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Friday, July 17, 2020

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Bhopal Samachar | No 1 hindi news portal of central india (madhya pradesh)


मध्य प्रदेश कोरोना: 10 जिले बेहद गंभीर, 47 जिलों में महामारी / MP CORONA UPDATE NEWS

Posted: 17 Jul 2020 07:14 AM PDT

भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के 'किल कोरोना अभियान' शिवराज की सेना कहां क्या कर रही है पता नहीं परंतु कोरोनावायरस मध्य प्रदेश के 47 जिलों (10 से ज्यादा एक्टिव केस) को अपनी जकड़ में ले लिया है। 10 जिले बेहद गंभीर (100 से ज्यादा एक्टिव केस) स्थिति में आ गए हैं। तेजी से संक्रमित होता भोपाल शहर आंकड़ों की रेस में इंदौर के साथ नजर आने लगा है। (इंदौर 1338, भोपाल 1009 एक्टिव केस) आबादी के हिसाब से ग्वालियर (782 एक्टिव केस) भोपाल और इंदौर से ज्यादा गंभीर सिचुएशन में नजर आ रहा है। इनके अलावा मुरैना, जबलपुर, खंडवा, खरगोन, शाजापुर, शिवपुरी और टीकमगढ़ (100 से ज्यादा एक्टिव केस) महामारी की चपेट में आ चुके हैं। 

MADHYA PRADESH CORONA BULLETIN 17 JULY 2020 

संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं, मध्य प्रदेश द्वारा जारी कोरोनावायरस मीडिया बुलेटिन दिनांक 17 जुलाई 2020 (शाम 6:00 बजे तक) के अनुसार पिछले 24 घंटे में 14282 सैंपल की जांच की गई जिसमें से 245 रिजेक्ट हो गए। 13578 नेगेटिव लेकिन 704 पॉजिटिव निकले। इसी के साथ मध्यप्रदेश में महामारी से पीड़ित नागरिकों की कुल संख्या 21082 हो गई है। पिछले 24 घंटों में 9 नागरिकों की मृत्यु कोरोनावायरस के संक्रमण से हो गई। कोविड-19 से मरने वालों की कुल संख्या 698 हो गई है। 387 नागरिक डिस्चार्ज किए गए। कोरोनावायरस से जंग जीतने वालों की कुल संख्या 14514 हो गई है। आज की तारीख में मध्यप्रदेश में 5870 नागरिक covid-19 से पीड़ित हैं। 

MP COVID-19 LATEST REPORT की खास बातें 

आज भी जांच किए गए कुल सैंपल से मिले पॉजिटिव की संख्या का औसत 4.9%, मध्य प्रदेश के सामान्य औसत 2.5% से लगभग 2 गुना है। 
मध्यप्रदेश में संक्रमित इलाकों की संख्या 2142 हो गई है। 
ग्वालियर में रिकॉर्ड तोड़ 162 पॉजिटिव मामले मिले। लिखना जरूरी हो गया है कि ग्वालियर कलेक्टर एवं एसपी आम नागरिकों को सोशल डिस्टेंसिंग एवं फीस माफ के लिए पाबंद करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो गए हैं। 
मुरैना में आज एक भी संक्रमित नागरिक नहीं मिला। अच्छी बात है। 
मध्य प्रदेश के 14 जिलों में आज 10 से ज्यादा नागरिक संक्रमित पाए गए। जबकि 3 जिलों में 100 से ज्यादा नागरिक पॉजिटिव दर्ज किए गए हैं। कुल मिलाकर 17 जिले आज संकेत दे रहे हैं कि यदि कोरोनावायरस से लड़ने का तरीका नहीं सीखा तो हालात और गंभीर हो जाएंगे।



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नाबालिग लड़कियों का रसूखदारों से रेप करवाने वाला, 2 दिन की रिमांड पर / BHOPAL NEWS

Posted: 17 Jul 2020 06:50 AM PDT

भोपाल। 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को रसूखदार लोगों की प्राइवेट पार्टी में अश्लील डांस करने, शराब पीने और यौन शोषण बर्दाश्त करने के लिए मजबूर करने का आरोपी प्यारे मियां आज भोपाल कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उसे 5 दिन रिमांड पर भोपाल पुलिस को सौंप दिया है। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को पता लगाना है कि अवयस्क लड़कियों का बलात्कार करने वाले रसूखदार लोगों के नाम क्या है और भोपाल में यह डांस बार कब से चल रहा था।

भोपाल पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम उसे गुरुवार को श्रीनगर से गिरफ्तार कर फ्लाइट से भोपाल लाई थी। रात को उसे अलग-अलग जगह ले जाकर पूछताछ की गई। उसके खिलाफ शाहपुरा, कोहेफिजा और श्यामला हिल्स पुलिस थानों में मामले दर्ज हैं। सांभर के सींग फ्लैट में मिलने से वन विभाग की टीम भी पूछताछ करने की तैयारी में है। 

विदेशी निवेश और दुबई में प्रॉपर्टी का पता लगाना है

प्यारे मियां पर मामला दर्ज होने के बाद पुलिस, प्रशासन और दूसरे विभाग लगातर उसकी संपत्तियों के बारे में पता लगा रहे हैं। ऐसे में अब तक की जांच में उसकी भोपाल के अलावा इंदौर और सीहोर में 40 से अधिक संपत्तियों के बारे में पता चला है। प्रशासन को आशंका है कि उसकी विदेशों में भी संपत्ति हो सकती है। खासतौर पर दुबई में। ऐसे में अब उसके दुबई कनेक्शन पर भी काम चल रहा है। अभी तक भोपाल में ही उसकी निशातपुरा, शाहपुरा, ऐशबाग, तलैया में तीन, सीहोर नाके के पास और श्यामला हिल्स में 2 संपत्तियां होने की जानकारी सामने आ चुकी है।

बाल आयोग ने पुलिस ने मामले की जानकारी मांगी

नाबालिगों के साथ हुए यौन शोषण के मामले में राष्ट्रीय बाल आयोग ने पुलिस को नोटिस देकर विभिन्न बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। आयोग ने पुलिस से पूछा है कि इस मामले में फॉरेसिंक जांच सुनिश्चित की गई है या नहीं। आरोपी के कॉल रिकार्ड के आधार पर अन्य बच्चों की पहचान की गई है या नहीं। आयोग के अध्यक्ष प्रिंयक कानूनगो ने बताया कि इसके लिए एसपी साउथ को 10 दिनों के अंदर प्रतिवेदन देने के लिए समय दिया है।

अब आगे यह होगा

बच्चियों के बयान दर्ज करने के साथ ही अगर कोई और सामने आता है, तो दूसरे मामले भी दर्ज हो सकते हैं। पुलिस आरोपी को उसकी संपत्तियों के सोर्स के बारे में पूछताछ करेगी। उसे घटना स्थल पर ले जाया जाएगा। इस मामलें में दूसरे विभाग जैसे वन विभाग और आयकर समेत अन्य विभाग भी आरोपी से पूछताछ करेंगे। 

जमानत मिलना मुश्किल

प्यारे में मियां पर नाबालिगों से यौन शोषण के साथ कई दूसरे मामले दर्ज हैं। अब तक तीन थानों में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। सभी मामलों में उसे अलग-अलग जमानत के लिए आवेदन करने होंगे। ऐसे में उसके जमानत पर बाहर आने की उम्मीद बहुत कम है। हालांकि वकील उसकी बीमारी को आधार बना सकते हैं। 

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भोपाल में कोरोना का कोहराम: आंकड़ा 4000 के पार, आज 115 पॉजिटिव / BHOPAL NEWS

Posted: 17 Jul 2020 06:30 AM PDT

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान की मोटिवेशनल स्पीच का असर प्रशासनिक महकमे पर पड़ रहा है या नहीं यह तो नहीं मालूम लेकिन कोरोनावायरस 100% मोटिवेट हो गया लगता है। शुक्रवार को 115 नागरिक पॉजिटिव निकले। इसी के साथ भोपाल में महामारी से पीड़ित नागरिकों की कुल संख्या 4091 हो गई है। एक्टिव केस 1123 हो गए हैं और यह भोपाल में मार्च से लेकर अब तक का सबसे हाई लेवल है। अब तक 129 की मौत हो चुकी है।

शुक्रवार को राजधानी में कोरोना के 115 नए मामले सामने आए। शहर की सबसे पॉश कालोनी अरेरा कालोनी में कोरोना से जुड़े हुए 5 लोग संक्रमित निकले। रवेरा टाउन से 1 व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इब्राहिमगंज से 1 व्यक्ति कोरोना संक्रमित निकला। फॉर्चुयन प्राइड गुलमोहर कालोनी से 2 लोग कोरोना संक्रमित निकले। सहयोग विहार बावड़िया कला से 2 लोग कोरोना संक्रमित निकले। नीलकण्ठ कालोनी से एक ही परिवार की दो महिलाएं कोरोना संक्रमित निकली। टीलाजमालपुर से 2 लोग कोरोना संक्रमित निकले। दुर्गा मंदिर नीलबड़ से 3 लोग कोरोना संक्रमित निकले। सीआरपीएफ कैंप बंगरसिया से एक जवान की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। हाउस ई 4 नंबर 225 से चार लोग कोरोना संक्रमित निकले।

बता दे कि लगातार कोरोना मरीजों की बढती संख्या के बाद एमपी में आंकड़ा 21 हजार के करीब पहुंच गया है। गुरुवार को 735 नए मामले सामने आए थे, जिसके बाद कुल संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 20378 हो गई थी। वहीं अबतक 689 की मौत हो चुकी है। मुरैना, ग्वालियर, इंदौर, भोपाल में स्थिति गंभीर बनी हुई है। कई जिलों में प्रशासन द्वारा लॉक डाउन भी लगाया गया है बावजूद इसके आंकडो़ं में कमी नही आ रही है।

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जबलपुर फिशरीज कॉलेज से मास्टर डिग्री भी होगी / JABALPUR NEWS

Posted: 17 Jul 2020 06:06 AM PDT

जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित वेटरनरी विश्वविद्यालय ने अनुसंधान के साथ शैक्षणिक गतिविधियों की रफ्तार बढ़ाने कई अहम कदम उठाए हैं, जिस पर विवि की बोर्ड समिति ने अपनी मोहर भी लगा दी है। विवि के फिशरी कॉलेज से अब विद्यार्थी यूजी के साथ पीजी कोर्स कर सकेंगे। जल्द ही फिशरी कॉलेज में मास्टर कोर्स शुरू होगा।   

दरअसल अभी तक कॉलेज से सिर्फ यूजी कोर्स ही होता था। मास्टर कोर्स के लिए विद्यार्थियों को विशाखापटनम या मुंबई जाना पड़ता था। अब वे जबलपुर फिशरी कॉलेज से मास्टर डिग्री भी कर सकेंगे। इसके साथ ही लगातार गिर रही फिशरी कॉलेज की साख को बचाने की कवायद शुरू हो गई है।

फिशरी कॉलेज से अब यूजी, पीजी के अलावा सर्टिफिकेट कोर्स भी किए जा सकेंगे। दरअसल विवि की बोर्ड बैठक में रखे गए 15 एजेंडे में इसे भी शामिल किया गया था, जिस पर बोर्ड के सदस्यों ने अपनी सहमति दे दी है। रोजगार गारंटी के तहत युवाओं को फिशरी के तीन माह का सर्टिफिकेट कोर्स कराया जाएगा। हालांकि फिशरी कॉलेज में कई प्रशिक्षण कार्यक्रम होते हैं, लेकिन इनकी जानकारी युवाओं तक नहीं पहुंचती। उल्टे फिशरी कॉलेज और विवि के विद्यार्थी और कर्मचारियों से ही सीट भर दी जाती है।


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मध्यप्रदेश में 24वें विधायक ने कमलनाथ का नेतृत्व अस्वीकारा, इस्तीफा दिया / MP NEWS

Posted: 17 Jul 2020 03:11 AM PDT

भोपाल। चुनाव जीत चुका विधायक आसानी से इस्तीफा नहीं देता। राजस्थान का ताजा घटनाक्रम इसका प्रमाण है लेकिन मध्यप्रदेश में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे लगातार जारी हैं। आज 24वें विधायक ने कमलनाथ को अपना नेता मानने से इनकार करते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। 

विधानसभा सचिवालय से समाचार प्राप्त हो रहा है कि बुरहानपुर जिले की नेपानगर सीट से कांग्रेस विधायक सुमित्रा कासडेकर ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस विधायक दल के नेता श्री कमलनाथ हैं। यदि लालच और खरीद-फरोख्त प्रमाणित नहीं कर सकते तो प्रत्येक इस्तीफे का सिर्फ एक ही तात्पर्य होता है, इस्तीफा देने वाले विधायक ने विधायक दल के नेता का नेतृत्व स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। 

26 सीटों पर होंगे उपचुनाव, कमलनाथ और कांग्रेस 90 पर 

मध्यप्रदेश में अब 26 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह की विशेष रणनीति से गठित विधायक दल में अब केवल 90 विधायक रह गए। हर जाता हुआ एक विधायक कांग्रेस पार्टी और कमलनाथ की प्रतिष्ठा पर नया दाग लगा जाता है। 114 में से 24 को गद्दार कहना अब उचित नहीं होगा। क्योंना यह मान लिया जाए कि कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं ने हाईकमान की तरफ से थोपे गए नेताओं को स्वीकार करना बंद कर दिया है।

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बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में शिफ्ट हो रहे हैं स्टूडेंट्स / INDORE NEWS

Posted: 17 Jul 2020 06:11 AM PDT

इंदौर। कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण स्कूल बंद है और स्कूल मैनेजमेंट बेतुके ऑनलाइन क्लासरूम चलाकर मनमानी फीस वसूली कर रहे हैं। इस सब से तंग पैरंट्स ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूल में एडमिशन कराना शुरू कर दिया है। यह संख्या बहुत बड़ी है, करीब 30 से 40%, क्योंकि पेरेंट्स को पता है कि कोरोनावायरस का संक्रमण अब पूरे साल रहने वाला है। बच्चों को जब ऑनलाइन एजुकेशन दिलवानी है तो फिर ऑफलाइन स्कूल की फीस क्यों दें। स्कूल वालों से तो ज्यादा अच्छा प्राइवेट ऑनलाइन एप पर पढ़ाया जाता है।

पत्रकार श्री उदय प्रताप सिंह की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकारी अहिल्याश्रम क्रमांक 1 स्कूल में पिछले वर्ष कक्षा नौवीं में 263 छात्रों ने प्रवेश लिया था। इसमें से 200 छात्र निजी स्कूलों के थे लेकिन ये उन निजी स्कूलों के थे, जहां कक्षा आठवीं के बाद कक्षा नौवीं नहीं संचालित होती थी। इस वर्ष कक्षा नौवीं के लिए अब तक 72 छात्र फॉर्म ले जा चुके हैं। इसमें से 50 छात्र ऐसे निजी विद्यालयों के हैं, जहां कक्षा आठवीं के बाद भी नौवीं कक्षा भी संचालित हो रही है। पिछले वर्ष इस स्कूल में कक्षा ग्यारहवीं में 175 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था जो निजी स्कूलों के थे। इसमें 168 छात्र ऐसे विद्यालयों के थे, जहां अगली कक्षा संचालित नहीं होती थी। इस वर्ष चार दिन में अब तक कक्षा ग्यारहवीं में प्रवेश के लिए 100 फॉर्म छात्र ले जा चुके हैं। इनमें से 96 छात्र ऐसे निजी स्कूलों से हैं, जहां अगली कक्षाएं संचालित होती हैं।

शासकीय अहिल्याश्रम क्रमांक 1 की प्राचार्य पूजा सक्सेना के अनुसार, प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के बाद हमारे पास एक दिन में 80 छात्रों के फोन आ रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार ज्यादा संख्या में निजी स्कूलों के छात्रों ने एडमिशन फॉर्म लिए हैं। इस बार निजी स्कूलों से करीब 50 फीसद छात्र सरकारी स्कूल में आने की तैयारी में हैं। कई परिवार आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से छात्रों को सरकारी स्कूलों में छात्रों को प्रवेश दिलवा रहे हैं।

शासकीय नूतन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, चिमनबाग के प्राचार्य मनोज खोपकर ने बताया कि इस बार कई अभिभावक अपने बच्चों के साथ आकर सरकारी स्कूलों को देख रहे हैं और सुविधाओं की जानकारी ले रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार हमारे स्कूल सहित सभी सरकारी स्कूलों में ज्यादा संख्या में प्रवेश होने की संभावना है।

शासकीय उमावि नंदाननगर के प्राचार्य राजू मेहरा के अनुसार, हमारे स्कूल में इस बार अभी तक निजी स्कूलों के 30 फीसदी छात्रों ने प्रवेश लिया है और अब भी कई छात्र आवेदन पत्र लेकर जा रहे हैं। इस बार पिछले साल के मुकाबले निजी के स्कूलों के छात्रों के ज्यादा प्रवेश होने की स्थिति बन रही है। 

केस-1: दुकान नहीं चल रही, बंद चल रहे प्राइवेट स्कूल की फीस नहीं भर सकते

बाणगंगा स्थित गोविंद कॉलोनी में रहने वाली रिया सेन ने दसवीं तक पढ़ाई निजी स्कूल में की और इन्हें इस बार 69 प्रतिशत अंक आए। इनके पिता लाल बाबू फर्नीचर का काम करते हैं। लॉकडाउन के कारण फर्नीचर का काम बंद रहा। बेटी को दसवीं तक निजी स्कूल में पढ़ाया। लॉकडाउन व कोरोना संक्रमण के कारण उनका काम काज अच्छा नहीं चल रहा। बजट इतना नहीं कि बेटी को निजी स्कूल में पढ़ा सके। इस वजह से अब उसका सरकारी स्कूल में प्रवेश करवा रहा है।

केस-2: चार बेटियां है, रोजगार नहीं है

बाणगंगा क्षेत्र में रहने वाली नंदिनी प्रजापत निजी स्कूल में पढ़कर दसवीं में 51 प्रतिशत अंक लाई। पिता मजदूरी करते हैं और मां घर में सिलाई मशीन चलाती हैं। परिवार में चार बेटियां हैं। मां रिंकी प्रजापत के अनुसार लॉकडाउन के कारण पति को तीन महीने तक घर पर रहना पड़ा तो सिलाई का कामकाज भी ज्यादा नहीं चल रहा। बेटियों की फीस भरना संभव नहीं। इस वजह से चारों बेटियों को निजी स्कूल से निकाल कर अब सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलवा रहे हैं।

केस-3 : 10th CBSE टॉपर ने सरकारी स्कूल में एडमिशन लिया

अरबिंदो हॉस्पिटल के पास रहने वाली शिवांशी निजी स्कूल में पढ़ते हुए कक्षा दसवीं में 90 प्रतिशत अंक से उत्तीर्ण हुई लेकिन अब ग्यारहवीं में उसे 15 किमी दूर सरकारी स्कूल में जाना होगा। शिवांशी की छोटी बहन दिव्यांशी को भी कक्षा नौवीं की प़ढ़ाई के लिए सरकारी स्कूल ही जाना होगा। शिवांशी के पिता फैक्टरी में काम करते हैं। लॉकडाउन के कारण तीन माह तक उन्हें घर पर रहना पड़ा और अब फिर से उनकी नौकरी शुरू हुई। उनकी मां निजी स्कूल में पढ़ाती थीं लेकिन स्कूल बंद होने से उनका काम भी बंद हुआ। इससे घर की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा। आर्थिक दिक्कतों के चलते मां-बाप अब दोनों बेटियों को 15 किमी दूर सरकारी स्कूल में पढ़ने को भेजने को मजबूर हैं।

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इंदौर को कोरोना मुक्त कराने 40 दिन की अखंड ज्योति एवं उपवास शुरू / INDORE NEWS

Posted: 17 Jul 2020 02:40 AM PDT

इंदौर। शहर में कोरोनावायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। प्रशासन जनता को दोष देने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा। लॉकडाउन तैयारी करने का अवसर हो सकता है परंतु समस्या का समाधान नहीं है। सिंधी समाज ने इंदौर शहर को कोरोनावायरस से मुक्त करने के लिए 40 दिन की अखंड ज्योति एवं उपवास शुरू कर दिया है।

जल और ज्योति के देवता से मुक्ति की प्रार्थना

सिंधी समाज का चालीस दिनी पर्व चालीहा गुरुवार से शुरू हुआ। कोरोना संक्रमण के चलते समाजजन ने भगवान झूलेलाल की आराधना घरों में रहकर ही की। इस अवसर पर जल और ज्योति के देवता भगवान झूलेलाल से दुनिया को कोरोना महामारी से मुक्ति और प्रदेश में अच्छी बारिश के लिए प्रार्थना की गई। झूलेलाल मंदिरों में कोरोना के चलते सांकेतिक आयोजन हुए।

इसके साथ ही अखंड ज्योति की पूजा-अर्चना के साथ व्रत-उपवास का क्रम भी शुरू हो गया। भारतीय सिंधु सभा के महामंत्री नरेश फुंदवानी ने बताया कि 16 जुलाई से 25 अगस्त तक सिंधी समाज द्वारा श्रद्धा व उल्लास से पर्व मनाया जाएगा। वैसे तो इस पर्व पर हर वर्ष समाजजन द्वारा मंदिरों में भगवान झूलेलाल के बहराणा साहब सजाकर भजन-कीर्तन किया जाता है। इस बार कोरोना महामारी के चलते और वर्तमान परिस्थितियों को देखकर मंदिरों में सांकेतिक रूप से प्रशासन के तय नियमानुसार भगवान झूलेलाल की आराधना की जा रही है। 

धरती पर नींद, शाकाहार और ब्रह्मचर्य के नियम का पालन

समाज के सुनील वाधवानी ने बताया कि इन 40 दिनों में भगवान झूलेलाल के चालीहा उपवास रखने वाले अनुयायी शाकाहार और ब्रह्मचर्य का संकल्प लेते हैं। साथ ही 40 दिन तक बाल नहीं कटाए जाते हैं। इसके अलावा बिस्तर के बजाय धरती या पटिये के आसन पर सोते हैं। माना जाता है कि अखंड ज्योति की पूजा-अर्चना करने से मनोकामना पूरी होती है। भगवान झूलेलाल की पूजा जल और ज्योति के रूप में की जाती है।

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DAVV INDORE: 10 डिपार्टमेंट के 34 कोर्स के लिए एंट्रेंस एग्जाम होगा / INDORE NEWS

Posted: 17 Jul 2020 02:20 AM PDT

इंदौर। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में एडमिशन प्रोसेस शुरू हो गई है। तय किया गया है कि 10 डिपार्टमेंट के 34 कोर्स में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को एंट्रेंस एग्जाम देना होगा। CET- कॉमन एंट्रेंस एग्जाम ऑनलाइन आयोजित किए जाएंगे। फिलहाल डेट अनाउंस नहीं की गई है लेकिन बताया जा रहा है कि मंथ ऑफ अगस्त के फर्स्ट वीक में गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी।

कुलपति प्रो. रेणु जैन की अध्यक्षता में गुरुवार को ईएमआरसी में सीईटी को लेकर बैठक हुई। इसमें आईएमएस, आईआईपीएस, लॉ, ईएमआरसी, कॉमर्स, जर्नलिज्म, फार्मेसी, अर्थशास्त्र समेत दस विभागों से संचालित 34 कोर्स में प्रवेश को लेकर चर्चा हुई। अधिकांश विभागाध्यक्षों ने प्रवेश परीक्षा को लेकर सहमति दी। बैठक में ऑनलाइन परीक्षा को लेकर रूपरेखा बनाई गई।

बताया जाता है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने 31 अगस्त तक परीक्षा करवाने के लिए विवि को तारीख दे रखी है। मगर विभागाध्यक्षों ने कोरोना पर नियंत्रण की स्थिति में ऑनलाइन परीक्षा का सुझाव दिया है। 15 अगस्त तक परीक्षा के विकल्प पर विचार किया जाएगा। सूत्रों के नुसार विवि ऑफलाइन परीक्षा पर भी मंथन कर रहा है।

मीडिया प्रभारी डॉ. चंदन गुप्ता का कहना है कि अगस्त के पहले सप्ताह में गाइडलाइन जारी होगी। इसमें ऑनलाइन-ऑफलाइन परीक्षा के बारे में उल्लेख किया जाएगा। हालांकि एजेंसी से बातचीत पूरी हो चुकी है। कोरोना को देखते हुए कुछ शहरों में प्रवेश परीक्षा करवाने पर अभी असमंजस है।

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ग्वालियर स्मार्ट सिटी में 210 पदों पर इंटर्नशिप ऑफर / MP GOVT JOB

Posted: 17 Jul 2020 02:03 AM PDT

भारत सरकार के ट्यूलिप इंटर्नशिप कार्यक्रम के अंतर्गत ग्वालियर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने आवेदन की तिथि और पोस्ट की संख्या में वृद्घि की है। शहर विकास योजनाओं से युवाओं को जोड़कर रियल टाइम अनुभव उपलब्ध कराने लिए ग्वालियर स्मार्ट सिटी ने विभिन्न विषयों पर नई 9 श्रेणियो में 201 पोस्ट पर आवेदन आमंत्रित किए हैं। स्मार्ट सिटी की सीईओ जयति सिंह ने बताया कि सभी पोस्ट के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इंटर्नशिप के लिए ऐसे युवा उम्मीदवार, जिनके अंतिम वर्ष के रिजल्ट को आए हुए 18 महीने से अधिक का समय नहीं हुआ है, वे 'ट्यूलिप' पोर्टल पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

इनके लिए युवा कर सकते हैं आवेदन

कंप्यूटर ऑपरेटर, सिविल इंजीनियर, एमआइएस एक्सपर्ट, अकाउंट एक्सपर्ट, लीगल एसोसिएट, सॉफ्टवेयर इंजिनियर, बेव डेवलपर, इलेक्ट्रिकल इंजिनियर, सिविल सर्वर के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 26 जुलाई तय की गई है। इंटर्नशिप पूरा करने वाले युवाओं को ट्यूलिप इंटर्नशिप सर्टिफिकेट दिया जाएगा। पूर्व में निकली 11 सीटों के लिए अब तक 97 युवा आवेदन कर चुके हैं। जिनकी चयन प्रक्रिया भी जारी है।

इंटर्नशिप के लिए ऐसे करें आवेदन

आवेदन करने के लिए युवाओं को ट्यूलिप पोर्टल की लिंक पर जाना है। लिंक पर जाकर युवाओं को रजिस्टर पर क्लिक करना है और उपलब्ध विकल्पों में अपनी श्रेणी का चयन करना है। इसके बाद संस्थान का नाम, नामांकन संख्या, नाम, ईमेल आईडी जैसे मूल विवरण भरकर खुद को पंजीकृत करना है।

साथ ही सत्यापन लिंक के लिए अपने ईमेल की जांच कर सत्यापन के लिए क्लिक करना है। ईमेल आइडी से लॉगिन कर पासवर्ड बनाना है। उपलब्ध विकल्पों की सूची से इंटर्नशिप कार्यक्रम का चयन कर आवेदन करना है। आवेदन की अंतिम तिथि के बाद चयनित युवाओं की सूची आनलाइन प्रदर्शित की जाएगी

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कमलनाथ मुझे बैठने को कुर्सी तक नहीं देते थे क्योंकि मैं दलित हूं: मंत्री इमरती देवी / MP NEWS

Posted: 17 Jul 2020 06:52 AM PDT

ग्वालियर। मध्यप्रदेश शासन की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती इमरती देवी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता सामंती विचारधारा के हैं और जातिगत भेदभाव करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब 'कमलनाथ मुख्यमंत्री थे और मैं उनकी कैबिनेट मंत्री, तब भी वह मुझे बैठने के लिए कुर्सी नहीं देते थे, क्योंकि मैं अनुसूचित जाति वर्ग से हूं।

मंत्री श्रीमती इमरती देवी गुना में दलित परिवार की पुलिस द्वारा पिटाई के मामले में कांग्रेस द्वारा भाजपा पर दलित विरोधी होने के आरोपों का जवाब दे रहीं थीं। श्रीमती इमरती देवी ने कहा कि ने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग पूरी तरह से भाजपा के साथ है। भाजपा ने वास्तविकता में अनुसूचित वर्ग के हित में कई कार्य किए हैं। इसका प्रमाण उपचुनाव में सभी को मिल जाएगा। उन्होंने बताया कि अनुसूचित वर्ग के लिए डबरा में 1 हजार आवासों का निर्माण किया जा रहा है।

कांग्रेसी यदि दलित हितैषी है तो 2 अप्रैल के प्रकरण वापस क्यों नहीं लिए

उन्होंने पूर्व मुख्य मंत्री कमल नाथ से सवाल किया कि कांग्रेस स्वयं को वोटों के खातिर स्वयं को दलित हितैषी बता रही है। अगर उन्हें इस वर्ग की इतनी चिंता थी तो सवां साल में 2 अप्रैल की हिंसा में दर्ज हुए प्रकरण वापस क्यों नहीं लिए?

कांग्रेसी यदि दलित हितैषी है तो फूल सिंह बरैया को राज्यसभा में क्यों नहीं भेजा

दिग्विजय सिंह के स्थान पर फूल सिंह बरैया को राज्यसभा क्यों नहीं भेजा? गुना की घटना के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान तत्काल एक्शन लेते हुए एडीजीपी, कलेक्टर व एसपी को हटा दिया है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उच्चस्तरीय कार्रवाई की जा रही है।

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मध्य प्रदेश: रेत माफिया ने ASI को चांटा मारा (वीडियो देखें), ट्रैक्टर-ट्रॉली छुड़ा ले गया / MP NEWS

Posted: 17 Jul 2020 06:11 AM PDT


भोपाल। कल गुना में पुलिस द्वारा एक दलित मजदूर की मारपीट का वीडियो वायरल हुआ था आज रेत माफिया द्वारा पुलिस की पिटाई का वीडियो वायरल हो रहा है। मामला मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले का बताया जा रहा है।

बताया गया है कि यह वीडियो मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले की विजयपुर तहसील के अंतर्गत गढ़ी चैक पाइंट का है। पुलिस ने यहां अवैध रूप से रेत परिवहन कर रही है एक ट्रैक्टर-ट्रॉली को रोक लिया था। रेत माफिया इसी से नाराज हो गया और मौके पर मौजूद सब इंस्पेक्टर को ना केवल थप्पड़ मारा बल्कि ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर अधिकार पूर्वक चला गया। मौके पर मौजूद दूसरे पुलिस अधिकारी ने रेत माफिया को घटनास्थल से जाने के लिए कहा। 

मजदूर पर लाठीचार्ज करने वाली पुलिस माफिया के सामने कमजोर क्यों 

सवाल यह उठता है कि गुना में मजदूर पर लाठियां बरसाने वाली मध्य प्रदेश पुलिस श्योपुर में रेत माफिया के सामने इतनी कमजोर क्यों नजर आ रही है। यदि कोई पुलिस अधिकारी को आग दिखाएं तो उसे धारा 151 के तहत बंद कर दिया जाता है, लेकिन माफिया ने सरेआम थप्पड़ मार दिया, पुलिस ने उफ्फ तक नहीं की। बात सिर्फ 1 जिले की नहीं है बल्कि पूरे मध्यप्रदेश की है। हालात लगभग सभी जगह एक जैसे हैं। यदि आप इस वीडियो को थोड़ा ध्यान से देखेंगे और हमलावर की आवाज सुनेंगे तो जवाब मिल जाएगा। वह गुस्से में आकर पूछ रहा है 'जब एंट्री ले ली है तो फिर क्यों रोका।' मध्य प्रदेश के देहाती क्षेत्रों में एंट्री का एक मतलब रिश्वत होता है।

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मांसाहारी जानवर हमेशा शाकाहारी जानवरों का शिकार क्यों करते हैं, दूसरे मांसाहारियों का क्यों नहीं / GK IN HINDI

Posted: 17 Jul 2020 01:34 AM PDT

एक बड़ी मजेदार बात जो हर किसी ने अपने स्कूल टाइम में पढ़ी है परंतु शायद गौर नहीं किया आज उसी की बात करते हैं। प्रकृति के जीवन चक्र को- जो हम सबने स्कूलों में पढ़ा है, मांसाहारी जानवर हमेशा शाकाहारी जानवरों का शिकार करते हैं। वह उन मांसाहारी जानवरों का शिकार भी नहीं करते जो उनसे कमजोर होते हैं। यानी जंगल का शेर अपने से कमजोर किसी भी मांसाहारी जानवर (सियार आदि) का शिकार नहीं करता जबकि अपने से ताकतवर और ज्यादा तेज भागने वाले शाकाहारी जानवरों का शिकार जरूर करता है। सवाल यह है कि वह ऐसा क्यों करता है। क्या उसे बचपन से ऐसी आदत डाल दी जाती है या फिर इसके पीछे प्रकृति का कोई विज्ञान है। आइए, समझने की कोशिश करते हैं:-

प्रसिद्ध महिला पत्रकार एवं ब्लॉगर अंजली शर्मा ने अपने एक लेख में बताया है कि बचपन में स्कूल में पढ़ी गई खाद्य श्रृंखला को याद कीजिए। इसके अनुसार, पेड़-पौधे सूर्य की रोशनी से अपना भोजन बनाते हैं। पेड़-पौधों को शाकाहारी जीव खाते हैं और आखिर में ये शाकाहारी जीव, मांसाहारी का भोजन बनते हैं। पेड़-पौधे सूर्य से जो ऊर्जा प्राप्त करते रहते हैं, वह भोजन श्रृंखला के जरिए तमाम जीवों तक पहुंचती है लेकिन यह ऊर्जा हर चरण पर कम होती जाती है। ऊर्जा के इन अलग-अलग स्तरों को ट्रोफिक लेवल कहते हैं। कोई भी शाकाहारी या मांसाहारी जीव किस ट्रोफिक लेवल में आता है, इसी पर उसके खान-पान का व्यवहार निर्भर करता है। उदाहरण के लिए 
  1. ट्रोफिक लेवल-1 में पेड़-पौधे आते हैं और वे सूर्य की रोशनी से उर्जा लेते हैं। 
  2. ट्रोफिक लेवल -2 पर कीट या अन्य शाकाहारी जीव आते हैं जो पेड़-पौधों से ऊर्जा लेते हैं। 
  3. ट्रोफिक लेवल-3 पर इन जीव-जंतुओं को खाने वाले मांसाहारी जीव आते हैं। 

यहां पर जानने वाली बात यह है कि ट्रोफिक लेवल-3 पर ऊर्जा का स्तर लेवल-2 की तुलना में कम होगा और लेवल-2 पर यह लेवल-1 से कम होगा। कहने का मतलब यह है कि खाद्य श्रृंखला या ट्रोफिक लेवल में आगे बढ़ते जाने पर भोजन से मिलने वाली ऊर्जा क्रमशः कम होती जाती है। इस व्यवस्था में अगर वे अपने ही ट्रोफिक लेवल के किसी जीव को खाएंगे तो उन्हें भोजन से मिलने वाली ऊर्जा की यह मात्रा और भी कम हो जाएगी और भरपूर भोजन करने के बाद भी मांसाहारी जीव ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह पाएगा। सरल शब्दों में यह कि अपनी आयु को पूरा जीने के लिए पर्याप्त भोजन की आवश्यकता है और पर्याप्त भोजन की परिभाषा सभी के लिए अलग-अलग है। अब एक और सवाल पैदा होता है और वह यह कि यदि बात ऊर्जा की ही है तो मांसाहारी जीव ऊर्जा के सबसे पहले स्तर यानी ट्रॉफिक लेवल 1 (वनस्पति) को अपना भोजन क्यों नहीं बना लेते हैं। यदि शेर को बचपन से घास (वनस्पति) खिलाई जाए तो क्या उसकी उम्र बढ़ जाएगी।

trophic level means पोषण स्तर

विदिशा मध्यप्रदेश में साइंस की टीचर श्रीमती शैली शर्मा ने बताया कि प्रत्येक पोषण स्तर पर 10 % ऊर्जा कम हो जाती है अर्थात शाकाहारी को मांसाहारी से 10 %अधिक ऊर्जा मिलती है। इन तीनों पोषण स्तरों के अतिरिक्त खाद्य श्रृंखला को शुरू करने वाले अपघटक तथा इसे खत्म करने वाले सर्वाहारी भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपघटको को प्रकृति के सफाई कर्मी कहा जाता है जो खाद्य श्रंखला की निरंतरता को बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

मनुष्य सर्वाहारी प्राणी है, शाकाहारी और मांसाहारी 

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मनुष्य एक सर्वाहारी प्राणी है जो आवश्यकता पढ़ने पर शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों प्रकार का बन सकता है अर्थात शेर से अधिक खतरनाक मनुष्य है आवश्यकता के लिए किसी को भी खा सकता है।

शेर भूखा होने पर भी घास क्यों नहीं खाता

प्रत्येक जीव की खाने पीने की आदतें  उसके शरीर संरचना पर मुख्यता पाचन तंत्र पर निर्भर करती है। शेर का पाचन तंत्र जुगाली करने वाले जानवरों जैसा नहीं है जो सीधे घास खाते हैं। इस कारण शेर घास नहीं खाता। शेर के शरीर में घास को पचाने के लिए अर्थात सैलूलोज को पचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है इस कारण वह घास नहीं खा सकता। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)

कोरोना के कारण मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र स्थगित / MP NEWS

Posted: 17 Jul 2020 02:07 AM PDT

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र स्थगित कर दिया गया है। यह फैसला राजधानी भोपाल में आयोजित सर्वदलीय बैठक में लिया गया। 

राजधानी भोपाल में सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं सज्जन सिंह वर्मा उपस्थित थे। इस बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र स्थगित कर दिया जाए। सत्र को स्थापित करने का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जाएगा। 

बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लिया गया फैसला 

बताया जा रहा है कि यह फैसला मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ रहे कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण लिया गया है। पिछले कुछ दिनों में मध्यप्रदेश में महामारी का प्रकोप तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया है। महामारी इंदौर एवं भोपाल से आगे निकलकर 6 से अधिक जिलों में फैलती हुई दिखाई दे रही है। मानसून सत्र के आयोजन पर सवाल उठ रहे थे। कई विधायक पहले ही संक्रमित हो चुके हैं। खतरा था कि यदि विधानसभा सत्र आयोजित किया गया तो संक्रमण बढ़ सकता है।

सेंट्रल एसी के कारण संक्रमण फैलने का खतरा: रामेश्वर शर्मा

विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर श्री रामेश्वर शर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण को लेकर केंद्र और राज्य सरकार ने कोविड-19 को लेकर गाइडलाइन जारी की है। मध्यप्रदेश की विधानसभा में सदस्यों के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं है, सेंट्रल एसी हॉल होने के कारण संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है। इस कारण से सत्र स्थगित करने का फैसला हुआ। 

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गुना कांड की जांच रिपोर्ट क्या आने वाली है सबको पता है: गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा / MP NEWS

Posted: 16 Jul 2020 11:09 PM PDT

भोपाल। मध्य प्रदेश के गुना में अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के नाम पर एक दलित मजदूर के परिवार पर किए गए लाठीचार्ज मामले में कड़ी कार्रवाई करने के बाद मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने यू टर्न लेते हुए कांग्रेस पार्टी पर हमले शुरू कर दिए हैं। गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने इस मामले में आज बड़ा बयान दिया। 

सबको पता है कि रिपोर्ट क्या आने वाली है: नरोत्तम मिश्रा

डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हम कोरोना महामारी पर नियंत्रण में जुटे हैं और कांग्रेस  झूठ और फरेब की राजनीति में जुटी है। दिल्ली से लेकर मध्यप्रदेश तक (राहुल गांधी से लेकर कमलनाथ तक) के कांग्रेस नेता भ्रामक ट्वीट करके प्रदेश का माहौल खराब कर रहे हैं। जांच दल गुना भेज रहे हैं जबकि सबको पता है कि रिपोर्ट क्या आने वाली है? 

दिग्विजय सिंह जी, वीडी शर्मा जी के सवालों का जवाब तो दे: नरोत्तम मिश्रा

गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस के नेता श्री दिग्विजय सिंह जी हमारे प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णु दत्त शर्मा जी द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब तो दे। बता दें कि कल ही सांसद श्री विष्णु दत्त शर्मा ने आरोप लगाया था कि विवादित जमीन पर अतिक्रमण करने वाला व्यक्ति दिग्विजय सिंह का नजदीकी है और कांग्रेस का कार्यकर्ता भी है। इतना ही नहीं श्री शर्मा ने यह भी कहा कि अतिक्रमणकारी कांग्रेस नेता ने एक साजिश के तहत अपने मजदूर को जहर खाने के लिए कहा। उनका टारगेट किसी की रक्षा नहीं है बल्कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण बनाए रखने की कोशिश है।

इस मामलें में आईजी, कलेक्टर एवं एसपी को हटा दिया गया है। एसआई सहित 6 पुलिस कर्मचारी सस्पेंड कर दिए गए हैं। मजेस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। घटना का वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें

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पुलिस या शासन को झूठी सूचना देना आईपीसी की किस धारा के तहत अपराध है, जानिए / ABOUT IPC

Posted: 16 Jul 2020 02:33 PM PDT

अक्सर कुछ लोगों का काम यह रहता है कि वह बैठे-बैठे पुलिस अधिकारी या किसी भी शासकीय विभाग में झूठी सूचना देते हैं। जिस बात को लेकर डिपार्टमेंट के आला अधिकारी मामले को संज्ञान ले लेते हैं और एक्शन में आकर कुछ कार्यवाही कर देते हैं। बाद में पता चलता है कि जिस व्यक्ति ने ये सूचना दी थी वह सही नहीं है, और गलत कार्यवाही हो गई। शासकीय अधिकारियों को इस प्रकार की झूठी सूचना देना भी एक दण्डनीय अपराध है जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 182 की परिभाषा:-

कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी को या पुलिस अधिकारी को ऐसी झूठी सूचना देगा जो सही नहीं है और अधिकारी उसे सही मानकर कार्यवाही कर दे और किसी अन्य व्यक्ति को क्षति या नुकसान हो जाए या होने की संभावना हो तब ऐसी सूचना देने वाला व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 182 में दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं।यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं।इनकी सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है। सजा- 6 माह की कारवास या एक हजार रुपए जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।

★धारा 118,119,120 से धारा 182 में अंतर जानिए।★

1. धारा - 118,119,एवं 120 गंभीर अपराध को छुपाना है।एवं मुख्य अपराध को छुपा कर  किसी अन्य अपराध को बता कर घटना को अन्जाम दिया जाता है।
2. धारा- 182 झूठी सूचना देना है किसी भी अपराध की किसी भी शासकीय अधिकारी को या पुलिस अपराधी को, यह असंज्ञेय अपराध है। 

उधारानुसार वाद:-इच्छाराम बनाम सम्राट वाद- आरोपी ने पुलिस में झुठी शिकायत दर्ज कराई की उसका घोड़ा भटक गया है जबकि वह उस घोड़े को पहले ही बेच चुका था। आरोपी की यह झुठी शिकायत दर्ज करने का वास्तविक उद्देश्य था कि घोड़े को खरीदने वाला व्यक्ति चोरी में पकड़ा जाए बस। आरोपी को न्यायालय दुआरा धारा 182 के अपराध के अंतर्गत दोषी ठहराया गया।
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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Posted: 16 Jul 2020 02:29 PM PDT

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इसको जानने के लिए मनुष्य का वर्गीकरण (classification) जानना होगा। मनुष्य स्तनपाई (mammals) प्राणियों में सर्वोच्च श्रेणी का जीव है। जीवों का ऐसा समूह जिसमें Monkey, apes, lemurs आदि आते हैं प्राइमेट्स कहलाते हैं।

मनुष्यों में पहले आइब्रो नहीं होतीं थीं

जब मनुष्य का विकास (evolution) हुआ तो उसमें कई प्रकार के परिवर्तन आए। कई प्रकार के अवशेषी अंग या (vestigial organs) या तो समाप्त हो गए या या उनका आकार बहुत छोटा हो गया। जैसे vermi form appendix, पूँछ, बाहरी कर्ण आदि। इसी क्रम में आइब्रोज भी आ गई जो कि विकास की प्रक्रिया का बहुत ही आवश्यक कदम था।

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😆😆आज के फैशन के दौर में आइब्रोज सुंदरता का एक सिंबल बन चुकी हैं |⚡️⚡️ बिना आइब्रोज के हम अपने चेहरे की कल्पना भी नहीं कर सकते। सुंदरता बढ़ाने के साथ-साथ यह चेहरे के हाव भाव यानी फैसियल एक्सप्रेशंस (facial expressions) को दिखाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अभिनय जगत में इसकी उपयोगिता को कोई भी नकार नहीं सकता।

Eyebrows की उपयोगिता का वैज्ञानिक कारण

चूँकि मनुष्य की आंखें बहुत ही नाजुक संवेदी अंग या (sense organ) हैं। इनकी सुरक्षा के लिए पलक यानी (eyelid), पलक पर उपस्थित बाल यानी (eyelashes) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परंतु क्या आप जानते हैं की आईब्रो के होने की वजह से हमारी आंखों तक सूर्य की रोशनी सीधे नहीं पहुंच पाती। जिससे हमारी आंखों की रक्षा होती है।

Eyebrows के बाल काला होना भी सुरक्षा का ही एक कारण है क्योंकि काला रंग अधिक से अधिक से अधिक प्रकाश को अवशोषित करता है और देर में ठंडा होने देता है जिससे हमारी आंखें सूर्य की तेज रोशनी से बची रहती हैं। इसके अतिरिक्त आइब्रोज पसीना, पानी तथा अन्य हानिकारक अशुद्धियों को भी आंखों के अंदर जाने से रोकती हैं।

अब इसे रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़ कर देखें

तो यह ठीक उसी प्रकार काम करता है जैसे ज्यादा बारिश के पानी को रोकने के लिए rainshed का आगे का हिस्सा काम करता है या तेज़ धूप से बचने के लिए sunshed काम  करता है। उसी प्रकार eyebrows हमारी आंखों को सूर्य की किरणों के हानिकारक प्रभाव से बचाती हैं।
अन्य जानवरों में इनके  स्थान पर बालों का बना हुआ फर, सींग, spike या काँटे आदि पाये जाते हैं। जो इनकी विभिन्न प्रकार से रक्षा करते हैं।
लेखक श्रीमती शैली शर्मा मध्यप्रदेश के विदिशा में साइंस की टीचर हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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SBI खाताधारक सावधान! फर्जी वेबसाइट पर गई है, खातों से पैसे गायब हो रहे हैं / NATIONAL NEWS

Posted: 17 Jul 2020 12:51 AM PDT

नई दिल्ली। यदि आपका यह आपके परिजनों में से किसी का भी बैंक खाता भारतीय स्टेट बैंक में है तो तत्काल सावधान हो जाएं। साइबरक्रिमिनल्स ने एक फर्जी वेबसाइट बना ली है। वह खाताधारकों को SMS कर रहे हैं। रिस्पांस करते ही लोगों के खातों से पैसे गायब हो रहे हैं। 

लॉकडाउन के दौरान साइबर गैंग ज्यादा ही सक्रिय हो गया है। इस गैंग ने एसबीआई की फर्जी वेबसाइट http://www.onlinesbi.digital तैयार कर ग्राहकों को मैसेज भेजना शुरू कर दिया है, जिसमें पासवर्ड या अकाउंट इन्फॉर्मेशन अपडेट करने की बात कही जाती है। ग्राहकों को लगता है कि उन्होंने सही पेज खोला है और अपने नेट बैंकिंग की आईडी और पासवर्ड से लॉग-इन करने लगते हैं। इसी का फायदा उठाकर जालसाज लोगों के खाते से पैसे उड़ा देते हैं। इस वेबसाइट से कानपुर जोन के 250 ग्राहक ठगी का शिकार हो चुके हैं। 

इसके शिकार ग्राहकों की बढ़ती संख्या देखते हुए एसबीआई ने चेतावनी दी है ऑनलाइन एसबीआई.डिजिटल एक नकली वेबसाइट है। इसे एक बड़े क्षेत्र में ब्लॉक कर दिया गया है लेकिन शातिर साइबर अपराधी अब भी सक्रिय हैं। नेशनल कन्फेडरेशन आफ बैंक इम्पलाइज के उपाध्यक्ष राजेन्द्र अवस्थी ने बताया कि धोखेबाजों द्वारा भेजे गए संदेश बिल्कुल एसबीआई नेट बैंकिंग पेज जैसे दिखते हैं। असली ऐप के समान होने के साथ, उपयोगकर्ता इन फर्जी ऐप के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं। 

अगर आपको ऐसा कोई एसएमएस मिलता है तो इसे हटा दें। लिंक पर क्लिक न करें और अपनी गोपनीय सूचनाओं को कतई साझा न करें। एसबीआई ने ग्राहकों से कहा है कि यदि वे इस तरह के किसी भी मामले में फंसते हैं, तो तुरंत ई-मेल के जरिए epg.cms@sbi.co.in पर बैंक को सूचित करें। phishing@sbi.co.in पर भी बैंक को जानकारी दी जा सकती है।

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ग्वालियर किले से महिमा कूदी नहीं थी, बॉयफ्रेंड ने धक्का दिया था / GWALIOR NEWS

Posted: 16 Jul 2020 11:10 PM PDT

ग्वालियर। विवाद के बाद प्रेमी ने पहले महिमा को चांटे मारे और उसके बाद किले से धक्का दे दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने जांच के बाद आरोपी प्रेमी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है।

गुढ़ा-गुढ़ी का नाका निवासी महिमा कुशवाह दो दिन पहले सहेली कविता के साथ किले पर गई थी। यहां पर महिमा किले से गिर गई और उसे गंभीर हालत में उपचार के लिए भर्ती कराया। जहां पर उसने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। मामले की जांच की तो पता चला कि महिमा को उसके प्रेमी राकेश ने धक्का दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई। मामले में ग्वालियर थाना पुलिस ने जीरो पर हत्या का मामला दर्ज कर केस डायरी बहोड़ापुर थाने भेज दी है। 

पुलिस ने जब महिमा की सहेली कविता से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह तथा महिमा किला घूमने आई थी, उनके पहुंचने के कुछ देर बाद ही राकेश शाक्य और छोटू उर्फ हेमंत भी वहां पर आ गए। महिमा और राकेश का प्रेम-प्रसंग चल रहा था, इसलिए राकेश और महिमा कुछ दूर जाकर बातचीत कर रहे थे, जबकि कविता और छोटू उनसे कुछ दूर खड़े होकर बातचीत कर रहे थे। अचानक किसी बात पर राकेश नाराज हो गया और महिमा को चांटे मार दिए। जब तक वह उसे बचाने पहुंचते उससे पहले ही राकेश ने महिमा को किले से धक्का दे दिया। 

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ग्वालियर कलेक्टर का कर्फ्यू आदेश दूसरे ही दिन टूट गया, पुलिस भी नहीं रोक पाई / GWALIOR NEWS

Posted: 16 Jul 2020 01:24 PM PDT

ग्वालियर। तेजी से बढ़ रहा है कोरोनावायरस के मामलों को देखते हुए कलेक्टर ने 7 दिन के कर्फ्यू आदेश दिया था परंतु कलेक्टर अपने कर्फ्यू के आदेश का पालन करवाने में नाकाम रहे। आदेश के दूसरे दिन ही पब्लिक कर्फ्यू तोड़कर बाहर निकल आई, बाजार खुल गया। हालात यह बने की पुलिस भी पब्लिक को रोक नहीं पाई। सिर्फ इतना किया के मुख्य मार्गो से पब्लिक व ठेले वालों को खदेड़ कर गलियों की ओर धकेल दिया गया।

4 महीने में पब्लिक को सोशल डिस्टेंसिंग तक नहीं सिखा पाया प्रशासन

बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन ने 7 दिन का कोरोना कर्फ्यू लगाया है और दूध, ब्रेड को छोडक़र सभी चीजों पर पाबंदी लगाते हुए दुकानें बंद रखने का आदेश दिया है, लेकिन लॉकडाउन के दूसरे दिन गुरुवार सुबह से ही उन दुकानों के शटर खुले हुए थे और जिन पर प्रतिबंध लगाया गया है। बाजारों में भीड़ इस कदर थी कि लग ही नहीं रहा था कि कर्फ्यू लगा हुआ है। पुलिस के वाहन सायरन बजाते हुए सडक़ों पर दौड़ रहे थे लेकिन इसके बाद भी लोगों में इसका भय नहीं दिख रहा था। मार्च से कोरोनावायरस का लॉकडाउन शुरू हुआ है, पिछले 4 महीने में प्रशासन आम जनता को सोशल डिस्टेंसिंग तक नहीं सिखा पाया।

ग्वालियर पुलिस ने भीड़ को मुख्य मार्ग से गलियों की ओर खदेड़ दिया

बाजारों में दुकानें खुलने और भीड़भाड़ होने की जानकारी जैसे ही पुलिस कप्तान नवनीत भसीन के पास पहुंची तो उन्होंने सभी सीएसपी, डीएसपी और थाना प्रभारियों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि लॉकडाउन का पालन सख्ती से कराया जाए और जो लोग नहीं मान रहे हैं उनके खिलाफ एफआईआर कराएं। कप्तान का फरमान मिलते ही सभी थाना प्रभारी सक्रिय हो गए और सडक़ पर खड़े सब्जियों और फलों के ठेलों को गलियों में खदेड़ दिया। कुल मिलाकर पुलिस ने भी खानापूर्ति की।

खूब लग रही चाय की चुस्की, कर रहे नाश्ता

बंद के दौरान दूध, ब्रेड और अंडे पर तो राहत दी गई है लेकिन गुरुवार सुबह बाजारों में किराने की दुकानों के शटर खुले हुए थे और दुकानदार अपना कारोबार कर रहे थे तो चाय के होटल और नाश्ते की दुकानों पर भी शौकिन चाय की चुस्की ले रहे थे। हलवाइयों द्वारा शटर डाउन कर नाश्ता बेचा जा रहा था, तो कई लोग शटर उठाकर ही बेच रहे थे। आटे की चक्की खुली रहीं तो मोबाइल और पार्ट्स बेचने वाले भी दुकानों के बाहर बैठकर अपना व्यापार कर रहे थे।  गुरुवार को बंद का असर लश्कर के अलावा मुरार, हजीरा और उपनगर ग्वालियर में भी देखने को भी नहीं मिला। मुरार के पुराने बस स्टेण्ड के पास मजदूरों की भीड़ लगी रही तो कई दुकानदार शटर खोलकर कारोबार कर रहे थे।

यहां लगी सब्जी मंडी

सब्जी और फलों पर पाबंदी लगाई गई है और लक्ष्मीगंज सब्जी मंडी सहित सभी मंडियों को बंद कराया गया है। गुरुवार की सुबह गोल पहाडिय़ा स्थित अयोध्या बस्ती के पास सब्जी मंडी सजी हुई थी और जमकर कारोबार हो रहा था। सस्ती सब्जी की चाह में भीड़ लगी रही तो वहीं हाथ ठेलों पर भीसब्जी, फल खरीदने के लिए लोग शारीरिक दूरी का पालन नहीं कर रहे थे। 

गलियों में भी खुले रहे बाजार

कोरोना कर्फ्यू के चलते बाजारों को बंद रखने के लिए कहा गया है लेकिन आज अधिकांश बाजारों में दुकानें खुली हुई थी। खूबी की बजरिया में टाइपिंग करने वालों की दुकानें खुली थी तो काली माता मंदिर के बाहर प्रसाद और फूल बेचने वाले बैठे हुए थे। शिन्दे की छावनी नबाव साहब के कुएं के सामने सब्जी और फलों के ठेले खड़े हुए थे तो माधौगंज चौराहा, चितेराओली में नाश्ते और जनरल स्टोर व किराने की दुकानें खुली रहीं। सब्जी और फलों के ठेले भी खड़े हुए थे। पुलिस को देखकर यह दौड़ लगा देते और पुलिस के जाते ही वापस सडक़ों पर आ जाते।

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शिक्षक भर्ती में अनुभव के आधार पर बोनस अंक की व्यवस्था न्याय पूर्ण है ना कि 25% होरिजेंटल आरक्षण / Khula Khat

Posted: 16 Jul 2020 12:51 PM PDT

kailash vishwakarma / होरिजेंटल आरक्षण केवल एक निश्चित प्रतिनिधित्व तय करता है। वर्ग जिसे यह आरक्षण दिया गया है यदि वह अपनी योग्यता के आधार पर उतना प्रतिनिधित्व प्राप्त कर लेता है तो वहां पर कोई आरक्षण लागू नहीं किया जाता। 

केवल उनकी गणना टॉप मेरिट से कर जाती है और यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कि उस वर्ग का उतना प्रतिनिधित्व हो गया है। प्रतिनिधित्व ना हो पाने की स्थिति में ही प्रतिनिधित्व जितना कम रहता है केवल उतना ही आरक्षण लागू होता है। जिस तरह महिला आरक्षण को लागू किया जाता है।

मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती में अतिथि शिक्षकों के लिए किया गया 25 % का आरक्षण इसी तरह का आरक्षण है। इस भर्ती में अतिथि शिक्षकों के लिए कोई आरक्षण लागू नहीं किया गया है केवल प्रथक से सूची निर्माण किया गया है।

शिक्षक भर्ती में आरक्षण अतिथि शिक्षकों को बढ़त प्रदान करने की मनसा से दिया गया था ना कि कोई निश्चित प्रतिनिधित्व करने के लिए।

यह आरक्षण उनके लिए भी विसंगति पूर्ण है जो लंबे समय से अपनी विषय का अध्यापन कार्य कर रहे हैं और वे प्राविधिक चयन सूची से बाहर हैं, उन्हें उनके अनुभव का कोई लाभ नहीं मिला। अगर उन्हें बोनस के अंक मिलते तो वे सब चयन सूची में आ जाते।

अतः अनुभव के आधार पर बोनस अंक की व्यवस्था ही न्याय पूर्ण है ना कि इस तरह का 25% होरिजेंटल आरक्षण।

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नवीन शिक्षक संवर्ग को ढाई माह से वेतन भुगतान नहीं हुआ / EMPLOYEE NEWS

Posted: 16 Jul 2020 12:49 PM PDT

भोपाल। प्रदेश में हजारों शिक्षकों को लगभग ढाई माह से वेतन नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांताध्यक्ष प्रमोद तिवारी व उपाध्यक्ष कन्हैयालाल ने बताया कि "विगत ढाई माह से नवीन शिक्षक संवर्ग को बजट आवंटन के अभाव में वेतन भुगतान नहीं हो सका। इससे शिक्षकों में भारी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त हैं। 

आर्थिक दुश्वारियों के चलते शिक्षकों को अपनी देनदारिया लंबित रखना पड़ रही है, इससे बाजार में झूठे सिद्ध हो रहे है।" शिक्षकों की विश्वसनीयता दांव पर लगी है, साथ ही ईएमआई चुकता नहीं हो पाने के कारण पेनाल्टी का अतिरिक्त बोझ वहन करना पड़ रहा है। "मप्र तृतीय वर्ग शास कर्मचारी संघ" प्रदेश के मंत्री द्वय वित्त मंत्री माननीय श्रीमान जगदीश जी देवड़ा साहब व स्कूल शिक्षा मंत्री माननीय श्रीमान इन्दरसिंह जी परमार साहब से मांग करता है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए संवेदना पूर्वक निर्णय लेकर "मंत्रालयीन प्रक्रिया" के इतर "उपलब्ध अन्य बजट शीर्ष" से तत्काल वेतन भुगतान सुनिश्चित कर फोरी राहत दी जावे। 

मंत्रालयीन प्रक्रिया पूर्ण होने पर बजट समायोजन किया जावे। शिक्षकों की बाजारू देनदारिया लंबित रहने से इनमें भारी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त होना स्वाभाविक है, वहीं मप्र सरकार की छवि भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकती है, इसमें गंभीरतापूर्वक विचार कर निराकरण की दरकार है।

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पॉलीटेक्निक प्राचार्यों के खिलाफ धरना प्रदर्शन का नोटिस / EMPLOYEE NEWS

Posted: 16 Jul 2020 12:39 PM PDT

भोपाल। प्रेस विज्ञप्ति में पॉलिटेक्निक अतिथि ​व्याख्याता संघ, मध्यप्रदेश के उपाध्यक्ष श्री जसवंत सिंह ने बताया कि पॉलीटेक्निक महाविद्यालयों में अतिथि व्याख्याताओं को 11 माह की नियुक्ति का आदेश मिलता है तथा वेतन 6 माह  का ही प्राप्त होता है जब तक कक्षाएं संचालित होती हैं। 

सत्र 2018 -19 मैं माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर ने आदेश जारी कर अतिथि व्याख्याताओं की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाकर Guest faculty is not substitute by another guest faculty का आदेश जारी किया था जिसके परिपालन में मध्यप्रदेश शासन ने सभी कार्यरत अतिथि व्याख्याताओं को पुनःनियुक्ति देने का आदेश तकनीकी शिक्षा विभाग ने जारी किया था।

लेकिन संचालक महोदय के संरक्षण में पॉलिटेक्निक महाविद्यालय के प्राचार्यो द्वारा प्रदेश शासन तथा माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर के आदेश की धज्जियां उड़ाते रहते हैं जिससे अतिथि व्याख्याताओं को हर वर्ष पुनः नियुक्ति के लिए शासन के समक्ष गुहार लगानी पड़ती है वर्तमान में 15 जुलाई 2020 से राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से शैक्षणिक सत्र प्रारंभ कर दिया है पूर्व सत्र में कार्यरत अतिथि व्याख्याताओं वर्तमान सत्र 2020 -21के लिए पुनःनियुक्ति का आदेश अभी तक जारी नहीं हुआ है।

संचालक तकनीकी शिक्षा विभाग के संरक्षण के कारण लॉकडाउन का मानदेय भी सिर्फ एक माह का मिल पाया इससे लॉकडाउन के मानदेय में भी काफी विसंगतियां हैं।

संगठन द्वारा पुनः नियुक्ति एवं लॉकडाउन के मानदेय के संबंध में शासन प्रशासन को कई बार ई मेल के माध्यम से आवेदन दिया जा चुका है तथा सोशल मीडिया के माध्यम से भी अधिकारियों को अपनी परेशानी से अवगत करवाया गया है लेकिन आज दिनांक 16 जुलाई 2020 तक  कोई कार्यवाही नहीं हुई।

यदि तकनीकी शिक्षा विभाग पुनः नियुक्ति आदेश के साथ फिक्स वेतन के आदेश को तत्काल जारी नहीं करता है तो संचालक (तकनीकी शिक्षा विभाग) तथा समस्त प्राचार्यो के खिलाफ  सोशल मीडिया के माध्यम से वर्चुअल धरना दिया जाएगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी तकनीकी शिक्षा विभाग की होगी।

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सोशल मीडिया पर वायरल कर्मचारी बीमा योजना 2020 पर पुष्टि से पहले ही आपत्तियां / EMPLOYEE NEWS

Posted: 16 Jul 2020 12:25 PM PDT

भोपाल। सोशल मीडिया पर इंदौर आओ कर्मचारी बीमा योजना 2020 का एक ड्राफ्ट वायरल हो रहा है। शासन स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है परंतु वायरल ड्राफ्ट का जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है। 

ट्राईबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के प्रांत अध्यक्ष डी के सिंगौर ने माननीय मुख्यमंत्री  मुख्य सचिव , अवर मुख्य सचिव वित्त , प्रमुख सचिव वित्त मध्यप्रदेश शासन, भोपाल को पत्र लिखकर स्पष्ट किया कि यदि यह ड्राफ्ट ज्यों का त्यों लागू होता है, तो इस की कंडिका 4 में उल्लेखित प्रीमियम की राशि प्रथम श्रेणी ₹1500 प्रतिमाह द्वितीय श्रेणी  ₹1200 प्रति माह, तृतीय श्रेणी ₹900 प्रतिमाह और चतुर्थ श्रेणी ₹600 प्रतिमाह अत्यधिक है। जबकि  इस दर पर 75 वर्ष से की आयु तक बीमा कवर मिलना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस दर पर बीमा कंपनियों द्वारा पर्सनली बीमा मिल सकता है क्योंकि यहां शासन समूह में बीमा योजना लाएगी, तो यह बहुत किफायती होना चाहिए।

इसी तरह कंडिका 5 में लिखित यह कि "60 वर्ष तक कर्मचारी की मृत्यु नहीं होने पर परिपक्वता पर कोई राशि प्राप्त नहीं होगी।" उल्लेखनीय है कि किसी भी व्यक्ति की 60 से 75 वर्ष की आयु में जोखिम अधिक होता है और यह प्लान इस आयु में बीमा कवर नहीं कर रहा है। अतः यह प्रस्तावित बीमा योजना उपयोगी समझ में नहीं आ रहा  है। कंडिका 6 में प्रस्तावित "यह बीमा योजना सभी कर्मचारियों पर अनिवार्य रूप से लागू होगी।" यह योजना सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य होने से कर्मचारी एक बड़ा प्रीमियम प्रतिमाह  इस योजना में अनिवार्य रूप से देगा, तो वह बाजार से ऐसा कोई अतिरिक्त प्लान लेने में असमर्थ  होगा जो उसे 60 से 75 वर्ष की आयु में बीमा कवर दे और यदि कोई 60 वर्ष के बाद बीमा लेना चाहे तो कोई भी बीमा कंपनी 60 वर्ष की आयु के बाद बीमा नहीं करती है। यह भी उल्लेखित है कि सरकार स्वयं कहती है कि "बीमा आग्रह की वस्तु है, इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता।" 

विशेष रूप से टर्म प्लान को अनिवार्य करना बिल्कुल भी उचित नहीं है।  ड्राफ्ट के अंतिम पैरा में इस योजना पर वित्तीय भार में उल्लेख किया गया है कि योजना की गणना प्रति लाख ₹30 प्रति माह की गई है, जो बाजार में अन्य प्रचलित बीमा से अधिक है। शासन को इस में लाभ भी हो सकता है। अतः इससे स्पष्ट है कि सरकार बाजार में प्रचलित अन्य बीमा प्लान से यह प्लान मंहगा दे रही है और सरकार द्वारा कर्मचारी के वेतन से मुनाफा कमाने की यह योजना उचित प्रतीत नहीं होती। प्रस्तावित बीमा योजना में  यदि उदाहरणार्थ देखा जाए कि तृतीय श्रेणी के लिए ₹ 30 लाख का जो बीमा कवर दिया जा रहा है। 

उसमें एक लाख पर बीमा व्यय ₹23 प्रतिमाह आ रहा है, जबकि देय प्रीमियम ₹30 प्रतिमाह से गणना करना प्रस्तावित है अर्थात ₹7 अतिरिक्त व्यय बीमा धारक पर आएगा,  यह भी अनुचित है। अंत में एसोसिएशन ने मांग करते हुए लिखा यदि उक्त प्रस्तावित बीमा विचाराधीन है तो उसे इन संशोधन के साथ लागू कराने का कष्ट करें। पहला यह बीमा योजना पूर्णता स्वेच्छिक होना चाहिए तथा प्रस्ताव में दिए गए इसी प्रीमियम और इसी बीमा राशि पर आयु 60 वर्ष के स्थान पर 75 वर्ष होनी चाहिए । दूसरा मध्य प्रदेश वित्त विभाग द्वारा 19-02-2020 को जारी मुख्यमंत्री राज्य कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना अनिवार्य रूप से लागू की जानी चाहिए। जिसमें कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य बीमा योजना का शीघ्र लाभ मिल सके।

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प्रकृति हमें कब बचाएगी ? / EDITORIAL by Rakesh Dubey

Posted: 16 Jul 2020 01:38 PM PDT

इस दुष्काल में हुए लॉक डाउन ने भारतीयों को प्रकृति का सानिध्य महसूस कराया था हम घर में रहते हुए सुबह की मंद बयार और गौधुली की उष्मा महसूस करने लगे थे। लॉक डाउन-1 हटा हो या 2 हालत बदतर ही हुए। अब उद्योग खुलने के साथ पर्यावरण सूचकांक फिर डराने लगा है। सच भी है कोई भी व्यावहारिक कारोबार हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहेगा कि वह वो सब करे करे जिन पर उसका कारोबार निर्भर है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का विरोध ठप है क्योंकि लॉकडाउन के कारण लोग एकत्रित नहीं हो सकते। ऐसे में अब तक उनकी अनदेखी करता आया मंत्रालय अब क्यों ध्यान देगा?

सच तो यह है कि सारा भारतीय समाज जिस पर्यावरण की निर्मलता से निरापद रहेगा | उस पर्यावरण के मोर्चे पर देश  पिछड़  रहा है |इस  नाकामी का एक मानक येल विश्वविद्यालय के पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में दिखता है। सन २०२०  में जारी सूचकांक में भारत १८०  देशों में १६८ वें स्थान पर रहा। जबकि २०१४  में देश १७४  देशों में १५५ वें स्थान पर था। सन २०२०  के सूचकांक में अफगानिस्तान को छोड़कर अन्य सभी दक्षिण एशियाई देश भारत से बेहतर स्थिति में थे। इससे पर्यावरण कार्यकर्ताओं की चिंताओं को बल मिलता है।

इसका सबसे ताजा उदाहरण है पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना को शिथिल करने का प्रस्ताव।  सरकार निर्माण उद्ध्योग को कुछ विशेष छूट इस दुष्काल ने नाम पर देने जा रही है | इसका आधार  वह अधिसूचना है जो २००६  में पारित की गई थी |इसके तहत सभी परियोजनाओं को दो मोटी श्रेणियों में बांटा जाता है-पहली श्रेणी वह जहां केंद्र सरकार की मंजूरी और जांच की जरूरत है और दूसरी श्रेणी वह जहां राज्य सरकार को निर्णय लेना होता है। दूसरी श्रेणी में आगे और बंटवारा किया गया और उसके एक हिस्से में समुचित जांच और मंजूरी की आवश्यकता थी जबकि दूसरे को केवल प्रभाव आकलन प्रस्तुत करना होता था और राज्य को यह अधिकार था कि वह परियोजनाओं को इनमें से किसी भी श्रेणी में रखे।

इन्ही प्रावधान का इस्तेमाल करके पर्यावरण प्रभाव आकलन की आवश्यकताओं को शिथिल किया जा रहा है और कई ऐसी परियोजनाओं को बिना जांच और मंजूरी वाली श्रेणी में डाला जा रहा है जो अत्यधिक प्रदूषण फैलाने के लिए जाने जाते हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि संशोधन में प्रस्ताव रखा गया है कि दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले उद्योग मामूली जुर्माना चुकाकर बच सकते हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि पर्यावरण संरक्षण को विकास विरोधी मान लिया गया है। यदि वृद्धि को सही ढंग से परिभाषित किया जाए तो ऐसा नहीं है। वृद्धि का अर्थ केवल वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाना नहीं है। उसका अर्थ है संपत्ति बढ़ाना और संपत्ति का अर्थ केवल जमीन, उपकरण और अन्य वस्तुएं नहीं बल्कि मानव संसाधन और प्राकृतिक संसाधन भी है।

इन तमाम बातों को ग्रीन नैशनल अकांउट्स इन इंडिया, अ फ्रेमवर्क नामक २०१३ की रिपोर्ट में विस्तार से समझाया गया है। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समूह ने तैयार की थी जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर पार्थ दासगुप्ता के पास थी जो केंब्रिज विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्री हैं।

इस रिपोर्ट से उपजे कुछ सवाल के हल ऐसे निकल सकते हैं
'आर्थिक आकलन जिस आधार पर किया जाना चाहिए, उसे संपत्ति की व्यापक धारणा के साथ अंजाम देना चाहिए। इसमें पुनरुत्पादन लायक पूंजी मसलन सड़क, बंदरगाह, केबल, भवन, मशीनरी, उपकरण आदि शामिल हों। इनके अलावा मानव संसाधन और प्राकृतिक संसाधन मसलन जमीन, पर्यावास आदि को शामिल किया जाना चाहिए।'' किसी वन के साथ छेड़छाड़ किए बिना उसे सघन होने देना भी उसमें निवेश करना है। प्राकृतिक परिस्थितियों में मछली मारने की गतिविधि को अंजाम देना भी उस काम में निवेश करना होगा।'

प्रश्न यह है कि क्या पर्यावरण संरक्षण मुनाफा कमाने वाले कारोबारियों के लिए बाधा है? वास्तव में यदि ऐसे कारोबार दूरगामी दृष्टि लेकर चलें तो यह कोई बाधा नहीं है। कोई भी व्यावहारिक कारोबार हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहेगा कि वह उन संसाधनों की रक्षा करे जिन पर उसका कारोबार निर्भर है। वह नहीं चाहेगा कि स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण पर उसकी गतिविधियों का नकारात्मक असर हो। क्योंकि ऐसी स्थिति में पर्यावरण प्रभाव को लेकर संवेदनशील ग्राहकों और अन्य लोगों के मन में उसकी छवि खराब होगी। यह दलील भी दी जा सकती है कि दशकों तक चलने की दूरगामी दृष्टि वाले कारोबार पर्यावरण चुनौतियों को लेकर उन सरकारों की तुलना में ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं जिनका ध्यान चुनावों पर केंद्रित रहता है। प्राय: ऐसी सरकारें अल्पावधि के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करती हैं। पर्यावरण निगरानी मानकों को शिथिल करने का असली दबाव ऐसे कारोबारों से आता है जो शीघ्र मुनाफा कमाने के चक्कर में रहते हैं।

हमारा देश भारत घनी आबादी वाला देश है और हमें उस संरक्षण की आवश्यकता है जो पर्यावरण हमें स्वच्छ हवा, स्वच्छ जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के रूप में प्रदान करता है। जलवायु परिवर्तन बढऩे के साथ विपरीत मौसमी घटनाएं भी बढ़ रही हैं। ऐसे में हमें संरक्षण की आवश्यकता और अधिक होगी। प्रकृति हमें तभी बचाएगी जब हम उसे बचाएंगे|
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
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