जनवादी पत्रकार संघ |
| *एक शाम देश के नाम कार्यकृम आयोजित* Posted: 16 Aug 2020 07:29 AM PDT 15 अगस्त को फ्लैग पॉइंट थीम रोड कटोरा ताल पर गायक कलाकार मित्र समूह के चुनिंदा सदस्यों द्वारा देशभक्ति गीतों भरी शाम *एक शाम देश के नाम* का आयोजन किया । सामाजिक दूरी और अन्य सभी कोरोना से बचाव की जरूरतों को पूरा करते हुए , सदस्यों ने देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी । आरंभ हर्षदा गोखले ने वंदेमातरम से किया, पद्माकर खंडालकर ने मेरे देशप्रेमियों, हर्षिका दुबे ने आई लव माय इंडिया, अतुल राजावत ने ए जाते हुए लमहों, राजबल्लभ चौहान ने जिस देश मे गंगा बहती है, और अंत मे सुरेश घोड़के ने छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी जैसे देशभक्ति गीत सुनाये । चीफ एडमिन सुरेश घोड़के ने बताया कि प्रतिवर्ष 26 जनवरी और 15 अगस्त को गायक कलाकार मित्र समूह द्वारा नगर निगम और लायंस क्लब के साथ मिलकर इस संध्या का आयोजन किया जाता है लेकिन इस वर्ष कोरोना के चलते वृहद कार्यक्रम नही किया जा सका । |
| Posted: 15 Aug 2020 06:26 PM PDT १६ ०८ २०२० कारोबारीयों के अच्छे दिन ? महीनों के बाद देश के व्यापर जगत से अच्छी खबर सुनने को मिली है |उद्यमियों के एक वैश्विक संगठन और एक विश्वविद्यालय के साझे सर्वे के मुताबिक देश के ८१ प्रतिशत कारोबारियों को भरोसा है कि जल्दी ही उनका व्यवसाय पहले की तरह बढ़ने लगेगा| यह भरोसा इसलिए बेहद अहम है क्योंकि ५७ प्रतिशत के पास अपने उद्यम को बचाने के लिए नकदी भी नहीं है और ४० प्रतिशत को अपने चालू खर्च के लिए कर्ज उठाना पड़ा है| इनमें से केवल १४ प्रतिशत ने ही औपचारिक स्रोतों से ऋण लिया है| इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि छोटे और मझोले उद्यम किस कदर संकट से घिरे हैं| सरकार मई में ही आर्थिक और वित्तीय समस्याओं के लिए २० लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत अभियान राहत पैकेज की घोषणा कर चुकी है| उद्योग जगत को सहारा देने के इरादे से छोटे और मझोले उद्यमों के आकार को बढ़ाने का नियमन भी लागू हो चुका है| हमारे देश में जितनी भी कंपनियां और व्यवसाय हैं, उनमें से लगभग ९९ प्रतिशत छोटे व मझोले उद्यम हैं| इस क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार हैं और बड़े उद्योगों को भी इनसे जरूरी सहारा मिलता है| पैकेज के तहत जुलाई के मध्य तक इस क्षेत्र को ऋण गारंटी योजना के तहत १.२३ लाख करोड़ रुपये का वित्त उपलब्ध कराया जा चुका है और यह प्रक्रिया लगातार जारी है| लेकिनयह पर्याप्त नहीं है संकट की गंभीरता को देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी और सहयोग की दरकार है| सरकार ने संकेत दिया है कि तीन लाख करोड़ रुपये के वित्तपोषण के अलावा भी आगामी दिनों में राहत के अन्य उपाय किये जा सकते हैं| लॉकडाउन से देश अब धीरे-धीरे अनलॉक की ओर अग्रसर है तथा कई कारोबार और उत्पादक गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं| ऐसे में बाजार से भी धन की आमद संभावित है| क्रिसिल ने अनुमान लगाया है कि कोरोना संकट की वजह से छोटे, मझोले और माध्यम उद्यमों के राजस्व में २० से २२ प्रतिशत की कमी आ सकती है| सबको ज्ञात है कि रोजगार, आमदनी, उपभोग, मांग और उत्पादन जैसे कारक एक-दूसरे से संबद्ध हैं तथा कोरोना काल में इन सभी के ऊपर वज्रपात हुआ है| ऐसे में उद्यमियों में फिर से बढ़ोतरी की ओर बढ़ने के भरोसे का आधार यह है कि महामारी से उबरने के बाद फिर से हर तरह की गतिविधियां तेजी से होने लगेंगी| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता और स्थानीय उत्पादन व उपभोग का आह्वान भी कुछ असर दिखायेगा |ऋण योजनाओं नयी आशा का संचार किया है| सर्वे में यह उम्मीद की गई हैं कि निर्माण में ४० और जीडीपी में आठ प्रतिशत का योगदान करनेवाला छोटे व मझोले उद्यमों का क्षेत्र जल्दी ही पूरी तेजी से विकास की ओर उन्मुख होगा| उधार लेकर अर्थव्यवस्था को गति देना बुरा नहीं है| जब अन्य राष्ट्र सुनिश्चित लाभ और सामाजिक विकास के लिए ऋण को उचित पूंजी के तौर पर व्यय करते हैं, तो उससे समृद्ध होते हैं| लेकिन, भारत में ऋण को सब्सिडी के रूप खर्च किया जाता है| जो ठीक नहीं है अगर किसी परिवार को कर्ज लेकर बच्चे की शिक्षा या आदमी के शराब पीने की आदत पर खर्च करने का विकल्प दिया जाये, तो तर्कसंगत विकल्प स्पष्ट है| बच्चे की शिक्षा का लाभ लंबी अवधि में मिलेगा, जबकि पीनेवाले को तुरंत संतुष्टि मिलेगी| दुर्भाग्य से हमारी सरकारों ने हमेशा गलत विकल्प चुना है| उससे फिर से सोचना चाहिए | अगर कर्ज की रकम से उत्पादकता, विकास और समृद्धि आती है, तो वह सराहनीय है| नागरिक सरकार से राजकोषीय घाटा लक्ष्य नहीं, बल्कि आर्थिक विकास, रोजगार और निवेश के बारे में सुनना चाहते हैं| अगर सरकार घाटा वित्तीय से बचना चाहती है, तो अन्य विकल्प भी हैं| भारत के पास ४९० बिलियन डॉलर की विदेशी कमाई का भंडार है, जिस पर कम ब्याज प्राप्त होता है| |
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