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Monday, May 17, 2021

दिव्य रश्मि न्यूज़ चैनल

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"विधर्मियों से भरा है देश"

Posted: 16 May 2021 11:02 PM PDT

विधर्मियों से भरा है देश

रजनीकांत।
मामा शकुनी लगे हुये हैं
कृष्ण पार्थ भी जगे हुये है,
वीरांगणा के खुले हैं केश
विधर्मियों से भरा है देश।
अभिमन्यु है कलियुग वाला
बंद कर दिया सबका ताला,
बना रहा सुंदर परिवेश
विधर्मियों से भरा है देश।
गंगा पुत्र न डरने वाला
साहस सबमें भरने वाला,
पर डरते हैं कुछ नरेश
विधर्मियों से भरा है देश।
भीतरघात के पाठ पढ़ रहे
कौरव सारे आह भर रहे,
भरा हुआ बस केवल क्लेश
विधर्मियों से भरा है देश।
तीव्र गति से रथ चलता है
देख देख कर दिल जलता है,
सबके विकास का है संदेश
विधर्मियों से भरा है देश।
रजनीकांत।
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

चारो तरफ नीम औ पीपल

Posted: 16 May 2021 10:55 PM PDT

चारो तरफ नीम औ पीपल

रजनीकांत।
चारो तरफ नीम औ पीपल
हवा मिल हल शीतल शीतल,
अब हे टावर ठावें ठाँव
केतना बदल गेल सब गाँव।
खूब सबेरे पंडुक बोले
पेड़ के पत्ता झर झर डोले,
ना छप्पर कौआ ना काँव
केतना बदल गेल सब गाँव।
मित्र मंडली नजर न आवे
कहाँ कोई अब बिरहा गावे,
सूखल बरगद कहाँ हे छाँव
केतना बदल गेल सब गाँव।
आज के लइकन नाम न जाने
खेल पुरनका के पहचाने?
कहाँ गेल चिक्का के दाँव
केतना बदल गेल सब गाँव।
फैशन गाँवें गाँव बढ़ल हे
अँग्रेजी के नशा चढ़ल हे,
शहरी हवा बढ़ावे पाँव
केतना बदल गेल सब गाँव।
रजनीकांत।
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

भगवान शंकराचार्य का इस सनातन धर्म और संपूर्ण भारतवर्ष पर अमूल्य ऋण है|

Posted: 16 May 2021 10:30 PM PDT

भगवान शंकराचार्य का इस सनातन धर्म और संपूर्ण भारतवर्ष पर अमूल्य ऋण है|

संकलन अश्विनीकुमार तिवारी

भगवान् शंकराचार्य तथा उनके परवर्ती आचार्यों के काल में आज ईरान के नाम से प्रसिद्ध देश के भी कुछ पूर्वी हिस्से और पूरा अफगानिस्तान बदरिकाश्रम में विद्यमान ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) के पीठाचार्य शंकराचार्य के ही धार्मिक अधिकारक्षेत्र में आया करते थे, ऐसा मठाम्नाय-सेतु (महानुशासन) का अध्ययन करने से ज्ञात होता है। भारत वर्ष की चारों दिशाओं में विद्यमान चारों शंकराचार्य मठों के अधिकार क्षेत्र का निरूपण करते समय ज्योतिर्मठ के अधिकार क्षेत्र का निरूपण करते हुए इस बहुत ही प्राचीन ग्रन्थ में कहा गया है - "कुरु-काश्मीर-काम्बोज-पांचालादिविभागतः। ज्योतिर्मठवशा देशा उदीचीदिगवस्थिताः"॥२२॥ अर्थात् "कुरु देश, काश्मीर देश, काम्बोज देश और पांचाल आदि देशों में विभक्त उत्तर दिशा के जितने भी देश हैं, वे ज्योतिर्मठ के अधिकारक्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं"। प्राचीन मानचित्र को देखने से उस प्राचीन काल में इन सभी देशों की स्थिति का पता चलता है, सुदूर पश्चिम में गान्धार (कन्दहार, अफगानिस्तान) के भी आगे विद्यमान काम्बोज देश में आधुनिक अफगानिस्तान के कुछ दक्षिण पश्चिमी भूभाग और ईरान के कुछ पूर्वी भूभाग आ जाते हैं, ऐसा स्पष्ट मानचित्र में देखा जा सकता है। अहो! कैसा था वैदिक सनातन धर्म का वह अद्भुत स्वर्णिम युग !!! क्यों नहीं हमें ये सब तथ्य इतिहास में पढ़ाये जाते हैं, जिससे स्वाभिमान और गौरव से हमारा माथा ऊंचा और सीना चौड़ा हो सके...
✍🏻साभार


बारह सौ नहीं लगभग ढाई हजार साल पहले #कालड़ी में हुआ था #आद्य_शंकराचार्य का जन्म


#यूरोपीय और #वामपंथी इतिहासकारों ने #काञ्चीकामकोटिमठ के 38वें शंकराचार्य #अभिनव_शंकर (788-840 ई.) को आद्य शंकराचार्य के रूप में प्रचारित किया।


अभिनव शंकर 788 ई. में कांची कामकोटि पीठ पर शंकराचार्य के रूप में विराजमान हुए थे। उनके और आद्य शंकराचार्य का जीवनचरित इतना मेल खाता है कि अभिनव शंकर को ही आद्य शंकराचार्य कहकर प्रचारित किया गया। अभिनव शंकर का जन्म #चिदम्बरम् में हुआ था। आद्य शंकर का जन्म कालड़ी में हुआ था, लेकिन एक परम्परा उनका जन्मस्थान चिदम्बरम् मानती है। अभिनव शंकर और आद्य शंकर ने भारत की अत्यधिक यात्राएँ कीं, दोनों #हिमालय गए, #दत्तात्रेय-गुफा में प्रविष्ट हुए, फिर उनका कुछ पता न चला। इसी आधार पर 8वीं शती में हुए अभिनव शंकर को आद्य शंकराचार्य कहकर प्रचारित किया गया। इस दृष्टि से प्रचलित इतिहास में लगभग 1,300 वर्ष की त्रुटि दृष्टिगत होती है। इस भूल से भारतीय ऐतिहासिक #कालानुक्रम #Chronology में एक बहुत बड़ी गलती हुई। आचार्य शंकर के #काल को 1,300 वर्ष पीछे ले जाने से यह सिद्ध होता है कि #भगवान्_बुद्ध, #अश्वघोष, #नागार्जुन आदि की प्रचलित— पाश्चात्य लेखकों द्वारा सुझाई तथाकथित तिथियाँ— भी अशुद्ध हैं।


#आद्यशंकर की तिथि का निर्धारण किए बिना भारतीय इतिहास त्रुटिपूर्ण कालक्रम से मुक्त नहीं हो सकता है। वस्तुतः भारतीय ऐतिहासिक कालानुक्रम में #महर्षिवेदव्यास, #बुद्ध, #चाणक्य और #शंकर की तिथियाँ वे महत्त्वपूर्ण पड़ाव हैं, जहाँ से हम इतिहास की अन्य बहुत-सी तिथियाँ सुनिश्चित कर सकते हैं और #महाभारत, उससे पूर्व #वाल्मीकीय #रामायण तथा उससे भी पूर्व #वेद का सही-सही काल-निर्धारण कर सकते हैं। विगत दशकों में #भारतीय_इतिहास में कालानुक्रम-विषयक अनेक नयी खोजें हुई हैं। ये खोजें आचार्य शंकर की तिथि को संशोधित किए जाने की मांग कर रही हैं।
✍🏻भारतीय धरोहर


पाश्चात्य और कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने इतनी गड़बड़ की है कि विवेकवान लोग भी भ्रमित हो जाएं जगद्गुरु भगवान आद्यशंकराचार्य के जन्म पर भी यही भ्रम हैं के जबकि शांकरपीठ की चारों पीठ की अविछिन्न परंपरा इतिहास दस्तावेज साफ बताते हैं कि उनको 2500 वर्ष हो चुके हैं जबकि यह लोग 1200 साल में अटाना चाहते हैं।
जो ग़लत है
जितेंद्र कुमार सिंह जी का विश्लेषण


#भगवान्श्रीशंकराचार्यकाकालनिर्धारण


भारतीय संस्कृति के विकास एवं संरक्षण में जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य का विशेष योगदान रहा है। पाश्चात्य इतिहासकारों द्वारा 788 ई. की वैशाख शुक्ल पंचमी को भगवान् श्रीशंकराचार्य का जन्म तथा 820 ई. में मोक्ष या निर्वाण स्वीकार किया जाता है। भारतीय इतिहास और संस्कृति की अविच्छिन्न परम्परा से अपरिचित होने के कारण पाश्चात्य इतिहासकारों ने मनमाने ढंग से काल-निर्णय किया है। भारत के शास्त्रों और ऐतिह्यग्रन्थों में स्पष्टतः यधिष्ठिर संवत् (हिन्दू), कलि संवत् और युधिष्ठिर संवत् (जैन) का उल्लेख हुआ है। युधि. सं. (हिन्दू) का प्रवर्तन 3139 ई. पू. में, कलि संवत् का प्रवर्तन 3102 ई. पू. में और युधि. सं. (जैन) का प्रवर्तन 464 कलि संवत् अर्थात् 2638 ई. पू. में हुआ। युधि. सं. (हिन्दू) और युधि. सं. (जैन) में 501 वर्ष का अन्तर है। युधि. सं. (हिन्दू) और कलि संवत् में 37 वर्ष का अन्तर है। इसी तरह युधि. सं. (जैन) और कलि संवत् में 464 वर्ष का अन्तर है। इसी काल-गणना के अनुसार भारतीय इतिहास की तिथियों का निर्धारण करना उपयुक्त होगा।


भगवान् श्रीशंकराचार्य के समकालीन महाराज सुधन्वा के ताम्रपत्राभिलेख में भगवान् श्रीशंकराचार्य का जन्म युधि. सं. (हिन्दू) 2630 (509 ई. पू.) तथा शिवलोकगमन युधि. सं. (हिन्दू) 2662 (477 ई. पू.) में वर्णित है। भगवान् श्रीशंकराचार्य विषयक यही तिथि प्रामाणिक है। इसके प्रमाण सभी शांकर मठों में उपलब्ध हैं। आद्य शंकराचार्य ने उत्तर दिशा में अवस्थित बदरिकाश्रम में ज्योतिर्पीठ की स्थापना युधि. सं. (हिन्दू) में 2641-2645 (498-494 ई. पू.) के मध्य की। इसी तरह युधि. सं. (हिन्दू) 2648 (491 ई. पू.) में पश्चिम में द्वारिका शारदापीठ, युधि. सं. (हिन्दू) 2648 (491 ई. पू.) में दक्षिण में श्रृङ्गेरीपीठ एवं युधि. सं. (हिन्दू) 2655 (484 ई. पू.) में पूर्व दिशा में जगन्नाथपुरी गोवर्द्धनपीठ की स्थापना किये। भगवान् श्रीशंकराचार्य युधि. सं. (हिन्दू) 2658 (481 ई. पू.) में कांची कामकोटिपीठ में निवास कर रहे थे।


शारदापीठ में उपलब्ध ऐतिहासिक अभिलेख में वर्णित है- 'युधिष्ठिर शके 2630 वैशाखशुक्लापञ्चम्यां श्रीमच्ठछङ्करावतार:।.....तदनु 2662 कार्तिकशुक्लपूर्णिमायां....श्रीमच्छंकरभगवत्पूज्यपादा……निजदेहेनैव…… निजधाम प्राविशन्निति।'
अर्थात् युधिष्ठिर संवत् 2630 में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को श्रीशंकराचार्य का जन्म हुआ और युधिष्ठिर संवत् 2662 की पूर्णिमा को देहत्याग हुआ।


राजर्षि सुधन्वा का ताम्रपत्राभिलेख द्वारिकापीठ ने 'विमर्श' नामक ग्रन्थ में प्रकाशित किया है। उस ताम्रपत्राभिलेख में भगवान् श्रीशंकराचार्य के शिवलोकगमन की तिथि अंकित है- 'निखिलयोगिचक्रवर्त्तीश्रीमच्छंकरभगवत्पादपद्मयोर्भ्रमरायमाणसुधन्वनोममसोमवंशचूडामणियुधिष्ठिरपारम्पर्यपरिप्राप्तभारतवर्षस्याञ्जलिबद्धपूर्वकेयंराजन्यस्य विज्ञप्ति:………युधिष्ठिरशके 2662 आश्विन शुक्ल 15।'

एक अन्य ताम्रपत्र 'संस्कृतचन्द्रिका' (कोल्हापुर) के खण्ड 14, संख्या 2-3 में प्रकाशित है, जो गुजरात के राजा सर्वजित् वर्मा के द्वारा प्रवर्तित है। उस ताम्रपत्र में द्वारिकाशारदापीठ के प्रथम आचार्य श्री सुरेश्वराचार्य (पूर्व नाम-मण्डनमिश्र) से लेकर 29वें आचार्य श्रीनृसिंहाश्रम तक के समस्त आचार्यों का विवरण उपलब्ध है। इसमें प्रथम आचार्य का समय युधि. सं. (हिन्दू) 2649 (490 ई. पू.) दिया है।


सर्वज्ञसदाशिवकृत 'पुण्यश्लोकमञ्जरी', आत्मबोध द्वारारचित 'गुरुरत्नमालिका' तथा उसकी 'सुषमा' टीका में कतिपय श्लोक हैं। उनमें एक श्लोक इस प्रकार है-


तिष्ये प्रयात्यनलशेवधिबाणनेत्रे, ये नन्दने दिनमणावुदगध्वभाजि।
रात्रोदितेरुडुविनिर्गतमङ्गलग्नेत्याहूतवान् शिवगुरु: स च शंकरेति।।
अर्थात् अनल = 3 , शेवधि = निधि = 9, बाण = 5, नेत्र = 2 , अर्थात् 3952। 'अंकानां वामतोगति:' सूत्रानुसार अंक को विपरीत क्रम में रखने पर 2593 कलि संवत् बना। कलि संवत् 3102 ई. पू. में प्रारम्भ हुआ। इसलिए 3102 - 2593 = 509 ई. पू. में भगवान् श्रीशंकराचार्य का जन्म हुआ।


भगवान् श्रीशंकराचार्य के समकालीन आचार्य कुमारिल ने जैन ग्रन्थ 'जिनविजय' में लिखा है -
ऋषिर्वारस्तथा पूर्ण मर्त्याक्षौ वाममेलनात् ।
एकीकृत्य लभेताङ्क: क्रोधीस्यात्तत्र वत्सर: ।।
भट्टाचार्यस्य कुमारस्य कर्मकाण्डैकवादिन: ।
ज्ञेय: प्रादुर्भवस्तस्मिन् वर्षे यौधिष्ठिरे शके।।


उपर्युक्त श्लोक में विवृत संवत् संख्या ऋषि =7, वार =7, पूर्ण= 0, मर्त्याक्षौ = 2 को 'अंकानां वामतोगति:' सूत्रानुसार उल्टा करने पर 2077 युधि. सं. (जैन) की निष्पत्ति होती है। कहने का आशय यह है कि 557 ई. पू. में कुमारिलभट्ट का जन्म हुआ था। कुमारिलभट्ट भगवान् श्रीशंकराचार्य से 48 वर्ष बड़े थे। इसलिए जैन-परम्परा के अनुसार भी निर्विवाद रूप से 509 ई. पू. ही भगवान् श्रीशंकराचार्य का जन्मवर्ष सिद्ध होता है। 'जिनविजय' में भगवान् श्रीशंकराचार्य के शिवसायुज्य के विषय में लिखा है-
ऋषिर्बाणस्तथा भूमिर्मर्त्याक्षौ वांममेलनात् ।
एकत्वेन लभेताङ्कस्ताम्राक्षस्तत्र वत्सर: ॥
युधि.सं. (जैन) 2157 ? (475 ई. पू.?) में भगवान् श्रीशंकराचार्य ब्रह्मलीन हुए।

भगवान् श्रीशंकराचार्य के सहाध्यायी चित्सुखाचार्य ने 'बृहत्शङ्करविजय' में लिखा है-
षड्विंशकेशतके श्रीमद् युधिष्ठिरशकस्य वै।
एवं त्रिंशेऽथ वर्षेतु हायने नन्दने शुभे………………….....................।
प्रासूत तन्वं साध्वी गिरिजेव षडाननम्।।
यहाँ युधि. सं. (हिन्दू) 2630 (509 ई. पू.) में भगवान् श्रीशंकराचार्य का जन्म संवत् बताया गया है।

वर्तमान इतिहासज्ञ जिन शंकराचार्य को 788 - 820 ई. का बताते हैं वे वस्तुत: कामकोटि पीठ के 38वें आचार्य श्रीअभिनवशंकर थे। वे ई.सन् 787 से 840 तक विद्यमान थे। वे चिदम्बरम् वासी श्रीविश्वजी के पुत्र थे। वे कश्मीर के वाक्पतिभट्ट को शास्त्रार्थ में पराजित किये और 30 वर्ष तक मठ के आचार्य पद पर रहे।
✍🏻जितेंद्र कुमार सिंह संजय

सनातन धर्म की दिग्विजय यात्रा
________


वैशाख शुक्ल पंचमी,,,,,


आज की तिथि थी...जब
केरल के एक छोटे से गाँव कालड़ी से वो प्रकाश की किरण निकली जिसने अवैदिक मान्यताओं के गहन अंधकार में जाते हुए भारतवर्ष में पुन: सनातन धर्म का प्रकाश किया और सनातन विरोधी समस्त शक्तियों को परास्त किया..


केरल से कश्मीर, पुरी (ओडिशा) से द्वारका (गुजरात), श्रृंगेरी (कर्नाटक) से बद्रीनाथ (उत्तराखंड) और कांची (तमिलनाडु) से काशी (उत्तरप्रदेश) तक,,


हिमालय की तराई से नर्मदा-गंगा के तटों तक और पूर्व से लेकर पश्चिम के घाटों तक उन्होंने यात्राएं करते हुए, अवैदिक मतावलम्बियों को शास्त्रार्थ में पराजित करते हुए अपना सम्पूर्ण जीवन वैदिक सनातन धर्म की सेवा में लगा दिया....


हम सब सनातन धर्मी ऋणी हैं उन भगवान शंकराचार्य के...
जिन्होंने मृतप्राय होने जा रहे सनातन धर्म को जीवंत कर दिया..

बाल्यावस्था से ही असाधारण प्रतिभा और संसार के प्रति वैराग्य उन्हें विशेष बनाता था...
अल्पायु में आचार्य शंकर ने पिता शिवगुरु के सान्निध्य में ही विविध भाषाओं तथा शास्त्रों को सीख लिया था...

आद्य जगद्गुरू भगवान शंकराचार्य ने शैशव में ही संकेत दे दिया कि वे सामान्य बालक नहीं है।
सात वर्ष के हुए तो वेदों का अध्ययन और बारहवें वर्ष में सर्वशास्त्र अध्ययन और सोलहवें वर्ष में ब्रह्मसूत्र- भाष्य रच दिया।

उन्होंने, अष्टोत्तरसहस्रनामावलिः, उपदेशसहस्री, चर्पटपंजरिकास्तोत्रम्‌, तत्त्वविवेकाख्यम्, दत्तात्रेयस्तोत्रम्‌
द्वादशपंजरिकास्तोत्रम्‌, पंचदशी आदि #शताधिक ग्रंथों की रचना, शिष्यों को पढ़ाते हुए कर दी।

लुप्तप्राय सनातन धर्म की पुनर्स्थापना,, शास्त्रार्थ करते हुए
तीन बार भारत भ्रमण, शास्त्रार्थ दिग्विजय, भारत के चारों कोनों में चार शांकर मठ की स्थापना, चारों कुंभों की व्यवस्था, वेदांत दर्शन के दशनामी नागा संन्यासी अखाड़ों की स्थापना, आदि बहुत से कार्य आचार्य शंकर ने किए....

वैदिक धर्म के प्रचार के लिए चिद्विलास, विष्णु गुप्त, हस्तामलक, समित पाणि, ज्ञानवृन्द, भानु गर्भिक, बुद्धि विरंचि, त्रोटकाचार्य, पद्मनाम, शुद्धकीर्ति, मंडन मिश्र, कृष्ण दर्शन आदि उद्भट विद्वानों को संगठित कर उनके सहयोग से वेद धमार्नुयायियों की एक विशाल धर्म सेना बनायी।....


नास्तिकतावाद के अंहकार को कुचलने के लिए ईश्वर की सत्ता सिद्ध करने हेतु उन्होंने अद्वैत ब्रह्म का सहारा लिया जो तात्कालिक रूप से जल्प वितण्डा होते हुए भी पौधे की रक्षा हेतु लगाये कांटों की बाड़ के समान सही था।


देशभर में आचार्य शंकर के इन सतत प्रयत्नों का फल यह हुआ कि जनता के मानस में धर्म सम्बन्धी जो भी भ्रान्तियां घर कर रही थीं, वे सब दूर होने लगीं।सनातन धर्म पुन : प्रतिष्ठापित होने लगा...


इनके अतिरिक्त आचार्य शंकर ने एक जो सबसे बड़ा कार्य किया उससे कम ही लोग परिचित हैं....
राजा सुधन्वा को उन्होंने वैदिक धर्म का ध्वज सम्पूर्ण विश्व में लहराने के लिए दिग्विजय की आज्ञा दी....


सम्राट सुधन्वा अवन्ति के शासक थे। माहिष्मती नगरी उनकी राजधानी थी... इस क्षेत्र को वर्तमान में माहेश्वर के नाम से लोग जानते हैं...


गुरु आदि शंकराचार्य की शिक्षा और प्रेरणा एवं राजा सुधन्वा का पराक्रम एवं शौर्य (शास्त्र और शस्त्र) दोनो के गठबंधन ने सनातन धर्म ध्वजा को विश्व की चारो दिशाओ में लहराकर भारत विश्व विजय का स्वर्णिम इतिहास रचा था।


आचार्य चाणक्य और चन्द्रगुप्त की कहानी ज्ञात है पर आचार्य शंकर एवं राजा सुधन्वा के इतिहास से लोग अभी भी अनभिज्ञ हैं....


मठाम्नाय – महानुशासनम : यह ग्रन्थ आदिशंकराचार्य द्वारा प्रणीत हैं,, तथा श्रृंगगिरी (श्रृङ्गेरी) मठ के लिए प्रमाणभूत है। इसमें भी राजा सुधन्वा का उल्लेख आदि शंकराचार्य जी ने किया है।


जीवन के अंतिम क्षण तक,,अहर्निश वैदिक सनातन धर्म का प्रचार करते रहे ,, भारत की संस्कृति को बचाते दुष्ट जनों के षड़यंत्र से 32 वर्ष की आयु में ही शरीर से पृथक हो गए.. ..


भगवान शंकराचार्य का इस सनातन धर्म और संपूर्ण भारतवर्ष पर अमूल्य ऋण है|
आद्य श्री शंकराचार्य जी को नमन। ✍️आचार्य लोकेन्द्र
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साँस टूट रही है,

Posted: 16 May 2021 10:25 PM PDT

साँस टूट रही है,

आशुतोष कुमार पाठक 

साँस टूट रही है,
और अस्पताल दूर है;
हम मर‌ गए तो, इसमें भी
हमारा क़सूर है।

मिल न रही दवा,
और ब्लैक में है हवा;
सिस्टम बदनाम हों,
ये इरादा न हुज़ूर है।

सिस्टम ने चटाई अफ़ीम,‌
सिस्टम ने सपना बेचा;
अंत मगर जब आया तो,
सब चूर-चूर है।

दौलतमंद तो, सिस्टम के
संग ही घूम रहा है;
सिस्टम चक्के तले
जो मरा, वो मज़दूर है।
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आज 17 मई 2021, सोमवार का दैनिक पंचांग एवं राशिफल - सभी १२ राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन ?

Posted: 16 May 2021 06:51 AM PDT

आज 17 मई 2021, सोमवार का दैनिक पंचांग एवं राशिफल - सभी १२ राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन ? क्या है आप की राशी में विशेष ? जाने प्रशिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. प्रेम सागर पाण्डेय से |   

श्री गणेशाय नम: !!

दैनिक पंचांग

17 मई 2021, सोमवार

पंचांग   

🔅 तिथि  पंचमी  दिन  07:18:26

🔅 नक्षत्र  पुनर्वसु  दिन  09:43:16

🔅 करण :

           बालव  11:36:14

           कौलव  24:10:12

🔅 पक्ष  शुक्ल 

🔅 योग  गण्ड  26:47:42

🔅 वार  सोमवार 

 

सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ   

🔅 सूर्योदय  05:23:15

🔅 चन्द्रोदय  09:35:00 

🔅 चन्द्र राशि  मिथुन - 06:52:59 तक 

🔅 सूर्यास्त  18:37:10

🔅 चन्द्रास्त  23:57:59 

🔅 ऋतु  ग्रीष्म 

हिन्दू मास एवं वर्ष    

🔅 शक सम्वत  1943  प्लव

🔅 कलि सम्वत  5123 

🔅 दिन काल  13:36:15 

🔅 विक्रम सम्वत  2078 

🔅 मास अमांत  वैशाख 

🔅 मास पूर्णिमांत  वैशाख 

शुभ और अशुभ समय   

शुभ समय   

🔅 अभिजित  11:50:24 - 12:44:49

अशुभ समय   

🔅 दुष्टमुहूर्त :

                    12:44:49 - 13:39:14

                    15:28:04 - 16:22:29

🔅 कंटक  08:12:44 - 09:07:09

🔅 यमघण्ट  11:50:24 - 12:44:49

🔅 राहु काल  07:11:30 - 08:53:32

🔅 कुलिक  15:28:04 - 16:22:29

🔅 कालवेला या अर्द्धयाम  10:01:34 - 10:55:59

🔅 यमगण्ड  10:35:34 - 12:17:36

🔅 गुलिक काल  13:59:38 - 15:41:40

दिशा शूल   

🔅 दिशा शूल  पूर्व 

चन्द्रबल और ताराबल   

ताराबल 

🔅 भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती 

चन्द्रबल 

🔅 मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर 

🌹विशेष आद्य-जगद् गुरु श्रीशंकराचार्य जयन्ती, सूरदास जयन्ती, श्रीसोमनाथ प्रतिष्ठा दिवस। 🌹

राशिफल 17 मई 2021, सोमवार

मेष (Aries): सक्रियता बढ़ी हुई रहेगी। दूर देश की यात्रा संभव है। प्रभावशीलता और सृजनात्मकता बढ़ेगी। निजी जीवन में ठहराव पर जोर दें। दिन उत्तम फलकारक। उतावलेपन से बचें।

शुभ रंग  =  उजला

शुभ अंक  :  4

वृषभ (Tauras): कलाप्रियता बढ़ेगी। श्रेष्ठ वस्तुओं की खरीदी में रुचि ले सकते हैं। रिश्तों में उत्साह बना रहेगा। खर्च पर अंकुश रखें। विरोधी भी आपकी कार्यगति देखकर प्रभावित होंगे।

शुभ रंग  =  क्रीम

शुभ अंक  :  2

मिथुन (Gemini): धर्म अर्थ और प्रेम पक्ष उम्मीद से अच्छा रहेगा। प्रियजनों के साथ श्रेष्ठ समय बिताएंगे। सफलता का प्रतिशत बेहतर बना रहेगा। कार्यक्षेत्र में उपलब्धि प्राप्ति के संकेत हैं।

शुभ रंग  =  हरा

शुभ अंक  :  3

कर्क (Cancer): बड़ी उछाल की सोच पर अमल बढ़ा सकते हैं। चहुंओर से सहयोग के संकेत हैं। पद प्रतिष्ठा और पदोन्नति को बल मिलेगा। तेजी बनाए रखें। दिन उत्तम।

शुभ रंग  =  उजला

शुभ अंक  :  4

सिंह (Leo): बेहतर वक्त अक्सर थोड़े समय ही रहता है। इसका अधिकाधिक दोहन किया जाना चाहिए। भाग्य की प्रबलता बढ़ेगी। धर्म मनोरंजन में रुचि लेंगे। आस्था, आत्मविश्वास बढ़ेगा।

शुभ रंग  =  पीला

शुभ अंक  :  9

कन्या (Virgo): आकस्मिक लाभ के संकेत हैं। अपना को साथ लेकर सहजता से आगे बढ़ते रहें। गरिमा गोपनीयता पर जोर दें। सेहत प्रभावित रह सकती है। दिन सामान्य से शुभ।

शुभ रंग  =  हरा

शुभ अंक  :  3

तुला (Libra): निजी जीवन में सुख सौख्य बढ़ा हुआ रहेगा। स्थिर मामलों में निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। मित्र विश्वसनीय बने रहेंगे। संबंधों को मजबूती मिलेगी। भ्रमण पर जा सकते हैं।

शुभ रंग  =  क्रीम

शुभ अंक  :  2

वृश्चिक (Scorpio): पद प्रतिष्ठा और प्रभाव को बनाए रखने के लिए संवेदनशील रहेंगे। विपक्ष परास्त बना रहेगा। मौसमी संबंधी सावधानियों पर ध्यान दें। खर्च पर नियंत्रण रखें।

शुभ रंग  =  लाल

शुभ अंक  :  8

वृश्चिक (Scorpio): पद प्रतिष्ठा और प्रभाव को बनाए रखने के लिए संवेदनशील रहेंगे। विपक्ष परास्त बना रहेगा। मौसमी संबंधी सावधानियों पर ध्यान दें। खर्च पर नियंत्रण रखें।

शुभ रंग  =  गुलाबी

शुभ अंक  :  5

मकर (Capricorn): भवन वाहन और संसाधनों पर जोर बना रह सकता है। बड़ों से निकटता बढ़ेगी। अपनों को अधिकाधिक सम्मान और स्नेह दें। कार्यक्षेत्र में शुभता रहेगी।

शुभ रंग  =  आसमानी

शुभ अंक  :  7

कुंभ (Aquarius): सक्रियता और समझ से सफलता की नई ऊंचाइयां छुएंगे। प्रभावशीलता बढ़ेगी। संपर्कों को बल मिलेगा। भाग्य सहयोगी रहेगा। साहस पराक्रम से सब संभव कर दिखाएंगे।

शुभ रंग  =  क्रीम

शुभ अंक  :  2

मीन (Pisces): सोच विचार से ज्यादा कर दिखाने की प्रयास करें। शुभता का संचार बना रहेगा। पूर्वाग्रहो से मुक्त रहें। प्रभावशीलता बढ़त पर रहेगी। सहज भरोसा करने से बचें। दिन शुभकर।

शुभ रंग  =  गुलाबी

शुभ अंक  :  5

पं. प्रेम सागर पाण्डेय् ,नक्षत्र ज्योतिष वास्तु अनुसंधान केन्द्र ,नि:शुल्क परामर्श -  रविवार , दूरभाष  9122608219  /  9835654844
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वैक्सीन की उपलब्धता

Posted: 16 May 2021 03:56 AM PDT

वैक्सीन की उपलब्धता

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए सबसे जरूरी गाइड लाइन्स का पालन और वैक्सीन लगवाना है। चिकित्सा विशेषज्ञ बच्चों को भी वैक्सीन लगवाने के बारे में सोच रहे हैं। अभी हमारे देश में 18 साल से ऊपर के युवाओं और किशोरों को वैक्सीन लगवाने का कार्यक्रम गत पहली मई से शुरू किया गया है। यही समय कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के पीक का रहा। इसमें कितने ही लोगों के निकटतम काल के गाल में समां गये। बेईमानों ने दवाओं और आक्सीजन की कालाबाजारी करके साबित कर दिया कि दुष्टों का विनाश पूरी तरह से नहीं हो पाया है। अभी भगवान राम और कृष्ण की दुष्ट दलन नीति से शासक वर्ग को शिक्षा लेने की जरूरत है। टीकाकरण भी जिस बड़े पैमाने पर शुरू हुआ, उससे वैक्सीन की कमी पड़ गयी। इस समस्या को भी सुलझाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सब बातों को महसूस किया है। गत 14 मई को पीएम मोदी ने कहा, 100 साल बाद आई इतनी भीषण महामारी कदम-कदम पर दुनिया की परीक्षा ले रही है। हमारे सामने एक
अदृश्य दुश्मन है। हम अपने बहुत से करीबियों को खो चुके हैं। बीते कुछ समय से जो कष्ट देशवासियों ने सहा है, अनेकों लोग जिस दर्द और तकलीफ से गुजरे हैं, मैं भी उतना ही महसूस कर रहा हूं। पीएम मोदी ने ये बातें किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की आठवीं किस्त जारी करते हुए कही थीं। उन्होंने कहा कि जो दर्द देशवासियों ने सहा है उसे वो भी महसूस कर रहे हैं। पीएम मोदी ने लोगों से टीका लगवाने की विशेष रूप से अपील की। उन्होंने कहा कि बचाव का एक बहुत बड़ा माध्यम है, कोरोना का टीका। उनके मुताबिक केंद्र सरकार और सारी राज्य सरकारें मिलकर ये निरंतर प्रयास कर रही हैं कि ज्यादा से ज्यादा देशवासियों को तेजी से टीका लग पाए। उन्होंने कहा, देशभर में अभी करीब 18 करोड़ वैक्सीन डोज दी जा चुकी है। देशभर के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त टीकाकरण किया जा रहा है। इसलिए जब भी आपकी बारी आए तो टीका जरूर लगाएं। ये टीका हमें कोरोना के विरुद्ध सुरक्षा कवच देगा और गंभीर बीमारी की आशंका को कम करेगा। इस मौके पर पीएम मोदी ने ये भी कहा कि कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, इस संकट के समय में दवाएं और जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी में भी कुछ लोग लगे हैं, मैं राज्य सरकारों से आग्रह करूंगा कि ऐसे लोगों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए। ये मानवता के खिलाफ काम है।
दरअसल, जिस दिन पीएम मोदी देशवासियों से ये सब बातें कर रहे थे, उसी दिन कई राज्यों में वैक्सीन का टोटा होने की खबर प्रमुखता से छपी थी। खबर के सपोर्ट में बाकायदा आंकड़े भी दिये गये थे कि किस राज्य के पास कितनी वैक्सीन अब बची हैं। इस बार वैक्सीनेशन सरकारी स्तर पर ही किया जा रहा है, इसलिए सरकार के पास सफाई देने का मौका भी नहीं था। इसीलिए पीएम मोदी ने कहा कि हर कोई कोरोना को मात देने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, देश के डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, सफाई कर्मी, एंबुलेंस ड्राइवर, लैब कर्मचारी, ये सभी एक-एक जीवन को बचाने के लिए 24 घंटे जुटे हैं। आज देश में जरूरी दवाओं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है। ऑक्सीजन रेल ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई को बहुत बड़ी ताकत दी है। देश के दूर सुदूर हिस्सों में ये स्पेशल ट्रेन ऑक्सीजन पहुंचाने में जुटी हैं। वैक्सीन को लेकर भी अब कोई समस्या नहीं रहेगी। भारत बायोटेक की संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा इला के मुताबिक कंपनी ने दिल्ली और महाराष्ट्र सहित 14 राज्यों को कोविड-19 की वैक्सीन 'कोवैक्सीन' की सीधी आपूर्ति एक मई से शुरू कर दी है। हैदराबाद स्थित कंपनी ने केंद्र सरकार द्वारा किए गए आवंटन के अनुसार कोविड-19 की वैक्सीन की आपूर्ति शुरू की है। केंद्र सरकार की तरफ से घोषणा की गई है कि स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन का उत्पादन मई-जून महीने में दोगुना कर दिया जाएगा। प्रोडक्शन को तेजी से बढ़ाया जा रहा है। सितंबर महीने तक हर महीने दस करोड़ वैक्सीन डोज का उत्पादन होने लगेगा। उस समय तक सभी को वैक्सीन लगाना संभव होगा।
केंद्रीय विज्ञान और तकनीक मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक आत्मनिर्भर भारत मिशन 3.0 के तहत स्वदेशी वैक्सीन्स को बढ़ावा दिया जाएगा। इसी मिशन के तहत भारत सरकार का बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट वैक्सीन प्रोडक्शन के लिए फंड मुहैया करा रहा है। वर्तमान में स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन का हर महीने एक करोड़ डोज का प्रोडक्शन किया जा रहा है। जल्द ही ये दोगुना किया जाएगा और फिर जुलाई-अगस्त तक इसे 6-7 गुना तक बढ़ाया जाएगा। सितंबर 2021 तक हर महीने इस वैक्सीन के दस करोड़ डोज प्रोड्यूस किए जाएंगे। इला ने ट्वीट किया है कि भारत बायोटेक एक मई 2021से भारत सरकार द्वारा किए गए आवंटन के आधार पर राज्य सरकारों को कोवैक्सीन की सीधी आपूर्ति की पुष्टि करता है। अन्य राज्यों से भी अनुरोध मिले हैं और हम स्टॉक की उपलब्धता के आधार पर वितरण करेंगे। कंपनी इस समय आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को वैक्सीन की आपूर्ति कर रही है। हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी में निर्मित कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और शनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर तैयार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स में जारी आंकड़ों के अनुसार, इस वैक्सीन का एफिकेसी रेट 81 प्रतिशत है। साथ ही कई जानकारों ने कोवैक्सीन को कोरोना वायरस के अलग-अलग वैरिएंट्स पर काफी असरदार बताया है। कहा जा रहा है कि कोवैक्सीन लेने के बाद सूजन, दर्द, बुखार, पसीना आना या ठंड लगने, उल्टी, जुकाम, सिरदर्द और चकत्ते जैसे साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ सकता है। इस वैक्सीन के जरिए ऐसे पैथोजन्स जो खुद का गुणा नहीं कर सकते, उन्हें शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा। फॉर्मेलीन जैसे कैमिकल्स की मदद से वैक्सीन इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनाना सिखाएगी। इसमें निष्क्रिय वायरस को बहुत कम मात्रा में एल्युमीनियम आधारित कंपाउंड के साथ मिलाया गया है, जिसे एड्जुवेंट कहते हैं। यह इम्यून सिस्टम को वैक्सीन के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करता है।
भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-5 की भी एंट्री हो गई है। इस लिहाज से भारत में नागरिकों को मिलने के लिए तैयार वैक्सीन की संख्या तीन हो गई है। हैदराबाद में 14 मई को इस वैक्सीन के पहले डोज दिए गए। साथ ही इस दौरान स्पूतनिक-5 की कीमतों का भी ऐलान किया गया है। फिलहाल भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। नई वैक्सीन के शामिल होने के साथ ही सवाल उठ रहा है कि आखिर कौन सा टीका सबसे ज्यादा असरदार होगा या इनके साइड इफेक्ट्स क्या होंगे?
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में तैयार हुई ऑक्सफोर्ड- एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड का इस्तेमाल दुनिया के 62 से ज्यादा देश कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में जारी आंकड़े बताते हैं कि विश्व स्तर पर इस वैक्सीन की प्रभावकारिता दर यानि एफिकेसी रेट 70.4 फीसदी है। वहीं, हाल ही में सरकार ने इस वैक्सीन को और असरदार बनाने के लिए दो डोज के बीच अंतराल बढ़ा दिया है। नई जानकारी के मुताबिक, 14-16 हफ्ते के गैप से दिए जाने की सलाह दी गई है।
कोविशील्ड के इस्तेमाल के बाद लोगों में लालपन, बदन या बांह में दर्द, बुखार आना, थकान महसूस होना और मांसपेशियों के जकड़ने जैसे साइड इफेक्ट देखे गए हैं। हालांकि, कई देशों ने वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद खून के थक्के जमने की शिकायत की थी। साथ ही अस्थाई रोक भी लगा दी थी। हालांकि, कई स्टडीज और जानकार ने इस वैक्सीन को सुरक्षित बताया है। बहरहाल, सरकार के वैक्सीन प्लान में 6 नए टीके शामिल हैं।
स्पूतनिक-5 कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया में शुरू हुए वैक्सीन अभियान में मंजूरी पाने वाली शुरुआती वैक्सीन में से एक है। मीडिया रिपोर्ट्स में जारी जानकारी के अनुसार, इस वैक्सीन का प्रभावकारी दर 91.6 प्रतिशत है। एक स्टडी के अनुसार, स्पूतनिक- 5 को लेने के बाद लोगों को दर्द या फ्लू जैसे साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल इस वैक्सीन से जुड़ा कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया है। कोरोना के अलग अलग वैरिएंट्स को देखते हुए सभी का टीकाकरण अत्यावश्यक है। (हिफी)

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पाकिस्तान से ही संचालित होता है तालिबान: अशरफ गनी

Posted: 16 May 2021 03:51 AM PDT

पाकिस्तान से ही संचालित होता है तालिबान: अशरफ गनी

काबुल। आतंकवाद को लेकर कई मोर्चों पर घिर चुके पाकिस्तान को एक बार फिर आईना दिखाया गया है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सीधे तौर पर पाकिस्तान को ही अफगानिस्तान के हालात का जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि तालिबान की पूरी व्यवस्था यहीं से संचालित होती है। पाक अपने देश में तालिबान को सभी जरूरतें उपलब्ध कराता है, उसके लिए फंडिंग करता है। यहां तक कि तालिबान के सदस्यों की भर्ती भी पाकिस्तान में ही होती है। राष्ट्रपति कार्यालय से जारी अशरफ गनी के बयान में कहा गया है कि अब पाक को ही तालिबान के साथ शांति वार्ता पूरी कराने के लिए आगे आना चाहिए। अफगानिस्तान में शांति के लिए अमेरिका की अब बहुत सीमित भूमिका है। मुख्य भूमिका क्षेत्रीय स्तर के देशों की है, उनमें पाकिस्तान विशेष रूप से है। तालिबान पर केवल पाकिस्तान का ही पूरा प्रभाव है। उसी ने ही तालिबान के लिए संगठित प्रणाली विकसित की हुई है। तालिबान के निर्णय करने वाली सभी क्षेत्रीय संस्थाएं पाक में ही बनी हुई हैं, जिन्हें सरकार का समर्थन रहता है।दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा, परशुराम सेवा संस्थान द्वारा वर्चुअल ऑनलाइन बैठक राष्ट्रीय संयोजक ईo आशुतोष कुमार झा के अध्यक्षता में किया गया।।

Posted: 16 May 2021 03:20 AM PDT

राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा, परशुराम सेवा संस्थान द्वारा वर्चुअल ऑनलाइन बैठक राष्ट्रीय संयोजक ईo आशुतोष कुमार झा के अध्यक्षता में किया गया।।

ईo झा ने भगवान परशुराम ऑनलाइन शोभायात्रा 14 मई की सफलता हेतु बधाई और धन्यवाद ज्ञापन किया। संगठन की आगे की गतिविधियों , स्थापना दिवस पर विमर्श किया गया।।
पूरे देश से संगठन के पदाधिकारियों की सहभागिता रही।। बहुत से राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा पदाधिकारी गण अपना अपना सुझाव है।।
प्रदेश अध्यक्ष बिहार ईo आशुतोष कुमार झा। राष्ट्रीय सह संयोजक विनायक नाथ तिवारी, उत्तर प्रदेश राज्य महिला संयोजक प्रियंका पांडेय, बाराबंकी जिला महिला अध्यक्ष गीता पांडेय बिहार प्रदेश महिला संयोजक शिम्पल झा, मधुबनी जिला अध्यक्ष बैद्यनाथ झा, महिला अध्यक्ष प्रोफेसर मीनू पाठक, सिवान जिला अध्यक्ष उपेंद्र नाथ तिवारी,गोपालगंज महिला जिला अध्यक्ष शिवानी पांडेय, भोजपुर जगदीशपुर महिला संयोजक रेखा भार्गव शुक्ला, गोरखपुर तारा मिश्रा, लखनऊ महानगर युवा अध्यक्ष ब्रजेश कुमार मिश्रा, बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष बिनोद कुमार झा, गाजियाबाद दिल्ली एनसीआर संयोजक मुनीन्द्र वत्स प्रदेश महासचिव अमित मोहन मिश्र ,कटिहार जिला युवा अध्यक्ष किशोर कुमार झा,प्रवक्ता पीयूष जी, उपाध्यक्ष राजा मिश्रा , पूर्णियाँ संयोजक मुकेश कुमार झा, मधेपुरा जिला उपाध्यक्ष पप्पू झा, उपाध्यक्ष नीरज झा प्रवक्ता नीरज मिश्रा, छात्र अध्यक्ष अजीत झा बिट्टू, संयोजक अरविंद मिश्रा, रचित नारायण तिवारी सहित कइयों ने सम्बोधित किया।। झंझारपुर रंजीत मिश्रा, गया ललित दुबे, सहित प्रायः सभी बिहार के सभी जिलों के संगठन पदाधिकारी सम्मिलित हुए।।अगली वर्चुअल बैठक अगली रविवार को होगी।।
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मुख्यमंत्री ने बिहार के पूर्व राज्यपाल आर0एल0 भाटिया के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की

Posted: 16 May 2021 03:04 AM PDT

मुख्यमंत्री ने बिहार के पूर्व राज्यपाल आर0एल0 भाटिया के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की

 ·        स्व0 आर0एल0 भाटिया के सम्मान में आज दिनांक  16.05.2021 को एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा

 पटना, 16 मई 2021:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने बिहार के पूर्व राज्यपाल आर0एल0 भाटिया के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।

          मुख्यमंत्री ने अपने शोक-संदेश में कहा कि स्व0 आर0एल0 भाटिया जी वर्ष 2008 से 2009 तक बिहार के राज्यपाल रहे थे। वे अमृतसर से लगातार 06 बार सांसद रहे थे। उनका निधन अत्यंत दुखद है। उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति हुयी है।

स्व0 आर0एल0 भाटिया के सम्मान में बिहार सरकार ने आज दिनांक 16.05.2021 को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।

          मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

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