न्यूज़ हिमाचली News Himachali | हिमाचल की No. 1 हिंदी वेबसाइट |
- Men Problem से परेशान पुरुष इन 3 चीजों से कर लें दोस्ती, फिर देखो कमाल
- "जो लेना है ले लो, बहुत ठंड़ है दोबारा मत बुलाना...." जब धोनी ने मैदान पर रैना से कही ये बात .
- 'ये दिल माँगे मोर' कह कर कैप्टेन विक्रम बत्रा बन गए थे कारगिल युद्ध का चेहरा
- टोक्यो ओलंपिक में चीन के तुओहेता से हारे हिमाचल के बॉक्सर आशीष कुमार
- जीत के बाद धवन ने सूर्यकुमार पर कही दिल जीतने वाली बात
- हिमाचल: मौत के चंद मिनटों पहले फोटो खींचे, लिखा-प्रकृति मां के बिना जीवन कुछ भी नहीं, और फिर
- हिमाचल में नौकरियां: ड्राइवर, इलेक्ट्रीशियन-मशीन ऑपरेटर जैसे पद हैं खाली
- हिमाचल: बच्चों के साथ समोसा खाने गए थे, अंदर से निकली मरी हुई छिपकली News Himachali
- हिमाचल: चिंतपूर्णी से लौट रहे 50 श्रद्धालुओं से भरी बस पहाड़ी से टकराई, और फिर ड्राइवर ने..
- हार्दिक पांड्या ने जीता दिल, करुणारत्ने को गिफ्ट में दिया अपना बल्ला
| Men Problem से परेशान पुरुष इन 3 चीजों से कर लें दोस्ती, फिर देखो कमाल Posted: 26 Jul 2021 09:01 AM PDT बिजी लाइफस्टाइल और उल्टा सीधा खानपान लोगों की सेहत पर बुरा असर डाल रहा है. सही लाइफस्टाइल नहीं होने से कुछ लोग शारीरिक कमजोरी का शिकार हो जाते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो शरीर में कमजोरी की समस्या बढ़ने पर पुरुषों में स्पर्म काउंट की समस्या तेजी से बढ़ने लगती है. कुछ गलत आदतें भी पुरुषों की सेहत पर गलत असर डालती हैं. अगर समय रहते इन आदतों में सुधार नहीं किया जाए तो स्पर्म काउंट तेजी से कम होने लगता है. जिससे पुरुषों की फर्टिलिटी पर बहुत असर पड़ता है. हम देखते हैं कि स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी बढ़ाने के लिए लोग तरह-तरह की दवाइयां भी लेते हैं. इसके बाद भी कोई अंतर नहीं आता. ऐसे में आज हम आपके लिए ऐसी तीन चीजों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनका सेवन पुरुषों की सेहत के लिए बेहद लाभकारी माना गया है. इन चीजों का सेवन करने से यौन समस्याएं खत्म होती हैं और पुरुष घटते स्पर्म काउंट की समस्या से निजात पा सकते हैं. पुरुष खाएं ये चीजें 1. खजूर जाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, खजूर को लेकर कई तरह के रिसर्च हुए हैं, जिनमें पता चला है कि खजूर खाने से स्पर्म काउंट और क्वलिटी बढ़ती है और रिप्रोडक्टिव सिस्टम (प्रजनन तंत्र) स्वस्थ रहता है. खजूर में एस्ट्राडिओल और फ्लैवोनॉइड्स नाम के दो प्रमुख कंपाउंड पाये जाते हैं, जो इसे पुरुषों के लिए खास बनाते हैं. 2. सूखे अंजीर डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, सूखे अंजीर का नियमित सेवन करने से पुरुषों की फर्टिलिटी बेहतर होती है और उनका स्पर्म काउंट बढ़ता है. अंजीर विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होता है, शरीर को कई तरह की दूसरी बीमारियों से भी दूर रखता है. अंजीर में विटामिन B6, पैंटोथेनिक एसिड और कॉपर होता है. इसके अलावा फाइबर का भी अंजीर अच्छा स्रोत है. 3. किशमिश किशमिश का सेवन भी पुरुषों को कई तरह की गंभीर समस्याओं से निजात दिलाती है. किशमिश में विटामिन A की मात्रा बहुत अच्छी होती है, जो पुरुषों की तमाम सैक्शुअल समस्याओं में फायदेमंद होता है. रोज किशमिश का सेवन करने पर पुरुषों का स्पर्म काउंट और स्पर्म क्वलिटी बढ़ती है. इस यौन समस्याएं भी खत्म होती हैं. |
| "जो लेना है ले लो, बहुत ठंड़ है दोबारा मत बुलाना...." जब धोनी ने मैदान पर रैना से कही ये बात . Posted: 26 Jul 2021 08:53 AM PDT विश्व क्रिकेट में कुछ ऐसे खिलाड़ियों की जोड़ी है, जिनके बीच मैदान हो या मैदान के बाहर खूब गहरी दोस्ती होती है। ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते रहते हैं, इनमें से भारतीय क्रिकेट टीम में एक जोड़ी है जो किसी पहचान की मोहताज नहीं है। जिनका याराना मैदान हो या मैदान के बाहर खूब नजर आता है, इनके बीच प्यार भरी दोस्ती देखते ही बनती है। सुरेश रैना और महेन्द्र सिंह धोनी के बीच याराना जी हां… हम यहां बात कर रहे हैं भारत के दो पूर्व क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी और सुरेश रैना की। जिनकी दोस्ती के कई किस्से दोनों ही खिलाड़ियों की ओर से सुने जाते रहे हैं। सुरेश रैना और महेन्द्र सिंह धोनी लंबे समय से भारतीय टीम के लिए खेले तो साथ ही ये दोनों ही आईपीएल में भी साथ में खेल रहे हैं। रैना हमेशा ही महेन्द्र सिंह धोनी को अपने बड़े भाई से कम नहीं मानते हैं, इसी कारण उन्हें अब तक उनके बारे में प्यार भरे कई किस्सों को शेयर किया है। रैना तो धोनी के साथ इतनी चाहत तक रखते हैं कि उन्होंने ये तक कहा था कि धोनी आईपीएल में नहीं खेलेंगे तो वो भी नहीं खेलेंगे। प्यार भरी दोस्ती का एक किस्सा सुरेश रैना ने किया शेयर इन बातों से साफ होता है कि धोनी-रैना में कैसा याराना है। इस यारानें के कई किस्से हैं जिसमें से इसी तरह का एक और किस्सा सुरेश रैना ने शेयर किया है, जिसमें धोनी के ड्रिंक्स के दौरान उनसे ये तक कह रहे हैं कि वो बार-बार नहीं आएंगे, इसके बाद भी रैना ने उन्हें वापस भेजा। भारतीय क्रिकेट टीम के इस पूर्व धाकड़ बल्लेबाज ने इसी साल के शुरुआत में अपनी जीवनी लिखी, Believe नाम की अपनी किताब में सुरेश रैना ने अपने व्यक्तिगत और क्रिकेट करियर से जुड़ी कई बातों का खुलासा किया है। जिसमें उन्होंने महेन्द्र सिंह धोनी के साथ हुई घटनाओं का भी जिक्र किया है। धोनी ने जब कहा, बाहर बहुत ठंड है जो लेना है एक बार में ले लो सुरेश रैना ने इन्हीं घटनाओं में से एक इस घटना का भी जिक्र करते हुए लिखा कि "एक बार आयरलैंड में धोनी भाई मेरे लिए ड्रिंक लेकर आए थे। उन्हें ये लगा था कि मैं उनसे कई बार ग्लव्स और बैट मंगावऊंगा जिसके चलते वो मैदान पर मेरा सारा किटबैग लेकर चले आए थे। उन्होंने मुझसे कहा जो लेना है ले लो मुझे दोबारा नहीं बुलाना।" 'धोनी भाई ने मुझसे कहा कि "अब वो दोबारा वापस नहीं आएंगे, क्योंकि बाहर बहुत ज्यादा ठंड है। लेकिन उसके बावजूद मैंने उनसे कहा कि धोनी भाई एक काम करो ग्रिप भी ले आओ। जिसके बाद उन्होंने मुझसे कहा, 'बहुत बड़ा वाला है तू, तू रुकजा पानी पी, मैं लेकर आता हूं।" |
| 'ये दिल माँगे मोर' कह कर कैप्टेन विक्रम बत्रा बन गए थे कारगिल युद्ध का चेहरा Posted: 26 Jul 2021 08:47 AM PDT कारगिल की लड़ाई से कुछ महीने पहले जब कैप्टेन विक्रम बत्रा अपने घर पालमपुर आए थे तो वो अपने दोस्तों को 'ट्रीट' देने 'न्यूगल' कैफ़े ले गए. जब उनके एक दोस्त ने कहा, "अब तुम फ़ौज में हो. अपना ध्यान रखना..." तो उन्होंने जवाब दिया था, "चिंता मत करो. या तो मैं जीत के बाद तिरंगा लहरा कर आउंगा या फिर उसी तिरंगे में लिपट कर आउंगा. लेकिन आउंगा ज़रूर." परमवीर चक्र विजेताओं पर किताब 'द ब्रेव' लिखने वाली रचना बिष्ट रावत बताती हैं, "विक्रम बत्रा कारगिल की लड़ाई का सबसे जाना पहचाना चेहरा थे." "उनका करिश्मा और शख़्सियत ऐसी थी कि जो भी उनके संपर्क में आता था, उन्हें कभी भूल नहीं पाता था. जब उन्होंने 5140 की चोटी पर कब्ज़ा करने के बाद टीवी पर 'ये दिल मांगे मोर' कहा था, तो उन्होंने पूरे देश की भावनाओं को जीत लिया था." समाप्त "वो कारगिल युद्ध के उस सिपाही का एक चेहरा बन गए थे जो अनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सीमा पर गया और शहीद हो गया." विक्रम बत्रा के बचपन की तस्वीर बस से गिरी बच्ची की जान बचाई विक्रम बत्रा बचपन से ही साहसी और निडर बच्चे थे. एक बार उन्होंने स्कूल बस से गिरी एक बच्ची की जान बचाई थी. विक्रम बत्रा के पिता गिरधारी लाल बत्रा याद करते हैं, "वो लड़की बस के दरवाज़े पर खड़ी थी, जो कि अच्छी तरह से बंद नहीं था. एक मोड़ पर वो दरवाज़ा खुल गया और वो लड़की सड़क पर गिर गई. विक्रम बत्रा बिना एक सेंकेंड गंवाए चलती बस से नीचे कूद गए और उस लड़की को गंभीर चोट से बचा लिया." "यही नहीं वो उसे पास के एक अस्पताल ले गए. हमारे एक पड़ोसी ने हमसे पूछा, क्या आपका बेटा आज स्कूल नहीं गया है? जब हमने कहा कि वो तो स्कूल गया है तो उसने कहा कि मैंने तो उसे अस्पताल में देखा है. हम दौड़ कर अस्पताल पहुंचे तो हमें सारी कहानी पता चली." मैदान-ए-जंग में मुस्कुराते हुए विक्रम, बत्रा परमवीर चक्र सीरियल से मिली सेना में जाने की प्रेरणा भारतीय सेना में जाने का जज़्बा विक्रम में 1985 में दूरदर्शन पर प्रसारित एक सीरियल 'परमवीर चक्र' देख कर पैदा हुआ था. विक्रम के जुड़वाँ भाई विशाल बत्रा याद करते हैं, "उस समय हमारे यहाँ टेलिविजन नहीं हुआ करता था. इसलिए हम अपने पड़ोसी के यहाँ टीवी देखने जाते थे. मैं अपने सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उस सीरियल में देखी गई कहानियाँ एक दिन हमारे जीवन का हिस्सा बनेंगीं." "कारगिल की लड़ाई के बाद मेरे भाई विक्रम भारतीय लोगों के दिलो-दिमाग़ में छा गए थे. एक बार लंदन में जब मैंने एक होटल रजिस्टर में अपना नाम लिखा तो पास खड़े एक भारतीय ने नाम पढ़ कर मुझसे पूछा, 'क्या आप विक्रम बत्रा को जानते हैं?' मेरे लिए ये बहुत बड़ी बात थी कि सात समुंदर पार लंदन में भी लोग मेरे भाई को पहचानते थे." रचना बिष्ट की किताब मर्चेंट नेवी में चयन हो जाने के बाद भी सेना को चुना दिलचस्प बात ये है कि विक्रम का चयन मर्चेंट नेवी में हांगकांग की एक शिपिंग कंपनी में हो गया था, लेकिन उन्होंने सेना के करियर को ही तरजीह दी. गिरधारी लाल बत्रा बताते हैं, "1994 की गणतंत्र दिवस परेड में एनसीसी केडेट के रूप में भाग लेने के बाद विक्रम ने सेना के करियर को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया था. हाँलाकि उनका चयन मर्चेंट नेवी के लिए हो गया था. वो चेन्नई में ट्रेनिंग के लिए जाने वाले थे. उनके ट्रेन के टिकट तक बुक हो चुके थे." "लेकिन जाने से तीन दिन पहले उन्होंने अपना विचार बदल दिया. जब उनकी माँ ने उनसे पूछा कि तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, तो उनका जवाब था, ज़िंदगी में पैसा ही सब कुछ नहीं होता. मैं ज़िंदगी में कुछ बड़ा करना चाहता हूँ, कुछ आश्चर्यचकित कर देने वाला, जिससे मेरे देश का नाम ऊँचा हो. 1995 में उन्होंने आईएमए की परीक्षा पास की." विक्रम बत्रा के माता-पिता माता-पिता से आख़िरी मुलाकात साल 1999 की होली की छुट्टियों में विक्रम आख़िरी बार पालमपुर आए थे. तब उनके माता पिता उन्हें छोड़ने बस अड्डे गए थे. उन्हें ये पता नहीं था कि वो अपने बेटे को आख़िरी बार देख रहे थे. गिरधारी लाल बत्रा को वो दिन अभी तक याद हैं, "ज़्यादातर समय उन्होंने अपने दोस्तों के साथ ही बिताया. बल्कि हम लोग थोड़े परेशान भी हो गए थे. हर समय घर में उनके दोस्तों का जमघट लगा रहता था. उनकी माँ ने उनके लिए उनके पसंदीदा व्यंजन राजमा चावल, गोभी के पकौड़े और घर के बने 'चिप्स' बनाए." "उन्होंने उनके साथ घर का बनाया आम का अचार भी लिया. हम सब उसे बस स्टैंड पर छोड़ने गए. जैसे ही बस चली उसने खिड़की से अपना हाथ हिलाया. मेरी आँखें नम हो गई. मुझे क्या पता था कि हम अपने प्यारे विक्रम को आख़िरी बार देख रहे थे और वो अब कभी हमारे पास लौट कर आने वाला नहीं था." कारगिल की लड़ाई में 'ये दिल माँगे मोर' बोलकर विक्रम बत्रा हर युवा सैनिक का चेहरा बन गए थे. सुबह 4 बज कर 35 मिनट पर वायरलेस पर आवाज़ गूँजी 'ये दिल माँगे मोर' कारगिल में उनके कमांडिग ऑफ़िसर कर्नल योगेश जोशी ने उन्हें और लेफ़्टिनेंट संजीव जामवाल को 5140 चौकी फ़तह करने की ज़िम्मेदारी सौंपी थी. रचना बिष्ट रावत बताती हैं, "13 जैक अलाई जो कि विक्रम बत्रा की यूनिट थी, को ये ज़िम्मेदारी दी गई थी कि वो 5140 पर पाकिस्तान की पोस्ट पर हमला कर उसे फिर से भारत के कब्ज़े में लाए. कर्नल योगेश जोशी के पास दो युवा अफ़सर थे, एक थे लेफ़्टिनेंट जामवाल और दूसरे थे कैप्टेन विक्रम बत्रा." "उन दोनों को उन्होंने बुलाया और एक पत्थर के पीछे से उन्हें दिखाया कि वहाँ तुम्हें चढ़ाई करनी है. रात को ऑपरेशन शुरू होगा. सुबह तक तुम्हें वहाँ पहुंचना होगा." "उन्होंने दोनों अफ़सरों से पूछा कि मिशन की सफलता के बाद आपका क्या कोड होगा? दोनों अलग-अलग तरफ़ से चढ़ाई करने वाले थे. लेफ़्टिनेंट जामवाल ने कहा 'सर मेरा कोड होगा 'ओ ये ये ये.' उन्होंने जब विक्रम से पूछा कि तुम्हारा क्या कोड होगा तो उन्होंने कहा 'ये दिल माँगे मोर.'" प्वॉयंट 5140 पर जीत के बाद मीडिया ब्रीफ़िंग के दौरान एंटी एयरक्राफ़्ट गन के साथ कैप्टेन बत्रा कारगिल का 'शेरशाह' रचना बिष्ट रावत आगे बताती हैं, "लड़ाई के बीच में कर्नल जोशी ने एक वॉकी-टॉकी का एक 'इंटरसेप्टेड' संदेश सुना. इस लड़ाई में विक्रम का कोड नेम 'शेरशाह' था." "पाकिस्तानी सैनिक उनसे कह रहे थे, "शेरशाह तुम वापस चले जाओ, नहीं तो तुम्हारी लाश वापस जाएंगी." मैंने सुना कि विक्रम की आवाज़ थोड़ी तीखी हो गई थी. उन्होंने कहा था, "एक घंटे रुक जाओ. फिर पता चलेगा कि किनकी लाशें वापस जाती हैं." "साढ़े तीन बजे उन्हें लेफ़्टिनेंट जामवाल से वो संदेश सुनाई दिया, 'ओ ये ये ये', जिससे पता चला कि जामवाल वहाँ पहुंच गए थे. थोड़ी देर बाद 4 बज कर 35 मिनट पर विक्रम का भी सफलता का कोड आ गया, 'ये दिल मांगे मोर.'" एनसीसी यूनिफ़ॉर्म में विक्रम 4875 का दूसरा मिशन विक्रम की सफलता पर उस समय के सेना प्रमुख जनरल वेदप्रकाश मलिक ने उन्हें ख़ुद फ़ोन कर बधाई दी थी. कैप्टेन बत्रा ने जब सेटेलाइट फोन पर अपने पिता को 5140 पर कब्ज़े की सूचना दी तो वो उसे ढ़ंग से नहीं सुन पाए. उन्हें ख़राब टेलिफ़ोन लाइन पर 'कैप्चर' शब्द सुनाई पड़ा. उन्हें लगा कि कैप्टेन बत्रा को पाकिस्तानियों ने 'कैप्चर' कर लिया है. बाद में विक्रम ने उनकी ग़लतफ़हमी दूर की. अब विक्रम बत्रा को अगला लक्ष्य दिया गया 4875 को जीतने का. उस समय उनकी तबियत ख़राब थी. उनके सीने में दर्द था और आँख सुर्ख़ लाल हो चुकी थी. कर्नल योगेश जोशी उन्हें ऊपर भेजने में झिझक रहे थे लेकिन बत्रा ने ही खुद ज़ोर दे कर कहा कि वो इस काम को पूरा करेंगे. निधन के बाद पालमपुर ग्राउंड पर विक्रम का पार्थिव शरीर ले जाया गया, अब इस ग्राउंड का नाम कैप्टेन विक्रम बत्रा स्टेडियम है साथी को सुरक्षित स्थान पर लाने के चक्कर में गोली लगी रचना बिष्ट रावत बताती हैं, "4875 मुश्को वैली के पास है. पहला ऑपरेशन द्रास में हुआ था. ये लोग पत्थरों का कवर ले कर दुश्मन पर फ़ायर कर रहे थे. तभी उनके एक साथी को गोली लगी और वो उनके सामने ही गिर गया. वो सिपाही खुले में पड़ा हुआ था. विक्रम और रघुनाथ चट्टानों के पीछे बैठे थे." "विक्रम ने रघुनाथ से कहा कि हम अपने घायल साथी को सुरक्षित स्थान पर लाएंगे. रघुनाथ ने उनसे कहा कि मुझे नहीं लगता कि वो ज़िंदा बच पाएंगे. अगर आप बाहर निकलेंगे तो आपके ऊपर फ़ायर आएगा." "ये सुनते ही विक्रम बहुत नाराज़ हो गए और बोले, "क्या आप डरते हैं?" रघुनाथ ने जवाब दिया, "नहीं साहब मैं डरता नहीं हूँ. मैं तो सिर्फ़ आपको आगाह कर रहा हूँ. आप आज्ञा देंगे तो हम बाहर जाएंगे." विक्रम ने कहा, "हम अपने सिपाही को इस तरह अकेले नहीं छोड़ सकते." "जैसे ही रघुनाथ चट्टान के बाहर कदम रखने वाले थे, विक्रम ने उन्हें कॉलर से पकड़ कर कहा, "साहब आपके तो परिवार और बच्चे हैं. मेरी अभी शादी नहीं हुई है. सिर की तरफ़ से मैं उठाउंगा. आप पैर की तरफ़ से पकड़िएगा." ये कह कर विक्रम आगे चले गए और जैसे ही वो उनको उठा रहे थे, उनको गोली लगी और वो वहीं गिर गए." प्वॉयंट 5140 पर कब्ज़े के बाद तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक के ठीक बगल में कैप्टेन बत्रा साथियों को सदमा विक्रम की मौत का सबसे ज़्यादा दुख उनके साथियों और कमांडिंग ऑफ़िसर कर्नल जोशी को था. मेजर जनरल मोहिंदर पुरी को भी ये सुन कर गहरा सदमा लगा था. जनरल पुरी याद करते हैं, "विक्रम बहुत ही डैशिंग यंग ऑफ़िसर था. हम लोगों के लिए ये बहुत दुख की बात होती है कि आप सुबह यूनिट में जाएं और शाम को वो यूनिट अटैक में जा रही है. सुबह आप सबके साथ हाथ मिलाते हैं और रात को आपके पास संदेश आता है कि वो शख़्स लड़ाई में शहीद हो गया." प्वॉयंट 5140 की जंग जीतने के बाद कैप्टेन बत्रा जब बुरी ख़बर उनके माता-पिता को मिली कैप्टेन विक्रम बत्रा के बलिदान की ख़बर जब उनके घर पहुंची, तो उनके पिता गिरधारीलाल बत्रा घर पर मौजूद नहीं थे. सीनियर बत्रा बताते हैं, "हमें विक्रम की शहादत की ख़बर 8 जुलाई को मिली. मेरी पत्नी कमल कांता स्कूल से अभी घर लौटी ही थीं कि हमारे पड़ोसियों ने उन्हें बताया कि सेना के दो अफ़सर घर पर आए थे, लोकिन घर पर कोई मौजूद नहीं था." "ये सुनते ही मेरी पत्नी रोने लगीं, क्योंकि उन्हें अंदाज़ा था कि इस तरह अफ़सर कोई ख़राब ख़बर ही देने आते हैं. उन्होंने भगवान को याद किया और मुझे फ़ोन मिला कर फ़ौरन घर आने के लिए कहा. मैं जब घर पहुंचा तो अफ़सरों को देख कर ही समझ गया कि विक्रम अब इस दुनिया से जा चुके हैं." "इससे पहले कि वो अफ़सर मुझसे कुछ कहते, "मैंने उनसे इंतज़ार करने के लिए कहा. मैं अपने घर के अंदर पूजा के कमरे में गया. मैंने भगवान के सामने माथा टेका. जब मैं बाहर आया तो उन अफ़सरों ने मेरा हाथ पकड़ कर अलग आने के लिए कहा. फिर उन्होंने मुझसे कहा, "बत्रा साहब विक्रम अब इस दुनिया में नहीं हैं." ये सुनते ही मैं बेहोश हो कर नीचे गिर गया." विक्रम (चेक शर्ट में) जुड़वा थे, साथ में उनके भाई विशाल दूसरा बेटा देश के लिए... जब उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया तो शहर का लगभग हर शख़्स वहाँ मौजूद था. रचना बिष्ट रावत बताती हैं, "सेनाप्रमुख जनरल वेदप्रकाश मलिक जब विक्रम के माता-पिता से शोक प्रकट करने उनके घर गए तो उन्होंने कहा कि विक्रम इतने प्रतिभाशाली थे कि अगर उनकी शहादत नहीं हुई होती तो वो मेरी कुर्सी पर बैठे होते एक दिन." "विक्रम की माँ ने मुझसे कहा कि उनकी दो बेटियाँ थीं और वो चाहती थीं कि उनके एक बेटा पैदा हो. लेकिन उनके जुड़वाँ बेटे पैदा हुए. मैं हमेशा भगवान से पूछती थी कि मैंने तो एक ही बेटा चाहा था. मुझे दो क्यों मिल गए? जब विक्रम कारगिल की लड़ाई में मारे गए, तब मेरी समझ में आया कि एक बेटा मेरा देश के लिए था और एक मेरे लिए." विक्रम बत्रा की लव स्टोरी कैप्टेन विक्रम बत्रा की एक गर्ल फ़्रेंड हुआ करती थी डिंपल चीमा जो चंडीगढ़ में रहती थीं. इस समय उनकी उम्र 46 साल है. वो पंजाब सरकार के एक स्कूल में कक्षा 6 से 10 के बच्चों को समाज विज्ञान और अंग्रेज़ी पढ़ाती हैं. रचना बिष्ट रावत बताती हैं, "उन्होंने मुझसे स्वीकार किया कि पिछले 20 सालों में कोई भी ऐसा दिन नहीं बीता जब उन्होंने विक्रम को याद नहीं किया हो." "एक बार नादा साहेब गुरुद्वारे में परिक्रमा के बाद विक्रम ने मुझसे कहा था, "बधाई हो मिसेज़ बत्रा. हमने चार फेरे ले लिए हैं और आपके सिख धर्म के अनुसार अब हम पति और पत्नी हैं." डिंपल और विक्रम कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे. अगर विक्रम कारगिल से सही सलामत वापस लौटे होते तो उन दोनों की शादी हो गई होती." "विक्रम की शहादत के बाद उनके पास उनकी एक दोस्त का फ़ोन आया कि विक्रम बुरी तरह से घायल हो गए हैं और उन्हें उनके माता पिता को फ़ोन करना चाहिए. जब वो पालमपुर पहुंचीं तो उन्होंने ताबूत में विक्रम के पार्थिव शरीर को देखा. वो जानबूझकर उसके पास नहीं गईं क्योंकि वहाँ पर मीडिया के बहुत से लोग मौजूद थे." "उसके बाद वो चंडीगढ़ लौट आईं और उन्होंने तय किया कि वो किसी से शादी करने के बजाए अपनी पूरी ज़िंदगी विक्रम की यादों में बसर करेंगी. डिंपल ने मुझे बताया कि कारगिल पर जाने से पहले विक्रम मुझे ठीक साढ़े सात बजे फ़ोन किया करते थे, चाहे वो देश के किसी भी कोने में हों." "आज भी जब मैं कभी घड़ी की तरफ़ देखती हूँ और उसमें साढ़े सात बजे हों तो मेरे दिल की एक धड़कन मिस हो जाती है." तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन से परमवीर चक्र का सम्मान ग्रहण करते कैप्टेन विक्रम बत्रा के पिता गिरधारीलाल बत्रा हज़ारों लोगों के सामने राष्ट्रपति ने दिया परमवीर चक्र कैप्टेन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया. 26 जनवरी, 2000 को उनके पिता गिरधारीलाल बत्रा ने हज़ारों लोगों के सामने उस समय के राष्ट्रपति के आर नाराणयन से वो सम्मान हासिल किया. गिरधारी लाल बत्रा याद करते हैं, "बेशक ये हमारे लिए बहुत गौरव का क्षण था. अपने बेटे की बहादुरी के लिए राष्ट्रपति से परमवीर चक्र ग्रहण करना. लेकिन जब हम इस समारोह के बाद गाड़ी में बैठ कर वापस आ रहे थे. मेरा दूसरा बेटा विशाल भी मेरी बग़ल में बैठा हुआ था. रास्ते में मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे." "विशाल ने मुझसे पूछा डैडी क्या बात है? मैंने कहा बेटा मेरे मन में ये बात आ रही है कि अगर इस अवॉर्ड को विक्रम ने अपने हाथों से लिया होता तो हमारे लिए बहुत ही खुशी की बात होती." |
| टोक्यो ओलंपिक में चीन के तुओहेता से हारे हिमाचल के बॉक्सर आशीष कुमार Posted: 26 Jul 2021 08:36 AM PDT Tokyo-olympics-2021 टोक्यो ओलंपिक में हिमाचल के बॉक्सर आशीष कुमार की निराशाजनक हार हुई है। ओलंपिक में खेलने वाले हिमाचल के पहले बॉक्सर आशीष कुमार चीन के तुओहेता से हारे है। वहीँ, उनकी माँ दुर्गा देवी ने बेटे आशीष कुमार की हार पर आशा व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले समय में आशीष बेहतर प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन करेगा। बता दें कि हिमाचली बॉक्सर आशीष ने आज 3 बजे के आसपास टोक्यो में हुए ओलंपिक में अपने मुक्कों का दमखम दिखाया। हालाँकि इस दौरान चीन के बॉक्सर एर्बीके तुओहेता ने उन्हें हरा दिया। आशीष पहले राउंड में पिछड़ने के बाद दूसरे राउंउ में तुओहेता पर हावी रहे। तीसरे राउंड में तुओहेता ने आशीष चौधरी को पराजित कर मुकाबला 2-0 से जीत लिया। |
| जीत के बाद धवन ने सूर्यकुमार पर कही दिल जीतने वाली बात Posted: 26 Jul 2021 08:32 AM PDT श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की टी20 सीरीज के पहले मैच में भारतीय टीम ने मेजबान श्रीलंका को हराकर सीरीज की शुरुआत विजयी अंदाज में की। इसके साथ ही भारत ने अब सीरीज में 1-0 की बढ़त ले ली है। वहीं इस जीत पर कप्तान शिखर धवन ने मैच के बाद की बातचीत में अपने सभी खिलाड़ियों को जीत का श्रेय दिया है, लेकिन इस बीच कप्तान धवन भारतीय बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. जिसमें उन्होंने मैच के बाद सूर्या की तारीफ में इतनी बड़ी बात कह दी है. सूर्यकुमार इतने महान खिलाड़ी हैं – शिखर धवन सीरीज के पहले मैच में जहां एक समय भारतीय टीम हार की राह पर खड़ी थी. वहां से वापस आकर मैच जीतकर इस युवा भारतीय टीम का यह प्रदर्शन वाकई तारीफ के काबिल है. हम ही नहीं बल्कि हमारे कप्तान शिखर धवन भी यह कहते नहीं थक रहे हैं। तो आइए देखते हैं कप्तान धवन ने मैच के बाद क्या कहा। सूर्यकुमार यादव ने भारत के लिए अब तक 4 टी20 मैच खेले हैं, जिसकी तीन पारियों में उन्होंने 46.33 की औसत से 139 रन बनाए. इस दौरान उनका सर्वोच्च स्कोर 57 रन रहा, जबकि गौतम गंभीर ने अपने टी20 अंतर्राष्ट्रीय करियर की पहली तीन इनिंग में 109 रन बनाए थे. "मेरे अनुसार, हम 10 से 15 रन से कम थे। मुझे लगता है कि हमने शुरुआती विकेटों के बावजूद बहुत अच्छा खेला, हालांकि इससे दो से तीन चौके का फर्क पड़ता, लेकिन हम जानते थे कि हम इस पारी को और आगे ले जा सकते हैं और सूर्या एक महान खिलाड़ी हैं और हमें उन्हें बल्लेबाजी करते हुए देखने में भी मजा आता है। इस मैच में भी उन्होंने मुझ पर गेंदों का दबाव कम किया और जिस तरह से वह पारी को अपने दिमाग में रखते हैं और फिर समय आने पर शॉट खेलते हैं, वह वाकई काबिले तारीफ है। साथ ही इस मैच में हमें पता था कि हमारे स्पिन गेंदबाज भी हमारे लिए अच्छा करेंगे, जो उन्होंने किया और भुवी ने भी बहुत अच्छी गेंदबाजी की, यहां इस मैच में हमारी पूरी टीम अंत तक एक साथ खड़ी रही और यहां तक कि अपना पहला मैच भी खेल रही थी. इस मैच में वरुण चक्रवर्ती ने भी शानदार प्रदर्शन किया है। पृथ्वी शॉ भी बहुत अच्छा खेल रहे हैं और मुझे पता है कि वह निश्चित रूप से वापसी करेंगे। |
| हिमाचल: मौत के चंद मिनटों पहले फोटो खींचे, लिखा-प्रकृति मां के बिना जीवन कुछ भी नहीं, और फिर Posted: 26 Jul 2021 08:27 AM PDT हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में रविवार को हुए भू-स्खलन में 9 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में जयपुर में गुर्जर की थड़ी स्थित शांति नगर की रहने वाली 34 वर्षीय दीपा शर्मा भी थीं. वह पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक (Ayurvedic Doctor) थीं और घर पर ही क्लीनिक चलाती थीं. वह एक ट्रेवलर में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) घूमने आई थीं. दीपा हिमाचल यात्रा के अनुभवों को लगातार सोशल मीडिया पर शेयर कर रही थीं. इनमें एक ट्वीट में अपने फोटो के साथ लिखा कि प्रकृति मां के बिना जीवन कुछ भी नहीं है. इसके कुछ घंटों बाद ही डॉ. दीपा शर्मा प्रकृति की गोद में हमेशा के लिए समा गईं. बता दें कि डॉ. दीपा शर्मा ने हादसे के कुछ घंटे पहले ही घटनास्थल के आसपास काफी फोटोग्राफी की थी. इनमें कुछ फोटो अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट भी की थी. मौत से महज कुछ मिनट पहले उन्होंने अपना एक फोटो भी ट्वीट किया था. इस फोटो के साथ उन्होंने लिखा था, 'भारत के उस आखिरी पॉइंट पर खड़ी हूं जिसके आगे जाने की नागरिकों को अनुमति नहीं है. इस जगह से करीब 80 किलोमीटर दूर तिब्ब्त का बॉर्डर है, जिस पर चीन ने अवैध कब्जा कर रखा है.' ![]() डॉ. दीपा ने ये फोटो की थी ट्वीट कैसे हुआ हादसा बता दें कि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बटसेरी के पहाड़ी से पत्थर टूट कर नीचे गिर रहे थे. चट्टान गिरने से कई वाहन उसकी चपेट में आए हैं. इस दुर्घटना में पर्यटकों से भरी गाड़ी पर भारी पत्थर गिर गया जिससे उसमें सवार नौ लोगों की मौत हो गई. जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. घायलों को सीएचसी सांगला रेफर किया गया है. सीएम ने दुख जाहिर किया मुख्यमंत्री जयराम सिंह ठाकुर ने इस दर्दनाक घटना पर दुख जाहिर किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'किन्नौर के बटसेरी में पहाड़ी दरकने से हुआ हादसा हृदयविदारक है. इसकी चपेट में आया पर्यटकों से सवार वाहन जिसमें 9 की मृत्यु व 2 घायल तथा 1 अन्य राहगीर के घायल होने की खबर अत्यंत दुखद है. ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति तथा शोकग्रस्त परिवार को संबल प्रदान करें. मैंने फोन के माध्यम से किन्नौर जिला प्रशासन से हादसे की जानकारी ली व उन्हें दिशानिर्देश दिए. प्रशासन घटनास्थल पर राहत कार्य में जुट गया है तथा प्रभावितों को फौरी राहत प्रदान की जा रही है. घायल हुए व्यक्तियों को स्वास्थ्य लाभ शीघ्र प्राप्त हो, ईश्वर से यही कामना करता हूं. ॐ शांति!' |
| हिमाचल में नौकरियां: ड्राइवर, इलेक्ट्रीशियन-मशीन ऑपरेटर जैसे पद हैं खाली Posted: 26 Jul 2021 08:23 AM PDT चंबा/ऊना/सिरमौर: हिमाचल के विभिन्न जिलों में अलग-अलग पदों पर बहाली निकली है. वाहन चालकों के पद के साथ-साथ फार्म कंपनी और मशीन ऑपरेटर के पद पर भी भर्ती निकली है. सिलसिलेवार तरीके से सभी आवेदन पप्रक्रिया को विस्तार से जानते हैं. वाहन चालकों की भर्ती: पद का नाम: वाहन चालक कुल पद: 4 आधार: दैनिक आधार पर भर्ती कार्यक्षेत्र: डीसी कार्यालय, चंबा आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि: 7 अगस्त 2021, शाम 5 बजे तक आवेदन जमा करने का पता: डीसी कार्यालय, चंबा अन्य जरूरी बातें: डी.सी. कार्यालय में दैनिक वेतन के आधार पर वाहन चालक के चार पदों को भरने के लिए पूर्व में जारी अधिसूचना में 2019 के रोस्टर पॉइंट के अनुसार आंशिक बदलाव हुआ है। इसके तहत अब 2 पद अनारक्षित, एक पद आर्थिक तौर से कमजोर वर्ग तथा एक पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है। अधिक जानकारी कार्यालय की अधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है। वेबसाइट में फॉर्म और उसे भरने की पूरी जानकारी भी उपलब्ध है। पहले आवेदन कर चुके अभ्यर्थियों को फिर से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है। इच्छुक अभ्यर्थी आवेदन डी.सी. कार्यालय में जमा करवा सकते हैं। मैनकाइंड फार्मा ने खोले रोजगार के द्वार: कंपनी का नाम: मैनकाइंड फार्मा पता: नाहन, सिरमौर कुल पद: 38 पोस्टिंग: पांवटा साहिब यूनिट-2 पात्रता: बी फार्मा, एम फार्मा, आईटीआई, डिप्लोमा, बीएससी व एमएससी क्षेत्र में पढ़ाई कर चुके अनुभव: फार्मा क्षेत्र में 2 से 7 वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य इंटरव्यू की तिथि: 31 जुलाई, 2021 इंटरव्यू का पता: जिला रोजगार कार्यालय नाहन अन्य जरूरी बातें: कंपनी चयनित अभ्यर्थी को मासिक न्यूनतम 13000 रुपए देगी और अधिकतम आय अभ्यर्थी के अनुभव पर निर्धारित होगी। सभी इच्छुक अभ्यर्थी निर्धारित तिथि को सुबह 10 बजे उप रोजगार कार्यालय पांवटा साहिब पहुंचना सुनिश्चित करें व साथ में 2 पासपोर्ट साइज फोटो, मूल प्रमाण पत्र, बायोडाटा की कॉपी तथा अनुभव प्रमाण पत्र जरूर लाएं। इलेक्ट्रीशियन-मशीन ऑपरेटर की भर्ती: कंपनी का नाम: क्रेमिका फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड पता: सिंगा, ऊना पद का नाम: मशीन ऑपरेटर कुल पद: 10 पद शैक्षणिक योग्यता: फिटर या इलेक्ट्रीशियन में आईटीआई या डिप्लोमा उत्तीर्ण होना अनिवार्य आयु सीमा: 18 से 50 वर्ष इंटरव्यू की तारीख: 27 जुलाई 2021 इंटरव्यू का पता: सुबह 10 बजे, जिला रोजगार कार्यालय, ऊना नोट: इन पदों में इवैपोरेटर व हॉट ब्रेक ऑपरेटर (Hot Brake Operator) के दो-दो पद तथा एएफसी स्टेरलाइजर ऑपरेटर, फिलर ऑपरेटर, बायलरऑपरेटर, ईटीपी ऑपरेटर, इलेक्ट्रीशियन व फिटर का एक-एक पद शामिल हैं। |
| हिमाचल: बच्चों के साथ समोसा खाने गए थे, अंदर से निकली मरी हुई छिपकली News Himachali Posted: 26 Jul 2021 08:20 AM PDT सोलन: बच्चों के साथ दुकान पर समोसा खाने गए दंपति के समोसे से छिपकली निकलने का मामला सामने आया है। जिसके बाद क्षेत्र में ऐसे मामले आम होने की भी चर्चा चल पड़ी है। घटना सोलन जिले के बद्दी औद्योगिक क्षेत्र का है। संचालक ने कारीगर पर फोड़ा ठीकरा: मिली जानकारी के अनुसार बद्दी-साईं मार्ग पर स्थित एक पुराने-प्रतिष्ठित मिष्ठान भण्डार पर एक दंपति अपने बच्चों के साथ नाश्ता करने गए। बैरा जब प्लेट टेबल पर रखा तो समोसे से मरी हुई छिपकिली निकली। गनीमत रही कि किसी ने खाया नहीं था। छिपकली दिखते ही उक्त दंपति बिफर गया। संचालक से बहस होने लगी। जिसके बाद दुकान मालिक ने यह कहकर पल्ला झाड़ दिया कि कारीगर की गलती से ऐसा हुआ है। भविष्य में ध्यान रखा जाएगा। क्षेत्र में ऐसी घटना आम है: वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में दर्जनों दुकानें ऐसी हैं, जो खुले में खाने पीने की वस्तुओं की बिक्री करती हैं। कई दुकानों में इस तरह की घटना होने की अक्सर चर्चा होती रहती है। संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच नहीं की जाती है। पीड़ित दंपति ने मांग की है कि दुकानदार पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। कुछ दुकानदार घटिया क्वालिटी के उत्पाद बेचकर लाखों रुपया इकट्ठा कर लोगों की सेहत के साथ सरेआम खिलवाड़ कर रहे हैं। |
| हिमाचल: चिंतपूर्णी से लौट रहे 50 श्रद्धालुओं से भरी बस पहाड़ी से टकराई, और फिर ड्राइवर ने.. Posted: 26 Jul 2021 08:14 AM PDT ऊना जिले के भरवाईं मुबारकपुर रोड पर एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। बस के ड्राइवर की सूझबूझ से बस में सवार 50 सवारियों की जान बच गई। मिली जानकारी के मुताबिक़ दोपहर ढाई बजे के करीब अमृतसर से आई पचास श्रद्धालुओं की संगत चिंतपूर्णी मन्दिर माथा टेककर वापिस अमृतसर को लौट रही थी तो किन्नू के पास बस की ब्रेक ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद ड्राइवर गुरविंदर सिंह ने शोर मचाकर बस में बैठी सवारियों को अपने अगले कदम के बारे में सचेत कर दिया और कुछ ही दूरी पर बस को सड़क के किनारे पहाड़ी से भिड़ा दिया। बस को पहाड़ी के साथ टकराते देख सड़क पर गाड़ियों में जा रहे लोग गाड़ियों से उतर कर बस की तरफ आए, लेकिन बस में बैठी सभी सवारियां सुरक्षित थी। घटना की सूचना मिलने पर चिंतपूर्णी थाना प्रभारी आशीष पठानिया भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि बस की ब्रेक फेल होने से ये हादसा हुआ है।बस पहाड़ी से टकराई है लेकिन बस में बैठे सभी लोग सुरक्षित हैं। |
| हार्दिक पांड्या ने जीता दिल, करुणारत्ने को गिफ्ट में दिया अपना बल्ला Posted: 26 Jul 2021 08:11 AM PDT भारत के हरफनमौला खिलाड़ी हार्दिक पांड्या अपने अंदाज की वजह से फैंस के बीच काफी ज्यादा पॉपुलर हैं। श्रीलंका के खिलाफ खेले गए पहले टी-20 मैच के दौरान हार्दिक पांड्या ने दिल जीतने का काम किया है। हार्दिक पांड्या ने श्रीलंका के खिलाड़ी चमिका करुणारत्ने को अपना बैट गिफ्ट में दिया है। हार्दिक से बैट गिफ्ट में पाकर करुणारत्ने के चेहरे की खुशी देखते बनती थी। हार्दिक पांड्या इशान किशन से बैट मंगवाते हैं और उसे कुछ देर तक देखते हैं। इसके बाद हार्दिक अपने बैट को चमिका करुणारत्ने को गिफ्ट कर देते हैं। चमिका करुणारत्ने हार्दिक के बल्ले से शैडो प्रेक्टिस करते हुए भी नजर आते हैं। वहीं वह सूर्यकुमार यादव से बल्ले की तारीफ करते हुए भी नजर आते हैं। इस वाक्ये के अलावा जब मैच की शुरुआत में मेजबान श्रीलंका का राष्ट्रगान बजने लगा था तब हार्दिक पांड्या को श्रीलंका का राष्ट्रगान गाते हुए देखा गया। उन्हें बिना हिचकिचाहट के घरेलू टीम का राष्ट्रगान गाते हुए देखना आश्चर्यजनक था और प्रशंसक हार्दिक की इस हरकत पर उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर हार्दिक का ये वीडियो काफी तेज़ी से वायरल हो रहा है। वहीं, अगर इस मैच की बात की जाए तो भारत ने पहले टी-20 मुकाबले में श्रीलंका को 38 रनों से शिकस्त दी है। हार्दिक पांड्या एक बार फिर बल्ले से कोई कमाल करने में असफल रहे और उनका अब तक श्रीलंका दौरा किसी बुरे सपने की तरह रहा है। |
| You are subscribed to email updates from न्यूज़ हिमाचली News Himachali | हिमाचल की No. 1 हिंदी वेबसाइट. To stop receiving these emails, you may unsubscribe now. | Email delivery powered by Google |
| Google, 1600 Amphitheatre Parkway, Mountain View, CA 94043, United States | |










