दिव्य रश्मि न्यूज़ चैनल |
- “कोरोना वायरस टीकाकरण रोलआउट” पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण ई-कार्यशाला का किया गया आयोजन
- क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय पटना को हिन्दी में उत्कृष्ट कार्य के लिए मिला सम्मान
- राज्यपाल ने मकर संक्रांति एवं लोहड़ी पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएँ दी
- मुख्यमंत्री ने मकर संक्रांति और लोहड़ी पर्व की बधाई और शुभकामनायें दीं
- नगर पंचायत खुसरूपुर ने बुधवार को शिविर आयोजित किया गया I
- ‘संवाद दर्शन’ के कोरोना सेवा विशेषांक का विमोचन कार्यक्रम संपन्न
- प्रमुख व्यवसायियो के साथ थाना परिसर में बैठक आयोजित किया
- आज 14 - जनवरी - 2021, गुरूवार को क्या है आप की राशी में विशेष ?
- अश्विनी नक्षत्र को अथर्ववेद अश्वयुज अर्थात अश्वों की जोड़ी कहता है
“कोरोना वायरस टीकाकरण रोलआउट” पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण ई-कार्यशाला का किया गया आयोजन Posted: 13 Jan 2021 08:14 AM PST "कोरोना वायरस टीकाकरण रोलआउट" पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण ई-कार्यशाला का किया गया आयोजनसूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के पटना स्थित रीजनल आउटरीच ब्यूरो तथा प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो के संयुक्त तत्वाधान में आज "कोरोना वायरस टीकाकरण रोलआउट" पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण ई-कार्यशाला का आयोजन किया गया। ई-कार्यशाला में दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के संवाददाता एवं स्ट्रिंगर्स सहित फील्ड आउटरीच ब्यूरो के अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हुए। ई-कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने कहा कि 16 जनवरी से पूरे देश भर में कोविड-19 टीकाकरण की शुरुआत, कोरोना की लड़ाई में निर्णायक भूमिका अदा करेगा। उन्होंने कहा कि इस ई-कार्यशाला के आयोजन का मुख्य उद्देश्य सरकारी संचारकों (government communicators) को कोविड-19 टीका से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियों से अवगत करवाना है, ताकि वे लोगों में टीका को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को प्रचार माध्यमों के जरिए दूर कर सकें। उन्होंने कहा कि सरकारी संचारकों के तौर पर हमारा मूल उद्देश्य आम लोगों में टीका के प्रति विश्वास पैदा करना है। मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में शामिल राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार सरकार के अपर निदेशक (प्रतिरक्षण) सह राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉक्टर एनके सिन्हा ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन को लेकर भ्रांतियां तो रहेंगी, लेकिन उन भ्रांतियों को हम मीडियाकर्मियों के सहयोग से दूर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 को खत्म करने को लेकर तैयार नई वैक्सीन पूरी तरह कारगर है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के 14 दिनों के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होने लगेगी। उन्होंने यह भी कहा कि टीका लगने के बाद भी लोगों को 2 जग दूरी, मास्क पहनने, हाथ धुलने आदि को जारी रखना पड़ेगा। अतिथि वक्ता के रूप में शामिल पटना की सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी ने कहा कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला टास्क फोर्स का गठन किया गया है और इसी तर्ज पर ब्लॉक लेवल टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है, जो टीकाकरण के कार्य को संपन्न करेंगे। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के लिए केंद्रों का चयन कर लिया गया है और दो बार मॉक ड्रिल भी किया जा चुका है। साथ ही टीकाकरण के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। अतिथि वक्ता के रूप में शामिल यूनिसेफ पटना के वरिष्ठ राज्य सलाहकार सुधाकर सिन्हा ने कहा कि भारत में कोविड-19 टीकाकरण की शुरुआत नए साल की बहुत बड़ी खुशखबरी है। भारत में शुरू होने वाला टीकाकरण विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्य है। उन्होंने कहा कि कोरोना वैक्सीन कारगर भी है और सुरक्षित भी है। लेकिन उन्होंने कहा कि हमें वैक्सीनेशन के बाद भी पूर्व के नियमों को कड़ाई से पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि पहले डोज के 28 दिनों के बाद दूसरा डोज दिया जाएगा और इसके 24 दिनों के बाद तक हमें कड़ाई से सुरक्षा अपनाने की आवश्यकता है। अतिथि वक्ता के तौर पर राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार सरकार के सलाहकार शादान अहमद खान ने कहा कि कोविड-19 टीकाकरण को लेकर राज्य सरकार पूरी तरह तैयार है। कोविड-ऐप में पहले चरण के तहत करीब 4.50 लाख लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है। उन्होंने कहा कि टीका लेने के बाद लोगों को कम से कम 30 मिनट केंद्र पर ही बने ऑब्जर्वेशन रूम में बैठना होगा। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सदर अस्पताल, रेफर अस्पताल आदि जगहों को टीकाकरण का केंद्र बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पहले चरण के तहत सिर्फ हेल्थ केयर वर्कर्स को ही टीका दिया जा रहा है।ई-कार्यशाला में विषय प्रवेश करते हुए दूरदर्शन (समाचार), पटना की उपनिदेशक श्वेता सिंह ने कहा कि कोविड-19 टीका को लेकर लोगों के बीच भ्रम है, जिसे खंडित करना ही मीडियाकर्मियों का मूल काम है। उन्होंने कहा कि पहले चरण के तहत फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए टीकाकरण की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण कोविड-19 के प्रसार को रोकेगा। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के बाद भी हमें 2 गज दूरी, हाथ धुलने, मास्क पहनने जैसे आवश्यक बातों को अमल में लाना होगा। ई-कार्यशाला का संचालन करते हुए पीआईबी, पटना के सहायक निदेशक संजय कुमार ने कहा कि मीडिया का दायित्व है कि कोरोना टीकाकारण के सकारात्मक पक्ष को जन जन तक पहुँचाये और जो भी भ्रांतियाँ आती है उसको दूर करें। आकाशवाणी (समाचार) पटना के संवाददाता धर्मेंद्र कुमार राय ने धन्यवाद ज्ञापन किया। ई-कार्यशाला में रीजनल आउटरीच ब्यूरो के निदेशक विजय कुमार तथा प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो के निदेशक दिनेश कुमार सहित बिहार के आकाशवाणी-दूरदर्शन जिला संवाददाता और फील्ड आउटरीच ब्यूरो के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी शमिल थे । दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय पटना को हिन्दी में उत्कृष्ट कार्य के लिए मिला सम्मान Posted: 13 Jan 2021 08:04 AM PST क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय पटना को हिन्दी में उत्कृष्ट कार्य के लिए मिला सम्मानविश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में विदेश राज्य मंत्री श्री वी. मुरलीधरन ने क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय पटना को समूह 'क' क्षेत्र के कार्यालयों में हिन्दी में कार्य करने और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया। गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय की उपस्थिती में क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी प्रवीण मोहन सहाय को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। विश्व हिन्दी दिवस 2021 के लिए 36 क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों में से समूह 'क' क्षेत्र से पटना, समूह 'ख' क्षेत्र के लिए चंडीगढ़ और समूह 'ग' क्षेत्र के लिए कोलकाता स्थित कार्यालय को हिन्दी में कार्य निष्पादन करने वाले सर्वश्रेष्ठ कार्यालयों के रूप में चयनित किया गया था। विदेश मंत्रालय द्वारा राजभाषा हिन्दी पुरष्कार समारोह में गृह राज्य मंत्री सुश्री रीवा गांगुली दास, सचिव (पूर्व) विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के साथ-साथ पासपोर्ट कार्यालयों के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
राज्यपाल ने मकर संक्रांति एवं लोहड़ी पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएँ दी Posted: 13 Jan 2021 08:00 AM PST राज्यपाल ने मकर संक्रांति एवं लोहड़ी पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएँ दीपटना, 13 जनवरी 2021 को महामहिम राज्यपाल श्री फागू चैहान ने मकर संक्रांति और लोहड़ी पर्व के सुअवसर पर समस्त बिहारवासियों एवं देशवासियों को अपनी शुभकामनाएँ दी है। राज्यपाल श्री चैहान ने अपने 'संदेश' में कहा है कि 'मकर संक्रांति' एवं लोहड़ी के पर्व राज्यवासियों के जीवन में सुख, सद््भावना और प्रेम का संचार करें, यही मेरी मंगलकामना है। राज्यपाल ने इन पर्वों को उल्लास और भाईचारा के साथ मनाए जाने का अनुरोध किया है। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्यमंत्री ने मकर संक्रांति और लोहड़ी पर्व की बधाई और शुभकामनायें दीं Posted: 13 Jan 2021 07:55 AM PST मुख्यमंत्री ने मकर संक्रांति और लोहड़ी पर्व की बधाई और शुभकामनायें दींपटना, 13 जनवरी 2021:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने मकर संक्रांति और लोहड़ी पर्व पर समस्त प्रदेशवासियों एवं देशवासियों को अपनी बधाई और शुभकामनायें दी हैं। मुख्यमंत्री ने अपने शुभकामना संदेष में कहा है कि मकर संक्रांति और लोहड़ी का पर्व लोगों के लिए सुख, शान्ति और समृद्धि लायेगा। मकर संक्रांति और लोहड़ी के पर्वों का सांस्कृतिक महत्व भी है। मकर संक्रांति के पावन स्नान के बाद लोग चूड़ा, दही, तिलकुट खाते और खिलाते हैं, इससे परस्पर प्रेम और सद्भाव बढ़ता है। नये फसलों के घर आने की खुशी में लोहड़ी पर्व मनाया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग इन पर्वों को हर्षोल्लास, पारस्परिक स्नेह एवं सौहार्द्र के साथ मनायें। इससे समाज में सामाजिक समरसता बढ़ेगी और सभी के सहयोग से एक खुषहाल, विकसित और गौरवपूर्ण बिहार का निर्माण होगा। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
नगर पंचायत खुसरूपुर ने बुधवार को शिविर आयोजित किया गया I Posted: 13 Jan 2021 07:50 AM PST नगर पंचायत खुसरूपुर ने बुधवार को शिविर आयोजित किया गया Iखुसरूपुर से कन्हैया पांडेेय की खास रिपोर्ट Iखुसरूपुर/ संवाददाता I नगर पंचायत खुसरूपुर ने बुधवार को शिविर आयोजित कर नगर के विभिन्न वार्डो से आए फुटपाथी दुकानदारों और वेंडरों के बीच वेंडिंग प्रमाणपत्र का वितरण किया। नपं ने वेंडिंग प्रमाणपत्र के लिए 230 लोगों का चयन किया है। शिविर में पहले दिन पहुंचे 18 वेंडरों को नपं कार्यपालक पदाधिकारी प्रमोद कुमार रजक ने प्रमाणपत्र प्रदान किया। मौके पर नगर प्रबंधक कुशल वर्मा, पार्षद मिंटू यादव, शहरी आजीविका समूह के सीआरपी बेबी सिंह, किरण देवी, सीता देवी एवं पुतुल देवी मौजूद थी। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
‘संवाद दर्शन’ के कोरोना सेवा विशेषांक का विमोचन कार्यक्रम संपन्न Posted: 13 Jan 2021 07:47 AM PST
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प्रमुख व्यवसायियो के साथ थाना परिसर में बैठक आयोजित किया Posted: 13 Jan 2021 07:41 AM PST प्रमुख व्यवसायियो के साथ थाना परिसर में बैठक आयोजित किया।खुसरूपुर से कन्हैया पांडेय की खास रिपोर्ट I खुसरूपुर/ संवादाता |एसएसपी उपेंद्र कुमार शर्मा के निर्देशानुसार थानाध्यक्ष सरोज कुमार ने बुधवार को थाना परिसर पर नगर के प्रमुख व्यवसायियो के साथ बैठक आयोजित किया।बैठक मे कई बिंदुओं पर चर्चा हुई।विदित हो कि एसएसपी ने जिले के सभी थानाध्यक्ष को प्रत्येक बुधवार को थाना पर व्यवसायियों संग बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया है।इसी आलोक में बैठक हुई और सकारात्मक मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान हुआ। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
आज 14 - जनवरी - 2021, गुरूवार को क्या है आप की राशी में विशेष ? Posted: 13 Jan 2021 07:38 AM PST
दैनिक पंचांग एवं राशिफल - सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन जाने प्रशिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. प्रेम सागर पाण्डेय से श्री गणेशाय नम: दैनिक पंचांग 14 - जनवरी - 2021, गुरूवार पंचांग तिथि प्रतिपदा दिन 09:36:12 नक्षत्र श्रवण रात्रिशेष 05:51:26 करण : बव 09:03:16 बालव 20:30:32 पक्ष शुक्ल योग वज्र 22:04:00 वार गुरूवार सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ सूर्योदय 06:43:10 चन्द्रोदय 08:15:00 चन्द्र राशि मकर सूर्यास्त 05:17:05 चन्द्रास्त 18:56:00 ऋतु शिशिर हिन्दू मास एवं वर्ष शक सम्वत 1942 शार्वरी कलि सम्वत 5122 दिन काल 10:29:57 विक्रम सम्वत 2077 मास अमांत पौष मास पूर्णिमांत पौष शुभ और अशुभ समय शुभ समय :- अभिजित 12:09:12 - 12:51:12 अशुभ समय :- दुष्टमुहूर्त : 10:45:12 - 11:27:12 14:57:11 - 15:39:11 कंटक 14:57:11 - 15:39:11 यमघण्ट 07:57:13 - 08:39:13 राहु काल 13:48:57 - 15:07:41 कुलिक 10:45:12 - 11:27:12 कालवेला या अर्द्धयाम 16:21:11 - 17:03:11 यमगण्ड 07:15:13 - 08:33:58 गुलिक काल 09:52:43 - 11:11:27 दिशा शूल दक्षिण चन्द्रबल और ताराबल
आज का दैनिक राशिफल 14 - जनवरी - 2021, गुरूवार
पं. प्रेम सागर पाण्डेय् ,नक्षत्र ज्योतिष वास्तु अनुसंधान केन्द्र ,नि:शुल्क परामर्श - रविवार , दूरभाष 9122608219 / 9835654844 दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अश्विनी नक्षत्र को अथर्ववेद अश्वयुज अर्थात अश्वों की जोड़ी कहता है Posted: 13 Jan 2021 07:22 AM PST अश्विनी नक्षत्र को अथर्ववेद अश्वयुज अर्थात अश्वों की जोड़ी कहता हैसंकलन अश्विनीकुमार तिवारी आज से लगभग ८५०० वर्ष पहले जब सूर्य अश्विनी नक्षत्र में उत्तरायण होते थे, तब का बहुत ही अलंकारिक वर्णन ऋग्वेद में मिलता है। अश्विनी नक्षत्र को अथर्ववेद अश्वयुज अर्थात अश्वों की जोड़ी कहता है। इसका कारण नक्षत्र के दो तारे हैं। अश्विनकुमार यही दो तारे हैं। सूर्य के उत्तरायण होते ही यज्ञों के वार्षिक सत्रों का नया चक्र प्रारम्भ होता था। दिन बड़ा होने लगता, सूर्य की कांति बढ़ने लगती। अलंकारिक वर्णन में उसे ऐसे व्यक्त किया गया जैसे कि अश्विनकुमारों के रथ में सूर्य की दुहिता अर्थात पुत्री उन्हें वरण करने के पश्चात सवार शोभायमान हो रही हो। यहाँ दुहिता शब्द प्रयोग बहुत अर्थगहन है। दूहने से सम्बन्धित शब्द सूर्य की कांतिमय रश्मियों को दूहती उनकी पुत्री सूर्या को अभिव्यक्त करता है। कालांतर में अयनगति सूर्या के सोम अर्थात चन्द्र संग विवाह से अभिव्यक्त होने लगी। वैदिक उषा दक्षिणायन के समय की लम्बी ठिठुरती रातों से मुक्ति का प्रतीक भी है जब कि सूर्य दुहिता चन्द्रमा की २७ पत्नियों अर्थात नक्षत्रों में एक से अभिव्यक्त होती है जिसमें चन्द्रगति से जुड़े नाक्षत्रिक महीनों की ओर संकेत है। आज भी विवाह के वैदिक मंत्र सूर्या सोम के विवाह वाले ही हैं। पृथ्वी के घूर्णन अक्ष की लगभग २५७००वर्ष की आवृति वाली चक्रीय गति को ले गणना करें तो शीत अयनांत के अश्विनी नक्षत्र में होने का काल आज से लगभग ८००० से ९००० वर्षों पहले का है।] शीत अयनांत है। यमलोक की मृत्युशीत में निवास करते पितरों ने निज वार्षिक विश्राम हेतु धरा पर अपनी संतति का दायित्त्व देवों को सौंप दिया है। अश्विन नक्षत्र पर आ चुके सूर्य उत्तरायण होंगे। दिनमान बढेंगे। ऊष्मा का संचरण होगा। नवजीवन सृजन को सूर्य की पुत्री सूर्या ने अश्विनकुमारों का वरण किया है। उन अद्भुत मायावियों के संग उसे कीर्ति मिलेगी। सूर्या के यौवन को समृद्धि उपहार मिलेंगे। आनन्द खग उड़ान भरेंगे। ऋषि भरद्वाज आह्लादित हैं। बृहस्पति के वंशज का त्रिष्टुप छन्दी आह्लाद छलक पड़ा है। (६.६३.५-६) सरस्वती के तट पर मैत्रावरुणि वसिष्ठ ने दुल्हन सूर्या के संग आरूढ़ अश्विनकुमारों के रथ के परिपथ का प्रेक्षण किया है। उसका परिपथ अंतरिक्ष के अंतबिन्दुओं तक प्रसरित है। सूर्या ने उस समय अश्विनियों के प्रकाश का वरण किया जब रजनी तनु हो धूसर प्रात: का रंग ले रही थी। (७.६९.३-४) ✍🏻गिरिजेश राव हमारी अनेक पुराकथायें कितनी प्रयोजनमूलक हैं हम सहसा समझ नहीं पाते। उन्हें बस मिथक का दर्जा देकर तर्क से परे ढ़केल देते हैं। मैंने सदैव पाया है कि हमारी कितनी ही पुराण कथाओं में ज्ञान और शिक्षण के मर्म छुपे हैं किन्तु हम उनका अपनी सीमित दृष्टि से उद्घाटन नही कर पाते। समझ नहीं पाते। कितने तो नये ज्ञानी इनका उपहास उड़ाते हैं। इन्हे बेसिर पैर का मानते हैं। अभी उसी दिन अत्रि विक्रमार्क अन्तर्वेदी की खगोलीय रुचि को देखते हुए मैंने उनसे धुर दक्षिण में चमक रहे एक सायंकालीन तारे के बारे में जिज्ञासा की तो उन्होने बताया कि वह अगस्ति (कैनोपस) तारा है जो आसमान में सबसे चमकने वाले तारों में लुब्धक के बाद का दूसरे नम्बर का तारा है। इसका हिन्दी नामकरण हमारे ऋषि अगस्त्य के नाम पर हुआ है। आईये लगे हाथ ऋषि अगस्त्य से जुड़ी एक मशहूर कथा आपको अति संक्षेप में सुना दें ताकि आप इस प्रसंग से जुड़ सकें। एक बार हिमालय और विंध्याचल पर्वतों में होड़ लग गई कि कौन कितना ऊंचा उठ सकता है। दोनों बढ़ने लगे। सूर्य का रास्ता रुक गया। कुहराम मच गया। जाहिर था इन्द्र की सभा में इस नई मुसीबत पर सभा बुलाई गई, विचार विमर्श में तय पाया गया कि विंध्याचल ऋषि अगस्त्य का शिष्य है इसलिये उनकी बात शिरोधार्य करेगा।। लिहाजा अगस्त्य को भेजा गया। उन्हें देखते ही आज्ञाकारी शिष्य दंडवत मुद्रा में साष्टांग लेट गया। बात बन गई। अगस्त्य मुनि ने आदेश दिया कि वत्स ऐसे ही रहना जब तक कि मैं अपनी दक्षिण यात्रा से लौट न आउं। और आज भी विंध्याचल अपने आराध्य की प्रतीक्षा कर रहा है। अब दक्षिणी आकाश के तारे कैनोपस पर वापस आया जाय। इसका नाम हमारे पूर्वजों ने उचित ही, अगस्त्य ऋषि के नाम पर रखा है जो उनके दक्षिणायन होने की कथा से ही प्रेरित है। मगर क्या अगस्त्य कभी उत्तर की ओर नहीं लौटेंगे? इस तारे पर हुई नई नवेली जिज्ञासा मुझे विकीपीडिया तक ले गई। वीकिपीडिया के अनुसार - "वर्तमान युग में अगस्ति तारा धीरे-धीरे उत्तर की तरफ़ जा रहा है। अनुमान लगाया जाता है के यह विन्ध्याचल पर्वतों में लगभग सन् ५,२०० ईसापूर्व में और दिल्ली या कुरुक्षेत्र के आसपास के इलाकों में सन् ३,१०० ई॰पू॰ में ही दिखना शुरू हुआ। इस से कुछ लोग अनुमान लगते हैं के ऋषि अगस्त्य विन्ध्य पर्वतों को पार करके दक्षिण भारत में सन् ४,००० ई॰पू॰ के आसपास दाख़िल हुए होंगे" लीजिये ऋषिवर उत्तरायण हो लिये हैं। घबराईये नहीं। मुझे तो बस यह कहना है कि हमारे गगनविहारी पूर्वज अपने नियमित प्रेक्षणों से इस तारे का शनैः शनैः दक्षिणी क्षितिज से ऊपर उत्तर की ओर उठते रहने को देख समझ चुके थे। इन सभी प्रेक्षणों को उन्होंने एक रोचक कथानक में गूंथ दिया। और अगस्त्य विंध्याचल की कथा अमर हो गयी। हो सकता है जैसे मैंने अत्रि विक्रमार्क अन्तर्वेदी से आज यह सवाल किया कि धुर दक्षिण का वह तारा कौन सा है, ठीक ऐसे ही हमारे किसी पुरातन जिज्ञासु ने यही सवाल प्राचीन खगोलविद - पुराणकार से पूछ लिया हो और तब अगस्त्य विंध्याचल की उपर्युक्त पुराण कथा जन्मी हो ताकि एक आकाशीय ज्ञान भोले भाले लोगों को भी सहजता से दिया जा सके। इन दिनों तो चन्द्रमा की रोशनी में अगस्ति तारा छुप सा गया है किन्तु अगले अंधियारे पक्ष में दक्षिणी क्षितिज के इस चमकीले तारे को देखना आप मत भूलिएगा। ✍🏻डॉ अरविंद मिश्रा ॥जानिए उत्तराखण्ड के 'घुघुतिया' त्यौहार के बारे में॥ 🎂🎂🎂🎂🎂🎂 ॥पक्षियों के प्रति सौहार्द भाव का लोकपर्व ॥ 'काले कवा काले, घुघुती मावा खा ले' कुमाउं उत्तराखण्ड में मकर संक्रान्ति का पर्व 'उत्तरायणी या 'घुघुती त्यौहार के रूप में मनाया जाता है और काले कौए को इस दिन घुघुते, खजूर के पकवान खाने के लिए विशेष अतिथि के रूप में बुलाया जाता है - "काले कव्वा काले ! घुघुते माला खाले!" (हे काले कव्वे ! घुघुतों की माला खाले) "ले कव्वा बड़े ! मकैं दियै सुनूँ घड़े !" (हे कव्वे ! बड़ा खाले उसके और बदले मुझे सोने का घड़ा दे दे)' कभी कोई जमाना था जब दुहरी–तिहरी घुघुतों की माला पहने हर पहाड़ी बालक हो या वृद्ध या महिला कौवों को बुलाकर 'उत्तरायणी त्योहार का स्वागत किया करते थे पर अब इसकी लोक परंपरा धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है और पहाड़ के कौए भी उत्तरायणी के दिन निराश होकर चले जाते हैं कि जिन मकानों से उनको इस दिन घुघुते–बड़े खाने को मिलते थे वहां ताले लटके हैं। वहां के स्वामी अपने रोजगार के लिए घर छोड़ कर पलायन करके चले गए हैं तो अब कहां से मिलेगा उन्हें खाने को घुघुते और बड़े जिससे कि वे उन गृहस्वामियों को उन्हें सोने के घड़े का उपहार दे सकें। यह चिंता की बात है कि हम आज न केवल पहाड़ से बल्कि उस अपनी हिमालयीय विराट् लोक संस्कृति से भी दूर होते जा रहे हैं जिसमें एक कौए जैसे पक्षी के लिए भी अत्यंत आत्मीयता के बोल बोले जाते हैं। घुघुती हो या कौआ प्रकृति की गोद में विचरण करने वाले इन पक्षियों के रचना संसार से ही उत्तरायणी जैसी पहाड़ की लोक संस्कृति को नव जीवन मिलता है। कुमाऊं की वादियों में प्रचलित एक स्थानीय जनश्रुति के अनुसार कुमाऊं के चंदवंशीय राजा कल्याण चंद को बागेश्वर में भगवान बागनाथ की तपस्या के उपरांत राज्य का इकलौता उत्तराधिकारी पुत्र निर्भय चंद प्राप्त हुआ था, जिसे रानी प्यार से 'घुघुती' कहती थी। 'घुघुती' पर्वतीय इलाके के एक पक्षी को कहा जाता है। राजा का यह पुत्र भी एक पक्षी की तरह उसकी आँखों का तारा था उस बच्चे के साथ कौवों का विशेष लगाव रहता था। बच्चे को जब खाना दिया जाता था तो वह कौवे उसके आस पास रहते थे और उसको दिए जाने वाले भोजन से वे अपनी भूख मिटाया करते थे। एक बार राजा के मंत्री ने षड़यंत्र रच कर राज्य प्राप्त करने की नीयत से 'घुघुती' का अपहरण कर लिया। वह उस मासूम बच्चे को जंगलो में फैंक आया। पर मित्र कौवे वहां भी उस बच्चे की मदद करते रहे। इधर राजमहल से बच्चे का अपहरण होने से राजा बहुत परेशान हुआ। कोई गुप्तचर यह पता नही लगा सका आखिर 'घुघुती' कहां चला गया ? तभी रानी की निगाह एक कौवे पर पड़ी । वह बार बार कहीं उड़ता था और वापस राजमहल में आकर कांव कांव करता था.। उसी समय कौवा 'घुघुती' के गले में पड़ी मोतियों की माला को राजमहल में ले आया। इससे रानी को पुत्र की कुशलता का संकेत मिला और रानी ने यह बात राजा को बताई। उस कौवे का पीछा करने पर राजा का पुत्र जंगल में मिल गया जहां पर उसके चारों ओर कौवे उस बच्चे की रक्षा कर रहे थे। राजा को जब यह बात पता चली कि कौवों ने उसके पुत्र की जान बचाई है तो उसने प्रति वर्ष 'उत्तरायणी' के दिन 'घुघुतिया त्यौहार मनाने का फैसला किया जिसमें कौवो को विशेष भोग लगाने की व्यवस्था की गयी। तभी से कुमाऊं में घुघुतिया त्यौहार के दिन आटे में गुड़ मिलाकर पक्षी की तरह के घुघुतों के आकार के स्वादिष्ट पकवानों की माला तैयार करने और कौओं को पुकारने की प्रथा प्रचलित है। कौए आदि पक्षियों से प्रेम करने का संदेश देने वाले इस 'घुघुतिया ' त्यौहार की परम्परा आज भी कुमाऊ अंचल में जीवित है। घुघुते बनाने के पीछे यह मान्यता भी है कि यह एक ऐसा व्यंजन है जो केवल उत्तरायणी के अवसर पर ही बनाया जाता है। इस व्यंजन को बनाने की विधि सरल है। सबसे पहले पानी गरम करके उसमें गुड़ डालकर चाश्नी बना ली जाती है, फ़िर आटा छानकर इसे आटे में मिलाकर गूंथ लिया जाता है। जब आटा रोटी बनाने की तरह तैयार हो जाता है तो आटे की करीब 6" लम्बी और अंगुलि की मोटाई वाली आकृतियों को हिन्दी के ४ की तरह मोड़कर नीचे से बंद कर दिया जाता है। इन ४ की तरह दिखने वाली आकृतियों को स्थानीय भाषा में 'घुघुते' कहते हैं। घुघुतों के साथ साथ इसी आटे से अन्य तरह की आकृतियाँ भी बनायी जाती हैं, जैसे, डमरू, सुपारी, टोकरी, तलवार, ढाल आदि। पर सामान्य रूप से इन सब पकवानों को 'घुघुत' नाम से ही जाना जाता है। घुघुते बनाने का क्रम दोपहर के बाद से शुरु हो जाता है जिसमें परिवार का हर सदस्य हिस्सा लेता है। आटे की आकृतियां बन जाने के बाद इनको सुखाने के लिए फ़ैलाकर रख दिया जाता है। रात तक जब घुघुते सूख कर थोड़ा ठोस हो जाते है तो उनको घी या वनस्पति तेल में पूरियों की तरह तला जाता है। किसी को भी तलते समय बात करने की मनाही रहती है। बच्चों को कहा जाता है कि अगर शोर करोगे तो घुघुते उड़ जायेंगे। घुघुतों को तलने के बाद इनकी माला बनायी जाती है, जिसमें मूंगफ़ली, मौसमी फ़ल जैसे सेव, नारंगी, अन्य मेवे भी पिरोये जाते हैं। घुघुतों की माला बनाने के बाद इनको अगले दिन कौओं खिलाने के लिए सुरक्षित रख दिया जाता है। एक विशेष बात यह रहती है कि घुघुते कौओं को खिलाने से पहले कोई नहीं खा सकता। कौओं को पितरों का प्रतीक मानकर यह पितरों को अर्पण की जाने वाली पूजा सामग्री मानी जाती है। कुमाऊँ के अल्मोड़ा, चम्पावत, नैनीताल तथा उधमसिंह नगर जनपदीय क्षेत्रों में मकर संक्रान्ति को माघ मास के 1 गते को घुघुते बनाये जाते हैं और अगली सुबह 2 गते माघ को कौवे को दिये जाते हैं । वहीं रामगंगा पार के पिथौरागढ़ और बागेश्वर अंचल में मकर संक्रान्ति की पूर्व संध्या यानी पौष मास के अंतिम दिन अर्थात मासान्त को ही घुघुते बनाये जाते हैं और मकर संक्रान्ति अर्थात माघ 1 गते को कौवे को खिलाये जाते हैं। इसके बाद रिश्तेदारों तथा मित्रगणों के घर-घर घुघुते बांटने का सिलसिला शुरू होता है । जो सदस्य घर से दूर रहते हैं उनके लिए घुघुते पार्सल और कोरियर के माध्यम से भी भेजे जा सकते हैं। घुघुतिया के दिन घुघुते बनाने के बाद इनको दुबारा बसन्त पंचमी तक बनाया जा सकता है। भारत में पशु पक्षियों से सम्बंधित कई पर्व मनाये जाते हैं पर कौओं के प्रति सौहार्द प्रकट करने वाले इस अनोखे त्यौहार को मनाने की प्रथा केवल उत्तराखण्ड के कुमाऊँ अंचल में ही प्रचलित है। वैसे कौए की चतुराई के बारे में कहावत है कि पक्षियों में कौआ सबसे बुद्धिमान होता है। कौए की चतुराई के बारे में कई वैज्ञानिक शोधों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि कौए का मष्तिष्क अन्य पशु-पक्षियों से अधिक विकसित होता है। यह उत्तराखण्ड वासियों के लिए चिंता की बात है कि आज हम अपनी लोक संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं तथा पक्षिप्रेम से जुड़े ऐसे पर्यावरणवादी पर्वों की अहमियत को भी महानगरीय ग्लैमर के दुष्र् भाव में आकर भूलाते जा रहे हैं। पर संतोष का विषय यह भी है कि महानगरों में रहने वाले अनेक प्रवासी जनों में यह 'घुघुतिया ' त्यौहार अभी भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है।मेरे परिवार में मेरी मां के कहने पर 'उत्तरायणी'के मौके पर 'घुघुते' बनाने की यह रीत अभी भी जारी है।मेरे परिवार जन भी 'घुघुते' बना रहे हैं। मेरा भांजा गणेश उपाध्याय 'घुघुते' बनाने के लिए आटा गूंथ रहा है और मेरी बहन 'घुघुते' उल्हाने की तैयारी कर रही है।आप सब भी ऊपर बताई गई सरल विधि से 'घुघुते' बना कर इस त्योहार को मनाएंगे तो आपको पता चलेगा कि इन घुघुतों का आस्वाद कितना मधुर होता है और उससे भी अधिक आनन्ददायी होता है पहाड़ की लोकसंस्कृति से जुड़ने का सुख। समस्त देशवासियों को मकर संक्रान्ति, उत्तरायणी और 'घुघुतिया ' त्यौहार की शुभकामना- "काले कवा काले, घुघुती मावा खा ले" ✍🏻डा.मोहन चन्द तिवारी दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
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