जनवादी पत्रकार संघ |
- परिणाम प्रकाशन
- *भाजपा कितनी भी खरीद फरोख्त कर ले,उपचुनाव में उसके मंसूबे पूरे नहीं होंगे *-अरुण यादव
- जान बचाने की जंग में, माली हालात भी सुधार लेंगे
Posted: 24 Jul 2020 05:05 AM PDT जनवादी परिचर्यम साहित्य संघ मध्यप्रदेश (शासकीय पंजीकृत) के तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय साझा काव्य संकलन "ई-पत्रिका" शीर्षक: मेरे देश की धरती माह जुलाई 2020 सत्र 2020 हेतु विभिन्न रचनाकारों द्वारा उत्कृष्ठ, देशभक्तियुक्त एवं अनुपम रचनाएँ प्राप्त हुई । उक्त रचनाकारों की रचनाओं को राष्ट्रीय साझा काव्य संकलन मासिक "ई-पत्रिका" शीर्षक: मेरे देश की धरती माह जुलाई 2020 में प्रकाशित किया गया है एवं उन सभी रचनाकारों को संघ की तरफ से ई-पत्रिका हेतु रचना प्रेषित करने पर प्रशस्ती पत्र द्वारा सम्मानित किया जावेगा I पत्रिका आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है, पत्रिका का सृजन व अवलोकन करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:- Link https://online.fliphtml5.com/uwcnc/cdpr/?1595575641808 निम्न रचनाकारों द्वारा पत्रिका हेतु भाव प्रकट किये गए, जिसके लिए संघ आप सभी का हार्दिक धन्यवाद् करता है :- 1. नेहा अजय जैन ललितपुर 2. विनोद कुमार 'जोगी' महासमुंद 3. डॉ. अपराजिता सुजॉय नंदी रायपुर छत्तीसगढ़ 4. उषा साहू छतीसगढ़ 5. बाबूराम सिंह कवि बिहार 6. विभा प्रकाश लखनऊ 7. डी. ए. प्रकाश खांडे अनूपपुर 8. स्वाति सिंह इंदौर 9. मंजू भारती फौजदार अलीगढ़ उ प्र 10. तुषारिका शुक्ला, शिवपुरी 11. डॉ केके शर्मा अजमेर राजस्थान 12 डॉ शेख अब्दुल वहाब, तमिलनाडु 13.रूपा व्यास,'परमाणु नगरी'रावतभाटा,जिला-चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) 14. प्रियंका गुप्ता झांसी 15 पंचाल मनोजकुमार रमणलाल 'मन' - गुजरात 16. अनिल धवन सिरसा 17. डॉ वसुधा पु. कामत गिंडे कर्नाटक 18. भागीरथ गर्ग कांटिया 19.प्रो. मीना श्रीवास्तव 'पुष्पांशी' ग्वालियर 20. डॉ किरण जैन अंबाला शहर हरियाणा 21. जय प्रकाश विश्वासी बिहार 22. जयकिशन भादाणी राजस्थान 23. ब्रजेश बर्णवाल 24. राजाराम सिंह 'प्रियदर्शी' बिहार 25. संगीता सी सोनी गुजरात 26. निधी कुमारी, मुजफ्फरपुर (बिहार) 27. मोहम्मद मुमताज़ हसन टिकारी, गया, बिहार आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं व धन्यवाद। आप सभी ने मिलकर इस मंच का गौरव बढ़ाया है तथा हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसके लिए मंच आप सभी का तहे दिल से आभार व्यक्त करता है I माँ सरस्वती आप सभी को इसी प्रकार सफलता प्रदान करते रहे यहीं मनोकामनाएं देते हुए हार्दिक अभिनंदन व् शुभाशीष I सादर............ जनवादी परिचर्यम साहित्य संघ मध्यप्रदेश। सम्पर्क सूत्र:- Email id: paricaryamavahini@gmail.com Website: http://Www.Janwadipatrakar.com http://www.khabarjanaawaz.live Blog: http://www.janwadipatrakar.com/2020/04/blog-post_33.html Facebook:- https://www.facebook.com/profile.php?id=100050630263884 Youtube Chanel https://www.youtube.com/channel/UCR3TdYfw1uoF0CwZhDlv6FQ/featured https://www.janwadipatrakar.com/2020/06/blog-post.html |
*भाजपा कितनी भी खरीद फरोख्त कर ले,उपचुनाव में उसके मंसूबे पूरे नहीं होंगे *-अरुण यादव Posted: 24 Jul 2020 01:09 AM PDT *भोपाल-24 जुलाई,2020 पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने असुरक्षित शिवराज सरकार पर बड़ा राजनैतिक हमला बोलते हुए कहा कि सत्ता की भूखी सरकार और विचारधारा प्रदेश में उपचुनाव के बाद अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। एक लोकतांत्रिक निर्वाचित सरकार को सौदेबाज़ी कर उसने सत्ता की चाबी तो हथिया ली है किंतु उपचुनाव परिणाम उस पर ताला लगा देंगे, यही आशंका उसे तोड़फोड़ व खरीद फरोख्त करने के लिए मजबूर कर रही है।* *आज जारी अपने बयान में उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि गुप्तचर एजेंसियों की वास्तविक रिपोर्टस में भाजपा को इस बाबद जानकारी मिल गई है कि गद्दारों - बिकाऊओं की फ़ौज़ के अधिकांश लोगों की हार सुनिश्चित है, इसी भय से वह निम्न हथकंडे अपना रही है! यादव ने यह रहस्योद्घाटन भी करते हुए कहा कि भाजपा नेतृत्व श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा भाजपा प्रवेश के बाद लगातार की जा रही राजनैतिक ब्लैकमेलिंग से भी तंग आ चुका है। लिहाजा, भविष्य की संभावनाओं को दृष्टिगत रख वह अपने घिनौने निजी मैनेजमेंट का रास्ता अपनाकर उनसे मुक्ति पाने का भी रास्ता खोज़ रहा है।* *श्री यादव ने यहां तक कहा है कि पार्टी विद-ए-डिफरेंस का थोथा दावा करने वाली भाजपा ऐसे कुकृत्यों से अंग्रेजों से लड़ चुकी पार्टी और उसके निष्ठावान कार्यकर्ताओं के जज़्बाती मनोबल को तोड़ नहीं पाएगी। "यदि खरीद फ़रोख़्त का यह धंधा इसी प्रकार जारी रहा तो आगामी उपचुनाव में दोनों ओर से कांग्रेस के ही प्रत्याशी परस्पर चुनाव लड़ेंगे और भाजपा कार्यकर्ता सिर्फ दरियां ही बिछाएंगे ?* |
जान बचाने की जंग में, माली हालात भी सुधार लेंगे Posted: 23 Jul 2020 08:29 PM PDT २४ ०७ २०२० *जान बचाने की जंग में सफल, माली हालात भी सुधार लेंगे* कोरोना जान से भी मारता है और माल से भी मरेगा | यह कोई उक्ति नहीं हकीकत है | जान जाने का प्रतिशत तो कम हो गया है, माल का क्या है |आर्थिक और वित्तीय प्रभाव गंभीर होंगे इससे इंकार नहीं किया जा सकता,लेकिन भारतीय पुरुषार्थ भी तो कम नहीं है | जान जाने के मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि फिलहाल यह दर २.४९ प्रतिशत है, जो कि विश्व में सबसे कम दरों में है| एक माह पूर्व यह आंकड़ा २.८२ प्रतिशत था |इसके दूसरी ओर इसके नकारात्मक आर्थिक व वित्तीय प्रभाव से निपटना भी एक बड़ी चुनौती है| लॉकडाउन में उद्योग-धंधों, यातायात और कारोबारों के कमोबेश ठप पड़ने से उत्पादन, रोजगार, आमदनी और उपभोग में बड़ी गिरावट आयी है| स्वास्थ्य के मोर्चे पर गंभीर संक्रमितों के उपचार के अनुभव के आधार पर अब बेहतर ढंग से दवाएं दी जा रही हैं और अन्य उपाय किये जा रहे हैं| यह भी बेहद संतोषजनक है कि २९ राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में यह दर राष्ट्रीय औसत से नीचे है तथा इनमें से पांच में यह दर शून्य है और १४ में एक प्रतिशत से नीचे है|संक्रमण से मुक्त होकर स्वस्थ होने की दर में भी निरंतर सुधार हो रहा है|यह आंकड़ा अब लगभग ६३ प्रतिशत हो चुका है| केंद्र और राज्य सरकारों ने जांच की गति भी तेज कर दी है और यह उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही रोजाना जांच की संख्या अपेक्षित स्तर पर पहुंच जायेगी| लॉकडाउन में उद्योग-धंधों, यातायात और कारोबारों के कमोबेश ठप पड़ने से उत्पादन, रोजगार, आमदनी और उपभोग में बड़ी गिरावट आयी है| हालांकि केंद्र सरकार के बड़े राहत पैकेज और धीरे-धीरे गतिविधियों में तेजी आने से स्थिति में सुधार के संकेत मिल रहे हैं, किंतु मौजूदा वित्त वर्ष में कुल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में बड़ी कमी का अनुमान है| इस कमी की एक वजह कोरोना संकट का सामना करने के लिए किये जा रहे उपायों पर भारी खर्च भी है| वैसे भारत ही नहीं, कोरोना काल में दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के हिसाब बिगड़ चुके हैं, ऐसे में आर्थिकी को तुरंत पटरी पर लाना संभव नहीं है, क्योंकि आयात-निर्यात के समीकरणों को ठीक होने में समय लगेगा| वृद्धि दर घटने के कारण जीडीपी और देश पर कुल कर्ज के अनुपात में भी बढ़ोतरी होगी| स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में कर्ज का अनुपात जीडीपी का ८७.६ प्रतिशत तक हो सकता है| बीते साल देश पर कर्ज की राशि १४६.९ लाख करोड़ रुपये थी, जो जीडीपी का ७२.२ प्रतिशत थी| इस साल यह रकम बढ़कर १७० लाख करोड़ रुपये हो सकती है| वित्तीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन कानून के अनुसार २०२३ तक इस अनुपात को ६० प्रतिशत तक लाना है, किंतु बदलती परिस्थितियों में अब सात साल की देरी हो सकती है यानी २०३० में इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा| निश्चित रूप से यह बड़ी चिंता की बात है और इससे उबरने के लिए उपाय भी किये जा रहे हैं| आनेवाले दिनों में और भी बड़ी-छोटी पहलों की दरकार होगी, लेकिन यह संतोष की बात है कि कर्ज के इस बढ़े हुए बोझ को संभालने की क्षमता देश में है| हमारे पास समुचित विदेशी मुद्रा भंडार है, जो विदेशी कर्जों के किस्त व ब्याज की चुकौती के लिए पर्याप्त है| आयात में कमी के कारण व्यापार संतुलन बेहतर होने से भी वित्तीय स्तर पर तात्कालिक राहत मिलने की उम्मीद की जा सकती है| घरेलू कर्जे को लेकर चिंता की कोई वजह नहीं है क्योंकि उनका मालिकान भी घरेलू है| वैसे एक अच्छा संकेत यह भी है कि केंद्र और राज्य सरकारों के ब्याज के खर्च में कमी आयी है| वर्तमान संकट के समाधान के लिए रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार की अनेक वित्तीय पहलें हुई हैं, जिनसे अर्थव्यवस्था को गतिशील करने तथा पूंजी के प्रवाह को ठीक करने में मदद मिल रही है. स्टेट बैंक की इस रिपोर्ट में कुछ और सुझाव दिये गये हैं, जैसे कि वित्तीय घाटे को लंबी अवधि के बॉन्ड में बदलना| इससे कर्ज का खर्च कम होने की आशा है क्योंकि ब्याज दरों में और भी कमी हो सकती है| संक्रमण से निकलते ही गतिविधियां सुचारू रूप से चलने लगेंगी और कर्ज भी घटने लगेगा| |
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