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Monday, September 28, 2020

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निजीकरण नहीं, आर्थिक पुनर्रचना ही उचित मार्ग

Posted: 27 Sep 2020 08:34 AM PDT


निजीकरण नहीं, आर्थिक पुनर्रचना ही उचित मार्ग 

प्रोफेसर आर पी सिंह,
वाणिज्य विभाग,
गोरखपुर विश्वविद्यालय
E-mail: rp_singh20@rediffmail.com
       Contact : 9935541965

निजीकरण एक फैशन बन गया है। खुले या पिछले दरवाजे से। निजीकरण की कुछ सबसे बड़ी चालें जो पहले ही चली जा चुकी हैं उनमें भारतीय रेलवे, एयर इंडिया के लिए 100% निजीकरण के प्रयास और यहां तक कि सेल, शिपिंग कॉर्प ऑफ इंडिया (एससीआई), टीएचडीसी इंडिया और एनईपीसीओ आदि के अलावा भारत पेट्रोलियम जैसी तेल और गैस कंपनियां भी शामिल हैं। अपने दूसरे कार्यकाल में कई सरकारी स्वामित्व वाली फर्मों के निजीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने बैंकिंग, बीमा, इस्पात, उर्वरक, पेट्रोलियम और रक्षा उपकरणों सहित 18 रणनीतिक क्षेत्रों की पहचान की है, जहां वह केवल सीमित उपस्थिति बनाए रखेगी । योजना के मुताबिक, रणनीतिक क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र की अधिकतम चार इकाइयां और न्यूनतम एक इकाई परिचालन होगी। सरकार की योजना बाकी से बाहर निकलने की है ।
खनन और अन्वेषण खंड में, जिन क्षेत्रों में सरकार सीमित उपस्थिति बनाए रखेगी, वे कोयला, कच्चे तेल और गैस और खनिज और धातु हैं ।
इसी तरह विनिर्माण, प्रसंस्करण और उत्पादन खंड में, जिन क्षेत्रों में सरकार सीमित उपस्थिति बनाए रखेगी, उनमें रक्षा उपकरण, इस्पात, पेट्रोलियम (रिफाइनरी और विपणन), उर्वरक, बिजली उत्पादन, परमाणु ऊर्जा और जहाज निर्माण शामिल हैं । 
और, सेवा क्षेत्र में, पहचाने गए क्षेत्र हैं-बिजली संचरण, अंतरिक्ष, विकास और हवाई अड्डों, बंदरगाहों, राजमार्गों और गोदामों और गैस परिवहन और रसद (गैस और पेट्रो रसायन व्यापार सहित नहीं), अनुबंध और निर्माण और सामरिक क्षेत्रों और उपक्षेत्रों से संबंधित तकनीकी परामर्श सेवाएं, बुनियादी ढांचे के लिए वित्तीय सेवाएं, निर्यात ऋण गारंटी, ऊर्जा और आवास क्षेत्र, दूरसंचार और आईटी, बैंकिंग और बीमा ।
एक खतरनाक स्थिति
सरकारी तंत्र को पूरी तरह अक्षम मानते हुए भारत में हाल की सरकारें निजीकरण की ओर अधिक से अधिक उन्मुख हो गई हैं । लेकिन यह एक खतरनाक स्थिति है । यह चीजों को प्रभावी ढंग से संभालने में नेतृत्व की विफलता है । नौकरशाही में पक्षपात, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार का संचार करने के लिए सभी दलों के नेता हमेशा आमादा रहे हैं। उन्हें वही काटना है जो उन्होंने बोया है लेकिन पीड़ित तो मुख्य रूप से मूक जनता ही होती हैं । निजीकरण कोई वास्तविक समाधान नहीं है । 
  आज रूस सरकारी नियंत्रण और सार्वजनिक क्षेत्र के कारण एक प्रमुख शक्ति है जबकि अमेरिका नाजुक स्थिति में है । चालीसवें दशक के दौरान चीन और भारत की समान अर्थव्यवस्थाएं थीं लेकिन अब चीन की जीडीपी सरकारी नियंत्रण और सार्वजनिक क्षेत्र के कारण पांच गुना अधिक हो चुकी है । रूस और चीन की तकनीकी क्षमता और ओलंपिक खेलों में आश्चर्यजनक प्रदर्शन देखने-समझने लायक रहा है ।

निर्णयों में संकीर्ण राजनीति

भ्रमित राजनीति सिर्फ एक फैशन के रूप में आर्थिक मॉडलिंग का इस्तेमाल करती रही है । साठ के दशक के अंत में राष्ट्रीयकरण का फैशन उभरा। बैंकों, बीमा, पेट्रोलियम और कोयला कंपनियों को मुख्य रूप से राजनीतिक मजबूरियों से तहत राष्ट्रीयकृत किया गया । 14 प्रमुख बैंकों का मामला काफी दिलचस्प रहा है। 22 जनवरी १९६९ को बैंकिंग आयोग को नियुक्त किया गया था, दो साल से भी कम समय के भीतर अपने व्यापक एजेंडे के हिस्से के रूप में राष्ट्रीयकरण या समाजीकरण के मुद्दे पर विचार करने के लिए । बैंकों पर सामाजिक नियंत्रण की योजना 1 फरवरी, 1969 को लागू की गई थी और सरकार की ओर से यही उचित था कि वह इसके प्रभाव को देखने के लिए पर्याप्त समय दे। लेकिन इंदिरा सरकार इतनी जल्दबाजी में थी कि उसने 19 जून, 1969 की रात में 14 प्रमुख बैंकों के राष्ट्रीयकरण की घोषणा कर दी—सिर्फ पांच महीने के भीतर। सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के बाद सरकार ने 25 जुलाई, 1969 को फिर से संशोधित घोषणा की। आठ राज्यों में १९६७ के विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर और बाहर इंदिरा गांधी के खिलाफ तत्कालीन राजनीतिक चुनौतियों से कुछ राहत पाने के लिए ऐसे कदम उठाए गए थे। लेकिन १९९१ के बाद से फैशन बदल गया । एक भावना यह उभरकर सामने आई कि सरकारी बैंक भ्रष्टाचार, भारी एनपीए और नुकसान से बेहद अक्षम हो गए और इन बैंकों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक नियंत्रण में लाया गया और 33 प्रतिशत शेयरों तक विनिवेश किया गया—इस महज एक प्रयोग में सरासर राजनीति के चलते दो दशकों से अधिक की देरी हुई।  लेकिन निर्णयों में इस तरह की संकीर्ण राजनीति ने राष्ट्र को धीरे-धीरे कमजोर कर दिया । 

दरअसल, छोटे उद्यमों को निजी हाथों या स्वयं सहायता समूहों (स्वयं सहायता समूहों) के लिए छोड़ देना चाहिए। मध्य आकार के उद्यमों को समन्वित सहकारी क्षेत्र के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए जबकि बड़े या रणनीतिक उद्यमों को सार्वजनिक क्षेत्र या कम से ५१% सरकारी नियंत्रण के तहत रखा जाय। यहां इन बड़े उद्योगों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी), स्ट्रैटेजिक अलायंस, बीओटी (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर), बोल्ट (बिल्ड-ऑपरेट-लीज-ट्रांसफर) आदि का उपयोग जरूरत के अनुसार विशेष रूप से नए उद्यमों में किया जा सकता है । उद्योगों का आरक्षण भारत के लिए नया नहीं है। दो दशक पहले सैकड़ों उद्योग सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित थे।  सैकड़ों गतिविधियां छोटे उद्योगों के लिए आरक्षित थीं। यह बात और है कि नौकरशाही के भ्रष्टाचार, लालफीताशाही और अन्य अक्षमताओं और राजनीतिक हस्तक्षेप ने इस तरह के आरक्षण को अकुशल साबित किया और लाइसेंस-कोटा-परमिट राज का नेतृत्व किया । लेकिन, समन्वित सहकारी समितियों के लिए मध्य क्षेत्र को आरक्षित करना आवश्यक है। 
पूरी दुनिया में इस महामारी में सार्वजनिक उपक्रमों ने बहुत अच्छी भूमिका निभाई है । जहां तक संभव हो सभी प्रमुख उद्यमों को सार्वजनिक नियंत्रण में चलाया जाना चाहिए ।

मध्य क्षेत्र के लिए समन्वित सहकारी समितियां

सभी मध्यम आकार के उत्पादक, खेतिहर, मजदूर, उपभोक्ता आपूर्ति व व्यापार इकाइयां और कृषि सहायक (एग्रीको) और कृषि आधारित उद्योग समन्वित सहकारी समितियों द्वारा चलाए जाएं तो बेहतर। सामूहिक खेती के भी प्रयोग किए गए हैं विशेषकर साम्यवादी व्यवस्थाओं में। पर परिणाम निराशाजनक ही रहे हैं। अतः समर्थन योग्य नहीं हैं। एफपीओ(फार्म प्रोड्यूसर ऑर्गनाइज़ेशन) स्कीम में कार्पोरट, सहकारी व समूहिक खेती व विपणन प्रयासों को शामिल किया गया है पर इसमें भी परोक्ष  बल कार्पोरट वर्चस्व पर ही है, अतः सहकारिता दबनी है। 
अब तक सहकारिता सरकारी विभागों के नियंत्रण में रही है, जिसमें सत्ताधारी राजनेता और नौकरशाह अपना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कब्जा बनाए रखते हैं, जबकि आम सदस्यों की सुनी ही नहीं जाती। परिणाम अक्षमता, घोटाले और नुकसान हैं। ऐसी अधीनस्थ सहकारी समितियां असफल रही हैं। सहकारी समितियों में सरकारों को केवल 'दोस्त, दार्शनिक और दिशादर्शक' की अप्रत्यक्ष सकारात्मक और प्रचारात्मक भूमिका तक ही सीमित रहना चाहिए । कामगारों को पूंजी/भूमि के अनुपात में ब्याज और किराए के अलावा सहकारी समिति से वेतन/मजदूरी/पारिश्रमिक के अलावा शेयरधारक के रूप में लाभांश भी मिलेगा । नयी कृषि व्यवस्था में अनुबंध या कारपोरेट खेती व विपणन पर ज़ोर दिया गया है। प्रउत विचारधारा के अनुसार, इसके बजाय समन्वित सहकारी खेती का विकल्प कम से कम छोटी जोत के लिए उपयुक्त है। इससे कामगारों का पलायन कम होगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्रीय विकास में संतुलन और समृद्धि पैदा होगी। महानगरीय क्षेत्रों का बोझ और सामाजिक विकृतियां भी कम होंगी।
 अधिकांश कृषि जोत आकार में काफी छोटी रही हैं और इसलिए अनुत्पादक रही हैं। उन्हें समन्वित सहकारी खेती में शामिल किया जाना चाहिए । इस तरह के सहकारी में अपनी भूमि एकत्र करने वाले प्रत्येक किसान को उस भूमि की वापसी के लिए व्यक्तिगत स्वामित्व अधिकार की गारंटी दी जानी चाहिए, जब उद्यम बंद हो जाय या पुनर्गठित किया जाय। यदि वह समिति से बाहर जाता है तो समिति दोनों पक्षों की सहमति के आधार पर चार विकल्पों का का उपयोग कर सकता है:
क) समिति उसे अपनी भूमि के उपयोग के लिए नकद या वस्तु में किराया देना जारी रख सकता है ।
ख) यदि संभव हो तो समिति उसकी भूमि वापस कर सकता है ।
ग) समिति नकद या सार्वजनिक बांड या दोनों के रूप में, संसाधनों की सीमा में पर्याप्त मुआवजा देकर उससे जमीन खरीद सकती है ।
घ) राज्य सरकार उसकी संतुष्टि तक समकक्ष भूमि आवंटित कर सकती है ।
केंद्र सरकार छोटे कारोबारियों और किसानों के लिए ढेरों योजनाओं की घोषणा करती रही है। समन्वित सहकारी समितियों के माध्यम से इनका समुचित लाभ उठाया जा सकता है। सरकारों को भी सहायता और ऋण-प्रदायन में समन्वित सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता देने के लिए तथा संवर्धन के लिए योजनायें चलानी चाहिए । टीम वर्किंग की कार्यकुशलता और प्रोत्साहन के लिए व्यक्तिगत किसानों और व्यवसायों के सभी प्रोत्साहनों और सब्सिडी को समन्वित सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों में डायवर्ट करना आवश्यक है ।
अल्पावधि में स्थानीय संसाधनों का त्वरित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय राजनीतिक-आर्थिक-सांस्कृतिक आवाजों और पहचानों को जल्द से जल्द प्रभाव में लाकर राज्यों और योजनाओं का पुनर्गठन किया जाना चाहिए । निर्माण; औद्योगिक उत्पादन; कृषि उत्पादों, डेयरी, सेवाओं आदि का उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन में समन्वित सहकारी समितियों के माध्यम से इकाइयों के संचालन में इन लोगों को शामिल करना आवश्यक  है ।
भारत में अनौपचारिक सहकारिता के तौर पर 'स्वयं सहायता समूह' अच्छा कार्य किए हैं। अब इनसे आगे बढ़कर  समन्वित सहकारिता विकसित करने की जरूरत है। इसमें  राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों का प्रतिनिधित्व नहीं होगा जैसा कभी 'अमूल' में किया गया था। सरकार इसमें तकनीकी सहायता, ऑडिट व प्रोत्साहनकारी भूमिका रखेगी। नियमों के उल्लंघन व अधिसंख्य सदस्यों द्वारा कुप्रबंध की शिकायत पर सरकार हस्तक्षेप कर सकती है। 
कृषि उपज का  उद्योगों की भांति मूल्य निर्धारण करें। समन्वित सहकारिता के माध्यम से इनका विपणन, भंडारण व स्थानांतरण का उपाय करें। यह नहीं भूलना चाहिए कि डेन्मार्क, हालैण्ड, इसराइल, जर्मनी आदि यूरोप के किसानों की मानसिकता भी भारत के किसानों से ज्यादा भिन्न नहीं है। पर उन्हें जब  लगा कि कंपनियों का वर्चस्व उन्हें बर्बाद कर देगा तो उन्होंने सहकारी खेती और विपणन को उत्साह के साथ अपनाया।
अब बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़ आदि की सरकारें अपने ही राज्य में रोजगार के अवसर देने को पहले से ज्यादा मजबूर हैं। लेकिन यह एक दीर्घकालिक रणनीतिक प्रक्रिया है । प्रगतिशील समाजवाद का प्रस्ताव रहा है कि प्रत्येक क्षेत्र में स्थानीय संसाधनों के अनुसार अधिक से अधिक उद्यम होने चाहिए जिन्हें समन्वित सहकारी समितियों द्वारा चलाया जाना चाहिए । समन्वित सहकारी समितियां प्रचलित अधीनस्थ सहकारी समितियों की तुलना में वास्तव में कहीं अधिक जन-उन्मुख हैं । 
प्रउत की रोजगार नीति यह है कि संसाधनों के उपयोग और आर्थिक गतिविधियों के स्तर को उचित विकेंद्रीकृत योजना के माध्यम से पर्याप्त रूप से उठाना होगा ताकि हर क्षेत्र में अधिकतम व्यवहार्य रोजगार सुनिश्चित किया जा सके । किसी भी क्षेत्र में संतुलित अर्थव्यवस्था के लिए कृषि में कुल रोजगार का 30-40 प्रतिशत, कृषि आधारित उद्यमों में 20 प्रतिशत, कृषि सहायक उद्यमों में 20 प्रतिशत, गैर-कृषि उद्योगों में 10-20 प्रतिशत, व्यापार-वाणिज्य में 10 प्रतिशत और सफेदपोश गतिविधियों में 10 प्रतिशत की आवश्यकता होती है।
कृषि उपज के मूल्य निर्धारण के मामले में इसे उद्योग के रूप में देखने की सलाह दी जाती है। लागत पर उचित लाभ और जोखिम प्रीमियम के साथ न्यूनतम मूल्य की गारंटी दी जानी चाहिए। कृषि और गैर कृषि क्षेत्रों के बीच आय के अंतर को कम करने की जरूरत है। स्थानीय स्तर पर कृषि आधारित उद्योग उपलब्ध कराकर पैदावार में विविधता लाने की जरूरत है।
कोरोना संकट और श्रम के विपरीत पलायन के साथ, स्थानीय अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान अब एक तात्कालिक दायित्व बन गया है । इसमें उचित है कि अल्पावधि में श्रम-प्रधान तकनीकों, परियोजनाओं और गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए । दीर्घकाल में, मध्यम आकार के उद्यमों में समन्वित सहकारी समितियों के माध्यम से और बड़े उद्यमों और परियोजनाओं में पूंजी गहन तकनीकों को कम से ५१% सार्वजनिक और सरकारी नियंत्रण के तहत में लाया जाना चाहिए ।
आर्थिक नीतियों में 'मेक इन इंडिया' तकनीकी हस्तान्तरण हेतु अल्पसमय के लिए ही उपयोग के लायक है। दीर्घकाल में तो यह पूंजीवाद को व्यवस्था पर थोपने व 'सुख के साथी' बाहरी कंपनियों के  अवसरवाद का ही उपाय है। अतः टिकाऊ रास्ता तो  'मेड इन इंडिया' ही है। स्थानीय स्तर पर उचित, प्रभावी व पर्याप्त रोजगार का सृजन रातोरात संभव तो नहीं होगा। बाहर की कंपनियों और बाज़ार छोड़कर भागने में निपुण वित्तीय संस्थागत निवेशकों (एफ आई आई) के भरोसे रहना भी तो ठीक नहीं।
लोकल सही अर्थों में वोकल हो—यह सुनिश्चित करना होगा। यह सरकारी मदद या खैरात मात्र से संभव नहीं है। स्थानीय स्तर पर आत्मविश्वास, स्वाभिमान और सामर्थ्य उत्पन्न करना होगा।  इसी आत्मविश्वास, स्वाभिमान और सामर्थ्य को उत्पन्न करने व बढ़ाने के लिए उपेक्षित और कमजोर क्षेत्रों को पहिचान प्रदान करने हेतु भोजपुरी, बुंदेलखंड, विदर्भ, सौराष्ट्र, आदि की मांग की जाती रही है। इन बातों की उपेक्षा का नतीजा रहा है—क्षेत्रीय असंतुलन और युवा श्रमशक्ति का रोजी-रोटी के लिए पलायन।
भाषा के आधार पर 1956 के राज्यों के पुनर्गठन को निरस्त कर सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक आधार पर भारत में राज्यों का नवगठन आवश्यक है। प्रउत(प्रगतिशील उपयोग तत्व) विचारधारा के अनुसार भारत को 44 समाजों में गठित कर विकासगत नियोजन करने की आवश्यकता है। इसी को लेकर 'समाज आंदोलन' है। अबतक देश का दुर्भाग्य रहा है कि क्षेत्रीय अपेक्षाओं को राजनीति और वोट के नज़रिये से ही देखा गया है। जहां ढेर सारी हिंसा हुई, नए राज्य उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना गठित कर दिये गए। वोट व दबाव की राजनीति वाली यह मानसिकता व्यवस्था व अनुशासन के लिए ठीक नहीं है। लोकतन्त्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। क्या केंद्र पहले की उपरोक्त मनोवृत्ति में परिवर्तन करेगा और लोकल को वोकल बनाने की स्वघोषित  नीति के प्रति गंभीर होगा? 
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निजीकरण के विरोध में कल सड़क पर उतरेंगे हजारों बिजली कर्मचारी, मशाल जुलूस निकालेंगें

Posted: 27 Sep 2020 08:14 AM PDT

कैलाश सिंह विकास वाराणसी

निजीकरण के विरोध में कल सड़क पर उतरेंगे हजारों बिजली कर्मचारी, मशाल जुलूस निकालेंगें


वाराणसी -27 सितंबर | विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वाहन पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती से जारी ज्ञापन दो अभियान के तहत आज भी बनारस में भी  निजीकरण के विरोध में संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल द्वारा सांसदों व विधायकों को बड़े पैमाने पर ज्ञापन देने का कार्यक्रम जारी रहा | इसी क्रम में वाराणसी में शिवपुर विधानसभा के विधायक एवं उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री अनिल राजभर जी, विधान परिषद के सदस्य श्री अशोक धवन जी, श्री केदारनाथ सिंह जी, वाराणसी नगर निगम की महापौर श्रीमती मृदुला जायसवाल जी को ज्ञापन दिया गया। संघर्ष समिति द्वारा माननीय मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री को संबोधित ज्ञापन में कहा गया है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किसी भी प्रकार से प्रदेश व आम जनता के हित में नहीं है । निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है जबकि पूर्वांचल निगम बिना भेदभाव के किसानों और गरीब वक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति कर रहा है। निजीकरण से महंगाई एवं बेरोजगारी भी पड़ेगी। निजीकरण का यह प्रयोग आगरा एवं ग्रेटर नोएडा में पहले ही विफल हो चुका है। सभी जनप्रतिनिधियों ने संघर्ष समिति की मांग को माननीय मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री से बात कर निजीकरण के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने हेतु प्रेषित करने का आश्वासन दिया | ज्ञापन दो अभियान महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर तक चलेगा। 

पूर्वांचल डिस्कॉम के निजीकरण के खिलाफ शहीद ए आजम भगत सिंह के जन्मदिन पर कल 28 सितंबर को वाराणसी सहित प्रदेश के सभी जनपदों और परियोजनाओं पर मशाल जुलूस निकाले जाएंगे। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि कल शाम 5 बजे से निजीकरण के विरोध में वाराणसी के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर व अभियंता मशाल जुलूस में शामिल होंगे जो प्रबंध निदेशक कार्यालय, भिखारीपुर से प्रारंभ होते हुए ककरमत्ता - नेवादा- सुंदरपुर - नरिया होते हुए मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा, बी एच यू गेट के सामने , लंका पर संपन्न होगा |  पदाधिकारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार द्वारा शांतिपूर्ण ध्यानाकर्षण आंदोलन के कारण यदि किसी कर्मचारी का उत्पीड़न किया गया या किसी कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया तो उसी क्षण तमाम बिजली कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे और सामूहिक जेल भरो आंदोलन प्रारंभ कर दिया जाएगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी ।

  प्रतिनिधि मंडल में सर्वश्री ई0 चंद्रेशखर चौरसिया, आर0के0 वाही, ए0के0 श्रीवास्तव,ई0नीरज बिन्द, राजेन्द्र सिंह, ई0 सुनील कुमार,विजय सिंह, वीरेंद्र सिंह,ई0जगदीश पटेल,जिउतलाल, संतोष वर्मा आदि पदाधिकारी सम्मिलित हुए।

 

हाथरस में दलित नाबालिग बेटी के साथ गैंग रेप की घटना घोर निन्दनीय: अजय कुमार लल्लू

Posted: 27 Sep 2020 07:34 AM PDT

लखनऊ ब्यूरो


हाथरस में दलित नाबालिग बेटी के साथ गैंग रेप की घटना घोर निन्दनीय: अजय कुमार लल्लू



लखनऊ 27 सितम्बर 2020।उत्तर प्रदेश में हो रहे सिलसिलेवार न थमने वाली गैंगरेप की घटनाएं अनवरत जारी है। जनपद हाथरस के बूलगढ़ी में विगत 14 सितम्बर को हुई दलित नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप व दरिन्दगी एवं जान से मारने के प्रयास की घटना ने उ0प्र0 को झकझोर कर रख दिया है। उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय कुमार लल्लू ने इस घिनौने काण्ड की घोर निन्दा करते हुए कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। हर रोज प्रदेश के तमाम जनपदों से हत्या, रेप, गैंगरेप और जघन्य अपराधों की तमाम घटनाएं समाचारपत्रों की सुर्खियां बन रही हैं। लचर कानून व्यवस्था और दोषियों पर तत्काल ठोस कार्यवाही न किये जाने से प्रदेश में ऐसे अपराधों की बाढ़ सी आ गयी है। मुख्यमंत्री जी अपराधियों पर सख्त कार्यवाही करने के बजाए अपनी टीम 11 द्वारा जुटाये गये झूठे तथ्यों के जरिये जनता को गुमराह कर रहे हैं।

प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि दो वर्ष की देरी से जारी एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार उ0प्र0 महिला अत्याचारों के मामले में विगत तीन वर्षों से देश में नम्बर एक पर बना हुआ है एवं अपराध महिलाओं एवं दलितों के प्रति घटने के बजाए लगातार बढ़ रहे हैं। साथ ही साथ दलितों के प्रति होने वाले 19 विभिन्न तरीके के अपराधों के मामले में भी उ0प्र0 देश में नम्बर एक पर है। उ0प्र0 में तीन साल की बच्ची से लेकर 70 साल की बुजुर्ग महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हो रही है। भदोही, लखीमपुर, सीतापुर, आजमगढ़, गोरखपुर, उन्नाव, शाहजहांपुर, कानपुर, सुलतानपुर आदि जनपदों में हुईं घटनाएं बताती हैं कि योगी सरकार में महिलाएं और बच्चियां किस कदर असुरक्षित है। 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि स्थानीय कांग्रेसजन लगातार इस मामले को लेकर घटना के दिन से ही पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने व आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए आन्दोलनरत थे। अभी भी कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी पुलिस नहीं कर रही है। प्रदेश की योगी सरकार में दलितों और पिछड़ों के उत्पीड़न की घटनाओं में निरन्तर बढ़ोत्तरी हो गयी है। सिर्फ कागजों पर दलित, पिछड़ों के प्रति प्रेम दर्शाती रहती है। सच्चाई ठीक इसके विपरीत है। उ0प्र0 में आज दलित, पिछड़ों का उत्पीड़न नये-नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

 अजय कुमार लल्लू ने कहा कि हाथरस की दलित नाबालिग बेटी को प्रदेश सरकार समुचित न्याय दिलाने के क्रम में सबसे पहले अलीगढ़ मेडिकल कालेज से एयरलिफ्ट कराकर नई दिल्ली स्थित एम्स में समुचित इलाज कराने की व्यवस्था सुनिश्चित करे। इसके साथ ही तत्काल पीड़ित परिजनों केा 50 लाख रूपये आर्थिक अनुदान प्रदान करने व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे।   

एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं के प्रेरणा स्रोत हैं- स्वतंत्र देव सिंह

Posted: 27 Sep 2020 07:23 AM PDT

लखनऊ ब्यूरो

एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं के प्रेरणा स्रोत हैं- स्वतंत्र देव सिंह

लखनऊ 27 सितम्बर 2020, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री स्वतंत्र देव सिंह ने रविवार को कहा कि एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं के प्रेरणा स्रोत हैं। पंडित दीनदयाल जी ने जो विचारधारा थी उसी पर चलते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं में सेवा भाव की संस्कृति विकसित हुई। श्री स्वतंत्रदेव सिंह जी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा सरकार ने पिछले 6 वर्षों में पंडित दीनदयाल जी के अंत्योदय के सिद्धांत के आधार पर चलते हुए सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास को मूल मंत्र बना कर समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं को पहुंचाने का काम किया है। श्री सिंह ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की चर्चा करते हुए कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता में सभी के सुख की चिंता होती है। इस योजना का उद्देश्य 130 करोड़ देशवासियों को आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने कहा राज्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार की योजना भी गांव गरीब किसान और जन-जन के कल्याण को समर्पित है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने रविवार को वर्चुअल वेबिनार में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के व्यक्तित्व कृतित्व पर चर्चा करते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प लेकर आजमगढ़ के नागरिकों व कार्यकर्ताओं के साथ संवाद किया। पार्टी द्वारा आयोजित किये जा रहे जिला स्तरीय वर्चुअल संवाद के दूसरे दिन आज प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने आगरा महानगर व डा. दिनेश शर्मा ने वाराणसी महानगर के वर्चुअल वेबिनार के माध्यम से सम्बोधित किया। पार्टी के पदाधिकारियों, राज्य सरकार के मंत्रियों व अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी आज जिला स्तर पर आयोजित वेबिनार को सम्बोधित किया।  
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि पंडित दीनदयाल जी ने हमेशा राष्ट्र को राजनीतिक नहीं सांस्कृतिक इकाई माना लेकिन राजनीतिक रूप से वह राष्ट्रीय अखंडता के प्रबलतम समर्थक रहे। उनके सपने को साकार करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में माननीय अमित शाह जी ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को समाप्त करने का काम किया और दशकों से विकास की राह देख रहे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के लिए शांति,न्याय और समृद्धि का मार्ग खुला। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में सरकार ने यशस्वी व तेजस्वी प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में कड़े और बड़े फैसले लेकर करोड़ो देशवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति की है। जिन कामों की हमारे बड़े-बुजुर्ग पिछले 70 वर्षों से सिर्फ कल्पना कर सकते थे वह काम पिछले एक वर्ष में पूरी मजबूती के साथ किए गए है, फिर चाहे वह धारा 370 समाप्त करना हो प्रभु श्रीराम जी के मंदिर का निर्माण कार्य आरम्भ हुआ, नागरिकता संशोधन कानून हो, ट्रिपल तलाक की प्रथा को खत्म करना हो। सभी फैसले आदरणीय मोदी जी की मजबूत इच्छाशक्ति और इरादों के कारण लिए जा सके।  यह फैसले भारत के इतिहास में हमेशा ही स्वर्णिम अक्षरों में लिखे जाएंगे। 
श्री स्वतंत्र देव सिंह ने आत्मनिर्भर भारत का जिक्र करते हुए कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज एवं आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की ऐतिहासिक घोषणा की थी और पण्डित दीनदयाल जी के ही दिखाए हुए मार्ग पर चलते हुए भावी भारत के संकल्पों को लेकर इस दृष्टि से 21वीं सदी को हिंदुस्तान की सदी बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस पैकेज की घोषणा के बाद से ही विविध आयामों को नई गति मिलना शुरू हुई। यह महामारी समस्त देशवासियों को जोड़ने का एक सन्देश लेकर आई है और कई नए अवसर भी।

कल 28 सितम्बर को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ महानगर में वर्चुअल वेबिनार के माध्यम से संवाद करेंगें

Posted: 27 Sep 2020 07:18 AM PDT

लखनऊ ब्यूरो

कल 28 सितम्बर को प्रदेश के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ  लखनऊ महानगर में वर्चुअल वेबिनार के माध्यम से संवाद करेंगें

लखनऊ 27 सितम्बर 2020, भारतीय जनता पार्टी द्वारा प. दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन और  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को लेकर जिला स्तर पर किये जा रहे संवाद के लिए आयोजित हो रहे वर्चुअल वेबिनार के तीसरे दिन कल 28 सितम्बर को प्रदेश के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ  लखनऊ महानगर में वर्चुअल वेबिनार के माध्यम से संवाद करेंगें। 
प्रदेश सरकार के मंत्री सूर्य प्रताप शाही मेरठ महानगर, राजेन्द्र प्रताप सिंह' मोती सिंह' हमीरपुर, स्वामी प्रसाद मौर्य कन्नौज, ब्रजेश पाठक रामपुर, सिद्धार्थ नाथ ंिसंह गोण्डा, श्रीकान्त शर्मा बिजनौर, सुरेश राणा अलीगढ महानगर, अशोक कटारिया अयोध्या महानगर, भूपेन्द्र चैधरी बहराइच, गिरीश यादव बाराबंकी, नीलकंठ तिवारी देवरिया, नीलिमा कटियार बस्ती, राष्ट्रीय मंत्री हरीश द्विवेदी पीलीभीत, प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक मुरादाबाद महानगर, सत्यपाल सिंह सैनी बरेली जिला, पद्म सिंह चैधरी महराजगंज, दयाशंकर सिंह चन्दौली, प्रदेश महामंत्री गोविन्द नारायण शुक्ला मथुरा महानगर, प्रदेश मंत्री शकुन्तला चैहान, पूनम बजाज कौशाम्बी, रामचन्द्र कनौजिया हापुड़, क्षेत्रीय अध्यक्ष शेष नारायण तिवारी हरदोई, क्षेत्रीय संगठन मंत्री प्रद्युम्न जी अम्बेडकर नगर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी नोएडा, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश त्रिवेदी बलिया, कामेश्वर सिंह मछलीशहर, जसवंत सैनी बदायूं, नवाब सिंह नागर फिरोजाबाद, अध्यक्ष समाज कल्याण निर्माण निगम वीएल वर्मा मुरादाबाद जिला के वर्चुअल वेबिनार को सम्बोधित करेंगे। 

जनता के आग्रह पर सांसद ने किया स्थलीय निरीक्षण

Posted: 27 Sep 2020 06:16 AM PDT

कृपा शंकर चौधरी ब्यूरो गोरखपुर

जनता के आग्रह पर  सांसद ने किया स्थलीय निरीक्षण

 लगभग  600  परिवार के  लोगों को हो रही आवगमन में असुविधा।


गोरखपुर 27 सितम्बर। गोरखपुर के सांसद रवि किशन ने रविवार को गोरखनाथ ओवर ब्रिज से सूरजकुण्ड ओवर ब्रिज के बीच तीसरी लाईन विस्तारीकरण के कारण आमजन को हो रही समस्या का स्थलीय निरीक्षण किया।

सांसद रवि किशन ने कहा कि लाइन विस्तारीकरण से मोहल्ले में हो रही समस्या 
 के निराकरण करने हेतु स्थल का निरीक्षण किया। स्थानीय नागरिकों ने  बताया  कि लाईन विस्तारीकरण के कारण गोरखनाथ ओवर ब्रिज से पश्चिम दक्षिणी पटरी पर निवास करने वाले 600 परिवार (लगभग 3000) लोगों का रास्ता लगभग बंद हो गया है आने जाने का कोई अन्य मार्ग न होने के कारण 600 घर के लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हो गये है। उल्लेखनीय है कि धर्मशाला से गोरखनाथ ओवर ब्रिज होते हुए गोरखनाथ को जाने वाली सड़क का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है उक्त रोड से सम्बन्धित जल निकासी एवं झूले लाल मंदिर क्षेत्र से सम्बन्धित जल निकासी इसी रोड से मिलने वाले बड़े नाले से होगा चूंकि बड़ा नाला पहले से ही जर्जर अवस्था में है इन दोनों नालों के पानी का बड़े नाले में मिलने से उक्त बड़ा नाला और भी क्षतिग्रस्त होकर ओवर फ्लो होने की आशंका है। धर्मशाला से डोमिनगढ़ को जाने वाली उक्त नाले में शहर का दो तिहाई हिस्से के घरों का पानी उसी नाले में गिरता है ऐसे में अगर दोनों नाले के साथ साथ जेपी हास्पिटल से सूर्यकुण्ड होते हुए डोमिनगढ़ तक बड़े नाले का नये सिरे से हियुम पाईप डालते हुए नाले का निर्माण नहीं किया गया तो भविष्य में पूरा शहर गंदे नाले के पानी मे डूब सकता है। इस सम्बन्ध में सदर सांसद मा0 रवि किशन शुक्ल जी द्वारा मौके पर ही रेल विभाग, नगर निगम, व पी.डब्लू.डी.-एन.एच. के अधिकारियों को संयुक्त रूप से इसके निराकरण करने के लिए निदेर्शित किया गया है। उन्होंने बताया कि उक्त कार्य का सर्वोच्च प्राथमिकता देना न्यायोचित होगा। जिससे 600 घरो को रास्ता व जल निकासी सुगमता से हो सके। निरीक्षण के दौरान महानगर के उपाध्यक्ष शशीकान्त सिंह, महामंत्री देवेश श्रीवास्तव, समाजसेवी पृथ्वी चन्द लाल साहब, श्याम जी पाण्डेय, शिवम पाण्डेय, शैलेष गौतम, संदीप कुमार, दीप चन्द, प्रेमनाथ, विजय कुमार, विशाल सैनी सांसद प्रतिनिधि समरेन्द्र विक्रम सिंह, नगर निगम के मुख्य अभियन्ता सुरेश चन्द्र, पी.डब्लू.डी.-एन.एच. अधिशासी अभियन्ता एम.के. अग्रवाल, पू0उ0 रेलवे के निर्माण संगठन के उपमुख्य इंजिनियर/सामान्य श्री सुभाष, अधिशासी अभियन्ता आर.के. सिंह, सि.से. अभियन्ता बृजेश कुमार मिश्रा व अन्य अधिकारी उपस्थित रहें।

बैंक में खाता से वंचित क्षेत्रवासियों का कैंप लगाकर निशुल्क खाता खोला

Posted: 27 Sep 2020 05:20 AM PDT

राकेश सिंह गोण्डा 


बैंक में खाता से वंचित क्षेत्रवासियों का कैंप लगाकर निशुल्क खाता खोला

बभनजोत गोण्डा-:आज रविवार को ग्राम सभा केशव नगर ग्रांट पश्चिमी में अशोक कुमार सिंह उर्फ "पप्पू भैया" के मार्गदर्शन में बंटी सिंह बिल्डिंग मैटेरियल केशव नगर ग्रांट पश्चिमी के  दुकान पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का कैम्प लगा कर खाता खोला गया जो एक दम नि:शुल्क था जहां पर करीब 40 ऐसे लोगो का खाता खोला गया जो की इस लाभ से बंचित थे जिसकी सूचना लोगो को एस. पी. सिंह विशेन ने ग्राम सभा के लोगो दिया था ।जहां पर अनुराग श्रीवास्तव ने लोगो को फोन व मोबाइल नंबर से बैंक में होने वाली धांधली के बारे में जनता को अवगत कराया जिसमे ग्राम सभा के पूर्व प्रधान श्री सत्यदेव सिंह, गोविंद प्रताप सिंह, ठाकुर सचिन सिंह, अजय सिंह, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, बंटी सिंह, रजत सिंह, विक्रम सिंह,भूपेंद्र सिंह,श्यामसुंदर, उत्कर्ष,हरिशंकर चौहान आदि लोग उपस्थित रहे।

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