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Friday, January 22, 2021

दिव्य रश्मि न्यूज़ चैनल

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Liked on YouTube: पटना का मानव भारती विद्यालय बच्चों को न सिर्फ शिक्षित करता है अपितु वे कैसे संस्कारित बने |

Posted: 21 Jan 2021 07:13 AM PST

पटना का मानव भारती विद्यालय बच्चों को न सिर्फ शिक्षित करता है अपितु वे कैसे संस्कारित बने |
पटना का मानव भारती विद्यालय बच्चों को न सिर्फ शिक्षित करता है अपितु वे कैसे संस्कारित बने इसका भी ख्याल रखता है | मानव भारती के संचालक श्री प्रदीप मिश्र ने बतायाकि वैसे तो संस्कारों और संस्कारों की सुन्दरता के महत्व की पहली कड़ी घर ही होता है यही से शुरू होती है बच्चों की पहली शिक्षा । घर से ही बच्चों के संस्कार की शुरूआत होती है। अभिभावकों को इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके बाद दूसरी जिम्मेदारी स्कूल के शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं की होती है, जो बच्चों के अच्छे संस्कारों का बोध कराते हैं। सिर्फ संस्कार ही नहीं, बल्कि इसके बारे में जानकारी भी होनी चाहिए। हमारे संस्कार अच्छे हैं और हमें अच्छे या खराब की जानकारी नहीं है, तो इसका महत्व नहीं रहता। लिहाजा, संस्कारों का ज्ञान और उनकी सुन्दरता ही हमें उन्नति के लिए प्रेरित करती है। यदि संस्कारों की एक कड़ी शुरू हो जाती है तो फिर इसमें निरंतरता बनी रहती है और यही अच्छा समाज बनाने सहायक होती है। प्रबल संस्कार से शिक्षा पल्लवित होगी। वर्तमान समय में यह महसूस किया जा रहा है कि जैसे-जैसे शिक्षित नागरिकों का प्रतिशत बढ़ रहा है, वैसे-वैसे समाज में जीवन मूल्यों में गिरावट आ रही है। हमें मूल्यों के सौंदर्य का बोध होना चाहिए। विद्यार्थी जो देश का भविष्य हैं वे तनाव, अवसाद, बाहय आकर्षण और अनुशासनहीनता के शिकार हैं। इसका कारण पाश्चात्य संस्कृति, विद्यालय या समाज ही नहीं, बल्कि संस्कारों के प्रति हमारी उदासीनता है। परिवार बालक की प्रथम पाठशाला है तो माता-पिता प्रथम शिक्षक। विद्यालय में हम देख रहे हैं कि जो माता-पिता अपने बच्चों में अच्छे संस्कार आरोपित करते हैं वे वाह्य वातावरण से प्रभावित हुए बिना शिक्षक द्वारा दी गई विद्या को फलीभूत करते हैं। अत: परिवार में प्रत्येक सदस्य का दायित्व है कि बच्चों में भौतिक संसाधनों के स्थान पर संस्कारों की सौगात दें। मेरे विचार में संस्कार हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं, जीवन का प्रथम चरण है विद्यार्थी काल और विद्यार्थी में पांच लक्षणों को संस्कार के रूप में आरोपित करने का प्रयत्न किया जाता है। निरंतर प्रयास, एकाग्रता, अल्पनिद्रा, अल्पहार, घरेलू बातों में अनाकर्षण इन संस्कारों से युक्त विद्यार्थी हमेशा तनाव मुक्त रहता है। इन संस्कारों को अपने जीवन में अपनाकर विद्यार्थी अपने जीवन पथ पर अग्रसर होता है एवं भावी जीवन में सफल होने के योग्य बनता है, जिससे उसका वर्तमान एवं भविष्य दोनों में ही सुधार हो सकता है। यही हमारे संस्कारों का बोध भी है। साथ ही सामाजिक छवि किस प्रकार की बनें, यह भी हमारे संस्कारों पर ही निर्भर करता है। संस्कारों के सौंदर्य के ज्ञान के बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते। संस्कार और शिक्षा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। न तो संस्कारों के बिना अच्छी शिक्षा की कल्पना की जा सकती है और न ही शिक्षा के बिना अच्छे संस्कार आते हैं। वातावरण में तमाम व्यावहारिक अशुद्धियां होती हैं। यह तो हम पर निर्भर करता है कि हम किसका अनुशरण करें। संस्कारों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। शिक्षा के क्षेत्र में संस्कार एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह हमें जीवन में रहने का तरीका बताता है। शिक्षा का बोझ हम संस्कारों से कम कर सकते हैं। अपने सहपाठकों के साथ बैठकर तथा अपने माता-पिता के साथ बैठकर विनम्रता के साथ बात करके हम इसको कम कर सकते हैं। दिव्य रश्मि ! धर्म, राष्ट्रवाद , राजनीति , समाज एवं आर्थिक जगत की खबरों का चैनल है | जनता की आवाज़ बनने के उदेश्य से हमारे सभी साथी कार्य करते है अत: हमारे इस मुहीम में आप के साथ की आवश्यकता है |हमारे खबरों को लगातार प्राप्त करने के लिए हमारे चैनल को सबस्क्राइब करना न भूले और बेल आइकॉन को अवश्य दबाए | चैनल को सब्सक्राइब करें खबर को शेयर जरूर करें Facebook : https://ift.tt/3mi8FgA Twitter https://twitter.com/DivyaRashmi8 instagram : https://ift.tt/35ARrp0 visit website : https://ift.tt/3d6mwRK
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बिहार भवन की नई वेबसाइट का लोकार्पण

Posted: 21 Jan 2021 06:49 AM PST

बिहार भवन की नई वेबसाइट का लोकार्पण

  •  स्थानिक आयुक्त श्रीमती पलका साहनी ने किया वेबसाइट का उद्घाटन
  •  लोग एक ही स्थान पर सभी कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
  •  यह पहल तंत्र की जनोपयोगिता और पारदर्शिता को सुदृढ़ करने में मदद करेगीः स्थानिक आयुक्त
नई दिल्ली, गुरुवार, 21 जनवरी, 2021ः गुरुवार को नई दिल्ली स्थित बिहार भवन में बिहार सरकार से संबंधित प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने के लिए एक उन्नत वेबसाइट संस्करण लॉन्च किया गया। स्थानिक आयुक्त श्रीमती पलका साहनी (भा.प्र.से) ने नई वेबसाइट www.biharbhawan.gov.in का उद्घाटन किया।

इस वेबसाइट में एक ही जगह पर सभी प्रासंगिक सूचना उपलब्ध है। इसमें 'बिहार लोक सेवाओं का अधिकार' (RTPS) शामिल है जिसकी मदद से बिहार के निवासी विभिन्न प्रकार की सेवाओं जैसे जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र एवं अन्य सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। साथ ही यह वेबसाइट बिहार भवन और बिहार निवास में ठहरने वाले आगंतुकों के लिए 'ऑनलाइन कक्ष आरक्षण' की सुविधा भी प्रदान करती है। इस वेबसाइट के माध्यम से कला एवं

संस्कृति, खेल और मनोरंजन से जुडी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस अवसर पर स्थानिक आयुक्त श्रीमती साहनी ने कहा, ''इस वेबसाइट से आम जनता बिहार सरकार की कल्याणकारी योजनाओं, कैबिनेट निर्णयों, कार्यक्रमों और नीतियों, परिपत्रों आदि की अद्यतन जानकारी और अधिसूचना प्राप्त कर सकती है। वेबसाइट पर 'मुख्यमंत्री चिकित्सा राहत कोष' के बारे में भी विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। वेबसाइट पर आगंतुक बिहार पर्यटन स्थल का विवरण, अंबापाली बिहार एम्पोरियम में उपलब्ध हथकरघा और हस्तशिल्पों की सूची, न्यूजलेटर और ई-पत्रिका भी प्राप्त कर सकते हैं। यह पहल तंत्र की जनोपयोगिता और पारदर्शिता को सुदृढ़ करने में मदद करेगी।
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आज 22 - जनवरी - 2021, शुक्रवार को क्या है आप की राशी में विशेष ?

Posted: 21 Jan 2021 05:57 AM PST

आज 22 - जनवरी - 2021, शुक्रवार को क्या है आप की राशी में विशेष ?

दैनिक पंचांग एवं  राशिफल - सभी 12 राशियों  के लिए कैसा रहेगा आज का दिन जाने प्रशिद्ध  ज्योतिषाचार्य पं. प्रेम सागर पाण्डेय से    

श्री गणेशाय नम:

पंचांग 22 - जनवरी - 2021, शुक्रवार

तिथि                नवमी                   05:38:07

नक्षत्र                भरणी                   सायं  06:06:12

करण :              कौलव                  18:30:43

पक्ष                  शुक्ल

योग                 शुभ                      21:17:31

वार                 शुक्रवार

सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ

सूर्योदय                                       06:39:45

चन्द्रोदय                                      12:46:00

चन्द्र राशि                                    मेष - 25:25:01 तक

सूर्यास्त                                        05:21:40

चन्द्रास्त                                       26:19:59

ऋतु                                            शिशिर

हिन्दू मास एवं वर्ष

शक सम्वत                                    1942  शार्वरी

कलि सम्वत                                   5122 

दिन काल                                     10:37:59

विक्रम सम्वत                                 2077 

मास अमांत                                   पौष  

मास पूर्णिमांत                                पौष  

शुभ और अशुभ समय

शुभ समय  :- 

                       अभिजित           12:11:32 - 12:54:04

अशुभ समय   :-

               दुष्टमुहूर्त :                  09:21:24 - 10:03:56

                                             12:54:04 - 13:36:36

                  कंटक                     13:36:36 - 14:19:08

               यमघण्ट                    16:26:44 - 17:09:16

               राहु काल                  11:13:02 - 12:32:47

               कुलिक                      09:21:24 - 10:03:56

               कालवेला या अर्द्धयाम  15:01:40 - 15:44:12

               यमगण्ड                    15:12:17 - 16:32:02

                गुलिक काल              08:33:32 - 09:53:17

               दिशा शूल                  पश्चिम

चन्द्रबल और ताराबल

ताराबल

अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद

चन्द्रबल 

मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ

 

 

 आज का दैनिक राशिफल  22 - जनवरी - 2021, शुक्रवार

1.    

मेष (Aries):

आज आपका दिन मिश्रफलदायी है। आपको आज नए कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी एवं नए कार्य प्रारंभ कर पाएंगे। आज आपके मन में शीघ्र बदलाव आएंगे, जिससे आपका मन कुछ द्विधायुक्त रहेगा। आज नौकरी एवं व्यवसाय में आपको स्पर्द्धात्मक व्यवहार का सामना करना पड़ेगा। किसी निश्चित लक्ष्य के लिए कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। छोटे प्रवास का योग है। महिलाओं को आज वाणी पर संयम रखने की सलाह देते हैं।

शुभ रंग  =  आसमानी

शुभ अंक  :  7

2.    

वृषभ (Tauras):

हाथ में आया हुआ अवसर अनिर्णायकता के कारण आप आज गंवा सकते हैं और उसका लाभ नहीं ले पाएंगे। विचारों में खोए रहेंगे इसलिए कोई निश्चित निर्णय नहीं ले पाएंगे। आज किसी भी नए कार्य का प्रारंभ करना हितकारी नहीं है। वाद-विवाद या चर्चा में आपके हठीले स्वभाव से घर्षण की संभावना है। आज आप वाक्चातुर्य से किसी को रिझा सकते हैं। भाई-बहनों में प्रेम बना रहेगा।

शुभ रंग  =  क्रीम

शुभ अंक  :  2

3.    

मिथुन (Gemini):

आज के दिन की शुरुआत प्रफुल्लित मन और स्वस्थ चित्त से होगी। आज मित्र या परिवार के सदस्यों के साथ भोजन का आनंद उठा सकते हैं। सुंदर वस्त्र धारण करेंगे। आर्थिक दृष्टि से आपके लिए आज का दिन लाभदायी है। अधिक खर्च पर संयम रखें। आज मन से नकारात्मक विचारों को निकाल देने की सूचना देते हैं। किसी प्रियजन या मित्र से उपहार पाकर मन प्रफुल्लित रहेगा।

शुभ रंग  =  हरा

शुभ अंक  :  3

4.    

कर्क (Cancer):

आज आप मानसिक अस्वस्थता का अनुभव करेंगे। किसी एक निश्चय पर आप नहीं पहुंच पाएंगे और असमंजस के कारण मानसिक कष्ट होगा। सम्बंधियों के साथ अनबन हो सकती है। पारिवारिक कार्यों के पीछे खर्च होगा। झगड़े, मारामारी से दूर रहने की सूचना देते हैं। मुसीबतों का तत्काल निवारण करें। अविचारी वर्तन से दूर रहना हितकर रहेगा। आरोग्य एवं धन हानि की संभावना है।

शुभ रंग  =  पीला

शुभ अंक  :  9

5.    

सिंह (Leo):

आज का दिन आपके लिए अच्छा रहेगा। फिर भी दुविधापूर्ण मानसिकता के कारण सामने आया हुआ अवसर गंवा देंगे। आपका मन विचारों में खोया रहेगा। नए कार्यों का आरंभ आज न करें। स्त्री मित्रों से भेंट होगी तथा उनसे लाभ भी होगा। दोस्तों के साथ प्रवास-पर्यटन का आयोजन होगा, जो कि लाभदायी होगा। व्यापार में लाभ होगा। धनप्राप्ति के योग हैं।

शुभ रंग  =  पींक

शुभ अंक  :  5

6.    

कन्या (Virgo):

आज का दिन आपके लिए शुभफलदायी होगा। नए कार्यों का आयोजन आज सफल होगा। व्यापारी तथा वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए लाभप्रद दिन है। उनकी पदोन्नति की संभावना अधिक है। ऊपरी अधिकारियों से लाभ होगा। धन, मान-सन्मान मिलेगा। पिता की ओर से लाभ होगा। परिवार में आनंद का वातावरण छाया रहेगा। तंदुरस्ती रहेगी। सरकारी कार्य संपन्न होंगे। सरकार से लाभ होगा। ऑफिस के काम से बाहर जाना पड़ सकता है। गृहस्थजीवन में सामंजस्य रहेगा।

शुभ रंग  =  हरा

शुभ अंक  :  3

7.    

तुला (Libra):

आज आप बौद्धिक तथा लेखन के कार्यों में सक्रिय रहेंगे। नए कार्य के प्रारंभ के लिए दिन अच्छा है। लंबे प्रवास या धार्मिक स्थल पर जाने का मौका मिलेगा। व्यवसाय में लाभ का अवसर मिलेगा। विदेश में रहते मित्र या स्नेहीजनों के समाचार मिलेंगे। स्वास्थ्य संभालना होगा। संतानों के विषय में दुविधा रहेगी। विरोधियों के साथ गहन चर्चा में न उतरने की सूचना देते हैं।

शुभ रंग  =  क्रीम

शुभ अंक  :  2

8.    

वृश्चिक (Scorpio):

आज का दिन सावधानी से बिताने की सलाह आपको देते है। नए कार्यों का प्रारंभ न करें एवं क्रोध पर संयम रखें। अनैतिक कामवृत्ति से दूर रहें। राजकीय गुनाह से सम्बंधित तथा सरकारी प्रवृत्तियों से दूर रहने की सलाह देते हैं। नए सम्बंध स्थापित करने से पहले गंभीरता से विचार करें। अधिक खर्च होने से हाथ तंग रहेगा। ईश्वर की अराधना तथा नाम-स्मरण से लाभ होगा।

शुभ रंग  =  पींक

शुभ अंक  :  5

9.    

धनु (Sagittarius):

आज आपका दिन सुखपूर्वक एवं आनंद के साथ व्यतीत होगा, ऐसा प्रतीत होता है। आज आप मनोरंजन की दुनिया की सैर करेंगे। पार्टी, पिकनिक, प्रवास, सुंदर भोजन तथा वस्त्र-परिधान आज के दिन की विशेषता रहेगी। विपरीत लिंगीय व्यक्ति से भेंट रोमांचक होगी। विचार-परिवर्तन शीघ्र हो सकता है। लेखनकार्य के लिए दिन अच्छा है। बौद्धिक तथा तार्किक विचार-विनिमय होगा। भागीदारी से लाभ होगा। सम्मान और ख्याति मिलेगी। उत्तम वैवाहिक सुख प्राप्त होगा।

शुभ रंग  =  उजला

शुभ अंक  :  4

10.       

मकर (Capricorn):

आपके व्यापार में आज विस्तार हो सकता है, ऐसा प्रतीत होता है। इस दिशा में आप कदम आगे बढ़ाएंगे। धन के लेनदेन में सरलता रहेगी। घर में शांति और आनंद का वातावरण बना रहेगा। आवश्यक कारणों के पीछे धन खर्च होगा। नौकरी में सहकर्मियों की तरफ से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापारियों को कानूनी परेशानी हो सकती है। विदेश के साथ व्यापार बढ़ेगा। शत्रुओं पर विजय मिलेगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

शुभ रंग  =  हरा

शुभ अंक  :  3

11.       

कुंभ (Aquarius):

आज कोई भी नए कार्य का प्रारंभ न करने की सूचना देते हैं। आज आपके विचारों में शीघ्र ही बदलाव आएंगे। महिलाओं के लिए अपनी वाणी पर संयम रखना हितकर होगा। यात्रा को यथासंभव टालें। संतान के प्रश्नों के कारण चिंता रहेगी। लेखनकार्य या सृजनात्मक कृतियों की रचना करने के लिए दिन अच्छा है। बौद्धिक चर्चा में भाग लेने का अवसर मिल सकता है। आकस्मिक खर्च का योग है। पेट से सम्बंधित व्याधियों से सावधान रहें।

शुभ रंग  =  क्रीम

शुभ अंक  :  2

12.       

मीन (Pisces):

आज का दिन अरुचिकर घटनाओं के कारण उत्साहजनक नहीं रहेगा। घर में परिवारवालों के साथ वाद-विवाद होगा। माता का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है, जिससे चिंता होगी। आपका मन प्रफुल्लित नहीं रहेगा। शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है जिसके कारण अनिद्रा सताएगी। महिलाओं के साथ व्यवहार में सावधानी बरतें। धन और कीर्ति की हानि हो सकती है। नौकरी करने वालों को नौकरी में चिंता रहेगी। स्थायी संपत्ति, वाहन आदि के दस्तावेज करने में सावधानी रखें।

शुभ रंग  =  उजला

शुभ अंक  :  4


पं. प्रेम सागर पाण्डेय् ,नक्षत्र ज्योतिष वास्तु अनुसंधान केन्द्र ,नि:शुल्क परामर्श -  रविवार , दूरभाष  9122608219  /  9835654844
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धूप का सोंटा

Posted: 21 Jan 2021 04:44 AM PST

धूप का सोंटा

खिली धूप है बहुत दिनों पर,
नाच रहा कलुआ का बेटा।
लड़ता जाता है जाड़े से,
लिए हाथ में धूप का सोंटा।

गाँती-वाँती फेंक बदन से,
चला खेलने लेकर डंडा।
आज विरोधी दल पर निश्चित,
गाड़ेगा वह जीत का झंडा।

ठिठुर रही थी जाड़े से जो
मुनिया,वह भी खेल रही है।
नहीं झेलना उसे पड़ेगा,
कबसे जिसको झेल रही है।

पीट रहा है इधर धान भी,
देखो कलुआ खुश हो होकर।
उधर प्रसन्न हो धनिया बोली,
'अब न रहेगा जाड़े का डर।'

भुवनभास्कर,कहाँ छिपे थे,
इस वसंत में भी तुम अबतक?
पता नहीं था इन दुखियों को,
रूठे रहोगे इनसे कबतक?

अब जाना तुम नहीं कहीं,
बस इनके दुख को हरते रहना।
बहुत दिनों तक सहा कष्ट है,
पड़े नहीं अब इनको सहना।
       -मिथिलेश कुमार मिश्र 'दर्द'
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निर्वासित कश्मीरी हिन्दुओं को स्वयं की भूमि प्राप्त करवाने के लिए संपूर्ण देश में जागृति की आवश्यकता ! - श्री. राहुल कौल, अध्यक्ष, यूथ फॉर पनून कश्मीर

Posted: 21 Jan 2021 04:35 AM PST

 'कश्मीरी 
हिन्दुओं के निष्कासन के ३१ वर्ष !' इस विषय पर विशेष परिसंवाद

निर्वासित कश्मीरी हिन्दुओं को स्वयं की भूमि प्राप्त करवाने के लिए संपूर्ण देश में जागृति की आवश्यकता ! - श्री. राहुल कौल, अध्यक्ष, यूथ फॉर पनून कश्मीर

        वर्ष 1990 में कश्मीरी हिन्दुआें ने स्थलांतरण नहीं किया थाअपितु उन्हें निष्कासित किया गया था । हमारी पीडा समझकर उस पर कृत्य करना आवश्यक हैपरंतु उस पर केवल राजनीति की जाती है । कश्मीरी हिन्दुआें को न्याय दिलवाना होतो हमारा वंशविच्छेद हुआ हैयह प्रथम अधिकृत रूप से स्वीकार करना पडेगा । यह स्वीकार न करने के कारण संपूर्ण देश के हिन्दुओं के लिए संकट उत्पन्न हो गया है । उससे संबंधित कानून बनाने की प्राथमिक आवश्यकता है । यदि नरसंहार के विषय में विधेयक (जिनोसाइड बिललाया जाएतो कश्मीरी हिन्दुआें का पुनर्वसन संभव है । अभी भी साढे सात लाख कश्मीरी हिन्दुआें का पुनर्वसन नहीं हुआ है । निर्वासित कश्मीरी हिन्दुआें को उनकी पहचान बनाए रखने के लिए हमारी भूमि हमें पुनः मिलना आवश्यक है । हमें पुनः वहां जाने के लिए सुरक्षित वातावरण निर्माण करना चाहिए और सुरक्षित वातावरण कैसे निर्माण करेंगेयह सरकार को बताना चाहिए । हमारे पुनर्वसन के लिए 'पनून कश्मीर' को संपूर्ण भारत के हिन्दुआें का समर्थन आवश्यक है तथा उसके लिए संपूर्ण देश के हिन्दुआें को इस संबंध में जागृति करनी चाहिएऐसा आवाहन 'यूथ फॉर पनून काश्मीर' के अध्यक्ष श्रीराहुल कौल ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा 'चर्चा हिन्दू राष्ट्र की' इस कार्यक्रम के अंतर्गत 'कश्मीरी हिन्दुओं के निष्कासन के ३१ वर्ष !' इस विशेष परिसंवाद में बोल रहे थे । यह कार्यक्रम 'यू ट्यूब लाइव' और 'फेसबुक' के माध्यम से 29715 लोगों ने देखा तथा  90162 लोगों तक पहुंचा ।

         इस समय 'एपिलोग न्यूज चैनल' के अध्यक्ष अधिवक्ता टिटो गंजू (कश्मीरी हिन्दू) बोले, 'कश्मीरी हिन्दुआें का वंशविच्छेद निरंतर नकारकर हमें 'स्थलांतरित' संबोधित किया जाता है । राज्य सरकार ने इसे वंशविच्छेद न मानते हुए अपना दायित्व झटक दिया है । इस नरसंहार में मारे गए हिन्दुआें की संख्या की भी प्रविष्टी उचित पद्धति से नहीं की गई है । 1990 से 93 की अवधि में शरणार्थी शिविर में बदले हुए वातावरण का सामना करते समय अनुमानित 25 सहस्र हिन्दुआें की मृत्यु हो गई थी । इसके अतिरिक्त सहस्रों हिन्दुआें की हत्या हुई । सहस्रों हिन्दू महिलाआें पर अत्याचार हुए । गत 700 वर्षों में बार कश्मीरी हिन्दुआें को कश्मीर छोडकर जाना पडा । हमारी 21 पीढियों ने यह नरसंहार भोगा है ।  उसके पीछे हिन्दुआें की हिमालयीन संस्कृति नष्ट कर कश्मीर का इस्लामीकरण करने की भूमिका ही कारण है । भारत में नरसंहार से संबंधित कानून (जिनोसाइड बिललागू होने पर बांग्लादेशम्यांमार आदि अन्य राष्ट्रों मे होनेवाली हिन्दुओं की हत्या रोकी जा सकती है । यह विधेयक कानून में रूपांतरित होना चाहिए ।'

        सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीचेतन राजहंस इस समय बोले, 'कश्मीरी हिन्दुओं  की वेदनापीडानरकयातना समझने के लिए प्रथम 19 जनवरी 1990 को क्या घटा ?, यह जान लेना पडेगा । इस संबंध में अभी भी अनेक देशवासियों को पता नहीं है । कश्मीरी हिन्दुआें पर हुए अत्याचार के संबंध में हमें नहीं बताया गयाकिंबहुना यह एक राष्ट्रीय षड्यंत्र द्वारा देशवासियों से छिपाया गया । उस समय लाख 50 हजार कश्मीरी हिन्दुआें को अपनी मातृभूमि छोडकर निर्वासित होना पडा । यह निष्कासन एक विशिष्ट राजनीतिक उद्देश्य से था । कश्मीर में इस्लामी सत्ता के लिए यह निष्कासन किया गया । कश्मीरी हिन्दुआें को सुरक्षा का अभिवचन देनेवाला एक भी राजनीतिक नेता गत 31 वर्षों में नहीं जन्मा अभी भी कश्मीरी हिन्दुआें का पुर्नवसन नहीं हुआ है । कश्मीरी हिन्दुआें का पुर्नवसन उनकी सुरक्षा के वचन के साथ होना चाहिए'यह भी श्रीराजहंस ने इस समय कहा । 
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मिल जाएगा मन भरकर

Posted: 21 Jan 2021 04:28 AM PST

मिल जाएगा मन भरकर

         ---:भारतका एक ब्राह्मण.
           संजय कुमार मिश्र 'अणु'
तुम कोमल बांहों में सोई थी।
तब सारी दुनिया खोई थी।।
जब सम्मुख आई सच्चाई-
खुद को निहार कर रोई थी।।
        उस समय कौन था साथ दिया,
         क्या इतनी सी बात बताओगी।
         या उधेड़बुन में डाल मुझे यूं-
          बस सारी रात जाओगी।।
जो एक बार भी पुछा नहीं,
आकर तेरा कुछ कुशल क्षेम।
कैसे करती विश्वास कहो तुम-
कि खुलकर करेगा तुम्हें प्रेम।।
           ये प्यार की बात अधुरी हैं,
           जब दोनों के तरफ मजबुरी है।।
           तब खुद निर्णय कर कहो मुझे-
           जो जीवन के लिए जरूरी है।।
जिंदगी कटी है तो रोकर,
क्या रहना होगा सब खोकर।
अब अपने का विश्वास करो-
मारो ममता को अब ठोकर।।
             है 'मिश्र अणु' कहता तुमसे,
             आकर बन जा मेरा सहचर।
             हो विकल बने जो खोज रहे-
             वह मिल जाऐगा मन भरकर।।
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उल्टे टंगे हैं (कविता)

Posted: 21 Jan 2021 04:27 AM PST

उल्टे टंगे हैं (कविता)

     --:भारतका एक ब्राह्मण.
       संजय कुमार मिश्र 'अणु'


सीधी-साधी दुनिया में,
आज भी बहुत सारे लोग-
उल्टे टंगे हैं।।
       कहता हैं मैं ठीक हूं,
       लोग गलत हैं-
       जो मेरी बात नहीं समझते,
       दिन के अंधे हैं।।
सीधा सा पेड़-
और सीधी सी टहनी,
कौन कहे बादुर को-
उल्टी तेरी रहनी,
व्यवहार कौन कहे-
सोच हीं गंदे हैं।।
      जो कुछ नहीं करता-
      वह बुराई करता है,
      सीधा सरल मन-
      चतुराई करता है,
      जिसकी खोपड़ी उल्टी-
      बस बदन नंगे हैं।।
जो लटका है-
वह राह भटका है,
कोई राह दिखेगा-
सोचकर अटका है-
अजब हाल के-
गजब धंधे हैं।।
_________
वलिदाद अरवल (बिहार)804402.
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मुख्यमंत्री ने राजगीर स्थित गुरुद्वारा श्री नानक देव शीतलकुंड का किया परिभ्रमण, गुरुद्वारे में मत्था टेका

Posted: 21 Jan 2021 04:10 AM PST

मुख्यमंत्री ने राजगीर स्थित गुरुद्वारा श्री नानक देव शीतलकुंड का किया परिभ्रमण, गुरुद्वारे में मत्था टेका

  • जब तक पृथ्वी रहेगी तब तक ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल राजगीर के प्रति श्रद्धा बरकरार रहेगी- मुख्यमंत्री

 

 पटना, 21 जनवरी 2021:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज नालंदा जिलान्तर्गत राजगीर स्थित 'गुरुद्वारा श्री नानक देव' शीतलकुंड का परिभ्रमण किया। गुरुद्वारा में मुख्यमंत्री का स्वागत सरोपा भेंटकर किया गया। मुख्यमंत्री ने गुरुद्वारे में मत्था टेका और राज्य की सुख शांति एवं समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री ने परिभ्रमण के दौरान गुरुद्वारा के निर्माण कार्य का भी जायजा लिया। मुख्यमंत्री को गुरुद्वारा एवं पर्यटकों के लिए बनाए जा रहे रेस्ट हाउस से संबिधित विस्तृत जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री ने जल्द से जल्द निर्माण कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिया।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का जन्म स्थान बिहार के पटना साहिब में है। उनका 350वां प्रकाश पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं की हर सुविधा का ध्यान रखा गया था। वर्ष 2019 में गुरुद्वारा श्री गुरुनानक देव शीतलकुंड का शिलान्यास किया गया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर का गर्म कुंड अपने आप में अनोखा है। वर्ष 15060 में श्री गुरुनानक देव जी राजगीर आए थे। उस समय गुरुनानक देव जी से लोगों ने आग्रह किया कि यहां सभी गर्म कुंड हंै, एक शीतल कुंड भी होना चाहिए। गुरुनानक देव जी जिस कुंड में खड़े हुए, तत्काल ही वह कुंड शीतल हो गया, जो आज शीतल कुंड के रुप में जाना जाता है। यह अपने आप में यूनिक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर अद्भुत जगह है। यहां वेणुवन, घोड़ा कटोरा का निर्माण कराया गया है। कुछ दिन पहले भी हम राजगीर आए थे लेकिन उस दिन मौका नहीं मिला। आज गुरुनानक देव जी के गुरुद्वारे में आकर मत्था टेका और यहां हो रहे निर्माण कार्य को देखने और समझने का मौका मिला। जिस दिन इस गुरुद्वारे का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा उस दिन मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी। इस वर्ष यह नवंबर तक बनकर तैयार हो जाएगा तो जो श्रद्धालु पटना साहिब आएंगे, वे राजगीर भी आएंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि देश-विदेश से भी लोग राजगीर आएंगे और यहां की कई अद्भुत चीजों को देखेंगे। राजगीर में सभी धर्म के लोग आस्था प्रकट करने के लिए आते हैं। इस पौराणिक तथा ऐतिहासिक स्थल के प्रति सबके मन में सम्मान है। राजगीर मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जब तक पृथ्वी रहेगी लोगों के मन में इस अद्भुत स्थल के प्रति श्रद्धा बरकरार रहेगी।

उन्होंने कहा कि गंगाजल को शुद्ध पेयजल के रुप में नवादा, बोधगया, गया एवं राजगीर में लोगों तक पहुंचाने के लिए काम किया जा रहा है। राजगीर का भू-जल स्तर मेंटेन रहे, कुंड में पानी बना रहे इन सब चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है। यहां जो भी जरुरत होगी, सारी चीजों की व्यवस्था की जाएगी। लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखना हमारा कर्तव्य है।

इस अवसर पर सांसद श्री कौशलेंद्र कुमार, विधायक श्री श्रवण कुमार, विधायक श्री कौशल किशोर, विधायक श्री जितेंद्र कुमार, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य श्री उदयकांत मिश्र सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, जिलाधिकारी श्री योगेंद्र सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री हरी प्रसाथ एस0 सहित अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री ने राजगीर स्थित मखदुम कुंड का किया परिभ्रमण, चादरपोषी कर राज्य की सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना की

Posted: 21 Jan 2021 04:07 AM PST

मुख्यमंत्री ने राजगीर स्थित मखदुम कुंड का किया परिभ्रमण, चादरपोषी कर राज्य की सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना की 

पटना, 21 जनवरी 2021:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज नालंदा जिलान्तर्गत राजगीर स्थित मखदुम कुंड का परिभ्रमण किया और चादरपोषी कर राज्य की सुख शांति एवं समृद्धि की कामना की। मौलाना मो0 अकील अख्तर एवं मो0 वकील अख्तर ने मुख्यमंत्री का स्वागत साफा बांधकर और अंगवस्त्र भेंटकर किया। परिभ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री ने परिसर में कराए जा रहे निर्माण कार्यों का जायजा लिया और तेजी से निर्माण कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिया। 
परिभ्रमण के पश्चात पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी जानते हैं कि मखदुम कुंड की स्थिति को और बेहतर करने के लिए यहां की बिल्डिंग के कुछ हिस्सों का पुनर्निर्माण कराया गया था और कुछ हिस्से जो बचे हुए थे, उसका पुनर्निर्माण कराया जा रहा है। इसी का जायजा लेने हम यहां आए हैं। हमारी इच्छा है कि जल्द से जल्द निर्माण कार्य को पूर्ण कर लिया जाए। यह ऐतिहासिक स्थल है, यह मखदुम साहब का स्थल है। यहां मखदुम साहब ऊपर में ध्यान भी लगाते थे। यहीं उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। मखदुम साहब ने जितनी बातंे कहीं हैं वह बहुत कम लोगों को ही जानकारी दी गई है कि क्या-क्या करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा भी इस स्थल से पुराना लगाव है। यहां प्रसिद्ध मखदुम कुंड भी है। यहां हम भी अक्सर आया करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने खुद मखदुम कुंड में पहले स्नान भी किया है। 

इस अवसर पर सांसद श्री कौशलेंद्र कुमार, विधायक श्री श्रवण कुमार, विधायक श्री कौशल किशोर, विधायक श्री जितेंद्र कुमार, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य श्री उदयकांत मिश्र सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, जिलाधिकारी श्री योगेंद्र सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री हरी प्रसाथ एस0 सहित अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे। 

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तिरंगा मास्क के उत्पादन करनेवाले तथा बिक्री करनेवालों पर कठोर कार्यवाही की जाए ! - राष्ट्रभक्तों की एकमुखी मांग

Posted: 21 Jan 2021 03:24 AM PST

राष्ट्रध्वज के होनेवाले अपमान को रोकने हेतु उत्तरप्रदेश में हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा प्रशासन को ज्ञापन सादर

तिरंगा मास्क के उत्पादन करनेवाले तथा बिक्री करनेवालों पर कठोर कार्यवाही की जाए ! - राष्ट्रभक्तों की एकमुखी मांग

उत्तरप्रदेश राष्ट्रध्वज राष्ट्र की अस्मिता है ! 15 अगस्त और 26 जनवरी को ये राष्ट्रध्वज अभिमान के साथ दिखाए जाते हैंपरंतु उसी दिन यही कागदी/प्लास्टिक के छोटे छोटे राष्ट्र्र्रध्वज सडकोंकचरे और नालों में फटी हुई अवस्था में दिखते हैं । यह अनादर रोकने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (103/2011) प्रविष्ट की गई थी । इस संबंध में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने प्लास्टिक के राष्ट्रध्वज द्वारा होनेवाला अपमान रोकने का आदेश सरकार को दिया था । तद्नुसार केंद्रीय व राज्य गृह विभाग तथा शिक्षा विभाग ने इससे संबंधित परिपत्रक भी निकाला था । साथ ही राज्य सरकार ने भी राज्य में 'प्लास्टिक बंदी' का निर्णय लिया है । उसके अनुसार भी 'प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों का विक्रय करना' अवैधानिक है । साथ ही इस वर्ष दुकानों में तथा 'ऑनलाइन' पद्धति से तिरंगे के रंग के मास्क का विक्रय होते हुए दिखाई दे रहा है । तिरंगे का मास्क उपयोग करने से राष्ट्रध्वज की पवित्रता भंग होती है ।

'तिरंगा मास्क' अथवा प्लास्टिक के तिरंगे झंडे देशप्रेम के प्रदर्शन के माध्यम नहीं हैंअपितु ध्वजसंहिता के अनुसार 'राष्ट्रध्वज का इस प्रकार से उपयोग करना' ध्वज का अपमान ही है । यह 'राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971' का उल्लंघन है । इसलिए 'तिरंगा मास्क' तथा प्लास्टिक के झंडे के विक्रय तथा उपयोग करनेवालों पर अपराध प्रविष्ट किए जाएं । ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति ने की है । इस निमित्त वाराणसी के माननीय जिलाधिकारीआयुक्तवाराणसी मंडल वाराणसीवरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा गाजीपुर जिले के सैदपुर तहसील एवं पिंडरा तहसील में भी प्रशासन को ज्ञापन सौंपा

गया । वाराणसी के अपर जिलाधिकारी नगर आपूर्ति श्रीनलिनीकांत सिंह ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इसपर कठोरता से कार्यवाही की जाएगी । इस समय राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं न्याय परिषद के अधिवक्ता अरूण कुमार मौर्यगंगा महासभा वाराणसी के अधिवक्ता मदन मोहन यादवअधिवक्ता विजय पाठकअधिवक्ता दीप संध्याहिन्दू जनजागृति समिति के श्रीराजन केशरीश्रीश्रीकांत जायसवालश्रीप्रखर सिंहश्रीशुभेंदु पांडेयश्रीसुनील पटेलश्री सत्यप्रकाश शर्माश्रीअक्षय पटेलश्रीगौतम पटेल तथा अन्य उपस्थित थे ।
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शिक्षा आत्‍मनिर्भर जीवन के लिए जरूरी:- श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

Posted: 21 Jan 2021 03:21 AM PST

राष्‍ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष 

शिक्षा आत्‍मनिर्भर जीवन के लिए जरूरी:- श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' केंद्रीय शिक्षा मंत्री , भारत सरकार 

''आत्‍मनिर्भरता को अपना तौर-तरीका बनाएं… ज्ञान की संपदा एकत्र करने में खुद को लगाएं।'' भारत की पहली महिला शिक्षक और देश में बालिकाओं के लिए पहला विद्यालय स्‍थापित करने वाली सावित्री बाई फुले ने बालिकाओं की शिक्षा के संबंध में यह बात कही थी। अपने पूरे जीवन काल में उन्‍होंने बालिकाओं को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान किए जाने की वकालत की। उनका विश्‍वास था कि आत्‍मनिर्भरता का रास्‍ता शिक्षा प्राप्ति से होकर ही जाता है। उनका मानना था कि शिक्षा न सिर्फ बालिकाओं को आत्‍मनिर्भरता और समृद्धि की राह दिखाती है, बल्कि वह उनके परिवारों, समुदाय और पूरे राष्‍ट्र के भविष्‍य को आत्‍मनिर्भर बनाने में सहायता करती है। बालिकाओं की समानता के उनके सिद्धांत पर चलकर न सिर्फ विद्यालयों में बालिकाओं की अधिक-से-अधिक उपस्थिति दर्ज कराने में मदद मिली है बल्कि इसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की सफलता का श्रेय भी दिया जा सकता है। शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यू-डीआईएसई) के 2018-19 के आंकड़े के अनुसार प्राथमिक स्‍तर पर बालिकाओं का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 101.78 प्रतिशत है और प्रारंभिक स्‍तर पर यह 96.72 प्रतिशत है। 

सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में वृद्धि के लिए शिक्षा मंत्रालय की स्‍कूल स्‍तर से लेकर उच्‍चतम शिक्षा स्‍तर तक लागू की गई परिवर्तनकारी दृष्टि को श्रेय दिया जा सकता है। इनमें सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण कदम माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओं को प्रोत्साहित करने की राष्ट्रीय योजना, उच्‍च प्राथमिक स्‍तर से उच्‍चतर माध्‍यमिक स्‍तर तक शिक्षा के लिए कस्‍तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खोलना और ऐसे मौजूदा विद्यालयों का स्‍तरोन्‍नयन करना और इसे महिला छात्रावास योजना से जोड़ना, महिला शौचालयों का विकास और कक्षा VI से XII तक की छात्राओं को आत्‍मरक्षा का प्रशिक्षण उपलब्‍ध कराना रहा। इसके अलावा, हमने सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान के लिए स्‍वामी विवेकानंद एकल बालिका छात्रवृत्ति समेत महिला अध्‍ययन केन्‍द्र स्‍थापित किए। विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग आठ प्रमुख महिला विश्‍वविद्यालयों की स्‍थापना करने जा रहा है। तकनीकी शिक्षा में महिलाओं के नामांकन को बढ़ाने के लिए एआईसीटीई ने प्रगति छात्रवृत्ति योजना लागू की है। आईआईटी और एनआईटी तथा आईआईईएसटी के बी-टेक कार्यक्रमों में महिलाओं का नामांकन जहां 2016 में 8 प्रतिशत था वह 2018-19 में 14 प्रतिशत और 2019-20 में 17 प्रतिशत हो गया। 2020-21 में अतिरिक्‍त सीटें बढ़ाए जाने पर यह बढ़कर 20 प्रतिशत पर आ गया। पिछले दो सालों और मौजूदा अकादमिक वर्ष के दौरान छात्राओं के लिए कुल 3,503 अतिरिक्‍त सीटें बढ़ाई गई हैं। 

शिक्षा प्रणाली में छात्राओं की बढ़ती भागीदारी लैंगिक समानता को दर्शाती है हालांकि, यह दुखद है कि कोविड-19 महामारी के चलते छात्राओं की भागीदारी पर संकट के बादल छा गए हैं। विभिन्‍न रिपोर्टों का कहना है कि स्‍कूलों के बंद होने के चलते छात्राएं जल्‍दी और जबरन शादी और हिंसा की चुनौतियों का सामना कर रही हैं। इन चुनौतियों से निपटने और बालिकाओं की शिक्षा की दिशा में की गई प्रगति को बनाए रखने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने विभिन्‍न उपाय किए हैं और यह सुनिश्चित किया है कि वे महामारी के दौरान भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। मैं दीक्षा, व्‍हाट्सएप, यू-ट्यूब, फोन कॉल्स, कॉन्‍फ्रेंस कॉल्स, वीडियो कॉल्‍स और जूम कॉन्‍फ्रेंस के जरिए ई-लर्निंग की सुविधा उपलब्‍ध कराने के राज्यों के प्रयासों की प्रशंसा करता हूं। इस दौरान (शैक्षिक) गृह कार्य कराने, छात्राओं और शिक्षकों को अकादमिक विषयों पर छोटे-छोटे वीडियो उपलब्‍ध कराने के विशेष प्रयास किए गए। मैं समझता हूं कि कस्‍तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की प्रकृति को देखते हुए महामारी के दौरान क्षेत्र के अलग-अलग हिस्‍सों में रहने वाली छात्राओं के साथ संपर्क कायम रखना काफी कठिन कार्य था, लेकिन इन विद्यालयों ने इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया। उन्‍होंने जिला लैंगिक समन्‍वयकों की नियमित वर्चुअल बैठकें आयोजित कीं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए विभिन्‍न गतिविधियों को लागू करने और उनकी निगरानी करने के लिए उनका मार्ग दर्शन किया। कुछ राज्‍यों में विद्यालयों के अध्‍यापकों को आत्‍मरक्षा प्रशिक्षक बनने का प्रशिक्षण मुहैया कराया गया, ताकि स्‍कूलों के दोबारा खुलने के बाद बालिकाओं को आत्‍मरक्षा का प्रभावी प्रशिक्षण उपलब्‍ध कराया जा सके। मैं लैंगिक समानता की अवधारणा को सार्थक करने के लिए उनके परिश्रम की सराहना करता हूं। इससे आगे बढ़ते हुए, मैंने सभी राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को आने वाले सालों में विद्यालयों से बड़े पैमाने पर पढ़ाई छोड़कर जाने वाले बच्‍चों को रोकने के लिए एक अभियान शुरू करने का निर्देश दिया है। इसमें मुख्‍य ध्‍यान पढ़ाई छोड़ने वाली छात्राओं पर दिया जाएगा। इसमें बताए गए उपाय छात्राओं को लैंगिक समानता उपलब्‍ध कराने के साथ-साथ उनकी पढ़ाई जारी रखने में मदद करेंगे। इस अवधारणा पर चलते हुए और राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति में की गई सिफारिशों के अनुरूप कस्‍तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को मजबूत बनाने के साथ-साथ इनका विस्‍तार किया जाएगा ताकि गुणवत्तापूर्ण विद्यालयों (कक्षा 12 तक) तक छात्राओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सके। भारत सरकार एक 'लैंगिक समावेश निधि' की स्‍थापना करेगी ताकि सभी बालिकाओं को समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने की राष्‍ट्र की क्षमता में वृद्धि की जा सके। इस निधि के माध्‍यम से सरकार बालिकाओं की शिक्षा तक पहुंच बनाने और उन्‍हें आत्‍मनिर्भर बनने में मदद कर सकेगी। यह कदम सावित्री बाई फुले और हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी की परिकल्‍पना को साकार करेगा जो इस बात में भरोसा करते है, ''शिक्षा जीवन में आत्‍मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्‍त करती है।'' इसके साथ ही हमारे लिए यह अहसास करना भी बेहद जरूरी है कि बालिकाओं को शिक्षित करना, उन्‍हें विद्यालय में दाखिल करना मात्र ही नहीं है। हमारे लिए यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि छात्राएं स्‍कूल में पढ़ाई के साथ-साथ सुरक्षित भी महसूस करें। हमें उनकी सामाजिक-भावनात्‍मक और जीवन संबंधी कुशलता को भी बढ़ाने पर ध्‍यान देना है। बालिकाओं को इतना सशक्‍त बनाना है कि वे अपने जीवन के निर्णय खुद ले सकें और आत्‍मनिर्भर बन सकें।
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"प्रेम किया है पण्डित, संग कैसे छोड़ दूँगी ?"

Posted: 21 Jan 2021 03:14 AM PST

"प्रेम किया है पण्डित, संग कैसे छोड़ दूँगी ?"

सुमन कुमार मिश्र 

सत्रहवीं शताब्दी का पूर्वार्ध था। दूर दक्षिण में गोदावरी तट के एक छोटे राज्य की राज्यसभा में एक विद्वान ब्राह्मण सम्मान पाता था, नाम था जगन्नाथ शास्त्री। साहित्य के प्रकांड विद्वान, दर्शन के अद्भुत ज्ञाता। इस छोटे से राज्य के महाराज चन्द्रदेव के लिए जगन्नाथ शास्त्री सबसे बड़े गर्व थे। कारण यह, कि जगन्नाथ शास्त्री कभी किसी से शास्त्रार्थ में पराजित नहीं होते थे। दूर- दूर के विद्वान आये और पराजित हो कर जगन्नाथ शास्त्री की विद्वता का ध्वज लिए चले गए।

पण्डित जगन्नाथ शास्त्री की चर्चा धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत में होने लगी थी। उस समय दिल्ली पर मुगल शासक शाहजहाँ का शासन था। शाहजहाँ मुगल था, सो भारत की प्रत्येक सुन्दर वस्तु पर अपना अधिकार समझना उसे जन्म से सिखाया गया था। पण्डित जगन्नाथ की चर्चा जब शाहजहाँ के कानों तक पहुँची तो जैसे उसके घमण्ड को चोट लगी।

"मुगलों के युग में एक तुच्छ ब्राह्मण अपराजेय हो, यह कैसे सम्भव है?" 

शाह ने अपने दरबार के सबसे बड़े मौलवियों को बुलवाया और जगन्नाथ शास्त्री तैलंग को शास्त्रार्थ में पराजित करने के आदेश के साथ महाराज चन्द्रदेव के राज्य में भेजा।

"जगन्नाथ को पराजित कर उसकी शिखा काट कर मेरे कदमों में डालो...." शाहजहाँ का यह आदेश उन चालीस मौलवियों के कानों में स्थायी रूप से बस गया था।

सप्ताह भर पश्चात मौलवियों का दल महाराज चन्द्रदेव की राजसभा में पण्डित जगन्नाथ को शास्त्रार्थ की चुनौती दे रहा था। गोदावरी तट का ब्राह्मण और अरबी मौलवियों के साथ शास्त्रार्थ, पण्डित जगन्नाथ नें मुस्कुरा कर सहमति दे दी। मौलवी दल ने अब अपनी शर्त रखी, 

"पराजित होने पर शिखा देनी होगी..." 

पण्डित की मुस्कराहट और बढ़ गयी, 

"स्वीकार है, पर अब मेरी भी शर्त है। आप सब पराजित हुए तो मैं आपकी दाढ़ी उतरवा लूंगा।"

मुगल दरबार में "जहाँ पेड़ न खूंट, वहाँ रेंड़ परधान" की भांति विद्वान कहलाने वाले मौलवी विजय निश्चित समझ रहे थे, सो उन्हें इस शर्त पर कोई आपत्ति नहीं हुई।

शास्त्रार्थ क्या था; खेल था। अरबों के पास इतनी आध्यात्मिक पूँजी कहाँ, जो वे भारत के समक्ष खड़े भी हो सकें। पण्डित जगन्नाथ विजयी हुए, मौलवी दल अपनी दाढ़ी दे कर दिल्ली वापस चला गया...

दो माह बाद महाराज चन्द्रदेव की राजसभा में दिल्ली दरबार का प्रतिनिधिमंडल याचक बन कर खड़ा था, 

"महाराज से निवेदन है कि हम उनकी राज्य सभा के सबसे अनमोल रत्न पण्डित जगन्नाथ शास्त्री तैलंग को दिल्ली की राजसभा में सम्मानित करना चाहते हैं। यदि वे दिल्ली पर यह कृपा करते हैं तो हम सदैव आभारी रहेंगे।"

मुगल सल्तनत ने प्रथम बार किसी से याचना की थी। महाराज चन्द्रदेव अस्वीकार न कर सके। पण्डित जगन्नाथ शास्त्री दिल्ली के हुए, शाहजहाँ नें उन्हें नया नाम दिया "पण्डितराज।"

दिल्ली में शाहजहाँ उनकी अद्भुत काव्यकला का दीवाना था, तो युवराज दारा शिकोह उनके दर्शन ज्ञान का भक्त। दारा शिकोह के जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव पण्डितराज का ही रहा, और यही कारण था कि मुगल वंश का होने के बाद भी दारा मनुष्य बन गया।
मुगल दरबार में अब पण्डितराज के अलंकृत संस्कृत छंद गूंजने लगे थे। उनकी काव्यशक्ति विरोधियों के मुंह से भी वाह-वाह की ध्वनि निकलवा लेती। यूँ ही एक दिन पण्डितराज के एक छंद से प्रभावित हो कर शाहजहाँ ने कहा- 

"अहा! आज तो कुछ मांग ही लीजिये पंडितजी, आज आपको कुछ भी दे सकता हूँ।"

पण्डितराज ने आँख उठा कर देखा। दरबार के कोने में एक हाथ माथे पर और दूसरा हाथ कमर पर रखे खड़ी एक अद्भुत सुंदरी पण्डितराज को एकटक निहार रही थी। अद्भुत सौंदर्य, जैसे कालिदास की समस्त उपमाएं स्त्री रूप में खड़ी हो गयी हों। पण्डितराज ने एक क्षण को उस रूपसी की आँखों मे देखा। मस्तक पर त्रिपुंड लगाए शिव की तरह विशाल काया वाले पण्डितराज उसकी आँखों की पुतलियों में झलक रहा था। पण्डित ने मौन के स्वरों से ही पूछा- 

"चलोगी?"

लवंगी की पुतलियों ने उत्तर दिया-

"अविश्वास न करो पण्डित! प्रेम किया है...."

पण्डितराज जानते थे, यह एक नर्तकी के गर्भ से जन्मी शाहजहाँ की पुत्री 'लवंगी' थी। एक क्षण को पण्डित ने कुछ सोचा, फिर ठसक के साथ मुस्कुरा कर कहा-

"न याचे गजालीम् न वा वजीराजम्,
न वित्तेषु चित्तम् मदीयम् कदाचित।
इयं सुस्तनी,       मस्तकन्यस्तकुम्भा,
लवंगी    कुरंगी     दृगंगी   करोतु।।"

शाहजहाँ मुस्कुरा उठा! कहा-्

*"लवंगी तुम्हारी हुई, पण्डितराज। यह भारतीय इतिहास की एकमात्र घटना है, जब किसी मुगल ने किसी हिन्दू को बेटी दी थी। लवंगी अब पण्डित राज की पत्नी थी।
युग बीत रहा था। पण्डितराज दारा शिकोह के गुरु और परम् मित्र के रूप में ख्यात थे। समय की अपनी गति है। शाहजहाँ के पराभव, औरंगजेब के उदय और दारा शिकोह की निर्मम हत्या के पश्चात पण्डितराज के लिए दिल्ली में कोई स्थान नहीं रहा। पण्डित राज दिल्ली से बनारस आ गए। साथ थी उनकी प्रेयसी लवंगी।

बनारस तो बनारस है, वह अपने ही ताव के साथ जीता है। बनारस किसी को इतनी सहजता से स्वीकार नहीं कर लेता। और यही कारण है कि बनारस आज भी बनारस है, नहीं तो अरब की तलवार जहाँ भी पहुँची वहाँ की सभ्यता-संस्कृति को खा गई। यूनान, मिश्र, फारस, इन्हें सौ वर्ष भी नहीं लगे समाप्त होने में, बनारस हजार वर्षों तक प्रहार सहने के बाद भी "ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः। शं नो भवत्वर्यमा...." गा रहा है।

बनारस ने एक स्वर से पण्डितराज को अस्वीकार कर दिया। कहा- 

*"लवंगी आपके विद्वता को खा चुकी, आप सम्मान के योग्य नहीं।
तब बनारस के विद्वानों में पण्डित अप्पय दीक्षित और पण्डित भट्टोजि दीक्षित का नाम सबसे प्रमुख था। पण्डितराज का विद्वत समाज से बहिष्कार इन्होंने ही कराया।

पर पण्डितराज भी पण्डितराज थे, और लवंगी उनकी प्रेयसी। जब कोई कवि प्रेम करता है तो कमाल करता है। पण्डितराज ने कहा- लवंगी के साथ रह कर ही बनारस की मेधा को अपनी सामर्थ्य दिखाऊंगा।

पण्डितराज ने अपनी विद्वता दिखाई भी, पंडित भट्टोजि दीक्षित द्वारा रचित काव्य "प्रौढ़ मनोरमा" का खंडन करते हुए उन्होंने "प्रौढ़ मनोरमा कुचमर्दनम" नामक ग्रन्थ लिखा। बनारस में धूम मच गई, पर पण्डितराज को बनारस ने स्वीकार नहीं किया।

पण्डितराज नें पुनः लेखनी चलाई, पण्डित अप्पय दीक्षित द्वारा रचित "चित्रमीमांसा" का खंडन करते हुए "चित्रमीमांसाखंडन" नामक ग्रन्थ रच डाला।

बनारस अब भी नहीं पिघला, बनारस के पंडितों ने अब भी स्वीकार नहीं किया पण्डितराज को। पण्डितराज दुखी थे। बनारस का तिरस्कार उन्हें तोड़ रहा था।
असाढ़ की सन्ध्या थी। गंगा तट पर बैठे उदास पण्डितराज ने अनायास ही लवंगी से कहा-

"गोदावरी चलोगी, लवंगी? वह मेरी मिट्टी है, वह हमारा तिरस्कार नहीं करेगी।"

लवंगी ने कुछ सोच कर कहा-

"गोदावरी ही क्यों, बनारस क्यों नहीं?  स्वीकार तो बनारस से ही करवाइए पंडीजी।"

पण्डितराज ने थके स्वर में कहा-

"अब किससे कहूँ, सब कर के तो हार गया..."

लवंगी मुस्कुरा उठी, 

"जिससे कहना चाहिए, उससे तो कहा ही नहीं।  गंगा से कहो, वह किसी का तिरस्कार नहीं करती। गंगा ने स्वीकार किया तो समझो शिव ने स्वीकार किया।"

पण्डितराज की आँखे चमक उठीं। उन्होंने एकबार पुनः झाँका लवंगी की आँखों में, उसमें अब भी वही बीस वर्ष पुराना उत्तर था-

"प्रेम किया है पण्डित! संग कैसे छोड़ दूंगी?"

पण्डितराज उसी क्षण चले, और काशी के विद्वत समाज को चुनौती दी-

"आओ कल गंगा के तट पर, तल में बह रही गंगा को सबसे ऊँचे स्थान पर बुला कर न दिखाया, तो पण्डित जगन्नाथ शास्त्री तैलंग अपनी शिखा काट कर उसी गंगा में प्रवाहित कर देगा......"

पल भर को हिल गया बनारस। पण्डितराज पर अविश्वास करना किसी के लिए सम्भव नहीं था। जिन्होंने पण्डितराज का तिरस्कार किया था, वे भी उनकी सामर्थ्य जानते थे।

अगले दिन बनारस का समस्त विद्वत समाज दशाश्वमेघ घाट पर एकत्र था। पण्डितराज घाट की सबसे ऊपर की सीढ़ी पर बैठ गए, और गंगलहरी का पाठ प्रारम्भ किया। लवंगी उनके निकट बैठी थी।

गंगा बावन सीढ़ी नीचे बह रही थी। पण्डितराज ज्यों- ज्यों श्लोक पढ़ते, गंगा एक- एक सीढ़ी ऊपर आती। बनारस की विद्वता आँख फाड़े निहार रही थी।

गंगलहरी के इक्यावन श्लोक पूरे हुए। गंगा इक्यावन सीढ़ी चढ़ कर पण्डितराज के निकट आ गयी थी। पण्डितराज ने पुनः देखा लवंगी की आँखों में, अबकी लवंगी बोल पड़ी- 

"क्यों अविश्वास करते हो, पण्डित? प्रेम किया है तुमसे..."

पण्डितराज ने मुस्कुरा कर बावनवाँ श्लोक पढ़ा। गंगा ऊपरी सीढ़ी पर चढ़ी और पण्डितराज-लवंगी को गोद में लिए उतर गई।

बनारस स्तब्ध खड़ा था, पर गंगा ने पण्डितराज को स्वीकार कर लिया था। तट पर खड़े पण्डित अप्पाजी दीक्षित ने मुंह में ही बुदबुदा कर कहा- 

"क्षमा करना मित्र, तुम्हें हृदय से लगा पाता तो स्वयं को सौभाग्यशाली समझता, पर धर्म के लिए तुम्हारा बलिदान आवश्यक था। बनारस झुकने लगे तो सनातन नहीं बचेगा।"

युगों बीत गए। बनारस है, सनातन है,  गंगा है, तो उसकी लहरों में पण्डितराज भी हैं। सादर नमस्कार ।
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