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- हिमाचल कैबिनेट की बैठक आज, इन बड़े फैसलों पर लग सकती है मुहर
- बुखार के साथ ही डायबिटीज के मरीजों के लिए भी उपयोगी गिलोय का सेवन
- लड़कियों को रात में भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये वाले काम
- अगर जल्दी बनना है धनवान, तो आज रात चुपचाप करें ये काम
- सीता माता के अभिशाप से ये 4 लोग आज भी पीड़ित है, जानकर हो जाएंगे हैरान
- घोड़े जैसी ताकत पाने के लिए करें इन चीजों का सेवन
- सुशांत के दोस्त का अबतक का सबसे बड़ा खुलासा, उसके पीछे कोई पड़ा हुआ था! आखिर कौन है वो?
- पिता थे गार्ड, बेटे को किताब भी उधार लेकर पढ़नी पड़ी थी, अपने मेहनत से बन चुके हैं IAS अधिकारी
- सब्जी बेचने वाली मां की वो बेटी जिसे मुश्किलें इंटरनेशनल आर्टिस्ट बनने से न रोक सकी
- शिवांगी बनी राफेल उड़ाने वाली पहली महिला पायलट, बचपन से ही चिड़ियों की तरह उड़ना चाहती थी
- अगर आईपीएल 80-90 के दशक में होता तो इन 10 प्लेयर्स को ख़रीदने के लिए सभी टीम टूट पड़तीं
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हिमाचल कैबिनेट की बैठक आज, इन बड़े फैसलों पर लग सकती है मुहर Posted: 25 Sep 2020 07:42 PM PDT हिमाचल कैबिनेट की बैठक शनिवार सुबह 10:30 बजे सचिवालय में सीएम जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में होगी। बैठक में कोरोना पॉजिटिव महिला की आत्महत्या का मामला, अटल टनल रोहतांग के उद्घाटन के लिए पीएम मोदी के दौरे को लेकर मंत्रणा होगी। बाहरी राज्यों के लिए बसें चलाने और डिपुओं में पॉस मशीनों से राशन देने पर भी फैसला हो सकता है। |
बुखार के साथ ही डायबिटीज के मरीजों के लिए भी उपयोगी गिलोय का सेवन Posted: 25 Sep 2020 07:38 PM PDT हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए भारतीय आयुर्वेद में कई तरह के नुस्खे बताए गए हैं, लेकिन इनमें से गिलोय का महत्व सबसे अधिक है। गिलोय के सेवन से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।गिलोय ऐसी चीज है, जो सीधी तौर पर डब्ल्यूबीसी को मजबूत करती है। इसलिए गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए असरदार है। गिलोय के सेवन के फायदे: गिलोय जूस या सत्व का नियमित सेवन शरीर की इम्युनिटी पावर तो बढ़ाता ही है, साथ ही सर्दी-जुकाम समेत कई तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। गिलोय में एंटीपायरेटिक गुण होते हैं। इसी वजह से मलेरिया, डेंगू और स्वाइन फ्लू जैसे गंभीर रोगों में होने वाले बुखार से आराम दिलाने के लिए गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इसलिए यह सांसों से संबंधित रोगों से आराम दिलाने में प्रभावशाली है। गिलोय कफ को नियंत्रित करता है, साथ ही साथ इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाता है। गिलोय के सेवन से शरीर में इन्सुलिन का स्राव बढ़ता है और इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करता है। इस तरह यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी औषधि है। |
लड़कियों को रात में भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये वाले काम Posted: 25 Sep 2020 07:36 PM PDT महिलाओं को बुरी आत्माओं से बचने की ज्यादा जरूरत होती है। जब ही इन्हें ज्यादा सतर्क रहने को कहा जाता है। रात में कुछ कार्यों का करना स्पष्ट मना किया गया है, आइए जानते हैं कि रात को कौन से कार्य नहीं करने चाहिए जिन्हें करने से दुर्भाग्य आता है। रात को नहीं करें ये काम: # रात में लड़कियों को बालों को खुला रखकर नहीं सोना चाहिए। माना जाता है कि रात में खुले बाल सोने पर नकारात्मक शक्तियां आकर्षित होती हैं। # शास्त्रों के अनुसार किसी भी तरह की तेज खुशबू परालौकिक शक्तियों को आकर्षित करती हैं। इसीलिए रात को सोने से पहले हाथ-पांव तथा चेहरा धोकर ईश्वर का ध्यान करना चाहिए। # रात के समय भूलकर भी श्मशान के आस-पास नहीं जाना चाहिए। श्मशान व कब्रिस्तान में रात के समय वहां की मृत आत्माएं चेतन हो जाती हैं। |
अगर जल्दी बनना है धनवान, तो आज रात चुपचाप करें ये काम Posted: 25 Sep 2020 07:32 PM PDT पैसे कमाना कौन नहीं चाहता है लेकिन अक्सर सभी को ये मौका नहीं मिल पाता है। हर मिडिल क्लास परिवार को महीने के आखिर में आर्थिक तंगी से गुजरना ही पड़ता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसा कारगार उपाय बताने जा रहे हैं जिसे अपनाने के बाद आपको कभी भी जीवन में आर्थिक तंगी से जूझना नहीं पड़ेगा। तो आईये जानते हैं की क्या है वो उपाय जिसे जानने के बाद आपके ऊपर भी पैसों की बारिश होगी और आपको कभी भी आर्थिक तंगी से दो चार नहीं होना पड़ेगा। आटे के डब्बे में इन चीज़ों को चुपचाप रख दें अगर आप भी महीने के अंत में आने वाले आर्थिक तंगी से निजात पाना चाहते हैं तो इस उपाय को आजमाकर जरूर देखें। आपको बता दें की इस उपाय को करना जितना आसान है इसका असर उतना ही कारगर होता है। इस उपाय को करने के लिए आपको शनिवार का दिन चुनना पड़ता है और इस दिन आपको गेहूं के साथ में 100 चना डालकर पिसवाना होता है। इसके बाद जब आप इस पिसवाएं हुए आटे को घर के आटे के डिब्बे में रखने लगे तो सबसे पहले डब्बे में 11 तुलसी के पत्ते और दो दाने केसर के भी रख दें। ध्यान रहे की इस उपाय को सफल रूप से करने के लिए आपको शनिवार का दिन ही चुनना है और केवल इसी दिन आपको अपने घर के लिए गेहूं का आटा पिसवाना है। जब आप इस उपाय को करेंगे तो देखेंगे की कुछ ही दिनों में आपके घर से आर्थिक तंगी की समस्या ख़त्म हो जायेगी और घर में शांति का वातावरण भी बनेगा। |
सीता माता के अभिशाप से ये 4 लोग आज भी पीड़ित है, जानकर हो जाएंगे हैरान Posted: 25 Sep 2020 07:29 PM PDT सीता रामायण और रामकथा पर आधारित अन्य रामायण ग्रंथ, जैसे रामचरितमानस, की मुख्य पात्र हैं । सीता नेपाल में जन्मी थी, यह स्थान आगे चलकर सीतामढ़ी से विख्यात हुआ। देवी सीता मिथिला के नरेश राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं । इनका विवाह अयोध्या के नरेश राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्री राम से स्वयंवर में शिवधनुष को भंग करने के उपरांत हुआ था। त्रेतायुग में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के अवतार राम और सीता राजा दशरथ की मृत्यु के पश्चात पिंडदान हेतु बिहार स्थित बोधगया पहुंचे। उस समय कुछ ऐसी घटना हुई जिसके कारण माता सीता ने 4 लोगों को ऐसा श्राप दिया, जिसका प्रभाव आज तक है। बोधगया पहुंचने के पश्चात भगवान राम और लक्ष्मण पिंड दान की सामग्री लेने गए, परंतु दोनों भाइयों के आने में देर होने के कारण पिंडदान का समय निकला जा रहा था, अचानक राजा दशरथ ने स्वयं दर्शन दिए और पिंडदान करने के लिए कहा, उन्होंने कहा उन्हें भूख लगी है। तब सीता ने उत्तर दिया कि उन्हें उनकी पुत्रों के आने तक का प्रतीक्षा करनी होगी जिससे वे तीनों उन्हें चावल और पिंड बनाकर उन्हें दान कर सकेंगे। परंतु दशरथ ने प्रतीक्षा करने से मना कर दिया और माता सीता से फल्गु नदी के किनारे के रेत से पिंड बनाकर दान करने के लिए कहा, तब राम तथा लक्ष्मण के आने से पहले ही माता सीता ने पूरी विधि विधान के साथ पिंड दान कर दिया उस समय वहां जो पांच साक्षी थे, वो वट का पेड़, फल्गु नदी, एक गाय, एक तुलसी का पौधा और एक ब्राह्मण थे। जब राम और लक्ष्मण लौटकर आए और पिंडदान के विषय में पूछा तब माता सीता ने समय का महत्व बताते हुए कहा, कि उन्होंने पिंडदान कर दिया है। अपनी कही बात का सत्यापन करने के लिए सीता ने उन पांच पौधों से राम को सत्य बताने के लिए कहा, परंतु वट का पेड़ के अतिरिक्त सभी ने झूठ बोल दिया। तब स्वयं राजा दशरथ ने स्वयं राम के सामने यह बोला कि की माता सीता ने विधि विधान के साथ उन्हें पिंडदान किया है। तब सीता जी का सत्य सिद्ध हुआ, तब सीताजी ने उन चारों को श्राप दिया। फल्गु नदी को श्राप मिला कि गया में केवल पृथ्वी के नीचे ही बहेगी और ऊपर से सदैव सुखी रहेगी, गाय को श्राप मिला कि गाय की घर घर में पूजा तो होगी परंतु फिर भी उसे जूठा भोजन खाना पड़ेगा, तुलसी को श्राप मिला कि उनका गया में कोई भी तुलसी का पौधा नहीं होगा, ब्राह्मण को श्राप मिला कि गया में ब्राह्मण के कभी जीवन संतुष्ट नहीं होंगे, और सदैव दरिद्रता में ही जिएंगे| और अंत में सीता जी ने वट के पेड़ को वरदान दिया कि जो भी गया में पिंडदान करने के लिए आएगा, वह बके ब्रिज को भी पिंडदान करेगा। तो दोस्तों इस प्रकार से सीता माता का श्राप वहां उपस्थित 4 साक्षी आज भी भोग रहे हैं। |
घोड़े जैसी ताकत पाने के लिए करें इन चीजों का सेवन Posted: 25 Sep 2020 07:23 PM PDT लहसुन शहद का प्रयोग करने से कमजोर से कमजोर व्यक्ति को ऐसी शक्ति और ताकत मिलता है जो घोड़े जैसी बल के समान होता है। इस नुस्खे को अपने शारीरिक की बनावट के अनुसार हर मौसम में यूज किया जा सकता है। ठंड में तो यह विशेष महत्व होता है। इस प्रयोग को करने से व्यक्ति को घोड़े जैसी ताकत मिलती है अगर आपको घोड़े जैसी ताकत चाहिए तो लहसुन और शहद का सेवन भरपूर मात्रा में लें। तो आइए जानते हैं कि लहसुन और शहद के सेवन से क्या क्या फायदा होता है। लहसुन और शहद के सेवन के फायदे-1. लहसुन और शहद के मिश्रण को बनाकर खाने से दिल तक जाने वाली धमनियों में जमी वसा निकल जाती है। जिससे ब्लड सरकुलेशन ठीक तरह से दिल तक पहुंचाता है। और दिल भी तंदुरुस्त रहता है। 2. लहसुन और शहद का मिश्रण बनाकर खाने से गले के इन्फेक्शन एवं गले के संक्रमण को दूर करता है। क्योंकि इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुड़ पाया जाता है। यह गले की खराश और सूजन को भी कम करता है। 3. सर्दी जुखाम क्या करें खात्मा इस मिश्रण को खाने से सर्दी जुखाम के साथ ही साइनस की तकलीफ भी काफी कम हो जाती है यह मिश्रण शरीर की गर्मी बढ़ाता है और बीमारियों को दूर रखता है। |
सुशांत के दोस्त का अबतक का सबसे बड़ा खुलासा, उसके पीछे कोई पड़ा हुआ था! आखिर कौन है वो? Posted: 25 Sep 2020 07:18 PM PDT सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में सामने आए ड्रग एंगल के बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो मामले की सख्ती से जांच कर रही है। इस केस को गंभीरता से लेते हुए NCB ने एक्टर की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया है। जो कि अभी जेल की हवा खा रही हैं। इसी बीच सुशांत के दोस्त युवराज एस सिंह ने रिया चक्रवर्ती पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रिया चक्रवर्ती ने गिरफ्तारी से पहले मीडिया में सुशांत सिंह राजपूत पर ड्रग्स का आदी होने का आरोप लगाया था। एक्ट्रेस के इस स्टेटमेंट पर कई सेलिब्रिटीज का गुस्सा फूटा था। वहीं सुशांत सिंह राजपूत के दोस्त और एक्टर युवराज एस सिंह ने हाल ही में न्यूज 24 से बात करते हुए रिया चक्रवर्ती के दावों पर उंगली उठाई है। युवराज एस सिंह का कहना है कि रिया चक्रवर्ती जबरदस्ती और बिना बताए एक्टर सुशांत सिंह राजपूत को ड्रग्स दिया करती थीं। साथ ही एक्टर को स्लिपिंग पिल्स का भी आदी बना दिया गया था। जिसकी वजह से वो डिप्रेशन में जा पहुंचे। युवराज ने आगे बताया कि रिया अक्सर खाने में एक्टर को नशीला पदार्थ देती थीं। जिससे वो चुप रहें और सो जाएं। युवराज ने रिया पर इल्जाम लगाते हुए ये भी कहा कि वो सुशांत को पागल बनाना चाहती थीं। इसके अलावा युवराज ने ये भी माना है कि ये सब प्लानिंग थी और सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या नहीं की है बल्कि गहरी साजिश के तहत उन्हें मौत के घाट उतारा गया है। युवराज के मुताबिक, सुशांत को ड्रग्स की लत नहीं थी, उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। मामले में सामने आई ड्रग थ्योरी को लेकर ना सिर्फ वह हैरान हैं, बल्कि उनके लिए ये बात डायजेस्ट करना भी मुश्किल हो रहा है। युवराज का कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत को सिर्फ निशाना बनाया जा रहा है। यही नहीं युवराज ने सुशांत सिंह राजपूत के डिप्रेशन में होने की बात को भी खारिज किया है। उनके मुताबिक, सुशांत ऐसे व्यक्ति नहीं थे, जो डिप्रेशन में रहें। वहीं रिया चक्रवर्ती ने बताया था कि सुशांत को मारिजुआना की लत थी। इसके बाद से ही एक्ट्रेस आलोचकों के निशाने पर हैं। खबरों के मुताबिक सुशांत ने अपनी बहन मीतू को 9 जून को SOS कॉल कर अपने डर को लेकर बात की थी। एक्टर की बातों से लगा था कि उनकी लाइफ खतरे में है। सुशांत ने अपनी बहन को भेजे SOS में कहा था- मुझे डर लग रहा है, मुझे मार देंगे। सुशांत की यह चिंता उनकी सुरक्षा को लेकर तब हुई जब रिया 8 जून को उनका घर छोड़कर और लैपटॉप, कैमरा, हार्ड ड्राइव जैसी चीजें अपने साथ लेकर चली गई थी। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने रिया चक्रवर्ती को नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत गिरफ्तार किया है। साथ ही सेशन कोर्ट ने रिया की ज्यूडिशियल कस्टडी को 6 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है। वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर रिया की जमानत याचिका पर 29 सितंबर को सुनवाई होनी है। |
पिता थे गार्ड, बेटे को किताब भी उधार लेकर पढ़नी पड़ी थी, अपने मेहनत से बन चुके हैं IAS अधिकारी Posted: 25 Sep 2020 07:13 PM PDT सूर्यकांत द्विवेदी उत्तरप्रदेश राय बरेली जिले के रहने वाले हैं। सुर्यकांत द्विवेदी लखनऊ विश्वविद्यालय में सिक्योरिटी गार्ड का कार्य करते थे। इनके बेटे का नाम कुलदीप द्विवेदी है। सूर्यकांत सभी से अपने बेटे के बारे में कहा करते थे कि वह भी एक दिन सरकारी अफसर बनेगा। अपने बेटे को सरकारी अफसर बनाने के लिये हर सम्भव प्रयास किया। परिणामस्वरुप कुलदीप द्विवेदी ने अपने पिता के सपने को पूरा कर दिखाया। कुलदीप द्विवेदी के पिता जी लखनऊ विश्वविद्यालय में सिक्योरिटी गार्ड थे। 1991 में उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड की डिप्टी ज्वाइन किया था। उस समय उनकी मासिक आमदनी 1100 रुपये थी। उनके परिवार में 6 सदस्य थे। पूरे परिवार का भरन-पोषण कुलदीप के पिता की सैलरी से ही होता था। समय के साथ सब कुछ बदलता है। कुलदीप के पिता के तनख्वाह में बढ़ोतरी हुईं लेकिन बढ़ोत्तरी के बाद भी तनख्वाह पूरे परिवार के भरण-पोषण के लिये काफी नहीं थी। इसलिये सूर्यकांत द्विवेदी ने अपने गार्ड की डिप्टी से समय निकाल कर खेती के कार्य करने लगें। सूर्यकांत द्विवेदी की अधिक शिक्षित नहीं थें, इसलिए शिक्षा के अभाव में उन्हें कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती थी। शिक्षा का अभाव में परेशानियों का सामना करने के कारण वे शिक्षा के महत्व को अच्छी तरह से समझते थे। कुलदीप द्विवेदी के पिताजी ने अपने बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के लिये हर सम्भव प्रयास किया। उनके बच्चे भी पढ़ाई-लिखाई कर प्राईवेट नौकरी करने लगे जिसके बाद घर-परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। सूर्यकांत द्विवेदी को सबसे ज्यादा खुशी और गर्व उस समय महसूस हुआ जब उनका छोटा बेटा कुलदीप द्विवेदी सरकारी ऑफिसर बने। कुलदीप की प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से पूरी हुईं। उच्च शिक्षा की पढाई पूरी करने के बाद कुलदीप ने 2009 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हिन्दी विषय से B.A की डिग्री प्राप्त किए। उसके बाद उसी यूनिवर्सिटी से उन्होंने Geography (भूगोल) से M.A की उपाधि हासिल किया। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने UPSC की तैयारी करने के लिये दिल्ली चले गयें और वहां एक किराये के कमरे में रहकर यूपीएससी के परीक्षा की तैयारी में जुट गयें। कुलदीप द्विवेदी को घर के आर्थिक दिक्कतो के कारण उन्हें अधिक पैसे नहीं मिलते थे। इसलिए वे एक शेयरिंग के कमरे में रहते थे। अपनी परीक्षा की तैयारी करने के लिये वे अपने दोस्त की किताबों को मांग कर पढ़ाई करतें थे। इतना ही नहीं बल्कि कुलदीप पैसों की बचत करने के लिये हर काम रुम पार्टनर के साथ मिलकर करते थे। कुलदीप द्विवेदी जब यूपीएससी की परीक्षा पहली बार दिये तो वह असफल रहें। पहली बार में उन्होंने यूपीएससी के प्रिलिम्स की परीक्षा भी पास नहीं कर सकें। उसके बाद उन्होंने दुबारा से तैयारी की और परीक्षा दिए लेकिन दूसरें बार भी वह असफल रहें। दुसरी बार की परीक्षा में कुलदीप प्रिलिम्स में पास हुयें लेकिन मेन्स की परीक्षा में फिर से असफल रहें। लगातार 2 बार असफल होने के कारण उनका 2 साल का समय ऐसे ही गुजर गया या यूं कहें की उनके लिये 2 साल डेडलाइन जैसे था क्यूंकि कुलदीप के पिताजी घर की हालत ठीक नहीं होने के कारण अधिक दिनों तक पैसें नहीं भेज सकतें थे। इसके बावजूद भी कुलदीप ने अपनी नाकामयाबी से डर कर नहीं बैठें। उन्होंने अपनी असफलता से सीख लेकर फिर से परीक्षा की तैयारी करनी शुरू की। कुलदीप की मेहनत रंग लाईं। आखिरकार वे 2105 में यूपीएससी की परीक्षा में सफल हो गयें। वे UPSC में 242वां रैंक हासिल कियें जिससे उनके माता-पिता का सपना पूरा हुआ। यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद उन्होंने इंडियन रेवेन्यू सर्विस का चयन किया। सिविल सर्विस में चयन होने के कारण कुलदीप ने अपना और अपने पिता दोनों के सपने को साकार किया और सभी के लिये वह एक प्रेरणा बन गयें। |
सब्जी बेचने वाली मां की वो बेटी जिसे मुश्किलें इंटरनेशनल आर्टिस्ट बनने से न रोक सकी Posted: 25 Sep 2020 07:08 PM PDT हुनर, एक ऐसी चीज़ है जो किसी भी इंसान को निराश नहीं होने देती है. अगर आप में टैलेंट है और उसके दम पर कुछ कर गुज़र जाने का जज़्बा है, तो दुनिया की कोई ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती. इस बात को साबित किया है शकीला शेख़ ने. बेहद ग़रीब परिवार में जन्म लेने वाली शकीला की मां सड़क पर सब्ज़ी बेचकर अपना घर चलाती थीं. आज उनकी बेटी एक इंटरनेशनल आर्टिस्ट हैं. आर्थिक तंगी और पिता का सहारा नहीं होने की वजह से मां ने उन्हें बड़ी मशक्कत करके पाला. कोलकाता की शकीला ने अपनी मां के संघर्ष को व्यर्थ नहीं होने दिया और आज वो इंटरनेशनल स्तर की फ़ेमस कोलाज आर्टिस्ट हैं. सफलता का ये सफ़र तय करना इतना आसान नहीं था. पेट भर भोजन मिलना भी मुश्किल था 1973 में जन्मीं शकीला अपने 6 भाई-बहनों में से सबसे छोटी हैं. अभी एक साल की उम्र भी पूरी नहीं हुई थी कि उनके पिता घर छोड़कर चले गए और कभी वापस लौट कर नहीं आये. पति के इस तरह से चले जाने के बाद अब शकीला की मां ज़हेरन बीबी के ऊपर ज़िम्मेदारियों का भार आ गया. बच्चों की परवरिश और कमाना जैसी दोनों ज़िम्मेदारी उन पर ही आ गयी. घर की ज़रूरतें पूरा करने के लिए ज़हेरन बीबी ने एक सब्ज़ी की दुकान लगानी शुरू कर दी. परिवार बड़ा था, ऐसे में ज़रूरतों को पूरा कर पाना मुश्किल हो जाता था. आर्थिक तंगी ऐसी आ पड़ी कि परिवार को वो दिन भी देखने पड़ा जब घर में खाने को कुछ नहीं होता था. 15 साल बड़े व्यक्ति की दूसरी पत्नी बनीं पढ़ाई पूरी न हो सकी और साल 1987 में उनकी शादी अकबर शेख से हुई. वो उनसे 15 बड़े थे और ऊपर से पहली पत्नी भी थी. ब्याह के बाद पति के साथ सूरजपुर आ गईं. यहां पति भी सब्ज़ी की ही दुकान लगाते थे. वी इतनी कमाई नहीं कर पाते थे कि दोनों पत्नियों के साथ एक आरामदायक जीवन जी सकें. जिसके चलते शकीला ने घर में ही 'थोंगा' (पेपर पैकेट) बनाना शुरू कर दिया. इस काम से उन्हें रोजाना 20 से 30 रुपए मिल जाते थे. जीवन में आए बाबू एक बार फिर ईश्वर के रूप में आये साल 1989 में, पनेसर बाबू ने शकीला को एक पेंटिंग प्रदर्शनी देखने के लिए बुलाया. इस प्रदर्शनी में फ़ाइन आर्ट्स का प्रदर्शन दिखाया जाना था. उन्हें इसमें कोई इंटरेस्ट नहीं था मगर पनेसर बाबू को कभी न नहीं कह सकती थी, तो पति के साथ वो वहां गयीं.. वहां जाकर पेंटिंग्स को देखकर वो खुश हुईं. इस दौरान बाबू ने चार बेस्ट पेंटिंग्स बताने को कहा. बाबू तब हैरान हो गए जब शकीला की सलेक्टेड पेंटिंग ही विनर बन गयी. बाबू ने कहा कि शकीला को कला की पहचान है और यहां से उन्होंने शकीला को एक आर्टिस्ट बनने की राह दिखाई. उत्साहित शकीला घर आकर एक्सपेरिमेंट करने लग गयीं. उन्होंने घर आकर अलग-अलग तरीकों से कागज़ का इस्तेमाल का डिजाईन बनाया. वह अलग-अलग साइज और शेप के पेपर को बेहतरीन तरीके से जोड़कर भगवान आदि बनाने लगीं. उनके काम को जब बाबू ने देखा तो वो बहुत खुश हुए और उनके बनाए हुए कोलाज के लिए प्रदर्शनी भी लगवाई. इस तरह पहली बार साल 1990 में, शकीला के आर्ट की पहली सोलो प्रदर्शनी लगी. इसके ज़रिये उन्हें 70,000 रुपये की कमाई हुई. इसके बाद उनके कदम कभी पीछे नहीं हटे. बाबू ने ही शकीला को CIMA (सेंटर ऑफ़ इंटरनेशनल मॉडर्न आर्ट) के बारे में बताया. आज के समय में, यही उनके काम को देश-विदेश में मैनेज और लेकर जाता है. साल 2003 में, शकीला को ललित कला अकादमी फ़ेलिसीटेशन और 2005 में चरुकला अवार्ड से नवाजा गया. वर्तमान में उनका काम फ्रांस, जर्मनी, नॉर्वे और अमेरिका जैसे देशों में खूब पसंद किया जाता है. शकीला की कहानी हर मायने में ख़ास है. जहां उनका टैलेंट और हिम्मत उनके साथ थी. वहीं पनेसर बाबू जैसे लोगों का मिलना भी कम होता है. वो शकीला की ज़िन्दगी में किसी भगवान से कम नहीं रहे. ऐसी कहानियों को जानकार एक बार उठ खड़े होने का मन होता है और एक नयी शुरूआत की हिम्मत मिलती है. |
शिवांगी बनी राफेल उड़ाने वाली पहली महिला पायलट, बचपन से ही चिड़ियों की तरह उड़ना चाहती थी Posted: 25 Sep 2020 07:01 PM PDT देश के सबसे ताकतवर फाइटर विमान राफेल स्क्वाड्रन गोल्डन ऐरो के लिए विशेषज्ञ पायलट चयनित करने के लिए वायु सेना की ओर से प्रशिक्षण में जब बेटी शिवांगी को शामिल किया गया, तभी यकीन हो गया था कि यहां भी बेटी खुद को साबित करेगी। प्रशिक्षण के बाद जब बेटी के चयन की जानकारी मिली तो खुशी के मारे पूरी रात नींद नहीं आई। बेटी की इतनी बड़ी सफलता पर भाव और जज्बात बयां नहीं किया जा रहा।' ये अलफाज शिवांगी की मां सीमा सिंह के थे। बुधवार दोपहर 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में मां ने कहा, बचपन से ही नटखट बिटिया चीड़ियों की तरह उड़ना चाहती थी। लगन और अनवरत प्रयास हो तो लक्ष्य पाना मुश्किल नहीं है। शहर के फुलवरिया गांव में रहने वाली शिवांगी सिंह ने इसे कर दिखाया। वायु सेना में फाइटर विमान उड़ाने का सपना पाला और लीक से हटकर इसी के लिए जी-तोड़ मेहनत की। अब एक नया इतिहास भी रच दिया। फुलवरिया रेलवे क्रासिंग के निकट तीन दशक पुराने मकान में शिवांगी की मां सीमा सिंह, पिता कुमारेश्वर सिंह, भाई मयंक सिंह, शुभांशु, हिमांशी, बड़े पिता राजेश्वर सिंह, बड़ी मां बेटी की उपलब्धि पर खुशियां मनाने में जुटा था। पिता कुमारेश्वर ने बताया कि मंगलवार शाम को बेटी के चयन की जानकारी मिली। बताया गया कि उनकी बेटी देश की पहली और इकलौती पायलट है जो वायु सेना के बेड़े में शामिल हुए राफेल के गोल्डेन ऐरा की टीम में शामिल हुई है। शिवांगी वायु सेना का फाइटर विमान मिग -21 बाइसन उड़ाती हैं। वह राफेल के लिए अंबाला में तकनीकी प्रशिक्षण ले रही थीं। पड़ोसियों के साथ हलवा खाकर मनाई खुशियां बेटी की सफलता की जानकारी पर पास-पड़ोस के बच्चे और बुजुर्ग भी पहुंचे। घर हलवा बना और एक-दूसरे का मुंह मीठा कराकर खुशियां जताई गई। पड़ोस के शुभम सिंह, मल्लिका सिंह, कृष्णकांत सिंह, जाह्नवी सिंह, आदित्य सिंह का कहना था कि दीदी हमारे लिए ही नहीं, हर एक युवा के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं। एयरफोर्स म्यूजियम में गई और तय किया जीवन का लक्ष्य शिवांगी के नाना कर्नल वीएन सिंह सेवानिवृत्ति के बाद नई दिल्ली में रहने लगे। वहां अक्सर शिवांगी अपनी मां व भाई के साथ जाती थीं। मां सीमा सिंह बताती हैं, हाई-स्कूल की पढ़ाई के दौरान पिताजी नई दिल्ली में बच्चों को एयरफोर्स का म्यूजियम दिखाने गये। वहां एयरफोर्स के विमान और वायु सैनिकों की ड्रेस देखकर शिवांगी रोमांचित हो गई। वहीं नाना से बोली कि उसे भी वायु सेना में जाना है। ऐसी ही ड्रेस पहननी है और ये फाइटर विमान भी उड़ाना है। इसके बाद यहीं से जीवन का लक्ष्य तय कर लिया। बच्चों की परवरिश के लिए मां का त्याग, सरकारी नौकरी छोड़ी मां सीमा सिंह ने बच्चों की परवरिश के लिए त्याग किया। वह नई दिल्ली से स्नातक कीं। शादी के बाद वाराणसी आईं और स्नातकोत्तर के बाद बीएड की पढ़ाई पूरी की। साल 2007 में उनका चयन सरकारी शिक्षिका के रूप में हुआ। बच्चे पढ़ रहे थे, उन्हें लगा कि नौकरी करने पर बच्चों की बेहतर परवरिश और पढ़ाई में अड़चन आयेगी। इसलिए उन्होंने नौकरी नहीं की। पिता कुमारेश्वर सिंह ने बेटी की हर इच्छा पूरी की। पढ़ाई के दौरान कोई कमी नहीं आने दी। मेधावी रहीं शिवांगी शिवांगी पढ़ाई और खेल में भी अव्वल रहीं। आठवीं तक की पढ़ाई कैंटोंमेंट स्थित सेंट मेरीज से की। इंटर तक की पढ़ाई शिवपुर स्थित सेंट जोजर्स कॉन्वेंट स्कूल बाईपास से की। विज्ञान वर्ग से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की और 89 फीसदी अंक अर्जित कीं। सनबीम वुमेंस कॉलेज भगवानपुर से बीएससी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 68 फीसदी अंक पाये थे। बीएससी की पढ़ाई के दौरान ही एनसीसी ज्वाइन की। ... तो भारतीय बास्केटबाल टीम की हिस्सा होतीं मां सीमा सिंह ने बताया कि बेटी खेल में भी आगे रहती थी। स्कूल के लिए उसने नेशनल स्तर तक की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। उसका ड्रिल लड़कों से भी बेहतर था। इसलिए हर हर बार टीम में चुनी जाती और उसकी बदौलत टीम जीतती थी। जैवलिन थ्रो में भी उसने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। आठ साल छोटा भाई बनना चाहता है अफसर छोटा भाई मयंक शिवांगी से आठ साल छोटा है। बताया कि दीदी की सफलता ने उनके लिए ही नहीं, पड़ोस के लोगों के लिए भी एक प्लेटफार्म तय कर दी है। घर में शिवांगी ही सबसे बड़ी हैं। मयंक ने बताया कि वही भी दीदी की तरह सेना में जाकर देश सेवा करना चाहते हैं। इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रहे मयंक एनडीए की तैयारी कर रहे हैं। महज तीन साल में बिटिया ने लगाई एक और छलांग शिवांगी ने महज तीन साल में लंबी छलांग लगाई। साल 2015 में उन्होंने वायु सेना की परीक्षा पास की। इसके बाद डेढ़ साल तक प्रशिक्षण चला। प्रशिक्षण के बाद दूसरे बैच में साल 2017 में उन्हें देश की पांच महिला फाइटर विमान की पायलटों में चुना गया। अब तीसरे साल ही शिवांगी की काबीलियत देखते हुए उन्हें राफेल की टीम में चुना गया। रविवार को मां से की थी बात मां सीमा सिंह ने बताया कि परिवार में सबसे अधिक उन्हीं से बातचीत होती है। सप्ताह में दो से तीन बार बातचीत हो जाती है। पिछली बार रविवार शाम बात हुई। तब बिटिया ने बताया कि अभी प्रशिक्षण चल रहा है। एक अफसर के फेयरवेल पार्टी के बाद खाने से पहले बातचीत की थी। अभी सुरक्षा कारणों और व्यवस्तता से बातचीत नहीं हो सकी है। शिवांगी की उपलब्धि बेटियों के लिए नजीर है। साथ ही बेटियों के प्रति अलग सोच रखने वाले लोगों के लिए भी एक उदाहरण है। और बड़ी उपलब्धि पाने के लिए बनारस की बेटी शिवांगी को शुभकामनाएं। |
अगर आईपीएल 80-90 के दशक में होता तो इन 10 प्लेयर्स को ख़रीदने के लिए सभी टीम टूट पड़तीं Posted: 25 Sep 2020 06:57 PM PDT T20 क्रिकेट के भारतीय संस्करण IPL के चाहने वाले पूरी दुनिया में मौजूद हैं. इसने हमें एक से बढ़कर एक धुरंधर क्रिकेटर दिए हैं. कमी है तो सिर्फ़ 80 के दशक के धाकड़ भारतीय क्रिकेटर्स की. अगर इन्हें आईपीएल में खेलने का मौक़ा मिला होता तो पक्का ये और भी मज़ेदार हो गया होता. सोच कर देखिए अगर आज आईपीएल में खिलाड़ियों की नीलामी होती जिसमें सिर्फ़ 80 और 90 के दशक के क्रिकेटर्स ही होते तो कैसा होता? हम शर्त लगा कर कहते हैं इन प्लेयर्स को ख़रीदने के लिए सभी फ़्रेंचाइज़ी टूट पड़तीं. पेश है एक झलक: 1. कपिल देव भारत को पहला वर्ल्ड कप इन्हीं की कप्तानी में मिला था. ये कमाल के ऑलराउंडर थे. बॉल को स्विंग कराने के साथ ही उसे स्टेडियम के पार पहुंचाना भी जानते थे. इनकी बोली सबसे ऊंची लगती. 2. विनोद कांबली आईपीएल जैसे टूर्नामेंट के लिए विनोद कांबली बेस्ट क्रिकेटर हैं. वो सबसे तेज़ 1000 रन बनाने वाले क्रिकेटर्स में से एक हैं. स्पिनर्स की तो ये बखिया उधेड़ने में माहिर थे. इन्हें मुंबई इंडियन्स ज़रूर अपने खेमे में रखना पसंद करती. 3. मोहम्मद अज़हरुद्दीन मिडल ऑर्डर में बैटिंग करने आते और बॉलर्स के पसीने छुड़ा देते कुछ ऐसे होते अज़हरुद्दीन. फ़िटनेस में नबंर वन रहने वाले अज़हरुद्दीन अपनी टीम के लिए 15-20 रन ज़रूर बचाते. इन्हें कोलकाता नाइट राइडर्स ख़रीदना पसंद करती. 4. कृष्णमाचारी श्रीकांत श्रीकांत 80 के दशक के सबसे ख़तरनाक ओपनर्स में से एक थे. तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले श्रीकांत बड़े-बड़े गेंदबाज़ों के छक्के छुड़ा देते थे. इन्हें शर्तिया तौर पर चेन्नई सुपर किंग्स ख़रीदती. 5. मनोज प्रभाकर मनोज प्रभाकर बॉल को स्विंग करने के लिए जाने जाते थे. डेथ ओवर्स में बॉलिंग करवाने के लिए बेस्ट रहते थे. बैटिंग में भी एक छोर संभाल सकते थे. इन्हें राजस्थान रॉयल्स शायद ख़रीद लेती. रॉबिन सिंह के जैसी धुआंधार बैटिंग करते थे उन्हें पाने के लिए हर टीम बढ़कर बोली लगाती. बैटिंग के साथ फ़िल्डिंग और बॉलिंग भी संभाल लेते. इस ऑलराउंडर में कप्तानी करने वाले सारे गुण थे. इन्हें सनराइज़र्स हैदराबाद ले सकती थीं. जवागल श्रीनाथ भारतीय टीम के बेस्ट फ़ास्ट बॉलर्स में से एक थे. वो 140 KM/Hr की स्पीड से बॉलिंग करते थे. कोई भी कप्तान इनसे ही अपनी बॉलिंग की शुरुआत करना चाहता और उन्हें निराश नहीं करते. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर इनके लिए बेस्ट टीम होती रवि शास्त्री जी भी एक कमाल के ऑलराउंडर थे. लेफ़्ट आर्म स्पिनर और बैटिंग में स्पिनर्स को रूला देते थे. क्षेत्ररक्षण में भी आगे थे. इन्हें चेन्नई सुपरकिंग्स ज़रूर अपनी टीम में शामिल करती. 9. अजय जडेजा अपनी मंद मुस्कान और कमाल की बैटिंग कर लोगों का दिल जीत लेते थे अजय जडेजा. फ़िल्डिंग के साथ ही बॉलिंग भी करने में माहिर थे. ये दिल्ली कैपिटल्स के लिए अच्छा विकल्प होते. 10. मनिंदर सिंह मनिंदर सिहं जैसा फ़ॉस्ट बॉलर हर कोई ख़रीदना चाहता. T20 में उनके जैसा अटैकिंग माइंडसेट वाला बॉलर चाहिए होता है. मनिंदर जी किंग्स इलेवन पंजाब के लिए बेस्ट ऑप्शन होते. |
लॉकडाउन में चमकी 38 साल के कुंवारे शख्स की किस्मत, बगल वाली बालकनी में पसंद आई लड़की Posted: 25 Sep 2020 06:50 PM PDT चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस फरवरी तक दुनियाभर में फैल चुका था। जिसके बाद से सभी देशों ने धीरे-धीरे लॉकडाउन का ऐलान करना शुरू किया। इस वजह से करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई, साथ ही सभी को अलग-अलग तरह की समस्याओं से जूझना पड़ा, लेकिन इटली के एक कुंवारे शख्स की किस्मत इस लॉकडाउन ने खोल दी। बगल में रहने वाली लड़की से प्यार दरअसल मार्च में इटली में लॉकडाउन लागू होने के बाद सभी लोग घरों में कैद हो गए। इस दौरान 38 साल के मिशेल डीऐपलॉस और 40 साल की पाओला अग्नेली भी घर पर रहने को मजबूर हो गईं। वो दोनों कभी-कभी अपनी बालकनी पर आते थे। इसी दौरान दोनों की नजरें मिली और प्यार हो गया। अब वो जल्द ही शादी करने वाले हैं। म्यूजिक कॉन्सर्ट के जरिए मुलाकात मिशेल डीऐपलॉस के मुताबिक वो और अग्नेली एक ही अपार्टमेंट में रहते थे। लॉकडाउन की वजह से उनका काम बंद हो गया और वो घर में रहने लगे। इसी दौरान उनकी कॉलोनी के लोगों ने एक म्यूजिक कॉन्सर्ट आयोजित किया। इस कॉन्सर्ट के लिए शर्त थी कि सभी अपने घरों की बालकनी से इसे देखकर एन्जॉय करेंगे। मिशेल के मुताबिक कॉन्सर्ट के दौरान उन्होंने पहली बार एक दूसरे को देखा था। फिर रोजाना बालकनी से शुरू हुआ प्यार मोहब्बत का सिलसिला अब शादी में बदलने जा रहा है। इस नाम से इटली में हुए मशहूर कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा था, जिस वजह से वो छह महीनों तक नहीं मिल पाए। मिशेल डीऐपलॉस के मुताबिक उन्होंने एक दूसरे को सबसे पहले इंस्टाग्राम पर रिक्वेस्ट भेजी, फिर वहीं से बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। धीरे-धीरे ये लव स्टोरी इटली में फैल गई और अब दोनों को मॉर्डन रोमियो और जूलियट के नाम से जाना जाने लगा। हालांकि शेक्सपियर की कहानी की तरह इन दोनों का दुखद अंत नहीं हुआ। लॉकडाउन में ढील के बाद दोनों मिले और अब शादी का प्लान बना रहे हैं। दोनों के मुताबिक असल मायने में वो सामाजिक थे ही नहीं, उन्हें पता ही नहीं था कि उनके आसपास कौन रहता है। अब लॉकडाउन में उनके कई दोस्त कॉलोनी में बन गए हैं। |
300 रुपये में किसान ने बनाई ऐसी बंदूक, तोप की तरह करती है आवाज, रेंज 1 किलोमीटर Posted: 25 Sep 2020 06:47 PM PDT यूपी के गाजीपुर में किसानों ने ऐसी स्मार्ट गन बनाई है जो तोप जैसे आवाज करती है और इसकी रेंज एक किलोमीटर तक है। आप यह सुनकर हैरान रह जाएंगे कि इसकी लागत महज 300 रुपये है और इसकी एक फायरिंग का खर्च आता है महज दो रुपये। और ज्यादा हैरानी की बात ये है कि इस गन से किसी की जान नहीं जाती। यह स्मार्ट गन खेतों से आवारा पशुओं को भगाने के लिये बनाई गई है। यह गन तोप जैसे तेज आवाज करती है, जिसकी रेंज एक किलोमीटर तक है। खेतों की रखवाली से परेशान किसानों का कहना है कि उन्हें यह स्मार्ट गन नहीं मिली बल्कि चैन सुकून की नींद लेने की आजादी मिल गई है। इसे बनाने वाले आशुतोष सिंह कहते है कि मात्र तीन सौ रुपये की लागत से बनी इस स्मार्ट गन से किसान अपने खेतों की रखवाली कर सकते है। इसे चलाने के लिए मटर के दाने बराबर कार्बाइड के टुकड़े को एक ढक्कन पानी की आवश्यकता है। |
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