प्राइमरी का मास्टर ● इन |
- मदरसे और मिशनरी स्कूलों की तरह गुरुकुल और वैदिक स्कूलों को भी मिले मान्यता, एक समान शिक्षा संहिता के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार
- बीएड : पहले चरण में 30,031 को अलॉट हुई सीटें, दूसरे चरण में सीट आवंटन के लिए काउंसिलिंग शुरू
- सेवाकाल में मृत्यु पर अध्यापक के वारिस को ग्रेच्युटी का हक: हाईकोर्ट का फिर आया फैसला
- डीएलएड में पहले चक्र में 30 हजार रैंक तक के केवल 17402 अभ्यर्थियों ने चुने कालेज
- शिक्षक भर्ती : समाज कल्याण के स्कूलों में भर्ती से प्रबंधक बाहर, अब डीएम की अध्यक्षता में गठित होगी चयन कमेटी, इससे पहले प्रबंधक भी चयन समिति में होते थे शामिल
- हाथरस : डीएम के निर्देश पर दिनाँक 21 सितम्बर 2021 को 132 विद्यालयों के निरीक्षण में अनुपस्थित 53 कार्मिकों के वेतन कटौती के सम्बन्ध में
- सीतापुर : परिषदीय शिक्षकों को DBT डाटा फीडिंग से मुक्त रखते हुए निजी एजेंसी अथवा अभिभावकों से आवेदन प्राप्त किये जाने के सम्बन्ध में प्रा0शि0संघ का ज्ञापन
- DBT फीडिंग कार्य शिक्षकों के माध्यम से न कराए जाने हेतु उ0प्र0 प्राथमिक शिक्षक संघ (पाण्डेय गुट) का बेसिक शिक्षा मंत्री को पत्र
| Posted: 25 Sep 2021 07:24 PM PDT मदरसे और मिशनरी स्कूलों की तरह गुरुकुल और वैदिक स्कूलों को भी मिले मान्यता, एक समान शिक्षा संहिता के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार गुरुकुल, मदरसा, मिशनरी और वैदिक स्कूल के लिए समान शिक्षा संहिता की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल यूनिफॉर्म एजुकेशन कोड लागू करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इसमें महरसों की तरह गुरुकुल और वैदिक स्कूल खोलने और चलाने की इजाजत मांगी गई है। नई दिल्ली देशभर में यूनिफॉर्म एजुकेशन कोड लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि केंद्र सरकार को निर्देश जारी किया जाए कि हिंदुओं को भी गुरुकुल और वैदिक स्कूल खोलने और चलाने की वैसी ही इजाजत मिलनी चाहिए जैसे मुस्लिमों को मदरसे और क्रिश्चियन को मिशनरी स्कूल खोलने की इजाजत है। गुरुकुल और वैदिक स्कूल को मदरसे व मिशनरी स्कूल की तरह मान्यता देने की गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें गुरुकुल मदरसा मिशनरी और वैदिक स्कूल के लिए समान शिक्षा संहिता लागू करने की मांग की गई है। याचिका में अनुरोध किया गया है कि गुरुकुल और वैदिक स्कूलों को मदरसा और मिशनरी स्कूलों के समान मान्यता दी जाए। नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है, जिसमें गुरुकुल, मदरसा, मिशनरी और वैदिक स्कूल के लिए समान शिक्षा संहिता लागू करने की मांग की गई है। याचिका में अनुरोध किया गया है कि गुरुकुल और वैदिक स्कूलों को मदरसा और मिशनरी स्कूलों के समान मान्यता दी जाए। समान शिक्षा संहिता लागू करने की मांग वाली यह याचिका वकील और भाजपा नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है। याचिका में केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय और विधि आयोग को पक्षकार बनाया गया है। गुरुकुल और वैदिक स्कूलों को मदरसा और मिशनरी स्कूलों के समान मान्यता देने का अनुरोध इसमें मांग है कि सुप्रीम कोर्ट घोषित करे कि संविधान के अनुच्छेद 29, 30 के अंतर्गत जिस तरह मुस्लिमों को मदरसा और ईसाइयों को मिशनरी स्कूल खोलने का अधिकार है, उसी तरह हिंदुओं को गुरुकुल और वैदिक स्कूल खोलने का अधिकार प्राप्त है। कहा गया कि वर्तमान समय में मदरसा और मिशनरी स्कूल के शैक्षणिक प्रमाणपत्र को सरकारी नौकरियों में मान्यता प्राप्त है, लेकिन गुरुकुल और वैदिक स्कूल के छात्रों को योग्य नहीं माना जाता। मदरसा और मिशनरी स्कूल धार्मिक शिक्षा भी देते हैं। फिर भी उन्हें सरकार मान्यता और फंड भी देती है। जबकि गुरुकुल और वैदिक स्कूलों को न ही मान्यता दी जाती है और न ही फंड दिया जाता है। भेदभाव की ओर दिलाया गया अदालत का ध्यान इसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 29 में सिर्फ अल्पसंख्यकों को ही नहीं बल्कि देश के सभी नागरिकों को अपनी संस्कृति, भाषा और स्कि्रप्ट को संरक्षित करने का अधिकार है। इसी तरह अनुच्छेद 30 में केवल अल्पसंख्यकों को नहीं बल्कि बहुसंख्यकों को भी अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और प्रबंधन का अधिकार मिला हुआ है। इसलिए केंद्र सरकार का दायित्व है कि वह गुरुकुल, वैदिक स्कूल, मदरसा और मिशनरी स्कूल के लिए अनुच्छेद 14, 15, 16, 19, 29 और 30 की भावना के अनुकूल समग्र और समान शिक्षा संहिता बनाए। गुरुकुल और वैदिक स्कूल वैज्ञानिक और पंथनिरपेक्ष शिक्षा दे रहे हैं। फिर भी उन्हें मदरसा और मिशनरी स्कूलों के समान नहीं माना जाता। याचिका में कहा गया है कि लगातार संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 की गलत व्याख्या की जा रही है, जिसके कारण बहुसंख्यक समुदाय अपने सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकारों से वंचित है। अनुच्छेद 29 और 30 में जो अल्पसंख्यक शब्द का उपयोग किया गया है, वह केवल देश के धार्मिक आधार पर हुए विभाजन के बाद भारत में रह रहे अल्पसंख्यकों को एक अतिरिक्त सुरक्षा देने के लिए किया गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह कोई विशेष अधिकार नहीं है, बल्कि एक अतिरिक्त सुरक्षा दी गई है। अल्पसंख्यक मंत्रालय 25,000 मदरसों को मान्यता देता है। इसके अलावा जमीयत उलमा-ए- हिंद के भी पूरे देश में करीब 20,000 मदरसे हैं जो कि शिक्षा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करते। इसके बावजूद उनके छात्रों को सरकारी नौकरियों में राज्य शिक्षा बोर्डों और सीबीएसई बोर्ड से पास छात्रों के बराबर माना जाता है। लेकिन गुरुकुल और वैदिक स्कूल के छात्रों को यह मान्यता नहीं है। |
| बीएड : पहले चरण में 30,031 को अलॉट हुई सीटें, दूसरे चरण में सीट आवंटन के लिए काउंसिलिंग शुरू Posted: 25 Sep 2021 06:34 PM PDT बीएड : पहले चरण में 30,031 को अलॉट हुई सीटें, दूसरे चरण में सीट आवंटन के लिए काउंसिलिंग शुरू लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित की जा रही प्रदेश के प्राइवेट व सरकारी बीएड कॉलेजों की प्रवेश काउंसिलिंग के पहले चरण का सीट अलॉटमेंट शनिवार को जारी कर दिया गया। इसके अनुसार पहले चरण में 30,031 विद्यार्थियों को सीट अलॉट हुई हैं। इसमें सामान्य श्रेणी की 25, 632, अन्य पिछड़ा वर्ग की 1841, अनुसूचित जाति की 1165, अनुसूचित जनजाति की 30 अन्य राज्यों के 728 व आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के 635 अभ्यर्थी शामिल हैं। प्रवेश परीक्षा की राज्य समन्वयक प्रो. अमिता बाजपेयी ने बताया कि पहले चरण में 36,294 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण किया और 35,727 अभ्यर्थियों ने विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों के विकल्प लॉक किए थे। 567 अभ्यर्थियों ने रजिस्ट्रेशन किया, लेकिन कोई भी विकल्प लॉक नहीं किया। उन्होंने बताया कि काउंसिलिंग का दूसरा चरण भी शनिवार से शुरू हो गया। जिसमें स्टेट रैंक 75,001 से 2,00,000 तक के अभ्यर्थी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके बाद काउंसलिंग शुरू होगी। उन्होंने बताया कि कॉलेजों में अभी 2, 19,877 सीटें विद्यार्थियों के लिए खाली हैं। जिन पर वे प्रवेश ले सकते हैं। |
| सेवाकाल में मृत्यु पर अध्यापक के वारिस को ग्रेच्युटी का हक: हाईकोर्ट का फिर आया फैसला Posted: 25 Sep 2021 06:09 PM PDT सेवाकाल में मृत्यु पर अध्यापक के वारिस को ग्रेच्युटी का हक: हाईकोर्ट का फिर आया फैसला प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि सेवानिवृत्त होने से पहले ही मृत्यु पर अध्यापक के वारिसों को इस आधार पर ग्रेच्युटी देने से इन्कार नहीं किया जा सकता कि अध्यापक ने सेवानिवृत्ति विकल्प नहीं भरा था। यह आदेश न्यायमूíत यशवंत वर्मा ने सुशीला यादव, अभिषेक चंद्र सिन्हा व माया देवी की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सेवा नियमावली के अनुसार तीन साल की सेवा करने वाले अध्यापक को प्राप्त अंतिम वेतन का छह गुना ग्रेच्युटी पाने का अधिकार है। सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़कर 62 किए जाने के बाद ग्रेच्युटी का विकल्प देने का निर्देश जारी किया गया। विकल्प सेवानिवृत्ति से एक वर्ष के भीतर देना था, किंतु विकल्प भरने से पहले ही मौत हो गई। ऐसे में ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इन्कार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने तीन माह में ग्रेच्युटी की गणना कर निर्णय से याची को सूचित करने का निर्देश दिया है। सभी याची बेसिक स्कूल के अध्यापक के वारिस हैं। कोर्ट ने उषा रानी केस के हवाले से कहा कि मौत कभी भी हो सकती है। यदि विकल्प नहीं भरा गया है तो इस आधार पर ग्रेच्युटी देने से मना नहीं कर सकते। वर्ष 1964 में नियमावली बनी। पहले सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष थी, बढ़कर 60 वर्ष हुई। नौ नवंबर, 2011 को सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है। 60 साल में सेवानिवृत्त होने वाले अध्यापकों को ग्रेच्युटी पाने का हक है। इसके लिए विकल्प भरना होगा। सवाल उठा कि पहले ही मौत हो गई तो विकल्प के अभाव में क्या ग्रेच्युटी से इन्कार कर सकते हैं? कोर्ट ने कहा कि सेवाकाल में मृत्यु की दशा में ग्रेच्युटी देने से इन्कार नहीं किया जा सकता। |
| डीएलएड में पहले चक्र में 30 हजार रैंक तक के केवल 17402 अभ्यर्थियों ने चुने कालेज Posted: 25 Sep 2021 06:06 PM PDT डीएलएड में पहले चक्र में 30 हजार रैंक तक के केवल 17402 अभ्यर्थियों ने चुने कालेज प्रयागराज: डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) में प्रवेश के लिए एक से 30000 रैंक तक के 17402 अभ्यर्थियों ने कालेज के विकल्प चुने। इस पहले राउंड में 12974 अभ्यर्थियों को परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव की ओर से कालेज आवंटित कर दिए जिसमें 7944 को डायट संस्थान मिले। डायट में कुल 10600 सीटे हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव संजय कुमार उपाध्याय के मुताबिक पहले चरण में तीस हजार रैंक तक के अभ्यर्थियों को 22 से 24 सितंबर तक संस्थान का विकल्प भरने का अवसर दिया गया था। इन्हें शनिवार को संस्थान आवंटित किए गए। दूसरे राउंड में अब 30001 से एक लाख रैंक तक के अभ्यर्थी 27 सितंबर तक संस्थान का विकल्प भर सकेंगे। इन्हें 28 सितंबर को संस्थान एलाट किया जाएगा। इसके बात शेष सभी अभ्यर्थी तीसरे राउंड में संस्थान का विकल्प चुन सकेंगे। सभी अभ्यर्थियों के अभिलेखों की जांच और प्रवेश की प्रक्रिया 27 सितंबर से चार अक्टूबर तक चलेगी। |
| Posted: 25 Sep 2021 04:32 PM PDT शिक्षक भर्ती : समाज कल्याण के स्कूलों में भर्ती से प्रबंधक बाहर, अब डीएम की अध्यक्षता में गठित होगी चयन कमेटी, इससे पहले प्रबंधक भी चयन समिति में होते थे शामिल ● अब डीएम की अध्यक्षता में गठित होगी चयन कमेटी ● इससे पहले प्रबंधक भी चयन समिति में होते थे शामिल प्रयागराज : समाज कल्याण विभाग के स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया से प्रबंधकों को बाहर कर दिया गया है। प्रदेशभर के 571 स्कूलों में चयन के मानक बदलते हुए शासन ने जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चयन समिति की व्यवस्था बनाई है। 22 सितंबर को प्रमुख सचिव के. रविन्द्र नायक की ओर से जारी आदेश के अनुसार भर्ती के लिए गठित चयन समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी या उनके नामित अधिकारी होंगे। संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, अल्पसंख्यक वर्ग का एक अधिकारी सदस्य होंगे। जबकि जिला समाज कल्याण अधिकारी को सदस्य सचिव नियुक्त किया जाएगा। जिला समाज कल्याण अधिकारी चयन समिति से अनुमोदित सूची निदेशक समाज कल्याण को भेजेंगे। इन पदों पर नियुक्ति के लिए शासन का अनुमोदन प्राप्त होने पर प्रबंधक एक महीने के अंदर चयनित के लिए नियुक्ति पत्र जारी करेंगे। जिले में समाज कल्याण के 31 स्कूल जिले में समाज कल्याण विभाग के 31 स्कूल हैं। इनमें प्रबंधक पहले बीएसए और समाज कल्याण अधिकारी से अनुमोदन लेकर नियुक्ति कर देते थे। लेन-देन के आरोप लगते थे। कुछ समय पहले एक स्कूल ने बिना बीएसए का अनुमोदन लिए शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन जारी कर दिया था। |
| Posted: 25 Sep 2021 06:32 AM PDT |
| Posted: 25 Sep 2021 04:21 AM PDT |
| Posted: 25 Sep 2021 02:58 AM PDT |
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