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Sunday, September 26, 2021

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अपराधियों को भारत का शासक बताने वाले अक्षम्य अपराधी हैं

Posted: 25 Sep 2021 10:26 PM PDT

अपराधियों को भारत का शासक बताने वाले अक्षम्य अपराधी हैं

-प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज
वस्तुतः जिसे प्लासी का युद्ध कहते हैं, वह कोई युद्ध था ही नहीं ।
वह यह था कि सिराजुदौला के दीवान मोहनलाल से उसके ही अधीनस्थ मीर जाफर अली की खटक गई और उधर क्लाईव ने मीर जाफर को घूस देकर इस बात के लिये राजी किया कि जब हम सिराजुदौला से लड़ने आयेंगे तो तुम पूरी पलटन के साथ हमारी ओर आ जानाा। सिराजुदौला से लड़ाई के लिये भी अपनी मक्कारी और छल की आदत के अनुरूप क्लाईव ने एक झूठ रचा था कि सिराजुदौला के हुक्म से अनेक अंग्रेज स्त्री पुरूषों को मार कर एक कुयें में फेक दिया गया है। जबकि यह घटना कभी हुई ही नहीं थी। यह अवश्य है कि सिराजुदौला ने जगतसेठ की पुत्रवधू के प्रति बुरी दृष्टि डाली थी जिसका बदला जगतसेठ ने इस प्रकार क्लाईव को उकसा कर और कुछ रकम देकर लिया। उसी रकम का एक हिस्सा क्लाईव ने मीर जाफर को दे दिया। क्लाईव ने स्वयं लिखा है कि वह छल, तिकड़म, जालसाजी, फरेब और झूठ फैलाने में माहिर है और यही उसकी विशेषता है। जिसके कारण उसे कंपनी की नौकरी मिली थी कि भारत में जाकर कंपनी का कारोबार फैलाने के लिये आवश्यक छल-कपट करना।


घूस खाये हुये मीर जाफर ने अपनी सेना के साथ अचानक पाला बदल लिया और बिना किसी युद्ध के क्लाईव और मीर जाफर वियजी हुये। बाद में मीर जाफर को भी डचों से मिलीभगत का झूठा आरोप लगाकर क्लाईव ने रास्ते से हटा दिया।
मीर जाफर का साथ देने के कारण क्लाईव को और उसकी कंपनी को मुर्शिदाबाद इलाके के तीन जिलों की लगान वसूली का गुमाश्तागिरी का काम दिया गया। क्लाईव चूंकि फरेबी और मक्कार था तथा आदतन झूठा था इसलिये वसूली गई लगान को वह अपने साथ लंदन ले जाता था और नवाब से कह देता था कि क्या करें आपकी प्रजा ने लगान दिया ही नहीं है। गुमाश्तागिरी के मामले में की गई इस नमकहरामी और चोरी को ही कुछ लोग कई गुना बढ़ाकर कंपनी द्वारा भारत की लूट बताते हैं। चोरी से ले जायी जाने वाली यह रकम और गहने, जेवर उन कंगलों और फटेहाल अंग्रेजों के लिये जो मजबूरी में अपने देश से बाहर इस तरह की नौकरी करने गये थे, बहुत अधिक थी परंतु भारत के लिये तो वह नगण्य ही थी। यह बात आज सभी अंग्रेज लेखकों को पता है। क्लाईव को भी अंत में अपनी इन्हीं टुच्ची हरकतों के कारण ब्लेड से हाथ की नस काट कर आत्महत्या करनी पड़ी थी।


उसके बाद आये वारेन हेस्टिंग्स ने भी कुछ इसी तरह की लूट और छल फरेब किया था जिसके कारण उस पर इंग्लैंड की संसद में लंबा मुकदमा चला था जिसमें उस पर गंभीर अभियोग लगाये थे। (इसके लिये देखिये, प्रयाग से प्रकाशित 'वारेन हेस्टिंग्स का मुकदमा')
इनमें 121 अभियोग अत्यन्त गंभीर थे। जिनमें से कुछ हैं -
1 कुछ हिन्दू राजाओं और मुस्लिम नवाबों से लगान वसूली का जो अधिकार बंगाल, बिहार और उड़ीसा में कंपनी को मिला था उस अधिकार का हेस्टिंग्स और उसके साथियों ने जमकर दुरूपयोग किया और डकैतों से रक्षा के लिये जो रक्षक दल रखे थे, उनको कुछ दिनों बाद अपनी अलग सेना के रूप में विकसित किया गया जिसकी अनुमति उन्होंने कभी भी इंग्लैंड से प्राप्त नहीं की थी और भारत के राजाओं तथा नवाबों ने यह अनुमति अपनी परंपरा का ध्यान रखते हुये इसलिये दे दी कि वहां कभी भी व्यापारी लोग मर्यादा का उल्लंघन नहीं करते और सब के पास रक्षक दल होते हैं। परंतु वे कभी भी इनका दुरूपयोग राज्य प्राप्ति के लिये नहीं करते।
2 कंपनी ने कभी भी इंग्लैंड के शासन से भारत में जाकर राजनीति करने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं किया परंतु यह भारत में जाकर राजनीति कर रहा है और इसलिये वारेन हेस्टिंग्स राजद्रोह का अपराधी है।
3 वारेन हेस्टिंग्स ने लगातार अवैध तरीकों से ही धन कमाया और भारत के राजाओं तथा नवाबों को यह झांसा दिया कि वह ब्रिटिश शासन की अनुमति से और उसके अंग के रूप में ही काम कर रहा है। ब्रिटिश शासन से मैत्री के इच्छुक राजाओं और नवाबों ने इसीलिये कंपनी की मनमानी भी बर्दाश्त की। उनकी इस भावना का कंपनी के कर्मचारी वारेन हेस्टिंग्स और उसके सहयोगियों ने दुरूपयोग कर अपराध किया। इसने वहां अमानवीय व्यवहार किये और अत्याचार किये तथा अपनी कंपनी के साथ भी भारी धोखाधड़ी की और वहां होने वाली आमदनी को कंपनी से छिपाकर स्वयं ही हड़प लिया।
4 वारेन हेस्टिंग्स और उसके द्वारा रखे गये कंपनी के कर्मचारी कोई वकील बन बैठा और कोई जज जबकि वे लोग कानून का ए बी सी भी नहीं जानते थे और इस तरह भारत में कानून के प्रति सम्मान की जो सुदीर्घ परंपरा रही है उसके कारण लोगों ने इनकी जालसाजी को ब्रिटिश शासन के ही दोष माना जो राजद्रोह है और इंग्लैंड के कानून का अपमान करने की जानबूझ कर की गई साजिशन कार्रवाई है।
5 हेस्टिंग्स ने भेदियों का बहुत बड़ा जाल वहां फैलाया और बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा के नीचतम लोगों को अपने साथ लिया तथा बहुत भयानक रूप से पूरे इलाके में व्याभिचार फैलाया तथा कंपनी को व्याभिचारियों, अपराधियों, ठगों, जालसाजों और फरेबियों की एक संस्था ही बना दिया। जिसके कारण ईस्ट इंडिया कंपनी को लज्जा के दलदल में फसना पड़ा है।
6 ब्रिटिश शासन से कोई भी अनुमति लिये बिना कानून के विषय में अनपढ़ और अज्ञानी ये लोग भारत में ब्रिटिश शासन की ओर से न्याय करने का झूठा नाटक करने लगे और कानून की धज्जियां उड़ाते हुये मनमाने निर्णय किये जिसके कारण ब्रिटिश न्याय के प्रति भारत में दुर्भाव पैदा हुआ और अश्रद्धा बढ़ी जिसका मुख्य अपराधी वारेन हेस्टिंग्स है। भारत के प्रमुख राजाओं ने इस विषय में ब्रिटिश शासन से संपर्क भी किये हैं क्योंकि भगवान की कृपा से वे लोग ब्रिटेन के विषय में अच्छी भावना रखते हैं और उससे मैत्रीसंबंध बढ़ाने को उत्सुक हैं।
7 इन्होंने ब्रिटिश शासन की अनुमति के बिना भारत में जाकर शासक बनने का दुस्साहस किया और अपने दलालों को ही झूठा गवाह बनाकर अपने झूठे वकीलों से और झूठे जजों से मनमाना फैसला करवाया और उसे ही ब्रिटिश न्याय बताया जो भयंकर अपराध है और इंग्लैंड के कानून का अपमान है।
8 भारत के लोगों में उच्चतम नैतिक अनुशासन है और वहां एक सुसभ्य व्यवस्था है तथा वहां के लोगों में शक्ति और दृढ़ता है। हेस्टिंग्स ने भारतीय समाज में इन गुणों को नष्ट करने के लिये नीचतम हथकंडे अपनाये। यह इसका गंभीर नैतिक अपराध है।
9 हेस्टिंग्स ने बंगाल के एक नवाब मीरजाफर के दरबार में कंपनी की ओर से काम करते हुये वहां के सबसे नीच और धूर्त तथा भयंकर काम करने वाले कासिम अली खां से छल कपट और दुराचरण के हथकंडे सीखकर उस नवाब को ही मार डाला जिसने इसे शरण दी थी।
10 झूठी जांच और झूठी अदालतों का फरेब से भरा नाटक लगातार खेलते हुये वारेन हेस्टिंग्स ने अनेक निर्दोष धनी लोगों को झूठे मुकदमें में फंसाया और झूठी गवाहियों के आधार पर उन्हें मृत्युदंड सुनाते हुये उनका सारा धन लूट लिया। ऐसे भयंकर अत्याचार वारेन हेस्टिंग्स ने लगातार किये जिसके कारण कंपनी के प्रति लोगों में गुस्सा बढ़ा और ब्रिटिश शासन के बारे में भी खराब राय बनी। इसने अनेक हत्यायें करायी। कई बार तो बिस्तर में शांति से सोये हुये लोगों की हत्यायें कराईं और फिर अफवाह फैला दी कि आग लगने से या बिजली गिरने से वे मरे हैं।
11 इसने जानबूझकर हिन्दुओं का धर्मभ्रष्ट किया और ऐसे-ऐसे अत्याचार किये जिससे कि आतंक से लोग कांपने लगंे।
12 बंगाल का जगत सेठ बहुत बड़ा धनी व्यक्ति था और उसका व्यापारिक संबंध सारे संसार से था। बैंक ऑफ इंग्लैंड की भांति ही उसका कारोबार था। उसकी फर्म ही बंगाल में चांदी की खरीद करती थी और उसकी कृपा से ही कंपनी मुर्शिदाबाद में एक टकसाल खोल सकी थी। यह जगत सेठ अपनी सत्यनिष्ठा और धर्मनिष्ठा के लिये प्रसिद्ध था। वारेन हेस्टिंग्स के निर्देश पर कंपनी के कर्मचारियों ने जगतसेठ के समस्त परिवार की हत्या कर दी और उनकी पूरी धन-सम्पत्ति, गहने-जेवर तथा रत्न-आभूषण लूट लिये। इसके कुछ समय के भीतर उन सब भारतीयों की भी हत्या कर दी जिन्होंने इन भयंकर अपराधों में कंपनी के कर्मचारी के रूप में या कंपनी के मित्र के रूप में वारेन हेस्टिंग्स का साथ दिया था।
13 भारतीय व्यापारियों पर झूठे आरोप लगाकर वे उनकी गद्दियां छीन लेते और फिर उन गद्दियों की नीलामी करते जिसमें जालसाजी और फरेब किया जाता तथा अक्सर सबसे ऊंची बोली लगाने वाले हिन्दू धनियों को वह गद्दी न देकर किसी मुसलमान को दे देते जो बदले में उनके बहुत से गलत काम करता था। राजा नंदकुमार तक के साथ यही धोखा-धड़ी की गई और मोहम्मद रजा खां के पक्ष में नीलामी घोषित कर दी। इस प्रकार घूसखोरी और पक्षपात का अंतहीन क्रम वारेन हेस्टिंग्स ने चलाया।
14 यहां तक कि नवाबों और राजाओं के उत्तराधिकारी भी तय करने का दुस्साहस वारेन हेस्टिंग्स करने लगा। राजाओं पर झूठे मुकदमें चलाये गये और उनपर वारेन हेस्टिंग्स की हत्या का झूठा आरोप लगाकर झूठे गवाहों और नकली वकीलों के द्वारा मुकदमा चलवाकर झूठे जजों के द्वारा फांसी की सजा सुनाई जाती रही। ये जज ब्रिटिश शासन और ब्रिटिश कानून का क ख ग भी नहीं जानते थे।
15 इस तरह इन्होंने उत्तरी भारत का आधा हिस्सा बर्बाद कर दिया और भारत के हमारे बड़े बाजार को खतरा पैदा हो गया। साथ ही हेस्टिंग्स ने भारत में राजनैतिक गुटबाजियों के द्वारा गृहयुद्ध फैलाया। अपने पापों को ढंकने के लिये हेस्टिंग्स ने भारत के बारे में और भारतीय समाज के बारे में झूठी बातें फैलाईं तथा वहां ऐसी बुराईयों का होना इंग्लैंड में प्रचारित किया जो वहां कभी थी ही नहीं।
16 अब यह वारेन हेस्टिंग्स अपने पक्ष में यह तर्क दे रहा था कि मैं तो एक गरीब स्कूली लड़का था और इंग्लैंड से दूर उस अनजानी जगह में अपना स्थान बनाने के लिये जो कुछ वहां संभव लगा वह करता रहा और मैंने सारा व्याभिचार और अपराध वहां के ही कासिम अली खां जैसे लोगों से सीखा है। अतः मुझे क्षमा कर दिया जाये। यह इसका बहुत बड़ा फरेब और धूर्तता है। इसकी चालाकी क्षमा के योग्य नहीं है।
17 शुरू में इसने इंग्लैंड की इस छोटी सी कंपनी - ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में लूट और फरेब से प्राप्त की गई दौलत मुनाफा बताकर दी। जिसके कारण इंग्लैंड में बैठे हुये कंपनी के डायरेक्टर्स ने उसे सफल कारोबारी मानकर इसके लिये धन्यवाद प्रस्ताव भी जारी किया। अपने बचाव में यह उसका उदाहरण दे रहा है। जो इसके हथकंडों का ही एक और प्रमाण है।
18 इसने भारत के कुछ राजाओं को हत्या की धमकी देकर उनसे अपने पक्ष में प्रमाण पत्र प्राप्त किये हैं और कुछ नकली राजा भी इसने बनाये हैं। जिनके प्रमाण पत्र यह प्रस्तुत कर रहा है। भयादोहन और जालसाजी से प्राप्त इन प्रमाणपत्रों को प्रस्तुत कर यह अपना बचाव चाहता है। जो कि इसका एक और अपराध है।
19 इसने अत्याचार, अपराण, हिंसा, लूटपाट और जोर-जबरदस्ती से लोगों से धन वसूलने और संपत्ति हड़पने को ही व्यापार का नाम दे रखा है। इसके पास अपहरण करने वालों का एक जाल था जिनके द्वारा वह लोगों का अपहरण कराता था और बदले में फिरौती वसूल करता था। धन नहीं मिलने की स्थिति का यह हत्या कर देता था।
20 इसने धनी लोगों के नौकरों से संबंध बनाये और उनसे झूठी शिकायतें करवाई तथा जाली वकीलों से उनकी पैरवी करवाई और फिर जाली जजों से कड़ी सजायें सुनवाईं। इस प्रकार इसने श्रेष्ठतम भारतीय परिवारों को बर्बाद कर दिया। राजा नंदकुमार जैसे शक्तिशाली और सुयोग्य व्यक्ति को, जिससे इसने भरपूर मदद प्राप्त की थी, बाद में झूठे आरोप लगाकर उन पर झूठा मुकदमा चलाया। जब राजा नंदकुमार ने अपने पक्ष में अकाट्य प्रमाण प्रस्तुत कर दिये तब भी वारेन हेस्टिंग्स ने अपने दोस्त न्यायाधीश के जरिये राजा नंदकुमार को दोषी घोषित कर फांसी पर चढ़ा दिया। यह इसके भयंकर अपराधों का एक भयावह उदाहरण है।
21 इसने कंपनी का कर्मचारी होते हुये भी राजाओं की तरह विलासिता करने का सिलसिला चलाया और वेश्याओं के साथ रंगरेलियां करते हुये उनसे गलत काम करवाता रहा और ऐसी कई वेश्याओं को, जैसे कि वेश्या मुन्नीबाई को, जागीरदार भी बना दिया।
22 कई नवाबों से इसने प्रतिवर्ष लाखों रूपये वसूल किये और उसका चौथा हिस्सा ही यह कंपनी को देता रहा तथा शेष रकम स्वयं डकारता रहा।
23 इसने ऐसे लोगों का जाल बिछाया जो लोगों के पारिवारिक रहस्यों को जानकर उन्हें ब्लेकमेल करते थे और फिर बरबाद कर देते थे। इस तरह इसने बहुत बड़ी अवैध कमाई की।
24 इसने व्यापारिक कंपनी को कंपनी सरकार का झूठा नाम दिया जिसके लिये वह कभी भी अधिकृत नहीं था। इसने अपने इलाके में वेश्यालयों का जाल बिछा दिया और वहां से सुंदर युवतियां निरंतर कंपनी के लोगों को सुलभ कराईं जाती थीं। फिर उनसे शराब और स्वादिष्ट भोजन तथा सुगंधित तंबाकू के नशे में बेहोशी की हालत में दबाव देकर गंदे काम के लिये उनसे सहमति प्राप्त की जाती थी। लोगों की व्यभिचार की भावना को जगाकर उन्हीं से रूपये ऐंठकर उनकी मौज का इंतजाम करना इसका पेशा ही बन गया था। ऐसे लोगों का जाल बिछाकर इसने अंधाधुंध कमाई की और इस क्रम में बंगाल के परंपरागत जागीरदारों को जालसाजी से फंसाकर लूट लिया। उनसे कौड़ियों के मोल जमीनें खरीदीं और फिर हजारों के दाम उन्हें बेचा। इस तरह से इसने अंतहीन कमाई की।
25 बंगाल में मुसलमानों से युद्ध के दौरान मारे गये राजाओं की पत्नियां रानी बनीं क्येांकि बंगाल में धर्मशास्त्र की मिताक्षरा शाखा के अनुसार विधवा स्त्री ही संपूर्ण सम्पत्ति की मालिक होती है। इन उच्च वर्ग की स्त्रियों पर लगान की दरें बढ़ाने का दबाव देकर इसने मनमाना लगान वसूलना चाहा जिसे उन रानियों ने मना कर दिया तब इसने उनमें से कई को झूठे आरोपों में जेलों में बंद कर दिया और दबाव देकर कागजातों पर हस्ताक्षर कराये तथा उनकी जागीरों पर कब्जा कर लिया और फिर उन्हें नीलामी में ऐसे गंदे और गलत लोगों को बेच दिया जिन्होंने हेस्टिंग्स के इशारे पर अपनी जागीर के किसानों पर भयंकर अत्याचार किये और उनसे सब कुछ छीन लिया। इसके द्वारा किये गये अत्याचारों में कारीगरों और किसानों के हाथ काटकर उन्हें लूला बना देना, उंगलियां रस्सी से कसकर बांधकर बीच में लोहे की सलाखा जबरन घुसेड़कर असहय यंत्रणा देना और कोड़ों और जूतों से घंटो पिटाई करना जिससे आंख, नाक और मुंह से खून की धारा बहने लगे तथा कांटेदार हथियारों से लोगों को मारकर उनके शरीर को बुरी तरह फटने की स्थिति में डालकर मरने के लिये छोड़ देना शामिल है।
26 जागीरदार परिवारों की और अन्य धनी परिवारों की सुन्दर कुंवारी कन्याओं को जबरन उठाकर लाया जाता और उनसे दुराचार किया जाता और फिर उन्हें वस्त्रविहीन स्थिति में सड़क पर खदेड़ दिया जाता जिससे कि उनकी इज्जत खत्म हो जाये। उनके स्तनों पर लाठियों और कुन्दों से प्रहार किया जाता। एडमन बर्क ने ऐसे अवर्णनीय अत्याचारों की विस्तृत सूची इंग्लैंड की संसद में प्रस्तुत की है।
27 बंगाल में ब्राह्मण बहुत सम्पन्न थे और अपने संस्कारों तथा ज्ञान के लिये प्रतिष्ठित थे। उन्हें जानबूझकर अपमानित करने के लिये बैल की पीठ पर बैठाकर शहर में ढोल पीटते हुये घुमाया जाता था। दबाव बनाकर उनसे जाली कागजातों पर हस्ताक्षर कराये जाते थे और फिर उनका सबकुछ लूट लिया जाता था। कई ब्राह्मण इज्जत खोने के डर से जंगलों में भाग कर छिप जाते जहां कई बार उन्हें बाघ या चीते खा जाते और अगर वे कुछ दिनों बाद जीवित रहने पर घर आते तो उन्हें किसी न किसी बहाने कत्ल कर दिया जाता। ऐसे अत्याचारों से जा रही कमाई अधिक दिन टिकने वाली नहीं थी। अतः यह व्यक्ति वारेन हेस्टिंग्स भारत के निवासियों का अपराधी है। विधवाओं और अनाथों की लूट का अपराधी है। विश्वासघात का अपराधी है। क्रूरता और हत्याओं का अपराधी है तथा अपहरण, लूट, घूसखोरी और छलफरेब का अपराधी है एंव स्त्रियों की प्रतिष्ठा नष्ट करने का अपराधी है इसके साथ ही यह ब्रिटेन के राष्ट्रीय चरित्र को कलंकित करने का अपराधी है और मानवप्रकृति का भी अपराधी है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि कंपन के ये कर्मचारी नीचतम एवं घृणिततम अपराधी थे और इनके अपराध सदा के लिये अक्षम्य हैं।
।परंतु इन कर्मचारियों की फरेबी कंपनी को उनके जाने के बाद भी कंपनी सरकार लिखना और भारत के सत्यनिष्ठ तथा न्यायप्रिय लोगों को वंचना और विश्वासघात के कारण कष्ट और यंत्रणा पाने की दशा को उनकी गुलामी बताना स्वयं में अक्षम्य अपराध है।


ऐसे अपराधी भारतवर्ष में 15 अगस्त 1947 के बाद शिक्षित और प्रबुद्ध बनकर चारों ओर छा गये हैं।
✍🏻रामेश्वर मिश्रा पंकज
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काम बोलेगा

Posted: 25 Sep 2021 10:24 PM PDT

काम बोलेगा

मैं नहीं प्यारे , मेरा काम बोलेगा।
क्या मेरी औकात, हैं क्या दक्षताएँ
क्या करिश्मा, कृत्य क्या हैं क्षमताएँ
किसी हृत्तंत्री का तार अविराम  डोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा।

क्या मेरी उपलब्धिययाँ, क्या है  प्रदर्शित
क्या मेरी थाती, मेरी क्या है सृजित 
कहीं न कहीं किया तमाम बोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा।

क्या रही दुनिया की चाह, जाना नहीं
क्या मिली कुछ थाह भी माना नहीं
कोई प्रमुदित मन हृदय को थाम बोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा।

रूपसी के रूप में संचित अमित मधु
प्रेम-ज्वार अनंत भर उर में पिपासु 
मुख नहीं, प्रिय का रसिक दृग-धाम बोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा।

दृश्य कुछ देता रहा अभिराम सा
जन हुए  हर्षित कुछ  नव्यता पा 
उन पलों की याद बिसरे याम खोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा ।

क्या रहा था, क्या रहेगा, है अभी क्या !
देकर जाना भी कुछ, खाली रहेगा हाथ या ?
कोई तो उद्दात भावुक काम तोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा।

राधामोहन मिश्र माधव
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आहिस्ता

Posted: 25 Sep 2021 10:20 PM PDT

आहिस्ता

       --:भारतका एक ब्राह्मण.
         संजय कुमार मिश्र"अणु"
अब!
रिश्ते भी,
बना रहे हैं लोग-
देखकर अपनी आवश्यकता।
मैं नहीं?
समझ पाया,
लोगों की मानसिकता-
और तथाकथित विवसता।।
जरूर होगा!
कोई गुप्त बात,
या फिर दबी खुन्नस-
तभी तो पकडा है ये रास्ता।।
कहे कौन?
देखकर ऐसे मौन,
पर खुलता हीं है पोल-
देकर इधर-उधर का वास्ता।।
मन का गांठ!
नहीं रहने देता है,
किसीको भी अस्थिर-
पंगु बना देता है अच्छा खास्ता।।
सबकी सुनों!
सबको सुनाओ,
दूर मत जाने दो उसे-
कहो मुझे सुनना है तेरी दास्तां।।
मन की बात,
जन की बात-
फिर गले लगा लो आहिस्ता।।
----------------------------------------
वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२.
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आओ नमन करें हम उनको

Posted: 25 Sep 2021 10:18 PM PDT

आओ नमन करें हम उनको

आओ नमन करें हम उनको,
रचा जिसने संसार,
पाल रहा वहीं हम सबको,
बाँट रहा जग में प्यार।
      आओ नमन करें हम...।

रहने को दी धरती उसने,
जीने को आहार
जीवन में दिया हर रंग उसने,
दिया बुद्धि,विवेक,सद्विचार।
     आओ नमन करें हम...।

नहीं किया भेदभाव किसी से,
नहीं किया दुर्व्यवहार,
हम सब हैं उसी की रचना,
हैं उसके परिवार।
     आओ नमन करें हम...।

उसके सिवा मेरा कोई नहीं जग में,
नहीं कोई नाते,रिश्तेदार,
वही है अब सबकुछ मेरा,
बाकी सब बेकार। 
     आओ नमन करें हम...।
       -----000----
           अरविन्द अकेला
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राष्ट्र की शान है बेटियाँ

Posted: 25 Sep 2021 10:16 PM PDT

राष्ट्र की शान है बेटियाँ

डॉ. इंदु कुमारी
जहाँ नहीं  है   बेटियाँ
मुरझाई घर की बगिया
बाधा नहीं चढ़े चोटियाँ
झंडा फहराती बेटियाँ
हर माँ बाप रोके रास्ता
इन्दु ना लिखती पंक्तियाँ
जग की लाडली बेटियाँ 
जग की  आधी आबादी
कहलाती  है   बेटियाँ
हर घर की रौनक है
घरों को सजाती बेटियाँ
माँ बन ममता लुटाती है
भार्या बन बरसाती प्यार
दादी बन सीख हमें देतीं
मिल जुलकर भरा परिवार
नन्हीं परियाँ बनकर आती
गौरी लक्ष्मीभवानी कहलाती
सरस्वती घर की शोभा पाती
लक्ष्मीबाई बन कर टकराती
सैर करती अंतरिक्ष में बेटियाँ ।
हिंदी विभाग , मधेपुरा ( बिहार )
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जिवितपुत्रिका(जितिया)व्रत निर्णय।

Posted: 25 Sep 2021 10:12 PM PDT

जिवितपुत्रिका(जितिया)व्रत निर्णय।

आचार्य मनोज कुमार मिश्र"पद्मनाभ"।
विरंचिनारायण मंदिर, ब्राह्मणीघाट, गया।
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पुत्र के दीर्घायुष्य(लम्बी उम्र)के लिए सभी माताएं वर्ष मे एक बार जिवितपुत्रिका व्रत करतीं हैं।जो इस बार दिनांक 28/9/2021दिन मंगलवार को नहाय खाय करके उसी दिन रात्रि मे सुबह 4 बजे के पहले सरगही कर सकती हैं।इसमे कोई संदेह नही है।उसके बाद दिनांक 29/9/2021बुधवार को व्रत करेंगी।और दिनांक 30/9/2021दिन गुरुवार को सुबह सूर्योदय के बाद कभी भी व्रत का पारण कर सकती हैं। इस बार जितिया व्रत मे कोई भेद भाव नही है। वराणसी पंचांग के अनुसार सभी माताएं इसी प्रकार बताए गये समयों पर ही व्रत करेंगी तो उनके लिये व्रत अच्छा फलदायी होगा।क्योंकि शास्त्रों एवं जिवित पुत्रिका व्रत कथा में भी लिखा हुआ है कि जिस दिन सूर्योदय काल में अष्टमी तिथि हो,उसी दिन जिवित पुत्रिका व्रत करना चाहिए।और नवमी मे पारण करना चाहिए,तो इसबार शुद्ध एवं उदयकालीन अष्टमी तिथि दिनांक 29/9/2021 दिन बुधवार को ही मिल रहा है इसलिए ये जितिया व्रत इसी दिन करना शुभ पुण्य फलदायी होगा।इस बार का तिथियों का समय इस प्रकार है.......दिनांक 28/9/2021दिन मंगलवार को सुबह उदयकालीन सप्तमी तिथि है।और ये शाम मे 3 बजकर 5 मिनट तक है।उसके बाद अष्टमी तिथि आ रही है जो रात्रिपर्यंत और अगले दिन शाम 4 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। लेकिन शास्त्रों एवं जिविततपुत्रिका व्रत कथा के अनुसार सप्तमी विद्धा अष्टमी व्रत नही करना चाहिए।इसीलिए मेरी मान्यता है कि इस दिन व्रत न करके अगले दिन व्रत करें यानि दिनांक 29/9/2021 दिन बुधवार को शुद्ध अष्टमी तिथि सूर्योदय काल से लेकर शाम 4 बजकर 54 मिनट तक है।इस लिए सभी माताएं इसी दिन जिवित पुत्रिका व्रत करें। उसके बाद अगले दिन सुबह से ही नवमी तिथि आ जायगी और अगले दिन यानि दिनांक 30/9/2021 दिन गुरुवार को सुबह सूर्योदय के बाद दिन भर नवमी तिथि रहेगी । इस लिए आप सभी माताएं कभी भी व्रत का पारण कर सकती हैं।इससे सभी माताओं के पुत्र सदा सर्वदा के लिए दीर्घायु रहेंगे।
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बिहार फोटोग्राफर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया।

Posted: 25 Sep 2021 08:55 AM PDT

नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में आयोजित फोटो एक्सपो में बिहार फोटोग्राफर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया।

कोरोना के प्रतिबंधों के बाद ये साल का पहला आयोजन था जिसमे बिहार के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। ये गौरतलब है के आने वाले अक्टूबर 21से 23 तक बिहार के अपने फोटो वीडियो एक्सपो का आयोजन होना है जिसमे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की नामचीन फोटो वीडियो प्रोडक्टस की कंपनियां बिहार में अपने प्रोडक्ट्स का प्रदर्शन करेंगी।बिहार एक्सपो के समन्वयक मुदासर सिद्दीकी ने बताया के कोरोना काल की बंदी के बाद इस वर्ष फिर से बिहार में फोटो वीडियो एक्सपो का आयोजन किया जा रहा है। कोविड के नियमों के अनुसार इसका आयोजन पटना के ज्ञान भवन में होगा ।
बिहार फोटो वीडियो एक्सपो के आयोजक राकेश तिवारी ने कहा के इस एक्सपो के आयोजन से कोरोना के कारण बंद पड़े फोटो वीडियो इंडस्ट्री में उम्मीद की लहर दौड़ गयी है। मौके पे बिहार फोटग्राफर्स एसोसिएशन के सभी पदाधिकारी मौजूद थे।
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‘मान्यवर’ ब्रांड हिन्दुओं से क्षमा मांगकर ‘कन्यादान’ का आपत्तिजनक विज्ञापन हटाएं । - हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की चेतावनी

Posted: 25 Sep 2021 08:51 AM PDT

वाशी, नवी मुंबई स्थित 'मान्यवर' शो रुम के बाहर हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का प्रदर्शन !

'मान्यवर' ब्रांड हिन्दुओं से क्षमा मांगकर 'कन्यादान' का आपत्तिजनक विज्ञापन हटाएं । - हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की चेतावनी

       'वेदांत फैशन्स लिमिटेड' कंपनी के 'मान्यवर' नामक कपडों के ब्रांड द्वारा हिन्दुओं की धार्मिक कृतियों के विषय में दुष्प्रचार करनेवाला विज्ञापन प्रसारित किया गया । इसमें हिन्दू विवाह संस्कार में 'कन्यादान' नहीं अपितु 'कन्यामान' कहें', ऐसा आवाहन किया गया है, जो अत्यधिक आपत्तिजनक और हिन्दुओं की धार्मिक भावना आहत करनेवाला है । इस विज्ञापन के कारण व्यापक और उच्च मूल्य संवर्धित करनेवाली धार्मिक विधि के विषय में लोगों में जानबूझकर भ्रांति फैलाई जा रही है । इस विज्ञापन का विरोध करने के लिए हम हिन्दुत्ववादी संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं । वेदांत फैशन्स लि. कंपनी हिन्दुओं से बिना शर्त क्षमा मांग कर 'मान्यवर' ब्रांड का विज्ञापन तत्काल हटाएं, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता डॉ. उदय धुरी ने की । वे विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा आज वाशी, नवी मुंबई के 'मान्यवर' शो रूम के समक्ष किए प्रदर्शन के समय बोल रहे थे ।
इस समय हिंन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रतिनिधीयोंके समेत हिन्दू धर्मप्रेमियों ने हाथ में निषेध फलक पकडकर लोगों में जनजागृति की । यह विज्ञापन हटाकर जब तक क्षमा नहीं मांगी जाती, तब तक हिन्दू समाज 'मान्यवर' ब्रांड का बहिष्कार करे, ऐसा आवाहन हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने किया है ।

'       मान्यवर' द्वारा प्रसारित विज्ञापन में हिन्दुओं को जानबूझकर निशाना बनाया गया है । विज्ञापन द्वारा 'कन्यादान' किस प्रकार अनुचित है ?, पुरातनवादी है, साथ ही 'दान करने के लिए क्या कन्या कोई वस्तु है ?', ऐसे संभ्रम निर्माण करनेवाले प्रश्न उपस्थित किए गए हैं । 'कन्यादान' नहीं अपितु कन्यामान', ऐसा सीधे परंपरा बदलने का आवाहन किया है । मूलत: अन्य किसी भी धर्म में स्त्रियों का सम्मान नहीं किया जाता, इसके विपरित हिन्दू धर्म में आदिशक्ति के रूप में स्त्री की पूजा की जाती है । ऐसा होते हुए भी उस विषय में भ्रामक संदेश फैलानेवाली वेदांत फैशन्स लि. कंपनी अन्य धर्माें में महिलाओं के विषय में लागू अनुचित प्रथा-परंपराओं के विषय में प्रबोधन करनेवाला विज्ञापन प्रसारित करने का साहस करके दिखाए । 'मान्यवर' ब्रांड द्वारा विज्ञापन न हटाने पर भविष्य में भी तीव्र आंदोलन किए जाएंगे, ऐसा भी डॉ. धुरी ने कहा ।
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आज 26 सितम्बर 2021, रविवार का दैनिक पंचांग एवं राशिफल - सभी १२ राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन ? क्या है आप की राशी में विशेष ? जाने प्रशिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. प्रेम सागर पाण्डेय से |

Posted: 25 Sep 2021 08:44 AM PDT

आज 26 सितम्बर 2021, रविवार का दैनिक पंचांग एवं राशिफल - सभी १२ राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन ? क्या है आप की राशी में विशेष ? जाने प्रशिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. प्रेम सागर पाण्डेय से |

श्री गणेशाय नम: !!

दैनिक पंचांग

 26 सितम्बर 2021, रविवार

पंचांग   

🔅 तिथि  पंचमी  दिन  10:58:23

🔅 नक्षत्र  कृत्तिका  दिन  01:47:18

🔅 करण :

           तैतिल  13:07:23

           गर  26:26:25

🔅 पक्ष  कृष्ण 

🔅 योग  वज्र  15:46:34

🔅 वार  रविवार 

सूर्य चन्द्र से संबंधित गणनाएँ

🔅 सूर्योदय  06:02:59

🔅 चन्द्रोदय  21:30:59 

🔅 चन्द्र राशि  वृषभ 

🔅 सूर्यास्त  17:58:54

🔅 चन्द्रास्त  10:48:00 

🔅 ऋतु  शरद 

हिन्दू मास एवं वर्ष

🔅 शक सम्वत  1943  प्लव

🔅 कलि सम्वत  5123 

🔅 दिन काल  12:02:27 

🔅 विक्रम सम्वत  2078 

🔅 मास अमांत  भाद्रपद 

🔅 मास पूर्णिमांत  आश्विन 

शुभ और अशुभ समय

शुभ समय   

🔅 अभिजित  11:48:17 - 12:36:27

अशुभ समय   

🔅 दुष्टमुहूर्त  16:37:16 - 17:25:26

🔅 कंटक  10:11:57 - 11:00:07

🔅 यमघण्ट  13:24:37 - 14:12:46

🔅 राहु काल  16:43:17 - 18:13:35

🔅 कुलिक  16:37:16 - 17:25:26

🔅 कालवेला या अर्द्धयाम  11:48:17 - 12:36:27

🔅 यमगण्ड  12:12:22 - 13:42:40

🔅 गुलिक काल  15:12:59 - 16:43:17

दिशा शूल   

🔅 दिशा शूल  पश्चिम 

चन्द्रबल और ताराबल

ताराबल 

🔅 भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती 

चन्द्रबल 

🔅 वृषभ, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन 

🌹विशेष षष्ठी श्राद्ध, चन्दषष्ठी चन्द्रोदय रात्रि 09:14:11 से, पश्चिम दिशा में बुधास्त। 🌹

पं.प्रेम सागर पाण्डेय्

राशिफल 26 सितम्बर 2021, रविवार

मेष (Aries): आज का दिन गृहस्थ एवं दांपत्य जीवन के लिए बहुत उचित है। जीवनसाथी के साथ समय बीत सकता है और प्रेम का सुखद अनुभव पा सकेंगे। आर्थिक लाभ तथा प्रवास की यसंभावना है। विचारों में उग्रता तथा अधिकार की भावना बढेगी। आप के कार्य की प्रशंसा भी हो सकती है। संभवतः वाद-विवाद टालें। वाहन सुख अच्छा रहेगा।

शुभ रंग  =  गुलाबी

शुभ अंक  :  1

वृषभ (Tauras): आपका आज का दिन शुभफलदायक साबित होगा। निर्धारित कार्य सफलतापूर्वक पूरे होंगे। अधूरे कार्य पूरे होंगे। शारीरिक, मानसिक स्वस्थता बनी रहेगी। आर्थिक लाभ होगा। ननिहाल पक्ष की ओर से आनंदपूर्ण समाचार मिलेंगे। बीमारी में राहत महसूस होगी। नौकरीपेशा वाले लोगों को लाभ होगा। सहकर्मियों का सहयोग मिलेगा।

शुभ रंग  =  पींक

शुभ अंक  :  5

मिथुन (Gemini): आज संतान और जीवनसाथी के स्वास्थ्य के सम्बंध में चिंता होगी। वाद-विवाद या चर्चाओं में गहरे न उतरना हित में रहेगा। आत्मसम्मान को ठेस पहुंचेगी और स्त्री मित्रों द्वारा खर्च या नुकसान होने की संभावना है। पेट सम्बंधी बीमारियों से तकलीफ होगी। नए कार्य की शुरुआत और प्रवास न करने के लिए कहते हैं।

शुभ रंग  =  हरा

शुभ अंक  :  3

कर्क (Cancer): शारीरिक-मानसिक अस्वस्थता का अनुभव होगा। छाती में दर्द या किसी विकार से परिवार में अशांति निर्मित होगी। स्त्री पात्र के साथ मनमुटाव और तकरार होने की संभावना है। सार्वजनिक रूप से मानहानि होने से दुख होगा। समय से भोजन नहीं मिलेगा। अनिद्रा के शिकार होंगे। धन खर्च और अपयश मिलने का योग है।

शुभ रंग  =  लाल

शुभ अंक  :  8

सिंह (Leo): कार्य सफलता और प्रतिस्पर्धियों पर विजय का नशा आपके दिलोदिमाग पर छाया रहेगा। भाई-बहनों के साथ मिलकर घर पर कोई आयोजन करेंगे। मित्रों, स्नेहीजनों के साथ यात्रा करने का योग है। स्वास्थ्य बना रहेगा। आर्थिक लाभ, प्रियजनों की मुलाकात से खुशी होगी। शांत मन से नए कार्यों को आरंभ कर सकेंगे। अचानक भाग्य वृद्धि का अवसर देखते हैं।

शुभ रंग  =  गुलाबी

शुभ अंक  :  1

कन्या (Virgo): परिवार में आज आनंद का वातावरण रहेगा। वाणी की मधुरता और न्यायप्रिय व्यवहार से आप लोकप्रियता प्राप्त करेंगे। आर्थिक लाभ होने की संभावना है। मिष्टान्न भोजन मिलेगा। विद्यार्थियों के विद्याध्ययन के लिए अनुकूल समय है। मौज-शौक के साधनों के पीछे खर्च होगा। अनैतिक प्रवृत्तियों से दूर रहने की सलाह देते हैं।

शुभ रंग  =  हरा

शुभ अंक  :  3

तुला (Libra): अपनी कला-कारीगरी को बाहर लाने के लिए सुनहरे अवसर न खोएं। शारीरिक, मानसिक स्वस्थता बनी रहेगी। मनोरंजन की प्रवृत्तियों में दोस्तों और परिवारजनों के साथ भाग लेंगे। आर्थिक लाभ होगा। सुंदर भोजन वस्त्र और वाहन सुख की प्राप्ति होगी। प्रिय व्यक्ति से मुलाकात और कार्य सफलता का योग है। दांपत्य जीवन में विशेष मधुरता रहेगी।

शुभ रंग  =  फीरोजा़

शुभ अंक  :  6

वृश्चिक (Scorpio):  आज आपके विदेश में बसनेवाले स्नेहीजन या मित्रों की तरफ से शुभ समाचार मिलने की संभावना है। आमोद-प्रमोद की प्रवृत्तियों में पैसे खर्च होंगे। दांपत्य जीवन में साथी के साथ निकटता के पल व्यतीत कर सकेंगे। कोर्ट-कचहरी के मामलों में संभलकर कार्य करना उचित रहेगा। ऑफिस में स्त्री वर्ग से लाभ होने की संभावना है।

शुभ रंग  =  लाल

शुभ अंक  =  8

धनु (Sagittarius): प्रेम का सुखद अनुभव प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक दृष्टि से लाभ का दिन है। गृहस्थ जीवन में आनंद छाया रहेगा। मित्रों से लाभ होगा। आय के साधनों में वृद्धि होगी। व्यापार में वृद्धि और लाभ होगा। वैवाहिक योग है। मांगलिक कार्य होंगे। उत्तम भोजन मिलने की संभावना है।

शुभ रंग  =  पीला

शुभ अंक  :  9

मकर (Capricorn): व्यवसाय के क्षेत्र में धन, मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। नौकरी में भी आपका परिश्रम रंग लाएगा। घर, परिवार और संतान के मामले में आनंद और संतोष की भावना अनुभव करेंगे। व्यावसायिक कार्य के संबंध में परेशानी बढ़ेगी। नौकरी में पदोन्नति होगी। सरकारी कार्यों में सफलता मिलेगी। कुलदेवता का आशीर्वाद आपके साथ है।

शुभ रंग  =  उजला

शुभ अंक  :  4

कुंभ (Aquarius): आज आप अपने आपको अस्वस्थ महसूस करेंगे, परंतु मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे। काम करने में उत्साह का अभाव रहेगा। ऑफिस में उच्च पदाधिकारियों से बचकर रहें। प्रतिस्पर्धियों के साथ दलीलों में उतरना उचित नहीं है। मौज-शौक के पीछे विशेष खर्च होगा। यात्रा का योग है। विदेशगमन की संभावनाएं पैदा होंगी। विदेश से समाचार मिलेगा। संतान की चिंता रहेगी।

शुभ रंग  =  फीरोजा़

शुभ अंक  :  6

मीन (Pisces): आकस्मिक धन लाभ का योग है। व्यापारीवर्ग के पीछे रुके हुए पैसे मिलेंगे। आज आपको शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक परिश्रम करने पड़ेंगे। स्वास्थ्य के मामले में ध्यान रखने की सलाह देते हैं। खर्च अधिक रहेगा। अनैतिक कामवृत्ति मुसीबत में डाल सकती है, आध्यात्मिक विचार और व्यवहार आपको कुमार्ग पर जाने से रोकेंगे।

शुभ रंग  =  पीला

शुभ अंक  :  9  

प्रेम सागर पाण्डेय् ,नक्षत्र ज्योतिष वास्तु अनुसंधान केन्द्र ,नि:शुल्क परामर्श -  रविवार , दूरभाष  9122608219  /  9835654844
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वायरलेस इयरबड का इस्तेमाल सेहत के लिए खतरनाक; इससे ब्रेन कैंसर और बहरेपन जैसी बीमारियों का जोखिम, जानिए कैसे बचें?

Posted: 25 Sep 2021 08:37 AM PDT

वायरलेस इयरबड का इस्तेमाल सेहत के लिए खतरनाक; इससे ब्रेन कैंसर और बहरेपन जैसी बीमारियों का जोखिम, जानिए कैसे बचें?

हमारे संवाददाता पप्पू कुमार की कलम से 

ब्लूटूथ हेडफोन का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है। मार्केट में कई तरह के नए एयरपॉड, इयरबड्स और वायरलेस नेकबैंड आ रहे हैं। छोटे ब्लूटूथ हेडफोन हैंडी और वायरलेस होने की वजह से लाइफ को आसान तो बनाते हैं, लेकिन इनसे निकलने वाले रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) रेडिएशन हेल्थ को काफी नुकसान भी पहुंचाते हैं। एक रिसर्च के अनुसार ब्लूटूथ इयरबड का ज्यादा इस्तेमाल ब्रेन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।

अमेरिका की द यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो में बायोकेमिस्ट्री के प्रोफेसर जेरी फिलिप्स के रिसर्च के अनुसार ब्लूटूथ या वायरलेस हेडफोन ब्रेन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है। इयरबड से निकलने वाली तरंगें ब्रेन टिश्यू को नुकसान पहुंचाती हैं। इसके अलावा न्यूरोलॉजिकल, जेनेटिक डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारियों का भी कारण बन सकती हैं। वायरलेस हेडफोन के ज्यादा इस्तेमाल से मेमोरी भी वीक हो सकती है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इससे सबसे ज्यादा खतरा है।

वायरलेस इयरबड का लगातार या लंबे समय तक इस्तेमाल क्यों खतरनाक है?

दरअसल ब्लूटूथ, रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) रेडिएशन की मदद से फोन या दूसरे उपकरणों से कनेक्ट होता है। इसी वजह से ब्लूटूथ हेडफोन में किसी तरह के केबल या वायर नहीं होते। वायरलेस होने की वजह से वाकिंग, एक्सरसाइज या दूसरे काम करते समय छोटे इयरबड्स से बात करना या गाना सुनना आसान होता है।

इयरबड्स से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती है। जेरी फिलिप्स के रिसर्च से पहले तकरीबन 42 देशों के 247 वैज्ञानिकों ने वायरलेस डिवाइस से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड से जुड़े स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में यूनाइटेड नेशन और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) में याचिका दर्ज की थी, जिसमें वायरलेस डिवाइस से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (EMF) के संपर्क से जुड़े स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में बताया गया था।

वैज्ञानिकों के अनुसार छोटे हेडफोन के रेडिएशन ब्रेन टिश्यू को डैमेज कर सकते हैं। लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से ब्रेन कैंसर तक हो सकता है। चूंकि छोटे इयरबड कान के अंदर इन्सर्ट किए जाते हैं। इसी वजह से ब्लूटूथ से निकलने वाले रेडिएशन कान और मस्तिष्क दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।

छोटे ब्लूटूथ हेडफोन से किस तरह का खतरा हो सकता है -

1. न्यूरोलॉजिकल बीमारियां: सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की एक रिपोर्ट के अनुसार नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन के डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में लगातार रहने से ब्रेन टिश्यू के डैमेज होने की आशंका होती है, जो न्यूरोलॉजिकल बीमारियां का कारण भी बन सकती हैं।

2. ब्रेन कैंसर: इयरबड्स से निकलने वाले रेडिएशन ब्रेन टिश्यू को नुकसान पहुंचते हैं, इसके अलावा अगर ब्रेन में पहले से कोई ट्यूमर है तो रेडिएशन उनको बढ़ाने का काम करते हैं जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।

3 . कान के पर्दे पर बुरा असर: हेडफोन के ज्यादा उपयोग से कान के पर्दे पर भी असर पड़ता है। तेज साउंड से कान के परदे पर लगातार वाइब्रेशन होता है, जिससे पर्दे के फटने की आशंका होती है।

4 . कम सुनाई देना या बहरापन: लगातार लंबे समय तक ऊंची आवाज में गाना सुनने से, कम सुनाई देने जैसे समस्या होती है। हमारे कानों की सुनने की क्षमता सिर्फ 90 डेसिबल है, जो धीरे-धीरे 40-50 डेसिबल तक कम हो जाती है। जिससे बहरेपन की शिकायत होने लगती है। कई बार लोग तेज हॉर्न की आवाज में भी नहीं सुन पाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।

5 . इन्फेक्शन का खतरा : किसी और के हेडफोन के इस्तेमाल से कान में इन्फेक्शन का खतरा होता है। अगर आप इन्फेक्शन से बचना चाहते हैं, तो हमेशा अपने हेडफोन का ही इस्तेमाल करें। अगर किसी और के हेडफोन का इस्तेमाल करना पड़े तो उसे पहले अच्छी तरह साफ कर लें।

6 . टिनिटस : ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीजों को लगातार कान में एक तरह की ध्वनि सुनाई देती है। इयरफोन पर तेज साउंड सुनने से ऐसा होने की आशंका बढ़ जाती है । डॉक्टरों की मानें तो तेज आवाज में गाना सुनने से कानों में छन-छन की आवाज आना, चक्कर आने जैसी समस्याएं होती हैं।

7 . सिर दर्द : वायरलेस इयरबड्स से निकलने वाले रेडिएशन की वजह से दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। कई बार सिर दर्द या नींद न आने जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं।

इयरबड्स गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए और भी ज्यादा खतरनाक

प्रेग्नेंसी के दौरान लंबे समय तक इयरबड्स पर गाना सुनना या देर तक बात करना और भी ज्यादा हानिकारक है। कुछ रिसर्चर्स का कहना है कि प्रेग्नेंसी के दौरान रेडिएशन वाले गैजेट्स का इस्तेमाल मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है। रेडिएशन का प्रभाव, प्रेग्नेंसी लॉस की आशंका को सामान्य से ज्यादा बढ़ा देता है। जबकि इसके प्रभाव से होने वाले बच्चे में एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होने की आशंका होती है। रिसर्चर्स गर्भवती महिलाओं को ब्लूटूथ इयरबड्स के अलावा दूसरे सभी ऐसे गैजेट से दूर रहने की सलाह देते हैं जिनसे नॉन-आयोनाइजिंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन उत्पन्न होते हैं ।

अमेरिका के कैलिफोर्निया के जॉन वेन कैंसर इंस्टिट्यूट के न्यूरो-ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. संतोष केसरी का कहना है कि ब्लूटूथ इयरबड्स बच्चों के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि बच्चों का सिर बड़ों की तुलना में छोटा होता है, इसलिए बच्चों के ब्रेन सेल्स को रेडिएशन का जोखिम ज्यादा है। बच्चों को इयरबड के इस्तेमाल से रोकना जरूरी है।

खुद को इस रेडिएशन से कैसे बचाएं?

मॉडर्न टेक्नोलॉजी और जरूरतों को देखते हुए इन उपकरणों को पूरी तरह से नजर अंदाज करना संभव नहीं है, लेकिन अगर इस्तेमाल करना ही पड़े तो इन बातों का ध्यान रखें...

• वायर्ड हेडफोन और स्पीकर का ज्यादा इस्तेमाल करें।

• फोन को 10 इंच की दूरी पर रख कर बात करें।

• उपयोग में न होने पर हैंडसेट, फोन, अन्य गैजेट्स को शरीर से दूर रखें।

• पिलो के नीचे फोन को रख कर न सोएं।

• लंबे समय तक वीडियो देखने या ऑडियो सुनने के लिए स्पीकर का इस्तेमाल करें।

• उपयोग में न होने पर वायरलेस डिवाइस को कान और सिर से हटा दें।

• सोते समय फोन और दूसरे गैजेट को दूर रखें।

• सस्ते इयरफोन की जगह अच्छी क्वालिटी के इयरफोन का ही इस्तेमाल करें।

• आपको दिनभर में 60 मिनट से ज्यादा इयरफोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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स्वामी सन्त संन्यास

Posted: 25 Sep 2021 08:32 AM PDT

स्वामी सन्त संन्यास

विविध शास्त्रों ने स्वामी, सन्त, संन्यास आदि शब्दों (पदों) को बड़ा ही महिमामंडित किया है, जिनकी परिभाषा और सीमा कलिकाल में आकर बिलकुल बदल गयी है। ये सभी शब्द अपना मौलिक अर्थ, भाव और गरिमा खो चुके हैं। इनका आन्तरिक स्वरुप बिलकुल बदल चुका है। बाहरी स्वरुप के नाम पर जटा-जूट, चीवर-चिमटा, माला-डोरा, गंडा-ताबीज़, टीक-टीका वगैरह पहले से भी अधिक घनीभूत हो गया है। जितनी लम्बी दाढ़ी, उतना बड़ा सन्त । और दाढ़ी लम्बी है, गले में पड़ी मालाओं की संख्या अधिक है, अंगीठी की सारी राख ललाट की शोभा बढ़ा रहा है, तो ऐसे में शिष्यों की मण्डली भी बड़ी होगी ही—निश्चित है। शिष्य ज्यादा होंगे तो चढ़ावा भी ज्यादा आयेगा ।
यही कारण है कि जीवन-रक्षक दवाइयों के कारोबार से भी बड़ा कारोबार है शान्ति-भंजक धर्म का । एक सर्वेक्षण के मुताबिक हमारे यहाँ धर्म का वार्षिक कारोबार तीन लाख तीस हजार करोड़ का है, जबकि दवा का कारोबार तीन लाख पन्द्रह हजार करोड़ का। हालाँकि नेतागिरि का कारोबार इससे भी कई गुना बड़ा होना चाहिए, परन्तु ये 'डिजिटल डाटा एन्ट्री' में नहीं आया है अभी तक शायद । आया भी होगा तो मुझे पता नहीं है।
हो सकता है मेरी ये बातें अटपटी लगें—शान्तिदायक धर्म भला शान्ति-भंजक कब से हो गया ! किन्तु इतिहास गवाह है कि आजतक जितने युद्ध हुए हैं, जितनी हत्यायें हुयी हैं, उनके लिए धार्मिक उन्माद विशेष उत्तरदायी है।
सच्चाई ये ये कि धर्म कभी उन्मादी नहीं हो सकता और उन्मादी को धर्म से कोई वास्ता नहीं होता।
दरअसल "धर्म" के मर्म को ठीक से समझने में ही चूक हुयी है, कमोवेश प्रायः हर युगों में। और कलियुग में तो धार्मिकता की बाढ़ आ गयी है। धर्म को हर व्यक्ति अपनी सुविधानुसार परिभाषित कर लिया है। परिणामतः बाहरी ढाँचा बहुत ही लुभावना हो गया है, भीतर सबकुछ पोला-पोला है। नेतागिरी, बाबागिरी और डॉक्टरी ये बेरोजगारी हल करने के सबसे आसान उपाय हैं ।
'जाति न पूछो साधु की'— कहा तो बिलकुल सही गया है, किन्तु समझा गया गलत ढंग से इस उक्ति को। भला साधु की जाति क्या पूछना ! जाति-धर्म-सम्प्रदाय, मानापमान, काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि से जो ऊपर उठ गया है, उसकी भला जाति ही क्या रह जायेगी । जाति तो मानव की होती है। महामानव तो देवता से भी ऊपर, ईश्वर के करीब होता है। साधु, सन्त, स्वामी, संन्यासी आदि शब्द इसी महामानव के ईर्दगिर्द चक्कर लगाते हैं। और ठीक से यदि परखने की क्षमता हो, तो स्पष्ट हो जायेगा कि आज के समय में इन शब्दों में समाने की क्षमता वाले एक भी नहीं हैं। वस सिर्फ ओढ़ लिए चादर की तरह इन शब्दों को, इन पदों को, साधु के बाने को, बाहरी ढाँचे को। ऐसे में निश्चित है कि ऊपर से ओढ़ी हुई चादर—काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर और अहंकारादि सप्तरिपुओं के झोंके में कभी भी उड़ सकती है और असली रुप उजागर हो सकता है।
स्मृतिकार कहते हैं— अश्वलम्भं गवालम्भं सन्यासं पलपैतृकम् ।
देवराच सुतोत्पतिः कलौ पञ्च विवर्जयेत् ॥
(अश्वमेधयज्ञ, गोमेधयज्ञ, संन्यासदीक्षा, मांस से पिण्डदान और देवरादि (परपुरुष) से सन्तानोत्पत्ति—ये पाँच काम बड़ी सख्ती से निषेध किया गया है कलियुग में।
सतयुगादि युगों की तुलना में कलियुग में बहुत सी वर्जनाएं हैं, तो बहुत सी सुविधाएं भी हैं। इस सम्बन्ध में स्मृति-धर्मशास्त्र चीख-चीखकर कह रहे हैं। किन्तु उन आदेशों-निर्देशों को हम मानेंगे तब न । तथाकथित धर्मनिर्पेक्षता के कवच से सबकुछ आवर्णित-रक्षित है।
लोकतन्त्र में सबकुछ लोकतान्त्रिक हो गया है। मनमानी करने की पूरी छूट है।
स्वामी, सन्त, संन्यासी भी इसी लोकतन्त्र का हिस्सा हैं। फिर वो मनमानी क्यों न करे !
घर-परिवार की छोटी सी जिम्मेवारी निभती नहीं, तो इसे त्याग कर संन्यास ले लेते हैं। और संन्यास लेकर चेले-चेलियों का बड़ा सा परिवार जुटा लेते हैं। सीमित पारिवारिक दायित्व में जो नहीं मिल सकता था, उससे कई गुना ज्यादा वहाँ मिल जाता है। वीधे-दो वीधे जमीन की व्यवस्था को कौन कहें, हजारों हजार एकड़ जमीनें मठाधीन हैं। करोड़ों-अरबों की दौलत है। भोगो जितना राज भोग सकते हो—संन्यासी और मठाधीश बन कर।
'भोग' अपने साथ अनेक दुर्गुण लेकर आता है। सुविधाएं अपने साथ अनेक असुविधाएं भी लेकर आती हैं। राग है तो द्वेष भी रहेगा ही। सम्पत्ति के साथ विपत्ति का चोली-दामन सम्बन्ध है। सिक्के के किसी एक पहलु पर स्थिर या निर्भर नहीं रहा जा सकता।
एक गृहस्थ जीवन में जितनी तृष्णा है उससे कहीं अधिक तृणा उनमें दर्शित होती है, जो गृहस्थी त्याग चुके हैं। एक कटु सत्य है कि ब्रह्मचारी के जीवन का निन्यानबे प्रतिशत समय ब्रह्मचर्य से लड़ते हुए गुज़र जाता है। क्योंकि ब्रह्मचर्य उनके सामने एक दुर्जेय शत्रु की भाँति खड़ा होता है। और जब साधना का 'ककहरा' ही नहीं सधता, फिर बाकी किताबें पढ़ी कैसे जायेंगी !
सच पूछें तो गृहस्थाश्रम से पावन कोई और आश्रम नहीं हो सकता—विशेषकर कलिकाल में। गृहस्थ भी संन्यासी रह सकता है, सन्त हो सकता है, स्वामी हो सकता है। संन्यासी यदि गृहस्थी (सांसारिक जाल) में उलझता है तो उसका पतन सुनिश्चित है, जबकि गृहस्थ यदि संन्यासी सा जीवन व्यतीत कर ले, पारिवारिक जीवन में ही साधुता उतर जाए, सन्तत्व आ जाए, तो उसका मार्ग प्रशस्त है। मोक्ष सुनिश्चित है। अस्तु।
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वक्त है तुम्हारा : बदल दो तमाशा

Posted: 25 Sep 2021 08:27 AM PDT

वक्त है तुम्हारा : बदल दो तमाशा

सत्येन्द्र कुमार पाठक 
वक्त है तुम्हारा बदल दो तमाशा , 
दुनिया कितना सख्त है हमेशा ।।
कदम कदम  पर लोग टोकेंगे ।
हमें तुम्हें आगे बढ़ने से रोकेंगे ।।
खुद को बदलना  मजबूरी होगी ।
 अपनों आप से बहुत दूरी  होगी ।।
 आदत  , इबादत ,  फुरसत नहीं ।
वक्त  कहेगा हमेशा  कहावत  नहीं ।।
हर एक राजा , जीवन के बगल में ।
रहेगी  दासीयां , जीवन के महल में ।।
चूड़ियों की खनखन से ताना सुनेगी ।
हरदम आखों से आंसू वक्त में  बहेगी।।
नही बदलेगा जमाना ,  बदलना पड़ेगा ।
वक्त में  खुद को हमेशा बदलना पड़ेगा ।।
अपनो की दूरी से वक्त मिलती रहेगी । 
अच्छाइयों के बादल बरसती रहेगी ।।
बन्द सांसो की घुटन से मत ऊब जाना ।
नही  करना शिकायत न करना बहाना।।
दिल दर्द सहके सभी से  छुपाना पड़ेगा ।
मां सुलाएगी  सिर को सहलाकर ।
खिलाई गई है तुमको बहलाकर ।।
प्रत्येक  मोड़ पर साथ पहरा मिलेगा ।
हर पल मां की  ममता  गहरा मिलेगा ।।
रुको नहीं चलते रहो ममता की छांव में । 
सफलता मिलेगी मां पिता की पांव में ।।
बेटी है भारत की यह सबको दिखाकर ।
पढ़ लिखकर आगे बढ़ना हुनर बनाकर ।।
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जमशेदपुर : जिले के नौ इंस्पेक्टर का एसएसपी ने किया तबदला , बागबेड़ा और साकची थाना प्रभारी बदले गए , जाने कौन कहां गया पूरी जानकारी

Posted: 25 Sep 2021 12:15 AM PDT

जमशेदपुर : जिले के नौ इंस्पेक्टर का एसएसपी ने किया तबदला , बागबेड़ा और साकची थाना प्रभारी बदले गए , जाने कौन कहां गया पूरी जानकारी -- 

 जमशेदपुर से हमारे संवाददाता मुकेश कुमार कि रिपोर्ट 
पूर्वी सिंहभूम जिले के एसएसपी ने 9 इंस्पेक्टर का तबदला कर दिया है । एसएसपी डॉ एम तमिल वाणन ने जहां साकची थाना प्रभारी कुणाल कुमार को साइबर अपराध थाना भेजा है , तो वहीं बागबेड़ा थाना प्रभारी राजेश कुमार सिंह को साकची थाना की कमान सौंपी गई है । मानगो यातायात थाना प्रभारी नित्यानंद महतो को पुलिस केंद्र भेज दिया गया है । घाटशिला थाना प्रभारी इंद्रदेव राम को जादूगोड़ा का अंचल निरीक्षक बनाया गया है । जादूगोड़ा अंचल निरीक्षक शंभू प्रसाद गुप्ता घाटशिला थाना प्रभारी बनाए गए है । बिष्टुपुर यातायात थाना प्रभारी वीरेंद्र कुमार राजवंशी साइबर अपराध थाना भेज दिए गए है । साइबर अपराध थाना के राकेश कुमार को बिष्टुपुर यातायात थाना प्रभारी बनाया गया है । साइबर थाना के ही कौशेलंद्र कुमार झा को बागबेड़ा थाना प्रभारी बनाया गया है । रणविजय शर्मा को पुलिस केंद्र से मानगो यातायात थाना प्रभारी बनाया गया है ।
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मेरा बिहार

Posted: 25 Sep 2021 12:11 AM PDT

मेरा बिहार

      ---:भारतका एक ब्राह्मण.
         संजय कुमार मिश्र"अणु"
मेरा बिहार,
रखता है प्रतिभा पर-
अपना अधिकार एकाधिकार।।
यहां के कुछ लोग,
अपने राजनैतिक स्वार्थ में-
बना दिया पीछडा और बीमार।।
साधनहीन समाज में पल,
और बना रहा है स्वर्णिम कल-
प्रतिभा नहीं रहने देती है लाचार।।
देश की सर्वोच्च संस्था ने माना,
है बिहार ज्ञान-विज्ञान का खजाना-
बिहारी है सब पर भारी इस बार।।
भरी पडी है प्रज्ञा और मेधा,
जबकि यहाँ नहीं है कुछ सुविधा-
देने वाला समाज और सरकार।।
आदि काल से मेरा बिहार,
करते रहा है ज्ञान का प्रसार-
अदम्य जिजीविषा से जीत अंधकार।।
देखने में लगता है बेवकूफ गवांर,
पर होता है तेज और होशियार-
कुछ ऐसा कहता सुनता है संसार।।
----------------------------------------
वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२.
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ब्रह्मांड की पहचान 33 कोटि देवता

Posted: 25 Sep 2021 12:07 AM PDT

ब्रह्मांड की पहचान 33 कोटि देवता 

सत्येन्द्र कुमार पाठक 
सनातन धर्म संस्कृति और वेदन संहिताओं एवं स्मृतियों में ब्रह्मांड की पहचान 33 कोटि देवताओं में 12 आदित्य, 8 वसु,11 रुद्र और इन्द्र व प्रजापति को कुल 33 देवता का उल्लेख  हैं। दैत्यों, दानवों, गंधर्वों, नागों है। देवताओं के ब्रह्मा जी के पौत्र  ऋषि अंगिरा के पुत्र देव गुरु बृहस्पति हैं । देव गुरु बृहस्पति के पुत्र कच ने शुक्राचार्य से संजीवनी विद्या सीखी थी । ब्रह्मा जी के पौत्र  ऋषि भृगु के पुत्र दैत्यगुरु शुक्राचार्य हैं। भृगु ऋषि तथा हिरण्यकशिपु की पुत्री दिव्या के पुत्र शुक्राचार्य की कन्या का नाम देवयानी तथा पुत्र का नाम शंद और अमर्क था। देवयानी ने ययाति से विवाह किया था। ऋषि कश्यप की पत्नी अदिति से जन्मे पुत्रों को आदित्य कहा गया है। वेदों में जहां अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है, वहीं सूर्य को आदित्य कहा गया है। वैदिक या आर्य लोग दोनों की ही स्तुति करते थे। इसका यह मतलब नहीं कि आदित्य ही सूर्य है या सूर्य ही आदित्य है। आदित्यों को सौर-देवताओं में शामिल किया गया है और उन्हें सौर मंडल का कार्य सौंपा गया है। कश्यप ऋषि की पत्नी अदिति से उत्पन्न 12 पुत्र में अंशुमान, अर्यमन, इन्द्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और विष्णु 12 मास समर्पित हैं। पुराणों में धाता, मित्र, अर्यमा, शुक्र, वरुण, अंश, भग, विवस्वान, पूषा, सविता, त्वष्टा एवं विष्णु आदित्य है ।
1. इन्द्र आदित्य  :यह भगवान सूर्य का प्रथम रूप  देवों के राजा के रूप में आदित्य स्वरूप हैं। इनकी शक्ति असीम है। इन्द्रियों पर इनका अधिकार है। शत्रुओं का दमन और देवों की रक्षा का भार इन्हीं पर है।इन्द्र को सभी देवताओं का राजा माना जाता है। वही वर्षा पैदा करता है और वही स्वर्ग पर शासन करता है। वह बादलों और विद्युत का देवता है। इन्द्र की पत्नी इन्द्राणी थी। छल-कपट के कारण इन्द्र की प्रतिष्ठा ज्यादा नहीं रही। इसी इन्द्र के नाम पर आगे चलकर जिसने भी स्वर्ग पर शासन करने के कारण इन्द्र  कहा जता है ।  तिब्बत के पास इंद्रलोक था। कैलाश पर्वत के कई योजन उपर स्वर्ग लोक है।इन्द्र किसी साधु और धरती के राजा को अपने से शक्तिशाली नहीं बनने देते थे। इसलिए वे कभी तपस्वियों को अप्सराओं से मोहित कर पथभ्रष्ट कर देते हैं , कभी राजाओं के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े चुरा लेते हैं।
ऋग्वेद के तीसरे मंडल के वर्णनानुसार इन्द्र ने विपाशा (व्यास) तथा शतद्रु नदियों के अथाह जल को सुखा दिया जिससे भरतों की सेना आसानी से इन नदियों को पार कर गई। दशराज्य युद्ध में इन्द्र ने भरतों का साथ दिया था। सफेद हाथी पर सवार इन्द्र का अस्त्र वज्र है और वह अपार शक्ति संपन्न देव है। इन्द्र की सभा में गंधर्व संगीत से और अप्सराएं नृत्य कर देवताओं का मनोरंजन करते हैं। 2. धाताआदित्य  :धाता  आदित्य। को  श्रीविग्रह के रूप में जाना जाता है। ये प्रजापति के रूप में जाने जाते हैं। जन समुदाय की सृष्टि में इन्हीं का योगदान है। व्यक्ति सामाजिक नियमों का पालन नहीं करते और व्यक्ति धर्म का अपमान करता है उन पर इनकी नजर रहती है। इन्हें सृष्टिकर्ता भी कहा जाता है।
3. पर्जन्य आदित्य  :पर्जन्य तीसरे आदित्य  मेघों में निवास करते हैं। इनका मेघों पर नियंत्रण हैं। वर्षा के होने तथा किरणों के प्रभाव से मेघों का जल बरसता है। ये धरती के ताप को शांत करते हैं और फिर से जीवन का संचार करते हैं। इनके बगैर धरती पर जीवन संभव नहीं है । 4. त्वष्टा आदित्य :  श्रीत्वष्टा का निवास स्थान वनस्पति में है। पेड़-पौधों में यही व्याप्त हैं। औषधियों में निवास करने वाले हैं। इनके तेज से प्रकृति की वनस्पति में तेज व्याप्त है जिसके द्वारा जीवन को आधार प्राप्त होता है।त्वष्टा के पुत्र विश्वरूप। विश्वरूप की माता असुर कुल की थीं अतः वे चुपचाप असुरों का  सहयोग करते रहे है । एक दिन इन्द्र ने क्रोध में आकर वेदाध्ययन करते विश्वरूप का सिर काट दिया। इससे इन्द्र को ब्रह्महत्या का पाप लगा। इधर, त्वष्टा ऋषि ने पुत्रहत्या से क्रुद्ध होकर अपने तप के प्रभाव से महापराक्रमी वृत्तासुर नामक एक भयंकर असुर को प्रकट करके इन्द्र के पीछे लगा दिया। ब्रह्माजी ने कहा कि यदि नैमिषारण्य में तपस्यारत महर्षि दधीचि अपनी अस्थियां उन्हें दान में दें दें तो वे उनसे वज्र का निर्माण कर वृत्तासुर को मार सकते हैं। ब्रह्माजी से वृत्तासुर को मारने का उपाय जानकर देवराज इन्द्र देवताओं सहित नैमिषारण्य की ओर दौड़ पड़े थे । 5. पूषा आदित्य :  आदित्य पूषा का निवास अन्न में  है। समस्त प्रकार के धान्यों में ये विराजमान हैं। इन्हीं के द्वारा अन्न में पौष्टिकता एवं ऊर्जा आती है। अनाज में  स्वाद और रस मौजूद होता है वह इन्हीं के तेज से आता है। 6. अर्यमन आदित्य :  अर्यमा आदित्य  सौर-देवताओं में अर्यमन या अर्यमा को पितरों का देवता  कहा जाता है। आकाश में आकाशगंगा उन्हीं के मार्ग का सूचक है। सूर्य से संबंधित  देवता का अधिकार प्रात: और रात्रि के चक्र पर है।आदित्य का छठा रूप अर्यमा नाम से जाना जाता है। ये वायु रूप में प्राणशक्ति का संचार करते हैं। चराचर जगत की जीवन शक्ति हैं। प्रकृति की आत्मा रूप में निवास करते हैं। 7. भग आदित्य  : भग आदित्य  प्राणियों की देह में अंग रूप में विद्यमान हैं। ये भग देव शरीर में चेतना, ऊर्जा शक्ति, काम शक्ति तथा जीवंतता की अभिव्यक्ति करते हैं। 8. विवस्वान आदित्य : आदित्य विवस्वान अग्निदेव में भगवान सूर्य से   तेज व ऊष्मा व्याप्त है । कृषि और फलों का पाचन, प्राणियों द्वारा खाए गए भोजन का पाचन अग्नि द्वारा होता है। विवस्वान आदित्य के पुत्र  वैवस्वत मनु द्वारा वैवस्वत मन्वन्तर की स्थापना किया गया है । 9. विष्णु आदित्य  : विष्णु आदित्य द्वारा देवताओं के शत्रुओं का संहार करने वाले  हैं। वे संसार के समस्त कष्टों से मुक्ति कराने वाले हैं। विष्णु  आदित्य के रूप में विष्णु ने त्रिविक्रम के रूप में जन्म लिया था। त्रिविक्रम को विष्णु का वामन अवतार  दैत्यराज बलि के काल में हुए थे। विष्णु  आदित्य पत्नी  लक्ष्मी हैं । विष्णु आदित्य को पालनहार  व , क्योंकि प्रार्थना करने से  समस्याओं का निदान होता है। भगवान  विष्णु द्वारा  मानव या अन्य रूप में अवतार लेकर धर्म और न्याय की रक्षा किया जाता  हैं। विष्णु की पत्नी लक्ष्मी सुख, शांति और समृद्धि देती हैं। विष्णु आदित्य  ब्रह्मांड  का अणु है । 10. अंशुमान : अंशुमान आदित्य वायु रूप में  प्राण तत्व बनकर देह में विराजमान से जीवन सजग और तेज पूर्ण रहता है। 11. वरुण आदित्य : वरुण आदित्य जल तत्व का प्रतीक व  मनुष्य में विराजमान हैं । जीवन बनकर समस्त प्रकृति के जीवन का आधार हैं। जल के अभाव में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। वरुण को असुर समर्थक कहा जाता है। वरुण देवलोक में सभी सितारों का मार्ग निर्धारित करते हैं। वरुण आदित्य देवताओं और असुरों को  सहायता करते हैं। ये समुद्र के देवता और विश्व के नियामक और शासक, सत्य का प्रतीक, ऋतु परिवर्तन एवं दिन-रात के कर्ता-धर्ता, आकाश, पृथ्वी एवं सूर्य के निर्माता है एवं  जादुई शक्ति माया है ।  वरुण  पारसी धर्म में 'अहुरा मज़्दा' कहलाए है । 12. मित्र आदित्य :  मित्र आदित्य द्वारा विश्व के कल्याण हेतु तपस्या करने वाले, साधुओं का कल्याण करने की क्षमता रखने वाले मित्र देवता और 12 आदित्य सृष्टि के विकास क्रम में महत्वपूर्ण समन्वय स्थापित करते हैं।
शाकद्वीप का स्वामी  महात्मा भव्य द्वारा शाकद्वीप को जलद ,कुमार ,सुकुमार ,मनिरक ,कुसुमोद ,गेदकी और महाद्रुम वर्ष अर्थात देश की स्थापना कर उदयगिरि , जलधार ,रैवतक ,श्याम ,अमभोगिरि ,आस्तिकेय  एवं केसरी पर्वत को शामिल किया गया था । शाकद्वीप में सुकुमारी , कुमारी ,नलिनी , रेणुका , इक्षु , धेनुका और गभस्ति नदियाँ प्रविहित है ।शाकद्वीप के निवासी भगवान सूर्य के 12 आदित्यों की उपासना करते है । शाकद्वीप में मग , मागध। , मानस और मंदग वर्ण द्वारा भगवान विष्णु आदित्य की उपासना करते है । शाकद्वीप में सौर धर्म का प्रारंभ मग ( ब्राह्मण ) द्वारा किया एवं भगवान सूर्य की उपासना के लिए 12 आदित्यों की उपासना स्थल की स्थापना की गई तथा आयुर्वेद का विकास भगवान सूर्य की पत्नी संज्ञा के पुत्र  देव वैद्य अश्विनी कुमार द्वारा  चिकित्सीय कार्यो को विस्तृत रूप में स्थापना की गयी थी । ऋग्वेद में अश्विनी कुमारों का उल्लेख है ।
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