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- बड़ी ख़बर : नेरचौक मेडिकल कालेज में 3 लोगों की कोरोना से मौत
- Free में यहां बदलें कटे-फटे नोट मिलेगा पूरा पैसा वापस
- बोर्ड परीक्षा में हिंदी में मिले 19 नंबर, जब सामने आई सच्चाई तो खुशी के साथ हुआ गम
- अगले सीजन में कौन होगा चेन्नै का कप्तान, जानिए CSK के सीईओ ने क्या कहा
- डाक विभाग में इन पदों पर निकली भर्तियां, जल्द करें आवेदन
- तमिलनाडु के ईंट भट्टों में कैद थे 6750 मज़दूर, 19 साल की लड़की की बहादुरी ने सबको बचाया
- एक किस्त में हर महीने कमाए 19 हजार रुपए, नहीं होगी पैसो की दिक्कत
- वाह! 80 साल की 'रोटी वाली अम्मा' के चेहरे पर मुस्कान, 2 बेटे छोड़ दिए तो लोगों ने मदद की
बड़ी ख़बर : नेरचौक मेडिकल कालेज में 3 लोगों की कोरोना से मौत Posted: 27 Oct 2020 10:32 PM PDT मंडी: श्री लाल बहादुर शास्त्री नेरचौक मेडिकल कालेज में तीन लोगों की सुबह ही कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से मौत हो गई है। इनमें से एक व्यक्ति भुंतर के समीप सचानी का 76 वर्षीय जगन्नाथ है, जबकि दूसरा मनाली के समीप सजला का 72 वर्षीय चांदु राम है। इसके अलावा मंडी जिला के धर्मपुर क्षेत्र के सजाओ पीपलू के भी एक बुजुर्ग 64 वर्षीय कश्मीर सिंह की कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई है |
Free में यहां बदलें कटे-फटे नोट मिलेगा पूरा पैसा वापस Posted: 27 Oct 2020 10:28 PM PDT आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इन नोटों को बदलने के लिए सुविधा भी दी है। जानकारी दें कि नोट की स्थिति के अनुसार इसका पूरा मूल्य या आधा मूल्य मिल सकेगा। जानिए कब और कैसे इन्हें बदला जा सकता है। तो अगर आपके पास पुराने या फिर फटे हुए नोट हैं। और वे नोटों को कोई भी दुकानदार नहीं ले रहा है तो ये खबर जरुर पढें। फटे-पुराने नोट को बैंक में जाकर बदलें आरबीआई की ओर से भी फटे-पुराने नोटों को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है, जिसके मुताबिक, ग्राहक बैंक में जाकर इस तरह के नोटों को चेंज करा सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमानुसार, हर बैंक को पुराने, फटे या मुड़े नोट स्वीकार करने होंगे बशर्ते वह नकली न हों। इसलिए आप आसानी से अपने पास वाले बैंक ब्रांच में जाकर नोट बदलाव सकते हैं। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। इसके साथ ही इसके लिए उस बैंक का ग्राहक होना भी जरूरी नहीं। बैंक चेक करता है नोट की कंडीशन आपको बता दें कि नोट बदलने बैंक के ऊपर निर्भर करता है कि वह बदलेगा या नहीं। इसके लिए कोई भी ग्राहक बैंक में जबरदस्ती नहीं कर सकता है। बता दें बैंक नोट लेते समय यह चेक करता है कि नोट को जानबूझकर तो नहीं फाड़ा गया है। इसके अलावा नोट की कंडीशन कैसी है। इसके बाद ही बैंक उसको बदलता है। अगर नोट नकली नहीं है और उसकी कंडीशन थोड़ी ठीक है तो बैंक उसको आसानी से बदल लेता है। नहीं बदला जा सकता इन नोटों को आपको बता दें कि कुछ स्थितियों में नोटों को बदला नहीं जा सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार, बुरी तरह जले हुए, टुकड़े-टुकड़े होने की स्थिति में नोटों को नहीं बदला जा सकता। इस तरह के नोटों को आरबीआई के इश्यू ऑफिस में ही जमा कराया जा सकता है। आपको बता दें आप इस तरह के नोटों से आप अपने बिल या टैक्स का भुगतान बैंकों में कर सकते हैं। इसके अलावा इस तरह के नोटों को बैंक में जमा कर आप अपने खाते की राशि को बढ़ा सकते हैं। आपको बता दें जिन भी नोट पर कोई संदेश लिखा हो या फिर किसी तरह का राजनैतिक संदेश लिखा हो उन नोटों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। |
बोर्ड परीक्षा में हिंदी में मिले 19 नंबर, जब सामने आई सच्चाई तो खुशी के साथ हुआ गम Posted: 27 Oct 2020 09:46 PM PDT फतेहपुर.माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) के परीक्षा परिणाम में बड़ी लापरवाही सामने आई हैं। जिस तरह बोर्ड परिणाम में खामियां सामने आ रही है उससे बोर्ड की साख भी खराब हो रही है। एक ऐसा ही मामला फतेहपुर के ढांढण गांव में एक छात्र के परिणाम को लेकर सामने आया है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा घोषित 12 वी विज्ञान परीक्षा में छात्र हेमंत शर्मा के 82.17 प्रतिशत अंक आये, लेकिन हिंदी विषय मे 80 में से 19 नंबर दे रखे थे। इसका नतीजा यह हुआ कि छात्र के प्रतिशत कम होने के चलते पसंद की कॉलेज में उसका प्रवेश नहीं हो सका। छात्र को परिणाम पर शंका होने के चलते आरटीआई से कॉपी मंगवाई। कॉपी देखी तो पूरे सिस्टम की पोल खुल गई। छात्र के जिस विषय मे मार्कशीट में बोर्ड ने 80 में से 19 नंबर दे रखे थे, कॉपी देखी तो उसमें 80 में से 65 नंबर थे। लेकिन बोर्ड की गलती के कारण छात्र का रिकॉर्ड खराब कर दिया। सरकारी स्कूल से दी परीक्षा, सबमें अच्छे अंक ढांढण गांव के सांवरमल शर्मा के बेटे का 12 विज्ञान में गांव की ही सरकारी स्कूल में दाखिला था। 12 विज्ञान में छात्र हेमंत शर्मा के 82.40 फीसदी अंक आए। हिंदी में छात्र के 100 में से 39 नंबर दे रखे थे। छात्र को अन्य विषय में तीन विषय मे 90 प्रतिशत से अधिक व एक विषय मे 87 अंक आए थे। ऐसे में छात्र को 90 फीसदी से अधिक अंक आने की पूरी उम्मीद थी। होनहार जयपुर के महाराजा कॉलेज में प्रवेश लेना चाहता था। लेकिन बोर्ड की गलती के कारण छात्र का प्रवेश नहीं हो सका। मार्कशीट में सत्रांक के साथ पहले 100 में से 39 नंबर थे वहीं बाद में 100 में से 85 नंबर हो गए। इससे छात्र के कुल नंबर 82.40 प्रतिशत से बढ़कर 91.60 प्रतिशत हो गए। हेमन्त शर्मा पढ़ाई में हमेशा से ही मेधावी था। 12 वी विज्ञान वर्ग में छात्र को गणित में 100 में से 100 नंबर आए हैं। इसके अलावा अंग्रेजी में 96, केमेस्ट्री में 90 व फिजिक्स में 87 नंबर आये हैं। बाद में हिंदी में भी 85 नम्बर हो गए। बोर्ड की गलती से नहीं हुआ प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रवेश बोर्ड की लापरवाही किसी छात्र का कैरियर कैसे प्रभावित कर देती हैं यह छात्र हेमंत शर्मा से ज्यादा कौन समझ सकता हैं। हेमंत शर्मा जयपुर में स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय की महाराजा कॉलेज में प्रवेश लेना चाहता था। छात्र को उम्मीद थी कि उसके 90 प्रतिशत से अधिक अंक आएंगे तो प्रवेश भी हो जाएगा। जब परिणाम आया तो बोर्ड की लापरवाही छात्र पर भारी पड़ गई। छात्र के हिंदी में कम नंबर होने की वजह से छात्र के परिणाम के समय 82.40 फीसदी अंक ही आये। ऐसे में उसका महाराजा कॉलेज में प्रवेश का सपना अधूरा रह गया। जब तक बोर्ड ने संशोधित परिणाम जारी किया तब तक प्रवेश प्रकिया पूरी हो चुकी थी। बोर्ड की छोटी सी गलती कितने बच्चों को करती होगी मायूस राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा परिणाम में इस तरह की गलतियां लगातार सामने आ रही हैं। लगातार गलफत सामने आने की वहज से हजारो विद्याथियों के अरमानों पर पानी फिर जाता हैं। लगातार लापरवाही के बाद भी बोर्ड इसमे सुधार नही कर रहा। नंबर कम आने के कारण विद्याथियों को प्रवेश नहीं मिलता व कइयों को दूसरे विषय लेने पड़ते हैं। इससे उन्हें मानसिक तनाव से भी गुजरना पड़ता हैं। पिछले वर्ष भी क्षेत्र की एक छात्रा के विज्ञान विषय मे कम नंबर आए तो उसे विज्ञान की जगह कला संकाय में प्रवेश लेना पड़ा। |
अगले सीजन में कौन होगा चेन्नै का कप्तान, जानिए CSK के सीईओ ने क्या कहा Posted: 27 Oct 2020 09:44 PM PDT चेन्नै सुपर किंग्स का आईपीएल में रेकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है। टीम ने जब भी इस लीग में भाग लिया वह प्लेऑफ तक जरूर पहुंची। लेकिन इस बाहर हालात अलग रहे। पहली बार चेन्नै अंतिम चार का हिस्सा नहीं होगी। रविवार को राजस्थान रॉयल्स ने जैसे ही मुंबई इंडियंस को हराया अंतिम चार में पहुंचने की धोनी आर्मी की उम्मीदें खत्म हो गईं। इस सीजन में चेन्नै अपने रंग में नजर नहीं आई। टीम टेबल में सबसे निचले पायदान पर रही। टीम के सीनियर साथी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए। खुद कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का बल्ला भी शांत रहा। धोनी ने 12 मैचों ने 199 रन ही बनाए। उनका स्ट्राइक रेट 118.45 का रहा। हालांकि आईपीएल का अगला सीजन सिर्फ 6 महीने दूर है। धोनी अभी 39 साल के हैं और उनके भविष्य को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। पूर्व भारतीय कप्तान, बेशक ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन चेन्नै के सीईओ काशी विश्वनाथन ने कहा है कि धोनी 2021 में भी टीम के कप्तान होंगे। विश्वनाथन ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'जी, बेशक मुझे पूरा विश्वास है कि धोनी 2021 में चेन्नै सुपर किंग्स की कप्तानी करेंगे। उन्होंने हमारे लिए तीन आईपीएल खिताब जीते हैं। यह पहली बार है कि हम प्लेऑफ के लिए क्वॉलिफाइ नहीं कर पाए हैं। किसी दूसरी टीम का प्रदर्शन ऐसा नहीं रहा है। एक खराब साल का अर्थ यह नहीं है कि हमें सब कुछ बदलने की जरूरत नहीं है।' उन्होंने कहा, 'इस साल हमने अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं किया। हम वे मैच हारे जो हमें जीतने चाहिए थे। इसी वजह से हम पिछड़ गए। सुरेश रैना और हरभजन सिंह और कैंप मे कोविड के से आने से हमारी टीम का संतुलन बिगड़ गया।' धोनी हालांकि 2021 में टीम की कमान संभालेंगे लेकिन यह तय है कि अगले सीजन में टीम बिलकुल नए रूप में होगी। कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने हाल ही में कहा कि टीम का दम निकल चुका है। अगले सीजन बड़ा ऑक्शन होता है या नहीं इस बात से इतर यह बात तय नजर आ रही है कि सुरेश रैना, हरभजन सिंह, केदार जाधव और पीयूष चावला उन खिलाड़ियों की लिस्ट में हैं जो अगले साल टीम का हिस्सा नहीं होंगे। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) के खिलाफ रविवार को टीम ने युवा खिलाड़ियों को मौका दिया और उम्मीद है कि बाकी दो मैचों में टीम युवाओं को मौका देकर उनकी क्षमताओं का आकलन करना चाहेगी। |
डाक विभाग में इन पदों पर निकली भर्तियां, जल्द करें आवेदन Posted: 27 Oct 2020 09:42 PM PDT भारतीय डाक विभाग ने महाराष्ट्र पोस्टल सर्किल में 1371 पदों पर भर्ती के लिए भर्तियां निकली हुई हैं. जिन 1371 पदों की रिक्तियां घोषित की गयी हैं, उनमें सबसे अधिक 1029 पद पोस्टमैन के हैं. वहीं 327 पद मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) के और 15 पद मेलगार्ड के हैं. इन पदों पर 10 नवंबर तक आवेदन किए जा सकते हैं. रिक्तियों का नोटिफिकेशन 29 सितंबर को जारी किया गया था और ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 5 अक्टूबर से शुरू होनी थी. हालांकि, महाराष्ट्र पोस्टल सर्किल ने बुधवार, 7 अक्टूबर को एक अन्य नोटिस के माध्यम से जानकारी दी कि 1371 पदों पर भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 12 अक्टूबर 2020 से हो रहे हैं. इन पदों के लिए 10 नवंबर की रात 11.59 बजे तक आवेदन किये जा सकेंगे. वहीं, हिमाचल पोस्टल सर्किल में 634 ग्रामीण डाक सेवकों की भर्ती और द्वारा कोलकाता मेल मोटर सर्विस में 19 स्किल्ड आर्टिसन की भर्ती की प्रक्रिया पहले ही चल रही है. अनिवार्य योग्यता पोस्टमैन और मेलगार्ड के लिए के लिए किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं पास होना जरूरी है. इसके साथ ही कंप्यूटर का वर्किंग नॉलेज होनी चाहिए. इसमें आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की आयु सीमा 3 नवंबर 2020 को 18 वर्ष से 27 वर्ष होनी चाहिए. वहीं मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) पदों के लिए उम्मीदवार किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं पास होना हो साथ ही कंप्यूटर का वर्किंग नॉलेज रखता हो. एमटीएस के लिए आयु सीमा 3 नवंबर 2020 को 18 वर्ष से 27 वर्ष है. |
तमिलनाडु के ईंट भट्टों में कैद थे 6750 मज़दूर, 19 साल की लड़की की बहादुरी ने सबको बचाया Posted: 27 Oct 2020 09:40 PM PDT COVID-19 के कारण लगे लॉकडाउन के बाद घर वापस जाने की उम्मीद खो चुके तमिलनाडु के ईंट-भट्टों में काम करने वाले मज़दूरों के लिए किसी उम्मीद की किरण की तरह बनकर आई 9 वर्षीय मानसी बरिहा. बलांगीर जिले के ईंट के भट्टे में फंसे मजदूरों में से एक थी मानसी. वह अपने पिता के साथ यहां फंसी थी. हर दिन 10 से 12 घंटे के दैनिक श्रम के लिए 250 रुपये की औसत मज़दूरी मिलती थी. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रपोर्ट के अनुसार, वह लॉकडाउन के बाद घर वापस जाना चाहती थी, मगर उसके मालिक ने बाकी मज़दूरों के साथ उसे भी जाने नहीं दिया. उसने शर्त रखी और कहा कि अपना टारगेट पूरा करने पर ही वह अपने घर वापस लौट सकती है. इस बात का मज़दूरों ने 18 मई को विरोध किया, तो मालिक ने आधी रात में उनपर जानलेवा हमला किया ऐर इस घटना में कई मज़दूर गंभीर रूप से घयाल हो गए. इस दौरान, मौका देखते ही मानसी ने मदद के लिए फ़ोन मिला दिया. मानसी ने कहा, "मैं अपने गांव में अपने कुछ रिश्तेदारों से मदद मांगी. मेरे एक परिचित ने एक संगठन से संपर्क किया, जिसने तुरंत तिरुवल्लूर ज़िला प्रशासन के साथ इस मुद्दे को उठाया और हमारी रिहाई के लिए काम किया." मानसी ने कहा, "स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची, हमें बचाया और घायल व्यक्तियों को अस्पतालों ले गई. हालांकि पुलिस ने एक गुंडे को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन ईंट भट्ठा मालिक मुन्नुसामी फ़रार होने में कामयाब रहा." एक सप्ताह के भीतर, स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने तिरुवल्लूर के 30 ईंट भट्ठों में कैद रखे गए 6,750 मजदूरों को बचाया. मज़दूर ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के थे. इस तरह मानसी की सूझ-बूझ और हिम्मत से इतने सारे मज़दूरों को मुक्ति मिली. |
एक किस्त में हर महीने कमाए 19 हजार रुपए, नहीं होगी पैसो की दिक्कत Posted: 27 Oct 2020 09:38 PM PDT भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) सबसे ज्यादा भरोसेमंद संस्था है। इसे देश भर में सबसे ज्यादा लोकप्रियता हासिल है। इसकी वजह यह है कि इसकी पॉलिसी में निवेश हर लिहाज से सुरक्षित होता है। सरकारी संस्था होने की वजह से यहां पैसा डूब नहीं सकता। LIC ने लांच की नई योजना, इंसेंटिव भी मिलेगा ये भी पढ़ें एलआईसी पॉलिसी में निवेश करना लोगों की पहली पसंद है। इसकी पॉलिसी में निवेश करने से एक्सीडेंट से लेकर किसी तरह के खतरे में जहां बीमा की सुविधा मिलती है। वहीं मेच्योरिटी पर रिटर्न भी अच्छा-खासा मिलता है। यही वजह है कि देश में ज्यादातर परिवारों ने लाइफ इन्श्योरेंस की कोई न कोई पॉलिसी जरूर ले रखी है। बता दें कि बीते दिन, एलआईसी ने एक नई पॉलिसी लॉन्च की है। यह पॉलिसी काफी फायदे वाली है। तो चलिए आपको इस पॉलिसी की खासियत के बारे में बता दें। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से खरीदें प्लान एलआईसी ने हाल ही में ग्राहकों के लिए एक खास प्लान शुरू किया था, जिसमें आप सिर्फ एक बार पैसा लगाकर जिंदगी भर कमाई कर सकते हैं। इस खास प्लान का जीवन अक्षय है। जिन भी लोगों को बुढ़ापे में पेंशन की चिंता रहती है उनके लिए ये बेस्ट प्लान है। इस प्लान को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से खरीदा जा सकता है। तो चलिए बता दें कि पॉलिसी के जरिए जिंदगी भर कमाई कैसे कर सकते हैं। जान लें क्या है एलआईसी का ये प्लान एलआईसी की इस पॉलिसी का नाम जीवन अक्षय-7 (प्लान नंबर 857) है। यह सिंगल प्रीमियम वाली नॉन-लिंक्ड, नॉन-पार्टिसिपेटिंग और पर्सनल एन्युटी स्कीम है। आपके जानकारी के लिए बता दें कि एलआईसी यह पॉलिसी 25 अगस्त, 2020 से शुरू हो चुकी है। पॉलिसी जारी होने के तीन महीने बाद लोन की भी सुविधा मिलती है। मतलब ये कि पॉलिसी होल्डर लोन भी ले सकेंगे। जानिए कैसे मिलेंगे 19 हजार रुपये महीना इस पॉलिसी में आप न्यूनतम 1,00,000 रुपये का निवेश कर सकते हैं वहीं अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। तो अगर आप इस पॉलिसी में एकमुश्त 4072000 रुपये का निवेश करते हैं तो हर महीने 19 हजार रुपये की पेंशन पा सकते हैं। इस प्लान को आप मंथली, 3 महीने, 6 महीने और एक साल की एन्युटी के मोड में खरीद सकते हैं। इसमें ग्राहकों को न्यूनतम 12 हजार रुपए एन्युटी मिल सकती है। कौन खरीद सकता हैं पॉलिसी यह प्लान खरीद मूल्य की वापसी के साथ जीवन के लिए तत्काल एन्युटी के विकल्प को छोड़कर 30 वर्ष से 85 वर्ष तक की आयु के लिए उपलब्ध है। पहले वाली स्थिति में यह सौ साल तक के लिए है। वहीं दिव्यांगजन (विकलांग आश्रित) को फायदा पहुंचाने के लिए भी योजना खरीदी जा सकती है। इस पॉलिसी में एक ही परिवार के दो वंशजों, एक ही परिवार के वंशजों (दादा-दादी, माता-पिता, बच्चे, नाती-पोते), पति-पत्नी या भाई-बहन के बीच ज्वाइंट लाइफ एन्युटी ली जा सकती है। पॉलिसी जारी होने के तीन महीने बाद या फ्री-लुक अवधि की समाप्ति के बाद (जो भी बाद में) कभी भी लोन सुविधा उपलब्ध होगी। क्या होती ही एन्युटी स्कीम किसी भी एन्युटी स्कीम में निवेश की गई रकम पर ब्याज लगाकर एक तय समय के बाद इनकम मिलती है। इसमें हर महीने इनकम हासिल की जा सकती है। इस तरह, एकमुश्त निवेश के बाद ऐसी योजनाओं में नियमित तौर पर एक निश्चित आय होती रहती है। |
वाह! 80 साल की 'रोटी वाली अम्मा' के चेहरे पर मुस्कान, 2 बेटे छोड़ दिए तो लोगों ने मदद की Posted: 27 Oct 2020 09:35 PM PDT आगरा के सेंट जोंस चौराहे के पास फुटपाथ पर खाना बेचने वाली 80 साल की भगवान देवी के चेहरे पर मुस्कान आ गई है. पिछले 20 साल से 'रोटी वाली अम्मा' के नाम से प्रसिद्ध अम्मा चूल्हे पर पोटी सेंककर बेचती आ रही हैं. लेकिन, अब वहां एक बढ़िया ठेला लग चुका है. सिर पर पन्नी की जगह स्टील की छत लग गई है. वहीं पंखा भी लग गया है. अम्मा अब प्लास्टिक के स्टूल पर बैठकर रोटी सेंक रही हैं. मिट्टी के चुल्हे की जगह गैस चुल्हे ने ले ली है. इन सबके बाद अम्मा के चेहरे पर जो मुस्कान दिख रही है, वह सुकून देने वाला है और बताता है कि सोशल मीडिया की ताकत किस तरह चेहरे पर मुस्कान ला सकती है. अम्मा के अकाउंट में पीएम स्वनिधि योजना के तहत 10 हजार रुपये आ चुके हैं. कई लोगों ने आर्थिक मदद की है. इतना ही नहीं अम्मा के हाथ का खाना खाने के लिए वहां भीड़ लग गई. अम्मा ने भी लोगों को शुक्रिया कहा है. बता दें कि अम्मा के दो बेटे हैं, लेकिन दोनों उनसे अलग हो गए हैं. पति की मौत के बाद वह वहीं फूटपाथ पर चूल्हा जलाकर अपनी रोजी-रोटी चला रही है. लोग उन्हें रोटी वाली अम्मा कहते हैं. |
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