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Thursday, September 23, 2021

प्राइमरी का मास्टर ● इन

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अब 'बूढ़े' छात्र नहीं ले पाएंगे वजीफा, हाईस्कूल और कक्षा-8 पास करने के छह साल के अंदर लेना होगा प्रवेश, प्रमाण पत्र फर्जी हुआ तो नहीं भर पाएंगे छात्रवृत्ति के आवेदन, होगा ऑनलाइन मिलान

Posted: 22 Sep 2021 06:14 PM PDT

अब 'बूढ़े' छात्र नहीं ले पाएंगे वजीफा, हाईस्कूल और कक्षा-8 न्यूनतम योग्यता वाले आईटीआई समेत सभी पाठ्यक्रमों के लिए प्रावधान, इन कक्षाएं को पास करने के छह साल के अंदर लेना होगा प्रवेश

संशोधित नियमावली: प्रमाण पत्र फर्जी हुआ तो नहीं भर पाएंगे छात्रवृत्ति के आवेदन, होगा ऑनलाइन मिलान


लखनऊ : प्रदेश सरकार ने चुनावी वर्ष में जहां एक ओर अधिक से अधिक गरीब छात्र-छात्रओं को छात्रवृत्ति देने के लिए नियम शिथिल किए हैं, वहीं छात्रवृत्ति का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए भी कई ठोस कदम उठाए हैं। अब आय व जाति प्रमाण पत्र फर्जी हुआ तो छात्र आनलाइन आवेदन पत्र ही नहीं भर पाएंगे। समाज कल्याण विभाग एनआइसी के माध्यम से ऐसा साफ्टवेयर विकसित कर रहा है, जिसमें प्रमाणपत्रों का लाइव मिलान हो सकेगा। यदि प्रमाण पत्र फर्जी है तो उसका नंबर फीड करने पर आनलाइन आवेदन पत्र जमा ही नहीं होगा।

समाज कल्याण विभाग ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति छात्र-छात्रओं की छात्रवृत्ति के लिए संशोधित नियमावली जारी कर दी। प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए स्नातक में 55 फीसद अंकों की बाध्यता खत्म कर दी गई है। यानी अब स्नातक में 50 फीसद अंक पाने वाले वे छात्र भी छात्रवृत्ति के आवेदन कर सकेंगे, जिन्होंने प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है। अधिक से अधिक छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए सरकार ने 31 जुलाई तक मान्यता पाने वाले संस्थानों के छात्रों को योजना में शामिल कर लिया है। अभी तक मान्यता व संबद्धता की 15 जुलाई अंतिम तिथि थी।

आइटीआइ में दाखिला लेने वाले ऐसे छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं की जाएगी, जिन्होंने कक्षा आठ या हाईस्कूल की परीक्षा छह साल पहले पास की है। सरकार ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण की अध्यक्षता में गठित उस समिति को भी खत्म कर दिया है, जो अपने स्तर से कुछ विशेष मामलों में छात्रवृत्ति अनुमोदित कर देती थी। अब सरकार नियमावली के अनुसार ही सभी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करेगी। कोरोना काल में कक्षाएं आनलाइन चल रही हैं, ऐसे में संस्थानों की यह जिम्मेदारी होगी कि छात्रों की उपस्थिति आनलाइन पोर्टल पर दर्ज करें। बगैर परीक्षा के प्रोन्नति पाने वाले छात्रों को भी सरकार छात्रवृत्ति प्रदान करेगी।


● फर्जीवाड़ा रोकने के लिए प्रमाणपत्रों के आनलाइन मिलान की व्यवस्था

● अधिक से अधिक छात्रवृत्ति देने के लिए कई नियम हुए शिथिल


आवेदन निरस्त होने पर डीएम के यहां कर सकेंगे अपील

छात्रवृत्ति के आवेदन पत्र यदि किन्हीं कारणों से निरस्त होता है तो छात्र इसकी अपील जिलाधिकारी के यहां कर सकते हैं। जिलाधिकारी को इसके लिए 15 दिन का समय दिया गया है। इसमें जिलाधिकारी का निर्णय अंतिम होगा। प्रदेश सरकार ने सभी सरकारी व प्राइवेट विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) व नेशनल बोर्ड आफ एक्रीडिटेशन (एनबीए) की ग्रे¨डग प्राप्त करने के लिए 2024 तक का समय प्रदान कर दिया है। इसके बाद यानी वर्ष 2025 में इसकी ग्रे¨डग न लेने वाले संस्थानों के छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पाएगी।

ट्रांजेक्शन फेल होने पर भी मिल सकेगी छात्रवृत्ति

दशमोत्तर छात्रवृत्ति में ट्रांजेक्शन फेल होने पर भी अब छात्र-छात्रओं को छात्रवृत्ति मिल सकेगी। केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को दशमोत्तर छात्रवृत्ति वितरित करने के लिए एक अलग खाता स्टेट बैंक आफ इंडिया में खोलने के निर्देश दिए हैं। अभी तक कोषागार से छात्रवृत्ति वितरित होती थी, यदि किसी वजह से ट्रांजेक्शन फेल हो जाता है तो छात्रों को पैसा नहीं मिल पाता है। एसबीआइ में खाता खोलने से ट्रांजेक्शन फेल होने पर छात्रों के बैंक खाते में को दोबारा पैसा भेजा जा सकेगा। दशमोत्तर छात्रवृत्ति में पहले 40 फीसद पैसा प्रदेश सरकार खाते में भेजेगी। इसके बाद 60 फीसद धनराशि केंद्र सरकार आधार से लिंक खाते में भेजेगी।

दिव्यांग छात्रों को मिलेगा 10 फीसद अतिरिक्त शैक्षणिक भत्ता

छात्रवृत्ति के अलावा मिलने वाला शैक्षणिक भत्ता भी 10 फीसद अतिरिक्त प्रदान करेगी। यानी किसी पाठ्यक्रम का यदि शैक्षणिक भत्ता एक हजार रुपये है तो दिव्यांग छात्रों को 1100 रुपये दिए जाएंगे। वहीं, भारतीय पुनर्वास परिषद नई दिल्ली द्वारा मान्यता प्राप्त निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में संचालित पाठ्यक्रमों को अब डा. शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ से सत्यापन कराना होगा। साथ ही दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के विभागाध्यक्ष से भी पाठ्यक्रम को संस्तुत कराना होगा। इसके बगैर छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी।


लखनऊ : अब 'बूढ़े छात्र न तो वजीफा और न ही शुल्क भरपाई का लाभ ले पाएंगे। हाईस्कूल और कक्षा-8 न्यूनतम योग्यता वाले आईटीआई समेत सभी पाठ्यक्रमों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। इसके तहत ये दोनों कक्षाएं पास करने वाले छात्रों को छह साल के भीतर आगे के इन पाठ्यक्रमों में निजी संस्थानों में दाखिला लेने पर ही छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई की सुविधा मिलेगी।


26 सितंबर 2020 के अंक में इस समस्या को प्रमुखता से उठाया था। 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के निजी आईटीआई में दाखिला लेकर वजीफे के साथ शुल्क प्रतिपूर्ति लेने के अनेक मामले प्रकाश में आए थे इस समस्या से निपटने के लिए अनुसूचित जाति व जनजाति छात्रों के लिए जारी संशोधित नियमावली में विशेष प्रबंध किया गया है। आईटीआई या ऐसे पाठ्यक्रम, जिनमें प्रवेश की न्यूनतम योग्यता हाईस्कूल या कक्षा-8 निर्धारित है, उनमें छात्रों को हाईस्कूल या कक्षा 8 पास करने के छह वर्ष के अंदर निजी क्षेत्र के संस्थानों से इस प्रकार के पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने पर ही शैक्षिक भत्ता और शुल्क प्रतिपूर्ति मिलेगी।

दिव्यांग विद्यार्थियों मिलेगा 10 प्रतिशत ज्यादा शैक्षणिक भत्ता

संशोधित नियमावली में अनुरक्षण भत्ते का नाम बदलकर शैक्षणिक भत्ता कर दिया गया है। दिव्यांग विद्यार्थियों को अन्य छात्रों से 10 प्रतिशत अतिरिक्त शैक्षणिक भत्ता देने का फैसला किया गया है।

नौ प्रतिशत ब्याज के साथ लौटानी होगी राशि

छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में गड़बड़ करने पर नियमावली में दोषियों के खिलाफ एफआईआर कराने का प्रावधान किया गया है। यह एफआईआर विद्यार्थी, प्रधानाचार्य और प्रबंधन के खिलाफ होगी। वहीं नी प्रतिशत ब्याज के साथ गलत ढंग से ली गई धनराशि लौटानी होगी। इतना ही नहीं, 75 फीसदी से कम उपस्थिति होने पर छात्र या संस्था को ली गई राशि वापस करनी होगी। इसी तरह से बिना कोर्स पूरा किए अगले वर्ष अध्ययन छोड़ने पर भी धनराशि वापस करनी होगी।

50 फीसदी से कम विद्यार्थियों के नवीनीकरण पर देना होगा जवाब

50 प्रतिशत से कम विद्यार्थियों के नवीनीकरण न कराने पर संस्थान को इसके वैध कारण बताने होंगे। इसमें बाढ़, सूखा, अनदेखी घटनाएं और कानून-व्यवस्था आदि शामिल हैं।

एसएमएस भेजने की व्यवस्था भी

विद्यार्थियों को आवेदन करने से लेकर खातों में राशि भेजने तक की जानकारी उनकेमोबाइल नंबर पर एमएमएस के जरिए दी जाएगी। इसके अलावा कक्षा 11 व 12 में शैक्षिणक सत्र 1 अप्रैल से 31 मार्च तक और उससे ऊपर की कक्षाओं में 1 जुलाई से 30 जून तक माना जाएगा।

संशोधित समयसारिणी जारी

शासन ने दशमोत्तर छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना से संबंधित पाठ्यक्रमों का मास्टर डाटाबेस तैयार करने, सत्यापन और लॉक करने के लिए संशोधित समयसारिणी भी जारी कर दी है।

एडेड जूनियर हाईस्कूल शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए तैयारी हुई तेज, 12 नवंबर को आएगा परिणाम

Posted: 22 Sep 2021 05:57 PM PDT

एडेड जूनियर हाईस्कूल शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए तैयारी हुई तेज,  12 नवंबर को आएगा परिणाम


प्रयागराज:  एडेड जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाध्यापकों और सहायक अध्यापकों की कमी जल्द पूरी की जाएगी। शासन के निर्देश पर परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने भर्ती परीक्षा कराने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। मंडल के जिला मुख्यालयों पर परीक्षा केंद्र बनाए जाने हैं। इसके लिए केंद्रों का निर्धारण किए जाने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। प्रदेश में 1894 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा 17 अक्टूबर को करा के 12 नवंबर को फाइनल परिणाम घोषित किया जाना है।


उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव संजय उपाध्याय ने बताया कि जूनियर हाईस्कूल की भर्ती में प्रधानाध्यापक के 390 एवं सहायक अध्यापक के लिए 1504 पद हैं। इसके लिए करीब 3.34 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। परीक्षा दो पालियों में कराई जानी है। पहली पाली में सुबह 10 बजे से 12:30 बजे की परीक्षा में दोनों पदों के अभ्यर्थी शामिल होंगे, जबकि दूसरी पाली की विद्यालय प्रबंधन की परीक्षा में सिर्फ प्रधानाध्यापक पद के अभ्यर्थी शामिल होंगे। 


परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने बताया कि परीक्षा कराने के तीन दिन बाद वेबसाइट पर उत्तरमाला जारी कर दी जाएगी। अभ्यर्थियों की ओर से आने वाली आपत्तियों का निस्तारण विषय विशेषज्ञों से कराने के बाद तय तिथि पर परिणाम घोषित कर दिया जाएगा। 18 अप्रैल को होने वाली यह परीक्षा पंचायत चुनाव के कारण स्थगित कर दी गई थी।

पॉलीटेक्निक संस्थानों में विभिन्न पदों की लिखित परीक्षा का पाठ्यक्रम जारी, ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि तक आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा पाठ्यक्रम

Posted: 22 Sep 2021 05:38 PM PDT

पॉलीटेक्निक संस्थानों में विभिन्न पदों की लिखित परीक्षा का पाठ्यक्रम जारी, ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि तक आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा पाठ्यक्रम

प्रयागराज : प्रदेश के पॉलीटेक्निक संस्थानों में अब सीधी भर्ती नहीं होगी। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से भर्ती के लिए जारी नए विज्ञापन में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा देनी होगी और परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में शामिल किया जाएगा।


इसके लिए आयोग ने उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा (अध्यापन) सेवा परीक्षा, 2021 के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों के लिए विभिन्न पदों के लिए पाठ्यक्रम आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। अभ्यर्थी आयोग की वेबसाइट पर जाकर डाउनलोड सेलेबस के आप्शन पर क्लिक कर सामान्य अध्ययन सामान्य हिंदी तथा संबंधित शाखा / विषय का पाठ्यक्रम डाउनलोड कर सकते हैं। पाठ्यक्रम वेबसाइट पर 15 अक्तूबर तक उपलब्ध रहेगा। यह परीक्षा 12 दिसंबर को प्रस्तावित है।

आयोग ने वर्ष 2017-18 में पॉलिटेक्निक संस्थानों में प्रवक्ता एवं प्रधानाचार्य के 1261 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें प्रधानाचार्य के 13 और प्रवक्ता 25 प्रकार के 1248 पद शामिल थे। ऑल इंडिया कौंसिल टेक्निकल एजूकेशन (एआईसीटीई) की ओर से नियमावली में संशोधन किए जाने कारण आयोग ने गत सात सितंबर को पुराना विज्ञापन निरस्त कर दिया था। पुराने विज्ञापन के तहत प्रधानाचार्य एवं प्रवक्ता के पदों पर सीधे इंटरव्यू के माध्यम से भर्ती होनी थी। 15 सितंबर को जारी विज्ञापन में यह स्पष्ट कर दिया गया कि इस बार अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा देनी होगी।

यूपी : 13 जिलों में 8वीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं 35% बच्चे

Posted: 22 Sep 2021 05:18 PM PDT

यूपी : 13 जिलों में 8वीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं 35% बच्चे


प्रयागराज 
प्रदेश के 13 जिलों में 35 फीसदी से अधिक बच्चे 8वीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं। सूबे के 75 जिलों में से सबसे चिंताजनक स्थिति सिद्धार्थनगर की है जहां लगभग आधे या 53.5 प्रतिशत बच्चे कक्षा 8 पास करने के बाद 9वीं में नाम नहीं लिखवाते हैं।


प्रदेश सरकार की ओर से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 शैक्षणिक सत्र में 87 फीसदी बच्चों ने उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा पूरी करने के बाद कक्षा 9 में प्रवेश लिया था। इनमें से 92.4 प्रतिशत लड़के और 81.5 फीसदी लड़कियां थीं। यानि हर पांच में से एक लड़की 8वीं के बाद पढ़ाई छोड़ देती है। हालांकि 2018-19 सत्र में 85.45 प्रतिशत बच्चों ने ही 8वीं पास करने के बाद कक्षा 9 में प्रवेश लिया था।

 
इन 13 जिलों की स्थिति चिंताजनक

सिद्धार्थनगर में ड्रॉपआउट रेट सबसे अधिक है। इसके अलावा सीतापुर में 56.2, हरदोई 56.9, श्रावस्ती 57.1, संभल 61.2, बदायूं 61.5, शाहजहांपुर 61.8, चित्रकूट 62.4, फर्रुखाबाद 63.2, पीलीभीत 63.6, बांदा 64.5, बहराइच 64.8 और बस्ती में 64.9 प्रतिशत बच्चे ही 8वीं पास करने के बाद 9 में दाखिला लेते हैं। बाकी बच्चे पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं।

● इन जिलों में 65 से भी कम बच्चे 9 में प्रवेश लेते हैं

● सिद्धार्थनगर, सीतापुर और हरदोई की रिपोर्ट सबसे खराब

● यूपी के 13 जिलों में दाखिले की स्थिति है चिंताजनक

● 8वीं के 87 प्रतिशत बच्चे ही 9 में लेते हैं प्रवेश


विकास की दृष्टि से ये जिले पिछड़े हैं। यहां लोगों को लगता है कि पढ़ाई के बाद जब नौकरी नहीं मिलनी तो समय और रुपये क्यों खर्च करें। इस समस्या के समाधान को इन जिलों में अभियान चलाकर लोगों की आशंकाएं दूर करनी होंगी। - प्रो. एमपी दुबे, पूर्व कुलपति राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय

विशिष्ट शिक्षकों का अनुपात रखना व्यावहारिक नहीं, नियुक्ति वाली याचिका पर शीर्ष अदालत में आदेश सुरक्षित

Posted: 22 Sep 2021 05:12 PM PDT

विशिष्ट शिक्षकों का अनुपात रखना व्यावहारिक नहीं, नियुक्ति वाली याचिका पर शीर्ष अदालत में आदेश सुरक्षित


■ सुनवाई

● केंद्र ने कहा कि उन स्कूलों में ऐसे छात्रों की कोई निश्चित संख्या नहीं होती हैं

● विशिष्ट शिक्षकों की नियुक्ति वाली याचिका पर शीर्ष अदालत में आदेश सुरक्षित


नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि सामान्य स्कूलों में विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए विशिष्ट शिक्षकों के शिक्षक-छात्र अनुपात को निर्धारित करना 'व्यावहारिक नहीं' है। केंद्र ने कहा कि उन स्कूलों में ऐसे छात्रों की कोई निश्चित संख्या नहीं होती हैं।

न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ को केंद्र सरकार ने बताया कि नीति अधिक से अधिक सामान्य शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की कोशिश करने की है ताकि वे विशेष प्रकृत्ति वाले बच्चों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हों। केंद्र ने कहा कि यह काम 'सक्रिय पैमाने' पर किया जा रहा है। शिक्षा मंत्रालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) माधवी दीवान ने कहा कि सामान्य स्कूल और विशेष स्कूल हैं जो विशेष जरूरतों वाले बच्चों की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करते हैं।

आरटीई के तहत दाखिले से निजी स्कूलों का साफ इनकार : पहले शुल्क प्रतिपूर्ति फिर प्रवेश

Posted: 22 Sep 2021 07:13 AM PDT

आरटीई के तहत दाखिले से निजी स्कूलों का साफ इनकार : पहले शुल्क प्रतिपूर्ति फिर प्रवेश

 
■ स्कूलों का पक्ष: शुल्क प्रतिपूर्ति करे शिक्षा विभाग

■ प्रशासन का पक्ष: प्रवेश न लेने पर जाएगी मान्यता


अनएडेड स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि कानून का पालन जितना स्कूल प्रबंधन को करना चाहिए उतना ही शिक्षा विभाग को भी करना चाहिए। आरटीई अधिनियम के तहत विभाग स्कूलों को शुल्क प्रतिपूर्ति करें। अधिनियम के तहत फीस की दर तय करें। फिर निजी स्कूल बच्चों का प्रवेश लेंगे।



बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने कहा कि स्कूलों को आरटीई में चयनित बच्चों का प्रवेश लेना होगा। प्रवेश नहीं लेने वाले स्कूलों नोटिस भेजा जा रहा है। इसके बाद भी प्रवेश नहीं लेते हैं तो ऐसे स्कूलों की मान्यता प्रत्यहरण की कार्रवाई होगी।


लखनऊ : प्राइवेट स्कूलों की मनमानी का खामियाजा शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत चयनित बच्चों और अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। शहर के 67 निजी स्कूलों ने 1583 गरीब बच्चों को प्रवेश देने से मना कर दिया है। कुछ स्कूलों ने बच्चों के अभिभावकों को स्कूल से भगा दिया तो कुछ ने सीधे हाथ जोड़ लिए कि हम आरटीई में प्रवेश नहीं ले सकते। प्राइवेट स्कूलों के मना करने के बाद अभिभावक बेसिक शिक्षा विभाग के चक्कर लगा रहे हैं।


मंगलवार को 50 से अधिक अभिभावक शिक्षा भवन में प्रवेश दिलाने की गुहार लगा रहे थे। सभी को आश्वासन दिया गया कि चयनित अभ्यर्थियों को प्रवेश दिलाया जाएगा।


दरअसल आरटीई के तहत गरीब वर्ग के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में निशुल्क शिक्षा मिलती है। इसके लिए सरकार की ओर से प्रति स्कूल प्रबंधन को हर माह 450 रुपए शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में दिया जाता है। पिछले दो वर्षों से शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान स्कूलों को नहीं किया गया है और न ही वर्ष 2013 से फीस की दर बढ़ाई है। इसके विरोध में ही निजी स्कूल संचालकों ने आरटीई के तहत प्रवेश लेने से मना कर दिया। प्रवेश नहीं लेने पर 1583 अभिभावकों ने बीएसए से शिकायत की है।

बेसिक शिक्षा विभाग ने 12770 बच्चों का चयन आरटीई में किया है। सभी को विद्यालय आवंटित कर दिया है। परियोजना अधिकारी रेनू कश्यप ने कहा कि अभी तक 5027 बच्चों का प्रवेश ही पोर्टल पर अपडेट हुआ है।

हाथरस : पाठ्य पुस्तक वितरण में लापरवाही पर समस्त बीईओ का वेतन रोका, बीएसए से किया स्पष्टीकरण तलब

Posted: 22 Sep 2021 06:47 AM PDT

हाथरस : पाठ्य पुस्तक वितरण में लापरवाही पर समस्त बीईओ का वेतन रोका, बीएसए से किया स्पष्टीकरण तलब


 हाथरस। डीएम के निर्देश पर अधिकारियों ने जिले 132 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों का निरीक्षण किया। इसमें 53 अध्यापक, अध्यापिकाएं व शिक्षामित्र गैरहाजिर मिले। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि शैक्षिक सत्र 2021-22 के लिए पाठ्य पुस्तकों - का वितरण नहीं किया गया है न ही अद्यतन विद्यालयों को पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति की गई है। जबकि आपूर्ति के लिए फॉर्म उपलब्ध करा दी गई है। इस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। .

सीडीओ आरबी भास्कर ने कहा | कि यह स्थिति काफी खेदजनक है। अभी तक दो-तीन विद्यालयों में पाठ्य पुस्तकों का वितरण किया गया है। इसका पूर्ण उत्तरदायित्व बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं समस्त खंड शिक्षा अधिकारियों का है।

इस शिथिलता के लिए समस्त खंड शिक्षा अधिकारियों का सितंबर का वेतन अग्रिम आदेशों तक रोका जाता है। बेसिक शिक्षा अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। बिना पाठ्य पुस्तकों के अध्ययन कार्य कैसे किया जा रहा है। अनुपस्थित अध्यापक, अध्यापिकाओं का 21 सितंबर का वेतन अग्रिम आदेशों तक रोके जाने के निर्देश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिए गए हैं।

सहारनपुर : उर्दू शिक्षक संघ की मांग पर अन्य निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों के साथ उर्दू की पुस्तकों का भी तत्काल वितरण किये जाने का आदेश जारी

Posted: 22 Sep 2021 06:33 AM PDT

सहारनपुर : उर्दू शिक्षक संघ की मांग पर अन्य निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों के साथ उर्दू की पुस्तकों का भी तत्काल वितरण किये जाने का आदेश जारी


 

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