नई दिल्ली /लख़नऊ कानपुर -(अलर्ट आपतक ब्यूरो ) बिल्लौर क्षेत्र चौबेपुर थाने के तहत 2 जुलाई की घटना ने जहां देश के कोने कोने तक बिकरू की चीत्कार मीडिया ने देश को दिखाई वहीं गैंगस्टर विकास दुबे के भागे इनामी सदस्यों का एक के बाद एनकाउंटर के बाद प्रमुख गैंगस्टर विकास एनकाउंटर ने कई कहानियों खोजों को जन्म दे दिया है।
अब सन्नाटे की बस्ती में तब्दील गावों बिकरू -
कभी था निर्मल गावों - |
Add caption -गैंगस्टर विकास दुबे का गावों बिकरू जहाँ विकास के कहने पर गिरप्तार करने आ रही 8 पुलिस वालों का बदमाशो ने एनकाउंटर किया - |
सुनसान गलियों में कानपुर के लिए गावों बिकरू चर्चा में आम है। पंडित विकास दुबे गैंगस्टर से जुडी जरायम की दुनिया में कानून के रखवालों की पेचीदगियां सजगता आभाव में नौबत की कहानी में कानपुर जिले का डिवीजन बिल्हौर के चौबेपुर थाना भी अचानक देश दुनिया में चर्चा के नक्से में आ गया है क्योंकि इस थाने का स्टाफ सहित थाना SO व् एक अन्य इंस्पेक्टर विकास दुबे के चहेते होने के कारण और इस घटना के कारक बनने के कारण जेल जा चुके हैं। इस क्षेत्र से जुड़े डीएसपी सहित 8 पुलिस वालों की मौत गैंगस्टर की गिरप्तारी के लिए सजगता और विश्वाश घात से पर्दा हटाता सजगता के लिए इतिहास बन गया है।
- गैंगस्टर विकास ने कहा था कि सीधे गोली मारना पुलिस को ताकि दोबारा आने की हिम्मत न पड़े- गैंगस्टर विकास सहयोगी शशिकांत ने गिरप्तारी में पुलिस को पूछताछ में जानकारी दी 2 जुलाई घटना की खौफनाक रात 8 पुलिस वालों की मौत कैसे हुई -का सच बताया कि बॉस पंडित विकास दुबे ने कहा था कि पुलिस को देखकर डरना नहीं है वो (पुलिस )कुछ कर पाएं, इसके पहले ही उन पर गोलियां दागनी शुरू कर देना। और यही हुआ भी। जब पुलिस की गाड़ियां रुकी और जैसे ही पुलिसकर्मी नीचे उतरे, तीन तरफ से छतों से गोलियां चलने लगीं। शशिकांत ने मीडिया के सामने कबूला है कि वह और उसके पिता प्रेम प्रकाश भी वारदात में शामिल थे और पुलिस वालों की हत्या की। प्रेम प्रकाश को पुलिस ने तीन जुलाई को ही मुठभेड़ में मार गिराया था।
शशिकांत ने बताया कि थाने से जब विकास के पास दबिश की सूचना आई, उस वक्त हम सभी विकास के घर में करीब 30 लोग मौजूद थे। कुछ लोग शराब पी रहे थे। खाने का भी काफी इंतजाम था,हमले के लिए इतने ही लोग और बुलाए गए।
विकास दुबे ने सभी को घर बुलाया और हमले के लिए तैयार किया। विकास ने तुरंत रास्ते में जेसीबी खड़ी करवाई की पुलिस की गाडी ना आ सके और अलग-अलग टीमें बनाकर तीन छतों पर खड़ा कर दिया। पुलिस दल के पहुंचते ही अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई।
बिकरू गांव में दो जुलाई की रात आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद गांव की गलियों में सन्नाटा पसरा है। सुबह से शाम तक नजर आती है तो असंख्य जवानों की सिर्फ पुलिस ही पुलिस पहरे में ।
शान्ति और अमन के लिए भी माहौल बनाने की पुलिस पुरजोर कोशिश में लगी पुलिस शायद इतनी जल्दी पुरानी चहलपहल ना ला सके क्योंकि 2 जुलाई के भयावह के ह्रृदय विदारक चितकारत्ने वाली 8 लोगों की मौत के बाद बिकरू ने भी विकास गैंगस्टर टीम के लोग एनकाउंटर में घर परिवार सहित जरायम पेशे में बर्बाद होते नतीजों को देख लिया।
इस गावों बिकरू को निर्मल पुरूस्कार मिलने की जानकारी मिली है। इतना भयावह काण्ड होने के बाद चर्चित अब इस गावों के निर्मल होने में शायद लम्बा वक्त लगे। क्योंकि लोग ह्रदय में जिसतरह के घाव लेकर बैठे हैं शायद इतना बड़ा वीभत्स कभी देखा हो लोगों ने। देश में करौना की मर के समय गावों में इस तरह का सन्नाटा शायद जरायम की दुनिया की वो आँखें और दिमाग नही होता जो भविष्य की हकीकत नही समझ पाते हैं। जितने दिन खालिया ऐश कर ली वही अपना है क्योंकि जरायम से पैसा जो आता है उसका दी एन्ड क्या होता है जिसे कोई इस्तेमाल ना कर सके।
विकास दुबे का इतिहास बताता हैकि उसने 17 साल की उम्र में अपराध से नाता जब जोड़ा तो उसे सन्नी देओल अभिनीत अर्जुन पंडित फिल्म किरदार जिंदगी जीने की ठानी जायेगा उस पर चल पड़ा। राजनीती में खूब पारी बदली और पैसा पावर संबंध का इस्तेमाल अपने शौक के लिए किया। गैंगस्टर समझता रहा की वह उनका इस्तेमाल कर रहा है जबकि उसे जिंदगी की शोहरत पैसा पावर की रप्तार में पता ही नहीं चला कि वह कहाँ इस्तेमाल हो रहा है। जिनके लिए वह एनकाउंटर करता है शायद वही उसका कैसे एनकाउंटर का माहौल दे देंगे इसका विश्वास ऐनवक्त पर धोखा इसकी हुनरबाजी को दी एन्ड कहकर इसका एनकाउंटर हो जाएगा जो की कानूनी जायज बन जायेगा क्योंकि वह पेशेवर अपराधी है ।
जरायम की दुनिया में चाहे जो भी सिकंदर हो जाए -चाहे कैसा भी संरक्षण हो मगर उसके द्वारा आकाओं को आँख दिखाते ही समझो उसका दी एन्ड होना ही होता है वो जिन साथियों के भरोसे कप्तान बनता है वो एक छोटी सी फौज भी भागते भागते सरकार की फौज से कितने दिन टिकेगी और थक कर बे मौत दुर्गति को प्राप्त होगी जहां परिवार बिखरता है -समाज में कोई सम्मान नहीं याद करने लायक कुछ भी तो नहीं अपराधी की जिंदगी चाहे दौलत से कुछ भी खरीद ले मगर वह सम्मानित पुरूस्कार नही होता जिसे बिना प्रायश्चित कोई भी ह्रदय से स्वीकार नही करता । जरायम की दुनिया में फरिस्ता भी अपराधी ही कहलाता है हर जगह उसे जरायम छोड़ने के बाद जवाब देते गुजरना पड़ता है उसके परिवार का तो जीना मुश्किल होता है किस किस को क्या जवाब दे। कहने का मतलब उसकी रोटी बोटी बे गारंटी होती है जिसका कोई भविष्य नही। यानी कीचड़ में पैर डालने का मतलब खुद को कीचड़ में डालो। यही इस घटना कर्म का नतीजा है।