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Sunday, August 16, 2020

दिव्य रश्मि न्यूज़ चैनल

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विवादित जमीन पर घर बनाने से रोकने गए पुलिसवालों पर हमला, एएसआई का सिर फटा

Posted: 16 Aug 2020 12:22 AM PDT

भागलपुर जिले के नवगछिया में विवादित जमीन पर घर बनाने से रोकने गई पुलिस टीम पर हमला किया गया। पुलिसवालों को ईंट, पत्थर और लाठी से मारा गया। मारपीट में एएसआई का सिर फट गया। वहीं, पांच सिपाही चोटिल हो गए। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया है।

घटना भवानीपुर थाना क्षेत्र के बलहा गांव की है। यहां एक जमीन को लेकर मुनेश्वर सिंह और सुनील कुमार दास के बीच विवाद चल रहा है। सुनील विवादित जमीन पर घर बना रहा था, जिसे रोकने के लिए मुनेश्वर कोर्ट चले गए और जमीन पर धारा 144 लग गई। इसके बाद भी सुनील ने घर बनाना जारी रखा। शिकायत मिलने पर भवानीपुर थाना के थानाध्यक्ष नीरज कुमार ने मौके पर एएसआई सुभाष यादव और 5 सिपाहियों को भेजा।

जान बचाकर भागे पुलिसवाले
शनिवार रात करीब 9:30 बजे पुलिस टीम सुनील के घर पहुंची और उसे निर्माण कार्य रोकने के लिए कहा। इस दौरान विवाद हो गया। सुनील के पक्ष के लोगों ने पुलिसवालों पर हमला कर दिया। लाठी-डंडे और ईंट-पत्थर से पुलिस के जवानों को पीटा गया। एक ईंट एएसआई सुभाष यादव से सिर पर लगा, जिससे उनका सिर फट गया।

पुलिस के जवान जान बचाकर भागे और घटना की सूचना थानाध्यक्ष को दी। थानाध्यक्ष ने नवगछिया एसपी स्वपना जी मेश्राम को जानकारी दी। एसपी ने रात में सात थाने की पुलिस को बलहा गांव भेजा। पुलिस ने 13 लोगों को हिरासत में लिया है।

कंटेंट: आशीष कुमार



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घायल एएसआई सुभाष यादव।


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/bihar-bhagalpur-attack-on-policemen-who-were-trying-to-stop-build-houses-on-disputed-land-127620422.html

सहरसा में युवक की गोली मारकर हत्या, आक्रोशित लोगों ने किया सड़क जाम; आधे घंटे के लिए रोकना पड़ा डीएम का काफिला

Posted: 16 Aug 2020 12:22 AM PDT

बिहार के सहरसा जिले में शनिवार देर रात बेखौफ अपराधियों ने गोली मारकर एक युवक की हत्या कर दी। घटना महिषी थाना क्षेत्र के गेमरोहो गांव की है। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और परिजनों के बयान पर केस दर्ज कर जांच में जुट गई है।

बवाल की वजह से रोका गया डीएम का काफिला
युवक की हत्या से आक्रोशित स्थानीय लोगों ने रविवार सुबह सड़क जाम कर दिया और आगजनी की। आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर लोगों ने जमकर बवाल काटा। लोगों का कहना है कि आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी हो और उसे कड़ी से कड़ी सजा मिले। बवाल की वजह से थोड़ी देर के लिए डीएम के काफिले को भी रोकना पड़ा। मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को समझा बुझाकर मामला शांत कराया।

घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि युवक सिमरी बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के सुखासनी गांव का रहने वाला था। शनिवार देर रात वह सहरसा से वापस अपने गांव लौट रहा था। इसी दौरान रास्ते में रोककर अपराधियों ने उसे गोली मार दी। परिजन किसी से दुश्मनी की बात से इनकार कर रहे हैं। एसपी राकेश कुमार ने बताया कि तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। बाकी आरोपी भी जल्द पुलिस गिरफ्त में होंगे।



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युवक की हत्या से आक्रोशित लोगों ने सड़क पर आगजनी की और जमकर बवाल काटा।


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/bihar-crime-news-youth-shot-dead-in-saharsa-road-jams-by-angry-people-dms-convoy-had-to-stop-for-half-an-hour-127620415.html

आरा में बेखौफ अपराधियों ने सीवान के कारोबारी को मारी गोली, रंगदारी नहीं देने पर किया मर्डर

Posted: 15 Aug 2020 11:22 PM PDT

बिहार के आरा जिले में बेखौफ अपराधियों ने गोली मारकर सीवान के सब्जी कारोबारी की हत्या कर दी। घटना चांदी थाना क्षेत्र के अखगांव के पास की है। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने कारोबारी को अस्पताल में भर्ती कराया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। कारोबारी की हत्या के बाद इलाके में हड़कंप मचा है। मृतक सीवान के नबीगंज थाना क्षेत्र निवासी सुरेंद्र प्रसाद का बेटा बुटन कुमार है जो पेशे से सब्जी कारोबारी था।

घटना के संबंध में पिकअप ड्राइवर ने बताया कि हमलोग सासाराम से सब्जी खरीदकर सीवान लौट रहे थे। इस दौरान आरा में खनगांव मोड़ के पास बाइक सवार तीन अपराधियों ने गाड़ी रुकवाकर रंगदारी मांगी। पैसा देने से इनकार करने पर बदमाशों ने कारोबारी को गोली मार दी और मौके से फरार हो गए।

चांदी थानाध्यक्ष मनोज कुमार ने बताया कि गोली लगने से घायल कारोबारी को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। ड्राइवर का कहना है कि कारोबारी सब्जी खरीदने के लिए अक्सर सासाराम जाता था। शनिवार सुबह 9 बजे वह सीवान से निकला था और देर रात हमें सूचना मिली कि उसे गोली मार दी गई है। ड्राइवर के बयान पर तीन अज्ञात अपराधियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।



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गोली लगने से गंभीर रूप से घायल कारोबारी को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गई।


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/bihar-crime-criminals-shot-dead-businessman-of-siwan-in-ara-for-not-giving-extortion-money-127620380.html

साक्षी ने शेयर की धोनी की फोटो, बिहार में कोरोना के चलते नियोजित शिक्षकों का वेतन नहीं बढ़ेगा; वैशाली में सात साल की बच्ची की गला रेतकर हत्या

Posted: 15 Aug 2020 11:22 PM PDT

आज आपके हाथ में अखबार नहीं होगा। 15 अगस्त के मौके पर अखबारों की छुट्‌टी थी। लेकिन, खबरों की नहीं। देश में, आपके राज्य की बहुत सी खबरें हैं जो आपको जाननी चाहिए। बिना अखबार वाले इस दिन दैनिक भास्कर एप आपके लिए देश-दुनिया के साथ आपके राज्य-शहर की बड़ी खबरें लेकर आया है। बिहार-छत्तीसगढ़ की बड़ी खबरें जानिए....

1- साक्षी धोनी ने सोशल मीडिया पर उनकी एक तस्वीर शेयर की

महेंद्र सिंह धोनी के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। इसके बाद साक्षी धोनी ने सोशल मीडिया पर उनकी एक तस्वीर शेयर की है। तस्वीर के साथ लिखा है कि आपने जो हासिल किया है, उस पर आपको गर्व होना चाहिए। साक्षी ने तस्वीर के साथ अमेरिकी कवि माया एंजेलो का एक कोट भी शेयर किया है।

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2- कोरोना के चलते नियोजित शिक्षकों का वेतन नहीं बढ़ेगा

दूसरी ओर बिहार में कोरोना के चलते नियोजित शिक्षकों का वेतन नहीं बढ़ेगा। पहले चर्चा थी कि सेवा शर्त पर मंजूरी के साथ ही शिक्षकों को 20 फीसदी वेतन वृद्धि का तोहफा मिल सकता है, लेकिन सूत्रों के अनुसार कोरोना के चलते सरकार ने वेतन वृद्धि पर सहमति नहीं जताई है। शिक्षकों का वेतन तो नहीं बढ़ेगा, लेकिन उन्हें सेवा शर्त, ईपीएफ और प्रमोशन का लाभ जरूर मिल सकता है।

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3- खूंटी में नदी में डूबने से एक छात्र की मौत, एक लापता
झारखंड के खूंटी जिला के थाना क्षेत्र के रंगरौड़ी धाम स्थित कांची नदी में डूबने से रांची निवासी एक छात्र की मौत हो गई। जबकि उसके साथ नदी में उतरा दूसरा छात्र लापता है। दोनों छात्र अपने 7 और दोस्तों के साथ यहां आए थे। नहाने के दौरान यह हादसा हुआ।

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गंगा नदी का जलस्तर पटना के गांधीघाट में 22 सेंटीमीटर बढ़ गया है। (फाइल फोटो)

4- पटना में खतरे के निशान से ऊपर बह रही पुनपुन नदी
बिहार की राजधानी पटना में पुनपुन नदी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है। नदी का जलस्तर पिछले 24 घंटे में 50 सेंटीमीटर बढ़ गया। पटना के श्रीपालपुर में पुनपुन नदी खतरे के निशान से 16 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। इसके अलावा पटना सहित पूरे प्रदेश में गंगा और सोन नदी का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है।

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राजधानी रांची में सुबह से बारिश जारी है। रविवार को भी मौसम का ऐसा ही हाल रहा।

5- रांची समेत झारखंड के कई हिस्सों में रुक-रुककर बारिश जारी
राजधानी रांची समेत झारखंड के तकरीबन हर हिस्से में रविवार की सुबह से रुक-रुककर बारिश जारी है। रांची, खूंटी, लातेहार, गढ़वा, गुमला व पलामू में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हुई। इधर, मौसम विभाग ने पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा, सरायकेला खरसावां, पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा, लातेहार और लोहरदगा में भारी बारिश की संभावना जताई है।

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उग्र ग्रामीणों ने पूर्व विधायक की कार को पत्थर मारकर तोड़ दिया।

6- पूर्वी चंपारण: राजद के पूर्व विधायक पर हमला, कार क्षतिग्रस्त
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के पचपकड़ी के सोरपरिया में उग्र ग्रामीणों ने राजद के पूर्व विधायक लक्ष्मी नारायण यादव पर हमला कर दिया। उनकी कार के सीसे तोड़ दिए। सड़क हादसे में एक युवक की मौत हो गई थी। लोगों ने सड़क जाम कर रखा था तभी पूर्व विधायक आ गए। उग्र लोगों ने पूर्व विधायक की फॉरच्यूनर कार को निशाना बनाते हुए पत्थरबाजी की। पूर्व विधायक और उनके बॉडीगार्ड समेत चार लोगों को चोट आई है।

पुलिस ने बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए हाजीपुर सदर अस्पताल भेज दिया।

7- वैशाली: सात साल की बच्ची की गला रेतकर हत्या
बिहार के वैशाली जिले के भगवानपुर थाना क्षेत्र के सहथा गांव में सात साल की बच्ची की गला रेतकर हत्या कर दी गई। बच्ची शनिवार को दोपहर दो बजे से गायब थी। रविवार सुबह उसका शव मिला। मृतका बेबी कुमारी सहथा गांव के विजय गिरी की बेटी थी। परिजनों ने बच्ची के मामा पर हत्या का आरोप लगाया है। पुलिस ने आरोपी मामा को गिरफ्तार कर लिया है।

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साक्षी ने इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर कर धोनी को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी है।


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/bihar-jharkhand-seven-big-news-sakshi-dhoni-shared-the-american-poets-coat-with-dhonis-photo-127620340.html

युवक की मौत से आक्रोशित ग्रामीणों ने राजद के पूर्व विधायक पर किया हमला, तोड़ दिए कार के शीशे

Posted: 15 Aug 2020 11:22 PM PDT

बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में उग्र ग्रामीणों ने राजद के पूर्व विधायक लक्ष्मी नारायण यादव पर हमला कर दिया। घटना शनिवार को पचपकड़ी थाना क्षेत्र के सोरपरिया में घटी। गांव के लोगों ने पूर्व विधायक की कार के शीशे तोड़ दिए। पथराव में लक्ष्णी नारायण और उनके बॉडीगार्ड को चोट आई है।

यहां सड़क हादसे में एक युवक की मौत हो गई थी। लोगों ने सड़क जाम कर रखा था तभी पूर्व विधायक आ गए। उग्र लोगों ने पूर्व विधायक की फॉरच्यूनर कार को निशाना बनाते हुए पत्थरबाजी की। विधायक की शिकायत पर पुलिस छानबीन में जुट गई है। पथराव करने वाले लोगों की पहचान की जा रही है।

लक्ष्मी नारायण ने बताया कि मैं क्षेत्र में एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद घर लौट रहा था तभी सड़क जाम कर रहे लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया। मैंने हमले की जानकारी पचपकड़ी थाना और सिकरहना डीएसपी को दी है।



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उग्र ग्रामीणों ने पूर्व विधायक की कार को पत्थर मारकर तोड़ दिया।


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/bihar-motihari-angry-villagers-attack-on-former-rjd-mla-broke-the-car-127620371.html

वैशाली में सात साल की बच्ची की गला रेतकर हत्या, आरोपी मामा गिरफ्तार

Posted: 15 Aug 2020 10:22 PM PDT

बिहार के वैशाली जिले में सात साल की बच्ची की गला रेतकर हत्या कर दी गई। परिजनों ने मामा पर हत्या का आरोप लगाया है। घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपी मामा को हिरासत में ले लिया है और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए हाजीपुर सदर अस्पताल भेज दिया है। घटना भगवानपुर थाना क्षेत्र के सहथा गांव की है।

घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि बच्ची शनिवार दोपहर घर के बाहर खेल रही थी। दो बजे के बाद वह अचानक गायब हो गई। परिजनों ने काफी खोजबीन की लेकिन बच्ची का कुछ पता नहीं चला। पुलिस को घटना की जानकारी दी गई। रविवार सुबह खेत से बच्ची की लाश बरामद की गई। परिजनों को शक है कि बच्ची के मामा ने उसकी हत्या की है।

मृतक बेबी कुमारी सहथा गांव निवासी विजय गिरी की बेटी थी। फिलहाल पुलिस ने परिजनों के बयान पर केस दर्ज कर लिया है और मामले की जांच में जुटी है।



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पुलिस ने बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए हाजीपुर सदर अस्पताल भेज दिया है। रिपोर्ट आने के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/bihar-crime-seven-year-old-girl-strangled-to-death-in-vaishali-accused-uncle-arrested-127620329.html

कहीं नाव पर बैठकर तो कहीं सीने तक भरे पानी में घुसकर लोगों ने शान से फहराया तिरंगा

Posted: 15 Aug 2020 10:22 PM PDT

नेपाल और उत्तर बिहार में हुई भारी बारिश के चलते बिहार के 16 जिले बाढ़ प्रभावित हैं। 60 लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में आई। लाखों लोगों को अपना घर छोड़कर सड़क और बांध पर शरण लेना पड़ा तो सैकड़ों परिवार ऐसे भी हैं जिनके घर बह गए। इन सबके बाद भी लोगों में राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस मनाने का उत्साह कम नहीं हुआ। शनिवार को सारण, गोपालगंज, दरभंगा व अन्य जिलों के बाढ़ प्रभावित इलाकों में किसी ने नाव पर बैठकर झंडा फहराया तो किसी ने सीने भर पानी में घुसकर।

सारण जिले का तरैया प्रखंड गंडक नदी के बाढ़ से प्रभावित है। यहां स्कूल से लेकर सरकारी दफ्तर तक पानी में डूबे हैं। इसके बाद भी सभी जगह शान से तिरंगा फहराया गया। प्राथमिक विद्यालय सिरमी के कैंपस में छह फीट से अधिक पानी भरा है। यहां नाव में बैठकर स्कूल के शिक्षकों ने झंडोत्तोलन किया। प्रखंड के अन्य विद्यालयों में कहीं सीने तो कहीं कमर भर पानी में खड़े होकर लोगों ने झंडा फहराया।

सारण जिले के तरैया प्रखंड में बाढ़ के पानी में लोगों ने झंडोत्तोलन किया।

गोपालगंज जिले का बरौली प्रखंड भी बाढ़ प्रभावित है। यहां का उच्च मध्य विद्यालय कहला बाढ़ के पानी में डूबा है। स्कूल के फिल्ड में सीने तक पानी भरा है। लोगों ने यहां बाढ़ के पानी में उतरकर झंडा फहराया। इसी तरह दरभंगा जिले के बिरौल प्रखंड के एक आंगनबाड़ी केंद्र में लोगों ने सीने तक भरे पानी में झंडा फहराया।



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सारण जिले के तरैया प्रखंड में बाढ़ के पानी में घुसकर स्वतंत्रता दिवस मनाते लोग।


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/bihar-independence-day-celebration-in-flood-water-127620308.html

पटना सहित 20 जिलों में कल से तीनों दिनों तक भारी बारिश के आसार, मौसम विभाग ने बिजली गिरने का भी जारी किया अलर्ट

Posted: 15 Aug 2020 10:22 PM PDT

राजधानी पटना, गया, नालंदा, मुजफ्फरपुर, जहानाबाद, आरा, बक्सर सहित 20 जिलों में सोमवार से भारी और मध्यम बारिश के आसार हैं। मौसम विभाग ने इन जिलों में बिजली गिरने को लेकर भी अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग का कहना है कि अगले 36 घंटे तक मौसम शुष्क रहेगा। रुक-रुककर हल्की बारिश होती रहेगी। सीमावर्ती जिले दरभंगा, सीतामढ़ी गोपालगंज, पूर्णिया, छपरा और सीवान में तेज बारिश हो सकती है।

मौसम विभाग का कहना है कि उत्तर प्रदेश से निम्न हवा के दबाव का क्षेत्र बिहार आ रहा है। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती सिस्टम बना है। बिहार में एक साथ दो सिस्टम सक्रिय होने से भारी बारिश के आसार हैं। इसके साथ ही बंगाल की खाड़ी से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक अक्षीय रेखा गुजर रही है। इसकी वजह से बिहार के कई जिलों में रुक-रुककर कई बार बारिश हो रही है।

मानसून सत्र में बिहार में 37% अधिक बारिश
बिहार में मानसून सत्र के दौरान एक जून से 15 अगस्त तक 37 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड किया गया है। शेखपुरा और सहरसा जिले में औसत से कम बारिश हुई है। पटना जिले में 36 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड किया गया। मौसम विभाग का कहना है कि बिहार में मानसून मेहरबान है और अगस्त के बचे हुए दिनों में भी अच्छी बारिश होगी। पर्याप्त बारिश होने से इस बार अच्छी फसल की उम्मीद है।



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यह तस्वीर राजापुर पुल गंगा किनारे ली गई है। पटना में सुबह से आसमान पर बादल छाए हुए हैं और हल्की धूप निकली है।


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/heavy-rains-expected-for-in-20-districts-of-bihar-including-patna-gaya-nalanda-muzaffarpur-meteorological-department-also-issued-lightning-alert-127620301.html

पंचतंत्र के रंगे सियार और फास्टफूड शिक्षा

Posted: 15 Aug 2020 09:44 PM PDT

पंचतंत्र के रंगे सियार और फास्टफूड शिक्षा 

संकलन अश्विनी कुमार तिवारी

देहरादून स्थित शैमरॉक प्री-स्कूल में मैने अपने बेटे का प्रवेश कराया था। प्री-स्कूल का अर्थ क्या है? विद्यालय में प्रवेश से पूर्व बच्चा खेले-कूदे, हमउम्र बच्चों के बीच मिले-जुले और इस तरह जो सिखाया जा सकता है उसी माध्यम से उसकी बुनियाद इस तरह गढी जाये कि अध्ययन में अभिरुचि हो। इसके ठीक उलट मुझे डायरी में बार बार नोट मिलते कि पालक ध्यान दें, बच्चा याद नहीं कर रहा है या कि स्कूल में आ कर मिलें। मैंने हाजिरी लगाई तो वही रोना फाईव फ्लावर याद नहीं हैं, फाईव एनिमल नहीं बोल पाता, फाईव प्लांन्ट्स के नाम याद कराईये। मैं देख रहा हूँ कि बस्ता भारी वाली पीढी बढती ही जा रही है। ये कैसे प्ले स्कूल हैं और कैसे खेल खिला रहे हैं? बच्चा प्लांट की जगह पौधा समझे तो क्या दिक्कत? नयी पीढी से मुझे सहानुभूति है जिसे इस तरह पीसा जा रहा है मानो ब्लैक लैटर्स नहीं बफैल्लो हो। हमारे देश का ब्लैकबोर्ड ही ब्लैकआउट हो चुका है और हम गुमान में हैं कि कुछ सिखा-पढा रहे हैं। बच्चे की हिन्दी और अंग्रेजी विषयक किताबें पलटकर देखता हूँ तो कुछ जाना-पहचाना प्रतीत होता है। अंग्रेजी या कि हिन्दी की पाठ्य पुस्तक मे जो भी कहानियाँ हैं, सभी पंचतंत्र का ही विकृत अनुवाद भर तो है? नया क्या है? दो-ढाई हजार साल पुरानी सामग्री है यह जिसे मॉडर्न एज्यूकेशन के नाम पर रिमॉडल किया गया है।  हमें क्या? बच्चा ऐसे नामी-गिरामी स्कूल में पढ रहा है न जिससे कि स्टेटस सिम्बल बनता हो? हम शिक्षा जगत के उन रंगे सियारों को अब भी नहीं पहचानते जिन्होने हमारे बच्चों को ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार पोयम बाईहार्ट करा दिया है। सत्तर साल पहले ही अंग्रेज भारत से गये, अब तो मैकाले को कंधे से उतारा जाये? 

पंचतंत्र से कौन परिचित नहीं? आज भी रचा जा रहा अधिकांश देसी-विदेशी बाल साहित्य पंचतंत्र की ही नकल है अथवा उससे प्रभावित। क्या वैदिक ज्ञान-परम्परा का विस्तार यह ग्रंथ बालक-शिक्षा किस तरह दी जा सकती है उसका श्रेष्ठतम उदाहरण नहीं है? बात भी लगभग 300 ईसा पूर्व की है। कहते हैं कि दक्षिण भारत में कहीं महिलारोप्य नाम का राज्य था जिसके राजा थे अमरशक्ति। दक्षिण भारत शब्द को दोहरा कर पढियेगा जिससे आपका यह पूर्वाग्रह कुछ हद तक मिटे कि ज्ञान के कतिपय उत्तर भारतीय  केंद्र भर नहीं थे अपितु समस्त जम्बूदीप का अपने अपने तौर से योगदान रहा है। राजा के तीन बेटे थे - बहुशक्ति, उग्रशक्ति और अनंतशक्ति  जो न केवल अहंकारी अपितु विद्या ग्रहण करने की ओर से उदासीन थे। राजा ने बहुत चेष्टा की लेकिन कोई पढना ही न चाहे तो कैसे पढाया जाये? यह सवाल ठीक इसी तरह आज भी सामने है, इसका उत्तर आधुनिक शिक्षकों के पास है कि पालकों को बुला कर जलील कर लो, बच्चे को कक्षा में हतोत्साहित कर दो, वगैरह वगैरह। क्या पढाया जाना चाहिये क्या इससे अधिक महत्वपूर्ण यह नहीं कि कैसे पढाया जाना चाहिये? राजा अमरशक्ति को सुझाया गया कि राज्य में विद्वान विष्णु शर्मा हैं जिनसे सहायता ली जा सकती है। राजा तो राजा है उसने विष्णु शर्मा को बुलवाया और सीधे ही सौदेबाजी कर डाली। सौ गाँव आपको दे दूंगा अगर राजकुमारों को आपने योग्य बन दिया। राजा ने प्रस्ताव दिया लेकिन शिक्षक तो फक्कड था। विद्यार्थी ले लिये, धन छोड दिया। क्यों पोथे-किताबें दिखा कर डराना? विष्णु शर्मा ने किस्सागोई का सहारा लिया। जो कुछ सिखाना था वह रोचक कहानियों में ढल गया। अब शास्त्र नहीं थे, सूत्र नहीं थे, प्रमेय नहीं थे अपितु शैतान बंदर था, चालाक लोमडी थी, दुष्ट भेडिया था मासूम मेमना था। जीवजगत के ये किरदार, नीति की वे शिक्षायें बन गये जो इस सृष्टि के रहने  तक प्रासंगिक रहेंगी। 

पाँच तंत्रों अथवा भाग में पंचतंत्र की कहानियाँ संकलित हैं – मित्रभेद, मित्रलाभ, संधि-विग्रह/काकोलूकियम  (कौवे एवं उल्लुओं की कहानियाँ), लब्ध प्रणाश एवं अपरीक्षित कारक। मित्र कैसे होने चाहिये, मित्रता का लाभ क्या है, यदि आप किसी संकट में हैं तो उससे बाहर आने का रास्ता क्या है, किसी कार्य को करने से पूर्व क्या करें, कैसे परख करें आदि जैसे विषयों के माध्यम से प्राचीन पंचतंत्र ग्रंथ प्राथमिक शिक्षा का जांचा-परखा सर्वयुगीन सिलेबस है। विष्णु शर्मा के पास बीएड नहीं था। पढाने का कोई सरकारी प्रशिक्षण भी प्राप्त नहीं था। वे न तो ऑक्सफोर्ड रिटर्न थे न ही जेएनयू से पीएचडी। वे अलग थे, बिलकुल मौलिक। उन्होंने संस्थानों को रास्ता दिखाया है कि प्राथमिक शिक्षा कैसे दी जानी चाहिये। यह अलग बात है कि आज के स्कूली पाठ्यक्रमों ने उनकी नकल तो की लेकिन थोथा-थोथा भर, सार-सार को तो उडा दिया।  

कितने प्रतिशत भारतीय जानते हैं कि सचिन तेंदूलकर क्रिकेट के महानतम खिलाडी हैं? इस प्रश्न का उत्तर सौ बटा सौ मिल जायेगा लेकिन क्या हम भारत के लोग यह जानते हैं कि बाईबल के बाद दुनिया का सबसे अधिक प्रसार प्राप्त ग्रंथ है - पंचतंत्र। वह दुनिया की अभागी भाषा ही होगी यदि उसके पास पंचतंत्र का अनुवाद उपलब्ध नहीं है। विदेशी भाषा में पंचतंत्र का पहला ज्ञात अनुवाद 570 ई. में सिरियाई भाषा में हुआ था। लगभग 750 ई. में सीरियाई भाषा से अरबी में अब्दुल्ला इब्नल मोकफ्फा के प्रयासों से अनूदित हुआ। इसके पश्चात लगभग दसवी-ग्यारहवी सदी के अगमन तक यूरोप में पंचतंत्र अपनी पैठ जमाने लगा। यूनानी (ग्यारहवी सदी), हिबू्र (ग्यारहवी सदी), लैटिन (1263 से 1278 के मध्य), फारसी (1470 से 1505 के मध्य), जर्मन (1483), स्पेनिश (1493), इटालियन (1546), फ्रेंच (1556 तथा 1644), अंग्रेजी (1570) तथा इतालवी (1583) आदि पंचतंत्र के आरम्भिक विदेशी भाषा में किये गये अनुवाद थे। अनेक समकालीन अथवा बाद के भारतीय ग्रंथ भी पंचतंत्र की आभा में लिखे गये इनमें प्रमुखता से गिने जाते हैं -  तन्त्राख्यायिका, दक्षिण भारतीय पंचतंत्र, नेपाली पंचतंत्र, हितोपदेश, सोमदेव कृत कथासरित्सागर, क्षेमेन्द्र कृत बृहत्कथा-मंजरी, पश्चिमी भारतीय पंचतंत्र, पूर्णभद्र कृत पंचाख्यान आदि।

पंचतंत्र को आज बाल-साहित्य की तरह देखा परखा जाता है जबकि आवश्यकता इसकी रचनाप्रक्रिया और उसके उद्देश्य को समझने की है। विष्णु शर्मा ने राजा से उसके पुत्रों को शिक्षा देना स्वीकार किया तब कहा – "किंतु त्वत्प्रार्थना सिद्धयर्थे सरस्वती विनोद करिष्यामि"। सरस्वती विनोद शब्द पर ध्यान दीजिये। क्या विनोद-आनंद के साथ सरस्वती प्रदान करने का तरीका नहीं है पंचतंत्र?  विषय कितना भी जटिल हो क्या उसे सरल तरीके से समझाने का तरीका पंचतंत्र में अंतर्निहित नहीं है? साथ ही फाईव एनिमल रटाने वाले अध्यापक ध्यान दें कि केवल पंचतंत्र को ही "सरस्वती विनोद" पूर्वक बताते रहने पर आपका विद्यार्थी जाने कितने एनिमल, कितने ही बर्ड, कितने ही प्लांट वगैरह वगैरह के नाम ही नहीं जान सकेगा अपितु उसके माध्यम से उसे वे नैतिक शिक्षायें भी प्राप्त होंगी जो आज के फास्ट-फूड सिलेबस में कहीं पीछे छूट गयी हैं।

विश्व के आश्चर्यों की गिनती करने वालों के हिसाब में एलोरा का कैलाशमंदिर सम्मिलित नहीं मिलेगा। आप इतिहास के ग्रंथ उठा लीजिये, केवल इतना पायेंगे कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिला मुख्यालय से अठ्ठाईस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है एलोरा की विश्वप्रसिद्ध गुफायें जिन्हें स्थानीय भाषा में वेरूल लेणी के नाम से भी जाना जाता है, इसी गुफाश्रृंखला की एक कडी है भगवान शिव को समर्पित कैलाशमंदिर। मंदिर के आलेखन का कार्य राष्ट्रकूट नरेश दंतिदुर्ग (735 – 757 ई.) द्वारा किया गया तथा निर्माण का श्रेय राजा कृष्ण प्रथम (757-773 ई.) को जाता है। अभियांत्रिकी की कोई पुस्तक उठा लीजिये आपको उल्लेख यही मिलेगा कि बुनियाद पहले बनायी जानी चाहिये और उसके उपर खड़ा किया जायेगा भवन। भारत के कितने अभियंता यह जानते हैं कि कैलाश मंदिर का निर्माण किस विधि अथवा प्रक्रिया से हुआ है? बुनियाद तैयार करने के पश्चात तो बड़े बड़े भवन खड़े किये जाते हैं लेकिन अद्भुत शिल्पी थे वे जिन्होंने पहले शीर्ष पर काम आरम्भ किया। एक सिरे से भीतरी भाग का उत्खनन किया जाता रहा है जिससे हजारो टन पत्थर के पृथकीकरण के पश्चात केवल मंदिर ही शेष रह गया। धीरे धीरे शिल्पियों के छेनी-हथौडों ने बुनियाद रचने के पश्चात विराम लिया। एक पर्वताकार बेसाल्टिक शिला के लगभग पिच्यासी हजार क्यूबिक मीटर हिस्से में से काट-तराश कर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। देखा जाये तो भू-वैज्ञानिकों के लिये भी यह मंदिर एक प्रयोग शाला बन सकता है। कैलाश मंदिर मुख्य रूप से बेसाल्ट की चट्टानों को काट कर बनाया गया  है। बेसाल्ट वस्तुत: एक दौर में विभिन्न चरणों ने उत्सर्जित लावा प्रवाह के कारण निर्मित चट्टाने हैं जो प्रवाह के विभिन्न दौर में सीढीनुमा आकार ले लेती हैं। एलोरा के निकट कोई भू-विज्ञान में रुचि रखने वाला व्यक्ति उन दरारों (गुफा क्रमांक 32 के निकट) को भी देख-परख सकता है जिनसे हो कर कभी लावा प्रवाहित हुआ करता था। बेसाल्ट चट्टानों से अटी पड़ी ये पहाड़ियाँ वस्तुत: सह्याद्रि पर्वत माला का हिस्साो हैं जिनका निर्मिति काल क्रिटेशियस युग (लगभग 65 मिलियन वर्ष पूर्व) माना गया है। बेसाल्ट चट्टानें उस दौर में मूर्तिकला के लिये श्रेष्ठतम मानी जाती थीं।

इनकार नहीं कि जॉन स्मीटॉम (18वी सदी) को अभियांत्रिकी का पिता कहा जाये परंतु पितामहों की सुध कौन लेगा? एलोरा समूह की गुफा क्रमांक -16 को कैलाशनाथ मंदिर के रूप में पहचान मिली है। गुफा श्रृंखला का सर्वश्रेष्ठ तथा सुन्दरतम गुफा मंदिर है कैलाश, जो भारत में ज्ञात चट्टान काट कर बनाये गये मंदिरों में विशालतम है। कैलाशमंदिर को बनाने में दस पीढियाँ और लगभग दो सौ साल का समय लगा है यह दर्शाता है कि कितना धैर्य, कितनी योजना और कितना श्रम इस निर्माण के पीछे है। आज जब हम विशालकाय मशीनो और उन्नत अभियांत्रिकी के दौर में रह रहे हैं तब भी निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि अब कैलाशनाथ मंदिर जैसी संरचना का पुनर्निर्माण असम्भव है। इस विषय को विस्तार देने से पूर्व कैलाश गुफा मंदिर को समग्रता से विवेचित करते हैं। मंदिर का प्रवेशद्वार लगभग पचास मीटर लम्बा तथा तैंतीस मीटर चौड़ा है। प्रवेश करते ही दो मुख्य महाकाव्य रचयिता संत क्रमश: वेद व्यास जिन्होंने महाभारत लिखी तथा वाल्मीकि जिन्होंने रामायण की रचना की, उन्हें प्रदर्शित किया गया है। द्वार मण्डप पर अवस्थित चार स्तम्भ में कलश व पत्ते वस्तुत: समृद्धि व उर्वरता के प्रतीक के रूप में स्थापित किये गये हैं। द्वारमार्ग के दोनो और कुबेर के चित्र उकेरे गये है जो समृद्धि के प्रतीक है। स्वागत द्वार के दो और मुख्य आकर्षण हैं गणेश तथा दुर्गा की भव्य प्रतिमायें। प्रवेश के पश्चात दाहिनी और की दीवार पर स्तम्भों के पार्श्व में गंगा यमुना तथा सरस्वाती नदियों की प्रतिमायें हैं। प्रत्येक नदी को स्त्रीरूप में अपने वाहन अर्थात गंगा मगरमच्छ पर, यमुना कछुवे पर तथा सरस्वती को हाथी पर दर्शाया गया है, जो कि सांकेतिक रूप से शुद्धता, समर्पण तथा प्रज्ञता के प्रतीक हैं। प्रवेशद्वार पर उत्कीर्णित शंखनिधि, पद्मनिधि तथा गजलक्ष्मी राज्य के वैभव सम्पदा की साक्षी है। 

मंदिर का विमान एक समानांतर चतुर्भुज के आकार का है तथा उसे पच्चीस फीट ऊँचे चबूतरे पर बनाया गया है। मंदिर में एक सीढी बनी हुई है जिससे ऊपर बरामदे तक पहुँचा जा सकता है। मंदिर का शिखर पन्चानबे फीट ऊँचा है। मंदिर के प्रधान भवन में एक गर्भगृह है, जिसके आगे स्तम्भ युक्त मण्डप निर्मित है। मंदिर के चारो ओर बरामदे, स्तम्भ, पंक्तियाँ तथा कमरे निर्मित हैं। मंदिर भीतर बाहर चारों ओर मूर्ति-अलंकरणों से भरा हुआ है। मुख्य भवन के पश्चात एक नंदि मंदिर निर्मित है जिसके दोनो और दो ध्वज स्तभ हैं और उनपर त्रिशूल स्थापित किये गये हैं। खुले मंडप में नंदि है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी तथा स्तंभ बने हैं। मुख्यमण्डप, नंदिमंडप, प्रवेशद्वार, गलियारा, बरामदा, तथा गौण मंदिर आदि इस संरचना के प्रमुख अंग हैं। सम्पूर्ण रचना में ताख, स्तम्भ, अर्धस्तम्भ, गवाक्ष के साथ नखशिखांत अलंकृत हैं। प्रमुख अलंकरण में देवी देवताओं की विशाल प्रतिमायें, पुराण महाकाव्य दृश्य, मिथुन मूर्तियाँ, पशु-पक्षी, बेल-बूटियाँ तथा ज्यामितीय अलंकरण का समावेश है। उत्कीर्ण पश्चात मंदिर को बार बार चित्रित किया गया था। मुख्य मंदिर तो सम्पूर्ण रूप से चित्रित था इसी लिये इसे रंगनाथ रंगमहल भी कहा जाता है। रंगमहल का सात मीटर ऊँचा आधार तल ठोस और अनुप्रयोग्य है जो विशालकाय हाथी, सिंह, काल्पनिक पशु तहा रामायण महाभारत के दृश्यों से अलंकृत है। मंदिर एक बहुत बड़े आँगन के केन्द्र में स्थित है जिसे खम्बों और विशालकाय उत्कीर्णित हाथियों का सहारा दिया गया है। इससे ऐसा आभास होता है कि यह मंदिर अधर में लटका हुआ है। मंदिर विन्यास में मुख्यत: वाद्यमण्डप, नंदीमण्डप, नाट्यमण्डप, अर्धमण्डप, स्तम्भयुक्त मण्डप, अंतराल, पूजागृह, गलियारा, गौणमंदिर आदि का समावेश है। गर्भगृह, अंतराल, मंडप की छतों पर विकसित कमल, अन्नपूर्णादेवी तथा नटराजशिव का अनुक्रम अंकन है। 

सम्पूर्ण मंदिर तीनो ओर से स्तम्भयुक्त गलियारे से घिरा है जहाँ हिन्दू पौराणिक मूर्तियों का उत्कीर्णन है। प्रांगण स्थित उत्तुंग कीर्ति स्तम्भ शैव धर्म का प्रभाव एवं विशाल गजराज राष्ट्रकूट वंश की सत्ता को प्रदर्शित करता है। उत्तरी गलियारे में लंकेश्वर मंदिर की रचना की गयी है। मंदिर विन्यास में मंडप, अंतराल, गर्भगृह, नंडीमण्डप आदि का समावेश है। मंदिर के आधार भाग में पशु पक्षियों की पंक्तियों के उपर मिथुन मूर्तियों का पट्ट भी उत्कीर्णित है। मंदिर के स्तम्भ व दीवार पर देवी देवताओं की मूर्तियाँ उत्कीर्णित हैं पूजागृह में भग्न शिवलिंग तथा पार्श्विक दीवार पर महेशमूर्ति का अंकन है। कैलाश मंदिर को हिमालय के कैलाश का स्वरूप देने में भी शिल्पकारों ने कोई कमी नहीं की थी अपितु मंदिर के शीर्ष पर स्थित पत्थरों को सफेद प्लास्टर व रंग के प्रयोग से हिमाच्छादित दर्शाया गया था। समय के साथ मंदिर पर की गयी चित्रकारी के रंग उतर गये हैं अथवा कई प्रतिमायें खण्डित हो गयी हैं तथापि कैलाशमंदिर अब भी शान से मुस्कुराता हुआ सिर उठाये खड़ा है। संरचना की पिछली ओर से पहाड़ी टीले पर चढ़ कर शीर्ष से यदि मंदिर को देखा जाये तो इसका वास्तविक वैभव दृष्टिगोचर होता है। छत को इस तरह सजाया-संवारा गया है कि दूर से देखने पर ही इस स्थल की अनुपमता का अहसास होने लगे। यह ठीक है कि युनेस्को ने एलोरा गुफा समूहों को विश्व धरोहर की सूची में स्थान दिया है किंतु क्या कैलाश गुफा मंदिर को केवल इतना ही महत्व प्राप्त होना चाहिये? क्या कैलाश मंदिर प्राचीन अभियांत्रिकी का आज भी संरक्षित उदाहरण नहीं है? 

हमने या हमारी पाठ्यपुस्तकों ने इससे क्या सीखा? भारतवर्ष जहाँ सैंकडो ग्रंथ केवल भवन-निर्माण, वास्तुशास्त्र आदि पर केंद्रित हैं वे हमारी वर्तमान समझ को क्या अवदान दे रहे हैं? इस प्रश्न को थोडा बदल कर फिर सामने रखते हैं कि हमारी शिक्षा व्यवस्था वास्तुशास्त्र के उपलब्ध ज्ञान का क्या उपयोग कर रही है? कुछ वास्तुशास्त्रीय ग्रंथ जैसे अपराजितपृच्छा,  कर्णागम, प्रासादमण्डन, राजवल्लभ, वास्तुसौख्यम्, विश्वकर्मा वास्तुशास्त्र, सनत्कुमारवास्तुशास्त्र, वास्तुमण्डन, मयशास्त्र, शुक्रनीति, वास्तुविद्या, प्रतिमालक्षणविधानम्, मानसार शिल्पशास्त्र, मयमतम्,  बृहत्संहिता, शिल्परत्नम्,  समरांगणसूत्रधार, वास्तुकर्मप्रकाशम्, विश्वकर्मा शिल्प, अगत्स्य, उपवन विनोद, वास्तुसूत्र आदि को क्या केवल शोभा की वस्तु नहीं बना दिया गया है? क्या यह सत्यता नहीं कि आज की अभियांत्रिकी को दंभ है कि वह आधुनिकता के सर्वोच्च पायदान पर है, फिर भी कोई दूसरा ताजमहल अब तक नहीं बनाया जा सका? क्या यह सच नहीं कि अब कैलाशमंदिर जैसा कोई भवन निर्मित किया जाना कल्पना से परे है? क्या यह सच नहीं कि अब भारत में जो इमारतें बनाई जा रही हैं उनमें भारतीयता का संपुट नहीं के बराबर है? सीमेंट और कंकरीट का जंगल बनता जा रहा है लेकिन कहाँ हैं वह कलात्मकता जो हमारी पहचान हुआ करती थी? हम फ्यूजन के दौर में रह रहे हैं फिर हमारी इंजीनियरिंग की शिक्षा संस्थानों को कुछ पुराने पन्ने भी उद्धरित कर लेने में समस्या क्या है? हर समय को निर्माण शैली से पहचान मिली है लेकिन हमारा तो नकल युग है। अपना ही प्राचीन ज्ञान यदि आपके अध्ययन-अध्यापन का हिस्सा नहीं तो हसिल ठन-ठन गोपाल होना है। 
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साहीकंटक

Posted: 15 Aug 2020 09:33 PM PDT

साहीकंटक

लेखक कमलेश पुण्यार्क ' गुरूजी'

साही एक जंतु का नाम है,जो बड़े विलाव जैसा होता है,किन्तु इसका मुंह(थुथने)कुत्ते की तरह होता है,और पैर विल्ली से भी कुछ ठिगने कद का- ठीक विलायती कुत्ते जैसा।साही सियारों की तरह मांद में रहना पसंद करता है,भले ही वह उसका खुद का बनाया हुआ न हो।देहातों में, जहां आसपास जंगली वातावरण की भी सुविधा है,ईंट के पुराने भट्ठों में या भवन के खण्डहरों में इसे देखा जा सकता है।मूलतः मांसाहारी होते हुए भी, शाकाहार इसे काफी पसन्द है; यही कारण है कि ककड़ी-खरबूजे आदि इसे बहुत भाते हैं।वनजारे इसका शिकार करना खूब पसन्द करते हैं।किन्तु प्राकृतिक संरचना इसकी ऐसी है कि डंडे के लाख चोट भी इसे जरा भी घायल नहीं कर सकते।इसके शरीर पर दो अंगुल से लेकर बित्ते भर तक के लम्बे, मोटे-पतले, कलमनुमा गोलाई वाले,काफी मजबूत असंख्य कांटे होते हैं,जो आपातकाल की स्थिति भांपते ही सीधे तन कर खड़े हो जाते हैं,और वार बचा लेते हैं।सामान्य स्थिति में ये सुप्त रोयें जैसे पड़े रहते हैं- ठीक वैसे ही जैसे भय या ठंढ की स्थिति में हमारे शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं,और सामान्य अवस्था में शरीर पर चिपके से रहते हैं।

प्राचीन काल में,जब आज का फाउन्टेनपेन नहीं था,मोर के पंख, या फिर इस साही नामक पशु के कांटों का उपयोग लेखनी के रुप में होता था।मोटे-पतले, अलग-अलग लिखावट के लिए अलग-अलग आकार के कांटों का उपयोग किया जाता था।ये कांटे प्राकृतिक रुप से काले-सफेद, दोनों ओर से नोकदार हुआ करते हैं,जो देखने में बड़े सुन्दर लगते हैं।

यज्ञोपवीत-संस्कार में अब तो लोग भूलते जा रहे हैं,किन्तु वटुक के शिखा-क्षौर में शिखाक्षेत्र को पांच खण्डों में विभाजित करने हेतु कुशा और साही-कंटक का अनिवार्य रुप से प्रयोग का विधान है।इसी साही-कंटक से खण्ड करते हुए,बीच में कुशा बांध दिया जाता है,जिसे तत्काल पिता/गुरु द्वारा छिंदित किया जाता है।

साही के कांटे जड़ी-बूटी की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं- बहुत ही कम कीमत में।किसी भी नवरात्रि के पूर्व(आमावश्या की रात्रि या संध्या काल में) इसे क्रय कर घर ले आयें।गंगाजल से शुद्ध कर आदर पूर्वक नवीन लाल वस्त्र का आसन देकर रख दें।अगले दिन से अन्य तान्त्रिक पदार्थों की तरह इसे पंचोपचार पूजन करें- पूरे नवरात्रि भर।साथ ही देवी-नवार्ण मंत्र का ग्यारह माला जप भी नित्य करते रहें। दिन में आपका जो भी नवरात्रि सम्बन्धी योजना हो करते रहें,कोई हर्ज नहीं।इस साही-कंटक-क्रिया को रात्रि में ही करें(निशीथ काल में) तो ज्यादा अच्छा है।एक साथ एक,तीन,पांच,सात,या नौ कांटों को साधित कर सकते हैं।नौ दिनों के पूजन और जप,होमादि से क्रिया सम्पन्न हो जायेगी।कांटा प्रयोग के योग्य हो जायेगा। आगे प्रयोग के समय पुनः कुछ मंत्रजप(प्रयोज्य नाम सहित) करना पड़ेगा।

साधित साही-कंटक-लेखनी से किसी भी षटकर्म-यन्त्र को लिखने से अद्भुत लाभ होता है।सामान्य लेखनी, अनार की लेखनी,मयूरपिच्छलेखनी आदि की तुलना में साही-कंटक-लेखनी का अपना अलग महत्त्व है।

इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य है- विद्वेषण और उच्चाटन।इसमें इसे महारथ हासिल है।पुराने लोग तो डर से साही का कांटा अपने घर में रखना भी नहीं चाहते थे, कि परिवार में लड़ाई-झगड़े होंगे।वैसे काफी हद तक यह सच भी है।सामान्य तया किसी को साही-कांटा अपने घर में रखने का सुझाव तो नहीं ही दूंगा- क्यों कि विद्वेषण इसका द्राव्यिक गुण है।साधित हो जाने पर तो कहना ही क्या।हां,साधकगण- जो विभिन्न तान्त्रिक वस्तुओं को सदा अपने पास रखा करते हैं,उनकी बात कुछ और है।अपनी साधना-बल से रक्षित रहते हैं।

पुनश्च,सावधान करना चाहूंगा कि कोई भी प्रयोग स्वार्थ और लोभ के वशीभूत होकर न करें। अन्यथा भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। शास्त्र का सदुपयोग लोक कल्याण के लिए हो।
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बिहार विधानसभा चुनाव चिराग पासवान के लिए बड़ी चुनौती, पिता की नक्शे कदम पर चलने की कोशिश में खा सकते हैं गच्चा

Posted: 15 Aug 2020 09:22 PM PDT

चिराग पासवान के बयानों से इन दिनों एनडीए में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। वे अपने पिता रामविलास पासवान के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन, इस बात की संभावना दिख रही है कि वे इसमें गच्चा खा सकते हैं। उनके बयानों से जदयू और भाजपा दोनों असहज महसूस कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक के रविशंकर बताते हैं कि रामविलास पासवान राजनीतिक हालातों को भांपने में अक्सर सफल हुए हैं। लेकिन, चिराग अगर पाला बदलते हैं तो यह लोजपा के लिए बड़ा नुकसान होगा। वर्तमान परिस्थितियों से यह साफ लग रहा है कि बिहार में अगली बार भी एनडीए की ही सरकार बनेगी।

'मौसम वैज्ञानिक' हैं रामविलास पासवान
रामविलास पासवान का यह इतिहास रहा है कि वे हर चु्नाव से कुछ महीने पहले यह भांपने में लग जाते हैं कि सत्ता की चाबी किसके हाथ लगने वाली है। 1977 से लेकर 2019 तक के चुनाव को देखा जाए तो ज्यादातर वे सफल ही हुए हैं। यही वजह है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने उन्हें मौसम वैज्ञानिक की उपाधि दी थी।

चिराग की बयानबाजी: कहीं यह प्रेशर पॉलिटिक्स तो नहीं
पिछले दिनों चिराग के बयानों से जिस तरह समीकरण बदल रहा है उससे तो यही लगता है कि वे अपने पिता के रास्ते चलने की कोशिश में हैं। इसे प्रेशर पॉलिटिक्स का भी हिस्सा माना जा सकता है। एनडीए में हुए असहज स्थिति के पीछे यही वजह है। करीब डेढ़ महीने पहले चिराग ने कहा था कि लोकसभा चुनाव की तरह की विधानसभा चुनाव में भी सीट शेयरिंग होनी चाहिए। इस पर जदयू और भाजपा दोनों चुप थी। लेकिन, चिराग अपनी मांगों पर अड़े थे। जदयू-भाजपा लगातार यह कह रही थी समय आने पर सीट शेयरिंग हो जाएगी।

राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि लोजपा नहीं चाहती है कि सीटों का बंटवारा अंतिम वक्त पर हो। ऐसे में अगर लोजपा को कम सीट मिलती है तो उनके पास दूसरा कोई चारा नहीं रहेगा। यही वजह है कि चिराग पहले यह कह रहे थे कि भाजपा-जदयू की जीती हुई सीटों को छोड़कर बाकी 119 सीटों पर हम तैयारी कर रहे हैं। अब चिराग के सुर बदल गए हैं। लोजपा अब सभी सीटों पर तैयारी कर रही है। चिराग ने तो यहां तक कह दिया था कि हम सभी 243 सीटों पर अकेले लड़ने में सक्षम हैं।

पप्पू यादव से मुलाकात के मायने क्या?
चिराग ने दो दिन पहले देर रात पप्पू यादव से भी मुलाकात की थी। मई में मांझी और पप्पू यादव की भी मुलाकात हुई थी। उस वक्त यह चर्चा थी कि पप्पू यादव एनडीए और महागठबंधन से अलग थर्ड फ्रंट बना सकते हैं। लेकिन, पिछले दिनों मांझी के जदयू के साथ जाने को लेकर हो रही चर्चा के बीच यह ठंडे बस्ते में चला गया। चिराग से हुई मुलाकात के बाद यह मामला फिर तूल पकड़ रहा है कि कहीं थर्ड फ्रंट की तैयारी तो नहीं है। क्योंकि चिराग ने जदयू के खिलाफ तो बयानबाजी की लेकिन, कभी महागठबंधन में जाने की बात नहीं की।

चिराग के लिए बड़ी चुनौती है विधानसभा चुनाव
बिहार विधानसभा चुनाव चिराग पासवान के लिए बड़ी चुनौती है। लोजपा के अध्यक्ष पद की कमान संभालने के बाद उन्हें झारखंड और दिल्ली में झटका लग चुका है। पार्टी ने झारखंड में एनडीए से अलग और दिल्ली में साथ लड़ा था लेकिन कहीं जीत नहीं मिली थी। बिहार चुनाव में अगर पार्टी लड़खड़ाती है तो चिराग के नेतृ्त्व पर सवाल खड़े हो जाएंगे।



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चिराग पासवान के जदयू और बिहार सरकार के खिलाफ बयानों पर पिता रामविलास ने अभी कुछ नहीं कहा है, फाइल।


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/bihar-politics-bihar-assembly-elections-is-big-challenge-for-chirag-paswan-trying-to-follow-the-steps-of-his-father-ramvilas-paswan-127620283.html

कोरोना के चलते नहीं बढ़ेगा नियोजित शिक्षकों का वेतन, सेवाशर्त पर सोमवार को लगेगी कैबिनेट की मुहर

Posted: 15 Aug 2020 07:22 PM PDT

बिहार सरकार कोरोना से निपटने के लिए अपने पूरे संसाधन का इस्तेमाल कर रही है। दूसरी ओर लॉकडाउन और आर्थिक सुस्ती के चलते सरकार की आमदनी कम हुई है। इन सबका असर नियोजित शिक्षकों पर पड़ा है। पहले चर्चा थी कि सेवा शर्त पर मंजूरी के साथ ही शिक्षकों को 20 फीसदी वेतन वृद्धि का तोहफा भी मिल सकता है। लेकिन सूत्रों के अनुसार कोरोना के चलते सरकार ने वेतन वृद्धि पर सहमति नहीं जताई है।

नियोजित शिक्षकों का वेतन तो नहीं बढ़ेगा, लेकिन उन्हें सेवा शर्त, ईपीएफ और प्रमोशन का लाभ मिलेगा। सोमवार को कैबिनेट में सेवा शर्त पर स्वीकृति मिल सकती है। इसके बाद मंगलवार से यह लागू हो जाएगा। सरकार ने नियोजित शब्द भी हटाने की घोषणा की है।

नई सेवा शर्त का लाभ
नियोजित शिक्षक लंबे समय से सेवा शर्त की मांग कर रहे थे। सेवा शर्त नियमावली लागू होने के बाद नियोजित शिक्षकों को प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति मिलेगी। शिक्षकों को तबादले का मौका मिलेगा। पहले नियोजित शिक्षकों की बहाली के लिए बनी नियमावली में पूरे सेवाकाल में एक बार अपने नियोजन इकाई के अंदर किसी स्कूल में तबादले का प्रावधान था। नई सेवा शर्त नियमावली लागू होने पर सेवाकाल में अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह ही एसीपी और प्रोन्नति का लाभ मिलेगा।

24 हजार स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद हैं खाली
अभी बिहार में लगभग 24 हजार स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद खाली हैं। नई सेवा शर्त नियमावली लागू होने से इन पदों पर नियोजित शिक्षकों को भी प्रोन्नति का लाभ मिल सकेगा। राज्य में 42701 प्राथमिक स्कूल, 30176 मध्य विद्यालय और माध्यमिक उच्च माध्यमिक विद्यालय 5391 हैं। राज्य में अभी 3.23 लाख नियोजित शिक्षक हैं। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष ही नियोजित शिक्षकों को वेतनमान का लाभ दिया था।



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राज्य सरकार ने पिछले वर्ष ही नियोजित शिक्षकों को वेतनमान का लाभ दिया था। (फाइल फोटो)


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/bihar-salary-of-employed-teachers-will-not-be-increased-due-to-corona-127620227.html

पुनपुन पटना में खतरे के निशान से ऊपर, 24 घंटे में आधा मीटर बढ़ गई नदी

Posted: 15 Aug 2020 06:22 PM PDT

पुनपुन नदी पटना में खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है। पिछले 24 घंटे में नदी का जलस्तर 50 सेंटीमीटर बढ़ गया। उधर पटना समेत पूरे प्रदेश में गंगा और सोन नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगा है। पुनपुन पटना के श्रीपालपुर में खतरे के निशान से 16 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है।

उधर, सूबे की नदियों की रफ्तार पर ब्रेक के बावजूद अभी भी 10 नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। गंगा का जलस्तर पूरे प्रदेश में बढ़ रहा है। नदी में इलाहाबाद से ही उफान है। इसका जलस्तर बक्सर से भागलपुर तक बढ़ रहा है।

गंगा पिछले 24 घंटे में बक्सर में 35 सेंटीमीटर, पटना के दीघा में 30 सेंटीमीटर और गांधीघाट में 22 सेंटीमीटर व हाथीदह में 14 सेंटीमीटर, जबकि मुंगेर में 7 और भागलपुर में 3 सेंटीमीटर बढ़ी।

इधर, बागमती सीतामढ़ी के ढेंग, सोनाखान, कटौंझा और मुजफ्फरपुर के बेनीबाद व दरभंगा के हायाघाट में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसी तरह बूढ़ी गंडक मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर, समस्तीपुर, रोसड़ा व खगड़िया में लाल निशान के ऊपर है। अधवारा व खिरोई दरभंगा में खतरे से निशान के ऊपर है। यही हाल घाघरा का है। यह सीवान में खतरे के निशान से ऊपर है। गंडक गोपालगंज में, कमला बलान मधुबनी में, महानंदा पूर्णिया में और कोसी सुपौल, सहरसा, खगड़िया और भागलपुर में खतरे के निशान से ऊपर है।



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गंगा नदी का जलस्तर पटना के गांधीघाट में 22 सेंटीमीटर बढ़ा है। (फाइल फोटो)


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/news/bihar-river-rises-half-a-meter-in-24-hours-above-danger-mark-in-punpun-patna-127620202.html

पं. प्रेम सागर पाण्डेय से जाने आज का दैनिक पंचांग एवं राशिफल 16 - अगस्त – 2020 रविवार

Posted: 15 Aug 2020 08:43 AM PDT

श्री गणेशाय नम:

पं. प्रेम सागर पाण्डेय से जाने आज का दैनिक पंचांग  16 - अगस्त – 2020 रविवार   

पंचांग

 

तिथि                           द्वादशी                                दिन  10:57:21

नक्षत्र  मृगशिरा             पुनर्वसु  समस्त  दिन /रात्रि

करण :                        

                                  तैतिल                                 13:52:23

                                   गर                                     25:20:08

                                  पक्ष                                     कृष्ण 

                                  योग  वज्र                             07:51:02

                                  वार                                    रविवार 

सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ

                                  चन्द्रोदय                              27:36:00

                                  चन्द्र राशि                            मिथुन 24:52:59 तक

                                  चन्द्रास्त                               17:00:59

                                  ऋतु                                    वर्षा

हिन्दू मास एवं वर्ष

                                  शक सम्वत                           1942  शार्वरी

                                  कलि सम्वत                          5122 

                                  दिन काल                             13:12:31

                                  विक्रम सम्वत                        2077 

                                  मास अमांत                          श्रावण 

                                  मास पूर्णिमांत                       भाद्रपद 

शुभ और अशुभ समय

शुभ समय  :- 

                                  अभिजित                             11:58:45 - 12:51:18

अशुभ समय   :-

                                  दुष्टमुहूर्त                               17:13:59 - 18:06:31

                                  कंटक                                  10:13:41 - 11:06:13

                                  यमघण्ट                               13:43:50 - 14:36:22

                                  राहु काल                             17:20:33 - 18:59:03

                                  कुलिक                                 17:13:59 - 18:06:31

                                  कालवेला या अर्द्धयाम             11:58:45 - 12:51:18      यमगण्ड         12:25:01 - 14:03:32

                                  गुलिक काल                          15:42:02 - 17:20:33

दिशा शूल                 दिशा शूल                      पश्चिम     

चन्द्रबल और ताराबल

ताराबल

अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद 

चन्द्रबल 

मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर

विशेष

प्रदोष व्रत, गोवत्स द्वादशी (बछबारस), अघोर द्वादशी।

पं. प्रेम सागर पाण्डेय से जाने आज का दैनिक राशिफल 16 - अगस्त – 2020 रविवार   

1.    

मेष (Aries):

आज का दिन मध्यम फलदायी रहेगा। शारीरिक थकान का अनुभव करेंगे। संभव हो तो प्रवास टालें। जिद्दी व्यवहार छोड़े। स्वास्थ्य को संभालें क्योंकि पेट से सम्बंधित बीमारी होने की संभावना है। संतान के विषय में चिंतित रहेंगे। कार्य में सफलता प्राप्त होगी। भागदौड़ के कारण परिवार के लिए कम समय निकाल पाएंगे जिस वजह से परिजनों के साथ मनमुटाव हो सकता है।

शुभ रंग  =  लाल

शुभ अंक  :  8

2.    

वृषभ (Tauras):

आप किसी भी कार्य को दृढ़ मनोबल और पूर्ण विश्वास के साथ कर पाएंगे। पिता और पैतृक संपत्ति से लाभ होने के योग हैं। आपके प्रति आपके पिता का व्यवहार भी अच्छा रहेगा। कलाकार तथा खिलाड़ियों के लिए आज का दिन बहुत अच्छा है, क्योंकि उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। संतान के पीछे खर्च के योग हैं।

शुभ रंग  =  आसमानी

शुभ अंक  :  7

3.    

मिथुन (Gemini):

मित्र, बंधु-बांधवों और पड़ोसियों के साथ आपके सम्बंध अच्छे रहेंगे। आर्थिक रुप से आज आप सजग रहेंगे। सावधानीपूर्वक पूंजी निवेश करें। आपका मन चंचल होने की वजह से विचारों में शीघ्र परिवर्तन आएंगे। तन-मन से स्फूर्ति का आभास होगा। नए काम का प्रारंभ करने के लिए दिन अच्छा है। विरोधियों को आप परास्त कर पाएंगे। भाग्यवृद्धि का दिन है।

शुभ रंग  =  हरा

शुभ अंक  :  3

4.    

कर्क (Cancer):

आपके मन में ग्लानि रहेगी। जो भी कार्य करेंगे उसमें संतोष नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहेगा। आंख में परेशानी होने की संभावना है। परिजनों के बीच मनमुटाव हो सकता है। आपका मानसिक व्यवहार नकारात्मक रहेगा। पढ़ाई में सफलता नहीं मिलेगी। किसी भी प्रकार की अनैतिक प्रवृत्तियों से दूर रहने की सलाह देते है। खर्च पर संयम रखें।

शुभ रंग  =  उजला

शुभ अंक  :  4

5.    

सिंह (Leo):

आप आत्मविश्वास से भरपूर रहेंगे। हर कार्य को दृढ़ निश्चय के साथ संपन्न कर पाएंगे। सरकारी कार्यो में और सरकार से लाभ होगा। पिता और बड़ों का सहयोग मिलेगा। सामाजिक क्षेत्र में मान-सम्मान मिलेगा। व्यवहार में उतावलापन न दिखाएं। क्रोध की मात्रा अधिक रहेगी। पेट से संबंधी पीड़ा हो सकती है इसलिए खानपान में ध्यान रखें। पूरा दिन आनंद से बीतेगा।

शुभ रंग  =  गुलाबी

शुभ अंक  :  1

6.    

कन्या (Virgo):

शारीरिक और मानसिक चिंता के बोझ से दबा रहेगा आज का दिन। किसी के साथ अहम का टकराव न हो इसका ध्यान रखें। कोर्ट-कचहरी में सावधानी रखें। आकस्मिक धन खर्च होगा। मित्रों के साथ कोई अनबन न हो इसका भी ध्यान रखें। धार्मिक कार्यों के पीछे धन खर्च होगा। शांत मन से कार्य करें। क्रोध के कारण कार्य बिगड़ने की संभावना है। मानसिक व्यग्रता रहेगी।

शुभ रंग  =  हरा

शुभ अंक  :  3

7.    

तुला (Libra):

आज आपको भिन्न-भिन्न लाभ होने के योग हैं। मित्रो के साथ मिलना-जुलना और कुछ मनोहर स्थलों पर घूमने जाने की संभावना है। गृहस्थ जीवन में पुत्र और पत्नी से सुख की प्राप्ति होगी। धन प्राप्ति के योग हैं। आय में वृद्धि हो सकती है। व्यापारी वर्ग को अच्छा लाभ मिल सकता है। स्त्री मित्रों से लाभ होगा। उत्तम वैवाहिक सुख की प्राप्ति होगी।

शुभ रंग  =  हरा

शुभ अंक  :  3

8.    

वृश्चिक (Scorpio):

गृहस्थ जीवन में आनंद और उल्लास बना रहेगा। सभी कार्य बिना अवरोध के संपन्न होंगे। मान-सम्मान मिल सकता है। नौकरी, व्यवसाय में पदोन्नति होगी। उच्च पदाधिकारियों और बड़े-बुजुर्गों की कृपादृष्टि रहेगी। आरोग्य अच्छा रहेगा। धन लाभ का योग है। व्यापारियों के बाहर जाने के योग हैं। मित्रों और सम्बंधियों से लाभ होगा। संतान की प्रगति होगी।

शुभ रंग  =  लाल

शुभ अंक  :  8

9.    

धनु (Sagittarius):

आपको यात्रा-प्रवास स्थगित करने को सूचित करते हैं। आज आपके शरीर में थकान रहेगी। मन में चिंता और व्याकुलता रहेगी। संतान के विषय में चिंता होगी। व्यवसाय में बाधा आएगी। भाग्य साथ नहीं दे रहा ऐसा प्रतीत होगा। जोखिम भरे विचारों और बर्ताव से दूर रहें। कार्य में सफलता प्राप्ति के योग कम हैं। उच्च पदाधिकारियों के साथ संघर्ष होगा।

शुभ रंग  =  पीला

शुभ अंक  :  9

10.        

मकर (Capricorn):

ऑफिस और व्यवसायिक क्षेत्र में परिस्थिति अनुकूल रहेगी। व्यावहारिक या सामाजिक कार्य के लिए बाहर जाने के अवसर मिल सकते हैं। खान-पान और घूमने-फिरने में ध्यान रखें। आकस्मिक खर्च के योग हैं। भागीदारों के साथ आंतरिक मतभेद बढ़ेगा। घुटनों में दर्द हो सकता है। क्रोध और निषेधात्मक विचार से दूर रहें। नए कार्य का प्रारंभ आज न करें।

शुभ रंग  =  क्रीम

शुभ अंक  :  2

11.        

कुंभ (Aquarius):

आज आपमें दृढ़ मनोबल और आत्मविश्वास छलकता हुआ नजर आएगा। विपरीत लिंगीय व्यक्तियों के साथ पहचान होगी और मित्रता बढ़ेगी। छोटे प्रवास या आनंददायी पर्यटन होंगे। रुचिकर भोजन और नए वस्त्रों से मन प्रसन्न होगा। विवाहित दंपतियों को उत्तम वैवाहिक सुख की प्राप्ति होगी। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। वाहन सुख की प्राप्ति होगी।

शुभ रंग  =  आसमानी

शुभ अंक  :  7

12.        

मीन (Pisces):

आज आपमें दृढ़ मनोबल और आत्मविश्वास का संचार होगा। आरोग्य अच्छा रहेगा। घर में शांति और आनंद का वातावरण बना रहेगा। दैनिक कार्य अच्छी तरह से कर पाएंगे। प्रतिस्पर्धियों के सामने विजय प्राप्त होगी। स्वभाव में उत्तेजना रहेगी, जिससे मर्यादापूर्वक बोलें और विनम्रतापूर्वक वर्तन करें। मायके से समाचार आ सकते हैं। सहकर्मियों का सहयोग मिलेगा।

शुभ रंग  =  पीला

शुभ अंक  :  9

पं. प्रेम सागर पाण्डेय् ,नक्षत्र ज्योतिष वास्तु अनुसंधान केन्द्र ,नि:शुल्क परामर्श -  रविवार , दूरभाष  9122608219 /  9835654844

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जीवन सफल बनाओ

Posted: 15 Aug 2020 08:25 AM PDT

जीवन  सफल बनाओ

डॉ विवेकानन्द मिश्र 
जीवन  सफल बनाओ
 बहुत उडे तु  दूर गगन में  अब तो धरती पर   आओ।             गगन नहीं धरती तेरा है     इस धरती को अपनाओ।।
        जीवन  सफल बनाओ       

भूले बिसरे संग साथी को  ढूंढ कर  गले लगाओ।
परहित में सब कुछ अर्पित कर          जीवन सफल बनाओ।।
           जीवन सफल बनओ
जो दिखे तुझे,अर्ध नग्न तन
अर्ध सम्य पीड़ित अनपढ़ जन।
अन्तरमन में उन्हें वसाकर
तुम उन्नति का राह दिखाओ।।
          जीवन सफल बनाओ

गहन व्यथा से रंगे जन-मन को
मरू-भूमि सा बने जीवन को।
तू "विवेक " नई जीवन देकर
अपना धर्म निभाओ।।

जीवन सफल बनाओ


डॉ विवेकानंद मिश्र
डॉ विवेकानंद पथ गोल बगीचा गया
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प्राचीन संस्कृति का विरासत रामशिला

Posted: 15 Aug 2020 08:10 AM PDT

प्राचीन संस्कृति का विरासत रामशिला 

सत्येन्द्र कुमार पाठक 
विश्व की प्राचीन धरातल और विंध्य पर्वत माला का कीकट प्रदेश की राजधानी और बुध नंदन राजा गय द्वरा स्थापित गया का राम शिला भारतीय संस्कृति का धरोहर है। असुर संस्कृति के पोषक गयासुर ने गया के चतुर्दिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।यहां पितरों का निवास,ब्रह्माजी ,भगवान विष्णु तथा भगवान शिव का प्रिय स्थल है।गया कि सभी पहाड़ियां विभिन्न देव को समर्पित है ।ब्रह्मा जी को ब्रह्मयोनि पर्वत पर प्रकृति और पुरुष का समन्वय , तथा ब्रह्मयोनि की उच्च श्रृंखला पर ब्रह्मा जी की मूर्तियां , फल्गु नदी के किनारे विष्णु पर्वत पर भगवान विष्णु का चरण , यमराज और धर्मराज को समर्पित प्रेतशीला ,,भगवान शिव को समर्पित शिवशिला, माता मंगला गौरी को समर्पित भष्मगिरि पर्वत , किरातों को समर्पित कटारी पहाड़ और भगवान राम को समर्पित राम शिला है। पर्वतों से घिरा और गुप्त गंगा ( फल्गु नदी ) के तट पर गया है । त्रेतायुग में भगवान राम अपने पूर्वजों को मुक्ति और मोक्ष दिलाने हेतु परिवार सहित गया आने पर निवास किए थे वह स्थल राम गया या राम शिला के नाम से ख्याति मिला है।यहां जल कुंड का निर्माण कराया जिसे रामसरोवर के नाम विख्यात है। रामशिला की श्रृंखला पर भगवान राम द्वारा शिवलिंग की स्थापना और राम कुंड का निर्माण कराया गया ।रामशिला पहाड़ के तलहट्टी में दुर्लभ स्फटिक शिवलिंगस्थापित है।रामशिला पहाड़ के ऊपर 20 सीढ़ी चढ़ने पर श्रीराम मंदिर है. यहाँ पर श्री जगमोहन के चरण-चिन्ह बना बना है. मंदिर के दक्षिण में बरामदे में दो-तीन प्राचीन मूर्तियां है. 
रामशिला पहाड़ के तलहट्टी स्थापित मंदिर में, जहां देश का तीसरा स्फटिक शिवलिंग विराजमान है. पहला स्फटिक शिवलिंग रामेश्वरम में, दूसरा जम्मू के रघुनाथ मंदिर और तीसरा रामशिला स्थित स्फटिक शिवलिंग मंदिर में है. 



मंदिर में करीब एक फीट ऊंचे और इतना ही वृत्ताकार शिवलिंग जो काफी दुर्लभ है. स्फटिक शिवलिंग के अंदर नाग की आकृति अभी तक रहस्य और विस्मयकारी बनी हुई है. स्फटिक रेत एवं ग्रेनाइट का मुख्य घटक है. पृथ्वी के धरातल पर क्वार्ट्ज दूसरा सर्वाधिक पाया जाने वाला खनिज है ।
रामशिला पहाड़ी में बने मंदिर में भगवान श्री गणेश जी के मूंगा की पांच फीट उंचा भव्य प्रतिमा है. यह बहुत ही दुर्लभ मूर्ति है और भारत वर्ष में बहुत ही कम देखने को मिलता है और बहुत ही कीमती है. त्रेता युग मे भगवान राम अपने पिता दशरथ जी की मृत्यु के बाद भगवान राम ने फल्गु तट पर पिण्डदान किया और उसके बाद यहाँ आ कर रामशिला पहाड़ के ठीक सामने सड़क के पार रामकुंड में भगवान राम ने स्नान कर रामशिला वेदी पर पिता राजा दशरथ को पिंड दिया था ।
भगवान् राम रामशिला पहाड़ के श्रृंखला पर ऋणमोचन-पापमोचन शिवलिंग की स्थापना की ।शैव धर्म स्थल के रूप में माना जाता है.। पिंडदानी लोग अपने पूर्वज के पिंड दान करते है । भगवान राम ने लक्ष्मण और सीता के साथ गया धाम के उत्तरी सिरे पर अवस्थित पर्वत के शिखर पर विश्राम किया था. शिखर पर उन्होंने रामेश्वर या पातालेश्वर महादेव शिवलिंग की स्थापना और पूजन किया । यहां पिंडदान करने से पूर्वज सीधे स्वर्गलोक जाते हैं. रामकुंड में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है ।रामशिला पहाड़ के उपर उसके आस पास बहुत पुराने कई मूर्ति स्थापित है और उसमें कुछ नए भी है. यह सन १०४१ में मुख्यतः बना है । रामशिला पहाड़ पर पातालेश्वर महादेव मंदिर से गया शहर का सुन्दर एवं मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है. रामशिला एक प्रसिद्ध धर्म तीर्थ है.रामशिला पहाड़ की ऊंचाई ७१५ फीट है. पहाड़ पर बने पातालेश्वर शिव और राम लक्ष्मण मंदिर दर्शनीय है. साथ ही वासुकीनाथ भी अपने अलौकिक रूप में नजर आते है. यहां पूजा-अर्चना करने से काल सर्प और असामयिक मृत्यु का भय दूर हो जाता है.। शिव मंदिर का निर्माण टिकारी राज अम्बिका शरण सिंह द्वारा टिकारी राज के कोर्ट ऑफ वर्ड्स के समय, गया शहर के पहसी में प्रवास के दौरान, सन १८८६ ई. में कराया था. उन्होंने रामशिला पहाड़ पर पातालेश्वर महादेव मंदिर जाने के लिए सीढियों का पुनर्द्धार किया गया था ।रामशिला में अवस्थित शिवलिंग शीतलता का प्रतीक है ।सावन में लगती है भीड़ रामशिला स्थित शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से मन को चंद्रमा के समान शीतलता मिलती है. इसके अलावा बाबा भोलनाथ भक्तों के हर प्रकार के कष्ट को दूर कर देते हैं । वेदों और पुराणों तथा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रामशिला पर अवस्थित स्फटिक शिवलिंग का दर्शन और पूजन करने से मंकी शांति,चतुर्दिक विकास तथा चंद्रमा,सूर्य ,और शुक्र ग्रह मिल कर ऊर्जा का संचार और भगवान शिव की कृपा होती रहती है साथ ही सभी ग्रह का प्रभाव विकास की ओर ले जाता है ।
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मेरे मन की बात :-अभी इतनी जल्दी क्या थी प्रधानमंत्री जी

Posted: 15 Aug 2020 07:57 AM PDT

मेरे मन की बात :-अभी इतनी जल्दी क्या थी प्रधानमंत्री जी

डॉ अजित कुमार पाठक 

आपने देश के ईमानदार कर दाताओ के लिए बहुत सी घोषणाएँ की ,मसलन पारदर्शी कराधान-ईमानदार कर दाताओं को सम्मान और सीमलेस पेनलेस और फियरलेस टैक्स प्रणाली को लागु करने और टैक्सपेयर्स चार्टर लागू करने की घोषणा की | देखने और सुनने में तो यह बहुत ही खुबसूरत और प्रभावकारी लगता है पर क्या आप जानते है की देखने और सुनने में काफी अच्छी लगने वाली सभी चीजें वास्तविक में उतनी अच्छी नही होती है | भारत विविधताओं वाला देश है | यहाँ सभी तरह के लोग रहते हैं यहाँ किसी तरह दो जून की रोटी कमाने वाला भी रहता है और करोड़ों रूपये प्रतिदिन कमाने वाला भी रहता है | यहाँ ऐसे भी शहर है जो पूरी तरह आधुनिक सुख सुविधाओं से लैस हैं और कुछ ऐसे भी शहर हैं जहाँ न सही ढंग से बिजली, पानी और सड़क भी नहीं है | देश में करोड़ो लोगों की आमदनी इतनी नहीं है कि वो आयकर की सीमा में आयें| करोड़ों को तो यह भी नहीं पता है की आयकर किस चिड़ियां का नाम है| .शिक्षा की स्थिति आपसे छिपी नहीं है, ऐसें में कम्पुटर शिक्षित की संख्या तो और भी काफी कम है ,जबकि सारा काम देश में कम्पुटर से ही होता है ऐसे विविधताओं वाले देश में बिना करदाताओं को शिक्षित किये या लोगों को बिना प्रशिक्षित किये बिना आपने कैसे समझ लिया की आपकी की हुई घोषणा सफलीभूत हो जाएगी | इसलिए आपको चाहिए था कि आप फेसलेस असेसमेंट को सारे देश में एक साथ लागू करने की जगह पहले की तरह बड़े बड़े महानगरों में लागू करते और वहां भी आप उस केस में करते जहाँ आयकर विभाग को यह लगता की करदाता ने काफी बड़ी मात्रा में कर की चोरी की है | छोटे करदाता का अगर फेसलेस असेसमेंट होगा तो वो अपनी बात सही ढंग से नहीं कह पायेगा और अपनी बात कहने के लिए अधिवक्ता या सी.ए को रखना पड़ेगा जिसकी फीस वह नहीं देने की स्थिति में नहीं होगा | असेसमेंट में भी सारे कागजातों को असेसमेंट ऑफिसर को अपलोड कर भेजने में भी बहुत बड़ी समस्या होगी | इन परेशानियों के लिए इस योजना को चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू करना चाहिए था | अपील में तो अभी फेसलेस नहीं करना चाहिए था क्योंकि भाषाई समस्या के साथ साथ अन्य कई तरह की समस्या आयेगी |जिससे पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पायेगा फलस्वरूप संबंधित उच्च न्यायालयों में मुकदमों की बाढ़ आ जायेगी| जहाँ एक तरफ सरकार मुकदमों को कम करना चाहती है वहीँ बेवजह मुकदमों के बढ़ जाने से आयकर विभाग और करदाता दोनों की परेशानी का ग्राफ काफी उपर हो जायेगा| अगर असेसमेंट की फेसलेस प्रक्रिया को पुरे देश में सफलतापूर्वक लागु हो जाने के बाद अपील की फेसलेस प्रक्रिया लागु होती तो यह देश हित में अच्छा होता| लेकिन आप भी नौकरशाहों के चंगुल में आ गए हैं जो आपको वास्तविक जमीनी धरातल की बात नहीं बताता है| इसे लागु करने के पहले आप ने जनता से राय ली, अधिवक्ता, सी.ए, व्यापारियों आदि के संगठनो से सलाह मशविरा लिया| नहीं न, तो आपको इतनी जल्दी क्यों थी आपको? क्या आपको नहीं लगता है कि इसे लागू करने से पुरे देश में एक व्यापक उथल-पुथल नहीं हो जायेगी? सैकड़ों वर्षों की व्यवस्था को एक झटके में खत्म कर देने से आपको राजनैतिक फ़ायदा तो मिल जायेगा लेकिन आम करदाताओं को जब परेशानियों का सामना करना पड़ेगा तो उसकी आह आपको लग जायेगी| अभी भी समय है, आप आपने फैसले पर फिर से विचार करें| अगर आपको इमानदार करदाताओं की इतनी ही फिक्र है आपको तो उन्हें सत्तर वर्ष के बाद उन्हें सामाजिक सुरक्षा दें, एक निर्धारित सम्मान राशी दें, हवाई-जहाज रेल की यात्रा में आरक्षण दें, अगर देश के बहादुर सैनिक देश की रक्षा में बाह्य सुरक्षा में लगा रहता है तो आपका ईमानदार कर दाता भी देश की आतंरिक व्यवस्था में लगा रहता है| देश का हर नागरिक सम्मान चाहता है और अगर आप देश के करदाताओं को समाज में विशिष्ट सम्मान देंगें तो हर कोई करदाता बनना चाहेगा| वह देश के विकाश में भागीदार बनना चाहेगा| अगर ईमानदार पहल करना चाहतें है तो पहले राजनैतिक पार्टियों को चन्दा देने वाले प्राबधान को हटाइए, कालेधन को बढ़ने वाले उन प्राबधानो को भी शिथिल कीजिये जिससे देश में एक छद्म अर्थव्यवस्था का निर्माण होता जा रहा है |
इसलिए आपसे अनुरोध है कि आप आपने लिए गए फैसले पर पुनःविचार करें और देश के आम करदाताओं के हितार्थ इस योजना को क्रमबद्ध ढंग से लागू करें ताकि यह योजना अपने उदेश्यों को सही ढंग से प्राप्त कर सके |
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जहानाबाद की सांस्कृतिक विरासत

Posted: 15 Aug 2020 07:47 AM PDT

जहानाबाद की सांस्कृतिक विरासत

सत्येन्द्र कुमार पाठक

बिहार का इतिहास मागधीय संस्कृति और सभ्यता से जुड़ी है जिसमें जहानाबाद के बराबर पर्वत समूह, गया का ब्रह्मयोनि पर्वत समूह तथा राजगीर पर्वत समूह में छिपी हुई प्राचीन धरोहरों की पहचान है। 931 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में जहानाबाद जिले में 1124176 आवादी निवासी है। 1872 ई. में जहानाबाद अनुमंडल की स्थापना हुई थी और 01 अगस्त 1986 ई. को जहानाबाद को जिला का सृजन किया गया है।1819 ई. में जहानाबाद जिले के ओकरी, इक्किल, तथा भेलावर को परगाना और 1879 ई. में घेजन को महाल का दर्जा प्राप्त हुए थे । सभी परगाना और महाल टिकारी राज का राजा मित्रजित सिह के आधीन था।1904 ई. में जहानाबाद जेल बने। जहानाबाद जिले के बराबर , धराउत, घेजन, ओकरी, भेलावार , दक्षणी, काको, दाबथु , जहानाबाद , केउर, अमथुआ, पाली तथा नेर में सौर धर्म, शैव धर्म , वैष्णव धर्म , शाक्त धर्म, बौद्ध धर्म , जैन धर्म , इस्लाम धर्म , ईसाई धर्म की विरासत विखरी पड़ी है । महाभारत काल में राजा जहनू ने दरधा - जमुने नदी संगम पर जहान नगर की स्थापना की ।यह राजा शैव धर्म के उपासक और पंचलिंगी शिव की स्थापना की । शैव धर्म ,सौर धर्म , शाक् धर्म तथा वैष्णव धर्म के मंदिर का निर्माण किया है परंतु काल चक्र से भूकंप, बाढ़ से प्रभावित होकर प्राचीन धरोहरों का भू में समहित है परन्तु शिव लिंग, प्राचीन धरोहर जहानाबाद ठाकुरवाड़ी में स्थित है। धराऊत में ब्राह्मण धर्म की विरासत 600-200 ई. पू. का धरोहर वीखरी हुई है । शूरसेन वंशिय राजा चंद्रसेन ने शासन के लिए धाराउत में राजधानी बनाई तथा शिव लिंग, सूर्य मूर्ति, काली की मूर्ति तथा बौद्ध दर्शन के लिए स्तूप का निर्माण कराया है। जह्नु ने जहान नगर बसाया था ।इस नगर का राजा जह्नु थे। जहान नगर नाम से ख्याति प्राप्त का नाम परिवर्तित 17वी सदी के बादशाह औरंगजेब की बहन जहाँ आरा ने जहान नगर में दौरा की थी ।जहान नगर की मंडी को जहाँआरा मंडी नाम करण किया गया था। कालांतर जहान नगर को जहाआरा नगर, जहाँवाद वर्तमान में जहानाबाद के नाम से ख्याति प्राप्त की है ।
घेज़न में भगवान बुद्ध की प्रतिमा महायान द्वारा स्थापित किया गया है। यहां के गढ़ की पहचान शाक्त धर्म से जुड़ाव है बाद में यह गढ़ बौद्ध विहार के नाम से ख्याति अर्जित की है। काको में कुकुत्स ने कोकट्स , काको नगर की स्थापना की और कोकाट्स का राजा कुकुत्स ने काको नगर का विकास किया । यह क्षेत्र सौर धर्म , शैव तथा वैष्णव धर्म का विकास तथा भगवान विष्णु आदित्य की मूर्ति और पनिहास सरोवर का निर्माण कराया था। यहां पर सूफी योगनी कमलो बीबी एवं दौलत बीबी का मजार प्राचीन काल से है। इस मजार पर मानसिक या शारीरिक अक्षमता वाले आकर चंगा होते हैं और सांप्रदायिक एकता का पवित्र स्थल है। दक्षिणी के राजा दक्ष ने सौर धर्म की उपासना के लिए उतरायण और दक्षिणायण सूर्य की मूर्ति की स्थापना एवं तलाव का निर्माण कराया था । राजा दक्ष का गढ़ दक्षिणी के नाम से जाना जाता है। भेलावर के राजा ने शिव लिंग तथा भगवान सूर्य की मूर्ति और तलाव का निर्माण कराया था। भगवान महावीर ने अपनी केवल्य प्राप्ति के बाद केवल्य वर्तमान केऊर में रह कर जैन धर्म की उपासना स्थल बनाया और संरक्षा के लिए चन्द्रगुप्त ने विष्णु , जगदम्बा, सूर्य, शिव लिंग की स्थापना की। केयूर का गढ़ से प्राप्त मूर्तियां प्राचीन धरोहर के रूप में महत्त्वपूर्ण हैं। जहानाबाद जिले के बराबर पर्वत समूह में छिपी हुई प्राचीन धरोहरों की पहचान से मगध की सभ्यता का उद्भव और संस्कृति दिलाती है।
बराबर पर्वत समूह में मगध सम्राट अशोक ने 322-185 ई. पू. में गुफ़ा का निर्माण कराया तथा वैदिक धर्म के ऋषि लोमाष के नाम पर लोमश गुफ़ा, सुदामा के नाम पर सुदामा गुफ़ा, अंग राजा कर्ण के नाम पर कर्ण चौपर गुफ़ा , ब्रह्मर्षि विश्वामित्र के नाम पर विश्वामित्र गुफ़ा (विश्व झोपड़ी), जैन धर्म के आचार्य योगेन्द्र के नाम योगिया (योगेन्द्र) गुफ़ा , बौद्ध धर्म के भदंत के नाम वाह्य गुफ़ा तथा बौद्ध धर्म के महान खगोल शास्त्री रसायन शास्त्र के ज्ञाता नागार्जुन के नाम पर बराबर पर्वत समूह की एक श्रृंखला का नाम नागार्जुन पर्वत रखा गया था यहां गोपी गुफ़ा का निर्माण सम्राट अशोक के पौत्र दशरथ ने कराया था। बराबर पर्वत समूह का मुरली पहाड़ी, लाल पहाड़ी, सांध्य पहाड़ी , नीतिशास्त्र के ज्ञाता काक भूसुंडी के नाम कौवाडोल पहाड़ी, बौद्ध धर्म के दर्शन शास्त्र के ज्ञाता गुनमति के नाम पर कुनवा पहाड़ी, सूर्यांक गिरि पर वैदिक धर्म एवं बौद्ध तथा जैन धर्म की पहचान है। बराबर की सभी गुफाओं को मगध सम्राट मौर्य वंश के अशोक ने महान बौद्ध दर्शन के ज्ञाता मक्खली गोशाल द्वारा स्थापित आजीविका संप्रदाय को समर्पित किया था। प्रचीन काल इक्ष्वाकु वंश के राजा बाणा सुर ने बनावर्त देश की नीव डाल कर राजधानी बराबर की मैदानी भाग तथा फल्गु नदी के तट पर बना पाताल गंगा नाम से बनाई थी। दैत्य राज बली का पुत्र बाणासुर ने अपनी राजधानी गया जिले का बेलागंज प्रखण्ड के सोनपुर में बनाया ताथा बराबर के मैदानी भाग में सैन्य बल रखा था। सिद्धों द्वारा उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित बाबा विश्वनाथ का उप लिंग सिद्धेश्वर नाथ की स्थापना सूर्यांक गिरि पर की थी। यहां पर माता सिद्धेश्वरी , बागेश्वरी तथा ऋषि दत्तात्रेय सूर्याक गुफ़ा में स्थापित किया गया तथा बाबा सिद्धेश्वर नाथ की आराधना दैत्य राज सूकेशी , गजासुर, भगवान राम, कृष्ण , अनिरुद्ध, उषा, महायोगिनी चित्रलेखा, माया द्वारा की गई है। यहां प्रत्येक वर्ष सावन माह में श्रद्धालु बाबा सिद्धेश्वर नाथ को गंगा जल तथा पाताल गंगा जल से जलाभिषेक ताथा भाद्रपद के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु एवं बाबा सिद्धेश्वर नाथ की आराधना करते हैं। बराबर पर्वत की चट्टानों पर भिती चित्र, गुहा लेखन वास्तु शास्त्र वैदिक काल से रेखांकित किया गया है। यहां पर शुंग वंश, गुप्त वंश , पाल वंश, सेन वंश के राजाओं द्वारा विकास का सशक्त रूप दिया है ।मगध साम्राज्य का सम्राट अशोक ने 255 ई. पू.को तृतीय बौद्ध संगति पाटलिपुत्र की अध्यक्षता मोग्गलीपुत तिस्स करने के दौरान बराबर की गुफाओं को आजीवक संप्रदाय को समर्पित किया था । आजिवक संप्रदाय का अनुयाई सम्राट विंदुसार ने अपने पुत्र अवंति के राज्यपाल अशोक को 269 ई. पू. मगध साम्राज्य का सम्राट घोषित किया था । अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा बौद्ध दर्शन के ज्ञाता उप गुप्त ने 261 ई. पू. में दिया था। बराबर की गुहा लेखन ब्राह्मी लिपि तथा मागधी भाषा में कराई गयी। जैन धर्म के अनुयाई चन्द्रगुप्त मौर्य कोे चाणक्य ने 305 ई.पू. घनानंद को समाप्त करने के बाद मगध साम्राज्य का सम्राट बनाया । चन्द्रगुप्त मौर्य की दीक्षा जैन धर्म के ज्ञाता भद्रबहू द्वारा दी गई थी। जैन धर्म के अाजिवक संप्रदाय के लिए बराबर की गुफाओं को दान दिया था। 305 ई. पू. में बराबर पर्वत समूह सिद्धों के अधीन था । यहां 84 सिद्धों में कर्ण रूपा , सरहपा, नागार्जुन , धर्मारीपा , जोगीपा , भतीपा,मैखलापा, समुदपा , धर्मारिपा आदि का निवास था । ये सभी सिद्ध संप्रदाय सिद्धेश्वर नाथ बाबा के भक्त हैं। बराबर को सिद्धाश्रम के नाम से प्रख्यात था। यहां ब्रह्मऋषि विश्वामित्र का प्रिय स्थल था। प्राचीन काल में नाथ सम्प्रदाय का तीर्थ स्थल बराबर के सूर्यांक गिरि पर बाबा सिद्धेश्वर नाथ है। यहां लिंगायत संप्रदाय का अनुयाई रह कर बाबा सिद्धेश्वर नाथ की आराधना करते थे।बराबर पर्वत पर प्राचीन धरोहर
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शहीदों का कब्र

Posted: 15 Aug 2020 07:01 AM PDT

शहीदों का कब्र

संगीता सागर,मुजफ्फरपुर,बिहार ।
सींच वतन की मिट्टी, दुश्मनों के रक्त से,
चढ़ा भारत माता को शीश
सो रहे थे कब्र में,शहीद चैन की नींद ।
लगा देशप्रेम का मुखौटा,आए
नेता जी चढ़ाने कब्र पर फूल
कब्र से आई आवाज,
'मत चढाओ मेरे कब्र पर फूल
ये फूल लगते है मुझे शूल,
मांगते हो जब मेरे मौत का सबूत ।
कहां थे तुम ?
जब हाथों में लेकर हथियार,
सह रहे थे अपने पीठ पर
गद्दारों के पत्थरों का वार ।
सौ सौ पर एक भारी थे हम,
लेकिन, ये तुम्ही थे न, जिसने बांध दिए थे हमारे हाथ ।
हट जाओ मेरे कब्र से,
जाओ उतारो ये देशप्रेम का मुखौटा ।
जला सकते हो तो जलाओ अपने हृदय में देशप्रेम का दीप ।
फिर आना शहीदों के कब्र पर
चढ़ाने फूल , जलाने दीप ।

संगीता सागर
प्रकाश कुटीर , 
होमलेस चौक,
शैलेश स्थान के पास
खबड़ा रोडमुजफ्फरपुर , बिहार ।
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अरवल ज़िले का सांस्कृतिक विरासत

Posted: 15 Aug 2020 06:23 AM PDT

अरवल ज़िले का सांस्कृतिक विरासत

सत्येन्द्र कुमार पाठक
बिहार की संस्कृति एवं सभ्यता में निहित हैं अरवल जिले का सांस्कृतिक विरासत ।पटना से 65 कि. मी. तथा जहानाबाद से 35 कि. मी. पश्चिम सोन नद के पूर्वी तट पर समुद्र तल से 115 मीटर उचाई पर वसा 637 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र फल में फैले अरवल जिले की स्थापना 20 अगस्त 2001 ई. में की गई है ।316 राजस्व गांव में 298 गांव चिरागी , 65 ग्राम पंचायत, 648994 ग्रामीण तथा 51849 शहरी आबादी वाले अरवल जिले 25 '-00' से 25'- 15' उतरी अक्षांश 84' -70' से 85 '-15' पूर्व देशांतर स्थली है । करपी, अरवल, कुर्था, कलेर तथा सोनभद्र-वंशीसूर्यपुर प्रखंड में करपी का जगदम्बा स्थान मंदिर में शाक्त धर्म का क्षेत्र में महाभारत काल की जगदम्बा, चतुर्भुज भगवान, भगवान शिव पार्वती विहार, शिव लिंग, कई मूर्ति करपी का सती स्थान है ।मदसरवा में ऋषि च्यवन द्वारा स्थापित च्यवनेश्वर शिवलिंग, पंतीत का शिव मंदिर , लारी का सती स्थान गुप्त काल का शिव लिंग , किंजर का शिव मंदिर में शिव लिंग ,उस खटांगी का भगवान सूर्य मूर्ति प्राचीन काल की है । बारहवीं शदी का अफगानिस्तान के कन्नूर के भ्रमण कारी सूफी संत शमसूद्दीन अहमद महमूद उर्फ शाह सुफैद बाज सम्मन पिया अरवली का मजार है । अरवल जिले में पुनपून नदी, सोन नद, हिरण्यबाहू नदी कअवशेष प्रवाहित होती है । मगही भाषा हिंदी भाषी लोगों को स्वास्थ्य के लिए 06 प्रथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ,21 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सचाई के लिए सोन नहर, साक्षरता दर 56.85 प्रतिशत मुहैया है । अरवल जिले में अरवल तथा कुर्था विधानसभा में 476451 मतदाता हैं । प्राचीन काल में करूष प्रदेश , सोन प्रदेश के राजा करूष, शर्याती, हैहय आलवी यक्ष, तथा ऋषि च्यवन, सुकन्या, वत्स, मधुश्रवा , मधुच्छन्दा, बाण भट्ट की जन्म भूमि, कर्म भूमि तथा आधुनिक आध्यात्मिक संत राधा बाा की जन्म स्थली है ।

भारतीय और मागधीय संस्कृति एवं सभ्यताएं प्राचीन काल से अरवल जिले के करपी का जगदम्बा मंदिर में स्थापित माता जगदम्बा, शिव लिंग, चतुर्भुज भगवान, भगवान शिव - पार्वती विहार की मूर्तियां महाभारत कालीन है । कारूष प्रदेश के राजा करूष ने कारूषी नगर की स्थापित किया था । वे शाक्त धर्म के अनुयायी थे । हिरण्यबाहू नदी के किनारे कालपी में शाक्त धर्म के अनुयायी ने जादू-टोना तथा माता जगदम्बा, शिव - पार्वती विहार, शिव लिंग, चतुर्भुज, आदि देवताओं की अराधना के लिए केंद्र स्थली बनाया । दिव्य ज्ञान योगनी कुरंगी ने तंत्र - मंत्र - यंत्र , जादू-टोना की उपासाना करती थी । यहां चारो दिशाओं में मठ कायम था, कलान्तर इसके नाम मठिया के नाम से प्रसिद्ध है ।करपी गढ की उत्खनन के दौरान मिले प्राचीन काल में स्थापित अनेक प्रकार की मूर्ति जिसे उत्खनन विभाग ने करपी वासियों को समर्पित कर दिया । प्राचीन काल में प्रकृति आपदा के कारण शाक्त धर्म की मूर्तियां भूगर्भ में समाहित हो गई थी । गढ़ की उत्खनन के दौरान मिले प्राचीन काल का मूर्तिया ।विभिन्न काल के राजाओं ने करपी के लिए 05 कूपों का निर्माण, तलाव का निर्माण कराया था । साहित्यकार एवं इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता की प्रचीन परम्पराओं में शाक्त धर्म एवं सौर , शैव धर्म, वैष्णव धर्म, ब्राह्मण धर्म, भागवत धर्म का करपी का जगदम्बा स्थान है । करपी जगदम्बा स्थान की चर्चा मगधांचल में महत्व पूर्ण रूप से की गई है । भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना 1861 ई. में हुई है के बाद पुरातात्विक उत्खनन सर्वेक्षण के दौरान करपी गढ के भूगर्भ में समाहित हो गई मूर्तिया को भूगर्भ से निकाल दिया गया था । करपी का सती स्थान, ब्रह्म स्थली प्राचीन धरोहर है । करपी का नाम कारूषी, कुरंगी, करखी, कुरखी, कालपी था ।
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उभरता गायक अभय कुमार ने आज ७४वी स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष में एक देशभक्...

Posted: 15 Aug 2020 05:42 AM PDT

बिहार का उभरता गायक अभय कुमार के द्वारा देशभक्ति गीत है प्रीत जहाँ की रीत सदा
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बिहार छात्र संसद एवं जेडी वीमेंस की छात्राओं ने बच्चो को उपहार दे मनाई स्वतन्त्रता दिवस |

Posted: 15 Aug 2020 05:35 AM PDT

बिहार छात्र संसद एवं जेडी वीमेंस की छात्राओं ने बच्चो को उपहार दे मनाई स्वतन्त्रता दिवस |



इस साल हम 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे है। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस 2020 की थीम  'आत्मनिर्भर भारत'  रखी गई है। भारत आत्मनिर्भर तभी बनेगा जब हर भारतवासी मिलकर आगे बढ़ेंगे ना कोई अमीर होगा ना कोई गरीब होगा सब मिलकर खुशियां मनाएंगे और आजादी का जश्न मनाएंगे।यह उत्सव देश के भविष्य और भारत के प्रत्येक नागरिक के स्वतंत्रता के अधिकार को पोषित करने के लिए उनके भविष्य को भी प्रभावित करता है। इसी दिशा में एक नए कदम के साथ बिहार छात्र संसद की टीम एवं जेडी वूमंस की  कुछ छात्राओं ने गरीब बच्चों के साथ स्वतंत्रता दिवस मिल कर मनाई जिसमें बिहार छात्र संसद के सोनू राज, रमेश सिंह एवं पृथ्वी सिंह के साथ-साथ जेडी विमेंस की कुछ छात्राएं जिनमें सोनी तिवारी,प्रिया वर्मा  ,प्रीति ,नेहा ,सिमरन, मेघा, खुशब ने मिलकर इन गरीब बच्चों के साथ स्वतंत्रता दिवस की खुशियां मनाई साथ ही साथ इन बच्चों में कुछ उपहार भी भेंट किया, जिसमें कॉपी,कलम,बिस्किट और ढेर सारी जलेबीयों के साथ मिठास भरी खुशियां बाटी। चुकी करोना(covid-19) का कहर बहुत ज्यादा है ऐसे में बिहार छात्र संसद की टीम ने सामाजिक दूरी का भी पूरा ख्याल रखते हुए बच्चों में मास्क का भी वितरण करवाया और सभी के हाथों को अच्छे से सैनिटाइज भी किया गया। खुशियां बांटने के लिए बस जज्बा होना चाहिए जरिया और बहाने खुद-ब-खुद आपके कदमों तक चले आएंगे यह साबित किया स्वतंत्रता दिवस पर बिहार छात्र संसद एवं जेडी वीमेंस की छात्राओं ने।
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