जो परीक्षाओं को लेकर तैयार है। बाकी विश्वविद्यालयों से भी संपर्क किया जा रहा है। अगले हफ्ते तक सभी विवि से इसका जवाब मिल सकता है। यूजीसी की ओर से इससे पहले 29 अप्रैल को प्रवेश और नए शैक्षणिक सत्र को लेकर गाइडलाइन जारी की गई थी। हालांकि इसके बाद कोरोना संक्रमण की स्थिति के और गंभीर होने के बाद सारी योजना स्थगित हो गई थी। इनमें परीक्षा कराने का भी योजना है, जिसे इस गाइडलाइन के तहत एक से पंद्रह जुलाई के बीच होना था। परीक्षाओं के पीछे कोरोना के ठप्पे से बचाने की कवायद यूजीसी से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर उसका जोर इसलिए है, क्योंकि वह नहीं चाहते है, कि इन छात्रों पर कोरोना का ठप्पा लगे। अधिकारियों की मानना है कि जो लोग इन परीक्षाओं का विरोध कर रहे है, उन्हें अभी यह बात समझ में नहीं आ रही है। लेकिन यदि इन्हें बगैर परीक्षाओं के ही पास कर दिया जाता है, तो जहां भी यह मार्कशीट लेकर जाएंगे, इन्हें कोरोना में बगैर परीक्षाओं के पास किए गए लोगों में गिनती होती रहेगी। |
दस्तावेजों की जांच से शिक्षक नाराज, उप मुख्यमंत्री ने कहा न होने पाए उत्पीड़न Posted: 17 Jul 2020 05:20 PM PDT दस्तावेजों की जांच से शिक्षक नाराज, उप मुख्यमंत्री ने कहा न होने पाए उत्पीड़न प्रदेश के कई जिलों में राज्य विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों की जांच शुरू हो गई है। कुछ जिलों में जांच कमेटी की कार्रवाई से शिक्षकों में भारी नाराजगी है। इसकी शिकायत उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा तक भी पहुंची है। इस पर उप मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा से कहा है कि शिक्षकों का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए। शासन के निर्देश पर सभी जिलों में डीएम की तरफ से नामित एडीएम की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की गई है। जांच कमेटी के बारे में अलग-अलग जिलों से अलग-अलग तरह की बातें सामने आ रही हैं। किसी-किसी जिले में जांच कमेटी ने शिक्षकों का भौतिक सत्यापन करने के बाद उनका आधार कार्ड, पैन कार्ड और अंकपत्रों की मूल प्रति देखकर जांच पूरी कर ली तो किसी-किसी जिले में पूरी नियुक्ति प्रक्रिया की जांच शुरू कर दी गई है। शिक्षकों से पद के विज्ञापन के संबंध में प्रकाशित विज्ञापन की प्रतियां भी मांगी जा रही हैं। लंबी सेवा कर चुके शिक्षकों के पास विज्ञापन की प्रतियां ही नहीं हैं। इसी तरह जिन शिक्षकों ने जाति प्रमाणपत्र लगाया था, उसके सत्यापन के बारे में पूछा जा रहा है। शिक्षकों की इन समस्याओं के संबंध में लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) ने उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को ज्ञापन भी दिया। इस पर डॉ. शर्मा ने अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस. गर्ग से यह सुनिश्चित करने को कहा कि शिक्षकों का किसी भी तरह उत्पीड़न न हो। उन्होंने यह भी कहा कि प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए शिक्षकों को कलेक्ट्रेट का चक्कर न लगाना पड़े। इस बीच लुआक्टा ने कोरोना संकट के कारण कंटेनमेंट जोन बना दिए जाने के कारण जांच प्रक्रिया स्थगित करने की भी मांग की है। इसके लिए उसने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन भी दिया है। |
पहले बच्चों की सुरक्षा फिर शिक्षा, बोले MHRD मिनिस्टर Posted: 17 Jul 2020 05:17 PM PDT पहले बच्चों की सुरक्षा फिर शिक्षा, बोले MHRD मिनिस्टर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना काल में हमारी प्राथमिकता पहले बच्चों की सुरक्षा, फिर शिक्षा है। वे 'जीतेगा हिन्दुस्तान' श्रृंखला के वेबिनार में हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर के साथ रूबरू थे। निशंक ने कहा कि इस वक्त 40% बच्चे ऑनलाइन शिक्षा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं, लेकिन देश के अंतिम छोर तक बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने के प्रयास जारी हैं। बंद के दौरान भी हमने राज्यों के साथ मिलकर शैक्षिक गतिविधियों को जारी रखा है। उन्होंने कहा,करीब 33 करोड़ बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराई जा रही है। ई-विद्या के तहत हम 'वन क्लास, वन चैनल' अभियान में स्वयं प्रभा' के 32 चैनल ला रहे हैं। जो टीवी के हर प्लेटफार्म पर दिखेंगे। जिन बच्चों के पास इंटरनेट नहीं है, हमें वहां जाना है। मानव संसाधन विभाग मिशन मोड में काम कर देखें। हम नहीं चाहते किसी बच्चे पर कोरोना डिग्री का ठप्पा लगे: निशंक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यूजीसी द्वारा फाइनल ईयर की परीक्षा कराने का निर्णय अचानक नहीं लिया गया है। इसके लिए टास्क फोर्स बनाई गई थी। गहन मंथन के बाद यह तय किया गया कि फर्स्ट और सेकेंड ईयर के मार्क्स आंतरिक मूल्यांकन और पिछली परीक्षाओं से हो सकते हैं लेकिन फाइनल ईयर की परीक्षाएं तो आयोजित होंगी। 'जीतेगा हिन्दुस्तान' कार्यक्रम सीरीज में हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर के साथ खास बातचीत में रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि फाइनल ईयर की परीक्षा आयोजित किए बिना डिग्री देने से उस डिग्री पर कोरोना डिग्री का ठप्पा लग जाएगा। डॉ. निशंक ने कहा कि नौकरी के लिए इंटरव्यू के समय कोरोना डिग्री वालों को अलग से छांट लिया जाएगा कि कहीं ये कोरोना काल का तो नहीं है। इससे उन्हें भविष्य में नौकरी मिलने में दिक्कत होगी। उनकी काबिलियत को कम करके आंका जाएगा। उन्होंने कहा कि यूजीसी के फैसले का शिक्षाविदों और कुलपतियों ने स्वागत किया है। कौन कहेगा बिना परीक्षा कराए डिग्री दे दी जाए। बच्चे हमारा भविष्य है। हम कोई ऐसा काम नहीं करना चाहते जिससे आज की दिक्कत उसे भविष्य में झेलनी पड़े। आपको बता दें कि यूजीसी ने कुछ दिनों पहले रिवाइज्ड गाइडलाइंस जारी कर कहा था कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं अनिवार्य हैं। सितंबर के अंत तक सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं करानी हैं। इस पर कई राज्यों ने विरोध दर्ज कराया है। ऑनलाइन शिक्षा पर बोले निशंक- 30-40 फीसदी छात्रों तक अभी पहुंच बाकी ऑनलाइन शिक्षा के प्रसार को लेकर उन्होंने कहा कि मेरी राज्यों से बातचीत होती है। वहां के शिक्षा मंत्रियों से बात होती है। इससे पता चलता है कि राज्यों ने बहुत अच्छे से काम किया है। अभी करीब 40 फीसदी तक ऑनलाइन शिक्षा की छात्रों तक पहुंच होनी है। इसके लिए हम राज्यों के साथ काम कर रहे हैं। अंतिम छोर वाले बच्चे के लिए काम कर रहे हैं। अभी व्हाट्सऐप, अध्यापक अन्य तरीकों से भी उन बच्चों तक पहुंच के लिए काम कर रहे हैं। |
यूपी बोर्ड से मान्यता मिली नहीं, 767 स्कूलों के हजारों छात्रों का क्या होगा Posted: 17 Jul 2020 04:24 PM PDT यूपी बोर्ड से मान्यता मिली नहीं, 767 स्कूलों के हजारों छात्रों का क्या होगा यूपी बोर्ड से मान्यता पाने का इंतजार कर रहे प्रदेशभर के 767 स्कूलों के हजारों छात्रों के भविष्य को लेकर संशय की स्थिति पैदा हो गई है। 6 जुलाई से प्रवेश शुरू होने के साथ ही ये 767 स्कूल भी इस उम्मीद में दाखिला लेने लगे हैं कि मान्यता तो मिल ही जाएगी लेकिन 2020-21 सत्र के लिए प्रवेश की अंतिम तिथि यानि 5 अगस्त तक मान्यता आदेश जारी नहीं होता तो परेशानी हो सकती है। प्रति स्कूल कक्षा 9 व 11 के 100 बच्चे भी मान लिए जाएं तो 75 हजार से अधिक बच्चों के सामने संकट खड़ा हो जाएगा। बोर्ड की नियमावली के अनुसार एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के पहले मान्यता आदेश जारी हो जाने चाहिए। बोर्ड ने क्षेत्रीय कार्यालयवार बैठकें कर सभी स्कूलों की फाइलें फरवरी में ही शासन को स्वीकृति के लिए भेज दी थी। लेकिन मान्यता आदेश जारी होने के पहले ही कोरोना ने सब अस्तव्यस्त कर दिया। देर होने के बावजूद 6 जुलाई को प्रवेश शुरू करने से पहले मान्यता की स्वीकृति जारी हो जानी चाहिए थी। लेकिन अब तक आदेश जारी नहीं हो सके हैं। आज स्थिति यह है कि आवेदन करने वाले स्कूल प्रबंधकों से उन बच्चों के अभिभावक मान्यता का इंतजार कर रहे हैं जिन्होंने अपने बच्चों का दाखिला करा दिया है। इन 767 स्कूलों में 354 ने नवीन हाईस्कूल, 292 ने नवीन इंटर, 121 ने 10वीं-12वीं दोनों की नवीन मान्यता के लिए आवेदन किया है। इस साल कक्षा 9 व 11 में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राएं 2022 की 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा में सम्मिलति होंगे। मामला शासन के विचाराधीन होने के कारण कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। |
प्रदेश में खुलेंगे दो दर्जन नए डिग्री कॉलेज, बुंदेलखंड व पूर्वांचल को मिलेगी प्राथमिकता Posted: 17 Jul 2020 04:16 PM PDT प्रदेश में खुलेंगे दो दर्जन नए डिग्री कॉलेज, बुंदेलखंड व पूर्वांचल को मिलेगी प्राथमिकता लखनऊ। योगी सरकार प्रदेश में लिए दो दर्जन से अधिक नए डिग्री कॉलेज खोलने की तैयारी कर रही है। इसमें बुंदेलखंड व पूर्वांचल को प्राथमिकता दी जाएगी। भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव के संकल्प पत्र में उच्च शिक्षा के विकास का वादा किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी जिलों में प्रवास के दौरान लोगों की मांग पर राजकीय महाविद्यालय खोलने की घोषणा की। इसी को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने नए कॉलेज खोलने का प्रस्ताव तैयार किया है। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि दो दर्जन से अधिक नए कॉलेज जल्द खोले जाएंगे। |
Posted: 17 Jul 2020 04:13 PM PDT CBSE : दसवीं के अंकों से संतुष्ट नहीं, करा सकते हैं पुर्न:मूल्यांकन, ले सकते हैं उत्तरपुस्तिका की फोटोकॉपी नई दिल्ली। सीबीएसई के दसवीं के नतीजे घोषित होने के बाद अब छात्र अंकों का सत्यापन, पुनर्मूल्यांकन व उत्तर पुस्तिका की फोटो कॉपी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए छात्रों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। बोर्ड ने इससे संबंधित तिथियां भी घोषित कर दी हैं। दसवीं के नतीजों में अपने अंकों को लेकर संशय में रहने वाले छात्र सबसे पहले वेरिफिकेशन ऑफ मार्क्स (अंकों की जांच) करवा सकते हैं। इसके लिए छात्रों को 20 से 24 जुलाई के बीच ऑनलाइन आवेदन तथा प्रति विषय 500 रुपये का भुगतान करना होगा। यह भुगतान वह क्रेडिट-डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग के माध्यम से कर सकते हैं। छात्र अपनी उत्तर पुस्तिका की फोटो कॉपी भी ले सकते हैं। बशर्ते उन्होंने पहले अंकों की जांच के लिए आवेदन किया हो। फोटो कॉपी लेने के लिए चार से पांच अगस्त शाम पांच बजे तक आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए भी पांच सौ रुपये आवेदन शुल्क चुकाना होगा। छात्रों को पुनर्मूल्यांकन के लिए छात्रों को 10 से 11 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा। छात्रों को इसके लिए प्रति सवाल 100 रुपये का भुगतान करना होगा। यह सुविधा केवल थ्योरी पार्ट के लिए ही होगी। अंकों में कमी या बढ़ोतरी होने पर नई अंक तालिका, पुरानी जमा कराने पर मिलेगी। अंकों के सत्यापन, उत्तर पुस्तिका व पुनर्मूल्यांकन के संबंध में अधिक जानकारी बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध है। |
Posted: 17 Jul 2020 03:50 AM PDT |
Posted: 17 Jul 2020 03:30 AM PDT |
Posted: 17 Jul 2020 03:10 AM PDT |
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