दिव्य रश्मि न्यूज़ चैनल |
- आज 17 - जनवरी - 2021, रविवार को क्या है आप की राशी में विशेष ?
- मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ|
- मुख्यमंत्री ने जमुई में महावीर वाटिका जैव विविधता उद्यान, माधोपुर का किया परिभ्रमण
- मुख्यमंत्री ने प्रथम राज्य पक्षी महोत्सव ‘कलरव’ का दीप प्रज्ज्वलित कर किया उद्घाटन
- मुख्यमंत्री ने आई0जी0आई0एम0एस0 से बिहार में कोरोना वैक्सीनेषन की शुरूआत की
- "केस ऑफ़ द सेंचुरी" में फ़्रांस की मुश्किलें बढ़ना तय,भुगतना होगा जलवायु निष्क्रियता का खामियाज़ा
- बात-चीत से ढकते रहना
- नेगेटिव-पोजेटिव-इन्ट्रोगेटिव
| आज 17 - जनवरी - 2021, रविवार को क्या है आप की राशी में विशेष ? Posted: 16 Jan 2021 07:16 AM PST आज 17 - जनवरी - 2021, रविवार को क्या है आप की राशी में विशेष ?
दैनिक पंचांग एवं राशिफल - सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन जाने प्रशिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. प्रेम सागर पाण्डेय से श्री गणेशाय नम: पंचांग 17 - जनवरी - 2021, रविवार तिथि चतुर्थी दिन 09:03:26 नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद प्रातः 07:17:06 करण : विष्टि 08:10:14 बव 20:37:42 पक्ष शुक्ल योग वरियान 18:32:19 वार रविवार सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ सूर्योदय 06:42:16 चन्द्रोदय 10:13:59 चन्द्र राशि कुम्भ - 25:16:12 तक सूर्यास्त 05:18:11 चन्द्रास्त 21:55:00 ऋतु शिशिर हिन्दू मास एवं वर्ष शक सम्वत 1942 शार्वरी कलि सम्वत 5122 दिन काल 10:32:43 विक्रम सम्वत 2077 मास अमांत पौष मास पूर्णिमांत पौष शुभ और अशुभ समय शुभ समय :- अभिजित 12:10:10 - 12:52:21 अशुभ समय :- दुष्टमुहूर्त : 16:23:16 - 17:05:27 कंटक 10:45:48 - 11:27:59 यमघण्ट 13:34:32 - 14:16:43 राहु काल 16:28:32 - 17:47:37 कुलिक 16:23:16 - 17:05:27 कालवेला या अर्द्धयाम 12:10:10 - 12:52:21 यमगण्ड 12:31:15 - 13:50:21 गुलिक काल 15:09:26 - 16:28:32 दिशा शूल पश्चिम चन्द्रबल और ताराबल
आज का दैनिक राशिफल 17 - जनवरी - 2021, रविवार
पं. प्रेम सागर पाण्डेय् ,नक्षत्र ज्योतिष वास्तु अनुसंधान केन्द्र ,नि:शुल्क परामर्श - रविवार , दूरभाष 9122608219 / 9835654844 दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ| Posted: 16 Jan 2021 06:45 AM PST मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ|17 वीं शताब्दी मुगल काल में एक फ्रांसीसी यात्री बर्नियर भारत आया था । उसने अपने संस्मरण में लिखा है "मैंने कुछ ब्राह्मणों से इसाई धर्म अपनाने का आग्रह किया किन्तु उनका उत्तर सुनकर मैं चकित हो गया । उन्होंने (ब्राह्मणों ने ) अपने कानून को सारी दुनिया के लिए अच्छा बताने का प्रयास नहीं किया, न ही यह कहा कि उनका ईश्वर सिर्फ उनकी सुनता है । उन्होंने एक अजनबी को अपना धर्म अपना लेने से भी मना कर दिया और कहा कि आपका धर्म भी झूठा नहीं है, पर वह आप लोगों के लिए अच्छा है । उन्होंने यह भी कहा कि ईश्वर ने स्वर्ग लोक में जाने के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए हैं । इसलिए आप अपने धर्म को पूरी धर्म को दुनिया का धर्म बनाने की कोशिश न करें ।" इसी प्रकार जब कभी गांधीजी के पास उनके प्रशंसक ईसाई ने गांधीजी से हिन्दू धर्म की दीक्षा मांगी तब उन्होंने इन्कार कर दिया । वे ऐसे लोगों से कहते थे, "जिस धर्म में तुम्हारा जन्म हुआ उसे मत छोड़ो । मेरी धर्मनिष्ठा देखकर तुम मेरी तरफ से दीक्षा की अपेक्षा क्यों रखते हो ? अपना रास्ता आप ही निकालो । दुनिया में जो कुछ अच्छा है उसको स्वीकार करने से तुम्हारा धर्म तुम्हें थोड़े ही रोकता है ? प्रगति करना यह दुनिया का स्वभाव है । धर्म भी प्रगति करते आये है। अगर अपना धर्म अधर्म ही है तो उसे छोड़ देना । लेकिन अपने धर्म में कुछ दोष या कुछ बुराई दीख पड़े तो उसे दूर करने की कोशिश करना यही अपने धर्म की सेवा है ।"। सनातन धर्म की इसी महान परम्परा पर स्वामी विवेकानन्द ने कहा था :-- "मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृत-दोनों की शिक्षा दी है । हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते वरन समस्त धर्मों को सच्चा मानकर स्वीकार करते हैं । दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| मुख्यमंत्री ने जमुई में महावीर वाटिका जैव विविधता उद्यान, माधोपुर का किया परिभ्रमण Posted: 16 Jan 2021 06:33 AM PST मुख्यमंत्री ने जमुई में महावीर वाटिका जैव विविधता उद्यान, माधोपुर का किया परिभ्रमण
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने शिलापट्ट का अनावरण कर सुधा पार्लर का उद्घाटन किया। उन्होंने महावीर कुंड में कमल और मखाने का बीजारोपण किया। इसके साथ ही रुद्र वन में रुद्राक्ष का पौधा भी लगाया। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| मुख्यमंत्री ने प्रथम राज्य पक्षी महोत्सव ‘कलरव’ का दीप प्रज्ज्वलित कर किया उद्घाटन Posted: 16 Jan 2021 06:25 AM PST मुख्यमंत्री ने प्रथम राज्य पक्षी महोत्सव 'कलरव' का दीप प्रज्ज्वलित कर किया उद्घाटनपटना, 16 जनवरी 2021:- मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार ने आज जमुई जिले के नागी-नकटी पक्षी आश्रयनी में प्रथम राज्य पक्षी महोत्सव 'कलरव' का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा 15 से 17 जनवरी तक चलने वाले इस प्रथम राज्य पक्षी महोत्सव के अवसर पर आयोजित जनसभा में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री को पौधा एवं अंगवस्त्र भेंटकर उनका स्वागत किया। जिलाधिकारी श्री अवनीष कुमार सिंह ने प्रतीक चिंह भेंट कर मुख्यमंत्री का स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने नागी-नकटी पक्षी अभ्यारण्य के काॅफी टेबल बुक का विमोचन किया। उद्घाटन के मौके पर लोक गायिका सुश्री मैथिली ठाकुर ने लोक गीत की प्रस्तुति दी। जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य पक्षी महोत्सव के पहली बार आयोजन के लिये वन एवं पर्यावरण विभाग को बधाई दी एवं सभा में उपस्थित लोगों का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि आज मुझे यहां आकर काफी खुषी हुई है। पहले हम यहां कभी नहीं आये थे। पर्यावरण के दृष्टिकोण से यह काफी सुन्दर और महत्वपूर्ण जगह है। नागी-नकटी पक्षी आश्रयणी में बड़ी संख्या में पक्षी का निवास होता है। सर्दियों के मौसम में विदेषों से काफी तादाद में पक्षी आते हैं। आज हमने नागी डैम में नौका से परिभ्रमण कर एक से एक सुन्दर पक्षी को देखा। राज्य पक्षी महोत्सव का आयोजन पहली बार हुआ है। कुछ दिनों पहले सचिवालय परिसर स्थित तालाब के परिभ्रमण के दौरान बड़ी संख्या में पक्षी को देखने का मौका मिला। नागी-नकटी पक्षी आश्रयणी काफी महत्वपूर्ण जगह है। महाराष्ट्र सहित देष के अलग-अलग जगहों से पक्षी विषेषज्ञ यहां आये हुये हैं, जो पक्षियों के विषय में लोगों को विस्तारपूर्वक जानकारी दे रहे हैं। नई पीढ़ी से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है। जल-जीवन-हरियाली अभियान के माध्यम से भी वृक्षारोपण का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। झारखण्ड से अलग होने के बाद बिहार में हरित आवरण मात्र 9 प्रतिषत रह गया था। हमलोगों ने वर्ष 2012 से ही सघन वृक्षारोपण करना प्रारंभ किया, जिसका परिणाम है कि आज बिहार का हरित आवरण बढ़कर 15 प्रतिषत हो गया है। जल का संरक्षण और हरियाली बढ़ाने के लिये वर्ष 2019 से जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की गई है। इस अभियान के कारण जल और पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में काफी जागृति आई है। जल-जीवन-हरियाली अभियान को लेकर 19 जनवरी 2020 को पूरे बिहार में मानव श्रृंखला बनी। मानव श्रृंखला में 5 करोड़ 16 लाख से अधिक लोगाों ने अपनी भागीदारी सुनिष्चित कर 18 हजार किलोमीटर से भी लंबी मानव श्रृंखला बनाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल और हरियाली है तभी जीवन सुरक्षित है। वह चाहे मनुष्य का जीवन हो या पषु-पक्षी का। हरियाली को और अधिक बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इस तरह के आयोजन से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही पर्यावरण के प्रति नई पीढ़ी में जागृति आयेगी और उनका ज्ञानवर्द्धन भी होगा। इससे पृथ्वी भी संरक्षित होगी। जनसभा में उपस्थित लोगों से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आप इस पक्षी महोत्सव में शामिल हुए हैं। यहां जगह-जगह घूमकर तरह-तरह के पक्षियों को देखिये और पक्षियों को सुरक्षित रखने का संकल्प लीजिये। उन्होंने कहा कि यहां के पर्वतों को देखकर मुझे काफी खुषी हुई है। यहां के पहाड़ 2 करोड़ से लेकर 10 करोड़ साल तक पुराने हैं इसलिये यह पौराणिक और ऐतिहासिक जगह है। नई पीढ़ी को इसके बारे में जानना चाहिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम का आयोजन हर वर्ष करना चाहिये ताकि लोग प्रेरित हो सकें। उन्होंने कहा कि हम अचानक फिर कभी यहां आकर इन चीजों को देखेंगे। यहां काफी संख्या में प्रवासी पक्षी आई हुई हैं। विषेषज्ञों का मानना है कि एक स्थान से लगातार 13 दिनों तक उड़ते हुए पक्षी दूसरे स्थान तक पहुंचते हैं और जब उन्हें वहां अच्छा लगता है तब वे प्रतिवर्ष वहां प्रवास करने को पहुंचते हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने षिलापट्ट का अनावरण कर पक्षी संचेतना केन्द्र का उद्घाटन किया। इस दौरान पक्षी संचेतना केन्द्र में लगी फोटो गैलरी का भी मुख्यमंत्री ने अवलोकन किया। पक्षी संचेतना केन्द्र में लगी इंट्रैक्टिव टच कियोस्क, मैजिक बाॅक्स, डिजिटल फिलीप बुक आदि के बारे में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी। टेलिस्कोप के जरिये नागी डैम में कलरव कर रही पक्षियों के विहंगम दृष्य को भी मुख्यमंत्री ने देखा। इस दौरान पक्षी विषेषज्ञों की टीम ने मुख्यमंत्री के समक्ष प्रवासी पक्षी 'टीकटीकी' का डेमोंस्ट्रेषन किया। डेमोंस्ट्रेषन के क्रम में मुख्यमंत्री ने 'टिकटीकी' पक्षी को उड़ाकर पक्षियों को संरक्षित रखने का संदेष दिया। नागी डैम के किनारे लगी सेल्फी प्वाइंट के विषय में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी। सेल्फी प्वाइंट पर मुख्यमंत्री सहित उपस्थित अन्य गणमान्य लोगों ने सामूहिक फोटो खिंचवाई। इसके पष्चात मुख्यमंत्री ने नौका के जरिये नागी डैम का मुआयना किया। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, जिला औद्योगिक केन्द्र जमुई, बाॅम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी आदि द्वारा लगाई गई प्रदर्षनी का अवलोकन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बिहार फस्र्ट बर्ड फेस्टिवल को लेकर बने काॅटेज का भी निरीक्षण किया। साथ ही प्रथम राज्य पक्षी महोत्सव के मौके पर मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दिखाकर साइकिल रैली को रवाना किया। पत्रकारों से बातचीत के क्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन दिवसीय पक्षी महोत्सव को लेकर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा विस्तृत रूप से इंतजाम किया गया है। विभिन्न हिस्सों से पक्षी विषेषज्ञों की टीम यहां पहुंची है, जो लोगों को पक्षियों के विषय में गाइड कर रही है। यहां आने वाले लोगों को काफी अच्छा अनुभव होगा। पृथ्वी पर मनुष्य, पषु-पक्षी सहित अन्य सभी जीवों का अधिकार है। पक्षियों के बारे में लोग विस्तारपूर्वक जानेंगे तो उनका पक्षियों से और अधिक लगाव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि पक्षियों के साथ दुव्र्यवहार नहीं करना चाहिये। इस आयोजन से नई पीढ़ी को काफी जानकारी मिलेगी। पृथ्वी के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा करना हम सबका दायित्व है। यहां की तरह ही बिहार में चार-पांच ऐसी जगहें हैं, उन सभी जगहों पर भी इस तरह का काम आगे के वर्षों में किया जायेगा। उन्होंने कहा कि हमंे जिज्ञासा थी यहां आकर देखने और जानने की। मुझे यहाॅ आकर बहुत अच्छा लगा। आज के इस महोत्सव का मकसद पषु-पक्षियों की सुरक्षा के संबंध में संदेष देना भी है। जनसभा को उप मुख्यमंत्री सह पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री श्री तारकिषोर प्रसाद, जल संसाधन मंत्री श्री विजय कुमार चैधरी एवं पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विधायक श्री दामोदर राउत, विधायक श्री प्रफुल्ल कुमार मांझी, विधायक श्री मेवालाल चैधरी, आयुक्त मुंगेर प्रमंडल श्रीमती वंदना किन्नी, मुख्य वन प्रतिपालक श्री प्रभात कुमार गुप्ता, मुख्यमंत्री के विषेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, डी0आई0जी0 श्री शफीउल हक, जिलाधिकारी जमुई श्री अवनीश कुमार सिंह, पुलिस अधिक्षक श्री प्रमोद कुमार मंडल, मुख्य वन संरक्षक श्री सुरेन्द्र सिंह, वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री सत्यजीत कुमार, बाॅॅम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के प्रतिनिधिगण, पक्षी विषेषज्ञ सहित अन्य पदाधिकारीगण, गणमान्य व्यक्ति एवं आमजन उपस्थित थे। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| मुख्यमंत्री ने आई0जी0आई0एम0एस0 से बिहार में कोरोना वैक्सीनेषन की शुरूआत की Posted: 16 Jan 2021 06:16 AM PST मुख्यमंत्री ने आई0जी0आई0एम0एस0 से बिहार में कोरोना वैक्सीनेषन की शुरूआत कीपटना, 16 जनवरी 2021:- मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार ने आज आई0जी0आई0एम0एस0, पटना से बिहार में कोरोना वैक्सीनेषन की शुरूआत की। आज बिहार के 300 सेंटरों पर एक साथ टीकाकरण अभियान की शुरूआत हुयी। हर सेंटर पर प्रतिदिन 100 लोगों को कोरोना के टीके लगाये जायेंगे। आज पहले दिन बिहार में 30 हजार लोगों को टीका लगाया जायेगा। मुख्यमंत्री के समक्ष आई0जी0आई0एम0एस0 के सफाईकर्मी श्री रामबाबू को कोरोना का पहला टीका लगाया गया। श्री राम बाबू के बाद एम्बुलेंस चालक श्री अमित कुमार, लैब टेक्निीषियन श्री सोनू पंडित, डाॅ0 श्री सनंत कुमार एवं श्री करणवीर सिंह राठौर को भी टीका लगाया गया। मुख्यमंत्री ने टीका लगवाने वालों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से बिहार में वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई है। हमलोग इस अवसर पर यहां उपस्थित हैं। देश की तरह बिहार में भी कोरोना वैक्सीनेशन की पूरी तैयारी की गयी है। मुख्यमंत्री ने आई0जी0आई0एम0एस0 में बनाये गये आॅब्जर्वेषन रूम से वेब कास्टिंग के माध्यम से विभिन्न केन्द्रों पर चलाये जा रहे कोरोना टीका अभियान का जायजा लिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आई0जी0आई0एम0एस0 कैंपस में एक पौधा भी लगाया। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पाण्डेय, विधायक श्री संजीव चैरसिया, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव श्री प्रत्यय अमृत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, कार्यपालक निदेषक राज्य स्वास्थ्य समिति श्री मनोज कुमार, मुख्यमंत्री के विषेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, जिलाधिकारी, पटना श्री चन्द्रषेखर सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक, पटना श्री उपेन्द्र शर्मा, आई0जी0आई0एम0एस0 के निदेषक डाॅ0 एन0आर0 विष्वास, मेडिकल सुप्रीटेंडेंट श्री मनीष मंडल सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| "केस ऑफ़ द सेंचुरी" में फ़्रांस की मुश्किलें बढ़ना तय,भुगतना होगा जलवायु निष्क्रियता का खामियाज़ा Posted: 16 Jan 2021 06:04 AM PST "केस ऑफ़ द सेंचुरी" में फ़्रांस की मुश्किलें बढ़ना तय,भुगतना होगा जलवायु निष्क्रियता का खामियाज़ाजहां एक ओर फ्रांस ने 2030 तक अपने उत्सर्जन को 40 प्रतिशत तक कम करने का वादा किया है, वहीं दूसरी ओर जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि फ्रांस अपने कार्बन बजट को काफी पहले ही पार कर चुका है और इसके बावजूद अपनी इमारतों को अधिक ऊर्जा कुशल बनाने या अक्षय ऊर्जा विकसित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा है। यहाँ तक की जलवायु पर फ्रांस की स्वतंत्र सलाहकार परिषद द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट में ये चेतावनी तक दी गई है कि सरकार को देश में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी क्योंकि वह अपने 2015-18 के कार्बन बजट के पहले आधिकारिक उद्देश्य को पूरा करने में विफल रही है। इस अवधि के दौरान, वार्षिक उत्सर्जन में केवल १.१ प्रतिशत की गिरावट आई, जो कि योजनाबद्ध लक्ष्य की तुलना में बहुत कम थी। रिपोर्ट में ये तक कहा गया है कि सरकार को 2025 तक अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उत्सर्जन में कमी की दर को तिगुना करना होगा। इन्हीं सब वजहों से फ़्रांस आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जब एक ऐतिहासिक कानूनी मामले में, उस पर कार्यवाही होना तय मालूम होता है। जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में यह केस इतना महत्वपूर्ण है कि इसे "केस ऑफ़ द सेंचुरी" तक कहा जा रहा है। दरअसल नीदरलैंड में अदालतों ने राज्य को अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के नाम पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए उच्च लक्ष्य निर्धारित करने का आदेश दिया है। और अब जल्द ही इस तरह का आदेश फ्रांस में आ सकता है। "केस ऑफ़ द सेंचुरी" की सुनवाई, जिसमें 2018 के अंत में चार फ्रांसीसी गैर सरकारी संगठनों ने "जलवायु निष्क्रियता" के लिए फ्रेंच राज्य के खिलाफ फिर से एक मुकदमा चलाया। एनजीओ को उम्मीद है कि यह मामला मानवीय अधिकार के रूप में उसके द्वारा जलवायु परिवर्तन को सीमित करने के लिए अधिक से अधिक कार्रवाई को ट्रिगर करेगा और कहेगा कि फ्रांसीसी को दोषी ठहराना एक महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक जीत का प्रतिनिधित्व करेगा। अन्य सरकारों को और अधिक करने के लिए मजबूर भी कर सकता है। " 18 दिसंबर 2018 को चार एनजीओ (नोट्रे अफेयर ए टूस, फैंडेशन निकोलस हुलोट, ऑक्सफैम फ्रांस और ग्रीनपीस फ्रांस) ने फ्रांसीसी राज्य से मुआवजे के लिए प्रारंभिक दावा किया। मुआवजे के लिए प्रारंभिक दावा दुनिया और फ्रांस पर जलवायु परिवर्तन के वजन से संबंधित संदर्भ और जोखिमों को याद करता है, फ्रांसीसी राज्य के खिलाफ कमियां और उन्हें दूर करने के विशिष्ट अनुरोध। फ्रांसीसी राज्य के पास प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए दो महीने थे। मामले में यह कहा गया कि फ्रांस ने 2030 तक अपने उत्सर्जन को 40% तक कम करने का वादा किया था, लेकिन गैर सरकारी संगठनों का कहना है कि राज्य अपने कार्बन बजट को पार कर रहा है और इमारतों को नवीनीकृत करने के लिए तेज़ी से आगे नहीं बढ़ रहा है, ताकि उन्हें ऊर्जा कुशल बनाया जा सके, या नवीकरणीय ऊर्जा विकसित की जा सके । उनका दावा है कि यह फ्रांस में लोगों के जीवन और स्वास्थ्य की दैनिक गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। एक लिखित बचाव में, फ्रांसीसी सरकार ने निष्क्रियता के आरोपों को खारिज कर दिया और अदालत से मुआवजे के लिए किसी भी दावे को बाहर करने के लिए कहा। यह तर्क दिया कि राज्य को जलवायु परिवर्तन के लिए विशिष्ट रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है जब यह सभी वैश्विक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार नहीं था। 15 फरवरी 2019 को राज्य मंत्री, पारिस्थितिक और ठोस संक्रमण मंत्री ने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। 14 मार्च 2019 को चारों एनजीओ ने पेरिस के प्रशासनिक न्यायालय के समक्ष अपना मुकदमा दायर किया, जो कि पेरिस के प्रशासनिक न्यायालय के समक्ष "सारांश अनुरोध" के माध्यम से जलवायु परिवर्तन पर राज्य की निष्क्रियता से निपटता है। 23 जून 2020 में सरकार ने जवाब दिया, यह कहते हुए कि यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को संबोधित करने के लिए कार्रवाई कर रही थी और यह कि इसके 2030 लक्ष्य (यानी, 1990 की तुलना में जीएचजी उत्सर्जन को 40% तक कम करना) को पूरा करने के लिए समय समाप्त नहीं हुआ है। हालांकि फ्रांस 2019 के अंत तक सिर्फ -20% पर खड़ा था, और पिछले वर्षों में अपने कार्बन बजट को पूरा करने में लगातार विफल रहा है। निकोलस हुलोट फाउंडेशन ने एक बयान में कहा, "स्वास्थ्य संकट के साथ भी जलवायु संकट फ्रांसीसी लोगों की सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। भले ही हमने 2020 में रिकॉर्ड उच्च तापमान देखा, राज्य लगातार अपनी कार्रवाई में देरी कर रहा है। उन्होंने कहा कि गैर सरकारी संगठन "आशावादी हैं कि न्यायाधिकरण राज्य की जलवायु निष्क्रियता को पहचानेंगे।" अंत में, हमें उम्मीद है कि न्यायाधीश जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए राज्य के सामान्य दायित्व को पहचानेंगे ... ऐसा निर्णय ऐतिहासिक होगा और कानून की किताबों में यह तथ्य लिखेगा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के रूप में आवश्यक है। 14 जनवरी, 2021 को, सुनवाई हुई, जिसका "जनता के साथ जनता" (राज्य परिषद का एक प्रतिनिधि - सर्वोच्च न्यायालय - जो न्यायालय को अपना निर्णय लेने में मदद करने के लिए एक स्वतंत्र कानूनी राय बनाने के आरोप में है) NGOS और यह मामला बनाते हुए कि फ्रांसीसी राज्य वास्तव में गलती में है। यह सुनवाई इस सदी का इतिहास 'और ऐतिहासिक है क्योंकि यह दुनिया में जलवायु न्याय के लिए सबसे समर्थित कार्रवाई है। यह लोगों की कार्रवाई का परिणाम है। गुरुवार को सुनवाई में, "सार्वजनिक संबंध", एक स्वतंत्र कानूनी राय प्रदान करने के आरोप में राज्य सलाहकार परिषद ने कहा कि वास्तव में राज्य की ओर से "दोषपूर्ण कमी" थी - फैसले का पता चल जाएगा अगले 2 हफ्तों में, लेकिन यह अच्छी तरह से काटता है।20 दिसंबर 2019 को डच कोर्ट ने कहा कि डच सरकार को अपने मानवाधिकार दायित्वों के अनुरूप उत्सर्जन में तुरंत कमी करनी चाहिए। जलवायु न्याय के लिए एक ऐतिहासिक जीत है। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| Posted: 16 Jan 2021 01:42 AM PST बात-चीत से ढकते रहनासच कहने से बचते रहना बिना बात के हँसते रहना छोड़ा कब है किसको तुमने काम तुम्हारा डसते रहना मस्तक उठा न पाए कोई एक-एक को कसते रहना मिले न भूंजी-भांग किसी को तुम्ही अकेले छकते रहना फटे हाल है हाल देश का बात-चीत से ढकते रहना आग लगाकर हमसे कहते सोना मत तुम जगते रहना रेंगा जुआ कान कब उनके 'जय' जो चाहे कहते रहना . * ~जयराम जय, 'पर्णिका'11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास, कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ.प्र.) दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| Posted: 16 Jan 2021 01:40 AM PST नेगेटिव-पोजेटिव-इन्ट्रोगेटिवकमलेश पुण्यार्क "गुरु जी " चुँकि उनकी बे सिर-पैर की बातें भी गौरतलब होती हैं, इस कारण मैंने सवाल के बदले सवाल करना ही उचित समझा। ऐसा कैसे हो सकता है काका? जाँच में कोई वैक्टिरीया-वायरस निकलेगा या नहीं भी निकल सकता है। हड्डी टूटी होगी या नॉर्मल हेयर फ्रैक्चर हो सकता है,कहीं ऑब्सट्रक्शन होगा,कहीं एनफ्लामेशन, टी.सी., डी.सी. नॉर्मल होगा या कम या ज्यादा। यही सब तो पता चलता है न किसी भी मेडिकल-टेस्ट-रिपोर्ट में। अब ये साईन ऑफ इन्ट्रोगेशन कहाँ से आ गया आपके ज़ेहन में? " यही तो मैं सोच रहा हूँ। पता नहीं अबतक किसी डॉक्टर का ध्यान इस ओर क्यों नहीं गया। डॉक्टर नहीं तो कम से कम स्वास्थ्य मन्त्री का ध्यान तो इस ओर जरुर जाना चाहिए। दुनिया का सबसे बड़ा प्यारा-न्यारा लोकतन्त्र है हमारा, जहाँ हर अनहोनी होनी में बदल सकती है— बीसियों वर्ष पहले के मुर्दे वोट दे सकते हैं, मन हो तो पेनशन भी उठा सकते हैं; जाली सर्टिफिकेट पर बेरोजगार युवा सरकारी नौकरी कर सकते हैं, जब्त किए गए शराब चूहे पी जा सकते हैं, MBA - MCA खोमचा-ठेला चला सकते हैं, बेडरुम में बैठकर ग्राउण्ड रिपोर्टिंग की जा सकती है, नर्सिंग या कम्पाउण्डरी सीख कर मेज़र ऑपरेशन किया जा सकता है, कुछ काम न मिले तो टीक-टीका धारण कर नामी-गिरामी बाबा बना जा सकता है और वो भी सम्भव न हो तो सांसद, पार्षद, विधायक बनने से भला कौन रोक सकता है ! ऐसी अजूबी व्यवस्था में जाँच रिपोर्ट इन्ट्रोगेटिव क्यों नहीं हो सकता? " काका के सवाल पर सवाल उठाना लाज़िमी है। अतः पूछना पड़ा— आँखिर इतनी नेगेटिवीटी आपके अन्दर आयी कहाँ से काका ! हमेशा कोई न कोई नकारात्मक विचार लिए फिरते हैं। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि नकारात्मक विचारों के प्रति सावधान रहना चाहिए, क्योंकि ये एक प्रकार का मानसिक रोग है। काका ने सिर हिलाया— " क्या करुँ बबुआ ! तुम्हारे जैसा होनहारी का बिल्ला लटकाए नहीं फिर रहा हूँ न । दस साल से कम्पटीशन की तैयारी में लगे, घर का आटा गीला कर रहे हो और चपरासी का कम्पटीशन भी नहीं निकाल पाए। जरा साबित करो न कि मैं रत्ती भर भी झूठ कह रहा हूँ। खैर छोड़ो, इन फिज़ूल की बातों को। मुद्दे की बात पर आओ। मेरा कहना सिर्फ इतना ही है कि नेता-अभिनेता की चाह में राह ही राह है। " फिर आप इधर-उधर टहलने लगे। बात कर रहे थे रिपोर्ट में साइन ऑफ इन्ट्रोगेशन की और बात करने लगे लोकतन्त्र की खामियों की। नेता तो नाक का नेटा होता ही है, छिड़क कर आगे बढ़ने की जरुरत है, अन्यथा पीछे पड़ जायेगा तो बिना वोट लिए जान नहीं वक्शेगा। रही बात अभिनेता की, तो उसकी भी इस बार पोल खुल ही गयी—इतने दिनों से गंजेड़ियों-नशेड़ियों-हेरोईन्चियों को हम अभिनेता माने बैठे थे। सी.बी.आई, एन.सी.बी., ई.डी.सबके सब ताकते ही रहे गए अपने-अपने पासपोर्ट-बीजा के लिए। खैर, छोडिए इन बातों को। आपके साथ-साथ मुझे भी बहकने की लत पड़ती जा रही है। मुद्दे पर आइए। साइन ऑफ इन्ट्रोगेशन इन मेडिकल रिपोर्ट पर चर्चा करें। "देखो बबुआ ! न खुद बहको और न औरों को बहकाओ, जैसा कि अभी किसानों को बहकाया जा रहा है । वैसे भी, बहकाने-फुसलाने का ठेका नेताओं के पास है, तो फिर हम-तुम क्यों चिन्ता करें। मेरा ताजा सवाल सिर्फ इतना ही है कि कोरोना संकट में लम्बे अन्तराल के बाद स्कूल खोले गए। खुलने के बाद जानकारी के लिए जाँच तो जरुरी है न कि महामारी की प्रतिक्रिया कैसी है, हमारे नौनिहालों पर इस संक्रमण का कैसा असर है—नकारात्मक या सकारात्मक। सुनने में आया है कि अपने ही राज्य के एक स्कूल में 25 बच्चों के रैपिड एंटीजन टेस्ट में 24 बच्चों के रिपोर्ट पॉजेटिव निकले। यहाँ तक तो बात समझ में आती है। किन्तु बात वहाँ जाकर उलझ जाती है जब अगले ही दिन सिविलसर्जन ने आधिकारिक घोषणा की कि वो रिपोर्ट ही बिलकुल गलत था, अतः पुनः जाँच करायी गयी, जो बिलकुल नेगेटिव निकला। चुँकि इस तरह की मानवीये भूलें हुआ करती हैं। अतः इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए...। " सो तो है। मानवीय भूल तो क्षम्य होनी ही चाहिए। मेरे समर्थन पर काका ने तर्जनी हिलायी— " नहीं...नहीं...नहीं बहुआ ! ऐसी भूल तुम ना करो। मानवीय भूल क्षम्य हो सकता है, किन्तु अमानवीय भूल के बावत क्या कहोगे? मजेदार बात तो ये है कि पहली बार जाँच करने वाले डॉक्टर का दावा है कि पिछले किसी भी जाँच में आजतक उससे कोई चूक हुयी ही नहीं है, यानी कि रिपोर्ट पॉजीटिव ही है। इतना ही नहीं उसने तो दूसरी वाली रिपोर्ट पर ही सवालिया निशान लगा दिए, क्यों कि महज़ छः घंटे के अन्दर निगेटीवीटी कहाँ से आ गयी। गौरतलब बात है कि सिविलसर्जन साहब इस बावत मौनव्रत में हैं।" अच्छा तो अब समझा, आपका सवाल कहाँ उलझा हुआ है। जाँच-कर्ता डॉक्टर अपेक्षाकृत छोटे तबके का इन्सान हुआ करता है, जबकि सिविलसर्जन साहब काफी बड़े औहदे वाले होते हैं—जिला इनके कब्जे में होता है। और आप जानते ही हैं कि बड़ों का सम्पर्क और बड़ों से होता है। अब सोचने वाली बात है कि स्वास्थ्यमन्त्री की मर्जी यदि नेगेटिव रिपोर्ट की है, तो नेगेटिव रिपोर्ट की घोषणा क्यों न की जाए? और इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि मौनव्रत भंग करने का पाप भला कोई क्यों लेना चाहे? खैर,जो भी हो—ये सब बड़े लोगों की बातें हैं। हम छोटे लोग इसमें क्यों मगज़पच्ची करें ! मैं तो सिर्फ इतना ही कहूँगा कि साइन ऑफ इन्ट्रोगेशन का भी झमेला छोडिये। इससे भी मजेदार होता है— साइन ऑफ एक्सक्लामेशन....नहीं समझे शायद आप...अरे वही, जिसे हिन्दी वाले विस्मयादिबोधक चिह्न कहते हैं। लोकतन्त्र में सारे रिपोर्टों के आगे यही चिह्न ज्यादा शूट करता है। आपका क्या ख्याल है? जरुर बतलाइयेगा। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
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