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- यहां मणि के रूप में दर्शन देते हैं देवों के देव महादेव
- हिमाचल प्रदेश के इतिहास के कुछ आरंभिक पहलू
- मिलिए 17 साल की अमनदीप से, जिसकी वजह से उसके गांव के किसानों ने पराली जलानी बंद कर दी
- पिता कैब ड्राइवर हैं, बेटी ने क्रैक किया IIT, अगला लक्ष्य IAS अफसर बनना है
- इस पॉलिसी में रोजाना 76 रुपये करें निवेश, पाएं 9 लाख रु की मोटी रकम
- ये चारों धाकड़ दिग्गज अकेले दम पर मुंबई को मैच जिता सकते हैं
- इसीलिए मनाया जाता है भैया दूज का पर्व, जानिए तिलक का शुभ मुहूर्त और रोचक कथा
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यहां मणि के रूप में दर्शन देते हैं देवों के देव महादेव Posted: 08 Nov 2020 10:05 PM PST हिमाचल प्रदेश के चंबा शहर से करीब 85 किलोमीटर की दूरी पर बसे मणिमहेश में भगवान भोले मणि के रूप में दर्शन देते हैं। इसी कारण मणिमहेश कहा जाता है। धौलाधार, पांगी व जांस्कर पर्वत शृंखलाओं से घिरा यह कैलाश पर्वत मणिमहेश-कैलाश के नाम से जाना जाता है। हजारों साल से श्रद्धालु रोमांचक यात्रा पर आ रहे हैं। चंबा को शिवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव इन्हीं पहाड़ों में निवास करते हैं। मणिमहेश यात्रा कब शुरू हुई, इसके बारे में अलग-अलग विचार हैं, लेकिन कहा जाता है कि यहां पर भगवान शिव ने कई बार अपने भक्तों को दर्शन दिए हैं। 13,500 फुट की ऊंचाई पर किसी प्राकृतिक झील का होना किसी दैवीय शक्ति का प्रमाण है। आइए मणिमहेश यात्रा के बारे में जानें कुछ रोचक तथ्य... आस्था के साथ रोमांच भी हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हिमालय की धौलाधार, पांगी और जांस्कर शृंखलाओं से घिरा कैलाश पर्वत मणिमहेश-कैलाश के नाम से प्रसिद्ध है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (भाद्रपद कृष्ण अष्टमी) से श्रीराधाष्टमी (भाद्रपद शुक्ल अष्टमी) तक लाखों श्रद्धालु पवित्र मणिमहेश झील में स्नान के बाद कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। पहाड़ों, खड्डों नालों से होते हुए मणिमहेश झील तक पहुंचने का रास्ता रोमांच से भरपूर है। मणिमहेश यात्रा को अमरनाथ यात्रा के बराबर माना जाता है। जो लोग अमरनाथ नहीं जा पाते हैं वे मणिमहेश झील में पवित्र स्नान के लिए पहुंचते हैं। अब मणिमहेश झील तक पहुंचना और भी आसान हो गया है। यात्रा के दौरान भरमौर से गौरीकुंड तक हेलीकॉप्टर की व्यवस्था है और जो लोग पैदल यात्रा करने के शौकीन हैं उनके लिए हड़सर, धनछो, सुंदरासी, गौरीकुंड और मणिमहेश झील के आसपास रहने के लिए टेंटों की व्यवस्था भी है। शैव तीर्थ स्थल मणिमहेश कैलाश हिमाचल प्रदेश में चंबा जिले के भरमौर में है। मान्यता के अनुसार, 550 ईस्वी में भरमौर मरु वंश के राजा मरुवर्मा की राजधानी था। मणिमहेश कैलाश के लिए भी बुद्धिल घाटी जो भरमौर का भाग है, से होकर जाना पड़ता है। हड़सर से पैदल यात्रा: हड़सर या हरसर नामक स्थान सड़क का अंतिम पड़ाव है। यहां से आगे पहाड़ी रास्तों पर पैदल या घोड़े-खच्चरों की सवारी कर ही सफर तय होता है। चंबा, भरमौर और हड़सर तक सड़क बनने से पहले चंबा से ही पैदल यात्रा शुरू हो जाती थी। हड़सर से मणिमहेश-कैलाश 15 किलोमीटर दूर है। महिलाएं गौरीकुंड में करती हैं स्नान गौरीकुंड पहुंचने पर प्रथम कैलाश शिखर के दर्शन होते हैं। गौरीकुंड माता गौरी का स्नान स्थल है। यात्रा में आने वाली स्त्रियां यहां स्नान करती हैं। यहां से डेढ़ किलोमीटर की सीधी चढ़ाई के बाद मणिमहेश झील पहुंचा जाता है। यह झील चारों ओर से पहाड़ों से घिरी हुई, देखने वालों की थकावट को क्षण भर में दूर कर देती है। बादलों में घिरा कैलाश पर्वत शिखर दर्शन देने के लिए कभी-कभी ही बाहर आता है इसके दर्शन उपरांत ही तपस्या सफल होती है। होते हैं नीलमणि के दर्शन हिमाचल सरकार ने इस पर्वत को टरकॉइज माउंटेन यानी वैदूर्यमणि या नीलमणि कहा है। मणिमहेश में कैलाश पर्वत के पीछे जब सूर्य उदय होता है तो सारे आकाश मंडल में नीलिमा छा जाती है और किरणें नीले रंग में निकलती हैं। मान्यता है कि कैलाश पर्वत में नीलमणि का गुण-धर्म हैं जिनसे टकराकर सूर्य की किरणें नीले रंग में रंगती हैं। कैसे पहुंचें मणिमहेश यात्रा हड़सर से शुरू पैदल शुरू होती है। भरमौर से मणिमहेश 17 किलोमीटर, चंबा से करीब 82 किलोमीटर और पठानकोट से 220 किलोमीटर की दूरी पर है। पठानकोट मणिमहेश कैलाश यात्रा के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन है, जबकि कांगड़ा हवाई अड्डा नजदीकी हवाई अड्डा है। ट्रैकिंग पैदल मार्ग भी शिव के पर्वतीय स्थानों के साथ जुड़ी हुई शर्त है। कैलाश, आदि कैलाश या मणिमहेश कैलाश-सभी दुर्गम बर्फीले स्थानों पर हैं। इसलिए यहां जाने वालों के लिए एक व्यक्ति का सेहतमंद होना अनिवार्य है। जरूरी गरम कपड़े व दवाएं भी हमेशा साथ हों। मणिमहेश झील के लिए सालाना यात्रा के अलावा भी जाया जा सकता है। मई, सितंबर व अक्टूबर का समय इसके लिए उपयुक्त है। रोमांच के शौकीनों ने धर्मशाला व मनाली से कई ट्रैकिंग रूट भी मणिमहेश झील के लिए खोज निकाले गए हैं। 6000 फुट की ऊंचाई से शुरू होती है पैदल यात्रा पैदल तीर्थयात्रा चंबा जिले के 6000 फुट की उंचाई पर स्थित हड़सर गांव से शुरू होगी और 13 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद 13,500 फीट की उंचाई पर स्थित पवित्र झील के पास समाप्त होगी। क्या-क्या करें अपने साथ पर्याप्त गर्म कपड़े रखें। यहां। तापमान एकदम से पांच डिग्री तक गिर सकता है। यात्रा मार्ग पर मौसम कभी भी बिगड़ सकता है, लिहाजा अपने साथ छाता, विंडचीटर, रेनकोट व वाटरप्रूफ जूते लेकर जाएं। बारिश में सामान गीला न हो, इसके लिए कपड़े व अन्य खाने-पीने की चीजें वाटरप्रूफ बैग में ही रखें। आपातस्थिति के लिए अपने किसी साथी यात्री का नाम, पता व मोबाइल नंबर लिखकर एक पर्ची अपनी जेब में रखें। अपने साथ पहचान पत्र या ड्राइविंग लाइसेंस या यात्रा पर्ची जरूर रखें। क्या न करें -जिन क्षेत्रों में चेतावनी सूचना हो, वहां न रुकें। -यात्रा मार्ग में काफी उतार-चढ़ाव है, इसलिए चप्पल पहनकर यात्रा न करें। केवल ट्रैकिंग जूते ही पहनकर यात्रा करें। -यात्रा के दौरान किसी तरह का शॉर्टकट न लें क्योंकि यह खतरनाक व जानलेवा हो सकता है। -खाली पेट कभी भी यात्रा न करें। ऐसा करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न हो सकती है। -ऐसा कोई कार्य न करें जिससे यात्रा मार्ग पर प्रदूषण फैलता हो या पर्यावरण को नुकसान पहुंचता हो। |
हिमाचल प्रदेश के इतिहास के कुछ आरंभिक पहलू Posted: 08 Nov 2020 10:06 PM PST महाभारत काल के अनुसार, वर्तमान में हिमाचल प्रदेश बहुत से छोटे छोटे गणतंत्रों को मिला कर बना है जिन्हें हम जनपद के नाम से जाना जाता है I इन जनपदों में दोनों राज्य एवं सांस्कृतिक इकाइयाँ शामिल हैं I अदुम्बरा: ये हिमाचल प्रदेश की सबसे प्राचीन जनजातियों में से एक है जो कि हिमाचल की तलहटी में पठानकोट और ज्वालामुखी के बीच में स्थित थी I इन्होने 2 ई पूर्व एक अलग राज्य की स्थापना कर दी थी I त्रिगर्त: यह राज्य तीन नदियों - रावी, व्यास और सतलुज की तलहटी में स्थित है इसी कारण से इसका यह नाम पड़ा I इसे एक स्वतंत्र गणराज्य माना जाता है I कुल्लुट: कीलित का यह राज्य व्यास घाटी के उपरी भाग में स्थित था तथा इससे कुल्लुट के नाम से भी जाना जाता था इसकी राजधानी नग्गर में थी I कुलिंदास: यह राज्य व्यास, सतलुज और यमुना नदियों के क्षेत्र में बसा था जो कि शिमला और सिरमौर के पहाड़ी क्षेत्र थे I यहाँ का राज्य एक ऐसे गणराज्य के समरूप था जिसमें एक केन्द्रीय सभा राज्य के साथ उसकी शक्तियों को बाँटती थी I गुप्त साम्राज्य: चन्द्रगुप्त ने धीरे-धीरे जबरन हिमाचल के ज्यादातर साम्राज्यों पर कब्ज़ा कर लिया था हालाँकि वो उन पर सीधे तौर पर शासन नहीं करता था I चन्द्रगुप्त के पोते अशोक ने अपनी सीमाओं को बढ़ा कर हिमालय क्षेत्र तक पहुंचा दिया था I उसने इस क्षेत्र में बौद्ध धरम का पदार्पण किया I उसने अनेकों स्पुत बनवाए जिनमें से एक कुल्लू घाटी में भी है I हर्ष: गुप्त सामराज्य के समाप्ति तथा हर्ष के उदय से पहले यह क्षेत्र पुन्न: छोटे-छोटे मुखियाओं जिन्हें ठाकुर और राणाओं के नाम से जाना जाता था , के अधीन रहा I 7वीं शताब्दी में हर्ष के उदय के साथ इनमें से अधिकतर छोटे राज्यों ने उसकी सर्वस्ता को स्वीकार कर लिया था लेकिन कई स्थानीय शक्तियाँ अभी भी छोटे मुखियाओं के पास ही थी I |
मिलिए 17 साल की अमनदीप से, जिसकी वजह से उसके गांव के किसानों ने पराली जलानी बंद कर दी Posted: 08 Nov 2020 09:52 PM PST पराली जलाने की वजह से हवा में प्रदूषक तेज़ी से बढ़ जाते हैं और आसमान में प्रदूषण की एक मोटी चादर दिखाई देने लगती है. उत्तर भारत का हर शहर हर साल पराली जलने की समस्या से जूझता है, लेकिन इसका कोई ठोस Solution नहीं निकाला जाता. लेकिन, इससे लड़ने के लिए पंजाब की एक 17 साल की लड़की अकेले काम कर रही है. उसकी ये मुहिम उसके घर से शुरू हुई और आज उसकी वजह से कई किसानों ने पराली जलानी बंद कर दी है. 17 साल की अमनदीप की पहल पंजाब के संगरूर ज़िले में रहने वाली 17 साल की अमनदीप कौर ने ये पहल अपने घर से शुरू की. उसने सबसे पहले अपने पिता को पराली न जलाने के लिए मना किया. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक़, अमनदीप को सांस से जुड़ी बीमारी थी. "मैं जब छह साल की थी तो मुझे सांस संबंधी बीमारी थी. धान की कटाई के बाद पराली जलाए जाने से समस्या बढ़ जाती थी. मेरे पिता के पास 20 एकड़ ज़मीन है और वो 25 एकड़ ज़मीन किराए पर लेकर खेती करते हैं." इसी के चलते उन्होंने अपने पिता को पराली न जलाने के लिए राज़ी कर लिया. उनके पिता को देखकर कई और किसानों ने भी ऐसा करना बंद कर दिया. इसकी वजह से धुएं से तो छुटकारा मिला ही. साथ ही अब किसानों को कम खाद का इस्तेमाल करना पड़ रहा है और खेतों की मिट्टी की हालत भी सुधर रही है. पराली ना जलाने से 60 से 70 फ़ीसदी कम खाद का प्रयोग होता है खेती के बाद बचे अवशेषों से निपटने के लिए बीज बोने वाली मशीन का प्रयोग किया जाता है. अमनदीप ने कहा कि, उन्होंने ख़ुद बीज बोने वाली मशीन का इस्तेमाल किया और ट्रैक्टर चलाना भी सीखा और आज वो ख़ुद खेती भी करती है. कृषि विज्ञान में ग्रेजुएशन करने वाली अमनदीप के मुताबिक, पराली न जलाने की वजह से खेत ज़्यादा उपजाऊ हो गए हैं और अब 60 से 70 फ़ीसदी कम खाद का प्रयोग होता है. उसके गांव के सरपंच ने हिसाब से किसानों ने पराली जलाना 80 प्रतिशत की कम कर दिया है. अमनदीप किसी प्रेरणा से कम नहीं है! |
पिता कैब ड्राइवर हैं, बेटी ने क्रैक किया IIT, अगला लक्ष्य IAS अफसर बनना है Posted: 08 Nov 2020 09:46 PM PST कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जो समाज के लिए मिसाल कायम करती हैं. साथ ही समाज को यह संदेश भी देती हैं कि हिम्मत और जज़्बे से हर विपरीत स्थिति को हराया जा सकता है. कुछ ऐसी ही कहानी आईआईटी पटना में प्रवेश पाने वाली स्वाति की है. स्वाति के पिता रामू एक कैब ड्राइवर हैं. वो करीब 20 साल पहले अपनी पत्नी के साथ आजीविका की तलाश में आंध्र में विजयनगरम के सलुरु के पास पचिपेंटा से विजाग में आकर रहने लगे थे. उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वो अपनी बेटी को सभी ज़रूरी सुख-सुविधाएं दे सकें. मगर उन्होंने उसे स्कूल भेजने के लिए वो सबकुछ किया जो वो कर सकते थे. घर चलाने के साथ-साथ बेटी को पढ़ाने के लिए रामू ने पहले ऑटो चलाया. फिर वो कंचनपालम से मधुरवाड़ा आ गए, जहां उन्होंने टैक्सी चलानी शुरू कर दी. बेटी स्वाति ने भी पिता की मेहनत खराब नहीं होने दी. 10 वीं में 10/10 ग्रेड लाने के बाद स्वाति ने खुद को IIT के लिए तैयार करना शुरू कर दिया. अंतत: स्वाति अपने पिता और शिक्षकों की उम्मीद पर खरी उतरी. वो अपने कॉलेज से आईआईटी में दाखिला पाने वाली पहली लड़की है. स्वाति की इस सफलता में उनके पिता के अलावा उनके स्कूल के हेडमास्टर का अहम योदगान रहा. उन्होंने कुछ शिक्षकों के साथ मिलकर स्वाति को एक लाख रुपए की आर्थिक मदद तक की. स्वाति का अगला लक्ष्य एक IAS अधिकारी बनना है. भविष्य के लिए स्वाति को शुभकामनाएं. |
इस पॉलिसी में रोजाना 76 रुपये करें निवेश, पाएं 9 लाख रु की मोटी रकम Posted: 08 Nov 2020 09:44 PM PST निवेश करने का प्लान बना रहे हैं, लेकिन इस बात का कंफ्यूजन है कि कहां इन्वेस्ट करें तो बिल्कुल परेशान न हो। आप एलआईसी की स्कीम में पैसा लगा सकते हैं। जहां निवेश कर आप बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं। इस समय भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड कई सारे ऐसे जीवन बीमा प्लान चलाता है, जिनमें लोगों को कम निवेश में अच्छा रिटर्न पॉलिसी के मैच्योर होने पर मिलता है। LIC : इस पॉलिसी में केवल एक बार करें निवेश, हर महीने मिलेगी 28 हजार रुपये की पेंशन ये भी पढ़ें एलआईसी सबसे ज्यादा भरोसेमंद संस्था है। इसकी पॉलिसी में निवेश करने से एक्सीडेंट से लेकर किसी तरह के खतरे में जहां बीमा की सुविधा मिलती है। वहीं मेच्योरिटी पर रिटर्न भी अच्छा-खासा मिलता है। यही वजह है कि देश में ज्यादातर परिवारों ने लाइफ इन्श्योरेंस की कोई न कोई पॉलिसी जरूर ले रखी है। इसकी सबसे बड़ी ख़ास बात यह है कि कस्टमर अपनी जरूरत के हिसाब से किसी भी पालिसी में निवेश कर सकता है। जीवन लक्ष्य पॉलिसी, जानिए कौन कर सकता निवेश एलआईसी की अलग-अलग पॉलिसी हैं जिनमें गरीब से लेकर अमीर तक के लोग आसानी से निवेश कर सकते हैं। अगर आप लॉन्ग टर्म में निवेश करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो एलआईसी की जीवन लक्ष्य पॉलिसी (टेबल नंबर 933) में निवेश कर सकते हैं। यह एंडोमेंट प्लान है। इसमें निवेश करने के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है। वहीं अधिकतम उम्र 50 वर्ष निर्धारित की गई है। पॉलिसी में डेथ बेनिफिट भी पॉलिसी टर्म की बात करें तो यह 13 से 25 साल निर्धारित है। खास बात यह है कि आप जितने भी साल का टर्म चुनेंगे उसमें से तीन साल कम ही आपको प्रीमियम भरना होगा। इस पॉलिसी में न्यूनत सम एश्योर्ड 1 लाख रुपये तो वहीं अधिकतम की कोई सीमा नहीं है। इस पॉलिसी में डेथ बेनिफिट भी दिया जाता है। पॉलिसीधारक की मृत्यु की स्थिति में बाकी बचे हुए वर्षों के लिए प्रीमियम नहीं लिया जाता। इसके साथ ही नॉमिनी को हर साल पॉलिसीधारक के सम एश्योर्ड का 10 फीसदी मिलता रहता है, यह अमाउंट जब तक मिलेगा जब तक पॉलिसी की मैच्योरिटी पूरी नहीं हो जाती। 76 रुपये के रोजाना निवेश पर मिलेगा 9 लाख इस पॉलिसी में आप रोजाना 76 रुपये का निवेश कर 9 लाख रुपये की मोटी रकम हासिल कर सकते हैं। ऐसे समझे अगर कोई व्यक्ति 23 वर्ष की उम्र में 20 साल के टर्म प्लान और 500000 सम एश्योर्ड विकल्प को चुनता है तो उसे 17 साल तक रोजाना 76 (पहले साल 78 के बाद) रुपये भरने होंगे। इस तरह उसे कुल 4,75,561रुपये भरने होंगे। यह रकम मैच्योरिटी पर 9,55,000 रुपये होगी। ऑनलाइन ऐसे चेक करें एलआईसी पॉलिसी स्टेट्स अपनी पॉलिसी स्टेट्स को जानने के लिए एलआईसी के ऑफिशियल वेबसाइट https://www.licindia.in/ पर जाएं। इसके लिए आपको सबसे पहले अपना रजिस्ट्रेशन करना होता है। रजिस्ट्रेशन करने के लिए वेबसाइट लिंक https://ebiz.licindia.in/D2CPM/#Register पर जाएं। अब अपना नाम, पॉलिसी संख्या, डेट ऑफ बर्थ डालें।इसके बाद जब आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा तो आप अपना एलआईसी अकाउंट खोलकर स्टेट्स जांच सकते हैं। |
ये चारों धाकड़ दिग्गज अकेले दम पर मुंबई को मैच जिता सकते हैं Posted: 08 Nov 2020 09:42 PM PST मुंबई इंडियंस का नाम सुनते ही आईपीएल में चैम्पियन टीम की याद सभी को आ जाती है। मुंबई इंडियंस आईपीएल की सबसे सफल टीम है और इस टीम को बनाने में इसके खिलाड़ी ही सबसे ज्यादा आगे रहे हैं। एकजुटता मुंबई इंडियंस की ताकत है क्योंकि इसके कारण ही यह टीम इस मुकाम तक पहुंच पाई है। इस बार भी मुंबई इंडियंस की टीम आईपीएल के फाइनल में गई है और एकतरफा जीतती हुई गई है। किसी भी टीम ने उन्हें ग्रुप चरण में पहले स्थान से हटाने का प्रयास भी नहीं किया। मुंबई इंडियंस की यही खासियत सबको पसंद आती है। यूएई में जाने से पहले मुंबई इंडियंस का पिछला रिकॉर्ड देखा जा रहा था और उन्हें वहां मिली पांच हार को लेकर विश्लेषण किये जा रहे थे। मुंबई इंडियंस ने अपने प्रदर्शन के दम पर उन विश्लेषणों को खोखला साबित कर दिया। अपने धमाकेदार खेल और अंदाज से इस टीम ने एक बार फिर से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई है। इसके पीछे इस टीम के कुछ खिलाड़ियों का हाथ है जिन्हें इस टीम को कभी रिलीज नहीं करना चाहिए। मुंबई इंडियंस के इन खिलाड़ियों को रिलीज नहीं करना चाहिए हार्दिक पांड्याहार्दिक पांड्या हार्दिक पांड्या को कभी रिलीज क्यों नहीं करना चाहिए यह इस आईपीएल के कुछ मैचों में उनकी पारियों से पता चला है। हार्दिक पांड्या फिनिशिंग की क्षमता रखते हैं और किसी भी गेंदबाज को आसानी से हिट कर सकते हैं। इन खूबियों वाले खिलाड़ी को कभी रिलीज नहीं करना चाहिए क्योंकि अंतिम ओवरों में तेजी से बल्लेबाजी के लिए हर बार यही खिलाड़ी काम आता है। जसप्रीत बुमराहजसप्रीत बुमराह विश्व क्रिकेट के धाकड़ गेंदबाज जसप्रीत बुमराह इस आईपीएल में भी अपनी गेंदबाजी का धाकड़ दम दिखा रहे हैं। जसप्रीत बुमराह अपने दम पर मैच जिताने का माद्दा रखते हैं और वे मुंबई इंडियंस के मुख्य गेंदबाज हैं। उन्हें कभी रिलीज करने की गलती इस टीम को नहीं करनी चाहिए। किरोन पोलार्डकिरोन पोलार्ड कितना ही बड़ा स्कोर हो, किरोन पोलार्ड जब क्रीज पर होते हैं, तो मुंबई इंडियंस की जीत के आसार रहते हैं। किरोन पोलार्ड ने कई मौकों पर यह साबित किया है। इस आईपीएल में सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट वाले बल्लेबाजों में पोलार्ड पहले और पांड्या दूसरे स्थान पर हैं। किरोन पोलार्ड शुरू से ही मुंबई इंडियंस के साथ ही खेले हैं। उन्हें कभी रिलीज नहीं करना चाहिए। रोहित शर्मारोहित शर्मा इस टीम के मुख्य खिलाड़ी और चार बार चैम्पियन बनाने वाले रोहित शर्मा की लीडरशिप और बल्लेबाजी दोनों बेहतरीन है। हालांकि इस आईपीएल में वह नहीं चले लेकिन टीम अच्छा कर रही है। अपने दिन रोहित शर्मा किसी भी टीम के गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाने में सक्षम हैं और उनके रहने भर से विपक्षी गेंदबाजों का मनोबल गिर जाता है। मुंबई को उन्हें हमेशा अपने साथ रखना चाहिए। |
इसीलिए मनाया जाता है भैया दूज का पर्व, जानिए तिलक का शुभ मुहूर्त और रोचक कथा Posted: 08 Nov 2020 09:38 PM PST भैया दूज पर बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, उन्हें सूखा नारियल देकर उनकी सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करती हैं. चलिए बताते हैं इस बार भैया दूज का पर्व कब है और आखिर कैसे इस पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हुई. भारत में त्यौहारों का एक पौराणिक महत्व अवश्य है. हर व्रत, पर्व व त्यौहार किसी ना किसी विशेष उद्देश्य से ही मनाया जाता है. इसी तरह एक पर्व है भैया दूज. जो दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर मनाया जाने वाला भैया दूज का पर्व भाई व बहन के बीच अटूट प्यार व विश्वास का प्रतीक है. भैया दूज पर बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, उन्हें सूखा नारियल देकर उनकी सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करती हैं. चलिए बताते हैं इस बार भैया दूज का पर्व कब है और आखिर कैसे इस पर्व को मनाने की परंपरा शुरु हुई. इस दिन है भैया दूज 2020 का पर्व इस बार दीवाली का त्यौहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा. और इसके ठीक दो दिन बाद यानि 16 नवंबर को होगा भैया दूज का पर्व. और इसी पर्व के साथ पंच दिवसीय दीपोत्सव का समापन भी हो जाता है. इसीलिए मनाया जाता है भैया दूज पौराणिक मान्यता के मुताबिक यमराज को उनकी बहन यमुना ने कई बार मिलने के लिए बुलाया. लेकिन यम जा ही नहीं पाते थे. एक दिन वो अपनी बहन के घर उनसे मिलने पहुंचे, तो बहन यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने यमराज को बड़े ही प्यार व आदर से भोजन कराया और तिलक लगाकर उनकी खुशहाली की कामना की. खुश होकर यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा - तब यमुना ने मांगा कि इस तरह ही आप हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया मेरे घर आया करो. वहीं इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा और उनके घर में भोजन करेगा व बहन से तिलक करवाएगा तो उसे यम व अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। तब यमराज ने उनके वरदान को पूरा किया. और तभी से इस दिन भैया दूज मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई. इस दिन यमुना में लगाई जाती है डुबकी यही कारण है कि इस दिन यमुना में डुबकी लगाने की परंपरा है. यमुना में स्नान करने का बड़ा ही महत्व इस दिन बताया गया है. भाईदूज पर तिलक का शुभ मुहूर्त- भाई दूज तिलक समय- 01:10 बजे से 03:18 बजे तक.अवधि- 2 घंटा 8 मिनट. द्वितीया तिथि प्रारंभ-16 नवंबर 2020 को सुबह 07:06 बजे से. द्वितीया तिथि समाप्त- 17 नवंबर 2020 को सुबह 03:56 बजे तक. |
कब है गोवर्धन पूजा? गोवर्धन पूजा विधि, गोवर्धन पूजा का महत्त्व जानिए Posted: 08 Nov 2020 09:31 PM PST दीपावली के अगले दिन यानि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है| लोग इस पर्व को अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं| इस त्यौहार का पौराणिक महत्व है| इस पर्व में प्रकृति एवं मानव का सीधा संबंध स्थापित होता है| इस पर्व में गोधन यानी गौ माता की पूजा की जाती है| शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उतनी ही पवित्र हैं जितना माँ गंगा का निर्मल जल| आमतौर पर यह पर्व अक्सर दीपावली के अगले दिन ही पड़ता है किन्तु यदा कदा दीपावली और गोवर्धन पूजा के पर्वों के बीच एक दिन का अंतर आ जाता है| गोवर्धन पूजा विधिइस पर्व में हिंदू धर्म के मानने वाले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन जी की मूर्ति बनाकर उनका पूजन करते हैं| इसके बाद ब्रज के साक्षात देवता माने जाने वाले भगवान गिरिराज को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाते हैं| गाय- बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूल माला, धूप, चन्दन आदि से उनका पूजन किया जाता है| गायों को मिठाई का भोग लगाकर उनकी आरती उतारी जाती है तथा प्रदक्षिणा की जाती है| कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भगवान के लिए भोग व यथासामर्थ्य अन्न से बने कच्चे-पक्के भोग, फल-फूल, अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ जिन्हें छप्पन भोग कहते हैं का भोग लगाया जाता है| फिर सभी सामग्री अपने परिवार व मित्रों को वितरण कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है| गोवर्धन पूजा व्रत कथा यह घटना द्वापर युग की है| ब्रज में इंद्र की पूजा की जा रही थी| वहां भगवान कृष्ण पहुंचे और उनसे पूछा की यहाँ किसकी पूजा की जा रही है| सभी गोकुल वासियों ने कहा देवराज इंद्र की| तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों से कहा कि इंद्र से हमें कोई लाभ नहीं होता| वर्षा करना उनका दायित्व है और वे सिर्फ अपने दायित्व का निर्वाह करते हैं, जबकि गोवर्धन पर्वत हमारे गौ-धन का संवर्धन एवं संरक्षण करते हैं| जिससे पर्यावरण शुद्ध होता है| इसलिए इंद्र की नहीं गोवर्धन की पूजा की जानी चाहिए| सभी लोग श्रीकृष्ण की बात मानकर गोवर्धन पूजा करने लगे| जिससे इंद्र क्रोधित हो उठे, उन्होंने मेघों को आदेश दिया कि जाओं गोकुल का विनाश कर दो| भारी वर्षा से सभी भयभीत हो गए| तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठिका ऊँगली पर उठाकर सभी गोकुल वासियों को इंद्र के कोप से बचाया| जब इंद्र को ज्ञात हुआ कि श्रीकृष्ण भगवान श्रीहरि विष्णु के अवतार हैं तो इन्द्रदेव अपनी मुर्खता पर बहुत लज्जित हुए तथा भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा याचना की| तबसे आज तक गोवर्धन पूजा बड़े श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ की जाती है| गोवर्धन पूजा का महत्त्व कहा जाता है कि भगवान कृष्ण का इंद्र के अहंकार को तोड़ने के पीछे उद्देश्य ब्रज वासियों को गौ धन एवं पर्यावरण के महत्त्व को बतलाना था| ताकि वे उनकी रक्षा करें| आज भी हमारे जीवन में गौ माता का विशेष महत्त्व है| आज भी गौ द्वारा प्राप्त दूध हमारे जीवन में बेहद अहम स्थान रखता है| यूं तो आज गोवर्धन पर्वत ब्रज में एक छोटे पहाड़ी के रूप में हैं, किन्तु इन्हें पर्वतों का राजा कहा जाता है| ऐसी संज्ञा गोवर्धन को इसलिए प्राप्त है क्योंकि यह भगवान कृष्ण के समय का एक मात्र स्थाई व स्थिर अवशेष है| उस काल की यमुना नदी जहाँ समय-समय पर अपनी धारा बदलती रहीं, वहीं गोवर्धन अपने मूल स्थान पर ही अविचलित रुप में विद्यमान रहे| गोवर्धन को भगवान कृष्ण का स्वरुप भी माना जाता है और इसी रुप में इनकी पूजा की जाती है| गर्ग संहिता में गोवर्धन के महत्त्व को दर्शाते हुए कहा गया है - गोवर्धन पर्वतों के राजा और हरि के प्रिय हैं| इसके समान पृथ्वी और स्वर्ग में दूसरा कोई तीर्थ नहीं| |
धनतेरस पूजन सामग्री, विधि, मुहूर्त और कथा जानिए यहां Posted: 08 Nov 2020 09:26 PM PST दिवाली से पहले धनतेरस पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन धन और आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इनका जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। फिर इनके दो दिन बाद मां लक्ष्मी प्रकट हुईं। धनतेरस के दिन सोने-चांदी, बर्तन, कई जगह झाड़ू की भी खरीदारी करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस पर विधि विधान पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। जानिए धनतेरस की पूजा विधि, व्रत कथा और शुभ मुहूर्त… धनतेरस पूजन की सामग्री 21 पूरे कमल बीज, मणि पत्थर के 5 प्रकार, 5 सुपारी, लक्ष्मी–गणेश के सिक्के ये 10 ग्राम या अधिक भी हो सकते हैं, पत्र, अगरबत्ती, चूड़ी, तुलसी, पान, सिक्के, काजल, चंदन, लौंग, नारियल, दहीशरीफा, धूप, फूल, चावल, रोली, गंगा जल, माला, हल्दी, शहद, कपूर आदि। ज्योतिष परामर्श / सेवाएं धनतेरस पूजा विधि धनतेरस के दिन शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं। पूजा करते समय "ॐ ह्रीं कुबेराय नमः" मंत्र का जाप करें। फिर "धन्वन्तरि स्तोत्र" का पाठ करें। धन्वान्तारी पूजा के बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के लिए मिट्टी का दीपक जलाएं। उन्हें फूल चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं। धनतेरस पर यम के नाम दीप जलाने की विधि : दीपक जलाने से पहले पूजा करें। किसी लकड़ी के बेंच या जमीन पर तख्त रखकर रोली से स्वास्तिक का निशान बनायें। फिर मिट्टी या आटे के चौमुखी दीपक को उस पर रख दें। दीप पर तिलक लगाएं। चावल और फूल चढ़ाएं। चीनी डालें। इसके बाद 1 रुपये का सिक्का डालें और परिवार के सदस्यों को तिलक लगाएं। दीप को प्रणाम कर उसे घर के मुख्य द्वार पर रख दें। ये ध्यान दें कि दीपक की लौ दक्षिण दिशा की तरफ हो। क्योंकि ये यमराज की दिशा मानी जाती है। ऐसा करने से अकाल मृत्यु टल जाती है। धनतेस की कथा क्षीरसागर में माता लक्ष्मी के साथ निवास करने वाले श्रीहरि के मन में विचार आया कि एक बार चलकर मृत्युलोक का निरीक्षण किया जाए। माता लक्ष्मी भी उनके साथ आने को कहने लगीं। भगवान विष्णु ने उनसे कहा, 'आप मेरे साथ एक ही शर्त पर आ सकती हैं, आपको मेरे कहे अनुसार चलना होगा और मेरी सभी बातों को मानना होगा।' मां लक्ष्मी भगवान विष्णु की बात मानकर धरती पर उनके साथ विचरण करने आ गईं। धरती पर पहुंचने के कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को एक स्थान पर रोककर कहा, मैं जब तक वापस न आ जाऊं तब तक आप यहां रुककर मेरा इंतजार करें। यह कहकर विष्णु दक्षिण दिशा की ओर चल दिए। लक्ष्मीजी ने उनकी बात नहीं मानी और वह भी उनके पीछे चल दीं। कुछ दूर चलने के पश्चात उन्हें सरसों का खेत दिखाई दिया। खेत में सुंदर पीले सरसों के फूल देखकर लक्ष्मीजी अति प्रसन्न थीं। उन्होंने इन सरसों के फूलों से अपना श्रृंगार किया और फिर चल दीं। आगे चलने पर अब उन्हें गन्ने का खेत मिला। पके-तैयार गन्ने को देखकर मां लक्ष्मी से रहा नहीं गया और फिर वह गन्ने के खेत में रुककर गन्ना चूसने लगीं। अपनी आज्ञा का उल्लंघन देखकर भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी पर क्रोध आ गया। उन्होंने मां लक्ष्मी को शाप दिया, 'तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया है। तुमने किसान के खेत से चोरी की है। इस सब के बदले अब तुम्हें 12 वर्ष तक किसान के घर रहकर उसकी सेवा करनी होगी। भगवान माता लक्ष्मी को धरती पर छोड़कर क्षीरसागर वापस चले गए। 12 वर्षों तक मां लक्ष्मी ने किसान के घर में रहकर उसे धन-धान्य और रत्न-आभूषणों से भर दिया। 13 वां वर्ष लगते ही शाप पूरा हुआ और भगवान विष्णु मां लक्ष्मी को अपने साथ ले जाने वापस धरती पर पहुंचे। भगवान विष्णु को देखकर किसान ने लक्ष्मीजी को उनके साथ भेजने से इंकार कर दिया। तब विष्णुजी ने किसान को समझाया कि लक्ष्मीजी को आज तक कोई रोक नहीं सका है। वह तो चलायमान हैं। आज यहां तो कल वहां। मेरे शाप के कारण यह 12 वर्ष से आपके पास रुकी थीं, मगर अब इनके जाने का वक्त आ गया है। इतने पर भी किसान नहीं माना और लक्ष्मीजी को नहीं भेजने का हठ करने लगा। तब लक्ष्मीजी को एक उपाय सूझा। उन्होंने कहा, मैं जैसा कहूं, आपको वैसा करना होगा। फिर लक्ष्मीजी ने बताया, कल तेरस है। तुम अपने घर साफ-सफाई करके उसे लीप-पोतकर स्वच्छ करना। शाम की बेला में घी के दीपक जलाकर मेरी पूजा करना। तांबे के एक कलश में सिक्के भरकर मेरे लिए रखना। मैं उस कलश में निवास करूंगी। फिर एक साल के लिए तुम्हारे घर में ही निवास करूंगी। किसान ने ऐसा ही किया और उसका घर भी धन-धान्य से सम्पन्न हो गया। तब से हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की तेरस को धनतेरस की तरह मनाया जाता है। धनतेरस का शुभ मुहूर्त धनतेरस पूजा मुहूर्त – 07:08 पी एम से 08:16 पी एम अवधि – 01 घण्टा 08 मिनट्स यम के नाम दीप जलाने का समय – शाम 06 से 07 पी एम |
दिवाली से पहले इन राशि बालों की लगने बलि है लॉटरी होने बाले हैं मालामाल Posted: 08 Nov 2020 09:17 PM PST दिवाली से पहले इन राशि बालों की लगने बलि है लॉटरी होने बाले हैं मालामाल: हम सभी जानते हैं कि इस बार दिवाली 14 नवम्बर, शनिवार वार के दिन से मनाया जाएगा। वहीं ये भी बता दें कि इस दिवाली कई सारे ऐसे संयोग बन रहे हैं जो कि कई लोगों के लिए बेहद शुभ साबित होने वाले हैं। जी हां आपको बता दें कि ज्योतिषियों का कहना है कि इस दिवाली पर बन रहे इन शुभ संयोग के कारण कुछ राशि के जातकों का समय बेहद ही शुभ और फलदायी होने वाला हैं। ज्योतिषियों की माने तो हर दिवाली पर लोग पुष्य नक्षत्र का इंतजार करते हैं क्योंकि इस दौरान किया गया कोई भी काम बेहद ही उत्तम माना जाता है, वहीं यह भी बताते चलें कि पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति देव माने गए हैं और शनि को इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि बृहस्पति शुभता, बुद्धिमत्ता और ज्ञान का प्रतीक माने हैं वहीं शनिदेव स्थायित्व के प्रतीक माने जाते हैं। इसलिए इन दोनों का योग मिलकर पुष्य नक्षत्र को शुभ और चिर स्थायी बना देता है। इतना ही नहीं पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। ऋगवेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है, इसके अलावा यह समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र भी कहा जाता हैं। इतना ही नहीं कहा तो यह भी जाता है कि अगर आपको इस समय कुछ खरीदना हो तो आप पुष्य नक्षत्र में खरीदे, यह शुभ माना जाता हैं। इतना ही नहीं इस नक्षत्र में यदि सोना खरीदा जाए तो यह और भी लाभकारी माना जाता हैं। एक तरफ जहां उनके जीवन से आर्थिक तंगी का नाश होगा वहीं दूसरी तरफ संबंध भी प्रगाढ़ होंगें। अगर आप आय में वृद्धि के स्रोत खोज रहे हैं, तो सुरक्षित आर्थिक परियोजनाओं में निवेश करें,आपको अचानक धन लाभ प्राप्त होने के योग बन रहे हैं आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी माता-पिता का पूरा साथ मिलेगा,जिससे धन लाभ प्राप्ति होने की संभावना है,उनके मान सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी,माँ लक्ष्मी की कृपा से आपको बड़ा लाभ हो सकता है। हालांकि आपको बता दें कि तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ऐसे में दिवाली से पहले ही ये सभी संयोग, महासंयोग का निर्माण कर रहे हैं जो एक नहीं बल्कि 6 राशियों के लिए बेहद शुभ रहने वाले हैं। इसलिए अगर इस महा संयोग का बड़ा लाभ इन राशियों को होगा जिससे भविष्य में ये तरक्की करते नजर आयेंगे, इनकी किस्मत चमक जाएगी। अब बता दें कि जिन राशियों का भाग्य बदलने वाला हैं वो राशि मेष, वृषभ, कन्या, मिथुन, मकर और तुला राशि हैं। |
छोटी सी उम्र में इस मासूम बच्ची ने जीता लोगों का दिल, क्यूट अदाएं दिखाकर लोगों को बनाया अपना फैन Posted: 08 Nov 2020 09:12 PM PST सोशल मीडिया पर मासूम बच्चों के मजेदार वीडियो लोगों द्वारा काफी पंसद किए जाते है। लोगों के तो फोन और लैपटॉप की मेमोरी बच्चों की फोटो से भरे रहते हैं। इन दिनो सोशल मीडिया पर ऐसी ही एक क्यूट बेबी का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस बच्ची का नाम समायरा थापा जिसने आजकल लोगों का दिल जीत रखा है। आपको जानकारी हैरानी होगी कि इतनी छोटी सी उम्र में भी उन्हें सभी गानों की लिरिक्स पूरी याद हैं. समायरा थापा के फेसबुक, यू ट्यूब और इंस्टाग्राम अकाउंट पर उनके वीडियो आये दिन वायरल होते रहते हैं, तो आइए देखते इस बच्ची की मजेदार वीडियोज... |
भारत का वो रेलवे स्टेशन जो 42 साल तक रहा बंद, इसके पीछे छुपा है ये बड़ा राज Posted: 08 Nov 2020 09:08 PM PST कोई रेलवे स्टेशन किसी एक लड़की की वजह से बंद हो जाए, यह सुनने में बड़ा अजीब सा लगता है और वो भी तब जब स्टेशन को खुले अभी महज सात साल ही हुए हों। आपको शायद यह मजाक लग रहा होगा, लेकिन यह बिल्कुल सच है। यह रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में है, जिसका नाम है बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन। यह रेलवे स्टेशन साल 1960 में खुला था। इसे खुलवाने में संथाल की रानी श्रीमति लाचन कुमारी का अहम योगदान रहा है। यह स्टेशन खुलने के बाद कुछ सालों तक तो सबकुछ ठीक रहा, लेकिन बाद में यहां अजीबोगरीब घटनाएं घटने लगीं। साल 1967 में बेगुनकोडोर के एक रेलवे कर्मचारी ने स्टेशन पर एक महिला का भूत देखने का दावा किया। साथ ही यह अफवाह भी उड़ी कि उसकी मौत उसी स्टेशन पर एक ट्रेन दुर्घटना में हो गई थी। अगले दिन उस रेलवे कर्मचारी ने लोगों को इसके बारे में बताया, लेकिन उन्होंने उसकी बातों को अनदेखा कर दिया। असली परेशानी तो तब शुरू हुई जब उस वक्त के बेगुनकोडोर के स्टेशन मास्टर और उनका परिवार रेलवे क्वार्टर में मृत अवस्था में पाया गया। यहां रहने वाले लोगों का दावा था कि इन मौतों में उसी भूत का हाथ था। उनका कहना था कि सूरज ढलने के बाद जब भी कोई ट्रेन यहां से गुजरती थी तो महिला का भूत उसके साथ-साथ दौड़ने लगता था और कभी-कभी तो ट्रेन से भी तेज दौड़कर उसके आगे निकल जाता था। इसके अलावा कई बार उसे ट्रेन के आगे पटरियों पर भी नाचते हुए देखे जाने का दावा किया गया था। इन खौफनाक घटनाओं के बाद बेगुनकोडोर को भूतिया रेलवे स्टेशन माना जाने लगा और यह रेलवे के रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया। लोगों के अंदर इस महिला का भूत का इतना खौफ बढ़ चुका था कि वो इस स्टेशन पर आने से कतराने लगे। धीरे-धीरे यहां लोगों का आना-जाना बंद हो गया। यहां तक कि स्टेशन पर काम करने वाले रेलवे कर्मचारी भी डर के मारे भाग गए। कहते हैं कि जब भी किसी रेलवे कर्मचारी की बेगुनकोडोर स्टेशन पर पोस्टिंग होती, वो तुरंत ही यहां आने से मना कर देता। यहां तक कि इस स्टेशन पर ट्रेनों का रुकना भी बंद हो गया, क्योंकि डर के मारे न तो कोई यात्री यहां उतरना चाहता था और न ही कोई इस स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने के लिए ही आता था। इसके बाद से पूरा का पूरा स्टेशन ही सूनसान हो गया। कहते हैं कि इस स्टेशन पर भूत की बात पुरुलिया जिले से लेकर कोलकाता और यहां तक कि रेलवे मंत्रालय तक पहुंच चुकी थी। यह भी कहा जाता है कि उस वक्त जब भी कोई ट्रेन इस स्टेशन से गुजरती थी तो लोको पायलट स्टेशन आने से पहले ही ट्रेन की गति बढ़ा देते थे, ताकि जल्द से जल्द वो इस स्टेशन को पार कर सकें। यहां तक कि ट्रेन में बैठे लोग स्टेशन आने से पहले ही खिड़की-दरवाजे सब बंद कर लेते थे। हालांकि 42 साल के बाद यानी साल 2009 में गांववालों के कहने पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर इस स्टेशन को खुलवाया। तब से लेकर अब तक इस स्टेशन पर किसी भूत के देखे जाने का दावा तो नहीं किया गया है, लेकिन अभी भी लोग सूरज ढलने के बाद स्टेशन पर रुकते नहीं हैं। फिलहाल यहां करीब 10 ट्रेनें रुकती हैं। भूतिया रेलवे स्टेशन के तौर पर विख्यात हो चुके इस स्टेशन पर कई बार पर्यटक घूमने के लिए भी आते हैं। |
पुरुषों के लिए ताकत का खजाना है यह चीज, एक बार जरूर सेवन करें Posted: 08 Nov 2020 09:04 PM PST आज मैं आपके लिए एक ऐसी चीज का हलवा लाया हूँ, जो सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी है। जी हाँ दोस्तों, मैं बात कर रहा हूँ मक्के के आटे के हलवे के बारे में, मक्का पाचनशक्ति को बढ़ाती है और शरीर को ताकतवर बनाती है। इस हलवे का नियमित सेवन करने से शरीर फौलादी बन जाता है। आइये जानते हैं मक्के के आटे का हलवा बनाने के बारे में। आवश्यक सामग्री इसके लिए आपो जरूरत पड़ेगी मक्का का आटा 100 ग्राम, देसी घी - 70 ग्राम, चीनी 130 ग्राम, काजू 15, बादाम 12, छोटी इलायची 6, नारियल कटा हुआ 30 ग्राम और किशमिस 25 ग्राम। बनाने और सेवन की विधि: सबसे पहली मक्के के आटे को भून लें और जब आटा हल्का सुनहरा हो जाए तो उसे उतार लें। इसके बाद घी को गरम करें और उसमे मक्के के आटे को डाल दें। इसके बाद चीनी डालकर अच्छी तरह से मिला लें। अब बची हुई सभी चीजों को बारीक पीस कर मिला लें और दो कप पानी डालकर पकाएं। जब मिश्रण हल्का गाढ़ा रह जाए तो उसे उतार लें। अब हलवा बनकर तैयार हो गया है। इस हलवे को सुबह और शाम 40 ग्राम गर्म दूध के साथ सेवन करने से शरीर ताकतवर बन जाता है। बीमारियाँ पास नहीं आतीं हैं और कमजोर शरीर को भी फौलादी बना देता है। |
शीघ्रपतन और नामर्दी को ख़त्म करने का महाशक्तिशाली उपचार, एक बार जरूर पढ़ें Posted: 08 Nov 2020 08:58 PM PST नामर्दी की समस्या ज्यादातर खान पान के कारण ही उत्पन्न होतीं हैं। अगर आप अपने खानपेन को नहीं सुधारते हैं हैं। अगर खानपेन को सुधारकर कर हमारे द्वारा बताई गईं औषधियों का प्रयोग करते हैं तो नामर्दी ,शीघ्रपतन सहित जितने भी गुप्त रोग हैं इनका शक्तिशाली उपचार है। आइये जानते हैं शक्तिशाली उपचार। खोई ताकत को वापस लाने के लिये दोस्तों सबसे पहले एक किलो इमली के बीजों को खरीद लें और उन्हें लगभग ६ दिनों तक पानी में भीगने दें। इसके बाद इन बीजों को छील लें और इसमे दो गुना पुराना गुड़ मिलाकर गूंथ लें। इसके बाद 5-5 ग्राम की गोलियां बना लें। अब जब भी आप शारीरिक सम्बन्ध बनाएं उससे दो घंटा पहले एक गोली या फिर दो गोलियों को दूध के साथ लें। इससे आपकी खोई हुई शारीरिक ताकत वापस आयेगी। नामर्दी और शीघ्रपतन को दूर करने का महाशक्तिशाली उपचार सामग्री -काली तुलसी के बीज 50 ग्राम ,शिवलिंगी के बीज 50 ग्राम ,सेमल के बीज 50 ग्राम ,खिरैन्ती के बीज 50 ग्राम , कौंच के बीज 50 ग्राम ,गंगेरन् की छाल 50 ग्राम ,चिरौंजी की जड़ की छाल 50 ग्राम और पीसी मिश्री 175 ग्राम। बनाने की विधि -इन सभी चीजों को पीसकर इसमें मिश्री मिला लें और किसी कांच की बोतल में भर कर रख दें। उपयोग विधि -इस औषधि की 10 ग्राम मात्रा रात्रि रोते समय दूध के साथ लें। इसका सेवन एक माह तक करने से नामर्दी और शीघ्रपतन की समस्या जड़ से ख़त्म हो जाती है। इसके लिए यह सबसे महाशक्तिशाली उपचार है। |
120 लड़कियों से शादी कर चुका है यह शख्स, कहता है बस यह बात Posted: 08 Nov 2020 08:53 PM PST विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है। विवाह की परिभाषा न केवल संस्कृतियों और धर्मों के बीच, बल्कि किसी भी संस्कृति और धर्म के इतिहास में भी दुनिया भर में बदलती है। आमतौर पर, यह मुख्य रूप से एक संस्थान है जिसमें पारस्परिक संबंध, आमतौर पर यौन, स्वीकार किए जाते हैं या संस्वीकृत होते हैं। दोस्तों, अक्सर आपने कहानियों में सुनते एवं पढ़ते आए होंगे की पुराने जमाने में राजा- महाराजाओं की कई रानियां हुआ करती थी. लेकिन 21वीं शताब्दी में क्या आपने ऐसा सुना है कि किसी व्यक्ति ने 120 शादियां की हो. जी हां दोस्तों, आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो 58 साल की उम्र तक 120 शादियां कर चुका है और आगे भी शादियां करना चाहता है. जी हां दोस्तों, आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो 58 साल की उम्र तक 120 शादियां कर चुका है और आगे भी शादियां करना चाहता है. बताया जा रहा है कि 58 साल की उम्र के बाद भी इस शख्स को शादी करने का जुनून नहीं उतर रहा है और आगे और भी शादियां करना चाहता है. सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि यह शख्स शादी से पहले लड़कियों को सब कुछ बता देता है. इसके बावजूद भी लड़कियां इस से शादी करने को तैयार हो जाती है. तो चलिए जानते हैं इस शख्स के बारे में. जानकारी के मुताबिक यह शख्स थाईलैंड में रहता है इस शख्स का नाम तंबन प्रैजर्ट है. यहां के कानून के अनुसार यदि आपने 2 शादियां की है तो आपको जेल की सजा हो सकती है इस शख्स के करीब 28 बच्चे हैं. तंबन ने अभी सभी साथियों के बारे में अब जाकर जानकारी दी है. आपको बताते चले कि तंबन का कंस्ट्रक्शन का बिजनेस है. वह स्थानीय राजनीति में भी काफी दखल रखता है और वह एक रसूखदार शख्स है. तंबन ने अपनी शादियों के बारे में रोचक बात बताते हुए बताया है कि वह जहां पर भी अपना बिजनेस के लिए जाता है वहीं पर एक शादी कर लेता है. पहली बार तंबन की शादी 17 साल के उम्र में हुई थी. बिजनेस के लिए वह थाईलैंड के अलग-अलग इलाकों में जाने लगा और उसके कई लड़कियों से संबंध भी बने. जिसके बाद उसे अजीब सी लत लग गई और वह शादी करने लगा. हैरानी की बात तो यह है कि तंबन अपनी शादी से पहले हर लड़की और उसके मां- बाप को अपनी पिछली शादियों के बारे में बता देता है. मगर इसके बाद भी वह लड़की उससे शादी करने को राजी हो जाती है. बावजूद इसके कोई भी लड़की या मां -बाप शादी से इंकार नहीं करते हैं. |
IAS के इंटरव्यू में पूछे जाते हैं ऐसे ट्रिकी सवाल, क्या जवाब देते आप ? Posted: 08 Nov 2020 08:50 PM PST सिविल सेवा परीक्षा हिंदुस्तान की सर्वोच्च सेवा परीक्षा है। यहां सबसे मुश्किल राउंड होता है इंटरव्यू। यहां परीक्षार्थी के ज्ञान और बुद्धि की परीक्षा होती है। इंटरव्यू बोर्ड भावी नौकरशाह की कई सारी काल्पनिक स्थितियां देकर उलझाने की कोशिश करता है और देखता है कि इंटरव्यू देने वाला कैसे पार पाता है। आइए आपको रु-ब-रू कराते हैं ऐसे ही सवालों से, जो कि भावी सिविल सर्वेंट से इंटरव्यू में पूछे जाते हैं। सबसे पहले जवाब दे देते हैं उस सवाल को जो आपको ऊपर फोटो में दिखाई दे रहा है। दरअसल, मांग में सिंदूर भरना ऐसा काम है, जो कि एक आदमी आमतौर पर जिंदगी में एक बार करता है और उसके बाद औरत हर रोज अपने पति के नाम का मांग में सिंदूर भरती है। पहले पांच सवाल1). आधा कटा हुआ एक सेब कैसा दिखता है? 2). अगर मैं आपकी बहन को लेकर भाग जाऊं तो आप क्या करोगे? 3). बुधवार, शुक्रवार, और रविवार को छोड़कर हफ्ते के तीन लगातार दिनों के नाम बताइए। 4). अगर एक सुबह आपको ये पता चले कि आप प्रेग्नेंट हैं, तो आप क्या करेंगे? 5). मोर एक पक्षी है, जो अंडे नहीं देता। फिर उनके बच्चे कैसे होते हैं? बाकी पांच सवाल6). एक बिल्ली के तीन बच्चे हैं, जनवरी, मार्च, और मई। तो इन बच्चों की मम्मी का क्या नाम है? 7). जेम्स बॉन्ड को प्लेन से धक्का दे दिया गया, फिर भी वो जिंदा बच गया। कैसे? 8). एक अपराधी को मौत की सजा सुनाई गई। उसे इन तीन कमरों में से अपने लिए सबसे सुरक्षित कमरा चुनना था। एक कमरे में धधकती हुई आग थी, दूसरे में कुछ हत्यारे थे जिनके हाथों में बंदूके थीं, और तीसरे कमरे में शेर का झुंड था। जिन्हें 3 सालों से खाना नहीं मिला था। वो आदमी कौन सा कमरा चुनेगा? 9). दो जुड़़वा भाई आदर्श और अनुपम मई में पैदा हुए थे, लेकिन उनका जन्मदिन जून में आता है। ये कैसे संभव है? 10). बंगाल की खाड़ी किस स्टेट में है? अब जानिए जवाब1. दूसरे आधे कटे सेब की तरह। 2. मुझे अपनी बहन के लिए आपसे अच्छा लड़का नहीं मिल सकता। 3. बीता हुआ कल, आज और आने वाला कल.. 4. मैं खुश होकर छुट्टी लूंगी और अपने पति के साथ वो दिन सेलिब्रेट करूंगी। 5. मोरनी अंडे देती है, मोर नहीं। 6. मां का नाम बिल्ली है। 7. प्लेन रनवे पर था। 8. तीसरा कमरा, क्योंकि शेर भूखे थे। 9. 'मई' एक कस्बे का नाम है। 10. लिक्विड स्टेट (द्रव की अवस्था में) |
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