दिव्य रश्मि न्यूज़ चैनल |
- स्वाभाविक राष्ट्र है भारत
- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फील्ड आउटरीच ब्यूरो द्वारा पोषण विषय पर परिचर्चा सह प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
- भारतीय जन महासभा ने मनाया रामधारी सिंह दिनकर की जयंती
- आज 25 सितम्बर 2021, शनिवार का दैनिक पंचांग एवं राशिफल - सभी १२ राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन ? क्या है आप की राशी में विशेष ? जाने प्रशिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. प्रेम सागर पाण्डेय से |
- कलम का हुंकार हूँ मैं
- मानव का हित है
- काटी कन्नी
- मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम की विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया
- कुर्सी की लड़ाई
- नारायणबलि, नागबलि एवं त्रिपिंडी श्राद्ध
- वीडियोे गेम खेलना और सामाजिक जालस्थलों (वेबसाईट) में मग्न रहने से व्यक्ति पर नकारात्मक परिणाम होता है !
| Posted: 24 Sep 2021 11:55 PM PDT स्वाभाविक राष्ट्र है भारतलेखिका:- प्रो. कुसुमलता केडिया (लेखिका धर्मपाल शोधपीठ, भोपाल की निदेशक हैं) यह आज हमें पता है कि भारत का वर्तमान स्वरूप 15 अगस्त 1947 की देन है। आज अखंड भारत की कल्पना में हम केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश को जोड़ते हैं। परंतु हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि बर्मा, श्रीलंका, अफगानिस्तान आदि भी भारत के ही भाग रहे हैं। यदि हम केवल 15 अगस्त 1947 के बाद के भारत को ही लें तो भी इस समय विश्व में केवल छह नेशन स्टेट या राष्ट्र ऐसे हैं जो आकार में भारत से बड़े हैं और ये छहों अस्वाभाविक राष्ट्र हैं। एक एक कर सभी पर विचार करते हैं। पहला राष्ट्र है आस्ट्रेलिया। आस्ट्रेलिया क्या है? उसके केवल तटीय इलाकों में लोग बसे हैं। दिल्ली के बराबर आबादी है। इस नाम का भी कोई इतिहास नहीं है। यह बीसवीं शताब्दी में बना एक अस्वाभाविक राष्ट्र है। दूसरा बड़ा राष्ट्र है यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका। अमेरिका तो इस इलाके का नाम भी नहीं है। आज भी यूनाइटेड स्टेट्स किसी अमेरिगो नामक आदमी के नाम से जाना जाता है। इसे वेस्ट इंडिया ही कह दिया होता या वेस्ट इंडियन सबकोंटिनेंट ही कह दिया होता। यदि आपको किसी स्थान को उनके मूल नाम से नहीं बुलाना है तो कुछ पहचाना सा नाम तो रखना चाहिए था। किसी को पता ही नहीं है कि अमेरिगो कौन था। अमेरिका का मूल नाम तो टर्टल कोंटीनेंट यानी कि कच्छप महाद्वीप है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका तो उन्नीसवीं-बीसवीं शताब्दी में अस्तित्व में आया है। इसके टूटने का रुदन सैमुएल हंटिंगटन अपनी पुस्तक क्लैश ऑफ सिविलाइजेशन में कर रहे हैं। भारत में इस पर काफी बहस चल रही है, परंतु बहस करने वालों ने ठीक से उसकी प्रस्तावना तक नहीं पढ़ी है। प्रस्तावना में ही वह कह रहा है कि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका टूट रहा है। क्यों? क्योंकि उसके नीचे मैक्सिको उसे धक्का दे रहा है। मैक्सिको वहाँ का मूल है। वे वहाँ के मूलनिवासी हैं। उनका अपना क्षेत्र है। दीवाल बनाने से क्या होगा? दीवाल तो चीन ने भी बनाई थी। फिर भी उसे मंगोल, हूण, शक, मांचू सभी पराजित करते रहे। तीसरा राष्ट्र है कैनेडा। संयुक्त राष्ट्र के ऊपर कैनेडा है। यहाँ कुछ फ्रांसीसी लोग हैं, कुछ अंग्रेज हैं और इन्होंने एक राष्ट्र बना लिया। यहां का पूरा इतिहास खंगाल डालिये, कैनेडा नाम नहीं मिलेगा। अस्वाभाविक राष्ट्र है। चौथा राष्ट्र है ब्राजील। यह नाम भी आपको इतिहास में नहीं मिलेगा। उन्नीसवीं शताब्दी तक ब्राजील का कोई अस्तित्व नहीं है। यह संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से भगाए गए कुछेक फ्रांसीसी, अंग्रेज और जर्मन लोगों की रचना है। ये कृत्रिम सीमाएं हैं। पाँचवां बड़ा राष्ट्र है जिसे हम पहले यूएसएसआर के नाम से जानते रहे हैं सोवियत संघ। उससे टूट कर सोलह राष्ट्र अलग हो गए, अब बचा है रूस। रूस के तीन चौथाई हिस्से के बारे में उसे स्वयं ही उन्नीसवीं शताब्दी तक पता नहीं था। यह हिस्सा था रूस का एशियायी हिस्सा। यह तो प्राचीन काल से भारत का हिस्सा रहा है। साइबेरिया का उच्चारण बदलें तो सिबिरिया होता है यानी शिविर का स्थान। इतालवी लोग स्थानों को स्त्रीलिंग से बुलाते हैं। इसलिए शिविर शिविरिया बन गया जिसे हम आज साईबेरिया कहते हैं। यह रूस का हिस्सा नहीं था। यह हिस्सा रहा है भरतवंशी शकों का, भरतवंशी मंगोलों का। इसे आप नक्शों में आसानी से देख सकते हैं। कब तक रहा है? उन्नीसवीं शताब्दी तक। यह कोई प्राचीन इतिहास नहीं है, जिसे ढूंढना पड़े। यह आधुनिक इतिहास है। फ्रांसीसी क्रांति या पुनर्जागरण के काल के बाद के इतिहास को आधुनिक काल माना जाता है। परंतु यह तो उससे भी कहीं नई घटना है। उन्नीसवीं शताब्दी तक रूस इस इलाके को जानता भी नहीं है। वह स्वयं उसे क्या बतलाता है, इसे देख लीजिए। अ_ारहवीं शताब्दी तक रूस अपनी सीमाएं क्या बता रहा है, देख लीजिए। जैसे हम कहते हैं न कि हमारी सीमाएं गांधार तक रही हैं, रूस अपनी सीमाओं के बारे में क्या कहता है? इसलिए यह भी स्वाभाविक राष्ट्र नहीं है। कृत्रिम देश है। शीघ्र ही अपनी स्वाभाविक सीमाओं में आ जाएगा। इसकी स्वाभाविक सीमाएं क्या हैं? आज के यूक्रेन में एक स्थान है कीव। कीव के उत्तर में एक नदी चलती है। उस नदी के आस-पास का इलाका ही वास्तविक रूस है। और कीव सहित यूक्रेन आज रूस से बाहर है। पाँच विशाल देशों के बाद अगला देश है चीन। चीन का वर्तमान आकार तो पंडित नेहरू का दिया हुआ है। तिब्बत तो कभी उसका था ही नहीं। जिसे भारत के यूरोपीय चश्मेवाले बुद्धिजीवी पूर्वी तूर्कीस्तान या फिर चीनी तूर्कीस्तान कहते हैं, वह भी उसका नहीं रहा है। इसे भी वर्ष 1949 में जवाहरलाल नेहरू ने चीन के लिए छोड़ दिया। यह तो महाकाल के उपासकों का स्थान रहा है। महाकाल के उपासक रहे महान मंगोल सम्राट कुबलाई खाँ ने चीन को पराजित किया था। चीन में मंगोलिया और मंचूरिया का हिस्सा मिला हुआ है। ये दोनों इलाके साम्यवादी चीन का हिस्सा 1949 के बाद रूस और चीन की सहमति से बने। रूस में लेनिन, स्टालिन जैसे कुछ तानाशाह लोग सत्ता में आ गए थे। उन्हें दुनिया भर में मित्र चाहिए था। कहा जाता है दुनिया भर में परंतु उसका वास्तविक अर्थ होता है यूरेशिया में। शेष चारों महादेश तो गिनती में होते ही नहीं हैं। तो साम्यवादी रूस को केवल एक सहयोगी मिला माओ के नेतृत्व वाला साम्यवादी चीन। साम्यवादी रूस ने मंगोलिया और मंचुरिया को चीन का हिस्सा मान लिया। दूसरा विश्वयुद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र की रचना हुई जिसमें यूएसएसआर स्थायी सदस्य था। दूसरा स्थायी सदस्य बनने का प्रस्ताव भारत को मिला था, परंतु जवाहरलाल नेहरू ने कूटनीतिक मूर्खता में वह प्रस्ताव चीन को दिलवा दिया। इन दोनों साम्यवादी देशों ने मिल कर बंदरबाँट की। परंतु आज चीन टूट रहा है। तीन हिस्सों में। यह अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट है। मंचुरिया और मंगोलिया, दोनों ही चीन को अपने कब्जे में रखने वाले देश हैं। वर्ष 1914 तक मंचुरिया का गुलाम रहा है। यह तो हमें कहीं पढ़ाया नहीं जाता कि तेरहवीं शताब्दी से लेकर वर्ष 1914 तक चीन भरतवंशी मंगोलों तथा मंचुओं का गुलाम रहा है। हमने देखा कि 15 अगस्त 1947 के भारत से दुनिया के छह नेशन-स्टेटों का क्षेत्रफल अधिक है और वे छहों अस्वाभाविक राष्ट्र हैं और ये छहों अतिशीघ्र टूट जाएंगे। आज के दिन भी भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा स्वाभाविक राष्ट्र है। हम जानते हैं कि पाकिस्तान और बांग्लादेश का जन्म कैसे हुआ है। अक्सर यह कहा जाता है कि हम पड़ोसी रोज नहीं बदल सकते। परंतु हमने हर रोज पड़ोसी ही तो बदला है। पाकिस्तान हमारा पड़ोसी कब था, वह तो हमारा घर था। हमारा पड़ोसी अफगानिस्तान भी कब था, वह भी हमारा घर ही था। चीन भी आपका पड़ोसी कब था, नेपाल कब था हमारा पड़ोसी? हमने तो घरवालों को ही पड़ोसी बना दिया है। याद करें कि युद्ध अपराध के कारण संयुक्त राष्ट्र ने ट्रीटी ऑफ वर्साई के कारण जर्मनी के दो हिस्से कर दिए, वह जर्मनी एक हो गया। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत एक हो गया। ऐसे में भारत का नक्शा देखिए, नीचे पेनिनसुलर भारत है, परंतु ऊपर विराट हिमालय है। अफगानिस्तान तो दुर्योधन का ननिहाल गाँधार ही तो था। शकुनि यहीं का था। और निकट इतिहास में महाराजा रणजीत सिंह का राज्य गाँधार तक था। वर्ष 1905-10 में पंडित दीनदयालू शर्मा काबुल और कांधार में संस्कृत पर भाषण देने जाते हैं, सनातनधर्मरक्षिणी और गौरक्षिणी सभाएं करते हैं। गाँधी जी के जाने पर वायसराय खड़ा नहीं होता, पंरतु पंडित दीनदयालू शर्मा से मिलने के लिए इंग्लैंड का राजा भी खड़ा होता है। वर्ष 1910 में अफगानिस्तान नाम का कोई देश था ही नहीं। वर्ष 1922 में अंग्रेजों ने इसे बनाया रूस और उनके ब्रिटिश इंडिया के बीच बफर स्टेट के रूप में। महाभारत में राजा युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में ढेर सारे राजा आते हैं। वे राजा जो युधिष्ठिर को कर देते हैं, वे सभी आते हैं। जो प्रदेश भारत के चक्रवर्ती सम्राट को कर देते हैं, वे भारत ही कहलाएंगे न? यह भारत कहाँ से कहाँ तक है? यवन प्रांत जिसे आज ग्रीक कहते हैं। परंतु ग्रीक स्वयं को ग्रीक नहीं कहते। वे स्वयं को एलवंशीय कहते हैं। उनके देश का नाम आज भी ग्रीस नहीं एलेनिक रिपब्लिक है। एलवंश मतलब बुद्ध और इला की संतान। यह भारतीय ग्रंथों में मिल जाएंगे। राजसूय यज्ञ के बाद युद्ध के वर्णन में स्पष्ट वर्णन है कि कौन-कौन सी सेनाएं पांडवों के साथ हैं और कौन-कौन कौरवों के साथ। वहाँ 250 जनपदों का उल्लेख है जिसमें दरद, काम्बोज, गाँधार, यवन, बाह्लीक, शक सभी नाम आते हैं। जिसे आज हम इस्लामिक देश के रूप में जानते हैं, यह पूरा इलाका शिव. ब्रह्मा, दूर्गा का पूजक सनातन धर्मावलम्बी चक्रवर्तीं भारतीय सम्राट के जनपद रहे हैं। यह एक रोचक सत्य है कि अंग्रेजों को वर्ष 1910 तक पता नहीं था कि अशोक, देवानां पियदासी कौन है? वे महाभारत को नकार देते हैं। यदि हम महाभारत को गलत भी मान लें तो वायुपुराण, विष्णुपुराण, रामायण, कालीदास का रघुवंश, पाणिनी के अष्टाध्यायी आदि में किए गए भारतसंबंधी वर्णनों को देखें। यदि इन भारतीय संदर्भों से हमारी तुष्टि न हो तो फिर एक मुस्लिम लेखक का संदर्भ देखिए। अल बिरुनी का भारत पुस्तक को पढि़ए। अल बिरुनी की पुस्तक में भारत की सीमाओं और लोगों का वर्णन है। इसमें एक वर्णन है कि भारत के लोगों ने चारों दिशाओं में चार नगरों से आकाशीय गणना की है। उसकी आज तो जाँच की जा सकती है। वह कह रहा है कि इन चारों स्थानों पर भारत के लोग रहते हैं। ये चारों स्थान हैं – उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव, और पूरब तथा पश्चिम के शहरों का अक्षांश और देशांतर गणना दी हुई है। अल बिरुनी का कहना है कि ये गणनाएं तभी सही हो सकती हैं, जब आप वहाँ लगातार जा रहे हों। पिरी राइस का नक्शा दुनिया का एक नक्शा है। यह फटी-पुरानी अवस्था में किसी विद्वान को मिला। उसने उसे देखा। उस नक्शे की विशेषता है कि उसमें दक्षिणी ध्रुव दिखाया गया है। दक्षिणी ध्रुव पर दो किलोमीटर मोटी बर्फ की परत जमी हुई है। वर्ष 1966 में इंग्लैंड और स्वीडेन ने एक सिस्मोलोजिकल सर्वेक्षण किया और उसके आधार पर दक्षिणी ध्रुव का नक्शा बनाया। यह नक्शा पिरी राइस के नक्शे के एकदम समान है। तो प्रश्न उठा कि पिरी राइस का नक्शा इतना पहले कैसे बना? उस विद्वान ने उस नक्शे को अमेरिका के एयर फोर्स के टेक्नीकल डिविजन के स्क्वैड्रन लीडर को भेजा। स्क्वैड्रन लीडर ने उत्तर लिखा कि नक्शा तो सही है, परंतु उस समय जब बर्फ नहीं थी, जब जानने के लिए जो यंत्र और तकनीकी ज्ञान चाहिए, वह नहीं रहा होगा। वह कहता है कि इस दो किलोमीटर की बर्फ की तह जमने में कई दशक लाख वर्ष लगे। यह नक्शा लगभग तबका बना हुआ है। यह उद्धरण मैप्स ऑफ एनशिएंट सी किंग्स के हैं। पिरी राइस तूर्क का डकैत था। तूर्कों को आमतौर पर हम मुसलमान मान लेते हैं। परंतु ध्यान दें कि ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी तक इसे यूरोप अनातोलिया बोलते थे। तूर्क लोग जब वर्तमान तूर्किस्तान पहुँचे, तब उसका नाम तूर्किस्तान रखा। वे वास्तव में दूर्गा और शिव के उपासक रहे हैं। पिरी राइस लिख रहा है कि उसने यह नक्शा पुराने नक्शों के आधार पर बनाया है। अमेरिकन नक्शा बनाने वाले विद्वान लिखते हैं कि इस रास्ते पर लगातार समुद्री यात्राएं होती रही हैं। दक्षिणी ध्रुव पर यात्राएं हो रही हैं व्यापारिक और सैन्य कारणों से। अलग-अलग हिमयुगों में नक्शे बनाए गए हैं। इसे बनाने वाले और यात्रा करने वाले वे लोग हैं, जिनके नाम से एक महासागर का नाम ही रख दिया गया है। हिंद महासागर। दूसरे किसी भी देश के नाम पर महासागर का नाम नहीं रखा गया है, क्यों? इस हिंद महासागर में हिंद का तटीय प्रदेश छोटा सा ही है। फिर भी इसका नाम हिंद महासागर इसलिए है कि इसमें भारतीय ऐसे चलते हैं जैसे कनॉट प्लेस में दिल्ली पुलिस और जनता चलती है। इसी प्रकार हिंद महासागर में भारतीय व्यापारी और उनकी रक्षा के लिए चतुर्गिंणी सेना चलती है। चतुर्गिंणी में चौथा अंग कौन है? चार प्रकार की सेना है नौसेना। इसका प्रमाण है अजंता में बड़े-बड़े जहाजों का चित्रण है जिसमें हाथी-घोड़े और हथियार लदे होते हैं। ऐसे ही भित्तिचित्र भारत के उत्तर में स्थित पाँच स्तानों में भी मिले हैं। इस प्रकार हम पाते हैं कि भारत एक स्वाभाविक राष्ट्र है और अत्यंत विशाल राष्ट्र रहा है। इसके ढेरों प्रमाण मिलते हैं। कुछ प्रमाण यहाँ प्रस्तुत किए गए हैं। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
| Posted: 24 Sep 2021 08:34 AM PDT सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फील्ड आउटरीच ब्यूरो द्वारा पोषण विषय पर परिचर्चा सह प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का हुआ आयोजनसूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के फील्ड आउटरीच ब्यूरो, सीतामढ़ी के द्वारा आज मुजफ्फरपुर के महंत दर्शन दास महिला महाविधायल में राष्ट्रीय पोषण माह के अवसार पर परिचर्चा सह प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया| कार्यक्रम का उद्घाटन मुजफ्फरपुर के उप विकास आयुक्त आशुतोष द्विवेदी, सिविल सर्जन, डॉ विनय कुमार शर्मा,चाँदनी सिंह, ICDS, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, जूही प्रवासिनी, मुजफ्फरपुर नाबार्ड के डीडीएम कमल सिंह, जिला जन संपर्क पदाधिकारी, डॉ कनुप्रिया, प्राचार्य, एमडीडीम कॉलेज, की नीतू, मुशहरी सदर की सीडीपीओ अनिशा, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जीविका, मुजफ्फरपुर, सुषमा सुमन, डिस्ट्रिक कोऑर्डनैटर, ICDS, रश्मी सिंह, जिला युवा अधिकारी, नेहरू युवा केंद्र, डॉ सुशीला सिंह, विभागाध्यक्ष, सीडीएन, एमडीडीम कॉलेज, डॉ कुसुम कुमारी, विभागाध्यक्ष, गृह विज्ञान, एमडीडीम कॉलेज ने संयुक्त रूप से किया | इससे पूर्व आशुतोष द्विवेदी, उप विकास आयुक्त, मुजफ्फरपुर ने ICDS, जीविका, एवं नेहरू युवा केंद्र के द्वारा लगाए गए प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जहां अन्नप्राशन, गोद भराई, पोषण सेल्फ़ी पॉइंट एवं पोषण से संबंधित अनाजों से रंगोली बनाई गई थी | सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पंजीकृत दल कला श्रीकेंद्र, मुजफ्फरपुर के द्वारा पोषण पर आधारित गीत, नृत्य और नुक्कड़ नाटक का मंच किया गया | कार्यक्रम का विषय प्रवेश करते हुए फील्ड आउटरीच ब्यूरो के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी जावेद अंसारी ने कहा कि इस पूरे सितंबर महीने में पूरे भारत में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जन जागरूकता का कार्य किया जा रहा है, जिससे पोषण के प्रति लोगों में जागरूकता आ सके | कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आशुतोष द्विवेदी, उप विकास आयुक्त ने कहा कि पोषण के बारे में सरकार के तरफ से कई योजनायें चलाई जा रही है लेकिन सभी लोगों तक ये सूचनाएँ नहीं पहुच पा रही है, ऐसे कार्यक्रमों द्वारा लोगों में जागरूकता लाया जा सकता है | मैं यहाँ उपस्थित सभी छात्राओं से निवेदन करता हूँ कि आप जहां भी जाएँ अपने आस पास के लोगों को पोषण के प्रति अवश्य जागरूक करें | डॉ विनय कुमार शर्मा, सिविल सर्जन, मुजफ्फरपुर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पोषण के प्रति जागरूकता के साथ अपने आस पास के स्थानीय पौधों पर ध्यान देना चाहिए, जिससे हमें प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व मिलते है, और उसका उपयोग कर कुपोषण से बचा जा सकता हैं | इस अवसर पर चाँदनी सिंह, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, ICDS, मुजफ्फरपुर कार्यक्रम में उपस्थित छात्राओं को संबोधित करते हुए कि हर लड़की को एक न एक दिन माँ बनना है इसलिए लड़कियों को विशेष रूप से अपने पोषण का ध्यान रखना और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सुबह का भोजन कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए | भोजन में सभी पोशाक तत्वों का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए | कार्यक्रम में उपस्थित छात्राओं को संबोधित करते हुए कमल सिंह, जिला जन संपर्क पदाधिकारी,मुजफ्फरपुर ने कहा कि पोषण की लड़ाई जीतने के लिए आप में इच्छा शक्ति का होना भी अति आवश्यक है, आप को पोषण से जुड़ी जो सूचना मिलती उसको पूरे मन से अमल करे तभी सही पोषण से देश रौशन होगा | कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ कनुप्रिया, प्राचार्य, एमडीडीम कॉलेज, मुजफ्फरपुर ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम काफी सराहनीय है ऐसे कार्यक्रम होते रहना चाहिए जिससे छात्राओं में पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी | इस कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया और विजेताओं को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया साथ ही चित्रकला सह नारा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया |मौके पर वरिष्ठ शिक्षिका डॉ उषा सिंह, डॉ नीलू कुमारी, डॉ रंजना मल, डॉ नीलम कुमारी, पंखुरी कुमारी, डॉ निशी रानी, डॉ मोमिता, नीता श्रीवास्तव एवं डॉ शालिनी कुशवाहा के साथ बड़ी संख्या में आगंबड़ी सेविका, जीविका दीदी उपस्थित थीं | फील्ड आउटरीच ब्यूरो, सीतामढ़ी के गयास अख्तर, अर्जुन लाल, राकेश कुमार आदि उपस्थित थे | दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
| भारतीय जन महासभा ने मनाया रामधारी सिंह दिनकर की जयंती Posted: 24 Sep 2021 08:25 AM PDT भारतीय जन महासभा ने मनाया रामधारी सिंह दिनकर की जयंती23 सितंबर 2021 (वृहस्पतिवार) को डॉ श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान बिस्टुपुर , जमशेदपुर (झारखंड) में विश्व कवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मनाई गयी । इस शुभ अवसर पर भारतीय जन महासभा के संरक्षक श्री राजेंद्र कुमार अग्रवाल , राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार एवं डॉ पवन कुमार दत्ता ने विश्व कवि रामधारी सिंह दिनकर के चित्र पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए । श्री पोद्दार ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर ने रश्मिरथी जैसे काव्य ग्रंथ की रचना की जिसमें भगवान श्री कृष्ण के साथ कुछ संवाद का भी उल्लेख किया गया है । कहा कि यह इतना आकर्षक काव्य ग्रंथ है कि 52 वर्ष पहले पढा था जो कुछ-कुछ आज भी कंठस्थ है । कर्ण ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा था -- "मां का पय भी न पिया मैंने उलटे अभिशाप लिया मैंने वह तो यशश्वीनि बनी रही सबकी भौं मुझ पर तनी रही कन्या वह रही अपरिणीता जो कुछ बीता मुझ पर बीता" उस संवाद के अंत में भगवान श्री कृष्ण कर्ण के सामने लगभग निरुत्तर से हो जाते हैं और तब कहते हैं -- तुझ सा न मित्र कोई अनन्य तू कुरुपति का ही नहीं प्राण नरता का है भूषण महान" ऐसे काव्य संग्रह के अलावा भी उन्होंने काफी रचनाएं की । दिनकर जी की रचनाएं पूरे विश्व में पढ़ी जाने लगी और आज इतनी प्रसिद्ध हो गई है कि उन्हें विश्व कवि के रूप में लोग जानने लगे हैं । इस अवसर पर संरक्षक श्री राजेंद्र कुमार अग्रवाल ने कहा कि दिनकर देश व समाज को समर्पित ओजपूर्ण काव्य प्रस्तुति के कारण भारत के क्षितिज पर ही नहीं विश्व के क्षितिज पर छाए हुए हैं । इसीलिए आज उन्हें विश्व कवि रामधारी सिंह दिनकर कहा जाने लगा है । कहा कि हम विश्वकवि रामधारी सिंह दिनकर को हृदय से नमन करते हैं और देशवासियों से अपील करते हैं कि दिनकर को पढ़ें व प्रेरणा ले और देश के लिए अपने जीवन का कुछ समय अवश्य दे । कार्यक्रम में उपस्थित डॉ पवन कुमार दत्ता ने कहा कि विश्व कवि रामधारी सिंह दिनकर इस विश्व और भारतवर्ष में एक ऐसे प्रेरणास्रोत हैं जो उनकी काव्य रचनाओं व उनकी कृतियों से प्रत्येक व्यक्ति अभिभूत एवं प्रेरित होकर राष्ट्र कल्याण की बात करने और कार्य रूप देने के लिए तत्पर रहते हैं । आज की भावी पीढ़ी को भी इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए । |
| Posted: 24 Sep 2021 08:03 AM PDT आज 25 सितम्बर 2021, शनिवार का दैनिक पंचांग एवं राशिफल - सभी १२ राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन ? क्या है आप की राशी में विशेष ? जाने प्रशिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. प्रेम सागर पाण्डेय से |श्री गणेशाय नम: !! दैनिक पंचांग ☀ 25 सितम्बर 2021, शनिवार ☀ पंचांग 🔅 तिथि चतुर्थी दिन 08:57:22 🔅 नक्षत्र भरणी दिन 11:15:33 🔅 करण : बालव 10:38:38 कौलव 23:50:54 🔅 पक्ष कृष्ण 🔅 योग हर्शण 14:49:10 🔅 वार शनिवार ☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ 🔅 सूर्योदय 06:01:37 🔅 चन्द्रोदय 20:53:59 🔅 चन्द्र राशि मेष - 18:17:01 तक 🔅 सूर्यास्त 17:59:32 🔅 चन्द्रास्त 09:52:59 🔅 ऋतु शरद ☀ हिन्दू मास एवं वर्ष 🔅 शक सम्वत 1943 प्लव 🔅 कलि सम्वत 5123 🔅 दिन काल 12:04:08 🔅 विक्रम सम्वत 2078 🔅 मास अमांत भाद्रपद 🔅 मास पूर्णिमांत आश्विन ☀ शुभ और अशुभ समय ☀ शुभ समय 🔅 अभिजित 11:48:35 - 12:36:51 ☀ अशुभ समय 🔅 दुष्टमुहूर्त : 06:10:39 - 06:58:55 06:58:55 - 07:47:12 🔅 कंटक 11:48:35 - 12:36:51 🔅 यमघण्ट 15:01:41 - 15:49:58 🔅 राहु काल 09:11:41 - 10:42:12 🔅 कुलिक 06:58:55 - 07:47:12 🔅 कालवेला या अर्द्धयाम 13:25:08 - 14:13:24 🔅 यमगण्ड 13:43:14 - 15:13:45 🔅 गुलिक काल 06:10:39 - 07:41:10 ☀ दिशा शूल 🔅 दिशा शूल पूर्व ☀ चन्द्रबल और ताराबल ☀ ताराबल 🔅 अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद ☀ चन्द्रबल 🔅 मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ 🌹विशेष ~ पंचमी श्राद्ध। 🌹 पं.प्रेम सागर पाण्डेय् राशिफल 25 सितम्बर 2021, शनिवार मेष (Aries): आज का दिन आपके लिए लाभदायी है। व्यापार में अपेक्षित सफलता मिलने की संभावना है। आय में वृद्धि होगी। आनंद-प्रमोद और मनोरंजक प्रवृत्तियां दिनभर चलती रहेंगी। घर को सजाने की व्यवस्था में भी परिवर्तन आज करेंगे। वाहन सुख भी मिलेगा। सामाजिक प्रसंग में कहीं बाहर जाने का प्रसंग उपस्थित होगा। रमणीय स्थान पर प्रवास का आनंद ले सकेंगे। शुभ रंग = पींक शुभ अंक : 5 वृषभ (Tauras): आज के दिन व्यापार को विकसित करने की ओर अधिक ध्यान देंगे। कार्य सफलता मिलने में विलंब हो सकता है। कहीं बाहर जाने की संभावना उपस्थित हो सकती है। पदोन्नति हो सकती है। आप की कार्यपद्धति से उच्च अधिकारीगण भी आप पर प्रसन्न रहेंगे। पिता और बड़ों से लाभ की आशा है। शुभ रंग = नीला शुभ अंक : 3 मिथुन (Gemini): खान-पान में आज विशेष ध्यान रखें। नकारात्मक विचारों को मन से निकाल दें। अनैतिक और अप्रमाणिक कार्य विपत्ति में डाल सकता है। आकस्मिक प्रवास का योग अच्छा है। मध्याहन के बाद मानसिक अवस्था में कमी आएगी। लेखन या साहित्यिक प्रवृत्ति में विशेष रुची रहेगी। व्यापार में विकास होने से नई योजनाएं अमल में आएगी। ऊपरी अधिकारियों के साथ वाद-विवाद में न पड़ें। शुभ रंग = श्याम शुभ अंक : 3 कर्क (Cancer): किसी के साथ आज भावनात्मक संबंध से बंध सकते हैं। आनंद-प्रमोद तथा मनोरंजक प्रवृत्ति से मन प्रफुल्लित रहेगा। मध्याहन के बाद आपका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। वाहन चलाते समय ध्यान रखें और क्रोध पर संयम रखें। वाणी उग्र न हो जाए इसका भी ध्यान रखें। नए कार्य को प्रारंभ करने के लिए आज का दिन अच्छा नहीं है। शुभ रंग = आसमानी शुभ अंक : 7 सिंह (Leo): व्यापार के विस्तार के लिए धन का आयोजन कर सकते हैं। व्यवसायियों को लाभ होगा। धन प्राप्ति का प्रबल योग है। ब्याज,दलाली आदि के द्वारा आय में वृद्धि होने की संभावना है। आर्थिक रूप से आय होने से आर्थिक कष्ट दूर हो जाएगा। अच्छे वस्त्र और अच्छे खान-पान से मन प्रफुल्लित रहेगा। छोटे प्रवास या पर्यटन का योग है। शुभ रंग = पीला शुभ अंक : 9 कन्या (Virgo): वस्त्राभूषणों की खरीदी आप के लिए रोमांचक और आनंददायी रहेगी। कला के प्रति आप की अभिरुची रहेगी। व्यापार में विकास होने से मन में आनंद रहेगा। व्यवसाय में समय अनुकूल रहेगा। प्रतिस्पर्धियों पर विजय प्राप्त होगें। शुभ रंग = पींक शुभ अंक : 5 तुला (Libra): आज का दिन आप के लिए मध्यम फलदायी रहेगा। स्थावर संपत्ति सम्बंधित दस्तावेज करने हेतु सावधानी बरतें। माता के स्वास्थ्य के विषय में चिंता रहेगी। परिवार में तकरार न हो इसका ध्यान रखें। मध्याहन के बाद स्वस्थ अनुभव करने पर सृजनात्मक प्रवृत्तियों की ओर ध्यान जाएगा। विद्यार्थियों के लिए समय अनुकूल है। शुभ रंग = नीला शुभ अंक : 3 वृश्चिक (Scorpio): आज का दिन व्यवसायियों के लिए अनुकूल है। गृहस्थ जीवन में उलझे हुए प्रश्नों का निराकरण मिलेगा। स्थावर संपत्ति से जुड़े मामलों का हल निकलेगा। भाई- बहनों के साथ संबंधो में प्रेम बना रहेगा। मध्याहन के बाद कार्य में प्रतिकूलताओं में वृद्धि होगी। शारीरिक और मानसिक रूप से बेचैनी रहेगी। सामाजिक क्षेत्र में अपयश प्राप्त होगा। परिजनों के साथ मतभेद हो सकता है। धन की हानि के योग हैं। शुभ रंग = हरा शुभ अंक : 6 धनु (Sagittarius): वाणी और वर्तन पर संयम रखने से अन्य लोगों के साथ मनमुटाव के प्रसंगो को टाल सकेंगे। आध्यात्मिक विचार और प्रवृत्तियों में आज दिनभर मन लगा रहेगा। फिर भी विद्यार्थियों के पढ़ने-लिखने में एकाग्रता रखनी पड़ेगी। मध्याहन के बाद चिंता निवारण करने के उपाय मिलने से मानसिक शांति का अनुभव होगा। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थता बनी रहेगी। शुभ रंग = उजला शुभ अंक : 4 मकर (Capricorn): व्यवसायिक क्षेत्र में अनुकूल वातावरण मिलेगा। प्रत्येक कार्य बिना विघ्न के संपन्न होगा। गृहस्थ जीवन में उग्र वातावरण बना रहेगा। आध्यात्मिक प्रवृत्ति में आप की अभिरुचि रहेगी। कार्यालय में आप का प्रभाव बना रहेगा। मन पर नकारात्मक विचार छाए रहेंगे। निर्णय शक्ति का अभाव रहेगा। घर के कार्यों के पीछे धन का खर्च होने की संभावना है। शुभ रंग = श्याम शुभ अंक : 6 कुंभ (Aquarius): धार्मिक कार्य अथवा धार्मिक यात्रा के पीछे धन खर्च होगा। कोर्ट-कचहरी के कार्य में सफलता प्राप्त होगी। पूण्य कार्य के पीछे धन का व्यय होगा। ईश्वर की आराधना आप के मन को शांति प्रदान करेगी। मध्याहन के बाद आप के प्रत्येक कार्य सरलतापूर्वक संपन्न होंगे। गृहस्थ जीवन में संवादिता बनी रहेगी। शारीरिक स्वास्थ्य भी बना रहेगा। शुभ रंग = नीला शुभ अंक : 3 मीन (Pisces): शेयर-सट्टे की प्रवृत्ति से आज आप को आर्थिक लाभ होगा। विवाहोत्सुकों को योग्य पात्र मिलेगा। व्यवसायिक क्षेत्र में भी लाभ होगा। जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। किसी मनोहर स्थल पर प्रवास हो सकता है। मित्रों से भी लाभ मिलेगा। मध्याहन के बाद किसी कारणवश मानसिक रूप से चिंतित रहेंगे। आय की अपेक्षा खर्च की मात्रा अधिक होगी। शुभ रंग = गुलाबी शुभ अंक : 8 दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
| Posted: 24 Sep 2021 07:47 AM PDT कलम का हुंकार हूँ मैंडॉ. इंदु कुमारी रामधारी सिंह दिनकर राष्ट्रकवि जम-मन के प्रणेता प्रेरक छवि राजनीति के प्रहरी के पहले कवि पैनी दृष्टि पहुँची पहले ऐसे थे रवि कालजयी रचनाएं धूमिल न होगी चमके चाँद सितारे मलिन न होगी साहित्य जगत के जीवंत हस्ताक्षर इनकी ना मिटने वाली शब्दाक्षर है अंग्रेज भी कांपते कलम हुंकार से गूंजती भारतभूमि जयजयकार से सत्त में संकोच न धरते अपनों' से हुई चीन से हा सिर झुके घूटनों में बिहार के बागों के दिनकर लाल टैगौर गाँधी मा्र्क्स रूप इकबाल जन कवि का दर्जा सहज मिले माटी की सुगंध सर्वत्र है फैले राष्ट्रभक्ति बसी थी नस-नस में फिजाएं आहत थी तन मन में समाज में चेतना का अलख जगाया रसवंती का कर संचार प्रेम सौहार्द का भंगिमा फैलाया ऐसे स्नेही विरले ओजी सपूत दिनकर जयंती पर सादर नमन । हिन्दी विभाग , मधेपुरा ( बिहार ) दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
| Posted: 24 Sep 2021 07:39 AM PDT मानव का हित है --:भारतका एक ब्राह्मण. संजय कुमार मिश्र"अणु" ---------------------------------------- सृष्टि में वो सब समाहित है, जिसमें मानव का हित है।१। प्रकृति बदलती है पल पल, फिर भी वो नवीन नित है।२। इधर देखो चिलचिलाती धूप, और उधर वर्षा है शीत है।३। देखो कोई रुदन कर रहा है, कोई मग्न हो गा रहा गीत है।४। डूबता हुआ सूरज बता रहा, इस हार के बाद हीं जीत है।५। है सभी प्राणी कर्मों में लिप्त, कोई निडर कोई भयभीत है।६। क्यों "मिश्रअणु" होगा म्लान, जब स्वयं शक्तिमान मित है।७। ---------------------------------------- वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२. दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
| Posted: 24 Sep 2021 07:32 AM PDT काटी कन्नी --:भारतका एक ब्राह्मण. संजय कुमार मिश्र"अणु" ---------------------------------------- अमरिंदर ने काटी कन्नी। देखो आया पाजी चन्नी।१। रुपये का जब भाव गीरा, लगी उछलने खूब चवन्नी।२। निलहे नाच रहे हैं देखो, और साथ में अब्दुल गन्नी।३। खुश है थैली के चट्टे-बट्टे , अपने सर पे डाल के पन्नी।४। चाय-वाय का है उपाय यह, छान"अणु" लगाकर छन्नी।५। ---------------------------------------- वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२. दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
| Posted: 24 Sep 2021 07:11 AM PDT मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम की विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया
पटना, 24 सितम्बर 2021:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज 1 अणे मार्ग स्थित 'संकल्प' में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम द्वारा 237.881 करोड़ की लागत से 38 थाना भवन, सुपौल पुलिस लाईन, केन्द्रीय प्रशिक्षण संस्थान, बिहटा सहित कुल 94 नवनिर्मित पुलिस भवनों का उद्घाटन एवं 149.96 करोड़ की लागत से बनने वाले 57 पुलिस भवनों का शिलान्यास किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम को इस बात के लिए बधाई देता हूं कि आज 94 पुलिस भवनों का उद्घाटन किया गया है और इसके साथ-साथ 57 पुलिस भवनों का शिलान्यास भी किया गया है। वर्ष 2005 से जब हमलोगों को काम करने का मौका मिला उसके पश्चात् हमने सभी चीजों का अध्ययन किया तो पता चला कि पुलिस बल की काफी कमी है, उनके पास वाहन, हथियार के साथ-साथ उनके रहने सहने की भी समस्या है, पुलिस भवनों का भी अभाव है। इन सभी चीजों पर काम किया गया। पुलिस बल की संख्या बढ़ायी गई, उनके लिये वाहन और आधुनिक हथियार उपलब्ध कराये गये। उन्होंने कहा कि पुलिस भवन निर्माण निगम का गठन 1974 में हुआ था। इसको वर्ष 2007 में हमने रिवाइव किया। इसके बाद से ही थाना और पुलिस विभाग के कई भवनों का निर्माण पुलिस भवन निर्माण निगम से कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन थानों के पास भवन निर्माण के लिये अपनी जमीन नहीं है उनके लिये जमीन उपलब्ध करायी जाय। जिन थानों के लिये जमीन उपलब्ध हो गयी है वहां निर्माण कार्य तेजी से करें, इस काम में देर न करें। जिन जिलों में थाना भवन के लिये जमीन नहीं मिल रही है वहां के जिलाधिकारी और एस0पी0 जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित करें। जिन थानों को जमीन नहीं मिली है इसके लिये मीटिंग करिये और बाधाओं को दूर करने की कोशिश करिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस थानों को दो विंग में बांटा गया है एक विंग लॉ एण्ड ऑर्डर देख रहा है और दूसरा अनुसंधान के कार्य में लगा है। कानून व्यवस्था की बेहतर स्थिति बनाये रखने के साथ-साथ अनुसंधान कार्य भी तेजी से करें। पहले पुलिस बल में महिलाओं की संख्या कितनी थी ? हमलोगों ने तय कर पुलिस बल में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया। आज जितनी संख्या में महिलायें बिहार पुलिस बल में हैं उतनी संख्या में पूरे देश में महिलायें पुलिस बल में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिये थानों में अलग से व्यवस्था की जा रही है। उनके लिये रहने के साथ-साथ सभी जरूरी सुविधायें उपलब्ध करायी जा रही हैं। हमलोगों ने तय किया है कि हर थाने एवं सरकारी कार्यालयों में महिला पदाधिकारी एवं कर्मी की उपस्थिति हो, इससे वहां षिकायत लेकर आने वाली महिलाआंें के आत्मविष्वास में वृद्धि होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर में पुलिस एकेडमी अच्छा बना है। अभी भी उसका कुछ कार्य बाकी है, उसे जल्द से जल्द पूरा करें। पुलिस भवन निर्माण निगम समय तय करके इसके काम को तेजी से पूर्ण करे। इसके पूर्ण हो जाने से पूरे देश में बिहार पुलिस एकेडमी का एक विशेष स्थान होगा। उन्होंने कहा कि संसाधन की जो और जरूरत होगी सरकार उपलब्ध करायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ भवनों का निर्माण ही नहीं करना है बल्कि उसका मेंटेनेंस भी करना है। पुलिस पेट्रोलिंग का काम निरंतर होे। जहां भी अपराध की घटनायें होती है, उनका अनुसंधान तेजी से हो। स्पीडी ट्रायल का काम भी ठीक से हो ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके। उन्होंने कहा कि जो भी शराब के कारोबार में लिप्त हैं उन पर कड़ी कार्रवाई करें, शराब धंधेबाजों को छोड़ना नहीं है। जिन थानों को जिम्मेदारी मिली है वे थाने काम कर रहे हैं या नहीं उस पर भी आपलोग नजर रखें। पुलिस एकेडमी से नये ट्रेंड अधिकारियों को शराब धंधेबाजों को पकड़ने में लगाइये। कार्यक्रम को पुलिस महानिदेशक श्री एस0के0 सिंघल, अपर मुख्य सचिव गृह श्री चैतन्य प्रसाद, बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक श्री आलोक राज ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह उपस्थित थे, जबकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऊर्जा-सह-योजना एवं विकास मंत्री श्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, मुख्य सचिव श्री त्रिपुरारी शरण, विकास आयुक्त श्री आमिर सुबहानी, गृह विभाग के सचिव श्री के0 सेंथिल कुमार, बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के मुख्य अभियंता श्री सोहेल अख्तर, सुपौल जिला के जिलाधिकारी श्री महेंद्र कुमार, पुलिस अधीक्षक सुपौल श्री मनोज कुमार सहित अन्य वरीय पदाधिकारी जुड़े हुए थे। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
| Posted: 24 Sep 2021 07:06 AM PDT कुर्सी की लड़ाईबड़े-बड़े दिग्गज उतरेंगे, महासमर चुनाव में। कुर्सी की खातिर नेताजी, होंगे खड़े कतार में। राजनीति की सेंके रोटियां, सत्ता के गलियारों में। वोटों का बाजार गर्म हो, वादों की भरमारों से। कुर्सी की लड़ाई में फिर, उठा पटक जारी होगी। शह मात का खेल चलेगा, सतरंजी तैयारी होगी। कुर्सी के लोभी नेताजी, साम दाम अपनाते हैं। कहीं मोहरे काम करे, कहीं प्यादे पिट जाते हैं। राजनीति की गलियों में, सर्प आस्तीन पलते देखे। कुर्सी की लड़ाई ऐसी, विपक्ष आग उगलते देखें। प्रलोभन गठबंधन भी, सभी पार्टियों में चलता है। राज में पासा अपना हो, लोभ कुर्सी का पलता है। जुलूस धरना प्रदर्शन, कुर्सी का चक्कर होता है। आमसभा संबोधन भारी, प्रचार लक्ष्य सत्ता है। रमाकांत सोनी नवलगढ़जिला झुंझुनू राजस्थान दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
| नारायणबलि, नागबलि एवं त्रिपिंडी श्राद्ध Posted: 24 Sep 2021 07:01 AM PDT नारायणबलि, नागबलि एवं त्रिपिंडी श्राद्धप्रस्तुत लेख में 'नारायणबली, नागबलि व त्रिपिंडी श्राद्ध' के विषय में अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन पढें । इसमें मुख्य रुप से इन विधियों के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण सूचनाएं, विधि का उद्देश्य, योग्य काल, योग्य स्थान, विधि करने की पद्धति एवं विधि करने से हुई अनुभूतियों का समावेश है । नारायणबलि, नागबलि एवं त्रिपिंडी श्राद्ध से संबंधित महत्त्वपूर्ण सूचनाएंशास्त्र : ये अनुष्ठान अपने पितरों को (उच्च लोकों में जाने हेतु) गति मिले, इस उद्देश्य से किए जाते हैं । शास्त्र कहता है कि उसके लिए 'प्रत्येक व्यक्ति अपनी वार्षिक आय का 1/10 (एक दशांश) व्यय करे' । यथाशक्ति भी व्यय किया जा सकता है । ये अनुष्ठान कौन कर सकता है ?ये काम्य अनुष्ठान हैं । यह कोई भी कर सकता है । जिसके माता-पिता जीवित हैं, वह भी कर सकते हैं । अविवाहित भी अकेले यह अनुष्ठान कर सकते हैं । विवाहित होने पर पति-पत्नी बैठकर यह अनुष्ठान करें । निषेध : स्रियों के लिए माहवारी की अवधि में ये अनुष्ठान करना वर्जित है । स्त्री गर्भावस्था में 5वें मास के पश्चात यह अनुष्ठान न करे । घर में विवाह, यज्ञोपवीत इत्यादि शुभ कार्य हो अथवा घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए, तो यह अनुष्ठान एक वर्ष तक न करें । पद्धति : अनुष्ठान करने हेतु पुरुषों के लिए धोती, उपरना, बनियान तथा महिलाओं के लिए साडी, चोली तथा घाघरा इत्यादि नए वस्त्र (काला अथवा हरा रंग न हो) लगते हैं । ये नए वस्त्र पहनकर अनुष्ठान करना पडता है । तत्पश्चात ये वस्त्र दान करने पडते हैं । तीसरे दिन सोने के नाग की (सवा ग्राम की) एक प्रतिमा की पूजा कर दान किया जाता है । अनुष्ठान में लगनेवाली अवधि : उपरोक्त तीनों अनुष्ठान पृथक-पृथक हैं । नारायण-नागबलि अनुष्ठान तीन दिनों का होता है तथा त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान एक दिन का होता है । उपरोक्त तीनों अनुष्ठान करने हों, तो तीन दिन में संभव है । स्वतंत्र रूप से एक दिन का अनुष्ठान करना हो, तो वैसा भी हो सकता है । नारायणबलिउद्देश्य : 'दुर्घटना में मृत अथवा आत्महत्या किए हुए मनुष्य का क्रिया कर्म न होने से उसका लिंगदेह (सूक्ष्म शरीर) प्रेत बनकर भटकता रहता है और कुल में संतान की उत्पत्ति नहीं होने देता । उसी प्रकार, वंशजों को अनेक प्रकार के कष्ट देता है । ऐसे लिंगदेहों को प्रेतयोनि से मुक्त कराने के लिए नारायण बलि करनी पडती है । अनुष्ठान (विधि) अनुष्ठान करने का उचित समय: नारायण बलि का अनुष्ठान करने के लिए किसी भी मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तथा द्वादशी उचित होती है । एकादशी को अधिवास (देवता की स्थापना) कर द्वादशी को श्राद्ध करें । (वर्तमान में अधिकतर लोग एक ही दिन अनुष्ठान करते हैं ।) संतति की प्राप्ति हेतु यह अनुष्ठान करना हो, तो उस दंपति को स्वयं यह अनुष्ठान करना चाहिए । यह अनुष्ठान श्रवण नक्षत्र, पंचमी अथवा पुत्रदा एकादशी में से किसी एक तिथि पर करने से अधिक लाभ होता है । अनुष्ठान करने के लिए उचित स्थान : नदी तीर जैसे पवित्र स्थान पर यह अनुष्ठान करें । पद्धति पहला दिन : प्रथम तीर्थ में स्नान कर नारायणबलि संकल्प करें । दो कलशों पर श्री विष्णु एवं वैवस्वत यम की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित कर उनकी षोडशोपचार पद्धति से पूजा करें । तत्पश्चात, उन कलशों की पूर्व दिशा में दर्भ (कुश) से एक रेखा खींचकर उस पर कुश को उत्तर-दक्षिण बिछा दें और 'शुन्धन्तां विष्णुरूपी प्रेतः' यह मंत्र पढकर दस बार जल छोडें । तत्त्पश्चात दक्षिण दिशा में मुख कर अपसव्य (यज्ञोपवीत दाहिने कँधे पर) होकर विष्णुरूपी प्रेत का ध्यान करें । उन फैलाए हुए कुशों पर मधु, घी तथा तिल से युक्त दस पिंड 'काश्यपगोत्र अमुकप्रेत विष्णुदैवत अयं ते पिण्डः' कहते हुए दें । पिंडों की गंधादि से पूजा कर, उन्हें नदी अथवा जलाशय में प्रवाहित कर दें । यहां पहले दिन का अनुष्ठान पूरा हुआ । दूसरा दिन : मध्याह्न में श्रीविष्णु की पूजा करें । पश्चात 1, 3 अथवा 5 ऐसी विषम संख्या में ब्राह्मणों को निमंत्रित कर एकोद्दिष्ट विधि से उस विष्णु रूपी प्रेत का श्राद्ध करें । यह श्राद्ध ब्राह्मणों के पाद प्रक्षालन से आरंभ कर तृप्ति-प्रश्न (हे ब्राह्मणों, आप लोग तृप्त हुए क्या ?, ऐसे पूछना) तक मंत्र रहित करें । श्री विष्णु, ब्रह्मा, शिव एवं सपरिवार यम को नाम मंत्रों से चार पिंड दें । विष्णु रूपी प्रेत के लिए पांचवां पिंड दें । पिंड पूजा कर उन्हें प्रवाहित करने के पश्चात ब्राह्मणों को दक्षिणा दें । एक ब्राह्मण को वस्त्रालंकार, गाय एवं स्वर्ण दें । तत्पश्चात प्रेत को तिलांजलि देने हेतु ब्राह्मणों से प्रार्थना करें । ब्राह्मण कुश, तिल तथा तुलसी पत्रों से युक्त जल अंजुलि में लेकर वह जल प्रेत को दें । पश्चात श्राद्ध कर्ता स्नान कर भोजन करे । धर्मशास्त्रों में लिखा है कि इस अनुष्ठान से प्रेतात्मा को स्वर्ग की प्राप्ति होती है । स्मृतिग्रंथों के अनुसार नारायणबलि एवं नागबलि एक ही कामना की पूर्ति करते हैं, इसलिए दोनों अनुष्ठान साथ-साथ करने की प्रथा है । इसी कारण इस अनुष्ठान का संयुक्त नाम 'नारायण-नागबलि' पडा । नागबलि उद्देश्य : पहले के किसी वंशज से नाग की हत्या हुई हो, तो उस नाग को गति न मिलने से वह वंश में संतति के जन्म को प्रतिबंधित करता है । वह किसी अन्य प्रकार से भी वंशजों को कष्ट देता है । इस दोष के निवारणार्थ यह अनुष्ठान किया जाता है । अनुष्ठान (विधि) : संतति की प्राप्ति के लिए यह अनुष्ठान करना हो, तो उस दंपति को अपने हाथों से ही यह अनुष्ठान करना चाहिए । अनुष्ठान पुत्र प्राप्ति के लिए करना हो, तो श्रवण नक्षत्र, पंचमी अथवा पुत्रदा एकादशी, इनमें से किसी एक तिथि पर करने से अधिक लाभ होता है ।' नारायण-नागबालि विधि करते समय हुई अनुभूतियां : नारायण-नागबलि अनुष्ठान करते समय वास्तविक प्रेत पर अभिषेक करने का दृश्य दिखाई देना तथा कर्पूर लगाने पर प्रेत से प्राणज्योति बाहर निकलती दिखाई देना 'नारायण-नागबलि अनुष्ठान में नारायण की प्रतिमा की पूजा करते समय मुझे लगा कि 'इस अनुष्ठान से वास्तव में पूर्वजों को गति मिलने वाली है ।' उसी प्रकार, आटे की प्रेत प्रतिमा पर अभिषेक करते समय लग रहा था जैसे मैं वास्तविक प्रेत पर ही अनुष्ठान कर रहा हूं । अंत में प्रतिमा की छाती पर कर्पूर लगाने पर प्रेत से प्राण ज्योति बाहर जाती दिखाई दी और मेरे शरीर पर रोमांच उभरा । तब मुझे निरंतर परात्पर गुरु जयंत बाळाजी आठवलेजी का स्मरण हो रहा था ।' – श्री. श्रीकांत पाध्ये, नागपुर, महाराष्ट्र. त्रिपिंडी श्राद्धव्याख्या : तीर्थस्थल पर पितरों को संबोधित कर जो श्राद्ध किया जाता है, उसे त्रिपिंडी श्राद्ध कहते हैं । उद्देश्य : हमारे लिए अज्ञात, सद्गति को प्राप्त न हुए अथवा दुुर्गति को प्राप्त तथा कुल के लोगों को कष्ट देनेवाले पितरों को, उनका प्रेतत्व दूर होकर सद्गति मिलने के लिए अर्थात भूमि, अंतरिक्ष एवं आकाश, तीनों स्थानों में स्थित आत्माओं को मुक्ति देने हेतु त्रिपिंडी करने की पद्धति है । श्राद्ध साधारणतः एक पितर अथवा पिता-पितामह (दादा)-प्रपितामह (परदादा) के लिए किया जाता है । अर्थात, यह तीन पीढियों तक ही सीमित होता है । परंतु त्रिपिंडी श्राद्ध से उसके पूर्व की पीढियों के पितरों को भी तृप्ति मिलती है । प्रत्येक परिवार में यह विधि प्रति बारह वर्ष करें; परंतु जिस परिवार में पितृदोष अथवा पितरों द्वारा होने वाले कष्ट हों, वे यह विधि दोष निवारण हेतु करें । विधि विधि के लिए उचित काल : त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए अष्टमी, एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा – ये तिथियां एवं संपूर्ण पितृपक्ष उचित होता है । गुरु शुक्रास्त, गणेशोत्सव एवं शारदीय नवरात्र की कालावधि में यह विधि न करें । उसी प्रकार, परिवार में मंगलकार्य के उपरांत अथवा अशुभ घटना के उपरांत एक वर्ष तक त्रिपिंडी श्राद्ध न करें । अत्यंत अपरिहार्य हो, उदा. एक मंगलकार्य के उपरांत पुनः कुछ माह के अंतराल पर दूसरा मंगलकार्य नियोजित हो, तो दोनों के मध्यकाल में त्रिपिंडी श्राद्ध करें । विधि हेतु उचित स्थान : त्र्यंबकेश्वर, गोकर्ण, महाबलेश्वर, गरुडेश्वर, हरिहरेश्वर (दक्षिण काशी), काशी (वाराणसी) – ये स्थान त्रिपिंडी श्राद्ध करने हेतु उचित हैं । पद्धति : 'प्रथम तीर्थ में स्नान कर श्राद्ध का संकल्प करें । तदुपरांत महाविष्णु की एवं श्राद्ध के लिए बुलाए गए ब्राह्मणों की पूजा श्राद्ध विधि के अनुसार करें । तत्पश्चात यव (जौ), व्रीहि (कीटक न लगे चावल) एवं तिल के आटे का एक-एक पिंड बनाएं । दर्भ फैलाकर उस पर तिलोदक छिडक कर पिंडदान करें । यवपिंड (धर्मपिंड) : पितृवंश के एवं मातृवंश के जिन मृत व्याक्तियों की उत्तरक्रिया न हुई हो, संतान न होने के कारण जिनका पिंडदान न किया गया हो अथवा जो जन्म से ही अंधे-लूले थे (नेत्रहीन-अपंग होने के कारण जिनका विवाह न हुआ हो इसलिए संतान रहित), ऐसे पितरों का प्रेतत्व नष्ट हो एवं उन्हें सद्गति प्राप्त हो, इसलिए यव पिंंड प्रदान किया जाता है। इसे धर्म पिंड की संज्ञा दी गई है । मधुरत्रययुक्त व्रीहीपिंड : पिंड पर चीनी, मधु एवं घी मिलाकर चढाते हैं; इसे मधुरत्रय कहते हैं । इससे अंतरिक्ष में स्थित पितरों को सद्गति मिलती है । तिलपिंड : पृथ्वी पर क्षुद्र योनि में रहकर अन्यों को कष्ट देने वाले पितरों को तिलपिंड से सद्गति प्राप्त होती है । इन तीनों पिंडों पर तिलोदक अर्पित करें । तदुपरांत पिंडों की पूजा कर अघ्र्य दें । श्री विष्णु के लिए तर्पण करें । ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा के रूप में वस्त्र, पात्र, पंखा, पादत्राण इत्यादि वस्तुएं दें ।' पितृदोष हो, तो माता-पिता के जीवित होते हुए भी पुत्र का विधि करना उचित : श्राद्धकर्ता की कुंडली में पितृदोष हो, तो दोष दूर करने हेतु माता-पिता के जीवित होते हुए भी इस विधि को करें । विधि के समय केश मुंडवाने की आवश्यकता : श्राद्धकर्ता के पिता जीवित न हों, तो उसे विधि करते समय केश मुंडवाने चाहिए । जिसके पिता जीवित हैं, उस श्राद्धकर्ता को केश मुंडवाने की आवश्यकता नहीं है । घर का कोई सदस्य विधि कर रहा हो, तब अन्य सदस्यों द्वारा पूजा इत्यादि होना उचित है । त्रिपिंडी श्राद्ध में श्राद्धकर्ता के लिए ही अशौच होता है, अन्य परिजनों के लिए नहीं । इसलिए घर का कोई सदस्य विधि कर रहा हो, तो अन्यों के लिए पूजा इत्यादि बंद करना आवश्यक नहीं है । दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
| Posted: 24 Sep 2021 06:58 AM PDT महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोधनिबंध को 'सर्वोत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण' का पुरस्कार ! वीडियोे गेम खेलना और सामाजिक जालस्थलों (वेबसाईट) में मग्न रहने से व्यक्ति पर नकारात्मक परिणाम होता है ! 'वीडियो गेम' और 'फेसबुक' जैसे सामाजिक जालस्थल (वेबसाईट) आज हमारे जीवन का अविभाज्य भाग बन गए हैं । इनमें सभी का अधिक समय व्यर्थ होता है और उनका हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव भी होता है । 'वीडियो गेम' और सामाजिक जालस्थल के शारीरिक और मानसिक स्तर के दुष्परिणामों सहित आध्यात्मिक स्तर पर भी हानिकारक परिणाम होते हैं, ऐसा शोध द्वारा ज्ञात हुआ है, ऐसा प्रतिपादन महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के श्री. शॉन क्लार्क ने किया । 'दी इंटरनेश्नल इंस्टिट्यूट ऑफ नॉलेज मैनेजमेंट', श्रीलंका (The International Institute of Knowledge Management (TIIKM), Sri Lanka) द्वारा आयोजित की गई 'द एटथ इंटरनेशनल कांफ्रेन्स ऑन आर्टस् एंड ह्युमॅनिटीज्, 2021' (The 8th International Conference on Arts and Humanities (ICOAH) 2021, Sri Lanka) इस विषय पर आयोजित अंतराष्ट्रीय परिषद में वे बोल रहे थे । श्री. क्लार्क ने 'वीडियो गेम खेलना और सामाजिक जालस्थलों में मग्न रहने के सूक्ष्म परिणाम' यह शोधनिबंध प्रस्तुत किया । इस शोधनिबंध के लेखक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी तथा सहलेखक श्री. शॉन क्लार्क हैं । इस परिषद में 20 से अधिक देशों के 60 से भी अधिक शोधनिबंध प्रस्तुत किए गए । इनमें से 5 प्रस्तुतकर्ताआें को 'उत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण' पुरस्कार हेतु चुना गया । जिसमें श्री. शॉन क्लार्क का भी चयन किया गया । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा विविध वैज्ञानिक परिषदों में प्रस्तुत किया गया है, यह 79 वां प्रस्तुतीकरण था । इससे पूर्व विश्वविद्यालय ने 15 राष्ट्रीय और 63 अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए हैं । इनमें से 6 अंतरराष्ट्रीय परिषदों में विश्वविद्यालय को 'सर्वोत्कृष्ट शोधनिबंध' पुरस्कार प्राप्त हुआ है । श्री. क्लार्क ने 'प्रभामंडल और उर्जा मापक यंत्र' (युनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यूएएस)) और सूक्ष्म परीक्षण के माध्यम से 'वीडियो गेम' खेलना और सामाजिक संकेतस्थलों में मग्न रहने पर होने वाले सूक्ष्म परिणामों का अध्ययन करने के लिए किए गए शोध के संदर्भ में दी जानकारी संक्षिप्त रूप में निम्नानुसार है । 1. 'यूएएस' के द्वारा वीडियो गेम खेलने के परिणामों का अध्ययन : शोध केंद्र में निवास करनेवाले 5 साधकों को केवल एक घंटा एक आक्रमक 'वीडियो गेम' (फर्स्ट पर्सन शूटर वीडियो गेम) खेलने के लिए बताया गया । यह गेम खेलने के पहले तथा उपरांत साधकों की ऊर्जा 'यूएएस' उपकरण द्वारा मापी गई । गेम खेलने के उपरांत इन पांचो साधकों की नकारात्मक ऊर्जा में अत्यधिक वृद्धि हुई अथवा उनकी सकारात्मक ऊर्जा अल्प हुई पाई गई । इनमें से जिन 2 साधकों में गेम खेलने के पूर्व नकारात्मक ऊर्जा नहीं थी, उनमें गेम खेलने पर नकारात्मक ऊर्जा निर्माण हुई । इनमें से आध्यात्मिक कष्ट से पीडित एक साधक की नकारात्मक ऊर्जा में 72 प्रतिशत वृद्धि हुई । 2. 'यूएएस' द्वारा सामाजिक जालस्थल देखने के परिणामों का अध्ययन : शोध केंद्र में निवास करनेवाले 5 साधकों को उनके नियमित सामाजिक जालस्थल खातों की प्रविष्टियां (पोस्ट) एक घंटा देखने के लिए बताया गया । देखने के पहले और उपरांत इन पांचों साधकों की ऊर्जा 'यूएएस' उपकरण द्वारा मापी गई । साधकों द्वारा केवल उनकी 'फेसबुक' और 'इन्स्टाग्राम' खातों की प्रविष्टियां (पोस्ट) देखने पर उनकी नकारात्मक ऊर्जा में 15 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई । 3. 'यूएएस' द्वारा आध्यात्मिक जालस्थल देखने के परिणामों का अध्ययन : उपरोक्त गुट के 2 साधकों को 'स्पिरिच्युल सायन्स रिसर्च फाउंडेशन' इस महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोध और साधना प्रस्तुत करनेवाले जालस्थल के 'फेसबुक' खाते की प्रविष्टियां (पोस्ट) देखने के लिए बताया गया । देखने के पहले और उपरांत किए गए उर्जा मापन से ध्यान में आया कि उन साधकों की नकारात्मक ऊर्जा अल्प हुई तथा उनकी सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि हुई । इससे ध्यान में आया कि सामाजिक जालस्थल पर हम किस प्रकार का साहित्य देखते हैं, यह देखनेवाले पर क्या परिणाम होगा ?, यह निश्चित करनेवाला एक महत्त्वपूर्ण सूत्र है । 'वीडियो गेम' और सामाजिक जालस्थलों का हम किस प्रकार उपयोग करते हैं और उस माध्यम से क्या देखते है ? इस द्वारा निश्चित होता है कि हम पर सकारात्मक अथवा नकारात्मक परिणाम होगा । दुर्भाग्य से अधिकांश वीडियो गेम और सामाजिक जालस्थलों पर की जानेवाली प्रविष्टियां (पोस्ट) नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित करती है । हम क्या देख रहे हैं ?, इस विषय में यदि हम सतर्क रहें तो वह हानि की तुलना में हमें आध्यात्मिक उन्नति हेतु पूरक हो सकता है ! दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com |
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