दिव्य रश्मि न्यूज़ चैनल |
- अतीत की आईना है पुस्तक
- पुस्तके ज्ञान का भंडार
- वाह वाही लूटने लगे
- वीर कुँवर सिंह के विजयोत्सव पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई
- 24 अप्रैल 2022, रविवार का दैनिक पंचांग एवं राशिफल - सभी १२ राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन ? क्या है आप की राशि में विशेष ? जाने प्रशिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. प्रेम सागर पाण्डेय से |
- अभी स्वाद पानी का बचा हुआ है अपना
- मंदिर परिसर में 300 लोगों के बीच किया गया प्रसाद वितरण
- हरियाणा की छोरी ने कर दिया कमाल
- काशी में अब कचरे से बनेगा कोयला
- गोरखपुर में मेट्रो परियोजना पर 6 माह में शुरू होगा काम
- वेंकैया की यात्रा का सांस्कृतिक सन्देश
- विजयी भव का आशीष देकर गये शाह
- किसानों से संतों तक की फिक्र
- फ्रांस में 24 को तय होगा कौन बनेगा राष्ट्रपति
- इमरान के लेटर बम से पाक में हड़कम्प
- गुतारेस शांति की अपील करने जाएंगे मास्को
- दुनिया में भारत का महत्व और बढ़ा: जॉन्सन
- पृथ्वी
- बाबू वीर कुँवर सिंह का राष्ट्रवादी नायकत्व
- बूढ़ा राष्ट्रनायक बाबू कुँवर सिंह
| Posted: 23 Apr 2022 08:30 AM PDT
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| Posted: 23 Apr 2022 08:28 AM PDT
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| Posted: 23 Apr 2022 08:17 AM PDT
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| वीर कुँवर सिंह के विजयोत्सव पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई Posted: 23 Apr 2022 08:13 AM PDT वीर कुँवर सिंह के विजयोत्सव पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गईपटना, 23 अप्रैल 2022:- 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुँवर सिंह विजयोत्सव के अवसर पर आज वीर कुँवर सिंह आजादी पार्क मंे आयोजित राजकीय समारोह में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने उनकी आदमकद अश्वारोही प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री तारकिषोर प्रसाद, षिक्षा सह संसदीय कार्य मंत्री श्री विजय कुमार चैधरी, जल संसाधन सह सूचना एवं जन-सम्पर्क मंत्री श्री संजय कुमार झा, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्रीमती लेषी सिंह, श्रम संसाधन सह सूचना प्रावैधिकी मंत्री श्री जिवेष कुमार, विधान पार्षद श्रीमती कुमुद वर्मा, पूर्व सांसद श्रीमती मीणा सिंह, पूर्व मंत्री श्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, पूर्व मंत्री श्री विक्रम कुंवर, पूर्व महासचिव बिहार राज्य नागरिक परिषद् श्री अरविंद कुमार सहित कई अन्य राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बाबू वीर कुँवर सिंह की अश्वरोही प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग के कलाकारों द्वारा आरती पूजन, भजन कीर्तन, बिहार गीत एवं देशभक्ति गीतों का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के पष्चात् पत्रकारों से वार्ता करते हुये मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार ने कहा कि आज बाबू वीर कुँवर सिंह की याद में विजयोत्सव समारोह का आयोजन किया जाता है। बिहार में बहुत पहले से इस अवसर पर समारोह का आयोजन किया जाता रहा है जिसमें हमलोग शामिल होते रहे हैं। कोरोना के दौर से पहले बिहार में बाबू वीर कुँवर सिंह के विजयोत्सव के अवसर पर कई समारोह का आयोजन किया गया था। दो साल से कोरोना के दौर के बाद आज मुझे इस कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला है। आज इस कार्यक्रम में शामिल होकर मुझे खुशी हुई है। बाबू वीर कुँवर सिंह के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इस देश में 1857 में आजादी की लड़ाई सबसे पहले उन्हीं के नेतृत्व में लड़ी गयी थी। आजादी की लड़ाई लड़ने के दौरान बाबू वीर कुँवर सिंह देश के कई हिस्सों में गये। उस समय देश की सेना में योगदान दे रहे कई लोगों ने विद्रोह किया था और उन सबने इस लड़ाई में बाबू कुँवर सिहं का साथ दिया था। हमलोगों ने इन सब ऐतिहासिक बातों को लेकर कई कार्यक्रम का आयोजन बिहार में किया है। इस पार्क में बाबू कुँवर सिंह की प्रतिमा को हमलोगों ने स्थापित करवाया एवं इस पार्क का नामकरण भी उनके ही नाम पर वीर कुँवर सिंह आजादी पार्क किया गया। इस पार्क का काफी विकास किया गया है ताकि यहां आनेवाली नई पीढ़ी के लोगों को इनके योगदान के विषय में जानकारी मिल सके। देश वीर कुँवर सिंह की आजादी में इनकी भूमिका को हमलोगों ने स्कूलों के सिलेबस में भी शामिल किया है ताकि सबको जानकारी मिले कि बाबू कुँवर सिंह जी का इस देश के लिए कितना महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हमारी इच्छा शुरु से रही है कि बाबू वीर कुँवर सिंह के विजयोत्सव का आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए। बाबू वीर कुँवर सिंह ने आजादी की लड़ाई सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि देश के कई प्रदेशों में जाकर लड़ी थी। हम इस बात को काफी पहले से कह रहे हैं कि बाबू वीर कुँवर सिंह की याद में राष्ट्रीय स्तर पर समारोह का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि आजादी की लड़ाई में इनकी भूमिका के विषय में सबको जानकारी मिल सके। 80 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जख्मी होने के बाद भी वे लड़ते रहे, उन्होंने जीत हासिल की और देश के लिए अपना बलिदान दे दिया। उन्होंने कहा कि बाबू वीर कुँवर सिंह समाज के सभी तबकों को जोड़कर चलते थे। अगड़ी जाति, पिछड़ी जाति, दलित समाज, हिन्दू-मुस्लिम सभी को जोड़कर वे चलते थे, इस बस चीजों को लोगों को याद रखनी चाहिए। बाबू वीर कुँवर सिंह की याद में यूनिवर्सिटी का निर्माण पहले ही कर दिया गया था। हमलोगों ने उनकी याद में कई कार्य किये हैं। गंगा नदी में पुल का नामकरण भी उनके नाम पर किया गया है। कृषि महाविद्यालय का भी नामकरण उनके नाम पर किया गया। बाबू कुँवर सिंह के जन्मस्थान जगदीशपुर को विकसित किया गया है। जगदीशपुर में हमलोग जाते रहे हैं। इस अवसर पर यहां आकर मुझे काफी खुशी मिलती है। हमलोग बचपन से ही बाबू वीर कुँवर सिंह जी केे विषय में सुनते और जानते रहे हैं। राजद के इफ्तार पार्टी में शामिल होने को लेकर पत्रकारों के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका पॉलिटिक्स से कोई मतलब नहीं है। इस तरह की इफ्तार पार्टी में सबको आमंत्रित किया जाता है। सरकार की तरफ से भी हम शुरु से इफ्तार पार्टी का आयोजन कराते रहे हैं। उसमें सभी पार्टी के लोगों को बुलाते हैं। इसी तरह दूसरी पार्टी के लोग भी इफ्तार पार्टी का आयोजन करते हैं तो सभी पार्टी वालों को बुलाते हैं। कोई अगर मुझे बुलाता है तो हम जाते ही हैं। उन्होंने मुझे आमंत्रित किया था तो मैं वहां गया था।हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| Posted: 23 Apr 2022 08:05 AM PDT
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| अभी स्वाद पानी का बचा हुआ है अपना Posted: 23 Apr 2022 07:50 AM PDT
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| मंदिर परिसर में 300 लोगों के बीच किया गया प्रसाद वितरण Posted: 23 Apr 2022 07:44 AM PDT मंदिर परिसर में 300 लोगों के बीच किया गया प्रसाद वितरणजितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 23 अप्रैल :: पटना के कमला नेहरू नगर स्थित माता रानी के मंदिर परिसर में 300 से अधिक लोगों के बीच शुक्रवार को परसादी का वितरण किया गया। प्रसाद वितरण के पूर्व मंदिर के पुजारी ने विधिवत रूप से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की और आरती के बाद लोगों के बीच परसादी का वितरण किया गया। परसादी के रूप में पुड़ी और खीर का वितरण किया गया। मां के भक्त, मंदिर परिसर में मां की जयकारे लगाते रहे और सुख समृद्धि के लिए माता रानी से आशीर्वाद लिया। परसादी वितरण में समाजसेवी सुमित कुमार गोस्वामी (व्यवस्थापक), दीदीजी फाउंडेशन के संरक्षक प्रेम कुमार और संस्थापिका एवं समाजसेवी डा. नम्रता आनंद, श्याम की रसोई के संस्थापक चेतन थिरानी, मदन लाल गोस्वमी, सरोज गोस्वमी, प्रीति सिन्हा, नीता मोटानी, डा. शशि भूषण प्रसाद, मीना अग्रवाल सक्रीय थे। सुमित कुमार गोस्वमी ने बताया कि मंदिर परिसर में प्रत्येक शुक्रवार को लोगों के बीच परसादी का वितरण नियमित रूप से किया जायेगा। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| हरियाणा की छोरी ने कर दिया कमाल Posted: 23 Apr 2022 07:28 AM PDT हरियाणा की छोरी ने कर दिया कमाल
रोहतक। भारत की नई बैडमिंटन सनसनी उन्नति हुड्डा ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। महज 14 साल की उम्र में एशियन गेम्स और उबेर कप के लिए उन्नति हुड्डा का चयन हुआ है। भारतीय बैडमिंटन संघ ने राष्ट्रमंडल, एशियन गेम्स, थॉमस कप और उबेर कप के लिए भारतीय दल के खिलाड़ियों की सूची जारी की है। दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में 6 दिन तक चले ट्रायल में एशियन गेम्स के लिए चयनित होने वाली उन्नति हुड्डा सबसे कम उम्र की भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गई हैं। एशियाई खेलों और उबेर कप के लिए 10 सदस्य महिला टीम में पीवी सिंधु, आकर्षि कश्यप, उन्नति हुड्डा और अस्मिता चालिहा सिंगल मुकाबले खेलेंगे। इसके अलावा अन्य 6 खिलाड़ी डबल मुकाबले में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। भारतीय बैडमिंटन संघ ने जब खिलाड़ियों की सूची जारी की तो रोहतक के छोटूराम स्टेडियम में भी जश्न का माहौल बन गया। एक छोटे से शहर के सरकारी खेल स्टेडियम में प्रैक्टिस कर इस मुकाम को हासिल करना पूरे हरियाणावासियों के लिए गर्व की बात है। उन्नति ने महज 6 साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू किया था और आज 14 साल की उम्र में देश की नामी खिलाड़ियों में उसकी गिनती होने लगी है। उन्नति का कहना है कि उसका लक्ष्य है कि वह देश के लिए मेडल जीत कर आए। सीनियर खिलाड़ियों का उसे काफी सहयोग मिला है और खुशी इस बात की है कि अब यह उनके साथ मिलकर देश का प्रतिनिधित्व करेगी। छोटू राम स्टेडियम में प्रैक्टिस कराने वाले सरकारी कोच प्रवेश दहिया ने बताया कि उन्नति को सिर्फ यहीं पर कोचिंग दी गई है। सरकार की तरफ से सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं। सिर्फ प्रैक्टिस पार्टनर की कमी खलती थी, लेकिन उसे भी पूरा कर दिया गया, क्योंकि उन्नति लड़कों के साथ मैच खेलती है। हमने भी नहीं सोचा था कि उन्नति इतना बड़ा मुकाम हासिल करेगी और पूरे प्रदेश और पूरे देश का नाम रोशन करेगी। अगले महीने होने वाले उबेर कप में खेलने के लिए वह पहली बार विदेश में जाएगी। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| काशी में अब कचरे से बनेगा कोयला Posted: 23 Apr 2022 07:21 AM PDT काशी में अब कचरे से बनेगा कोयलावाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जल्द ही कचरे से कोयला तैयार करने वाला देश का अनोखा प्लांट लगाया जाएगा। वाराणसी में लगने वाले इस प्लांट से 300 टन कोयले का उत्पादन होगा। वाराणसी नगर निगम के सहयोग से एनटीपीसी वाराणसी में इस प्लांट को चलाएगी। वाराणसी के रमना में इसके लिए जमीन भी आबंटित कर दी गई है। जमीन आबंटन के बाद एनटीपीसी ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। माना जा रहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही इसका शिलान्यास करेंगे। वाराणसी में कचरे से कोयला बनाने वाले इस प्लांट के शुरू होने के बाद कोयले की तो आपूर्ति बढ़ेगी साथ ही शहर से निकलने वाले कचरे का निस्तारण भी हो सकेगा। जानकारी के मुताबिक इस प्लांट के निर्माण में करीब 150 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत बनारस में इस प्लांट के निर्माण के बाद मध्यप्रदेश के इंदौर और भोपाल में भी इस तरह का प्लांट लगाया जाएगा। वाराणसी के नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने बताया कि वाराणसी में लगने वाले इस प्लांट का संचालन एनटीपीसी करेगा और नगर निगम उनको हर रोज कचड़ा उपलब्ध कराएगी। इसको लेकर नगर निगम और एनटीपीसी के अधिकारियों के बीच समझौता भी हो चुका है। नगर आयुक्त ने बताया कि जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका शिलान्यास करेंगे और इसी साल के दिसम्बर महीने से ये प्लांट काम करना भी शुरू कर देगा। एनटीपीसी के अधिकारियों के मुताबिक, इस प्लांट को चलाने में करीब 600 टन कूड़े की आवश्यकता होगी। जिससे करीब 250 से 300 टन कोयले का उत्पादन होगा। लगभग 25 एकड़ में ये प्लांट लगेगा जो पूरी तरीके से इकोफ्रेंडली होगा। इससे आसपास के लोगों को किसी तरह की दुर्गंध या दूसरी दिक्कतों का सामना भी नहीं करना पड़ेगा। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| गोरखपुर में मेट्रो परियोजना पर 6 माह में शुरू होगा काम Posted: 23 Apr 2022 07:15 AM PDT गोरखपुर में मेट्रो परियोजना पर 6 माह में शुरू होगा कामलखनऊ। योगी आदित्यनाथ की सरकार गाजियाबाद, नोएडा, लखनऊ और कानपुर में मेट्रो रेल का संचालन करने के बाद अब कई और शहरों में भी मेट्रो रेल चलाने की तैयारी कर रही है। आगरा के लोग और यहां बड़ी संख्या में देश-विदेश से आने वाले पर्यटक शीघ्र ही मेट्रो रेल का आनंद ले सकेंगे। वहां निर्माण कार्य तेजी से जारी है। बताया जा रहा है कि 6 माह के भीतर गोरखपुर में मेट्रो लाइट परियोजना का काम शुरू हो जाएगा। जिन बाकी शहरों में मेट्रो रेल परियोजना प्रस्तावित है उनके लिए मेट्रो लाइट, मेट्रो परियोजना की डीपीआर भी तैयार कराने का निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिया है। पिछले दिनों नगर विकास सेक्टर से जुड़े चार विभागों के मंत्रिमंडल के समक्ष बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेट्रो एवं इलेक्ट्रॉनिक बसों के संचलन के बाबत कई निर्देश दिये। काशी, मेरठ, गोरखपुर, झांसी और प्रयागराज में मेट्रो रेल की सेवा शुरू करना योगी सरकार की मंशा है। प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस संबंध में जरूरी प्रक्रिया शुरू की जाए। बता दें कि 6 माह के भीतर गोरखपुर में मेट्रो लाइट परियोजना का काम शुरू हो जाएगा। जिन बाकी शहरों में मेट्रो रेल परियोजना प्रस्तावित है उनके लिए मेट्रो लाइट,मेट्रो परियोजना की डीपीआर भी तैयार कराने का निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिया। प्रदेश के जिन 14 शहरों में इलेक्ट्रॉनिक बसें चल रहीं हैं 100 दिन में उनकी संख्या दोगुनी करने और जरूरत के अनुसार जनता की सहूलियत के लिए नए रूट्सभी इनके संचलन के दायरे में लाए जाएंगे। सभी नगर निगमों में भी इलेक्ट्रॉनिक बसों की सेवा भी शीघ्र शुरू होगी। दरअसल, अव्यवस्थित यातायात उत्तर प्रदेश के की सबसे बड़ी समस्या है। जाम में फंसे तो यात्रा का सारा मजा किरकिरा हो जाता है। ऐसे में किसी की ट्रेन छूटती है तो किसी की फ्लाइट। इस दौरान प्रदूषण से होने वाला नुकसान अलग से। फिलहाल अगले कुछ वर्षों में प्रमुख शहरों की यात्रा सुखद, सुरक्षित और प्रदूषण मुक्त होगी। मेट्रो रेल और इलेक्ट्रॉनिक बसें इसका जरिया बनेंगी। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| वेंकैया की यात्रा का सांस्कृतिक सन्देश Posted: 23 Apr 2022 07:11 AM PDT वेंकैया की यात्रा का सांस्कृतिक सन्देश(डॉ. दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा) उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू की यूपी यात्रा सांस्कृतिक व वैचारिक रूप में महत्वपूर्ण रही। वह ट्रेन से अयोध्या व काशी पहुंचे थे। इन दोनों पौराणिक स्थलों का भव्यता के साथ विकास हो रहा है। निर्माण कार्य केवल धार्मिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इससे भी आगे बढ़ते हुए विश्व स्तरीय पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। हजारों करोड़ रुपये की विकास योजनाओं का क्रियान्वयन चल रहा है। अयोध्या में केवल श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य नहीं हो रहा है। बल्कि मेडिकल कॉलेज व अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी बन रहा है। कुछ वर्ष पहले तक अयोध्या के ऐसे विकास की कल्पना तक संभव नहीं थी। योगी आदित्यनाथ सरकार इसको चरितार्थ कर रही है। यहां पांच सौ वर्षों की उपेक्षा अब अतीत की बात हुई। ये बात अलग है सेक्युलर सियासत के दावेदारों को आज भी श्री राम जन्म भूमि से परहेज है लेकिन देश की राजनीति बदल चुकी है। इसमें छद्म पंथ निरपेक्षता के प्रति आग्रह कम हो रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भूमि पूजन में सहभागी हुए थे। गत वर्ष अगस्त में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यहां दर्शन करने आये थे। आज देश के उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने श्री राम लला के दर्शन किये। श्री रामजन्म भूमि के दर्शन हेतु पहुंचने वाले रामनाथ कोविंद पहले राष्ट्रपति व वेंकैया नायडू देश के पहले उप राष्ट्रपति है। वैंकेया नायडू व उनकी पत्नी ऊषा नायडू यहां चार घण्टे तक रहे। उन्होंने रामलला व हनुमानगढ़ी में दर्शन पूजन के साथ श्रीराम मंदिर के निर्माण कार्य का प्रजेंटेशन देखा। उप राष्ट्रपति ने मंदिर निर्माण कार्य को भी देखा। वहां कार्य कर रहे श्रमिकों व अन्य लोगों से भी उन्होंने संवाद किया। अयोध्या व काशी का आध्यात्मिक महत्व सर्वविदित है। इन तीर्थों की यात्रा आस्था के अनुरूप होती है। किंतु पिछले कुछ समय में इन दोनों स्थलों पर ऐतिहासिक कार्य हुए है। अयोध्या में पांच सौ वर्षों के बाद भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। काशी में ढाई सौ वर्षों के बाद भव्य धाम का निर्माण किया गया। इसके बाद यहां पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कुछ ही दिनों के अंतराल पर यहां नेपाल के प्रधानमंत्री व भारत के उप राष्ट्रपति सहित लाखों की संख्या में दर्शनार्थी पहुंचे है। इन सभी की प्रतिक्रिया लगभग एक जैसी थी। लगभग ढ़ाई सौ साल बाद नरेन्द्र मोदी व योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से यह स्थल भव्य दिव्य रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू दशाश्वमेध घाट पर काशी की विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में भी अपनी पत्नी ऊषा के साथ सहभागी हुए। इस अवसर पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल व उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक भी उपस्थित थे। सभी लोगों ने विधि विधान से पूजा अर्चना कर मां गंगा का दुग्धाभिषेक भी किया। उपराष्ट्रपति गंगा सेवा निधि की विशेष महाआरती,लयबद्ध गायन के बीच परम्परागत वेशभूषा में अर्चकों को देखते रहे। आरती के समय शंख और डमरूओं की ध्वनि भी गूंज रही थी। उपराष्ट्रपति व अन्य अतिथियों का काशी की परम्परा के अनुरूप हर हर महादेव के उद्घोष से स्वागत किया गया। उपराष्ट्रपति नायडू अपने दो दिवसीय वाराणसी दौरे पर शाम को अयोध्या से विशेष ट्रेन के द्वारा वाराणसी के बनारस रेलवे स्टेशन पर पहुंचे थे। यहां संस्कृति विभाग के कलाकारों ने भी भरतनाट्यम, अयोध्या रामरथ फरवारी नृत्य,गाजीपुर का धोबिया नृत्य,बुंदेलखंड का राई लोकनृत्य प्रस्तुत कर उपराष्ट्रपति का पारम्परिक ढंग से स्वागत किया गया। वेंकैया नायडू ने पत्नी एम उषा नायडू के साथ काशीपुराधिपति के भी दर्शन किये। ज्योतिर्लिंग का विधि विधान ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उपराष्ट्रपति ने षोडशोपचार विधि से अभिषेक किया। उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम के नव्य और भव्य विस्तारित स्वरूप का अवलोकन भी किया। उन्होंने काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव के दरबार में भी दर्शन पूजन किया। दूसरे दिन पड़ाव स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तिरसठ फुट ऊंची प्रतिमा पर श्रद्धांजलि दी। उपवन की दीवारों और भित्ति पर अंकित चित्रों के माध्यम से पंडित जी के जीवन दर्शन को जाना। उपवन परिसर में गोल्फ कार्ट से भ्रमण कर उप राष्ट्रपति ने दीनदयाल उपाध्याय के जीवन चरित्र पर बनी थ्रीडी फिल्म का अवलोकन किया। सत्रह मिनट की लघु फिल्म व मॉडल शो केश का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन करने के बाद,भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचना सुखद रहा। मां गंगा के पश्चिमी तट पर बसी यह नगरी विश्व के सबसे प्राचीन जीवित शहरों में से एक है। श्रद्धालुओं के मन में काशी के प्रति विशेष आस्था रहती है। यह स्वयं ईश्वर की भूमि है। यह संस्कृति और संस्कारों का स्थान है। काशी भक्ति और मुक्ति की भूमि है। बाबा विश्वनाथ की पावन नगरी के दर्शन करना सौभाग्य का विषय है। दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती अलौकिक लगती है। यहां अविस्मरणीय दैवीय अनुभूति होती है। जिसको शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि पुण्य सलिला गंगा उस भावनात्मक सूत्र का जीवंत प्रतीक है जो भारत की एकता को बनाता है। हिमालय से निकली,देश के एक बड़े भाग से होकर गुजरती हुई,यह बंगाल के सागर में जा कर समाहित हो जाती है। इस विशाल नदी के नीले पानी की लहरों में भारत की सांस्कृतिक एकता का रूप निखर आता है। नदियां मानव सभ्यता की जीवनदायिनी रही हैं। भगवान शिव का विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग, महादेव के पवित्रतम पीठों में से एक है। काशी विश्वनाथ मंदिर सिर्फ अपने आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के लिए ही विख्यात नहीं है बल्कि यह मंदिर भारतीय संस्कृति की अंतर्निहित शक्ति और उसकी जिजीविषा को भी प्रतिबिंबित करता है। काशी विश्वनाथ मंदिर हमारी सनातन परंपरा, हमारी आस्थाओं और आततियों के विरुद्ध हमारे संघर्ष का गौरवशाली प्रतीक है। कॉरिडोर निर्माण से काशी विश्वनाथ मंदिर से गंगा के तट तक पहुंचने का रास्ता सीधा और सुगम हो गया है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत श्रद्धालु पर्यटकों के लिए अनेक सुविधाएं बनाई गई हैं। इसमें पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, मुमुक्षु भवन, भोगशाला, नगर संग्रहालय, फूड कोर्ट आदि शामिल हैं। मंदिर का क्षेत्रफल जो पहले मात्र तीन हजार वर्ग फुट था, वह अब बढ़ कर लगभग पांच लाख वर्ग फुट हो गया है। अन्नपूर्णा मंदिर का भी अपना समृद्ध इतिहास है। सौ वर्ष पहले चोरी हुई प्रतिमा को मूल मंदिर में स्थापित कर दिया गया है। भगवान काल भैरव, जो भगवान शिव के ही रौद्र रूप हैं। वेंकैया नायडू ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से प्रेरित होकर की थी। काशी यात्रा के दौरान वह पड़ाव स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्थल पर भी गए। यहां उनकी तिरसठ फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। स्मारक में थ्री डी प्रदर्शन की सुविधा भी है। जिसके माध्यम से दीनदयाल जी की जीवनयात्रा को आभासी रूप से प्रस्तुत किया जाता है। वेंकैया नायडू ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय भारतीय संस्कृति और सभ्यता में रचे बसे थे। जिसके आधार पर ही उन्होंने अपनी एकात्म मानवतावाद की अवधारणा विकसित की। इसमें उन्होंने मनुष्य, समाज और प्रकृति की अंतर्निहित एकता प्रतिपादित की है। यह अवधारणा भारत की ज्ञान परंपरा से ही जुड़ी हुई है। समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए अंत्योदय का विचार, दीनदयाल जी के दर्शन के केंद्र में रहा है। वर्तमान सरकार उनकी प्रेरणा से वंचित वर्ग को विकास की मुख्य धारा में लाने का प्रयास कर रही है। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| Posted: 23 Apr 2022 07:04 AM PDT विजयी भव का आशीष देकर गये शाह(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा) विधानसभा चुनाव की तैयारियां मध्य प्रदेश में भी हो रही हैं। शिवराज सिंह चैहान ने वहां कमलनाथ से सरकार छीन ली थी लेकिन अब उसे बरकरार कैसे रखा जाएगा, इसका मंत्र केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह दे गये हैं। यह भी बताया जाता है कि अमित शाह ने शिवराज सिंह चैहान को विजयी भव का आशीर्वाद भी दिया है। इसका यह मतलब निकाला जा रहा है कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने पर चैहान ही मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे। अमित शाह की रैली में इसीलिए भाजपा ने कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी थी। इस रोड शो में कश्मीरी पंडितों को विशेष रूप से बुलाया गया था क्योंकि फिल्म कश्मीर फाइल्स के बाद कश्मीरी पंडित भाजपा से ज्यादा उम्मीद जता रहे हैं। द कश्मीर फाइल्स रिलीज के बाद कश्मीरी पंडितों का मुद्दा गरम है। भाजपा और कांग्रेस इस मुद्दे पर आमने-सामने भी हैं। उधर, कांग्रेस भी भाजपा को दुबारा सत्ता में आने से रोकने की पूरी तैयारी कर रही है। भोपाल में अमित शाह के रोड शो के दिन ही रतलाम में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बड़ी रैली की थी। इस रैली को सरकार के प्रति जनाक्रोश रैली का नाम दिया गया। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले अमित शाह ने पार्टी नेताओं को बूस्टर डोज इस रणनीति के तहत बीजेपी प्रदेश में बूथ से लेकर प्रदेश स्तर के कार्यक्रमों के सहारे खुद का विस्तार करने में लगी है। उससे साफ है कि 2018 के नतीजों में कांग्रेस से पिछड़ी बीजेपी अब अगले चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के साथ आगे बढ़ने की कोशिश में है और इसमें अमित शाह का बड़ा रोल होगा। अमित शाह जो नए कार्यक्रम जोड़े गए हैं वह इस बात का संकेत हैं कि बीजेपी मिशन 2023 का आगाज कर रही है। अमित शाह का दौरा सियासी मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। केंद्रीय गृहमंत्री ऐसे समय में भोपाल आए जब प्रदेश में चुनावों का सिलसिला शुरू होने वाला है। पंचायत, नगरीय निकाय और विधानसभा चुनाव सब होना हैं। बीजेपी इलेक्शन मोड पर आ चुकी है इसलिए पार्टी की तैयारियों से लेकर बड़े वोट बैंक को साधने के लिए अमित शाह का यह दौरा रखा गया। माना जा रहा है कि कभी कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक रहे दलित, आदिवासियों में बीजेपी अपनी पैठ लगातार मजबूत करने में लगी है। बीजेपी वन विभाग के बड़े आयोजन के सहारे खुद की जड़ें जमा रही है। भोपाल के जंबूरी मैदान में भले ही सरकारी आयोजन हो लेकिन प्रदेश के लाखों लाख तेंदूपत्ता संग्राहक को बोनस देने, वन ग्राम को राजस्व ग्राम घोषित करने समेत वनवासियों के अधिकारों में वृद्धि का ऐलान कर अमित शाह प्रदेश की सबसे बड़ी दलित आदिवासी आबादी को साधने की तैयारी में हैं। अमित शाह के भोपाल दौरे से कांग्रेस के अंदर भी हलचल तेज हुई। एक दिन पहले कमलनाथ ने पार्टी के 5 बड़े नेताओं के साथ बैठक कर खुद को एकजुट कर अमित शाह का काउंटर करने के प्लान पर चर्चा की है। कांग्रेस को पता है कि यदि एमपी में 2018 के नतीजों को दौहराना है तो बेहतर रणनीति और मजबूत प्लान तैयार करना होगा। यही कारण है कि कमलनाथ ने पार्टी के पुराने सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह, सुरेश पचैरी, कांतिलाल भूरिया, अजय सिंह, अरुण यादव को एक साथ लाते हुए पार्टी के फ्यूचर प्लान पर मंथन तेज कर दिया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के 22 अप्रैल को भोपाल दौरे के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। खास तैयारी उनके रोड शो के लिए थी। उनके स्वागत में किसी तरह की कोई कमी न रह जाए इसलिए संगठन से लेकर सरकार स्तर तक तैयारी की गयी। रोड शो के दौरान यहां रह रहे कश्मीरी पंडित भी शाह का स्वागत करने पहुंचे। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने दौरे से ठीक पहले भोपाल में रह रहे कश्मीरी पंडितों के साथ बैठक की। इस बैठक में रोड शो के दौरान अमित शाह का स्वागत करने के लिए रणनीति बनाई गई। फिल्म द कश्मीर फाइल्स के रिलीज के बाद से कश्मीरी पंडितों का मुद्दा गरम रहा है। बीजेपी और कांग्रेस कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को लेकर आमने सामने आ चुकी हैं। उधर, रतलाम में 22 अप्रैल को पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता कमलनाथ की बड़ी रैली हुई। यह रैली 2023 के चुनावी शंखनाद का मध्यप्रदेश में आगाज भी माना जा रहा है। रैली करने को लेकर बीजेपी कांग्रेस पर तंज कस रही है। जनआक्रोश रैली में कांग्रेस ने 40 हजार की संख्या में भीड़ जुटाने का दावा किया, तो इसे भाजपा ने हास्यास्पद बता दिया। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस का सभा पंडाल ही 10 हजार की क्षमता का है। उसमें भी कमलनाथ के आने की खबर मिलते ही कांग्रेस में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। जन आक्रोश रैली की रतलाम से शुरुआत करना भी हर किसी के लिए सोच से परे है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर प्रदेश में कमलनाथ ने भाजपा के खिलाफ जनआक्रोश रैली की शुरुआत के लिए रतलाम को क्यों चुना है। उधर, कांग्रेस इन सवालों को दरकिनार कर तैयारियों में लगी है। बीजेपी के जिला महामंत्री प्रदीप उपाध्याय का कहना है कांग्रेस पूरी तरह खत्म हो चुकी है। मध्यप्रदेश में अगले साल 2023 में विधानसभा के चुनाव होने है। ऐसे में चुनाव से पहले कांग्रेस के कमलनाथ ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहते जिनसे उनपर सवाल उठने लग जाएं। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ कांग्रेस नेताओं के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश में जुट गए हैं। इसके लिए कमलनाथ ने 20 अप्रैल को कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को डिनर पर बुलाया था। इस डिनर पार्टी में राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा को भी बुलाया गया। इसके अलावा दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचैरी भी इसमें शामिल हुए। दरअसल कमलनाथ मिशन 2023 की तैयारियों में जुट गए हैं। पिछले दिनों हुई बैठक में सर्वसम्मति से कांग्रेस के मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में कमलनाथ पर मुहर भी लगा दी गयी। अब कार्यकर्ताओं के बीच जमीनी स्तर तक समन्वय स्थापित करने की कोशिश में कमलनाथ जुट गए हैं, ताकि चुनाव के समय नेताओं के बीच समन्वय की चिंता से न जूझना पड़े। इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश में जुट गए हैं। इसी कड़ी में उनके द्वारा करवाए गए सर्वे ने कमलनाथ की चिंता बढ़ा दी है। सर्वे में कमजोर प्रदर्शन करने वाले लगभग दो दर्जन विधायकों का नाम सामने आया है। सभी को कमलनाथ ने चेतावनी जारी की है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब कमलनाथ के सामने समस्या काफी बड़ी है। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| Posted: 23 Apr 2022 06:58 AM PDT किसानों से संतों तक की फिक्र(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा) उत्तर प्रदेश में बदलाव के कई आयाम दिख रहे हैं। बुलडोजर का कार्नर अपनी जगह है लेकिन योगी आदित्यनाथ को किसानों से लेकर संतों तक की चिंता है। इसी संदर्भ में उनकी सरकार कुछ कदम भी उठा रही है। यूपी में दूसरी बार सरकार बनाकर योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि उनकी पार्टी ने प्रदेश की जनता से जो वादे किये थे, उनको पूरा किया जाए। किसानों की आय दोगुनी करने का वादा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले ही किया था। योगी आदित्यनाथ उस पर अमल कर रहे हैं। यूपी सरकार की तरफ से किसानों की आमदनी बढ़ाने के प्रयास प्रारम्भ कर दिये गये हैं। इसी के साथ समाज के सभी वर्गों की चिंता भी सरकार कर रही है। अभी पिछले दिनों राजधानी लखनऊ में जब पर्यटन विभाग का प्रजेन्टेशन किया जा रहा था, तभी योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के बुजुर्ग संतों, पुरोहितों और पुजारियों के लिए भी एक कल्याण बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए। अब तक यह वर्ग 'भगवान' भरोसे ही गुजर-बसर कर रहा है। पिछले दिनों दिल्ली के साथ अन्य राज्यों में भी साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास किया गया। इसके चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रत्येक गांव और शहरों में भी एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए महोत्सव आयोजित करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया है। प्रदेश के किसानों का 30 हजार करोड़ का कर्जा माफ करके ही योगी आदित्यनाथ ने सरकार का श्री गणेश किया था। अब दोबारा सत्ता संभालने के साथ ही यूपी सरकार की तरफ से किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। जिसके तहत किसानों की फसल खरीद के साथ-साथ अब मनरेगा के जरिये भी किसानों को लाभ पहुंचाया जाएगा। राज्य सरकार प्रदेश में पौधरोपण को बढ़ावा देने के साथ बागवानी से जुड़े किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी। इसके लिए उसने मनरेगा योजना से 150 हाईटेक नर्सरी बनाने की योजना तैयार की है। ग्राम्य विकास विभाग को 100 दिनों में नर्सरी (पौधशालाएं) स्थापित करने का प्रस्ताव बना लेने के लिए कहा गया है। सरकार की योजना इन पौधशालाओं में 22 करोड़ 50 लाख से अधिक पौधों को रोपित करने की है। प्रत्येक नर्सरी में 15 लाख पौधे रोपे जाएंगे। नर्सरी में रोपित फल, फूल और सब्जी के अच्छी गुणवत्ता के पौधे किसानों की आय के बड़े स्रोत बनेंगे। योगी सरकार नर्सरी (पौधशाला) सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए तेजी से काम कर रही है। योजना से पौधशालाओं से जुड़े किसानों के दिन बहुरेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत बनेगी। प्रत्येक जनपद में 02 पौधशालाएं बनाई जाएंगी। इनमें किसानों को फूल और फल के साथ सर्पगंधा, अश्रवगंधा, ब्राह्मी, कालमेघ, कौंच, सतावरी, तुलसी, एलोवेरा जैसे औषधीय पौधों को रोपने के लिए जागरूक किया जाएगा। देश में काफी किसान खेती के लिए कीटनाशक का बहुत बृहद रूप से प्रयोग कर रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी उस अनुसार नहीं हो रही, जिस अनुसार किसान मेहनत करता है। इसके लिए लगातार वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं कि किसानों को अच्छा मुनाफा हो सके और किसान आगे बढ़ सके। इसके जरिए किसान अपने खेत में फिरोमोन ट्रेप, यलो ट्रेप, ब्लू ट्रेप और लाइट आदि का प्रयोग करके अपनी खेती को लाभदायक बना सकते हैं और अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। इस बारे में कृषि विशेषज्ञ डॉ। प्रमोद कुमार से, जोकि सब्जी उत्कृष्टता केंद्र, घरौंडा में जैविक वैज्ञानिक हैं, ने बताया कि ट्रैप में एक कीप नुमा संरचना होती है, जिसमें पन्नी की एक लंबी ट्यूब बंधी रहती है। ऊपर एक छतरीनुमा संरचना लगी होती है, जिसमें मादा का ल्युस का कैप्सूल लगा देते हैं, जिससे नर कीड़े आकर्षित होकर इस फेरोमेन ट्यूब में गिर जाते हैं। इन्हें बाद में इकट्ठा कर लिया जाता है। इससे कीटों की संख्या बेतहाशा नहीं बढ़ पाती है और किसान का नुकसान ईटीएल से नीचे आ जाता है। इससे किसानों की फसल सुरक्षित रहती है। अगर इस जैव प्रक्रिया को और बेहतर बनाना है तो 15-15 दिनों के अंतराल पर नीम आयल का अपने खेतों में छिड़काव करना अत्यंत आवश्यक है। किसानों के साथ साधु-संतों की भी मुख्यमंत्री को फिक्र है। मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग के प्रेजेंटेशन के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रदेश के बुजुर्ग संतों, पुरोहितों और पुजारियों के लिए एक कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए। इसके साथ ही एकीकृत मंदिर सूचना प्रणाली विकसित करने का भी निर्देश मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस की तर्ज पर हर जिले का भी स्थापना दिवस मनाया जाए। योगी आदित्यनाथ ने रायबरेली में चुनवी जनसभा को संबोधित करते हुए ऐलान किया था कि चुनावी नतीजों के आने के बाद बीजेपी सरकार पुरोहित कल्याण बोर्ड का गठन करेगी। उन्होंने मंच से यह भी ऐलान किया था कि संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को विशेष छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ये छात्र आगे चलकर राष्ट्र और समाज निर्माण में अपना योगदान देंगे। अब उस पर अमल हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि हमें हिंदू होने पर गर्व है लेकिन साम्प्रदायिक सद्भाव भी रहना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश के प्रत्येक शहर और गांव में एकता और आपसी सौहार्द बढ़ाने के लिए महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। ताकि सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को सुदृढ़ किया जा सके। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रदेश में ऑनलाइन एकीकृत मंदिर सूचना प्रणाली को विकसित किया जाए। उन्होंने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सभी जिलों में पर्यटन और संस्कृति परिषद के गठन के निर्देश भी दिए। उल्लेखनीय है कि ब्रजवासी पंडा सभा के तत्वावधान में वृंदावन में तीर्थ पुरोहित परिवार पंजीकरण पर्व का शुभारंभ उत्साह के साथ किया गया जिसके तहत नगर में रह रहे समस्त तीर्थ पुरोहित पंडा समाज के लोगों की जनगणना की जाएगी, ताकि आगामी समय में सही ढंग से समाज के उत्थान और प्रगति की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।।अध्यक्ष श्यामसुंदर गौतम ने बताया कि वर्षों से वृंदावन में रह रहे पंडा समाज के लोगों को वर्तमान में अपनी वास्तविक स्थिति का अनुमान जनगणना के आधार पर ही लग सकेगा। इसी उद्देश्य से वर्षों से बिखरे तीर्थ पुरोहित परिवारों को एकजुट करने के लिए पंजीकरण का कार्य पंडा सभा द्वारा शुरू किया गया है। ब्रजवासी पंडा सभा के शताब्दी समारोह में देशभर से आए तीर्थ पुरोहितों ने वक्फ बोर्ड की तर्ज पर तीर्थाटन बोर्ड या मंत्रालय बनाए जाने के साथ ब्रज क्षेत्र को तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग की थी। साथ ही सरकार की ओर से तीर्थ पुरोहितों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाए जाने का आरोप लगाते हुए नाराजगी भी जताई थी। तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा था कि पंडा समाज का सम्मान सभा का दायित्व है। अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के संरक्षक महेश पाठक ने ब्रजमंडल को तीर्थ स्थल घोषित करने के साथ ही ब्रज चैरासी कोस के प्राचीन और पौराणिक स्थलों का संरक्षण करने की बात कही थी। योगी आदित्यनाथ की सरकार इस दिशा में भी ठोस कदम उठा रही है। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| फ्रांस में 24 को तय होगा कौन बनेगा राष्ट्रपति Posted: 23 Apr 2022 06:55 AM PDT फ्रांस में 24 को तय होगा कौन बनेगा राष्ट्रपतिपेरिस। फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव के लिए 24 अप्रैल को आखिरी राउंड की वोटिंग होगी। इस बार मैदान में राष्ट्रपति पद के लिए इमैनुएल मैक्रों और मरिन ले पेन के बीच मुकाबला है। नतीजे सोमवार तक आ जाएंगे। 2017 में भी इन दोनों ही उम्मीदवारों के बीच मुकाबला था। उस समय मैक्रों ने मेरिन को हराया था और राष्ट्रपति बने थे। इस बार चुनाव में फ्रांस के मुद्दों के साथ-साथ रूस-यूक्रेन की जंग का असर भी देखने को मिल रहा रहा है। हिजाब, मुस्लिम प्रवासियों को शरण देने, देश में बढ़ती महंगाई और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर पिछले लगभग पांच साल तक मैक्रों और मेरिन जनता के बीच जा रहे थे। लेकिन फरवरी के अंत में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद हालात बदल गए हैं।एक ओर मैक्रों के रूस विरोधी रुख को फ्रांसीसी जनता का समर्थन मिल रहा है। उन्हें रेस में बढ़त मिलती हुई नजर आ रही है, वहीं मेरिन ली पेन के राष्ट्रवादी तेवर फीके पड़ रहे हैं। अगर मैक्रों दूसरी बार जीतकर राष्ट्रपति बनते हैं तो वह ऐसा करने वाले दूसरे राष्ट्रपति होंगे।दरअसल, मैक्रों रूस-यूक्रेन जंग में खुले तौर पर यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं। साथ ही वे हिजाब और मुस्लिम शरणर्थियों को शरण देने के मामले में भी काफी नरमपंथी आए हैं। उन्होंने इसे फ्रांसीसी मूल्य बताया है। मेरिन का टीवी डिबेट में मुस्लिमों के प्रति कट्टर रवैया किसी को पसंद नहीं आ रहा है। पिछले चुनाव के मुकाबले मेरिन इस बार मैक्रों को टक्कर देती दिख रही है। इस बार के डिबेट में मेरिन शुरू से ही तैयार दिखीं। उन्होंने मैक्रों पर कई आरोप लगाए। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| इमरान के लेटर बम से पाक में हड़कम्प Posted: 23 Apr 2022 06:51 AM PDT इमरान के लेटर बम से पाक में हड़कम्पइस्लामाबाद। पाकिस्तान में इमरान खान के एक कथित लेटर पर विवाद है। शहबाज और मजीद के अलावा जॉइंट चीफ स्टाफ जनरल नदीम रजा, आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा, नेवी चीफ मोहम्मद अमजद खान नियाजी और एयरफोर्स चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर भी एनएससी की बैठक में शामिल हुए। इनके अलावा डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ, होम मिनिस्टर राणा सनाउल्लाह, इन्फॉर्मेशन मिनिस्टर मरियम औरंगजेब और विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी खार भी इसका हिस्सा रहे। एनएससी की मीटिंग के बाद जारी बयान में कहा गया- हमने फिर उस कथित लेटर की जांच की है। इसमें सरकार के खिलाफ विदेशी साजिश जैसी कोई बात नहीं है। विवादित लेटर या केबल का मुद्दा मार्च की शुरुआत में सामने आया था। इमरान जो कागज दिखा रहे थे, वो वास्तव में है क्या। पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट रिजवान रजी कहते हैं- यह कागज ब्लफ है, झूठ है और इसके सिवाए कुछ नहीं। कुछ महीनों पहले तक अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत थे असद मजीद। इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य और इमरान के खास दोस्त भी हैं। इमरान ने मजीद को एक मिशन सौंपा कि किसी तरह जो बाइडेन एक फोन इमरान को कर लें। यह हो न सका। फिर खान ने मजीद से कहा कि वो ये बताएं कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन इमरान सरकार और पाकिस्तान को लेकर क्या सोच रखती है। जवाब में मजीद ने एक बढ़ाचढ़ाकर इंटरनल मेमो लिखा। इसमें बताया कि व्हाइट हाउस को लगता है कि इमरान सरकार के रहते पाकिस्तान से रिश्ते बेहतर नहीं हो सकते। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| गुतारेस शांति की अपील करने जाएंगे मास्को Posted: 23 Apr 2022 06:47 AM PDT गुतारेस शांति की अपील करने जाएंगे मास्कोसंयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के अगले हफ्ते आमने-सामने बैठकर तत्काल शांति की अपील करने के लिए रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से अलग-अलग मुलाकात करने का कार्यक्रम है। विश्व निकाय ने यह जानकारी दी। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पुष्टि की कि गुतारेस 26 अप्रैल को रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव से मुलाकात करेंगे और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की मेजबानी करेंगे। बाद में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि गुतारेस राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से मुलाकात करने भी यूक्रेन जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र की प्रवक्ता एरी कानेको ने कहा कि दोनों यात्राओं पर गुतारेस का उद्देश्य उन कदमों पर चर्चा करने का है जो लड़ाई को खत्म करने और लोगों की मदद करने के लिए अभी उठाए जा सकते हैं। प्रवक्ता ने कहा, ''उन्हें इस बारे में बातचीत करने की उम्मीद है कि यूक्रेन में शांति लाने के लिए तत्काल क्या किया जा सकता है।' हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| दुनिया में भारत का महत्व और बढ़ा: जॉन्सन Posted: 23 Apr 2022 06:44 AM PDT दुनिया में भारत का महत्व और बढ़ा: जॉन्सननई दिल्ली। भारत यात्रा पर आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भारत और भारत के लोकतंत्र की जमकर तारीफ की है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि दुनिया में भारत की अहमियत और भी ज्यादा इसलिए बढ़ गई है कि भारतीय प्रशांत क्षेत्र भविष्य के नजरिए से तरक्की और ग्रोथ का केंद्र बन चुका है। भारत खुद को एक बेहद रोमांचक तरीके से इसके लिए तैयार कर रहा है। मेक इन इंडिया इस दिशा में अच्छा कदम है। यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थ भूमिका पर ब्रिटिश पीएम ने कहा कि हम इससे परेशान नहीं है। रूस की तानाशाही के चलते अब सभी देशों को एकजुट होकर काम करने की जरूरत है और इसमें भारत की भी अहम भूमिका है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारतीय लोकतंत्र की कुछ ब्रिटिश सांसदों द्वारा आलोचना से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि लोकतंत्र को लेकर किसी एक देश को दूसरे देश को उपदेश नहीं देना चाहिए। भारत एक अविश्वसनीय, असाधारण देश है। दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इससे भी ज्यादा, इस वक्त भारत की अहमियत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ चुकी है। दुनिया भारतीय प्रशांत क्षेत्र में भविष्य की ग्रोथ देख रही है। लोकतांत्रिक मूल्यों के रहनुमा के तौर पर भारत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि हम भारत से दोस्ती और सहयोग को मजबूत बनाना चाहते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थ नीति का जिक्र करते हए बोरिस ने कहा कि इससे हम परेशान नहीं है। भारत ने कई बार सख्त संदेश दिए हैं। लेकिन मैं पहले भी कह चुका हूं और एक बार फिर कहता हूं कि यूक्रेन में युद्ध छेड़कर व्लादिमीर पुतिन ने एक बहुत बड़ी गलती की है। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| Posted: 23 Apr 2022 04:28 AM PDT पृथ्वी- वेद प्रकाश तिवारी यह जो पृथ्वी है इसने नहीं दिया किसी को यह अधिकार कि कोई किसी का घर दे उजाड़ अगर ताकतवर का हर उसका बनाया नियम उसके पक्ष में ही जाता है तो जरा सोचो कि इस पृथ्वी से अधिक ताकतवर कौन है फिर भी यह मौन है और तुम हो कि इसके बनाए नियमों का बार-बार करते रहे उल्लंघन इसके कर्जदार हो तुम उधारी पर मिला है तुम्हारा यह जीवन यह जो पृथ्वी है इसकी ताकत को समझो मत इतराओ इतना अपनी ताकत पर पृथ्वी की नजरों में तुम केवल माटी हो मुट्ठी भर। वेद हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
| बाबू वीर कुँवर सिंह का राष्ट्रवादी नायकत्व Posted: 23 Apr 2022 04:09 AM PDT बाबू वीर कुँवर सिंह का राष्ट्रवादी नायकत्वपावन त्याग और अतुलित बलिदान की यशोभूमि का नाम है भारत वर्ष। शिशु अजय सिंह के बलिदान, साहिबजादा जोरावर सिंह व साहिबजादा फतेह सिंह का प्राणोत्सर्ग, शिशु ध्रुव के तप, शिशु प्रह्लाद की भक्ति, शिशु कृष्ण की बाललीला और वयोवृद्ध फौलादी बाबू वीर कुँवर सिंह की युद्धनीति तथा राष्ट्रवादी भावना का इतिहास में कोई सानी नहीं है। महाकाल की धार्मिक नगरी उज्जैन में पहले परमार वंश का सुशासन था। महाराज विक्रमादित्य की 58 वीं पीढ़ी के वंशज महाराज गणेश शाही के सुपुत्र राजा संतन शाही अपने यशश्वी पूर्वजों का पिंडदान (श्राद्ध) करने 14वीं शताब्दी के मध्य में 'गया' (बिहार) आए थे और वर्तमान भोजपुर (राजा भोज के वंशज होने के कारण यह नाम रखा गया) में बस गए और फिर डुमरांव राज्य की स्थापना की। राजा संतन शाही की सातवीं पीढ़ी के वंशज बाबू सुजान सिंह ने जगदीशपुर राज्य की नींव रखी और इनकी तीसरी पीढ़ी में बाबू साहबजादा सिंह हुए। ईस्ट इंडिया कम्पनी ब्रिटिश महारानी से आदेश लेकर सन् 1600 ई. में व्यापार करने भारत आई थी। फूट डालो और राज करो की नीति अपनाकर दुनिया में इतना विस्तार की कि इनके राज्य में सूर्य नहीं डूबता था। ऐसी ब्रिटिश हुकूमत के करपाश में फँसकर बाबू साहबजादा सिंह भी व्याकुल थे। ये बहुत ही वीर, स्वाभिमानी एवं उदार व्यक्तित्व के स्वामी थे। इनका विवाह राजकुमारी पंचरतन कुँवर के साथ हुआ था। 13 नवम्बर सन् 1777 ई. में इनके घर एक शिशु का जन्म हुआ जिसने बाबू वीर कुँवर सिंह के नाम से इतिहास की परम्परागत धारा को वृद्धावस्था में मोड़ दिया। ये चार भाई थे। बाबू अमर सिंह भाइयों में सबसे छोटे थे और साये की तरह इनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलते थे। बालक कुँवर सिंह अंग्रेजी हुकूमत के खूनी पंजें में जकड़े हुए देश को देख रहा था। ऐसे में यह राजकुमार न पाठशाला गया न इसे विद्यालयी शिक्षा रास आई। भविष्य के आगत संघर्ष को भाँपते हुए घुड़सवारी, तलवारबाजी, कुश्ती एवं निशानेबाजी में दक्षता हासिल करते हुए घर पर ही हिंदी, संस्कृत और फारसी का ज्ञान प्राप्त कर लिया। पिता की ही भाँति जाति, क्षेत्र और धर्म को मानवता के आड़े नहीं आने दिया जिसका परिणाम हुआ कि न केवल बिहार का भागलपुर और गया बल्कि उत्तर प्रदेश के पड़ोसी जनपदों में भी इनकी यशोकीर्ति बढ़ती गई। पिता महाराज की मृत्यु के उपरान्त सन् 1827 ई. में बाबू कुँवर सिंह का राज्याभिषेक किया गया। 50 वर्ष की अवस्था में उनका राज्याभिषेक तलवार की धार पर चलने जैसा था। फिरंगी हुकूमत की मनमानी और राज्य संचालन में दिनोदिन बढ़ता हस्तक्षेप कुँवर के हृदय में काँटे की तरह चुभता था। इसके बावजूद भी ये अंग्रेजों से मधुर सम्बंध का दिखावा करते थे और जनकल्याण से सम्बंधित जटिल से जटिल कार्य चुटकियों में करा लेते थे। राज्य की मूल आवश्यतकता के अनुरूप कई पाठशालाएँ एवं मकतब बनवाये। कुएँ, जलाशय एवं तालाब खुदवाए तथा आरा-जगदीशपुर एवं आरा-बलिया मार्ग का भी निर्माण करवाया। इनके राज्य में न सिर्फ हिंदू बल्कि मुसलमानों को भी योग्यतानुसार पद प्राप्त थे। इब्राहिम खाँ एवं लियाकत अली इनकी सेना में उच्च पदों पर कार्य करते थे तो मैकू सिंह सेनापति के पद पर आसीन थे। नारी जाति की इज्जत करना इनके संस्कार का हिस्सा था। एक नर्तकी से इन्हें प्रेम हो गया तो ब्रह्मेश्वर मंदिर में विवाह रचाकर उसको पत्नी का सम्मानित दर्जा दिए। पीर अली को अंग्रेजों द्वारा अन्याय पूर्वक फाँसी दी गई तो इन्होनें अंग्रेजों के विरोध के बावजूद पीर अली की मजार बनवाई। ये किसानों के साथ सच्ची सहानुभूति रखते थे। लगान न दे सकने की दशा में माफ कर देते और अंग्रेजी हुकूमत की नाराजगी झेलते। छत्रपति शिवाजी को प्रेरणास्रोत मानते हुए उनकी गोरिल्ला युद्धनीति के अनुसार यहाँ सैन्य प्रशिक्षण भी होता था। भारत का गवर्नर जनरल बनकर लॉर्ड हार्डिंग सन् 1844 ई. में आया। यहाँ आने वाला हर फिरंगी अफसर पहले वाले की अपेक्षा अधिक कुटिल व अत्याचारी होता था। इसने भी अत्याचार को बढ़ावा ही दिया। न केवल राजाओं में बल्कि आम जनता में भी शासन के खिलाफ विद्रोह की भावना अँगड़ाई लेने लगी थी। बिहार का सोनपुर का मेला ऐसे लोगों के लिए सुरक्षित स्थान था। भागलपुर, गया के जमींदार खुशिहाल सिंह (बाबू खुशहाल सिंह के दो पुत्रों को फाँसी हुई थी और शेष दो पुत्र युद्धभूमि में शहीद हुए थे) और आरा के लोग भी गुप्त मन्त्रणा के लिए मेले में आते थे। यहीं से बाबू कुँवर सिंह जो उम्र के आठवें दशक में पदार्पण कर चुके थे, सर्वसम्मति से क्रांतिकारी दल के नेता मान लिए गए। अपने सीमित संसाधनों एवं मुट्ठी भर सैन्यबल के बावजूद भी गुलामी की कारा को तोड़ने का विचार दृढ़ होता जा रहा था। बूढ़ी धमनियों में क्षत्रित्व का लहू उबाल मार रहा था लेकिन अपनी सीमाओं का भी ख्याल था। अन्तत: इस जाँबाज ने शिवाजी के युद्ध कौशल को आजमाने का निर्णय लिया और लोगों को संगठित करने में रात- दिन एक करने लगे। सन् 1848 से 1856 तक लॉर्ड डलहौजी भारत का गवर्नर जनरल बनकर रहा। इसने आते ही कई अमानवीय फैसले थोपे। राज्यों को हड़पने के लिए इसने छल और बल लगाकर "हड़प नीति" लागू करने की कोशिश की। हड़प नीति के अनुसार "जिस राज्य में राजा का अपना पुत्र न हो वह राज्य राजा के बाद अंग्रेजों के आधीन हो जाएगा।" झाँसी सहित देश के कई राज्यों में अंग्रेजी हुकूमत के प्रति नफरत और विद्रोह की भावना पनपने लगी। सोया राष्ट्रवाद पुनः जागने के लिए मचलने लगा। दूसरी ओर भारत का गवर्नर जनरल बनाकर डलहौजी से भी खतरनाक लॉर्ड केनिंग की भारत में तैनाती हुई। मौसम जाड़े से निजात पाकर ग्रीष्म की ओर बढ़ रहा था। फिरंगियों की गंदी करतूतें कानाफूसी के जरिए सैनिकों के हृदय में आग धधका रही थी। कारतूस की खोल गाय और सुअर की चर्बी से बनी है, ऐसी चर्चा धुएँ की तरह फैल रही थी। बैरकपुर छावनी में 29 मार्च सन् 1857 को सैनिक मंगल पांडे ने खूनी विद्रोह कर दिया। आग में घी का काम किया समय से पूर्व 8 अप्रेल 1857 को मंगल पांडे को फाँसी का दिया जाना। यह खबर पूरे देश में फैलने लगी। परिणाम यह हुआ कि मात्र दो दिन बाद 10 अप्रेल 1857 को मेरठ छावनी में सोनिकों ने न केवल विद्रोह किया बल्कि राजधानी दिल्ली की ओर कूच भी कर दिए। अंग्रेजों के लिए यह सब अप्रत्याशित था। जब तक वे समझ पाते, विद्रोही सैनिक दिल्ली पहुँच चुके थे और 11 मई को बहादुर शाह जफ़र को भारत का बादशाह घोषित कर ताजपोशी कर दी गई। हमारे देश के वीर सपूत जिस ओर भी जाते, लाल-लाल लट्टुओं की तरह अंग्रेज चक्कर खाने लगते। हमारे वीरों के शौर्य को देखकर फिरंगी रास्ता छोड़कर भाग जाते। इस तरह क्रांति की ज्वाला देश व्यापी होने लगी। क्रांतिकारी अंग्रेजों की जेलों को तोड़कर कैदियों को आजाद करा लेते, फिर ये कैदी भी काफिले में जुड़ जाते। कारवाँ बड़ा और व्यापक होता जाता। सैनिक विद्रोह अब राजाओं/ जमींदारों की बगावत बनता जा रहा था। कमोबेश जनता भी जुड़ती जा रही थी। जगदीशपुर में घटी एक दुखदाई घटना ने इनके सब्र के बाँध को यकायक तोड़ दिया। हुआ यह कि कुछ ग्रामीण औरतें नदी में स्नानादि करने गई हुईं थीं। कायर अंग्रेजों ने घात लगाकर महिलाओं की इज्जत के साथ खेलना चाहा कि संयोगवश कुँवर सिंह वहाँ पहुँच गए। गोरों को हाथ आए अवसर को खोने का गम था तो कुँवर सिंह की लपलपाती तलवार कापुरुषों के खून की प्यासी हो गई। इस घटना ने वीर कुँवर सिंह और अंग्रेजी हुकूमत के बीच खुली दुश्मनी का ऐलान कर दिया। विद्रोह की लपटों से बिहार भी अछूता नहीं रहा। 12 जून 1857 को देवघर जिले के रोहिणी गाँव के सैनिक भी साहस का परिचय देते हुए विद्रोह कर दिए। बिहार का वीरोचित सुप्त ज्वालामुखी भड़क उठा। न सिर्फ युवा भुजाओं में भूचाल था बल्कि अस्सी साल का वयोवृद्ध नौजवान बाबू कुँवर सिंह की भुजाएँ फड़कने लगी थीं। सोन मेले में हुई मन्त्रणा अमली जामा पहनने को लालायित थीं। आरा-भागलपुर-गया अपनी उत्तेजना को बाबू साहब का आदेश मिलने तक काबू में रखा था। वर्षा की शुरुआत के साथ 25 जुलाई सन् 1857 को दानापुर की सैनिक टुकड़ी ने भी बाबू हरकिशन सिंह और रंजीत राम की अगुवाई में विद्रोह कर दिया। अंग्रेजी सेना के इन भारतीय सैनिकों में भी भारत माता का लहू उबाल मारने लगा। ये सैनिक अपने जननेता बाबू कुँवर सिंह की जयकार करते हुए विशाल सोन नदी को नाले की तरह रौंदते हुए आरा आ गए और अंग्रेजों पर टूट पड़े। बाबू कुँवर सिंह ने भी रणभेरी फूँक श्वेत घोड़े को एड़ लगा दी। कायर अंग्रेज भागने लगे और 27 जुलाई को बिना अधिक खून- खराबे के सारे कैदियों को आजाद करके आरा में यूनियन जैक को जमींदोज कर केसरिया ध्वज लहराने लगा। हमारे रण बाँकुरे आरा विजय की खुशियाँ मना ही रहे थे कि विषधर अंग्रेज फुँफकार उठे। 29 जुलाई को कैप्टन डनवर 500 यूरोपियन और हिंदुस्तानी फौज के साथ आरा आ धमका। अब कुँवर सिंह लगातार युद्धनीति को बदलने लगे और छापामार गोरिल्ला युद्धनीति से अंग्रेजी सेना को मजा चखाने लगे। इस युद्ध में कैप्टन डनवर मारा गया। विसेंट आयर की निगरानी में एक सेना की टुकड़ी इलाहाबाद जा रही थी। हार की खबर पाकर बक्सर से आरा-जगदीशपुर की ओर मुड़ गई। बाबू कुँवर सिंह द्वारा कराया गया वृक्षारोपण जंगल का रूप लेकर उनके लिए कवच बन गया था और अंग्रेजों के लिए भूल भुलैया। जंगल के गोपनीय रास्तों से अंग्रेज अनजान थे। बीबीगंज और बिहिया में घमासान युद्ध हुआ। फिरंगियों का सैन्यबल बहुत अधिक था अतः उस समय उनसे पार पाना समय गँवाने जैसा था इसलिए बाबू कुँवर सिंह अपने छोटे भाई के साथ जगदीशपुर से बाहर निकल आए। तत्पश्चात् अपने भाई बाबू अमर सिंह को जगदीशपुर की सुरक्षा का दायित्व सौंपकर उत्तर प्रदेश की ओर प्रस्थान किए। नोखा से होते हुए रामगढ़ आने पर इनके साथ में रामगढ़ की सेना भी जुड़ गई। इनका लक्ष्य अब न केवल जगदीशपुर बल्कि समस्त भारत से फिरंगियों को भगाना हो गया था। अब इरादा व्यापक राष्ट्रवादी हो गया था। इन्होंने समस्त भारतवर्ष के राजाओं का इस स्वातन्त्र्य समर में भाग लेने हेतु आह्वान भी किया। कानपुर, झाँसी, सतारा, कालपी, लखनऊ सहित शंकरपुर गढ़ के बाबू बेनी माधव सिंह (इनके सगे रिश्तेदार जिन्होंने 18 महीने तक फिरंगियों को अपने गढ़ में फटकने नहीं दिया था) ने भी युद्ध का बिगुल फूँक दिया। शंकरपुर गढ़ का यह रण बाँकुरा वाजिद अली शाह की ओर से उल्लेखनीय युद्ध लड़ा। बिहार से उत्तर प्रदेश में बनारस, मिर्जापुर, सोनभद्र, इलाहाबाद से रीवाँ होते हुए वीर कुँवर सिंह बाँदा पहुँचे। वहाँ से कालपी होते हुए लखनऊ आए। उसके बाद श्रीराम नगरी अयोध्या और फिर कानपुर पहुँचे। कानपुर में गोरों के साथ घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में महाराज पेशवा की ओर से बाबू कुँवर सिंह डिविजनल कमांडर के तौर पर युद्ध का सफलता पूर्वक संचालन किए। 29 नवम्बर 1857 के स्वर्णिम दिन में कानपुर में पेशवा के केसरिया ध्वज ने यूनियन जैक को रौदकर विजय हासिल की। ताट्या तोपे जैसा जाँबाज इस वृद्ध सरफरोश जी जाँबाजी को देखकर नतमस्तक हो गया। नाना साहब पेशवा सिंहासनारूढ़ हुए और बाबू कुँवर सिंह पुनः अपने अगले लक्ष्य अयोध्या की ओर बढ़े। घाघरा नदी के एक तट पर अली करीम 300 सैनिकों के साथ आ मिला तो दूसरे तट पर उनके भतीजे 1800 सैनिकों के साथ आ मिले। लखनऊ में बेगम हजरत महल ने इनका जोरदार स्वागत करते हुए "राजा" कहकर सम्बोधित किया। बेगम साहिबा ने बाबू साहब से यह भी वादा लिया कि आजमगढ़ की आन अब इनके हवाले है। वादा पूरा करते हेतु यह वीर आजमगढ़ का अतरौलिया युद्ध बहुत मजबूती के साथ लड़ा। फिरंगियों के छक्के छूटने लगे। 22 मार्च 1858 के दिन कर्नल मिलमैन को पीठ दिखाकर यहाँ से भागना पड़ा और इस तरह यूनियन जैक यहाँ भी धूल धूसरित हुआ। बाबू वीर कुँवर सिंह और भारत माता की जयकारों से गगन गूँज उठा। आजमगढ़ की पराजय ने गवर्नर जनरल लॉर्ड केनिंग को झकझोर कर रख दिया। जिसके राज में सूर्य नहीं डूबता था उस सूर्य को आजगढ़ में एक वृद्ध योद्धा द्वारा ग्रहण लग चुका था। लॉर्ड केनिंग पूरी ताकत झोककर भी आजमगढ़ का बदला लेना चाहता था। उसने कड़ी सैनिक कार्यवाही के आदेश दिए। इलाहाबाद से लॉर्ड कार्क और लखनऊ से ऐडवर्ड लुगार्ड ने अपनी- अपनी सेनाओं के साथ आजमगढ़ का रुख किया। वक्त की नजाकत को समझते हुए कुँवर सिंह ने अपनी सेना को दो भागों में बाँट दिया। एक टुकड़ी को आजमगढ़ की सुरक्षा में लगाकर, दूसरी टुकड़ी को अपने साथ लेकर गाजीपुर की ओर निकल आए। आजमगढ़ की सैन्य टुकड़ी को यह सख्त आदेश था कि जब तक कुँवर बाबू और उनके सिपाही पर्याप्त दूर न निकल जाएँ तब तक अंग्रेजों को पुल के पहले छोर पर ही रोककर रखना है चाहे लहू का कतरा कतरा ही क्यों न बहाना पड़े। ऐसा ही हुआ। समुचित जानकारी के बाद अचानक कुँवर-फौज पुल छोड़कर लापता हो गई और फिरंगी-फौज भौचक। फिरंगी यह भी नहीं समझ पाये कि भूखा शेर पुनः शिकार के लिए घात लगाकर आगे बैठा है। लुगार्ड को इसकी भनक लग गई और उसने ब्रिगेडियर डगलस को कुँवर सिंह के पीछे विशाल सैन्यबल के साथ लगा दिया। 17 अप्रेल को डगलस ने जोरदार आक्रमण किया लेकिन लगातार बदलती युद्धशैली से वह इस बार भी न केवल चूक गया बल्कि उसे काफी नुकसान भी झेलना पड़ा। बाबू साहब 20 अप्रेल को गाजीपुर के मन्नाहार गाँव में भव्य स्वागत समारोह में शामिल हुए। इस गाँव के सहर्ष सहयोग से पर्याप्त नावों की व्यवस्था हुई और खबर फैलाई गई कि 21 अप्रेल को बलिया से राजा साहब हाथी की सवारी करते हुए सेना सहित गंगा पार करेंगे। खबर मिलते ही बड़ी सेना के साथ डगलस बलिया में डेरा डालकर आने की प्रतीक्षा कर रहा था। इधर कुशाग्र बुद्धि के स्वामी बाबू कुँवर सिंह 22 अप्रेल को वहाँ से 7 मील दूर स्थित शिवपुर घाट पर आ पहुँचे। पहले अपने बहादुर जाँबाजों को नावों से गंगा पार करने का हुक्म दिए।जब सारी सेना तट छोड़कर आगे जा चुकी थी तब अंतिम नाव पर राजा साहब सवार होकर ज्यों ही आगे बढ़े कि डगलस मय सेना तट पर आ धमका। कायर ब्रिगेडियर डगलस के बंदूक से निकली गोली बाबू कुँवर सिंह की दाहिनी कलाई को भेदते हुए निकल गई। उस अद्भुत शेर ने पीछे मुड़ना नहीं सीखा था। वह हाथ बेकार होकर बाधक बन रहा था। इस अद्वितीय रण बाँकुरे ने अपने हाथ में तलवार लेकर जोरदार वार किया और घायल हाथ को माँ गंगा को समर्पित कर आगे बढ़ गया। दुनिया के इतिहास में ऐसी घटना न घटी थी और न घटेगी। ब्रिगेडियर डगलस हक्का- बक्का देखता रह गया। पुन: बिहार पहुँचकर 2300 किलोमीटर की दुरूह यात्रा करके, छः युद्ध लड़कर और एक भुजा खोकर भी यह बहादुर योद्धा लीग्रैंड के सेनापतित्व वाली अंग्रेजी सेना से जा भिड़ा। इस अंतिम निर्णायक लड़ाई में 23 अप्रेल सन् 1858 को जगदीशपुर में केसरिया ध्वज के चरणों में यूनियन जैक को लेटना पड़ा। अंग्रेज पराजित होकर भाग गए। घायल शेर बाबू कुँवर सिंह ने विजयश्री को गले लगाया। फौलादी हौसले का साथ अब घायल शरीर नहीं दे पा रहा था। गोली का जहर आहत जिस्म में फैलकर काया को निष्प्राण करने लगा था। इस शेर को विश्वास था कि इसके अनुज बाबू अमर सिंह के रहते हुए यह क्रांति ठंडी नहीं पड़ने वाली। भाई अमर सिंह से सुरक्षा का आश्वासन पाकर 26 अप्रेल सन् 1858 को यह शेर अनूठा इतिहास रचकर सदा के लिए सो गया। इस अपराजेय योद्धा के महाप्रस्थान के उपरान्त ही फिरंगियों ने चैन की साँस ली। सन् 1857/58 के काल खंड को जब इतिहास सैनिक विद्रोह बताता है तो यह कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि अंधे इतिहास ने इस महान योद्धा और भारत माता के सपूत को ठीक से देखा ही नहीं। सैनिक विद्रोह से शुरु हुई क्रांति राजाओं/जमींदारों से होती हुई जनक्रांति का रूप ले ली थी। यह जनक्रांति फिरंगियों के खिलाफ पूरे भारत में फैल गई थी। वीर सावरकर ने भी "1857 का स्वातन्त्र्य समर" में डंके की चोट पर इसकी पुष्टि की है। इसको जनक्रांति बनाने में बाबू कुँवर सिंह का योगदान सर्वप्रमुख था। इन्होंने अपने राज्य की सुरक्षा का मोह त्यागकर मध्यभारत के विभिन्न राज्यों में क्रांति का विगुल फूँका था। तभी तो इतिहासकार डॉ रामसरण ने इन्हें राष्ट्रीय एकता का प्रतीक माना है। सावरकर जी ने इन्हें 1857 के स्वातन्त्र्य समर का महानायक कहा है। इन्होंने अंग्रेजों से एक - दो नहीं बल्कि नौ महीनों में सात युद्ध लड़ा। इनकी जाँबाजी से हतप्रभ ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने लिखा, "उस बूढ़े राजपूत ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध अद्भुत वीरता और आन बान के साथ लड़ाई लड़ी। यह गनीमत थी कि युद्ध के समय कुँवर सिंह की उम्र 80 के करीब थी। अगर वे जवान होते तो शायद अंग्रेजों को सन् 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता।" आज का वर्तमान ऐसे वीर सपूत को अतीत में जाकर नमन करता है। डॉ अवधेश कुमार अवध हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें 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| बूढ़ा राष्ट्रनायक बाबू कुँवर सिंह Posted: 23 Apr 2022 04:06 AM PDT
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