प्राइमरी का मास्टर ● इन |
- विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों में लागू होगा समान पाठ्यक्रम, कमेटी गठित
- फतेहपुर : नीति आयोग के पांच करोड़ से होगा 54 विद्यालयों का कायाकल्प, जिलाधिकारी के प्रस्ताव को राज्य सरकार से मिली मंजूरी
- कानपुर विवि : बीएड व एमएड प्रथम वर्ष के 20 हजार छात्र छात्राएं होंगे प्रमोट
- कोविड ने बढ़ाई स्कूली बच्चों की स्मार्टफोन तक पहुंच, असर 2020 की रपट से हुआ खुलासा
- नहीं हो रही छात्रों की केवाईसी, अधर में छात्रों की छात्रवृति, पांच हजार शिक्षण संस्थानों ने नहीं कराया पंजीकरण
- मदरसा : पाठ्यक्रमों के नामों को लेकर विवाद की नौबत, अंकपत्र और प्रमाणपत्र में विरोधाभास।
- यूपी : बेसिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा को एक मंच पर लाने का सुझाव
- बदलेगा परिषदीय स्कूलों में पढ़ाने का तौर तरीका - स्कूल शिक्षा महानिदेशक
- फतेहपुर : कला, क्राफ्ट एवं पपेट्री के माध्यम से "शिक्षण संबंधी परिणाम" की सम्प्राप्ति से सम्बन्धित ऑनलाइन प्रतियोगिता के सम्बन्ध में
- फतेहपुर : चतुर्थ राज्य स्तरीय कहानी सुनाने की प्रतियोगिता के सम्बन्ध में
विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों में लागू होगा समान पाठ्यक्रम, कमेटी गठित Posted: 28 Oct 2020 07:10 PM PDT विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों में लागू होगा समान पाठ्यक्रम, कमेटी गठित प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में शैक्षिक सत्र 2021-22 से समान पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों के लिए न्यूनतम समान पाठ्यक्रम लागू करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस.गर्ग की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। प्रदेश के 16 राज्य विश्वविद्यालयों में अभी अलग-अलग पाठ्यक्रम संचालित है। न्यूनतम समान पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए गठित समिति में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेवी वैशंपायन, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रो. एनके. तनेजा और सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे को सदस्य बनाया है। प्रत्येक संकाय के लिए पांच सदस्यीय सुपरवाइजरी कमेटी भी गठित की गई है। |
Posted: 28 Oct 2020 07:00 PM PDT फतेहपुर : नीति आयोग के पांच करोड़ से होगा 54 विद्यालयों का कायाकल्प, जिलाधिकारी के प्रस्ताव को राज्य सरकार से मिली मंजूरी। फतेहपुर : जिला प्रशासन नगर पालिका क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों की सूरत बदलकर शैक्षिक व्यवस्था की सीरत बदलने की तैयारी में है। सूबे के पिछड़े हुए जनपदों में तेजी विकास कर चैंपियन ऑफ चेंज का खिताब पा चुके फतेहपुर जनपद को नीति आयोग से पांच करोड़ की धनराशि मिलनी है। इसी रकम से जिलाधिकारी संजीव सिंह ने नगर पालिका क्षेत्र के समस्त 54 परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्प कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। जिसे शासन ने मंजूरी दे दी है। टाइल्स लगी हुई फर्श, रनिंग वॉटर सप्लाई के साथ चमचमाते हुए शौचालय, हैंडवॉश की व्यवस्था, चारों ओर बाउंड्रीवाल, किचन, पेयजल की व्यवस्था, निःशक्त बच्चों के लिए रैंप और रेलिंग से लेकर ई-एजूकेशन के साथ हर वह सुविधा जो आपको बड़े बजट वाले प्राइवेट विद्यालयों में देखने को मिलेंगी, वह सारी सुविधाएं शहर क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक परिषदीय विद्यालय में मिलेंगी। गरीब घर के बच्चों को स्कूल में वह सुविधाएं मिल सकें। जो सामान्य घर के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में मुहैया कराई जाती हैं। जिलाधिकारी संजीव सिंह ने बताया कि शहरी क्षेत्र के स्कूलों का बजट के अभाव में कायाकल्प नहीं हो पाता है। इस कारण से नीति आयोग को शहर क्षेत्र के विद्यालयों का कायाकल्प कराने का प्रस्ताव भेजा गया है। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव को प्रदेश शासन से स्वीकृति मिल गई है और राज्य सरकार से प्रस्ताव केंद्र सरकार में नीति आयोग को भेजा गया है। ग्रामीण क्षेत्र आने वाले परिषदीय विद्यालयों में ग्राम पंचायतों के राज वित्त और चौदहवें वित्त से कायाकल्प हो जाता है। नगर क्षेत्र के विद्यालयों में बजट के अभाव में काम नहीं हो पाता। इसलिए नीति आयोग के फंड से शहरी क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्प कराए जाने का निर्णय लिया। इससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा। संजीव सिंह, जिलाधिकारी |
कानपुर विवि : बीएड व एमएड प्रथम वर्ष के 20 हजार छात्र छात्राएं होंगे प्रमोट Posted: 28 Oct 2020 06:42 PM PDT कानपुर विवि : बीएड व एमएड प्रथम वर्ष के 20 हजार छात्र छात्राएं होंगे प्रमोट कानपुर : छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय परिसर व संबद्ध महाविद्यालयों में पढ़ने वाले बीएड व एमएड प्रथम वर्ष के छात्र छात्रएं इस वर्ष प्रमोट किए जाएंगे। इसके लिए महाविद्यालयों से छात्र छात्रओं के आंतरिक परीक्षा के अंक मंगाए जाएंगे। उन अंकों को जोड़कर विश्वविद्यालय से संबद्ध 260 से अधिक बीएड व एमएड कॉलेजों प्रथम वर्ष के करीब 22 हजार छात्र छात्रओं को प्रमोट किया जाएगा। इन छात्र छात्रओं को प्रमोट करने के बाद इनका मूल्यांकन द्वितीय वर्ष की परीक्षा के आधार पर होगा। बीएड व एमएड द्वितीय व अंतिम वर्ष की परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर उन्हें औसत अंक देकर उनकी डिवीजन तय होगी। कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की अध्यक्षता में बुधवार को हुई परीक्षा समिति की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। कोरोना वायरस से बचाव के लिए हुए लॉक डाउन के कारण बीएड व एमएड प्रथम वर्ष की परीक्षा नहीं हो पाई थीं। पिछले सात माह से बीएड व एमएड प्रथम वर्ष के छात्र छात्रएं अगली कक्षा में जाने का इंतजार कर रहे थे। |
कोविड ने बढ़ाई स्कूली बच्चों की स्मार्टफोन तक पहुंच, असर 2020 की रपट से हुआ खुलासा Posted: 28 Oct 2020 06:39 PM PDT कोविड ने बढ़ाई स्कूली बच्चों की स्मार्टफोन तक पहुंच, असर 2020 की रपट से हुआ खुलासा लखनऊ : कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद होने से ऑनलाइन शिक्षा के तकाजे से स्कूली बच्चों की पहुंच स्मार्टफोन तक बढ़ी है। यह तथ्य बुधवार को जारी हुई ऐनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) की वर्ष 2020 की रिपोर्ट में उजागर हुआ है। सर्वेक्षित आयुवर्ग के बच्चों में 53.8 फीसद उन परिवारों के थे जिनके पास स्मार्टफोन है और ऐसे 54 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सितंबर के दौरान देश के 30 राज्यों व संघ शासित प्रदेशों में फोन के जरिये सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वेक्षण में उप्र के 2096 गांवों के 5912 परिवारों और पांच से 16 वर्ष के 7882 बच्चे भी शामिल थे। रिपोर्ट में पाया गया कि वर्ष 2018 की तुलना में 2020 में बच्चों की स्मार्टफोन तक पहुंच बढ़ी है। वर्ष 2018 में सरकारी स्कूलों के 19.8 फीसद और निजी स्कूलों के 38.9 फीसद बच्चों की पहुंच स्मार्टफोन तक थी। वर्ष 2020 में सरकारी स्कूलों के 44.9 फीसद और निजी स्कूलों में पढऩे वाले 64.2 फीसद बच्चों की स्मार्टफोन तक पहुंच थी। सर्वेक्षण अवधि के दौरान सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 61 फीसद बच्चों को वाट्सएप, 14 प्रतिशत को फोन कॉल के जरिये लर्निंग मैटीरियल मिला जबकि निजी स्कूलों के 83.6 प्रतिशत बच्चों को वाट्सएप और 6.4 प्रतिशत को फोन कॉल के जरिये शिक्षण सामग्री मुहैया करायी गई। |
Posted: 28 Oct 2020 06:38 PM PDT नहीं हो रही छात्रों की केवाईसी, अधर में छात्रों की छात्रवृति, पांच हजार शिक्षण संस्थानों ने नहीं कराया पंजीकरण। बार-बार चेतावनी के बाद भी पांच हजार से अधिक शिक्षण संस्थानों ने नहीं कराया पंजीकरण। प्रयागराज : शिक्षण संस्थाओं की उपेक्षा से हजारों अल्पसंख्यक छात्र छात्राओं के छात्रवृत्ति से वंचित होने का खतरा बन गया है। मंडलायुक्त और सीडीओ की बैठकों में लगातार चेतावनी के बावजूद पांच हजार से अधिक संस्थानों ने अभी तक केवाईसी ही अपडेट नहीं की है। जबकि, इसके लिए मात्र तीन दिन बचे हैं। केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक विभाग की प्री-मेट्रिक, पोस्ट मैट्रिक तथा मेरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति के लिए छात्र-छात्राओं की केवाईसी अपडेट कराना अनिवार्य है। इसके विपरीत नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर जिले के 6768 संस्थान रजिस्टर्ड हैं। इनमें से मात्र 1382 संस्थाओं ने ही केवाईसी अपडेट कराई है। इस तरह से 5387 शिक्षण संस्थानों ने केवाईसी अपडेट नहीं की है और इन स्कूल-कालेज के हजारों विद्यार्थियों के सामने छात्रवृत्ति के साथ आगे की पढ़ाई जारी रखने का संकट खड़ा हो गया है। जिला अल्पसंख्यक अधिकारी शिव प्रकाश तिवारी ने बताया कि छात्रवृत्ति के लिए केवाईसी अपडेट करने की आखिरी तारीख 31 अक्तूबर है। इससे पहले ऑनलाइन केवाईसी अपडेट करने के साथ डाटा विकास भवन स्थित कार्यालय में भी जमा करना है। |
मदरसा : पाठ्यक्रमों के नामों को लेकर विवाद की नौबत, अंकपत्र और प्रमाणपत्र में विरोधाभास। Posted: 28 Oct 2020 05:48 PM PDT मदरसा : पाठ्यक्रमों के नामों को लेकर विवाद की नौबत, अंकपत्र और प्रमाणपत्र में विरोधाभास। लखनऊ : उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों के नामों को लेकर विवाद की नौबत पैदा हो गई है। परिषद द्वारा संचालित मुंशी / मौलवी और आलिम के पाठ्यक्रमों की वार्षिक परीक्षा के बाद जो अंकपत्र और प्रमाण पत्र जारी किये गये उन पर मुंशी, मौलवी, आलिम के बजाए सीनियर सेकेण्ड्री अंकित किया गया। इस बदलाव की वजह से परिषद की परीक्षा में शामिल छात्र-छात्राओं के समक्ष कई दिक्कतें पैदा हो रही हैं। इस बाबत मदरसा शिक्षकों के संगठन आल इण्डिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महामंत्री वहीदुल्लाह खान ने परिषद के रजिस्ट्रार आर. पी. सिंह को एक पत्र भी लिखा है । पत्र में कहा गया है कि शासनादेश-विभागीय आदेश में स्पष्ट तौर पर माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा मुंशी, मौलवी को हाईस्कूल तथा आलिम के पाठ्यक्रम को इण्टर के बराबर दर्जा दिया गया है। 1995 के एक अन्य आदेश में कहीं भी सेकेण्ड्री या फिर सीनियर सेकेण्ड्री का जिक्र नहीं है । माध्यमिक शिक्षा का उक्त आदेश ही केंद्र अथवा राज्य सरकार के सभी विभागों, कालेजों और सभी राज्य या केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में उपलब्ध है। पत्र में कहा गया है कि कार्मिक विभाग द्वारा सभी विभागों को सेवाओं के संबंध में प्रमाण-पत्र की समकक्षता के लिए मुंशी, मौलवी को हाईस्कूल और आलिम को इण्टर के समकक्ष मानने के आदेश जारी किये गये हैं। आदेश में उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परीक्षा या प्रमाण पत्र में सेकेण्ड्री या हायर सेकेण्ड्री का कोई उल्लेख नहीं है। केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की 30 जनवरी 2009 और केंद्रीय कार्मिक विभाग के 23 फरवरी 2010 में सीबीएसई/ आईसीएसई की सेकेण्ड्री, हायर सेकेण्ड्री की समकक्षता मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परीक्षा मुंशी, मौलवी तथा आलिम को ही दी गयी है। अंक पत्र और प्रमाण पत्र में विरोधाभास उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा परीक्षाओं के नाम में बदलाव से परिषद द्वारा जारी वर्ष 2020 से पूर्व की परीक्षाओं के अंक पत्र और प्रमाण पत्र और वर्ष 2020 में जारी अंक पत्र व प्रमाण-पत्र में विरोधाभास की स्थिति पैदा हो गयी है। संगठन की ओर से इस बारे में शासन की ओर से स्पष्ट संशोधन आदेश जारी किये जाने की मांग की गयी है। ताकि मुंशी, मौलवी और आलिम की परीक्षाओं के अंक पत्र और प्रमाण पत्र, सेकेण्ड्री और हायर सेकेण्ड्री के समतुल्य हर विभाग या प्रतिष्ठान में मान्य किए जाएं। |
यूपी : बेसिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा को एक मंच पर लाने का सुझाव Posted: 28 Oct 2020 05:46 PM PDT यूपी : बेसिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा को एक मंच पर लाने का सुझाव लखनऊ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए गठित टास्क फोर्स ने प्रदेश में बेसिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा और प्राविधिक शिक्षा विभाग को एक मंच पर लाने का सुझाव दिया है। टास्क फोर्स ने स्नातक और स्नातकोत्तर में एक समान पाठ्यक्रम लागू करने और एकेडमिक क्रेडिट बैंक की स्थापना का सुझाव दिया है। बुधवार को उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित टास्क फोर्स की बैठक में शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर आए सुझावों पर मंथन किया गया। बैठक में उच्च शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा एवं व्यावसायिक शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षा को सहज, सरल, सर्वसुलभ एवं रोजगारपरक बनाने के लिए तैयार कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण किया गया। उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग ने स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम निर्धारण, प्रवेश प्रक्रिया तथा एकेडमिक क्रेडिट बैंक की स्थापना, कौशल विकास को उद्योगों से जोड़ने, संबद्धता की व्यवस्था समाप्त कर महाविद्यालयों को स्वायत्तता देने और नैक का मूल्यांकन पर सुझाव दिए। डॉ. निशी पांडेय ने बहुभाषोय विवि को स्थापना के लिए तैयार मसौदे का प्रस्तुताकरण दिया। बैठक में राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ. गिरीशचंद्र त्रिपाठी, प्राविधिक एवं व्यवसायिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव एस. राधा चौहान, माध्यमिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला उपस्थित थे। |
बदलेगा परिषदीय स्कूलों में पढ़ाने का तौर तरीका - स्कूल शिक्षा महानिदेशक Posted: 28 Oct 2020 05:42 PM PDT बदलेगा परिषदीय स्कूलों में पढ़ाने का तौर तरीका - स्कूल शिक्षा महानिदेशक लखनऊ : परिषदीय स्कूलों में अब बच्चों को पढ़ाने के तौर-तरीके में बदलाव देखने को मिलेगा। बच्चों को पढ़ाने के लिए पारंपरिक तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली पाठ्यपुस्तकों और हस्तपुस्तिकाओं का इस्तेमाल तो जारी रहेगा, लेकिन कक्षा एक से तीन तक के बच्चे भाषाई कौशल और गणितीय दक्षता सरलता और रुचिकर गतिविधियों के माध्यम से हासिल कर सकें, अब कक्षा शिक्षण में जोर इस पर होगा। इसके लिए स्कूलों और शिक्षकों को नई शिक्षण सामग्री भी मुहैया करायी जा रही है। स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने बताया कि शिक्षण संग्रह में पढ़ाने की तकनीक में वृद्धि के लिए जरूरी गतिविधियों का इस्तेमाल बताया गया है। |
Posted: 28 Oct 2020 09:00 AM PDT |
फतेहपुर : चतुर्थ राज्य स्तरीय कहानी सुनाने की प्रतियोगिता के सम्बन्ध में Posted: 28 Oct 2020 08:46 AM PDT |
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