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Sunday, September 6, 2020

न्यूज़ हिमाचली News Himachali | हिमाचल की No. 1 हिंदी वेबसाइट

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11 साल से गर्दन तक नदी में डूबकर स्कूल जाती है ये महिला टीचर, ताकि बच्चे पढ़कर कुछ बन जायें

Posted: 05 Sep 2020 06:37 PM PDT


ओडिशा की 49 वर्षीय बिनोदिनी समल बच्चों को पढ़ाने के लिए रोजाना नदी पार करके विद्यालय पहुंचती है। 53 छात्रों वाले राठियापाल प्राइमरी स्कूल तक पहुंचने के लिए बिनोदिनी मानसून में गले तक भरी सापुआ नदी को पार करती हैं। बिनोदिनी कहती हैं कि उनके लिए काम मायने रखना है, पानी नहीं। रोजाना भीगने के कारण वह कई बार बीमार हुईं, लेकिन छुट्टी नहीं ली। बिनोदिनी के मुताबिक, राठियापाल प्राइमरी स्कूल उनके घर जरियापाल गांव से 3 किमी दूरी है। वह विद्यालय में गणशिक्षक (कॉन्ट्रेक्चुअल टीचर) के तौर पर पढ़ा रही हैं।

उन्हें मात्र 7000 हजार रुपए महीना वेतन मिलता है। शिक्षा विभाग ने बिनोदिनी की नियुक्ति 2000 में की थी, लेकिन वह इस विद्यालय में 2008 से पढ़ा रही हैं। पिछले 11 साल से स्कूल पहुंचने के लिए उन्हें इसी रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। बिनोदिनी कहती हैं- मानसून में स्थिति और भी खराब हो जाती है और पानी गर्दन तक पहुंच जाता है। उनका कहना है मेरे लिए मेरा काम ही सबकुछ है, घर पर बैठकर क्या करूंगी। बतौर शिक्षक करियर शुरूआत करने पर उनका वेतनमान 1700 रुपए प्रति महीना था। नदी पर 40 मीटर लंबा पुल बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन निर्माण अब तक संभव नहीं हो पाया है।

अधिक गर्मी पड़ने पानी कम हो जाता है या सूख जाता है लेकिन मानसून और इसके बाद कई महीनों तक ऐसी ही स्थिति रहती है। स्कूल में दो शिक्षकों की तैनाती है बिनोदिनी और हेडमास्टर काननबाला मिश्रा। मानसून के दिनों में कई बार स्टूडेंट्स और हेडमास्टर स्कूल नहीं पहुंच पाते, लेकिन बिनोदिनी कभी अनुपस्थित नहीं होतीं। हाल ही में नदी पार करते वक्त विनोदिनी की तस्वीरें वायरल हुई हैं।

बिनोदिनी के मुताबिक, वह हमेशा एक जोड़ी कपड़े और मोबाइल एक प्लास्टिक बैग में रखती है और इसे सिर पर रखकर नदी पार करती हैं। स्कूल पहुंचकर पिंक यूनिफॉर्म पहनती हैं। स्विमर रहीं बिनोदिनी कई बार रास्ता पार करने के दौरान फिसलकर गिर भी चुकी हैं।

जेब में मोबाइल फटने से युवक गंभीर रूप से घायल, अस्पताल में भर्ती

Posted: 05 Sep 2020 06:33 PM PDT


पेंट की जेब में रखा मोबाइल फोन फटने से एक युवक बुरी तरह घायल हो गया। परिजनों ने घायल युवक को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है, जहां डॉक्टर युवक के इलाज में जुटे हुए हैं। घटना ग्रेटर नोएडा में दादरी क्षेत्र की है।

जानकारी के अनुसार, घायल युवक की पहचान वाशु भाटी के रूप में हुई है। वाशु ग्रेटर नोएडा में अजायबपुर गांव के निवासी हैं। वाशु ने बताया कि उसने 17 जुलाई 2019 को 19,990 रुपये में ओप्पो कंपनी का फोन खरीदा था। वाशु का कहना है कि उसे अस्पताल से छुट्टी मिलने में अभी कई दिन लगेंगे।

मोबाइल फटने से घायल हुए युवक का कहना है कि उसने करीब एक साल पहले चाइनीज कंपनी से यह मोबाइल फोन खरीदा था। उसने अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कंपनी के खिलाफ मुकदमा करने की बात कही है। 

घटना के संबंध में पुलिस को भी सूचना दे दी गई है, लेकिन अभी तक पुलिस की ओर से केस दर्ज किए जाने के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।

कॉन्स्टेबल के 5438 पदों पर परीक्षा की तैयारी शुरू, जानें कब होगी ?

Posted: 05 Sep 2020 06:32 PM PDT


राजस्थान पुलिस कांस्टेबल परीक्षा को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी है। 5438 कॉन्स्टेबल के पदों पर भर्ती के लिए आयोजित की जाने वाली लिखित परीक्षा का आयोजन नवंबर माह के दौरान किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजस्थान पुलिस में 5438 कॉन्सटेबल पदों पर भर्ती के लिए लगभग 17.5 लाख उम्मीवारों ने आवेदन किया है। राजस्थान के डीजीपी भुपेंद्र सिंह ने कहा है कि कॉन्सटेबल भर्ती परीक्षा के लिए तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं।

नवंबर में होंगी परीक्षाएं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विभाग के अधिकारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार परीक्षाओं का आयोजन 6 नवंबर से लेकर 8 नवंबर 2020 तक किया जा सकता है। हालांकि, राज्य समेत पूरे देश में कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए इस तिथि में परिवर्तन भी किया जा सकता है। अधिकारी ने यह भी जानकारी दी कि राजस्थान पुलिस कॉन्सटेबल भर्ती परीक्षा 2020 के आयोजन में सबसे बड़ी चुनौती परीक्षार्थियों की बड़ी संख्या है।

राजस्थान पुलिस में 5438 कॉन्सटेबल पदों पर भर्ती के लिए अधिसूचना नवंबर 2019 में जारी की गयी थी और इन पदों के लिए आवेदन की प्रक्रिया फरवरी 2020 तक चली थी। राजस्थान पुलिस कॉन्सटेबल पद के लिए काफी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने आवेदन किया है। हालांकि, इसके बाद देश भर में महामारी के प्रसार और रोकथाम के लिए लगाये गये लॉक डाउन के चलते राजस्थान पुलिस कॉन्सटेबल भर्ती परीक्षा 2020 का आयोजन नहीं किया जा सका था। अब जबकि पूरे देश में केंद्र सरकार के अधीन एजेंसियों और विभिन्न राज्यों की एजेंसियों द्वारा परीक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है, ऐसे में राजस्थान सरकार द्वारा भी विभिन्न लंबित प्रतियोगी परीक्षाओं समेत विभिन्न परीक्षाओं की तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं।

2 रुपये की यह एक चीज आपके दांत के कीड़ों को जड़ से कर देगी खत्म

Posted: 05 Sep 2020 06:26 PM PDT

आज के समय में बहुत से लोगन के दांतों में कीड़े लग जाते हैं. ऐसे में उनके दांत खराब होकर जल्दी टूट जाता है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको दांतों में लगे कीड़े को जड़ से खत्म करने के उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं.

बता दें कि बहुत से लोगों को गुटखा और तम्बाकू खाने की वजह से दांतों में कीड़े पड़ जाते हैं. इससे उनके चमकते-दमकते दांत भी सड़ने लग जाते हैं और बुढ़ापा होने से पहले ही झड़ने लग जाते हैं. इसलिए हम आपको एक ऐसी उपाय बताने जा रहे हैं जिसे आजमा कर आप चुटकियों में अपने दांत के कीड़े को जड़ से ख़त्म कर देंगे. तो चलिए जानते हैं.

दरअसल हम दांतों में लगे कीड़े को ख़त्म करने का जो तरीका बताने जा रहे हैं वो आयुर्वेद पर आधारित है. इसे बनाने के लिए सबसे पहले आप बाजार से 2 रुपये का चूना और 2 रुपये की फिटकरी लेकर आ जाएं. अब आप एक चुटकी चूना में एक चुटकी फिटकरी मिलाकर इसमें पानी डालकर एक गाढ़ा पेस्ट बना लें.

इस पेस्ट को टूथपेस्ट की सहायता से अपने दांतों में लगाएं और अच्छे तरीके से ब्रश करें. इस विधि का तीन से चार बार प्रयोग करने के बाद ही आपको अपने दांत में अंतर नजर आने लगेगा और आपके दांत के सारे कीड़े खत्म हो जाएंगे. साथ ही साथ आपके दांत मोती के जैसे चमकने भी लगेंगे.

रोजाना खुद को दीजिये सिर्फ 5 मिनट ! खर्राटे से जीवनभर के लिए छुटकारा पायें

Posted: 05 Sep 2020 06:24 PM PDT


बिजी लाइफस्‍टाइल और खान-पान की गलत आदतों के चलते आज ज्‍यादातर महिला किसी न किसी बीमारी की चपेट में आ रही है। और इससे बचने के उपायों की खोज मे रहती हैं ताकि डॉक्‍टरों के चक्‍कर काटने से बचा जा सकें। लेकिन वह इस बात से अनजान हैं कि इन सभी समस्‍याओं से बचने के लिए लाइफस्‍टाइल और खान-पान की आदतों में बदलाव बेहद जरूरी है।

ऐसी ही एक समस्‍या खर्राटे की है जो खुद को परेशान करने के साथ-साथ दूसरों की नींद भी उड़ा देती है। साथ ही कई तरह की बीमारियों का कारण भी बनती हैं। ऐसे में इससे छुटकारा पाना बेहद जरूरी होता है। आज हम आपकी बेहद ही आम समस्‍या यानि खर्राटे से बचाने वाला उपाय लेकर आए है। जी हां जिन महिलाओं को खरोर्ट की समस्‍या है उनको इस आर्टिकल में दिए जबरदस्‍त नुस्‍खे को जरूर अपनाना चाहिए। आइए जानें कौन सा है ये नुस्‍खा। लेकिन इससे पहले हम जान लेते हैं कि खर्राटे की समस्‍या क्‍या है और यह क्‍यों होती है।

क्यों आते है खर्राटे ?

आम धारणा यह है कि खर्राटे अधिक थकान के कारण आते है। लेकिन ऐसा नहीं है। सांस में रुकावट आना खर्राटे आने की मुख्य वजह है। जब व्‍यक्ति सोता है तो उसके मुंह और नाक के अंदर से हवा ठीक तरह से नहीं निकल पाती। यही वजह है कि खर्राटे की स्थिति उत्पन्न होने लगती है।

कुछ लोगों में नाक की हड्डी टेढ़ी होने से सांस लेने में परेशानी होने पर खर्राटे की समस्‍या होती हैं। खर्राटे हेल्थ के लिए परेशानी भी बन सकते हैं, अगर इनका समय पर ट्रीटमेंट ना किया जाए तो स्लीप एप्निया की समस्‍या हो सकती है। यह समस्या आपकी नींद में बाधा तो डालती ही है, साथ में शरीर को भी नुकसान भी पहुंचा सकती है।

लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि आप सिर्फ खुद को रोजाना 5 मिनट देकर इस समस्‍या से आसानी से बच सकती हैं। जी हां हम 1 योग के बारे में बात कर रहे हैं जिसे सिर्फ 5 मिनट करने से आप खर्राटे की समस्‍या से छुटकारा पा सकती हैं। इस योग का नाम उज्‍जायी प्राणायाम है।

उज्जायी प्राणायाम

उज्जायी शब्द का अर्थ होता है- जीतने वाला। इस प्राणायाम को करने से वायु को जीता जाता है। यानि उज्जयी प्राणायाम से हम अपनी सांसों पर विजय पा सकते हैं। जब इस प्राणायाम को किया जाता है तो शरीर में गर्म वायु प्रवेश करती है और दूषित वायु निकलती है। योग में उज्जायी क्रिया और प्राणायाम के माध्यम से बहुत से गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।

उज्जायी प्राणायाम करने का तरीका
इस प्राणयाम को करने के लिए सुखासन में बैठ जाए।
फिर को मुंह को बंद करके नाक के दोनों छिद्रों से तब तक सांस को अंदर खींचे, जब तक फेफड़ों से हवा पूरी तरह बाहर न जाएं।
फिर कुछ देर सांस अंदर तक रोक कर रखें। इसके बाद नाक के दूसरे छिद्र से धीरे-धीरे सांस बाहर निकालें।
यह योगासन एक से दो मिनट तक कर सकते हैं।
वायु को अंदर खींचते व बाहर छोड़ते वक्त गले से खर्राटे की आवाज निकलनी चाहिए।
शुरुआत में इस प्राणायाम 5 बार करें फिर धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 20 बार तक ले जाएं।

उज्जायी प्राणायाम करने का दूसरा तरीका है कि गले को सिकोड़ कर सांस इस प्रकार लें व छोड़ें की इस क्रिया की आवाज आए। पांच से दस बार सांस इसी प्रकार लें और फिर छोड़ें। फिर इसी प्रकार से सांस अंदर भरकर गले को सिकोड़ना शिथिल करें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ दें।

उज्जायी प्राणायाम के फायदे

उज्जायी प्राणायम करने से खर्राटे की समस्‍या दूर होने के साथ-साथ यह थायरॉयड रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसे करने से गर्दन में मौजूद पैराथाइरॉयड ग्‍लैंड भी दूरुस्त रहता है। यह गले से बलगम को हटाता है और फेफड़े की बीमारियों को भी दूर करता है।

इसके अलावा यह साइनस में भी बहुत फायदेमंद होता है और कुछ महिलाओं को साइनस की समस्‍या के कारण खर्राटे आते हैं। अगर आप खर्राटे की समस्‍या से परेशान हैं तो रोजाना खुद को सिर्फ 5 मिनट जरूर दें ताकि आप इस योगासन को कर सकें।

रात में नींद न आने की बीमारी से छुटकारा दिलाएंगे ये आसान घरेलू उपाय

Posted: 05 Sep 2020 06:21 PM PDT


कई लोगों की ये शिकायत होती है कि रात में नींद नहीं आती है रात में देर तक बिस्तर पर ऐसे ही लेटे रहते है। नींद न आने की बीमारी को मेडिकल भाषा में इंसोमनिया कहते हैं। इस बीमारी से पीडि़त लोगों को रात में नींद नहीं आती है। ऐसे में उन्हें दूसरी शारीरिक परेशानियां शुरू हो जाती हैं। अनिद्रा रोग यानी इंसोमनिया से ठीक होने के लिए आप ये घरेलू उपाय कर सकते हैं।

नींद न आने की बीमारी से छुटकारा के उपाय:

यह कई तरह के कारणों जैसे तनाव, शरीर में हार्मोंस का बदलाव, जीवनशैली, खराब भोजन और उल्‍टी पुल्‍टी दिनचर्या की वजह से यह समस्‍या हो जाती है। सोने से पहले मोबाइल से दूरी बनाना सबसे पहला और प्रथम उपाय है।

अगर आप नींद न आने की समस्‍या से जूझ रहे हैं तो आपको लैवेंडर ऑइल का छिड़काव सोने से पहले बिस्‍तर और तकिये पर करना चाहिए। इसकी खुशबू मन को शांत करती है और नींद आने में आसानी हो जाती है।

होटल के बेड पर अक्‍सर जाते ही नींद और सुकून मिल जाताा है। क्‍योंकि वहां सफाई अच्‍छे से होती है। लिहाजा आप अपने बेडरूप की ठीक से सफाई करें और बेड शीट तकिए का कवर साफ रखें।

सुबह सूरज की किरणों के सामने कम से कम आधे घंटे तक जरूर बैठें। इससे शरीर को मिलने वाली विटामिन से शरीर ऊर्जावान बनता है। भोजन में वसा की मात्रा बेहद कम हो और ज्‍यादा प्रोटीनयुक्‍त भोजन न करें।

200 साल बाद इस राशि वालों के लिए बड़ी खुशखबरी, सिर्फ इस राशि वाले पढ़ें

Posted: 05 Sep 2020 06:19 PM PDT


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 1 राशियों की कुंडली में बदलाव भी आते हैं और आज हम आपको एसी 4 खुशनसीब राशियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बहुत ही भाग्यशाली होती है| इनकी कुंडली में राजयोग बना रहता है और जिन राशियों के लॉटरी भी लग सकती है| जिससे इन्हें खूब धन लाभ होने की संभावना बनी रहती है|

आपको अपने जीवन में अपार सफलता मिलने की संभावनाएं नजर आ रही हैं। जीवन में होने वाले परिवर्तन आपके लिए आनंददायक रहेंगे। शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करने में कामयाब होंगे। जीवन में आने वाली सभी प्रकार की दुख परेशानियां दूर हो जाएंगी। आपको अपने जीवन में अचानक कई बड़े चमत्कार देखने को मिलेंगे। आपने कभी सोचा भी नहीं होगा उतना सुख आपको मिलेगा। सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं रहेगी। जीवनसाथी के साथ अच्छा समय व्यतीत करेंगे, आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा यदि आप इस समय कहीं निवेश करेंगे तो आपको उसमें भारी लाभ मिलने के योग बन रहे हैं ।

आपको उन्नति में भी सहायता होती है और पति का सहयोग आपको अच्छा फायदा है| आपको लाभ में यात्रा पर भी जाते हैं| विद्यार्थी वर्ग के लोगों को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलते हैं और आपके द्वारा बनाए गए यह नई योजनाएं भी पूरी होती है और आपको किसी पुराने कामकाज में भी अच्छा परिणाम मिलते है| प्रतिभाशाली लोगों को संपर्क भी स्थापित होते हैं| कार्यक्षेत्र का वातावरण आपके पक्ष में बना रहता है| जीवन में हर काम को आप सोच समझकर करते हैं|

यह बहुत ही भारी-भरकम पत्थर आखिर कैसे सदियों से टिका है ढलान पर, जानेंगे तो उड़ जाएंगे होश

Posted: 05 Sep 2020 06:14 PM PDT


मंदिरों का शहर महाबलीपुरम तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई से 55 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। इसे महाबलीपुरम का रथ मंदिर भी कहते है।इसका निर्माण नरसिंह बर्मन प्रथम ने कराया था। प्रांरभ में इस शहर को मामल्लापुरम कहा जाता था। तमिलनाडु का यह प्राचीन शहर अपने भव्य मंदिरों, स्थापत्य और सागर-तटों के लिए बहुत प्रसिद्ध है।तमिलनाडु के महाबलिपुरम शहर में मौजूद उस अति प्राचीन पत्थर के बारे में तो आप जरूर जानते होंगे, जो एक ढलान पर करीब 1200 साल से आश्चर्यजनक रूप से टिका हुआ है। यह बड़े से बड़े आंधी-तूफान में भी न तो कभी हिलता है और ना ही कभी लुढ़कता है। ठीक ऐसा ही एक पत्थर म्यांमार में भी है, जो करीब 25 फीट ऊंचा है। 

इस पत्थर की भी खासियत यही है कि यह सदियों से चमत्कारिक रूप से एक दूसरे पत्थर के ढाल पर अटका हुआ है। इसे भी आंधी-तूफान तक नहीं हिला सके हैं।करीब 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह भारी-भरकम पत्थर किसी आश्चर्य से कम नहीं है। यह म्यांमार के बौद्धों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। सोने की तरह दिखने वाले इस पत्थर को 'गोल्डन रॉक' या 'क्यैकटियो पगोडा' कहा जाता है। दरअसल, लोगों ने इसपर सोने की पत्तियां चिपकाकर इसे सोने जैसा ही बना दिया है। इसी वजह से इसका नाम 'गोल्डन रॉक' पड़ा।

इस पत्थर को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं कि आखिर कैसे यह एक चट्टान के किनारे से चिपका हुआ है। माना जाता है कि इस पत्थर के पास जो भी साल में तीन बार जाता है, उसकी गरीबी और सारे दुख दूर हो जाते हैं। यह भी मान्यता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है, वो पूरी जरूर होती है।

माना जाता है कि यह भारी-भरकम पत्थर भगवान बुद्ध के बालों पर टिका हुआ है और इसी वजह से यह अपने स्थान से कभी हिलता नहीं है। वैसे तो इसके बारे में कोई नहीं जानता कि यह पत्थर कब से यहां ऐसे ही टिका हुआ है, लेकिन माना जाता है कि 'क्यैकटियो पगोडा' का निर्माण 581 ईसा पूर्व में हुआ था। हालांकि कुछ लोग यह भी मानते हैं कि 11वीं सदी में एक बौद्ध भिक्षु ने भगवान बुद्ध के बालों के सहारे इस पत्थर को ऐसे ढलान पर टिका कर रख दिया था।

मान्यता है कि कोई महिला ही इस पत्थर को यहां से हिला सकती है या स्थानांतरित कर सकती है। इस वजह से महिलाओं को इस सुनहरे पत्थर को छूने की अनुमति नहीं है, वो सिर्फ दूर से ही इसे देख सकती हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पत्थर के पास कोई महिला न आए, तीर्थ स्थल के अंदर आने वाले गेट पर हर वक्त सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं और नजर बनाए रखते हैं।

श्राद्ध में इन पांच जीवों को भोजन करवाना माना जाता है शुभ, जानिए कारण

Posted: 05 Sep 2020 06:10 PM PDT


हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में हमारे पितर धरती पर आते हैं और पिंडदान, तर्पण से प्रसन्न होकर अपने पुत्र-पौत्रों को आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध में पिंडदान, तर्पण के अलावा ब्राम्हणों, जीवों और पशु-पक्षियों को भी भोजन कराने का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि हमारे पूर्वज पशु-पक्षियों के माध्यम से अपना आहार ग्रहण करते हैं।

जीवों को भोजन करवाना माना जाता है शुभ:

जिन जीवों तथा पशु पक्षियों के माध्यम से पितृ आहार ग्रहण करते हैं वे हैं गाय,कुत्ता,कौवा और चींटी। श्राद्ध के समय इनके लिए भी आहार का एक अंश निकाला जाता है, तभी श्राद्ध कर्म पूर्ण होता है।

श्राद्ध कर्म में भोजन के पूर्व पांच जगह पर अलग अलग भोजन का थोड़ा- थोड़ा अंश निकाला जाता है।गाय, कुत्ता, चींटी और देवताओं के लिए पत्ते पर तथा कौवे के लिए भूमि पर अंश रखा जाता है फिर प्रार्थना की जाती है कि इनके माध्यम से हमारे पितर प्रसन्न हों।

गांव के लिये इंजीनियर की नौकरी छोड़ सरपंच बनीं थी 23 साल की प्रवीन- अब गांव की तस्वीर बदल दी

Posted: 05 Sep 2020 06:08 PM PDT


आज के समय में लड़कियां लड़कों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं। लड़कियां आगे बढ़कर समाज के लिए सराहनीय कार्य कर रही हैं। आज हम ऐसी ही 23 साल की लड़की की बात करने जा रहे हैं, जिसने अपने गांव की हालत सुधारने के लिए इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी और सरपंच बनकर गांव को विकास की राह में आगे बढ़ाने का काम किया। इनका नाम प्रवीन कौर है, जो हरियाणा के कैथक के गांव ककराला कुचिया की निवासी हैं। प्रवीन के इस काम के लिए वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उन्हें सम्मानित किया था।

प्रवीन का सपना बचपन से ही इंजीनियर बनने का था, इसको ध्यान में रखकर ही उन्होंने पढ़ाई भी की थी, लेकिन गांव की समस्याओं को देखकर उनका इरादा बदल गया और प्रवीण ने इंजीनियर की नौकरी छोड़ इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया। वह सरपंची के चुनाव में खड़ी हुईं और गांव वालों ने अपनी रजामंदी से उन्हें अपना मुखिया चुन लिया। प्रवीण बचपन से ही गांव के लोगों को समस्याओं से जूझते देखती थीं। जिसको लेकर वह कुछ करना चाहती थीं। गांव का विकास उनकी प्रमुख प्राथमिकता रहा है। अगर आगे भी उन्हें सरपंच बनने का मौका मिला तो वह और कार्यों का पूरा करेंगी।

सरपंच प्रवीन ने अपनी टीम में 4 महिला पंचों को भी रखा है। इनसे गांव की महिलाएं भी आसानी से बात कर लेती हैं और समस्याओं को साझा करती हैं। प्रवीन ने गांव के पंचायत घर में बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था कराई, जिसमें अब करीब 04 दर्जन बच्चे पढ़ाई करने के लिए आते हैं।

उन्होंने अपने प्रयासों गांव के स्कूल को 12वीं तक कराया है। पहले यहां केवल हाईस्कूल तक पढ़ाई कराई जाती थी। उन्होंने महिलाओं की समस्याओं पर भी ध्यान केंद्रित किया। घरेलू हिंसा को चुनौती मानकर पंचों के सामने इस समस्याओं को रखकर उसका हल निकाला।

LAC के हालात कर रहे हैं जंग की तरफ इशारा, बड़ी संख्या में चीन ला रहा है फौज

Posted: 05 Sep 2020 06:05 PM PDT


LAC पर जैसे हालात बन रहे हैं, वो सीधे-सीधे जंग की ओर इशारा कर रहे हैं। जंग होगी तो घनघोर होगी और इसका इशारा आर्मी चीफ ने भी कर दिया है। लेकिन चीन को लेकर आज बड़ी खबर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से आई है, यहां बॉर्डर से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर चीन बम बारूद लेकर खड़ा हो गया है। बड़ी संख्या में यहां चीनी फौज पहुंच रही है। लंबी लड़ाई लड़ने के लिए चीन ने यहां स्थाई बेस कैंप बना दिया है, जो अब लद्दाख से भी बड़ा खतरा बन गया है।

लद्दाख में लाख कोशिशों के बावजूद चीन की चाल कामयाब नहीं हुई, तो अब उसने उत्तराखंड में पिथौरागढ़ से लगती सीमाओं पर अपना नया मोर्चा खोल दिया है। रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चीन ने भारतीय सीमा से महज 12 किलोमीटर दूर कुछ स्थायी सैन्य चौकियां बनाई हैं। इन चौकियों पर पिछले दो हफ्ते में चीनी सैनिकों का जमावड़ा भी बढ़ाया जा रहा है।

खबर ये भी आ रही है कि रात में चीनी सैनिकों ने पिथौरागढ़ सीमा पर मानव रहित टोही विमान भी उड़ाए। हालांकि रात के अंधेरे में ITBP की मुस्तैदी से उसके मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए। जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक चीन सीमा के उसपार, पाला नाम के मैदान पर अपना नया मिलिट्री बैस कैंप तैयार कर रहा है। कहा जा रहा है कि पाला के नए बेस पर चीन मिलिट्री की डिप्लॉयमेंट भी बढ़ा रहा है।

पिथौरागढ़ के नए मोर्चे पर भारतीय तैयारी भी बेहद चौकस है। पिछले तीन दिनों से भारतीय वायुसेना के जेट फाइटर भी सीमा के करीब उड़ान भर रहे हैं। कल भी इस इलाके में इंडियन फाइटर जेट को उड़ान भरते देखा गया है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में मौजूद लिपुलेख वो ट्राइजंक्शन है, जहां भारत नेपाल और चीन की सीमाएं आपस में लगती हैं। करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई वाले इस ट्राइजंक्शन से 12 किलोमीटर दूर चीन का नया सैन्य अड्डा तैयार हो रहा है।

इन सबके अलावा पिथौरागढ़ में भारतीय फाइटर जेट्स आसमान में गरजने शुरू कर दिए हैं। बॉर्डर के करीब लड़ाकू विमानों की गड़गड़ाहट से भारत चीन को सख्त और साफ संदेश दे रहा है कि अगर चीन ने यहां हिमाकत की कोशिश की तो पहाड़ों पर चीनियों की समाधि तय है। बीआरओ ने हाल ही में लिपुलेख बॉर्डर तक सड़क बना दी है, लेकिन मिलम तक अभी भी रास्ता पैदल होने के साथ बेहद मुश्किल है। लिहाजा सामरिक नजरिए से अहम इस बॉर्डर पर लड़ाकू विमानों के जरिए हवाई निगरानी रखी जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक चीन ने जुलाई में ही पाला के पास करीब 1,000 सैनिक तैनात किए थे। इसके बाद एक स्थायी चौकी भी बनाई थी। रक्षा सूत्रों के मुताबिक इसके बाद अगस्त महीने के आखिर तक उसने यहां और 2 हजार सैनिकों की तैनात कर दिए। कहा जा रहा है कि चीनी छावनी में सैनिकों के लिए सारी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं ताकि वो पूरे साल उनकी तैनाती मुमकिन हो सके।

लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल के मुकाबले, उत्तारखंड की लिपुलेख सीमा अब तक सबसे सुरक्षित सीमा मानी जाती थी, क्योंकि इसकी भौगोलिक स्थिति के चलते चीन यहां कभी घुसपैठ की हिम्मत जुटा नहीं पाया। लेकिन अब उसके नए सैन्य अड्डे से ये सीमा भी महफूज नहीं रह गई है। जिस पाला मैदान में चीन ने अपना सैन्य बेस तैयार किया है, उसपर पहले भी विवाद हो चुका है। बावजूद इसके चीन ने ये बेस तैयार किया है। यहीं नहीं इसी बेस के करीब उसने लांच पैड तैयार कर मिसाइलें भी तैनात कर दी हैं।

IPL 2020 से इन 7 खिलाड़ियों ने लिया नाम वापस, एक से एक है धुरंधर

Posted: 05 Sep 2020 06:03 PM PDT


इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब खिलाड़ी इस टूर्नामेंट को खेलना पसंद नहीं कर रहे। अब तक 7 खिलाड़ियों ने आइपीएल नहीं खेलने का फैसला किया है, जिनमें से ज्यादातर खिलाड़ियों ने आइपीएल नहीं खेलने के पीछे निजी कारणों का हवाला दिया है। शायद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में खिलाड़ियों ने आइपीएल नहीं खेलने का फैसला किया। हालांकि, इनमें कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं, जो चोट के कारण बाहर हुए हैं।

आज हम उन्हीं खिलाड़ियों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो इस बार आइपीएल में नहीं खेलेंगे और जिन्होंने हाल ही में आइपीएल जैसी लीग से अपना नाम वापस लिया है। IPL 2020 से दूरी बनाने के मामले में सबसे ताजा खिलाड़ी हरभजन सिंह हैं, जो चेन्नई सुपर किंग्स के लिए आइपीएल खेलने वाले थे, लेकिन वे इस बार नहीं खेलेंगे। इनके अलावा भी कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो आइपीएल की मोटी रकम को ठुकराकर इस लीग से कम से कम इस साल के लिए नाता तोड़ चुके हैं।

क्रिस वोक्स (दिल्ली कैपिटल्स)

19 सितंबर से दिल्ली कैपिटल्स के लिए क्रिस वोक्स आइपीएल 2020 में उतरने वाले थे, लेकिन उन्होंने निजी कारणों से आइपीएल नहीं खेलने का फैसला किया है। ऐसे में दिल्ली कैपिटल्स को उनके रिप्लेसमेंट के तौर पर साउथ अफ्रीकाई गेंदबाज एनरिक नॉर्खिया को टीम में शामिल करना पड़ा है।

जेसन रॉय (दिल्ली कैपिटल्स)

दिल्ली कैपिटल्स को दूसरा झटका जेसन रॉय के रूप में लगा था। इंग्लैंड के तूफानी ओपनर जेसन रॉय मैनचेस्टर में प्रैक्टिस के दौरान चोटिल हो गए थे। इस वजह से उन्होंने लीग से अपना नाम वापस ले लिया था। रॉय की जगह दिल्ली कैपिटल्स ने ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर डैनियल सैम्स को चुना है।

हैरी गर्नी (कोलकाता नाइट राइडर्स)

इंग्लैंड के तेज गेंदबाज हैरी गर्नी कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए आइपीएल 2020 में उतरने वाले थे, लेकिन वे इस बार आइपीएल नहीं खेलेंगे। कंधे की चोट की वजह से उन्होंने आइपीएल से अपना नाम वापस लिया है। केकेआर ने अभी उनके रिप्लेसमेंट की घोषणा नहीं की है।

सुरेश रैना (चेन्नई सुपर किंग्स)

IPL 2020 से अपना नाम वापस लेने वालों की लिस्ट में सबसे बड़ा नाम चेन्नई सुपर किंग्स के बल्लेबाज सुरेश रैना का है। 11 करोड़ रुपये में आइपीएल के इस सीजन के लिए रिटेन किए गए सुरेश रैना ने निजी कारणों से आइपीएल छोड़ दिया है और वे यूएई से भारत लौट आए हैं। उनके रिप्लेसमेंट का ऐलान सीएसके ने नहीं किया है।

केन रिचर्डसन (रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर)

ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज केन रिचर्डसन को आरसीबी ने 4 करोड़ रुपये में खरीदा था, लेकिन रिचर्डसन आइपीएल 2020 में नहीं खेल पाएंगे। रिचर्डसन की पत्नी निकी मां बनने वाली हैं। ऐसे में वे अपने पहले बच्चे को पैदा होते हुए देखना चाहते हैं। आरसीबी ने रिचर्डसन की जगह उनके ही हमवतन स्पिनर एडम जम्पा को शामिल किया है।

लसिथ मलिंगा (मुंबई इंडियंस)

सालों साल मुंबई इंडियंस की गेंदबाजी यूनिट का अहम हिस्सा रहे और टीम को पिछले साल चैंपियन बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले लसिथ मलिंगा ने भी आइपीएल 2020 से अपना नाम वापस ले लिया है। मलिंगा ने भी निजी कारणों का हवाला देकर आइपीएल से दूरी बनाई है, जबकि मुंबई ने उनके रिप्लेसमेंट के तौर पर जेम्स पैटिंसन को टीम में शामिल किया है

हरभजन सिंह (चेन्नई सुपर किंग्स)

CSK की टीम जब यूएई रवाना हुई थी तो हरभजन सिंह ने कहा था कि वे अपनी मां के इलाज के लिए अभी भारत में हैं और वे सितंबर के पहले सप्ताह में यूएई पहुंच जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्होंने निजी कारणों का हवाला देकर 2 करोड़ रुपये की डील ठुकरा दी। उनकी जगह अभी किसी खिलाड़ी को सीएसके ने नहीं चुना है।

बिजली का बिल हो जाएगा जीरो! सिर्फ 7500 रुपये में लगवाएं ये सिस्टम

Posted: 05 Sep 2020 06:01 PM PDT


हर महीने बिजली का बिल इतना ज्यादा क्यों आता है, इस यक्ष प्रश्न का उत्तर तो बिजली का बिल भेजने वालों के पास भी नहीं होगा. इसलिए बिजली का बिल घटाने की जुगत में जुटने से अच्छा है कुछ ऐसा किया जाए कि बिजली का बिल ही न आए. ऐसा हो सकता है. क्योंकि इसमें कोई रॉकेट साइंस नहीं बल्कि 'सोलर' साइंस है. 

सोलर एनर्जी (solar energy) बड़ी तेजी से गांव, कस्बों और शहरों में अपनी पैठ बना रहा है. भारत सरकार भी अक्षय ऊर्जा को लेकर कई योजनाएं चला रही हैं. पानी या कोयले से बनने वाली बिजली पर हमारी निर्भरता कम हो, इसके लिए केंद्र समेत तमाम राज्य सरकारें भी सौर ऊर्जा पर सब्सिडी दे रही हैं. आज खेत-खलियानों से लेकर घर, दफ्तर, फैक्ट्री में तो सौर ऊर्जा का इस्तेमाल हो ही रहा है. बस, कार और ट्रेनें तक अब सौर ऊर्जा से चल रही हैं.

ऐसे मिलेगा बिजली के बिल से छुटकारा
सोलर एनर्जी योजना की इस कड़ी में हरियाणा सरकार (Haryana Government) ऊर्जा के क्षेत्र में हर घर को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है. राज्य के हर घर में सोलर पैनल (solar panel) लगाने के लिए विशेष स्कीम चलाई जा रही है. इस योजना के तहत हर परिवार ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा और उसे बिजली का बिल देने से छुटकारा मिल जाएगा.

क्या है मनोहर ज्योति योजना?
हरियाणा सरकार ने 2017 में राज्य के लोगों के लिए मनोहर ज्योति योजना (Manohar Jyoti Yojana) शुरू की थी. हरियाणा रिन्यूवल एनर्जी डिपार्टमेंट एजेंसी (HAREDA) के साइंटिफिक इंजीनियर पी. के. नौटियाल ने बताया कि मनोहर ज्योति योजना हरियाणा राज्य के सभी परिवारों के लिए है. इस योजना का मकसद राज्य के अंदर सोलर सिस्टम के तहत अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना है.

मनोहर ज्योति योजना के फायदे
मनोहर ज्योति योजना के तहत हर परिवार को एक 150 वाट का सोलर सिस्टम दिया जाता है. सोलर सिस्टम के साथ लीथियम की बैटरी भी दी जाती है. इस सिस्टम से 3 LED लाइट, एक पंखा और मोबाइल चार्जिंग पोर्ट चलाया जा सकता है.
150 वाट का सोलर पैनल और तमाम सामान की लागत 22,500 रुपये आती है. हरियाणा सरकार इस पर 15,000 रुपये की सब्सिडी दे रही है. इस तरह महज 7,500 रुपये जमा करके इस योजना का फायदा उठाया जा सकता है.

कैसे कर सकते हैं आवेदन
मनोहर ज्योति योजना का फायदा लेने के लिए आपके पास आधार कार्ड, बैंक खाता, हरियाणा का निवासी होने का मूल निवासी प्रमाण पत्र होना चाहिए. आपका बैंक खाता आपके आधार नंबर से जुड़ा हुआ होना चाहिए. इस योजना के तहत घर पर सोलर पैनल लगवाने के लिए आपको hareda.gov.in वेबसाइट पर विजिट करना होगा. इस योजना के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए फोन नंबर 0172-2586933 पर भी संपर्क किया जा सकता है.

बाढ़ से घिरे गांव में बच्चे का जन्म, दो नदियां पार कर पहुंचीं महिला ने बचाई जान

Posted: 05 Sep 2020 06:00 PM PDT


दुर्गम पहाड़ी रास्तों के बीच बाढ़ से घिरा था यह गांव। यहां पहुंचने का सिर्फ एक ही रास्ता था, वह भी दुर्गम था। रास्ते में दो नदियों को पार करना भी मजबूरी थी। ऐसी ही हर रोज की स्थिति नासीपुर गांव की रहती है। औबेदुल्लागंज से सलकनपुर मार्ग पर है यह गांव। इसी गांव में मजदूर दुर्गेश उइके की पत्नी मनीषा ने शनिवार शाम को एक बच्चे को जन्म दिया था। न कोई लेडी डाक्टर की व्यवस्था थी न दूर-दूर तक कोई अस्पताल।

ऐसे हालातों में बच्चे की गर्भनाल काटी जाना थी। यदि थोड़ी भी देर हो जाती तो बच्चे और उसकी मां की जान को खतरा हो सकता था। ऐसी स्थिति में एक महिला की बहादुरी और हिम्मत काम आई।

भगवान बनकर आई बुजुर्ग महिला: ऐसी स्थिति में जब कोई मददगार नहीं मिला तो किसी दुर्गेश के परिवार को बमनई गांव निवासी दाई पचास वर्षीय कलाबाई के बारे में पता चला। उन्होंने शनिवार को गांव से निकले और शाम को कलाबाई से संपर्क किया। जब तक गांव के आसपास नदियों में पानी बढ़ गया था।

कलाबाई ने भी तत्परता दिखाई और शाम को 5 बजे को ही नासीपुर गांव के लिए निकल पड़ी। दुर्गम रास्ता पार करते हुए कलाबाई ने पहले तो 20 फीट गहरी नदी को पार किया, जो पुल के ऊपर से बह रही थी। उन्हें रस्सी के सहारे नदी पार कराई गई। अब कलाबाई के सामने दूसरी बड़ी चुनौती थी। आगे एक और नदी उफान मार रही थी। लगातार बारिश से जल स्तर भी बढ़ रहा था। कलाबाई ने यहां भी हिम्मत नहीं हारी। वो नदी पार नहीं कर पा रही थी, उन्होंने नदी के किनारे एक सूने मकान में ही रात गुजारी और रविवार सुबह 6 बजे नासीपुर गांव पहुंच गई। कलाबाई ने सबसे पहले बच्चे की नाल काटकर बच्चे को मां से अलग किया उसके बाद संक्रमण से बचाव के जरूरी उपाय किए। अब मां और बेटे दोनों ही स्वस्थ हैं। हर कोई कलाबाई की सराहना कर रहा है।

दाई मौसी की सलाह काम आई

महिला के पति दुर्गेश ने पत्रिका को बताया कि रात में बाढ़ के कारण दो नदी के बीच फंसी दाई कलाबाई ने परिजन को सलाह दी कि गर्भनाल को बांध दो, ताकि खून का संचालन बंद हो जाए। दुर्गेश उइके ने बताया कि दाई मौसी रात में सलाह नहीं देती और नदी पार कर दूसरे दिन सुबह गांव नहीं पहुंचती तो कुछ भी हो सकता था। दुर्गेश के मुताबिक जैसी ही नदी उतरी तो उसने जिम्मेदारों को फोन कर प्रसव होने की जानकारी दी, लेकिन दो दिन में नासीपुर कोई नहीं पहुंचा था।

10 साल पहले लिया था एक माह का प्रशिक्षण

कलाबाई ने बताया कि उन्होंने 10 साल पहले औबेदुल्लागंज अस्पताल में एक माह का प्रशिक्षण लिया था। वे इमरजेंसी में पास के तीन-चार गांव में प्रसव कराती रहती हैं।

गर्भवती पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए उसके पति ने 1200 KM का सफ़र स्कूटी से तय कर डाला

Posted: 05 Sep 2020 05:57 PM PDT


पति-पत्नी का रिश्ता बहुत ख़ास होता है. दो लोग जीवन साथ निभाने का वादा करते हैं. सुख-दुःख में साथ देते हैं. मगर झारखंड के एक पति ने मिसाल कायम की है. उसने अपनी पत्नी का सपना पूरा करने के लिए 1200 किमी स्कूटी से तय कर डाले. 

दरअसल, 26 वर्षीय धनंजय कुमार की पत्नी 6 महीने की प्रेग्नेंट हैं. कुमार की 24 वर्षीय पत्नी सोनी टीचर बनना चाहती हैं. जिसके लिए वो डीलेड (डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन) सेकंड ईयर का एग्जाम दे रही हैं. उनकी पत्नी का सेंटर ग्वालियर पड़ा, तो धनंजय ने 1200 किलोमीटर का (झारखण्ड से ग्वालियर) का सफ़र तीन में स्कूटी से तय किया.

रिपोर्ट के अनुसार, कुमार पेशे से एक कुक हैं. वो 10वीं क्लास तक भी शिक्षित नहीं हैं. दोनों की शादी पिछले साल ही हुई है. कुमार गुजरात की कैंटीन में काम करते थे. उनकी पत्नी और वो लॉकडाउन के बाद अपने घर गोड्डा आ गए.

कुमार ने बीते 23 अगस्त को अपने भाई को भी खो दिया. वह आर्थिक तंगी से भी गुज़र रहे हैं. उन्होंने कहा, "पत्नी की एग्जाम की डेट आ गई है. इसके लिए ग्वालियर चलना पड़ेगा. एक तो पैसे नहीं, ऊपर से जिस ट्रेन में टिकट कराया था, वह भी कैंसिल हो गई. पत्नी के पास पहुंचा तो वह बोली मेरे गहने गिरवी रख दो. उसके गहने गिरवी रखकर दस हजार रुपए मिले. जिस पर हर महीने 300 रुपए ब्याज देना है. 12 महीने में पैसे नहीं लौटाए तो गहने भी चले जाएंगे."

मगर जब घर से स्कूटी पर बस पकड़ने निकले तो, एक सवारी का ढाई हजार किराया सुनकर परेशान हो गए. कुमार ने कहा, "हमारे पास सिर्फ 10 हजार रुपए थे. मैंने पत्नी को कहा कि आप चिंता मत करो, आगे से बस मिल जाएगी. मैं उन्हें लेकर स्कूटी से ही आगे बढ़ चला. कभी रुकते, कभी चलते,"

भागलपुर पहुंचने के बाद बाढ़ का पानी एक नयी समस्या बन गया. बारिश एक अलग परेशानी. मजबूरन इस कपल ने मुजफ्फरपुर में एक लॉज में 400 रुपए देकर कमरा लिया. इसके बाद दोनों अगली सुबह चार बजे लखनऊ के लिए निकल पड़े. क्योंकि सोनी प्रेग्नेंट थी, तो कुमार को और भी ज्यादा चिंता थी. उन्हें रात में होटल या गार्डन में ही रुकना पड़ा.

30 अगस्त की सुबह चार बजे हम वहां से निकले और दोपहर करीब तीन बजे ग्वालियर पहुंच गए. यहां 10 दिन के लिए 1500 रुपए का एक रूम मिला. पिछले तीन दिन से हम दोनों यहीं हैं, लेकिन अब हमें चिंता एग्जाम के बाद लौटने की है. हमारे सात हजार से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. देखते हैं क्या होता है... अभी 7 दिन तो यहीं रहना है. आगे भी कुछ न कुछ व्यवस्था तो हो ही जाएगी. आए हैं तो लौटेंगे भी…."

कभी होते थे हैंडसम मर्द, आज औरत बन कर जी रहे हैं ये 4 बॉलीवुड सितारे

Posted: 05 Sep 2020 05:55 PM PDT


बात करे अपने देश भारत की तो आज के समय में ट्रांसजेंडरों की तादाद पहले के मुकाबले अब काफी कम हो चुकी है. एक वक़्त ऐसा भी था जब हमारा ये समाज ट्रांसजेंडरों को भारतीय सोसायटी में ऐक्सेप्ट नहीं करता था और गलत दृष्टि से देखा जाता था. उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता और उन्हें जानवरो से भी बदतर माना जाता था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अब ट्रांसजेंडरों के लिए भी एक कैटेगरी बना दी गई है और उन्हें अब अदर कैटेगरी में रखा गया है. इस फैसले से अब ट्रांसजेंडर्स भी अपना एक उज्ज्वल भविष्य बना सकते है. आज हम आपको कुछ ऐसे ही लोगो के बारे में बताने जा रहे है, जो पैदा तो मर्द हुए थे लेकिन बाद में उन्होंने अपना लिंग परिवर्तन कर लड़की बन गए और आज के समय में उन्होंने बॉलीवुड में काफी नाम भी कमा लिया है.



बॉबी डार्लिंग

टीवी जगत में बोबी नाम से मशहूर ये अभिनेत्री असल में कभी लड़का हुआ करता था जिसका नाम पंकज शर्मा था. मर्द पैदा होने के बावजूद भी पंकज ने वर्ष 2010 में ब्रेस्ट इंप्लांट करवा के अपना नाम पाखी रख लिया. बॉलीवुड में आने के बाद पाखी ने खूब नाम और शोहरत कमाई और इसके चलते उन्होंने अपना नाम फिर से बदलकर बॉबी डार्लिंग रख लिया. बोबी बॉलीवुड की फिल्म 'क्या कूल है हम' , 'हसी तो फसी', 'पेज 3' जैसी फिल्मों में काम कर चुकी है.



गौरी अरोड़ा
ये अभिनेत्री, किसी समय एक लड़का हुआ करता था जिसका नाम गौरव अरोड़ा था, गौरव अरोरा 'स्पिट्सविला सीजन3' के कंटेस्टेंट भी रह चुके है. गौरव ने अपना जेंडर बदला तो वे सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियों में रहे थे. गौरव एक बेहत ही चार्मिंग अभिनेता हुआ करते थे. लेकिन जेंडर बदलने के बाद वे एक बेहद ही खूबसूरत अभिनेत्री बन गई. इतना ही नहीं अपना जेंडर बदलने के बाद उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल प्र अपने फैंस को साझा करते हुए कहा कि 'नाउ कॉल मी गौरी'. गौरी ने हमें एक इंटरव्यू में बताया कि बचपन से ही उन्हें एक लड़की जैसा एहसास रहा है और इसी के चलते उन्होंने ये फैसला कर अपना जेंडर चेंज करवा लिया. और आज के समय में गौरी एक लड़की की तरह ही ज़िन्दगी बिता रही है.



निक्की चावला

निक्की भी उन्हीं लोगों की सूची में शामिल है जो पैदा तो मर्द हुए थे लेकिन बाद में अपना जेंडर बदलवा के लड़की बन गए. निक्की ने हमें एक इंटरव्यू में बताया कि वे अपने जीन्स से परेशान थे और इसी के चलते वे लड़की बनना चाहते थे. उस समय ये सब करना उनके लिए इतना आसान नहीं था क्युकी उनकी फैमिली निक्की को इस चीज की इजाजत नहीं देती और इसी के चलते निक्की ने अपने परिवार वालो के खिलाफ जाके उनसे रिश्ता तोड़ लिए. वर्ष 2009 में निक्की ने अपना जेंडर परिवर्तन करवा लिया. निक्की एक फेमस टीवी शो इमोशनल अत्याचार में नजर आ चुकी है.



अंजलि लामा

नेपाल के छोटे से गांव में जन्मे नबिन वाहिबा ने भी अपना जेंडर चेंज करवा के लड़की बन गए. वे अपनी पर्सनैलिटी को लेकर काफी उदास थे और इसी के चलते उन्होंने ये कदम उठाया और आज नबिन एक लड़की की ज़िन्दगी की रहे है. उन्होंने अपना नाम बदलकर अंजलि रख लिया. अपने इस फैसले को लेकर, उनके घरवालों ने उनसे रिश्ता तोड़ लिया लेकिन उनकी मां ने अपनी संतान का साथ कभी नहीं छोड़ा.

मायके वालों ने लगाया हत्या का आरोप,पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू की

Posted: 05 Sep 2020 05:45 PM PDT


मायके वालों ने लगाया हत्या का आरोप,पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू की: जयसिंहपुर विधानसभा के अंतर्गत आलमपुर के साथ बालकरूपी के गॉव जमेतर में महिला की हत्या का लगया मायके वालो ने आरोप पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है महिला की शादी जनवरी 2019 को हुई थी मृतक महिला B.Sc B.Ed थी लड़की के भाई का कहना है कि उसकी बहन को उसकी सास और पति मारते पीटते थे। 

और अगर मेरी बहन ने फांसी का फंदा लगाया है तू उसके शरीर पर चोटों के निशान क्यों है यह अवश्य ही किसी साजिश के तहत मेरी बहन को जानबूझकर मौत के घाट उतारा गया है अतः मेरी प्रशासन से प्रार्थना है कि हमें न्याय दिलाया जाए DSP बैजनाथ B.D.BHATIA से बात की तो उन्होंने कहा कि सास ओर मृतक की छ महीने की बेटी पुलिस की कस्टडी में है और पूछताछ जारी है सास बिजली विभाग में कार्यरत है

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