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Wednesday, July 29, 2020

प्राइमरी का मास्टर ● इन

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बिना सुरक्षा किट दिए लगाई शिक्षकों की ड्यूटी, वेतन रोके जाने के डर से शिक्षक कर रहे हैं सर्वे, उपज रहा है आक्रोश

Posted: 28 Jul 2020 09:57 PM PDT

बिना सुरक्षा किट दिए लगाई शिक्षकों की ड्यूटी, वेतन रोके जाने के डर से शिक्षक कर रहे हैं सर्वे, उपज रहा है आक्रोश


लखनऊ। कोरोना के लक्षण जानने के लिए परिषदीय विद्यालयों के 600 से ज्यादा शिक्षकों को स्वास्थ्य सर्वे के लिए तैनात कर दिया गया है। मगर उन्हें सुरक्षा किट तक मुहैया नहीं कराई गई है। इससे शिक्षकों में आक्रोश है। शिक्षक का कहना है कि उन्होंने स्वास्थ्य सर्वे नहीं किया तो वेतन रोक दिया जाएगा। अपनी सुरक्षा दांव पर लगाकर वे सर्वे का काम कर रहे हैं। 


परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को कोविड 19 के सर्वे कार्य में लगा दिया गया है। शिक्षकों को रोजाना घर-घर जाकर स्वास्थ्य सर्वे करना है। लेकिन इस कार्य के लिए शिक्षकों को एक भी सुरक्षा किट मुहैया नहीं कराई गई है। शिक्षक खुद ही अपना मास्क, शील्ड, ग्लव्स, सैनिटाइजर आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं। शिक्षकों को संक्रमित क्षेत्र में भी जाना पड़ रहा है। इससे शिक्षकों को खुद संक्रमित होने का डर है। सर्वे के लिए भी सबसे ज्यादा शिक्षकों तैनात की गई है। इसको लेकर शिक्षकों में गहरा 1. रोष है। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने सरकार से मांग की है कि शिक्षकों को भी कोरोना योद्धाओं की भांति सुविधाएं मिलें।


होम आइसोलेशन और अंतिम संस्कार की निगरानी के लिए नोडल नामित

लखनऊ। कोविड संक्रमितों को होम आइसोलेशन में रख कर तय प्रोटोकॉल के तहत इलाज मुहैया हो रहा है या नहीं इसकी निगरानी के लिए एडीएम प्रशासन अमर पाल सिंह को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। यह जानकारी डीएम अभिषेक प्रकाश ने दी। उन्होंने बताया कि होम आइसोलेशन के दौरान किसी भी तरह की परेशानी होने पर सीधे नोडल प्रभारी के मोबाइल नम्बर 9415005002 पर संपर्क कर शिकायत दर्ज कराई जा सकेगी। 


नोडल प्रभारी नियमित तौर पर नगर आयुक्त व सीएमओ से सामंजस्य बना कर इसकी अपडेट रिपोर्ट मंडलायुक्त को दंगे। डीएम ने इसके साथ ही संक्रमण से होने वाली मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत परिजनों की मौजूदगी में जल्दी से जल्दी करवाने की जिम्मेदारी भी बता प्रभारी एडीएम प्रशासन को सौपी है। इसके लिए कोविड संक्रमितों के इलाज को चित लेवल एक, दो और तीन के अस्पतालों में एक एक लेखपाल की तैनाती भी की जाएगी।

प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना केसों के चलते शिक्षकों ने की सरकार से कर्मचारियों की भांति रोस्टर की मांग

Posted: 28 Jul 2020 09:54 PM PDT

प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना केसों के चलते शिक्षकों ने की सरकार से कर्मचारियों की भांति रोस्टर की मांग


प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, मंगलवार को 3490 नये केस आये तो अब तक कुल संख्या 74 हजार के करीब हो चुकी है। इस बीच शिक्षकों ने सरकार से गुहार से लगायी है कि जिस तरह से सचिवालय में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को बुलाकर काम कराया जा रहा है उसी तरह से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को बुलाया जाना चाहिए। 



इस बारे में शिक्षक संगठनों ने भी सरकार से अपील की है शिक्षकों को रोस्टर के हिसाब से बुलाया जायेगा तो उनको आने में कोई परेशानी नहीं होगी। वहीं कई शिक्षक आक्रोशित भी हैं कि शिक्षकों का कहना है कि विद्यालय आते-आते कई शिक्षक बुखार से पीड़ित हैं लेकिन अधिकारियों के आदेश के चलते फिर भी उन्हें आना पड़ रहा है। शिक्षकों कहना है कि मौजूदा समय में सवारी साधन की भी स्थिति इतनी खराब है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है। उसके बाद भी शिक्षकों की ड्यूटी घर-घर अभिभावकों से मिलने के लिए कोरोनावायरस के रूप में लगा दी गयी है। इस संबंध में शिक्षक यह भी कहते हैं कि अन्य सरकारी कर्मचारियों को कोरोना वायरस सरकार ने माना है तो उनके लिए उचित मुवाअजा भी निर्धारित किया गया है, लेकिन यहां तो मौत होने के बाद उनकी पेंशन तक नहीं है।


यात्रा के दौरान कोरोना का ज्यादा खतरा

लखनऊ मंडल में आने वाले लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, लखीमपुर के अधिकांश शिक्षकों का कहना है कि जब वह बस या मैक्सी कैब से यात्रा करके अपने विद्यालय पहुंचते है तो इस दौरान सवारियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाता है, इस स्थिति में कभी भी कोरोना वायरस फैल सकता है।


बीआरसी पर भी बढ़ा खतरा

वहीं ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर कार्यालय बीआरसी पर भी कोरोना का खतरा बढ़ रहा है, मानव संपदा पोर्टल पर चल रहे कार्य के चलते शिक्षक भारी संख्या  में बीआरसी पर पहुंच रहे हैं, जहां न तो सोशल डिस्टेसिंग का पालन हो पा रहा है न ही वेबसाइट चलने से कार्य में तेजी आ पा रही है। 


"प्रदेश में कोरोना के तेजी से मामले बढ़ रहे हैं। शिक्षक जिस तरह सवारी करके विद्यालय पहुंच रहे है, ऐसे में रोस्टर लागू किया जाना बहुत जरूरी हैं नहीं तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।" -महेश मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ

"स्कूल में जो भी कार्य हैं वह रोस्टर के हिसाब से शिक्षक जाये तो भी किए जा सकते हैं, कोई भी शिक्षक अपने कामों से नहीं भाग रहा है, और फिर जब सचिवालय में रोस्टरलागू है तो विद्यालय में क्यों नहीं?" -विनय कुमार सिंह, प्रांतीय अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन

कोरोना संक्रमण की स्थिति में बीएड की प्रवेश परीक्षा आयोजन पर अभ्यर्थियों ने उठाए सवाल

Posted: 28 Jul 2020 06:46 PM PDT

कोरोना संक्रमण की स्थिति में  बीएड की प्रवेश परीक्षा पर अभ्यर्थियों ने उठाए सवाल

 
कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस हालात में 9 अगस्त को प्रस्तावित बीएड प्रवेश परीक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से प्रवेश पत्र जारी करने के बाद अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई है। 


अभ्यर्थी शक्ति राजभर ने सोशल मीडिया पर अपना प्रवेश पत्रसाझा किया है। वह कहते हैं कि उन्होंने प्रयागराज, कानपुर और लखनऊ के परीक्षा केन्द्रों पर पेपर देने का विकल्प भरा था। उन्हें 250 किमी दूर बलरामपुर में एमएलके पीजी कॉलेज में परीक्षा केन्द्र आवंटित किया गया है। 


प्रयागराज के बृजेश सिंह लिखते हैं कि उन्होंने प्रयागराज में परीक्षा केन्द्र का विकल्प भरा था। केन्द्र इटावा में दिया गया है। कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात में परीक्षा देने जाने का मतलब जान जोखिम में डालना है। प्रति आजाद लखनऊ विश्वविद्यालय को अपनी आपत्ति टैग करते हुए सोशल मीडिया में लिखा है कि कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं। विवि प्रशासन को व्यवहारिक सोच के साथ इस परीक्षा पर फैसला लेना चाहिए। अंकित गौर लिखते हैं कि इन हालात में अभ्यर्थी न तो परीक्षा केन्द्र तक पहुंचेंगे.


तैयारियों पर वीडियो जारी किया 
बीएड प्रवेश परीक्षा करा रहे लविवि की ओर से तैयारियों को लेकर एक वीडियो जारी किया गया है। इसमें, राज्य समन्वयक प्रो. अमिता बाजपेई का कहना है कि प्रथम, द्वितीय और तृतीय वरीयता के आधार पर केन्द्र आवंटित करने के बाद भी बहुत अधिक संख्या में अभ्यर्थी बच गए हैं। उनको अन्य शहरों में भेजा गया है। दावा है कि अभ्यर्थियों की सुविधा प्राथमिकता रही है। | से अपील है कि वह निश्चित होकर केन्द्रों पर जाकर परीक्षा दें। और न ही परीक्षा दे पाएंगे। 


अभ्यर्थी रानू कुमार ने लिखा है कि परीक्षा केन्द्रों पर भीड़भाड़ के माहौल में अगर सिर्फ एक सैनिटाइजर की बोतल और मास्क काफी होता तो देश में इस बीमारी को लेकर इतनी खतरा न बढ़ता।

सीएम तक पहुंची शिक्षक भर्ती की शिकायत, मानक के विपरीत शिक्षकों की नियुक्ति का मामला

Posted: 28 Jul 2020 06:33 PM PDT

सीएम तक पहुंची शिक्षक भर्ती की शिकायत, मानक के विपरीत शिक्षकों की नियुक्ति का मामला
 

प्रयागराज : 69 हजार शिक्षक भर्ती का प्रकरण अभी शांत भी नहीं हुआ कि सहायता प्राप्त विद्यालयों में मानक के विपरीत शिक्षकों की नियुक्ति का मामला सामने आया है। इस प्रकरण की शिकायत भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री से की है।


सत्र 2015-16 में जिले भर के दर्जनभर सहायता प्राप्त विद्यालयों में करीब सौ शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। इसमें राधा रमण इंटर कालेज, मैरीवाना मेकर, द्वारका प्रसाद गल्र्स कालेज, रमा देवी इंटर कालेज आदि हैं। इन स्कूलों में दो से लेकर दस शिक्षकों की नियुक्ति की गई। यह नियुक्ति शुरुआत से ही विवादों में रही। 


पिछले दिनों भाजपा नेता दिवाकर त्रिपाठी ने आरटीआइ के जरिए नियुक्ति के सभी दस्तावेज डीआइओएस से मांगे। आरटीआइ के जरिए सामने आए दस्तावेजों से पता चला कि इन स्कूलों में भर्ती के विज्ञापन मानक के विपरीत निकाले गए थे। उस विज्ञापन में भर्ती का फार्मेट नहीं दिया गया था बल्कि केवल सूचना निकाली गई। कई स्कूलों में बच्चों की संख्या बहुत कम थी, उसके बावजूद शिक्षक पद स्वीकृत कर भर्ती की गई। 


भाजपा नेता दिवाकर त्रिपाठी ने नियुक्ति में मिली भगत का आरोप लगाया। उन्होंने मुख्यमंत्री को शिकायत कर आरोपितों पर कार्रवाई की मांग की है। डीआइओएस आरएन विश्वकर्मा ने बताया कि भर्ती का विज्ञापन विद्यालय प्रबंधन ने दिया था। यह सभी नियुक्तियां नियमानुसार हुई हैं। भाजपा नेता के आरोप निराधार हैं।

चित्रकूट मण्डल : चार फीसदी पर अटकी राशन और कन्वर्जन कास्ट की योजना, छह लाख में से 24 हजार बालकों को ही मिल पाया लाभ

Posted: 28 Jul 2020 06:33 PM PDT

चित्रकूट मण्डल : चार फीसदी पर अटकी राशन और कन्वर्जन कास्ट की योजना, छह लाख में से 24 हजार बालकों को ही मिल पाया लाभ।

बांदा : लॉकडाउन के दौरान बंद परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को घर बैठे राशन व पैसा देने की योजना चित्रकूट धाम मंडल में परवान नहीं चढ़ पाई। महज चार फीसदी बच्चों को ही योजना का लाभ मिला है। चारों जनपदों में छह लाख बच्चों में सिर्फ 24 हजार बच्चों को ही पैसा और राशन मिला है। अधिकारी बजट का अभाव बता रहे हैं।




प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 24 मार्च से 26 जून तक बंद रहे परिषदीय स्कूलों के पहली कक्षा से 8वीं तक के बच्चों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत 76 दिन के मिड-डे मील का राशन और कन्वर्जन कास्ट का पैसा देने के निर्देश दिए थे। चित्रकूट धाम मंडल के चारों जनपदों में 9,684 विद्यालय हैं। इनमें 6,03,880 बच्चे पंजीकृत हैं। स्कूल बंद रहने के दौरान मिड-डे मील के राशन और कन्वर्जन कास्ट का लाभ सिर्फ 24,603 बच्चों को मिल पाया है। यह मात्र चार फीसदी है। 5,79,277 बच्चे राशन व पैसा पाने से वंचित हैं। परिषदीय व प्राइमरी स्कूल के प्रत्येक बच्चे को 76 दिन का राशन कुल 7 किलो 600 ग्राम और कन्वर्जन कास्ट प्रति बालक 4.14 रुपये की दर से तथा जूनियर में 11 किलो 400 ग्राम राशन और कन्वर्जन कास्ट प्रति बालक 5.66 रुपये की दर से दी जानी है। राशन कोटे की दुकान से मिलेगा। कन्वर्जन कास्ट का पैसा खाते में भेजा जाएगा।

लॉकडाउन में स्कूलों के बंद रहने की अवधि के मिड-डे मील के लिए शासन ने फिलहाल कुल 40 फीसदी बजट दिया है। यह खर्च किया जा चुका है। शेष बजट के लिए शासन को पत्र भेजकर अनुरोध किया गया है।

गंगा सिंह राजपूत, अपर निदेशक (बेसिक शिक्षा) चित्रकूट धाम मंडल, बांदा




लखनऊ : शिक्षकों के मूल शैक्षिक अभिलेख अब जांच के लिए नहीं जमा करवाए जाएंगे

Posted: 28 Jul 2020 05:54 PM PDT

लखनऊ : शिक्षकों के मूल शैक्षिक अभिलेख अब जांच के लिए नहीं जमा करवाए जाएंगे


उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने माध्यमिक शिक्षा विभाग व उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अभिलेखों की जांच के लिए शिक्षकों से किसी भी कीमत पर मूल अभिलेख जमा न करवाए जाएं। माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों के अभिलेखों की जांच के दौरान कई जिलों में शिक्षकों से मूल अभिलेख जमा करवाए जा रहे थे।


लखनऊ: दस्तावेज सत्यापन के लिए 22 में से पहुंचे दो कॉलेज, शैक्षिक प्रमाण पत्र समेत अन्य दस्तावेज जांचे जाने का सरकार का आदेश शिक्षकों को रास नहीं आ रहा
 

लखनऊ : शैक्षिक प्रमाण पत्र समेत अन्य दस्तावेज जांचे जाने का सरकार का आदेश शिक्षकों को रास नहीं आ रहा। दस्तावेज सत्यापन के लिए जुबली इंटर कॉलेज में पहले दिन मंगलवार को टीम इंतजार करती रही। 22 कॉलेजों के ¨प्रसिपलों को अपने-अपने शिक्षकों के दस्तावेज सत्यापन कराने के लिए पहुंचना था, मगर उसमें भी महज दो कॉलेज के ¨प्रसिपल ही पहुंचे। वे भी आधे-अधूरेदस्तावेज के साथ, जिन्हें टीम ने वापस कर दिया।


राजकीय जुबली इंटर कॉलेज में राजधानी के करीब डेढ़ सौ से अधिक सरकारी, एडेड और संस्कृत विद्यालयों के लगभग 3400 शिक्षकों के दस्तावेज सत्यापन होने हैं। पहले दिन यानी मंगलवार को 22 कॉलेजों को सत्यापन के लिए बुलाया गया था। जुबली इंटर कॉलेज के ¨प्रसिपल धीरेंद्र मिश्र ने बताया कि जो शिक्षक आए थे उनके दस्तावेज भी पूरे नहीं थे। इस कारण उन्हें पूरे दस्तावेज के साथ आने के लिए कहा गया है। सत्यापन कार्य 4 अगस्त तक चलेगा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री एवं प्रवक्ता डॉ. महेंद्र नाथ राय का कहना है कि कई शिक्षक ऐसे भी हैं, जिनके मूल शैक्षिक प्रमाणपत्र वर्षो पुराने होने के कारण खराब हो गए हैं।


प्रमाण पत्र गुम होने की दशा में उसे पुन: बनवाने के लिए संबंधित विश्वविद्यालय या संस्थान तक दौड़ लगाना शिक्षकों की मजबूरी बन जाएगी। महेंद्र नाथ राय ने कहा कि जब दस्तावेज की छायाप्रति से भी सत्यापन किया जा सकता है तो मूल प्रमाण पत्र क्यों जमा कराए जा रहे हैं? उन्होंने सरकार से मांग की है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए फिलहाल शिक्षकों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन का कार्य टाल दिया जाए।


पहले दिन नहीं खुल सका सत्यापन का खाता जुबली इंटर कॉलेज में सत्यापन के लिए स्कूलों का इंतजार करती रही टीम, जो पहुंचे भी वो आधे-अधूरे दस्तावेज के साथ

69000 शिक्षक भर्ती : पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों ने दिल्‍ली में ओबीसी आयोग पर दिया धरना

Posted: 28 Jul 2020 05:50 PM PDT

69000 शिक्षक भर्ती : पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों ने दिल्‍ली में ओबीसी आयोग पर दिया धरना
 


बेसिक शिक्षा परिषद में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में आरक्षण नियमों का पालन नहीं करने के बिरोध में पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों ने मंगलवार को नई दिल्‍ली स्थित राष्ट्रीय ओबीसी आयोग कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया।



अभ्यर्थियों ने आयोग से भर्ती में नियमानुसार आरक्षण व्यवस्था लागू कराने की मांग की। अभ्यर्थियों का कहना है कि राष्ट्रीय ओबीसी आयोग ने भर्ती पर रोक लगाते हुए बेसिक शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया, लेकिन विभाग ने अब तक नोटिस का जवाब तक नहीं दिया है। अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष लोकेश प्रजापति से मुलाकात की। 


प्रजापति ने आश्वासन दिया कि जब तक सरकार संतोषजनक जवाब नहीं देगी, तब तक भर्ती पर आयोग की रोक रहेगी। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का अहित नहीं होने दिया जाएगा। धरना- प्रदर्शन करने वालों में राजेश कुमार, विजय कुमार, , मनोज प्रजापति, सुशील कुमार, आशीष, लोहा सिंह पटेल समेत सैकड़ों अभ्यर्थी शामिल हुए।

सीबीएसई-आईसीएसई छोड़ यूपी बोर्ड के इंग्लिश मीडियम स्कूलों की ओर रुख, लॉक डाउन में खराब आर्थिक स्थिति के चलते अभिभावकों ने लिया फैसला

Posted: 28 Jul 2020 05:03 PM PDT

सीबीएसई-आईसीएसई छोड़ यूपी बोर्ड के इंग्लिश मीडियम स्कूलों की ओर रुख, लॉक डाउन में खराब आर्थिक स्थिति के चलते अभिभावकों ने लिया फैसला।

प्रयागराज : कोरोना महामारी से स्कूली बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई है। हालत यह है कि बड़ी संख्या में अभिभावकों ने बच्चों के स्कूल बदल दिए हैं। सीबीएसई आईसीएसई स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का अभिभावक एवं यूपी बोर्ड के इंग्लिश मीडियम स्कूलों में एडमिशन करा रहे हैं। उनका मानना है कि जब क्लास नहीं चलनी है तो सीबीएसई, आईसीएसई स्कूलों को मोटी फीस क्यों जमा करें, जबकि यूपी बोर्ड से जुड़े इंग्लिश मीडियम स्कूलों में बहुत कम फीस लगती है।





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अपने जनपद में पॉलीटेक्निक की प्रवेश परीक्षा दे सकेंगे छात्र

Posted: 28 Jul 2020 04:58 PM PDT

अपने जनपद में पॉलीटेक्निक की प्रवेश परीक्षा दे सकेंगे छात्र।

लखनऊ : कोरोना संक्रमण को देखते हुए छात्र अब अपने ही जिले में पॉलिटेक्निक प्रवेश परीक्षा दे सकेंगे। पहले जो परीक्षा केंद्र निर्धारित किए गए थे, उन्हें निरस्त कर दिया गया है। पॉलीटेक्निक संस्थानों में दाखिले के लिए 12 और 15 सितंबर पंजीकरण कराया है।



संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए 3,90,894 छात्रों ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के सचिव एसके वैश्य ने बताया कि छात्रों को अब अपने जिले में ही प्रवेश परीक्षा देने की सुविधा दी जा रही है ताकि उन्हें दूरस्थ जगहों पर न भटकना पड़े। प्रवेश परीक्षा केंद्र बनाने की प्रक्रिया में राजकीय और सहायता प्राप्त पॉलिटेक्निक संस्थानों को प्राथमिकता दी जा रही है। प्रदेश में 150 राजकीय और 19 अनुदानित पॉलीटेक्निक संस्थान हैं। सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए इन केंद्रों पर काफी संख्या में छात्र प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।

उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर गठित कमेटी परीक्षा केंद्रों और छात्रों की संख्या की समीक्षा कर रही है। यदि किसी जिले में छात्र ज्यादा होंगे तो दूसरे निजी कॉलेजों में परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा। इसके लिए निजी कॉलेजों से भी अनुमति पत्र मांगा जा रहा है। जिन पाठ्यक्रमों के लिए ऑनलाइन परीक्षा होगी, उनके लिए कंप्यूटर सेंटरों को परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा। परीक्षा केंद्र निर्धारित होते ही एडमिट कार्ड ऑनलाइन अपलोड कर दिए जाएंगे।

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