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Tuesday, July 28, 2020

जनवादी पत्रकार संघ

जनवादी पत्रकार संघ


*रंगमंच* प्रतिमा दुबे अभिलाषी की कलम से

Posted: 28 Jul 2020 08:47 AM PDT




💐💐रंगमंच💐💐

हर किरदार में नया ही चेहरा है
यह रंगमंच तो बड़ा सुनहरा है
यहां हार है जीत है भय है प्रीत है
रोज एक नई कहानी है
रोज एक नया सवेरा है
💥💥💥💥💥💥

जीवन मैं विचारों का
हर समय लगता मेला है
कठपुतलियों के शहर में
यहां हर इंसान अकेला है।
हर किरदार में नया चेहरा है
यह रंगमंच तो बड़ा सुनहरा है।
💥💥💥💥💥💥💥💥💥

अनुभवों से भरा ये मन
कहता है मुझसे यह
अभिनय करती हुई
कठपुतलियों का
अलग ही मुखौटा है
हर किरदार में नया चेहरा है
यह रंगमंच तो बड़ा सुनहरा है।
💥💥💥💥💥💥💥,💥💥

फिर कोई अभिनय नया
फिर कोई नई कहानी है
ये दुनिया तो बेगानी है
अंतर्मन में उठे यही भवर
हर किरदार में नया चेहरा है
यह रंगमंच तो बड़ा सुनहरा है।
💥💥💥💥💥💥💥💥💥
प्रतिभा दुबे "अभिलाषी"
ग्वालियर ( मध्प्रदेश)

*जनता की ताकत का महत्व बताना है चुन-चुन के इन गद्दारों को सबक सिखाना है- विभा बिंदु डागौर*

Posted: 28 Jul 2020 08:11 AM PDT



भिंड/आज मेहगांव विधानसभा के कांग्रेस आईटी सेल की बैठक अथर्वा इंटरनेशनल स्कूल प्रांगण में आयोजित की गई।
कार्यक्रम मे मुख्य भूमिका राहुल सिंह भदोरिया जी की रही बैठक को कांग्रेस आईटी सेल की ग्वालियर - चंबल की प्रभारी श्रीमती विभा बिंदु डांगौर जी प्रमुख रूप से उपस्थित रही ने संबोधित किया। इस मौके पर श्रीमती विभा बिंदु डांगौर ने सभी कार्यकर्ताओं संबोधित करते हुए सोशल मीडिया की ताकत को पहचानते हुए इन सभी जयचन्दों की गद्दारी की सच्चाई सोशल मीडिया पर आम जनता के सामने लानी है। इसके अलावा आईटी सेल को बूथ स्तर तक ले जाने पर भी विस्तृत चर्चा की गई।

इस मौके पर.. प्रदेश प्रवक्ता राम पांडेय व जिला प्रवक्ता अजीत परमार , राहुल सिंह भदौरिया, ग्वालियर आईटी सेल जिला अध्यक्ष तरुण यादव, भिंड आईटी सेल अध्यक्ष शिशुपाल सिंह भदौरिया,, अश्विन अगरिया ,आशुतोष शर्मा, राघवेंद्र शर्मा, शिवशंकर सिंह भदौरिया, गोविन्द भदौरिया, मनीष शिवहरे, विधानसभा अध्यक्ष संदीप सिंह, संजीव टैगोर, शैलेन्द्र सिंह, बघेल, आकाश, संजय खान, जयप्रताप सिंह, निशांत जाटव, सलमान मंसूरी, विकास यादव,केपी भदौरिया, अभिषेक, पंकज परमार, गौतम भदौरिया, शिवम सोलंकी, डब्बू पंडित, गोल्डी, अजय उपाध्याय,- हृदेश गौतम, राज प्रताप सिंह, सोनू नागर,

पंजाब विशेष/ संवाददाता मनोज शर्मा की रिपोर्ट

Posted: 28 Jul 2020 03:17 AM PDT

#ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ_ਬਰਨਾਲਾ ਦੇ #ਕੁਤਬਾ ਦਾ ਫੌਜੀ ਜਵਾਨ #ਚੀਨ ਸਰਹੱਦ 'ਤੇ ਸ਼ਹੀਦ
ਪੰਜਾਬ (ਮਨੋਜ ਸ਼ਰਮਾ) ਚੀਨ ਦੀ ਸਰਹੱਦ 'ਤੇ ਤਾਇਨਾਤ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਬਰਨਾਲਾ ਦੇ ਪਿੰਡ ਕੁਤਬਾ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਇਕ ਜਵਾਨ ਦੇ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋਣ ਦਾ ਪਤਾ ਲੱਗਿਆ ਹੈ। ਪ੍ਰਾਪਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਅਨੁਸਾਰ ਮਜ਼ਦੂਰ ਪਰਿਵਾਰ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਸਤਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ (20) ਪੁੱਤਰ ਅਮਰ ਸਿੰਘ ਵਾਸੀ ਕੁਤਬਾ (ਬਰਨਾਲਾ) ਬੀਤੀ 22 ਜੁਲਾਈ ਨੂੰ ਚੀਨ ਦੀ ਸਰਹੱਦ 'ਤੇ ਗਸ਼ਤ ਦੌਰਾਨ ਇਕ ਲੱਕੜ ਦੇ ਪੁਲ਼ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਪੈਰ ਤਿਲਕਣ ਕਾਰਨ ਦਰਿਆ ਵਿਚ ਰੁੜ ਗਿਆ, ਉਸ ਦੇ ਨਾਲ ਇਕ ਸਾਥੀ ਜਵਾਨ ਲਖਵੀਰ ਸਿੰਘ ਜੋ ਮੋਗਾ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਹੈ, ਵੀ ਸੀ। ਦੋਵੇਂ ਫੌਜੀ ਜਵਾਨ ਇਕ ਦੂਸਰੇ ਨੂੰ ਬਚਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਇਸ ਹਾਦਸੇ 'ਚ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋ ਗਏ। ਫੌਜ ਵਲੋਂ ਦੋਵਾਂ ਦੀ ਭਾਲ਼ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ, ਸਰਚ ਆਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਦੌਰਾਨ ਲਖਵੀਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮ੍ਰਿਤਕ ਦੇਹ ਮਿਲ ਗਈ, ਜਦਕਿ ਕੁਤਬਾ ਦੇ ਸਤਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਭਾਲ ਅਜੇ ਜਾਰੀ ਹੈ। ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਪੀੜਤ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਨਾਲ ਦੁੱਖ ਸਾਂਝਾ ਕਰਦਿਆਂ ਇਸ ਹਾਦਸੇ 'ਚ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋਏ ਦੋਵੇਂ ਭਾਰਤੀ ਫ਼ੌਜੀਆਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਹ-ਪੰਜਾਹ ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਐਕਸਗ੍ਰੇਸ਼ੀਆ ਗਰਾਂਟ ਅਤੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਇਕ-ਇੱਕ ਜੀਅ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰੀ ਨੌਕਰੀ ਦੇਣ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਹੈ

युवा नेतृत्व के दम पर ही सुमावली में होगा विकाश।

Posted: 27 Jul 2020 11:45 PM PDT

 
युवा नेतृत्व के रूप में उभर रहे हैं वीर प्रताप सिंह सिकरवार ।                                             मुरैना -चंबल /. सुमावली विधानसभा की जर्जर हालत से तो आप सभी वाकिफ है ही। सुमावली विधानसभा एक ऐसी विधानसभा है जहां नेताओं ने सिर्फ अपने फायदे के लिए जनता के वोटों का गलत इस्तेमाल किया सीधे तौर पर कहा जाए तो नेताओं ने हर बार जनता को गुमराह करके जनता के वोट हासिल करके सिर्फ उन्हें अंधकार में रखा और अपने ही बारे में सोचा। लेकिन कोई भी ऐसा नेता नहीं बना किसने जनता के भले हेतु उनकी मूलभूत सुविधाओं को जनता तक पहुंचाना जरूरी समझा हो या फिर जन हितैषी नीतियों को लेकर कोई बड़ा जन आंदोलन कारित किया हो।। इन्हीं सब मामलों को संज्ञान में लेते हुए हमने सुमावली विधानसभा के युवा नेता वीर प्रताप सिंह सिकरवार से संपर्क साधा और उनके बारे में जानकारी ली कि वह सुमावली विधानसभा के बारे में राजनीतिक विषय पर क्या मानते हैं क्या क्या कुछ कहते हैं वीर प्रताप सिकरवार ने हमारे खबरनवीस को बतलाया के वर्तमान में प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य कांग्रेस के पद पर कार्यरत हूं पूर्व में जिला अध्यक्ष एनएसयूआई मुरैना के पद पर भी रह चुका हूं।
हमारा अभियान है कि स्वच्छ सुमावली- स्वस्थ सुमावली अभियान जो सैकड़ों युवाओं के साथ हम चला रहे हैं वह हमारा सपना जल्द साकार हो और सुमावली विधानसभा मध्य प्रदेश के पटल पर एक उत्कृष्ट विधानसभा के रूप में उभरे उक्त अभियान पर हम कार्य कर रहे हैं। मेरी अध्यक्षता में यह अभियान जारी है मैं मूलतः सुमावली विधानसभा का ही निवासी हूं मेरे पूर्वज सुमावली विधानसभा के ही बाशिंदे हैं सुमावली विधानसभा मेरा घर है। सुमावली की हर समस्या के सक्षदर्शी अपने सैकड़ों युवा साथियों के साथ जनसेवा का जज्बा लेकर चाहे सूखे की समस्या हो या ओलावृष्टि का सवाल हो या कोई अन्य प्राकृतिक आपदा हो हर समय जनसेवा को तत्पर रहने वाले वीर प्रताप सिंह सिकरवार ने अभी हाल ही में कोरोनावायरस महामारी से आई आपदा के दौरान अपने सैकड़ों साथियों के साथ विधानसभा के प्रत्येक गांव में रसद सामग्री मास्क सैनिटाइजर जन अभियान के रूप में मुहिम चलाकर जरूरतमंद  प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाया। और लोगों के बीच  जाकर उनकी समस्याएं सुनी  और उनके  हर संभव समाधान का प्रयास किया  जो काबिले तारीफ है                    
      उन्होंने  अपनी कांग्रेस में बढ़ती राजनीतिक सक्रियता के बारे में बताते हुए कहा  चूंकि बिना राजनीति के या राजनैतिक हस्तक्षेप के  किसी भी समस्या का समाधान संभव नहीं है इसलिए मेने छात्र जीवन से ही राजनैतिक गतिविधियों में अपनी सक्रियता बढ़ाई और nsui के जिलाध्यक्ष  पद पर रहते हुए मेरे द्वारा छात्रों की हर समस्या और  क्षेत्र की समस्या को लेकर काफी संघर्ष और जन आंदोलन किए गए ।                                   हम जिस लक्ष्य को लेकर  चले हैं  स्वक्ष  सुमावली - स्वस्थ सुमावली  विधानसभा  इस पर हम प्रतिबद्ध हैं  और इसके लिए हमारा अभियान जारी रहेगा सुमावली विधानसभा  मैं अभी भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है  विधानसभा में  कोई भी बड़ा अस्पताल नहीं है  विधानसभा के  बड़े बड़े गांव में भी  पानी की निकासी की समस्या है बरसात के समय लोगों का निकलना तक दूभर हो जाता है रेलवे स्टेशन सुमावली और बस स्टैंड सुमावली के समीप गंदगी का अंबार देखकर शहर से अंदाजा लगाया जा सकता है के कैसा नारकीय जीवन यहां के बाशिंदे जी रहे हैं  जब विधानसभा मुख्यालय की यह हालत है  तो विधानसभा के अन्य गांव की स्थिति का सहर्ष
 अंदाजा लगाया जा सकता है सुमावली के वर्तमान जनप्रतिनिधि ने कभी भी सुमावली को लेकर कोई ठोस प्लानिंग नहीं की है केवल उन्होंने हर समय अपना राजनैतिक उल्लू साधने का कार्य किया है ऐसा उनके कार्यों से प्रतीत होता है पूर्व में भी वह दल -बदल कर चुके हैं और अब जिन नेताओं पर कांग्रेस आलाकमान अपना भरोसा जताने जा रही है उन दलबदलू नेताओं से भी आलाकमान को सतर्क रहने की जरूरत है कांग्रेस आलाकमान को यह भी ध्यान देना होगा कि विधानसभा में टिकट वितरण के समय कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता को ही तवज्जो दी जाए । यदि कांग्रेस आलाकमान द्वारा मुझे मौका दिया जाता है तो मैं पूरे योजनाबद्ध तरीके से विधानसभा के हरसंभव विकास के लिए कार्य करूंगा और स्वच्छ सुमावली- स्वस्थ सुमावली के अभियान को साकार रूप प्रदान करेंगे और क्षेत्र के विकास के लिए अहम भूमिका निभाऊंगा।।                           प्रस्तुति नरेंद्र सिंह सिकरवार

संपादकीय/*क्या 'हर्ड इम्यूनिटी' की बात भी बेमानी?*

Posted: 27 Jul 2020 07:38 PM PDT


*०प्रतिदिन* -राकेश दुबे
२८ ०७ २०२०
*क्या 'हर्ड इम्यूनिटी' की बात भी बेमानी ?*
"कोरोना काल के पहले दिन से 'हर्ड इम्यूनिटी' की बात चल रही है | कुछ विशेषज्ञ दावा करते थे कि आबादी के बड़े हिस्से के वायरस से संक्रमित होने पर लोगों में सामुदायिक इम्यूनिटी उत्पन्न हो जाएगी और वायरस का प्रकोप कम हो जाएगा|" इसकी सम्भवना कम है, लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन से जाहिर है कि तथाकथित हर्ड इम्यूनिटी का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल ही नहीं, असंभव है। पत्रिका ने स्पेन में कोरोना वायरस पर किए गए एक अध्ययन के हवाले से लिखा है कि सिर्फ पांच प्रतिशत लोगों में ही वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी उत्पन्न हुई। यानी आबादी के ९५ प्रतिशत हिस्से पर अब भी वायरस का खतरा बरकरार है। वैसे हर्ड इम्यूनिटी उस समय हासिल होती है जब आबादी का बड़ा हिस्सा वायरस या बैक्टीरिया से संक्रमित होता है अथवा उसे वैक्सीन दी जाती है।
यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने कहा है कि हर्ड इम्यूनिटी के विचार को परखने के लिए स्पेन में किया गया अध्ययन बड़े स्तर पर हुआ है। इसमें करीब ६१०००० लोगों को शामिल किया गया। इससे पहले कुछ यूरोपीय देशों में इस विषय पर छोटे- मोटे अध्ययन हो चुके हैं। इससे पहले लैंसेट ने अपने ११ जून के अंक में जिनेवा में २७६६ लोगों पर किए गए एंटीबॉडी अध्ययन का ब्योरा छापा था। चीन और अमेरिका में भी इस तरह के अध्ययन हुए हैं। इन सभी अध्ययनों का मुख्य निष्कर्ष यही है कि आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा वायरस के संपर्क में नहीं आया है। इन अध्ययनों में वे क्षेत्र भी शामिल हैं जहां वायरस व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है।
जिनेवा सेंटर फॉर इमर्जिंग वायरल डिजीज की प्रमुख इसाबेल एकरल और यूनिवर्सिटी ऑफ जिनेवा के वायरोलॉजिस्ट बेंजामिन मेयर ने लैंसेट में अपनी टिप्पणी में कहा है कि नए अध्ययनों की रोशनी में कुदरती संक्रमण से हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने का विचार अनैतिक है और विनाशकारी प्रभावों के बगैर ऐसे लक्ष्य को हासिल करना नामुमकिन है। डॉक्टर अभी यह तय नहीं कर पाए हैं कि वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी किस हद तक और कितने समय तक व्यक्ति का बचाव करेगी। अभी यह भी नहीं कहा जा सकता कि एंटीबॉडी की मौजूदगी से व्यक्ति दोबारा संक्रमित नहीं होगा। स्पेन में अध्ययन अप्रैल में शुरू हुआ था। तब वहां बहुत ही कड़ा लॉकडाउन था। स्पेन में किए गए अध्ययन का निष्कर्ष उन सभी देशों के लिए महत्वपूर्ण है जो इस समय वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित हैं। स्पेनी अध्ययन की प्रमुख लेखक मैरीना पोलान ने कहा कि कुछ विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि ६० प्रतिशत लोगों में वायरस रोधी एंटीबॉडी उत्पन्न होने से हर्ड इम्यूनिटी हासिल हो जाएगी। एक अन्य अनुमान के अनुसार हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने के लिए ७० से ९० प्रतिशत लोगों में इम्यूनिटी होनी चाहिए। हम अभी इस संख्या से काफी दूर हैं।
इस बीच, एक अध्ययन से एक विचलित करने वाली बात यह सामने आई है कि कोविड-१९ के खिलाफ इम्यूनिटी कुछ ही महीनों के बाद गायब हो सकती है। दूसरे शब्दों में, एक बार बीमार होने वाला व्यक्ति दोबारा सामान्य खांसी-जुकाम की तरह कोविड की चपेट में आ सकता है। किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने ९० मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों के इम्यून रेस्पांस का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। इस खोज से सामुदायिक इम्यूनिटी के विचार को धक्का लगा है। किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि मरीज में लक्षण दिखने के बाद शरीर में एंटीबॉडी का स्तर शीर्ष तक पहुंचा लेकिन इसके बाद उसमें गिरावट शुरू हो गई। इस अध्ययन की प्रमुख लेखक डॉ. कैटी डूरेस ने कहा कि लोग वायरस के खिलाफ समुचित एंटीबॉडी उत्पन्न कर रहे हैं लेकिन समय के साथ एंटीबॉडी का स्तर धीरे -धीरे कम होने लगता है। जो व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार होते हैं, वे सबसे ज्यादा एंटीबॉडी उत्पन्न करते हैं। उनमें एंटीबाडी का स्तर ज्यादा समय तक बना रहता है।इस अध्ययन से एक बात साफ है कि वैक्सीन भी स्थायी सुरक्षा नहीं प्रदान कर सकती। व्यक्ति को हर साल वैक्सीन की नई डोज देनी पड़ेगी।

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