प्राइमरी का मास्टर ● इन |
- किशोरी बालिकाओं को प्रशिक्षण दिलाकर आत्मनिर्भर बनाएगी सरकार
- साल भर तय होते रहे शिक्षक भर्ती के पद, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में 2019 जुलाई से चल रही प्रक्रिया, जिलों से रिक्त पदों का ऑनलाइन मांगा ब्योरा, टास्क फोर्स से जांच
- CBSE News : सीबीएसई ने लिया अहम निर्णय, अब स्कूलों का होगा वर्चुअल निरीक्षण
- Digital Education : 27 फीसदी छात्रों के पास स्मार्टफोन और लैपटॉप की अनुपलब्धता और बिजली की समस्या ऑनलाइन शिक्षा में बड़े रूकावट : एनसीईआरटी सर्वेक्षण
किशोरी बालिकाओं को प्रशिक्षण दिलाकर आत्मनिर्भर बनाएगी सरकार Posted: 20 Aug 2020 07:18 PM PDT किशोरी बालिकाओं को प्रशिक्षण दिलाकर आत्मनिर्भर बनाएगी सरकार राज्य मुख्यालय : प्रदेश सरकार स्कूली शिक्षा से दूर किशोरी बालिकाओं के वीरांगना समूहों को प्रशिक्षण दिला कर आत्म निर्भर बनाएगी। प्रशिक्षण की गाइड लाइन जारी कर जिलाधिकारियों को इसी माह प्रशिक्षण शुरू करने का निर्देश दिया गया है। प्रशिक्षण की गुणवत्ता और निगरानी के लिए ब्लाक स्तर पर कमेटी भी गठित की गई है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक डा. सारिका मोहन ने इस बारे में आदेश जारी कर कहा है कि 11 से 14 साल की स्कूल न जाने वाली किशोरी बालिका की बहुआयामी आवश्यकता को समझने एवं इनको औपचारिक शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए किशोरी बालिकाओं के लिए योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत सखी-सहेली प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजित किया जाना है। इसके लिए 25 से 30 लक्षित किशोरी बालिकाओं के 10151 वीरांगना समूह का प्रदेश में गठन किया गया है। उन्होंने कहा है कि प्रत्येक परियोजना में चयनित सखी-सहेलियों के अधिकतम 10 समूह को 25-30 किशोरियों के बैच में प्रशिक्षण दिया जाएगा। तीन दिवसीय प्रशिक्षण कोविड -19 के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग बैच में बांट कर दिया जाएगा। सामाजिक दूरी का पालन किया जाएगा।आयुष मंत्रालय द्वारा नियुक्त योग प्रशिक्षक योग की उपयोगिता सिखाएंगे। इसके अलावा पोषण, व्यक्तिगत स्वच्छता, सामान्य स्वास्थ्य, हक एवं अधिकार, सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच से लेकर शिक्षा का महत्व तक इसमें शामिल है। किशोरी बालिकाओं को किचन गार्डनिंग सिखाने के साथ बीज और पौधा उपलब्ध कराया जाएगा। पोषण वाटिका बनाने की जानकारी दी जाएगी। |
Posted: 20 Aug 2020 06:59 PM PDT साल भर तय होते रहे शिक्षक भर्ती के पद, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में 2019 जुलाई से चल रही प्रक्रिया, जिलों से रिक्त पदों का ऑनलाइन मांगा ब्योरा, टास्क फोर्स से जांच। प्रयागराज : शिक्षक भर्ती करने में लेटलतीफी जारी है। एक और शासन नए उप्र शिक्षा चयन आयोग का आठ माह में गठन नहीं कर सका है तो वहीं, दूसरी ओर चयन बोर्ड एक साल में शिक्षक भर्ती का विज्ञापन नहीं जारी कर सका है। साल भर से भर्ती के पद तय करने की मशक्कत होती रही। अब संकेत हैं कि जल्द ही विज्ञापन जारी करके भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। इसकी तैयारी तेज है। उत्तर प्रदेश अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक कॉलेजों के लिए प्रधानाचार्य, प्रवक्ता और प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक चयन उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड करता है। 2019 में चयन बोर्ड ने पहली बार जिला विद्यालय निरीक्षकों से ऑनलाइन अधियाचन (रिक्त पदों का ब्योरा) मांगा था। जुलाई से सात अगस्त तक करीब 40 हजार अधियाचन मिले। उनमें से डीआइओएस ने कितने पदों को सत्यापित किया, ये स्पष्ट नहीं है। भर्ती का विज्ञापन जारी करने से पहले माध्यमिक शिक्षा विभाग ने पदों की संख्या ज्यादा होने पर सवाल उठाया, क्योंकि कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की संख्या से शिक्षकों के स्वीकृत पद काफी अधिक हैं। रिक्त पदों का सत्यापन कराने के लिए टास्क फोर्स का गठन हुआ। जांच में सामने आया कि कई कॉलेजों में छात्रों की संख्या कम है और वहां कार्यरत शिक्षक ज्यादा हैं। बहरहाल, जांच रिपोर्ट पर सामने नहीं आ सकी है। इसी बीच विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा की ओर से जारी पत्र वायरल हुआ, उसमें करीब बीस हजार से पद खाली बताया गया है। उम्मीद है कि इतने पदों का जल्द विज्ञापन जारी होगा। चयन बोर्ड ने भर्ती की समयसारिणी हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दाखिल की थी। उसमें अक्टूबर 2019 में नया विज्ञापन जारी होने और 2021 में भर्ती पूरा होने का दावा किया गया था। 2016 के बाद से अब तक चयन बोर्ड कोई भर्ती नहीं निकाल सका है, जबकि विभाग में शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में रिक्त हैं। संकेत हैं कि नई भर्ती का विज्ञापन अगले माह जारी होगा। |
CBSE News : सीबीएसई ने लिया अहम निर्णय, अब स्कूलों का होगा वर्चुअल निरीक्षण Posted: 20 Aug 2020 08:10 AM PDT CBSE News : सीबीएसई ने लिया अहम निर्णय, अब स्कूलों का होगा वर्चुअल निरीक्षण। CBSE News : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों का वर्चुअल इंस्पेक्शन (अप्रत्यक्ष निरीक्षण) करने का निर्णय लिया है। इसे लेकर सीबीएसई द्वारा एक नोटिस जारी किया गया है। देश भर में कोरोना वायरस महामारी के कारण स्कूलों के नियमित निरीक्षण में देरी हुई है। बोर्ड ने यह भी निर्णय लिया है कि प्रत्येक स्कूल के लिए निरीक्षण समिति के गठन के दस दिनों के भीतर सभी निरीक्षण पूरे किए जाएंगे। सीबीएसई ने 2021-22 तक के सत्रों के लिए संबद्धता के उन्नयन के लिए 'वर्चुअल इंस्पेक्शन' शुरू करने की सूचना दी है। इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री, रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्विटर पर यह घोषणा की है कि इस कदम से कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूलों को राहत मिलेगी। मंत्री ने कहा कि आभासी निरीक्षण बच्चों के शैक्षिक हित में एक लाभदायक कदम साबित होगा, जो शारीरिक निरीक्षण पर खर्च होने वाले समय की बचत करेगा और स्कूल संबद्धता की त्वरित और सुचारू प्रक्रिया सुनिश्चित करेगा। बता दें कि सीबीएसई नोटिस में यह भी कहा गया है कि सत्र 2021-22 तक दर्ज मामलों के संबंध में माध्यमिक / वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर उन्नयन के लिए गठित सभी निरीक्षण समितियां, जहां भौतिक निरीक्षण नहीं हुए हैं, तत्काल प्रभाव से वापस ले ली गई हैं। स्कूलों का निरीक्षण करने के लिए नए सिरे से निरीक्षण समितियां बनाई जाएंगी। सीबीएसई इस संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न प्रदान करेगा। हालांकि, समिति को 10 दिनों के भीतर आभासी निरीक्षण करने और पूरा करने के लिए अनिवार्य किया जाएगा। |
Posted: 20 Aug 2020 07:21 AM PDT कैसे होगी ऑनलाइन पढ़ाई जब 27 फीसद छात्रों के पास स्मार्टफोन या लैपटॉप ही नहीं, NCERT सर्वे में चौंकाने वाले हुए खुलासे। नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training, NCERT) के एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि ऑनलाइन कक्षाएं करने के लिए कम से कम 27 फीसद छात्रों के पास स्मार्टफोन या लैपटॉप नहीं है जबकि 28 फीसद छात्र बिजली आपूर्ति में व्यवधान या कमी को पढ़ाई में एक प्रमुख बाधा मानते हैं। इस सर्वेक्षण में केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और प्राचार्यों समेत 34,000 लोगों ने हिस्सा लिया। सर्वे में भाग लेने वाले लोगों का कहना था कि पढ़न पाठन के लिए उपकरणों के उपयोग की जानकारी की कमी भी ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन में बड़ी बाधा है। यही नहीं शिक्षकों को भी ऑनलाइन शिक्षा के तरीकों की पूरी जानकारी नहीं है। सर्वे में पाया गया कि कोरोना काल में पठन पाठन के लिए अधिकतर छात्र मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे हैं। लगभग 36 फीसद छात्र पाठ्यपुस्तकों और किताबों का इस्तेमाल पढ़ाई लिखाई के लिए कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर शिक्षकों एवं प्राचार्यों के लिए लैपटॉप दूसरा पसंदीदा विकल्प है। सर्वे में पाया गया है कि महामारी के काल में पढ़ने लिखने में टेलीविजन और रेडियो का इस्तेमाल सबसे कम हो रहा है। पाया गया है कि छात्रों और शिक्षकों के बीच बेहतर संवाद का न हो पाना एक बड़ी समस्या है। यह भी देखा गया है कि सभी संबद्ध राज्य छात्रों प्रगति पर नजर रखने के लिए भौतिक या गैर डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से अधिकतर में शिक्षक छात्रों के घर जाते हैं या फोन काल के जरिए संवाद बनाते हैं। यही नहीं छात्रों में ई पाठ्यपुस्तक को लेकर भी जागरूकता का अभाव दिखा है। |
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