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Thursday, April 21, 2022

प्राइमरी का मास्टर ● इन

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बढ़ती गर्मी और लू से बचाव हेतु जिलाधिकारी बदल सकेगें स्कूलों का समय, प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को भेजे गए निर्देश

Posted: 21 Apr 2022 05:45 PM PDT

बढ़ती गर्मी और लू से बचाव हेतु जिलाधिकारी बदल सकेगें स्कूलों का समय, प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को भेजे गए निर्देश 


उत्तर प्रदेश में बढ़ती हुई गर्मी को देखते हुए लू से बचाव के लिए स्कूलों और श्रमिकों के काम का समय बदला जाएगा। राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद ने गुरुवार को लू से बचाव के संबंध में शासनादेश जारी करते हुए प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश भेज दिया है। 


राहत आयुक्त की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि लू से बचाव के लिए सार्वजनिक स्थलों पर पेयजल की समुचित व्यवस्था कराई जाएगी। अस्पतालों व स्वास्थ केंद्रों पर विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था कराई जाएगी। मंदिरों, लोकभवनों, मॉलों में कूलिंग सेंटर्स चलाए जाएंगे।


शासनादेश में कहा गया है कि लू से बचाव के लिए जिला व ब्लॉक स्तर पर नोडल अधिकारी नामित किए जाएंगे। वीडियो कांफ्रेंसिंग से जिला व ब्लॉक स्तर पर लू को मॉनीटर करने, कोविड-19 को लेकर सामाजिक दूरी, साबुन व पानी की उपलब्धता और समुचित सेनेटाइजेशन की व्यवस्था की जाएगी। 


लू एलर्ट संबंधी डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएंगे। इसमें बचाव के लिए क्या करें क्या न करें इसकी जानकारी दी जाएगी। आंगनबाड़ी केंद्रों पर ओआरएस पैकेट की व्यवस्था की जाएगी

विवादों के चलते माध्यमिक शिक्षा निदेशक पद पर बदलाव, विनय कुमार पांडेय के स्थान पर सरिता तिवारी को सौंपा गया पद का जिम्मा

Posted: 21 Apr 2022 05:07 PM PDT

विवादों के चलते माध्यमिक शिक्षा निदेशक पद पर बदलाव, विनय कुमार पांडेय के स्थान पर सरिता तिवारी को सौंपा गया पद का जिम्मा


लखनऊ :  माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पाण्डेय को हटा दिया गया है। उन्हें साक्षरता, वैकल्पिक शिक्षा, उर्दू, प्राच्य भाषा के निदेशक पद पर भेजा गया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक के पद का कार्यभार अपर परियोजना निदेशक सरिता तिवारी को सौंपा गया है। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने गुरुवार को आदेश जारी कर दिया है।


बलिया में पेपर लीक कांड के बाद विनय कुमार पाण्डेय को हटाने की पटकथा लिखी जाने लगी थी। उन्हें 2018 में निदेशक के पद का कार्यभार सौंपा गया था। 2021 में उन्हें प्रोन्नत कर निदेशक बनाया गया। बीते पांच सालों से यूपी बोर्ड की नकलविहीन छवि बनाने में राज्य सरकार सफल रही थी लेकिन इस वर्ष पेपर लीक कांड हो गया। 24 जिलों में पेपर दोबारा लिया गया। मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लिया था।


बर्खास्त होने के बाद फिर तैनात किए गए थे: विनय पाण्डेय पहले भी विवादों में रहे हैं। उन्हें विभाग ने बर्खास्त कर दिया था लेकिन उन्हें हाईकोर्ट ने राहत दे दी और वह पुन: सेवा में आ गए। बहाल होने के छह महीने के भीतर उन्हें कार्यवाहक निदेशक बना दिया गया था। विनय पाण्डेय 1990 में नौकरी में आए थे। पहले वह वेटिंग लिस्ट का हिस्सा थे।

यूपी बोर्ड : साल में दो बार होंगी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं, बदलेगा पेपर का पैटर्न

Posted: 21 Apr 2022 09:03 AM PDT

यूपी बोर्ड : साल में दो बार होंगी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं, बदलेगा पेपर का पैटर्न

यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं अब वर्ष में दो बार होंगी। नई शिक्षा नीति के मुताबिक ये बदलाव किया जा रहा है। इसके साथ ही परीक्षा पैटर्न में भी बदलाव किया जाएगा। प्रस्तावित नए पैटर्न के तहत 100 अंकों के प्रश्नपत्र में दो तरह के प्रश्न होंगे। इसमें 30 नंबर का बहुविकल्पीय और 70 नंबर का विश्लेषणात्मक पेपर होगा। हाईस्कूल में 2023 और इंटरमीडिएट में 2025 से यह बदलाव लागू किया जाएगा।


सौ नंबर की होगी बहुविकल्पीय परीक्षा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माध्यमिक शिक्षा विभाग की कार्ययोजना पर मुहर लगा दी है। 100 नंबर के एक पेपर में बहुविकल्पीय परीक्षा के लिए एक घंटा दिया जाएगा। इसमें 30 प्रश्न बहुविकल्पीय होंगे और इसकी परीक्षा ओएमआर शीट पर ली जाएगी। इसके बाद दूसरा पेपर वर्णनात्मक होगा। इस पेपर में उच्चतर चिंतन कौशल के प्रश्न भी शामिल किए जाएंगे। यह पेपर 70 नंबर का होगा। साल 2023 से हाईस्कूल की परीक्षा और साल 2025 से इंटरमीडिएट की परीक्षा पैटर्न में नए बदलाव लागू कर दिए जाएंगे। 

नए पैटर्न के लिए 2022 में कक्षा नौ में पूरी तैयारी की जाएगी और 2023 में इसे लागू किया जाएगा।  विज्ञान और गृह विज्ञान विषय की वस्तुनिष्ठ प्रश्न पत्र में 50 प्रतिशत प्रश्न प्रायोगिक गतिविधियों से संबंधित होंगे। यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए वार्षिक, सेमेस्टर/मॉडयूल पर विचार कर रहा है। 

परीक्षा फल में सुधार के लिए दे सकेंगे दूसरी बार परीक्षा  

यूपी बोर्ड में हाईस्कूल में आतंरिक मूल्यांकन को खत्म किया जाएगा ताकि मूल्यांकन की एक पारदर्शी व्यवस्था बन सके। हाईस्कूल परीक्षा 2023 से साल में दो बार ली जाएगी ताकि छात्रों में कोचिंग के प्रति रुझान कम हो और परीक्षा संबंधी तनाव खत्म हो जाए। पहली बार परीक्षा निर्धारित समय पर होगी। दूसरी बार परीक्षा विद्यार्थी इसे परीक्षाफल में सुधार के लिए दे सकेंगे। कक्षा 9 से 12 तक परीक्षा पैटर्न के साथ मूल्यांकन का पैटर्न भी बदला जाएगा। पैटर्न बदलने के पीछे मंशा यह है कि बच्चों में रटने की प्रवृत्ति कम करते हुए उनका ज्ञान बढ़ाया जाए।

बच्चों को फल बांटने के सवाल में उलझे गुरूजन, महंगाई डेढ़ से दोगुना बढ़ी लेकिन फल वितरण की दरें पुरानी ही

Posted: 21 Apr 2022 05:52 AM PDT

बच्चों को फल बांटने के सवाल में उलझे गुरूजन, महंगाई डेढ़ से दोगुना बढ़ी लेकिन फल वितरण की दरें पुरानी ही



स्कूलों में बच्चों को फल वितरण की योजना को शुरू हुए करीब छह वर्ष हो गए। इस बीच महंगाई करीब डेढ़ से दोगुना बढ़ गई, लेकिन फल वितरण की दरे पुरानी ही दी है। प्रत्येक सोमवार में स्कूलो में बच्चों को फल बांटना भी अनिवार्य है वह भी निर्धारित शर्तों के मुताबिक ऐसे में वह कार्य शिक्षकों को परेशान किए है। हालत यह है कि किताबी गणित को चुटकियों में हल कर देने वाले गुरुजन भी चार रुपये में बच्चों को फल वितरण के फॉर्मूले में उलझे जा रहे हैं। बहुत माथापच्ची करने के बाद भी सवाल का ऐसा हल नहीं निकल रहा, जिसमें पूरे अंक मिल सके। 


कक्षा एक से आठ तक के राजकीय परिषदीय अर्द्ध सरकारी व सहायता प्राप्त विद्यालयों के बच्चों को ताजे व मौसमी फल वितरण करने की योजना एक जुलाई 2016 से लागू हुई थी। उस समय प्रति सोमवार प्रति छात्र चार रुपये की दर से धनराशि स्वीकृत की गई थी। उसमें शर्त यह थी कि विद्यार्थियों को वितरित होने वाला फल ताजा व साबुत होगा। सड़े गले अथवा कटे हुए फल वितरित करने पर प्रधानाध्यापक के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।


 योजना को लागू हुए लगभग छह साल का वक्त बीतने की है। इस धनराशि में एक पैसे की बढ़ोतरी नहीं हुई है, जबकि महंगाई प्रतिवर्ष करीब डेढ़ गुना बढ़ जा रही है। देखा जाए तो इस समय केले के अलावा कोई ऐसा फल नहीं है, जो चार रुपये में साबुत ही मिल सके। अनार 100 रुपये प्रति किलो मुसम्मी 60 रुपये प्रति किलो सतरा 80 रुपये प्रति किलो, सेब 150 रुपये प्रति किलो, चोकू 60 रुपये प्रति किलो व केला 60 रुपये प्रति दर्जन की दर से बिक रहा है। 

विश्वविद्यालयों में भरें जाएं शिक्षकों के खाली पद, जल्द बनाएं शिक्षकों की प्रोन्नति सूची : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

Posted: 20 Apr 2022 10:04 PM PDT

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा- विश्वविद्यालयों में भरें जाएं शिक्षकों के खाली पद, जल्द बनाएं शिक्षकों की प्रोन्नति सूची

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालयों के कार्मिक प्रकरणों की समीक्षा के दौरान कहा क‍ि कुलपति सही सूचनाएं दें। इसी के साथ जल्द शिक्षकों की प्रोन्नति सूची बनाई जाए और विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों पर शिक्षकों की भर्ती की जाए।


लखनऊ : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों पर शिक्षकों की सीधी भर्ती व शिक्षकों की वरिष्ठता सूची का कार्य शीघ्र पूरा कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने करियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) के तहत शिक्षकों की प्रोन्नति लाभ देने का निर्देश देते हुए कहा कि इसमें विलंब होने से बहुत से पात्र लाभार्थी रिटायर हो जाते हैं।

विश्वविद्यालयों में जिन कार्यों के लिए नियम बने हैं उन पर कुलाधिपति स्वीकृति के लिए अनावश्यक पत्र व्यवहार न किया जाए। राज्यपाल ने बुधवार को राजभवन स्थित प्रज्ञा कक्ष में प्रदेश के 29 विश्वविद्यालयों की कार्मिक विषयक प्रकरणों पर समीक्षा बैठक में विश्वविद्यालयों को कार्य पूरा करने की तारीख का उल्लेख के साथ निर्धारित समय में उसे पूरा कराने का निर्देश दिया। उन्होंने पूर्व निर्देशों का अनुपालन, सही सूचना का सख्त निर्देश देते हुए कहा कि अपूर्ण कार्यों के लिए वर्तमान कुलपति व पूर्व कुलपतियों पर दोषारोपण न करें।


विश्वविद्यालय नैक ग्रेडिंग की तैयारियां समय से पूरी करें, आगामी दिनों में इसकी समीक्षा होगी। राज्यपाल ने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय अनापेक्षित पदों पर भर्ती प्रक्रिया स्थगित रखें व प्राप्त फंड का उपयोग कराएं। ऐसे विषय जिनमें छात्रों की संख्या अत्यंत कम है उनका शिक्षण आउटसोर्स शिक्षकों से कराया जा सकता है। उन्होंने विश्वविद्यालयों में लागू पाठ्यक्रमों के तहत छात्रों की संख्या और शिक्षकों की उपलब्धता का पुनरावलोकन करने का निर्देश भी दिया।

ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से पिछड़े व पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर भर्ती की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें यदि एक अभ्यर्थी का ही आवेदन मिलता है और वह योग्य पाया जाता है तो उसकी भर्ती पर विचार किया जाए। बैठक में विश्वविद्यालयों की आंतरिक व्यवस्थाओं, स्वच्छता, बायोमीट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था की जानकारी ली। उन्होंने विश्वविद्यालयों में अपने विशेष कार्याधिकारी शिक्षा के भ्रमण के दौरान संज्ञान में लाई गई कमियों के निस्तारण का निर्देश दिया।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने परिसर को स्वच्छ रखने के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुपालन में अपना सिलेबस लागू कराने की दिशा में प्रतिबद्धता से कार्य करें। तकनीकी व चिकित्सा विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने नियम की विविधताओं, विधिक कारणों से लंबित हो रहे मामलों की जानकारी राज्यपाल को दी। यहां राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता, विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रभारी कुलपति, रजिस्ट्रार व संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

UPTET में प्रश्नों को दोहराया, हाईकोर्ट ने मांगी जानकारी

Posted: 21 Apr 2022 05:24 PM PDT

UPTET में प्रश्नों को दोहराया, हाईकोर्ट ने मांगी जानकारी


प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मना करने के बावजूद परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से यूपीटेट 2021 में फिर से सवाल क्यों पूछे गए। 


परीक्षा नियामक प्राधिकारी इस पर दो हफ्ते में जवाब दाखिल करें। सुनवाई के लिए 12 मई की तिथि सुनिश्चित की है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने सत्येंद्र कुमार यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।


 याची के अधिवक्ता अनुराग अग्रहरी ने तर्क दिया 2017 में जिन प्रश्नों को पूछा था। उन प्रश्नों को दोबारा 2021 के यूपीटेट में पूछ गया।



UPTET : हाईकोर्ट पहुंचा यूपीटीईटी के 6 विवादित प्रश्नों का मामला


उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2021 के छह विवादित प्रश्नों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में इन सभी प्रश्नों के दो-दो सही उत्तर देने वाले अभ्यर्थियों को उनके अंक देने की मांग की गई है।


एडवोकेट सौमित्र द्विवेदी, आलोक कुमार दुबे व यथार्थ नाथ पाठक के अनुसार रवीश बाबू, आकाश सोनकर, राजकुमार यादव आदि की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि यूपी टेट 2021 का अंतिम परिणाम गत आठ अप्रैल को जारी हुआ था। उसके बाद अभ्यर्थियों में छह प्रश्नों के उत्तर को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई क्योंकि सभी के दो-दो उत्तर सही हैं।


याचियों का दावा है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने अंतिम उत्तर कुंजी में छह प्रश्नों के उत्तर गलत दिए हैं, जिससे कई अभ्यर्थी केवल 1-2 अंक से उत्तीर्ण नहीं हो सके। याचिका में कहा गया है कि इन छह प्रश्नों के सही उत्तर देने वाले अभ्यर्थियों को इनके अंक प्रदान कर नए सिरे से परिणाम घोषित किया जाए।

स्नातक के पाठ्यक्रमों में अब ग्रेडिंग प्रणाली, इस तरह तय होगा उत्तीर्ण प्रतिशत

Posted: 21 Apr 2022 04:34 PM PDT

स्नातक के पाठ्यक्रमों में अब ग्रेडिंग प्रणाली,  इस तरह तय होगा उत्तीर्ण प्रतिशत।

2021-22 से लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को कई तरह की सहूलियतें, स्नातक की पढ़ाई पूरी करने को मिलेंगे नौ वर्ष, खबर पढ़ें सबसे नीचे


योगी सरकार का बड़ा फैसला: नए पैटर्न से होंगी यूपी बोर्ड 10वीं-12वीं की परीक्षाएं, ग्रेजुएशन में लागू होगा ग्रेडिंग सिस्टम


लखनऊ : बीए, बीएससी व बीकाम में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं को परीक्षा में अब अंकों के साथ ग्रेड भी मिलेंगे। इससे विद्यार्थी प्रथम, द्वितीय या तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण होने की जगह ए प्लस, ए, बी प्लस और बी जैसे ग्रेड लिखे होंगे। शासन ने सभी राज्य व निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को स्नातक पाठ्यक्रमों में 10 प्वाइंट ग्रे¨डग प्रणाली लागू करने का आदेश दिया है।



प्रदेश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप पाठ्यक्रम शैक्षिक सत्र 2021-22 में लागू कर दिए गए हैं। इस संबंध में 13 जुलाई 2021 को जारी शासनादेश में विस्तृत दिशा-निर्देश हैं। अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग ने कुलपतियों को भेजे आदेश में लिखा है कि सभी विश्वविद्यालयों में समान व्यवस्था लागू हो गई है। विद्यार्थी एक विश्वविद्यालय या महाविद्यालय से दूसरे में स्थानांतरित किए जा सकते हैं। इसके लिए प्रदेश स्तरीय एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट पोर्टल पर डाटा अपलोड है।


गर्ग ने आदेश में लिखा है कि स्टीयरिंग कमेटी की ओर से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देशों पर आधारित एनईपी 2020 के तहत बीए, बीएससी व बीकाम के प्रथम तीन वर्ष के लिए ग्रे¨डग प्रणाली लागू किए जाने के संबंध में सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें सभी को भेजा जा रहा है।


अपर मुख्य सचिव ने इस पर अमल के लिए कोई तारीख तय नहीं की है। विद्यार्थी को वर्तमान सेमेस्टर से अगले सेमेस्टर में प्रोन्नत किया जाएगा, चाहे परिणाम कुछ भी हो। इसके लिए शर्तें तय की गई हैं, विद्यार्थी ने दो सेमेस्टर में कुल क्रेडिट्स के 50 प्रतिशत क्रेडिट के पेपर उत्तीर्ण कर लिए हों। इसी तरह से तीन मुख्य विषयों के सभी पेपर के कुल क्रेडिट का 50 प्रतिशत पेपर उत्तीर्ण कर लिए हों। वहीं, द्वितीय से तृतीय वर्ष में प्रोन्नति के लिए पहले वर्ष के आवश्यक क्रेडिट्स के सभी पेपर व सह पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करना आवश्यक होगा।


'>>बीए, बीएससी, बीकाम के पहले तीन वर्ष में छात्रों को अंक के साथ दें ग्रेड

'>>राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम सत्र 2021-22 में लागू


ऐसे तय होंगे डिवीजन

प्रथम श्रेणी : 6.50 या उससे अधिक व 10 से कम सीजीपीए

द्वितीय श्रेणी : 5.00 या उससे अधिक व 6.50 से कम सीजीपीए

तृतीय श्रेणी : 4.00 या उससे अधिक व 5.00 से कम सीजीपीए

नोट : सीजीपीए यानी क्यूमुलेटिव ग्रेड प्वाइंट एवरेज


बैक पेपर या सुधार परीक्षा

'>>आंतरिक परीक्षा में बैक पेपर या सुधार परीक्षा नहीं होगी, केवल पूर्ण सेमेस्टर की दोबारा परीक्षा विश्वविद्यालय कराएगा। इसमें आंतरिक मूल्यांकन भी किया जा सकता है। एक विद्यार्थी दो सेमेस्टर की पूरी परीक्षाएं एक साथ नहीं दे सकेगा।

'>>विद्यार्थी को बैक पेपर या सुधार परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम वही होगा जो वर्तमान सेमेस्टर जिसमें वह परीक्षा दे रहा है। विद्यार्थी बैक पेपर चाहे कितनी बार दे सकता है, किंतु अब केवल एक वर्ष के पहले के पेपर्स के लिए ही उपलब्ध होगी।

'>>किसी भी एक वर्ष को पूरा करने की अधिकतम अवधि तीन वर्ष होगी।


इस तरह तय होगा उत्तीर्ण प्रतिशत

'>>छात्र-छात्रओं के क्वालीफाइंग पेपर में क्वालीफाइड के लिए क्यू और नाट क्वालीफाइड के लिए एनक्यू ग्रेड दिया जाएगा। सभी विषयों का उत्तीर्ण प्रतिशत अब 33 ही होगा। छह सह पाठ्यक्रम कोर्स व तृतीय वर्ष में लघु शोध का उत्तीर्णांक 40 प्रतिशत होगा।

'>>चार कौशल विकास कोर्स का भी उत्तीर्णांक 40 प्रतिशत रखा गया है, इसमें प्रैक्टिकल आधारित कार्य का मूल्यांकन 60 अंकों से और थ्योरी आधारित कार्य का मूल्यांकन 40 अंकों से किया जाएगा।

'>>सभी विषयों के हर कोर्स पेपर में थ्योरी व प्रैक्टिकल सहित अधिकतम 100 अंकों में से प्राप्तांक की गणना 25 अंकों के आंतरिक व 75 अंकों के वाह्य मूल्यांकन में मिले अंकों को जोड़कर की जाएगी। 75 में से न्यूनतम 25 अंक व उत्तीर्ण होने के लिए दोनों में न्यूनतम 33 अंक लाने होंगे।

'>>सह पाठ्यक्रम व लघु शोध की थ्योरी व प्रैक्टिकल परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए 75 में से न्यूनतम 30 अंक और दोनों को मिलाकर न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक पाने होंगे।

'>>किसी भी कोर्स व प्रश्नपत्र के आंतरिक मूल्यांकन में कोई न्यूनतम उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं है। यदि किसी विद्यार्थी को आंतरिक मूल्यांकन में शून्य व वाह्य मूल्यांकन में 33 या फिर सह पाठ्यक्रम में 40 प्रतिशत अंक मिलते हैं तो भी वह उत्तीर्ण होगा। आंतरिक मूल्यांकन में अनुपस्थित पर भी शून्य अंक मिलेंगे।

'>>किसी भी तरह का कृपांक यानी ग्रेस मार्क्‍स नहीं दिए जाएंगे।





स्नातक पाठ्यक्रमों में लागू हुई ग्रेडिंग प्रणाली
 

लखनऊ :  प्रदेश के विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में बीए, बीएससी व बी कॉम में ग्रेडिंग प्रणाली लागू कर दी गई है। बुधवार को उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस गर्ग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। ग्रेस अंक नहीं दिए जाएंगे।


प्रणाली यूजीसी के दिशानिर्देशों पर आधारित है। ये ग्रेडिंग प्रणाली पहले तीन वर्षों के लिए लागू होगी। इसमें शून्य से लेकर 10 अंक तक दिए जाएंगे। पांच अंक पाने वाले औसत की श्रेणी में शामिल होंगे। मुख्य व माइनर विषयों में उत्तीर्ण प्रतिशत 33 ही होगा। छह सह पाठ्यक्रम कोर्सों व तीसरे वर्ष में लघु शोध केवल अर्हता के लिए है और न्यूनतम उत्तीर्णांक 40 फीसदी होगा। चार कौशल विकास कोर्सों में भी उत्तीर्णांक 40 फीसदी होगा। 60 अंकों का प्रैक्टिकल मूल्यांकन होगा। 

ग्रेडिंग प्रणाली में 33 अंक लाना अनिवार्य

लखनऊ :  प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय और पीजी कॉलेज में ग्रेडिंग प्रणाली के तहत सभी विषयों के सभी तरह के पेपरों में अधिकतम 100 में से प्राप्तांकों की गणना 25 अंक सतत आंतरिक मूल्यांकन और 75 अंक विवि की बाह्य परीक्षा के अंकों को जोड़ कर की जाएगी।

सभी तरह के विषयों में पास होने के लिए बाह्य परीक्षा में 75 में से 25 अंक लाना अनिवार्य होगा और आतंरिक व बाह्य मिलाकर 33 प्रतिशत अंक लाने अनिवार्य होंगे। यदि किसी विद्यार्थी को आतंरिक मूल्यांकन में शन्य अंक व बाह्य परीक्षा में न्यूनतम 33 या 40 फीसदी (सह पाठ्यक्रमों-लघु शोध विषयों) अंक मिलेंगे तो वह पास माना जाएगा। आतंरिक मूल्यांकन में अनुपस्थिति में शून्य अंक ही मिलेंगे। विद्यार्थी को विषम सेमेस्टर से सम सेमेस्टर में अनिवार्य रूप से प्रोन्नत किया जाएगा, चाहे विषम सेमेस्टर का परिणाम कुछ भी हो।

ग्रेड विवरण अंकों की सीमा ग्रेड प्वाइंट

ओ असाधारण 91-100 10

ए प्लस उत्कृष्ट 81-90 9

ए बहुत अच्छा 71-80 8

बी प्लास अच्छा 61-70 7

बी औसत से ऊपर 51-60 6

सी औसत 41-50 5

पी पास 33-40 4

एफ फेल 0-32 0

एबी अनुपस्थित अनुपस्थित 0

क्यू उत्तीर्ण

एनक्यू अनुतीर्ण



योगी सरकार का बड़ा फैसला: नए पैटर्न से होंगी यूपी बोर्ड 10वीं-12वीं की परीक्षाएं, ग्रेजुएशन में लागू होगा ग्रेडिंग सिस्टम

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब माध्यमिक शिक्षा परिषद की 10वीं-12वीं की परीक्षाएं नए पैटर्न से होंगी। इसके अलावा प्रदेश के सभी राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों में बीए. बी.कॉम और बीएससी के स्नातक पाठ्यक्रमों में ग्रेडिंग प्रणाली लागू की जाएगी।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाई स्कूल बोर्ड परीक्षा-2023 नए पैटर्न से होगी। परीक्षा में एक प्रश्न पत्र बहुविकल्पीय दिया जाएगा, जिसका उत्तर ओएमआर शीट पर देना होगा। 2025 से इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में भी यह पैटर्न लागू किया जाएगा। वहीं विद्यार्थियों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कक्षा 9वीं और 11वीं में इंटर्नशिप कार्यक्रम लागू किया जाएगा। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष बुधवार को बेसिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा और खेल विभाग की आगामी योजनाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया। आगामी पांच वर्ष में सभी ब्लॉकों में हाई स्कूल और इंटर कॉलेज की स्थापना की जाएगी।

माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रस्तुतीकरण में अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी। प्राधिकरण के जरिये पांच वर्ष में विद्यालयों का मूल्यांकन एवं सर्टिफिकेशन भी किया जाएगा। विद्यालयों में विद्यार्थियों को रोजगान्मुख शिक्षा के लिए कौशल विकास का प्रशिक्षण और प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। 

सभी विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम, रियल टाइम मानिटरिंग, स्टूडेंट ट्रैकिंग सिस्टम और एकीकृत डाटा प्रबंधन प्रणाली की व्यवस्था लागू की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूजीसी ने एक साथ दो डिग्री प्राप्त करने के लिए स्वीकृति दी है। प्रदेश में यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार योजना बनाने के निर्देश दिए।

संस्कृत शिक्षा निदेशालय का गठन होगा
दो वर्षों के भीतर संस्कृत शिक्षा निदेशालय का गठन किया जाएगा। एकीकृत डाटा प्रबंधन प्रणाली लागू किया जाएगा। संस्कृत को तकनीकी के माध्यम से रोजगार से जोड़ने के लिए 180 घंटे का सर्टिफिकेट और 360 घंटे का डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। 

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की ओर से ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे।  संस्कृत की पारंपरिक विद्या, कर्मकांड, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र और योग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अर्चक और पुरोहित तैयार करने की दिशा में कार्रवाई तेज की जाएगी।

यूपी में ग्रेजुएशन में लागू होगा ग्रेडिंग सिस्टम
प्रदेश के सभी राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों में बीए. बी.कॉम और बीएससी के स्नातक पाठ्यक्रमों में ग्रेडिंग प्रणाली लागू की जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सभी विश्वविद्यालयों में समान व्यवस्था और विद्यार्थियों का एक विश्वविद्यालय या महाविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में अबेकस-यूपी के जरिये स्थानांतरण की व्यवस्था को लागू करने के लिए दस पाइंट ग्रेडिंग व्यवस्था लागू की जाएगी।

उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका.एस.गर्ग ने सभी कुलपतियों को ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए है। ग्रेडिंग व्यवस्था में मुख्य या माइनर विषयों के प्रत्येक लिखित या प्रयोगात्मक परीक्षा के क्रेडिट स्कोर्स निर्धारित है। इन सभी का उत्तीर्ण प्रतिशत वर्तमान में प्रचलित 33 प्रतिशत ही रहेगा।

सह-पाठ्यकरम कोर्स तथा तृतीय वर्ष में लघु शोध में उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक आवश्यक होंगे। चार कौशल विकास कोर्स में भी उत्तीर्णांक 40 प्रतिशत ही निर्धारित किए है। कौशल विकास और रोजगारपरक पाठ्यक्रम में पूर्णांक 100 निर्धारित किए गए हैं। इनमें प्रशिक्षण और प्रयोगात्मक परीक्षा का मूल्यांकन 60 अंकों और लिखित परीक्षा का मूल्यांकन 40 अंकों में से होगा। इसमें भी न्यूनतम उत्तीर्णांक 40 ही रखे गए है।

सभी विषयों के मुख्य, माइनर और सह पाठ्यक्रम में अधिकतम 100 अंक मेंसे प्राप्तांक की गणना 25 अंकों के आतंरिक मूल्यांकन और 75 अंकों की विश्वविद्यालय परीक्षा में प्राप्त अंकों को जोड़कर की जाएगी। विद्यार्थी को लिखित और प्रयोगात्मक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए 75 में से न्यूनतम 25 अंक (33 प्रतिशत) अंक प्राप्त करने होंगे। आंतरिक मूल्यांकन और विश्वविद्यालय परीक्षा में कुल 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे।

न्यूनतम उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं रहेगा
किसी भी पाठ्यक्रम या पेपर में आंतरिक मूल्यांकन में कोई उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं रहेगा। यदि किसी विद्यार्थी ने आंतरिक मूल्यांकन में शून्य अंक प्राप्त किए हैं और विश्वविद्यालय की परीक्षा में 33 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं तो वह उत्तीर्ण माना जाएगा। आंतरिक मूल्यांकन में अनुपस्थित रहने पर भी शून्य अंक ही मिलेंगे।

2021-22 से लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को कई तरह की सहूलियतें, स्नातक की पढ़ाई पूरी करने को मिलेंगे नौ वर्ष


लखनऊ : स्नातक स्तर पर सत्र 2021-22 से लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को कई तरह की सहूलियतें भी दी गई हैं। तीन वर्ष के स्नातक पाठ्यक्रम के किसी भी एक वर्ष को पूरा करने की अधिकतम अवधि तीन वर्ष होगी। इस तरह किसी विद्यार्थी को स्नातक पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए अधिकतम नौ वर्ष मिलेंगे।

प्रदेश के विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में बीए, बीएससी व बीकॉम में ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने के संबंध में जारी शासनादेश में कई तरह के बदलावों को शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि यदि कोई विद्यार्थी सततता में तीन वर्षों की पढ़ाई करता है तो उसे अधिकतम नौ वर्ष मिलेंगे। यदि विद्यार्थी किसी एक वर्ष का सर्टिफिकेट या डिप्लोमा लेकर चला जाता है तो वह बाकी के वर्षों की पढ़ाई दोबारा शुरू करने के लिए कभी भी वापस आ सकता है तथा उसे आगे के वर्षों की पढ़ाई पूरा करने के लिए तीन वर्ष (प्रति एक वर्ष की पढ़ाई) के मिलेंगे।

आंतरिक परीक्षा में बैकपेपर की सुविधा नहीं : शासनादेश में व्यवस्था दी गई है कि आतंरिक परीक्षा में बैकपेपर या इम्प्रूवमेंट की परीक्षा नहीं होगी। केवल पूर्ण सेमेस्टर को बैकपेपर के रूप में दोबारा देने की स्थिति में परीक्षा के साथ आंतरिक मूल्यांकन भी किया जा सकता है। हालांकि एक विद्यार्थी दो पूर्ण सेमेस्टर्स की संपूर्ण परीक्षाएं एक साथ नहीं दे सकेगा। विद्यार्थी को सम सेमेस्टर का बैकपेपर सम सेमेस्टर और विषम सेमेस्टर का बैकपेपर विषम सेमेस्टर में ही देने की सुविधा मिलेगा।


6.5 लाख प्राइमरी के शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा, बेसिक शिक्षा विभाग ने अगले 100 दिनों की कार्ययोजना में किया शामिल

Posted: 20 Apr 2022 05:28 PM PDT

6.5 लाख प्राइमरी के शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा, बेसिक शिक्षा विभाग ने अगले 100 दिनों की कार्ययोजना में किया शामिल

संस्कृत को रोजगार से जाएगा जोड़ा, शुरू होंगे डिप्लोमा पाठ्यक्रम, जानिए 100 दिन की कार्ययोजना

राज्य सरकार प्राइमरी व जूनियर स्कूल में पढ़ा रहे 6.5 लाख शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा की सुविधा देगी। इसे बेसिक शिक्षा विभाग ने अगले 100 दिनों की कार्ययोजना में शामिल किया है। 

⚫ प्रदेश में पांच 'लाइट हाउस आईटीआई' विकसित होंगी जो अंतराष्ट्रीय मानकों के आधार पर होंगी। 

🔵 यूपी बोर्ड में इंटरमीडिएट में नया पैटर्न 2025 तक और हाईस्कूल का नया पैटर्न 2023 में नया सत्र लागू होने से पहले किया जाएगा। 

🔴 सरकारी माध्यमिक स्कूलों में बायोमीट्रिक अटेंडेंस ली जाएगी।

सीएम योगी का आदेश, यूपी के सभी सरकारी स्कूल होंगे वाईफाई, बायोमीट्रिक से लगेगी हाजिरी


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को यूपी के सभी सरकारी स्कूलों में अगले 100 दिनों में वाईफाई की सुविधा देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों में एक-एक वेबसाइट और सभी छात्रों के लिए ईमेल आईडी होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी सरकारी स्कूलों में बायोमीट्रिक उपस्थिति शुरू की जाए। उन्होंने कहा कि करियर परामर्श पोर्टल 'पंख', ऑनलाइन निगरानी श्रेणीकरण और ई-लाइब्रेरी पोर्टल भी जल्द से जल्द विकसित किया जाए।

उन्होंने आगे कहा कि 10वीं बोर्ड के लिए नया परीक्षा पैटर्न 2023 तक लागू किया जाना चाहिए, जबकि कक्षा 12 की परीक्षा के लिए इसे 2025 से संरचनात्मक और प्रशासनिक सुधारों के लिए लागू किया जाना चाहिए। योगी ने ये निर्देश यहां शिक्षा क्षेत्र पर प्रस्तुतियों को देखते हुए दिए। उन्होंने कहा कि सीखने के परिणामों में सुधार लाने, नामांकन बढ़ाने और स्कूल छोड़ने की दर में कमी लाने के लिए एक कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए।

सीएम योगी ने कहा कि राज्य के लिए जल्द ही नई खेल नीति तैयार की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि संभागीय स्तर पर खेल महाविद्यालयों और खेल अकादमियों की स्थापना के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी शिक्षण संस्थानों में करियर काउंसलिंग सेल की स्थापना की जानी चाहिए। कक्षा 9 और 11 में इंटर्नशिप कार्यक्रम और रोजगारोन्मुखी शिक्षा के लिए काम शुरू होना चाहिए।

हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेज स्थापित करने की रणनीति करें तैयार

मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच साल में स्कूलों का मूल्यांकन और प्रमाणन शुरू किया जाए। योगी ने कहा कि पांच साल में अछूते इलाकों में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेज स्थापित करने की रणनीति तैयार की जाए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सभी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, रियल टाइम मॉनिटरिंग, स्टूडेंट ट्रैकिंग सिस्टम और इंटीग्रेटेड डेटा मैनेजमेंट सिस्टम होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगले दो वर्षों में संस्कृत शिक्षा निदेशालय की स्थापना की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि संस्कृत को प्रौद्योगिकी से जोड़ने की जरूरत है, उन्होंने कहा कि 180 घंटे का प्रमाणन और 360 घंटे का डिप्लोमा कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी शिक्षण पदों पर रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए और योग शिक्षकों के पदों पर नियुक्तियां की जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले पांच साल में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार लाया जाना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि 120 शासकीय महाविद्यालयों में ई-लर्निंग पार्क और अबैकस-यूपी के लिए नियम बनाकर 100 दिनों में पोर्टल शुरू किया जाए।  उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए आवेदनों के लिए एक पोर्टल होना चाहिए। 

जापानी भाषा सीखने और जापानी उद्योग को कुशल श्रमिक उपलब्ध कराने की जाए व्यवस्था

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि पांच सरकारी कॉलेजों और तीन राज्य विश्वविद्यालयों में इनक्यूबेटर शुरू किए जाएं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दोहरी डिग्री की अनुमति दी है, इसके लिए राज्य में रणनीति तैयार की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मां शाकुंभरी देवी विश्वविद्यालय (सहारनपुर), राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय (अलीगढ़) और महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय (आजमगढ़) का पहला चरण 2023 तक पूरा किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जापानी भाषा सीखने और जापानी उद्योग को कुशल श्रमिक उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने एक कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए व्यवहार्यता अध्ययन और भूमि की पहचान का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी छात्रों को स्कूल बैग, स्वेटर, जूते और मोजे खरीदने के लिए डीबीटी के माध्यम से धनराशि हस्तांतरित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रत्येक प्रखंड में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए।



राज्य सरकार प्राइमरी व जूनियर स्कूल में पढ़ा रहे 6.5 लाख शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा की सुविधा देगी। इसे बेसिक शिक्षा विभाग ने अगले 100 दिनों की कार्ययोजना में शामिल किया है। प्रदेश में पांच 'लाइट हाउस आईटीआई' विकसित होंगी जो अंतराष्ट्रीय मानकों के आधार पर होंगी। यूपी बोर्ड में इंटरमीडिएट में नया पैटर्न 2025 तक और हाईस्कूल का नया पैटर्न 2023 में नया सत्र लागू होने से पहले किया जाएगा। सरकारी माध्यमिक स्कूलों में बायोमीट्रिक अटेंडेंस ली जाएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत मंत्रिपरिषद के समक्ष बेसिक, माध्यमिक, उच्च, व्यावसायिक, प्राविधिक शिक्षा, खेल व युवा कल्याण विभाग ने बुधवार को अगले पांच वर्षों की कार्ययोजना रखी गई। इन लाइट हाउस आईटीआई में विशिष्ट कौशल मांग के अनुरूप छात्रों को प्रशिक्षित किया जाएगा। यह संस्थान अंतरराष्ट्रीय मानक के होंगे, जो भविष्य में इस क्षेत्र में बेंचमार्क इंस्टिट्यूट साबित होंगे।


स्वतंत्र संस्था करेगी मूल्यांकन

विभाग ने सभी सरकारी प्राइमरी स्कूलों में हर कक्षा के लिए न्यूनतम एक कक्ष और हर ब्लॉक में एक कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की स्थापना होगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि छात्रों के वर्तमान अधिगम स्तर का आकलन स्वतंत्र संस्था द्वारा कराया जाए। छह महीने के अंदर सभी छात्र-छात्राओं को यूनिफार्म समेत अन्य चीजों की धनराशि डीबीटी के माध्यम से दी जाए। दो वर्ष के भीतर सभी विद्यार्थियों को चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ा जाएगा।


कक्षा नौ से होगी इंटर्नशिप

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि दो वर्षों के भीतर संस्कृत शिक्षा निदेशालय का गठन और एकीकृत डाटा प्रबंधन प्रणाली लागू करने, स्कूलों में वाई फाई की सुविधा, सभी स्कूलों की वेबसाइट, सभी विद्यार्थियों की ईमेल आईडी, राजकीय स्कूलों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस शुरू करने के प्रयास हों। करिअर काउंसलिंग पोर्टल 'पंख' का विकास, विद्यालय ऑनलाइन अनुश्रवण, श्रेणीकरण और ई-लाइब्रेरी पोर्टल का विकास किया जाए। 


राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना होगी और पांच वर्षों के अंतराल पर स्कूलों का मूल्यांकन होगा। पांच वर्षों के भीतर सभी असेवित क्षेत्रों में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेज की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। सभी स्कूलों में एक स्मार्ट क्लासरूम, रियल टाइम मानिटरिंग, स्टूडेंट ट्रैकिंग सिस्टम और एकीकृत डाटा प्रबंधन प्रणाली की व्यवस्था लागू करने का लक्ष्य है।


120 महाविद्यालयों में बनेंगे ई लर्निंग पार्क

अगले सौ दिनों में 120 राजकीय महाविद्यालयों में ई-लर्निंग पार्क और अबेकस यूपी की नियमावली बनाकर पोर्टल की शुरुआत होगी। साथ ही निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के आवेदन के लिए ऑनलाइन पोर्टल, पांच राजकीय महाविद्यालयों और तीन राज्य विश्वविद्यालयों में इनक्यूबेटर्स भी शुरू होंगे। तीन नए राज्य विश्वविद्यालयों मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय सहारनपुर, राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़ और महाराजा सुहेल देव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ का पहला चरण मार्च 2023 तक पूरा होगा।


 संस्कृत में 180 घंटे का सर्टिफिकेट और 360 घंटे का डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। संस्कृत की पारंपरिक विद्या, कर्मकांड, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र और योग आदि क्षेत्रों में प्रशिक्षण देना, अर्चक और पुरोहित तैयार करने की दिशा में काम किया जाएगा।


10 हजार से ज्यादा निर्माण सेक्टर में प्रशिक्षित होंगे

कंस्ट्रक्शन क्षेत्र की जरूरतों को देखते हुए अगले छह माह में 10 हजार से अधिक प्रशिक्षार्थी को कंस्ट्रक्शन सेक्टर में प्रशिक्षित किए जाने पर सहमति बनी। वहीं दो वर्षों में राजकीय आईटीआई में इग्नू के लर्निंग सेंटर की स्थापना, सर्विस सेक्टर जैसे हाउस कीपिंग, हॉस्पिटैलिटी, वेयरहाउस, एकाउंटिंग इत्यादि में प्रशिक्षण में विशेष प्राथमिकता दी जाए।


स्टेट इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क तैयार होगा-

एनआईआरएफ की तर्ज पर स्टेट इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क बनेगा। अंतरराष्ट्रीय फार्मेसी व बायो इंजीनियरिंग रिसर्च संस्थान और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड अर्बन मैनेजमेंट की स्थापना होगी। जापान में उद्योगों के संचालन के लिए कुशल जनशक्ति की आपूर्ति और जापानी भाषा के अध्ययन की व्यवस्था व स्किल यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए भूमि का चयन करने के निर्देश दिए गए।


प्रदेश की अपनी खेल नीति

मुख्यमंत्री ने प्रदेश की अपनी खेल नीति के साथ मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन की शुरुआत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 100 दिनों में 1000 और दो वर्ष में 11,000 मंगल दलों का गठन किया जाए। कमिश्नरी स्तर पर स्पोर्ट कॉलेज, स्पोर्ट अकादमी की स्थापना होगी।मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय मेरठ का निर्माण कार्य में तेजी, कुलपति पद पर खेल जगत की प्रतिष्ठित व्यक्तित्व बनाए जाने पर सहमति बनी।



ये भी खास-

📍अभ्युदय योजना के तहत सभी 75 जिलों में कोचिंग
प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में ड्रोन टेक्नोलॉजी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, साइबर सिक्योरिटी, डाटा साइंस, मशीन लर्निंग जैसे विषयों का समावेश

📍हर शैक्षिक संस्थान में कॅरिअर काउंसिलिंग सेल का गठन
हर ब्लॉक में आईटीआई और राजकीय आईटीआई में स्मार्ट क्लास

📍राज्य आईटीआई की ग्रेडिंग और रैंकिंग सुनिश्चित
सभी ट्रेड्स के पाठ्यक्रमों का डिजिटल कंटेंट

📍पहले चरण में 25 हजार माध्यमिक और उच्चतर कक्षाओं के छात्रों का कौशल प्रशिक्षण

📍सौ दिनों में तीन रोजगार मेलों का आयोजन




लखनऊ । उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा के बाद माध्यमिक व प्राथमिक शिक्षा में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अनुपालन होने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा का नया पैटर्न 2023 का नया सत्र शुरू होने के पहले लागू करें। 12वीं में बोर्ड परीक्षा का नया पैटर्न 2025 तक लागू करने की जरूरत है, ताकि संरचनात्मक शैक्षणिक और प्रशासनिक सुधार का कार्य पूरा हो सके।


मंत्रिपरिषद के समक्ष शिक्षा विभाग की कार्ययोजना प्रस्तुतीकरण पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि पांच वर्षों के भीतर सभी असेवित क्षेत्रों में हाईस्कूल व इंटरमीडिएट कालेज की स्थापना के लिए अभी से रणनीति बनाकर कार्यवाही शुरू करें। सभी विद्यालयों में स्मार्ट क्लास रूम, रियल टाइम मानीटरिंग, स्टूडेंट ट्रैकिंग सिस्टम और एकीकृत डाटा प्रबंधन प्रणाली की व्यवस्था लागू होना चाहिए।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कक्षा नौ और 11 में इंटर्नशिप प्रोग्राम, रोजगारन्मुख कौशल शिक्षा और सर्टिफिकेशन, राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना की दिशा में कार्यवाही शुरू कराएं। साथ ही पांच वर्ष पर विद्यालयों का मूल्यांकन और सर्टिफिकेशन भी करें।


मुख्यमंत्री ने कहा कि दो वर्षों के भीतर संस्कृत शिक्षा निदेशालय का गठन करें। साथ ही शिक्षा में तकनीक के उपयोग को देखते हुए एकीकृत डाटा प्रबंधन प्रणाली लागू कराएं। अध्यापक पुरस्कारों के लिए मानकों में संशोधन करने पर विचार किया जाए।


सौ दिनों में राजकीय विद्यालयों में वाई फाई की सुविधा, सभी विद्यालयों की वेबसाइट, सभी विद्यार्थियों की ईमेल आइडी, राजकीय विद्यालयों में बायोमीट्रिक अटेंडेंस शुरू करने के प्रयास अभी से हों। करियर काउंसिलिंग पोर्टल 'पंख' का विकास, विद्यालय आनलाइन अनुश्रवण श्रेणीकरण और ई-लाइब्रेरी पोर्टल का भी विकास किया जाए।


उच्च शिक्षा संस्थानों में रोजगारपरक शिक्षा की बनाएं कार्ययोजना : मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में रोजगारपरक शिक्षा उपलब्ध कराने की कार्यवाही की जाए। सौ दिनों में 120 राजकीय महाविद्यालयों में ई-लर्निंग पार्क की नियमावली बनाकर पोर्टल का शुभारंभ करें। साथ ही निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के आवेदन के लिए आनलाइन पोर्टल, पांच राजकीय महाविद्यालयों और तीन राज्य विश्वविद्यालयों में इंक्यूबेटर्स का शुभारंभ करें।


2023 में पूरा कराएं तीन राज्य विश्वविद्यालयों के निर्माण का पहला फेज : मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन नए राज्य विश्वविद्यालयों मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय सहारनपुर, राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़ और महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ का प्रथम फेज मार्च 2023 तक पूरा कराएं। यूजीसी ने एक साथ दो डिग्री प्राप्त करने की स्वीकृति दी है। उसकी गाइडलाइन के अनुरूप यहां रणनीति तैयार की जाए।


संस्कृत को रोजगार से जोड़ें, शुरू कराएं डिप्लोमा पाठ्यक्रम : मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत को तकनीक के माध्यम से रोजगार से जोडऩे की आवश्यकता है। 180 घंटे का सर्टिफिकेट और 360 घंटे का डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू कराएं। आनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की ओर से प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जाए। संस्कृत की पारंपरिक विद्या, कर्मकांड, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र और योग आदि क्षेत्रों में प्रशिक्षण देना, अर्चक व पुरोहित तैयार करने की दिशा में कार्यवाही तेजी से आगे बढ़ाएं।


परिषदीय शिक्षकों को मिलेगी कैशलेस चिकित्सा सुविधा : मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि परिषदीय शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा की सुविधा से 100 दिनों में लाभान्वित कराएं। परिषदीय विद्यालयों में सत्र 2022-23 में दो करोड़ छात्र-छात्राओं के नामांकन का लक्ष्य लेकर नियोजित ढंग से कार्य करें। सभी छात्र-छात्राओं का शत प्रतिशत आधार पंजीकरण कराया जाए। बच्चे गणवेश में ही विद्यालय आएं।

 दो वर्ष में के भीतर प्रदेश में अध्ययनरत समस्त छात्र छात्राओं को चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम से जोडऩे की कार्यवाही की जाए। समस्त परिषदीय विद्यालयों में प्रत्येक कक्षा के लिए न्यूनतम एक क्लास रूम की स्थापना का लक्ष्य लेकर कार्य करें। हर ब्लाक में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की स्थापना के प्रयास हों।


ये भी अहम निर्देश

अभ्युदय योजना ने उत्तर प्रदेश के युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की मुफ्त और स्तरीय तैयारी के लिए अच्छा प्लेटफार्म दिया है। मंडल मुख्यालयों पर संचालित इन कक्षाओं को सभी 75 जिलों में विस्तार दिया जाए।प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों को समयानुकूल अपडेट किया जाना आवश्यक है। ड्रोन टेक्नोलाजी, इंटरनेट आफ थिंग्स, साइबर सिक्योरिटी, डाटा साइंस, मशीन लर्निंग जैसे अधुनातन विषयों का समावेश कर युवाओं को प्रशिक्षित किया जाए।वोकेशनल एजुकेशन में बाजार की जरूरत के अनुसार स्किल्ड युवाओं को तैयार किया जाना चाहिए।हर शैक्षिक संस्थान में यथासंभव कॅरियर काउंसिलिंग सेल का गठन होना चाहिए।आइटीआइ व पालिटेक्निक सहित अन्य तकनीकी संस्थाओं को ओडीओपी विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से जोड़कर समायानुकूल ट्रेड से जोड़ा जाए। अप्रेंटिसशिप योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार कर अधिकाधिक युवाओं को जोडऩे का प्रयास हो।एनआईआरएफ की तर्ज पर स्टेट इंस्टिट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क जारी किया जाए। इससे संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का भाव पैदा होगा। छात्र को दाखिला लेना हो या सेवायोजन कम्पनी प्लेसमेंट करना हो, संस्था का चयन करने में सुविधा होगी।प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय फार्मेसी एवं बायो इंजीनियरिंग रिसर्च संस्थान और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड अर्बन मैनेजमेंट की स्थापना के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाए।

राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों को अब पोर्टल से मिलेगा अवकाश

Posted: 20 Apr 2022 11:16 AM PDT

राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों को अब पोर्टल से मिलेगा अवकाश



 लखनऊ : प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों को मिलने वाली आधारभूत सुविधाओं, शिक्षकों व छात्रों का डाटा आदि अब एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट U ABACUS-UP पोर्टल के अधीन हो गया है। शासन ने इन संस्थानों के नौ अहम कार्यों का सत्यापन व अनुमोदन इसी पोर्टल से करने का निर्णय लिया है। यानी संस्थानों की ओर से इस प्लेटफार्म पर दी गई जानकारी ही उनकी बेहतरी का आधार बनेगी। राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों की गोपनीय आख्या शैक्षणिक कार्यों के लिए विदेश यात्रा की अनुमति पासपोर्ट, एनओसी व शैक्षणिक अवकाश आदि भी पोर्टल पर अपलोड डाटा के आधार पर ही मिलेंगे।



अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग ने सभी राज्य व निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति और निदेशक उच्च शिक्षा को भेजे आदेश में लिखा है कि प्रदेश स्तरीय पर अपडेट होंगे।


एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट पोर्टल पर सभी शिक्षण संस्थानों की ओर से आधारभूत सुविधाओं, शिक्षकों व छात्रों के डाटा को अपलोड व उनका सत्यापन किया जाना है। इस संबंध में नौ अगस्त 2021 को ही शासनादेश जारी हो चुका है। अब अहम कार्यों का सत्यापन व अनुमोदन पोर्टल पर अपलोड डाटा के माध्यम से ही होगा।


 इसके तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों का पढ़ाई छोड़ना और पुनः प्रवेश की प्रक्रिया देखी जाएगी। संस्थानों को रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्कीम के लिए विभाग की ओर से स्वीकृत किया जाने वाला अनुदान विश्वविद्यालय व महाविद्यालय के उन्हीं विभागों को दिया जाएगा, जिनका एनईपी के तहत नामांकित छात्रों व विभाग के शिक्षकों का डाटा पोर्टल पर अपलोड होगा। विभाग की ओर से स्वीकृत अनुदान उन्हीं विश्वविद्यालयों को मिलेगा जो पोर्टल

देश में ही करिये विदेशी विश्वविद्यालयों के कोर्स, मान्य होंगी डिग्रियां और सर्टिफिकेट

Posted: 20 Apr 2022 10:46 AM PDT

देश में ही करिये विदेशी विश्वविद्यालयों के कोर्स, मान्य होंगी डिग्रियां और सर्टिफिकेट

यूजीसी ने विदेशी संस्थानों के साथ साझा प्रोग्राम से जुड़े नियमों को दी अनुमति

उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को अब विदेश जाने की जरूरत नहीं, जल्द मिलेगा फायदा



नई दिल्ली उच्च शिक्षा : की गुणवत्ता को विश्वस्तरीय बनाने सहित छात्रों के विदेशों में होने वाले पलायन को थामने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत उच्च शिक्षा के लिए उन्हें अब विदेश जाने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि वह देश में रहकर दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ पढ़ाई कर सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसे लेकर प्रस्तावित रेगुलेशन को मंजूरी दे दी है। जिसमें देश का कोई भी शीर्ष विश्वविद्यालय अब दुनिया के किसी भी शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर साझा कोर्स शुरू कर सकेगा। हालांकि इसके लिए पहले दोनों विश्वविद्यालयों को एमओयू करना करना होगा। साथ ही संचालित कोर्स की यूजीसी को जानकारी भी देनी होगी।


यूजीसी चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने मंगलवार को पत्रकारों से चर्चा में इस संबंध में प्रस्तावित रेगुलेशन को मंजूरी देने की जानकारी दी। साथ ही बताया कि इसकी सिफारिश नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी ) में भी की गई है। इस रेगुलेशन के तहत विदेशी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर भारतीय विश्वविद्यालय तीन तरह से प्रोग्राम संचालित कर सकेंगे। पहला साझा प्रोग्राम होगा। इसमें दोनों संस्थानों के बीच एक ऐसा अनुबंध होगा, जिसमें किसी भी संस्थान में पढ़ने वाला छात्र बीच में कभी भी किसी कोर्स की पढ़ाई किसी भी संस्थान में जाकर कर सकेगा। इस दौरान दोनों ही संस्थान एक दूसरे कोर्स क्रेडिट एक दूसरे के साथ साझा करेंगे और मान्यता भी देंगे। हालांकि इनमें डिग्री वहीं संस्थान की मिलेगी,

जहां दाखिला लिया गया होगा।

इस रेगुलेशन का दूसरा अहम कदम ज्वाइंट डिग्री प्रोग्राम है, जिसमें कोई भी शीर्ष भारतीय विश्वविद्यालय किसी भी विदेशी विश्वविद्यालय के साथ ज्वाइंट कोर्स को संचालित कर सकेंगे। इसके लिए दोनों संस्थानों को पहले एक एमओयू करना होगा। इसके तहत कोर्स के 30 फीसद हिस्से की पढ़ाई विदेशी विश्वविद्यालयों में होगी। हालांकि जो डिग्री मिलेगी वह भारतीय संस्थानों की होगी। इसके साथ ही छात्रों को एक सर्टिफिकेट मिलेगा, जो विदेशी विश्वविद्यालय की ओर से जारी किया जाएगा। वहीं तीसरा दोहरा ( ड्यूअल ) डिग्री प्रोग्राम होगा। जिसमें कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय किसी भी शीर्ष विदेशी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कोर्स संचालित कर सकेगा। इनमें संबंधित कोर्स के 30 फीसद हिस्से की पढ़ाई विदेशी संस्थानों में होगी। यह नियम भारतीय और विदेशी दोनों ही विश्वविद्यालयों पर लागू होगा। साथ ही उस कोर्स को लेकर दोनों अलग अलग डिग्री जारी करेंगे। इनमें से एक कोर्स की दो डिग्री मिलेगी। इनमें एक भारतीय विश्वविद्यालय की होगी और दूसरे विदेशी विश्वविद्यालय की होगी। यूजीसी दोनों को ही मान्यता देगा।


होंगे तीन तरह के कोर्स

• पहला कोर्स में भारतीय और विदेशी संस्थान के बीच ऐसा अनुबंध होगा, जिसमें छात्र कभी भी किसी भी संस्थान में जाकर पढ़ सकेगा।

• दूसरा कोर्स ज्वाइंट डिग्री प्रोग्राम होगा, इसके तहत 30 फीसद कोर्स की पढ़ाई विदेशी विश्वविद्यालयों में होगी। डिग्री भारतीय संस्थानों की होगी। साथ ही सर्टिफिकेट विदेशी विश्वविद्यालय जारी करेगा।

• तीसरा कोर्स दोहरा डिग्री प्रोग्राम होगा। भारतीय विश्वविद्यालय व विदेशी विश्वविद्यालय साथ में कोर्स संचालित करेंगे। दोनों संस्थान अलग-अलग डिग्री जारी करेंगे।


नैक रैंकिंग में शीर्ष संस्थानों को ही मिलेगी अनुमति

यूजीसी चेयरमैन के मुताबिक विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर फिलहाल वहीं भारतीय विश्वविद्यालय इस तरह के कोर्स शुरू कर सकते हैं, जो नैक रैंकिंग में शीर्ष पर होंगे। यानी नैक रैंकिंग में 3 21 अंक हासिल करने वाले विश्वविद्यालयों को विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू की छूट रहेगी। इसके साथ ही इनमें क्यूएस रैंकिंग और एनआइआरएफ रैंकिंग में शीर्ष सौ संस्थान भी पात्र होंगे। वहीं सिर्फ उन्हीं विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ ही वह यह साझा प्रोग्राम चला सकेंगे, जो क्यूएस और टाइम रैंकिंग में शीर्ष सौ संस्थानों में होंगे। गौरतलब है कि मौजूदा समय में हर साल देश के लाखों छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते है।

यूपी : माध्यमिक शिक्षा के 30 हजार स्कूलों में चलेगा नवीनीकरण मिशन, वाईफाई से लैस होंगे स्कूल

Posted: 20 Apr 2022 07:28 AM PDT

यूपी : माध्यमिक शिक्षा के 30 हजार स्कूलों में चलेगा नवीनीकरण मिशन, वाईफाई से लैस होंगे स्कूल


माध्यमिक शिक्षा के 30 हजार स्कूलों में नवीनीकरण मिशन चलाया जाएगा। इसके तहत न केवल इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास दी जाएगी बल्कि वाईफाई की व्यवस्था भी होगी। पिछले वर्ष प्रोजेक्ट अलंकार के जरिए सरकारी स्कूलों की मरम्मत के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया था। इस बार नवीनीकरण मिशन में एडेड स्कूल समेत निजी स्कूल भी शामिल होंगे।


इस मिशन के तहत मानक अभी तय किए जाने हैं। भारतीय जनता पार्टी के लोक कल्याण संकल्प पत्र में माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों के भवनों की मरम्मत शामिल है। इस नवीनीकरण प्रक्रिया के तहत बुनियादी ढांचे का नवीनीकरण किया जाना है। इसके तहत ऑडियो-वीडियो प्रोजेक्ट के साथ स्मार्ट क्लास बनाई जाएगी। ऐसे स्कूलों में वाईफाई की व्यवस्था की जाएगी। हर स्कूल में पुस्तकालय बनाया जाएगा। जो स्कूल चुने जाएंगे उनमें कम्प्यूटर लैब, साइंस लैब व आर्ट रूम का निर्माण करेंगे।

अलंकार का शासनादेश जारी

प्रोजेक्ट अलंकार ऐसे स्कूलों के लिए चलाया गया था जिनके भवन 75 वर्ष से ज्यादा पुराने हैं।। इसमें अनुदान की राशि विद्यार्थियों की संख्या से तय की जाती है। 300 से 500 तक संख्या वाले स्कूलों को 25 लाख, 500 से 1000 तक की संख्या वाले स्कूलों को 50 लाख और 1000 से 1500 तक की छात्र संख्या वाले विद्यालय को 75 लाख दिया जाएगा। 1500 से 2000 तक बच्चों की संख्या वाले स्कूलों को एक करोड़ और इससे अधिक बच्चों की संख्या वाले स्कूलों को 1.25 करोड़ रुपये पुननिर्माण के लिए दिए जा रहे हैं।

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