जनवादी पत्रकार संघ |
- मुख्यमंत्री जी ! गरीबों को उजाड़ने की कार्यवाही रोकी जाए
- आज शाम 7:00 बजे से 7 दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन
- संपादकीय /दुष्काल मे बुढ़ापा :हमसे क्या भूल हुई जो
- बार-बार लॉकडाउन की मजबूरी
- एक करोड़ से अधिक लागत से बनेगी हजीरा पर नवीन सब्जी मंडी- मंत्री श्री तोमर
मुख्यमंत्री जी ! गरीबों को उजाड़ने की कार्यवाही रोकी जाए Posted: 14 Jul 2020 02:39 AM PDT मुख्यमंत्री जी! गरीबों को उजाड़ने की कार्यवाही रोकी जाए, उन्हें आवास व पट्टे दिए जाएं। माकपा। जोरा, कैलारस - नगर के अंतर्गत विभिन्न बस्तियों में गरीब आवास बनाकर निवास कर रहे है। वर्तमान में कोविड-19 के प्रकोप के चलते गरीबों का रोजगार व धंधे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कई मोहल्लों में गरीब परिवार भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में गरीबों को यदि उजाड़ने की कार्यवाही की जायेगी, तो वे भुखमरी के साथ-साथ आवासहीन होंने से भी मारे जाएंगे । मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस मामले में मुख्यमंत्री के नाम तहसील कैलारस में ज्ञापन प्रस्तुत कर मांग की है कि गरीबों को नहीं उजाड़ा जाए। उन्हें आवास और पट्टे दिए जाएं । साथ ही जिन बस्तियों में पेयजल सड़क व बिजली की व्यवस्था नहीं है। वहां पर उपरोक्त व्यवस्था कराई जाए । सभी गैर करदाताओं को 10 किलो प्रति यूनिट मुफ्त खाद्यान्न मुहैया कराया जाए। साथ ही मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलनात्मक कार्यवाही करने की चेतावनी भी दी है। ज्ञापन प्रस्तुत करने वालों में नगर सचिव महेश प्रजापति, ओमप्रकाश श्रीवास, पूर्व पार्षद इब्राहिम शाह, मुन्नी बाई आदि प्रमुख हैं। मुख्यमंत्री सुनवाई करें। ===============मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल सदस्य एवं पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष अशोक तिवारी एवं माकपा जिला सचिव गया राम सिंह धाकड़ ने कहा है कि मुख्यमंत्री जी सुनवाई करें गरीबों को उजाड़ने के बजाय आवास व पट्टे दिलाने के साथ-साथ प्रधानमंत्री की घोषणा के परिपालन में सभी गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के निर्देश जारी करें। प्रेषक महेश प्रजापति माकपा जोरा कैलारस |
आज शाम 7:00 बजे से 7 दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन Posted: 13 Jul 2020 08:11 PM PDT क्राईसेस मैनेजमेंट की बैठक में लिया गया निर्णय कोविड -19 के बडते संक्रमण को देखते हुए ग्वालियर शहर में 7 दिन के लिए संपूर्ण लॉकडाउन (कर्फ्यू) लागू करने का निर्णय लिया गया है। इस दौरान आवश्यक वस्तुएं जिनमें दूध, सब्जी एवं दवाओं की उपलब्धता के लिए कुछ समय के लिए छूट रहेगी। शेष समय संपूर्ण शहर पूर्णत: बंद रहेगा। कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को क्राईसेस मैंनेजमेंट की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में लिए गए निर्णय को राज्य शासन को भेजा गया है। शासन से स्वीकृति प्राप्त होने के पश्चात लॉकडाउन के आदेश पारित किए जाएंगे। कोविड-19 के बडते संक्रमण के कारण ग्वालियर में मरीजों की संख्या बडने के कारण शहर में लॉकडाउन की आवश्यकता को देखते हुए कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में क्राईसेस मैनेजमेंट की बैठक में विस्तार से चर्चा कर महत्वपूर्ण निर्णय लिये गए। बैठक में क्षेत्रीय सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर, जिला पंचायत की प्रशासकीय समिति की अध्यक्ष श्रीमती मनीषा भुजवल यादव, पुलिस अधीक्षक श्री नवनीत भसीन, नगरनिगम आयुक्त श्री संदीप माकिन, एडीएम श्री किशोर कान्याल, एडीसनल एसपी श्री पंकज पाण्डे, भाजपा जिला अध्यक्ष श्री कमल माकीजानी, जिला कॉग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र शर्मा, पूर्व विधायक श्री रमेश अग्रवाल, श्री मदन कुशवाह, भाजपा के ग्रामीण अध्यक्ष श्री कौशल शर्मा, चेम्बर ऑफ कॉमर्स के सचिव श्री प्रवीण अग्रवाल, भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष श्री देवेश शर्मा, समाज सेवी श्री भूपेन्द्र जैन के साथ ही विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। क्राईसेस मैनजमेंट की बैठक में सर्वसम्म्ति से निर्णय लिया गया कि कोरोना के बढते प्रभाव को देखते हुए शहर में 7 दिन का संपूर्ण लॉकडाउन लागू किया जाए। लॉकडाउन लागू करने से पूर्व शहर वासियों को उसकी सूचना अवश्य दी जाए। लॉकडाउन के दौरान अनावश्यक रूप से लोग ना निकलें इसके लिए शक्ति से पालन भी सुनिश्चित किया जाए। आम नागरिकों के लिए आवश्यक वस्तुओं में दूध , सब्जी की उपलब्धता की व्यवस्था भी की जाए। इसके साथ ही चिन्हित मेडीकल स्टोर भी लोगों को दवा की उपलब्धता के लिए खुले रखे जाएं। बैठक में यह भी तय किया गया कि ऐसे उद्योग जिनमें श्रमिकों को वहीं पर रख कर कार्य कराया जा सकता है उन्हें अनुमति प्रदान की जाए। जिले की सीमा को सील किया जाए और आवश्यकता को देखते हुए शहर में आने व जाने वालों के लिए पास की व्यवस्था की जाए। बैठक में यह भी तय किया गया कि संक्रमण को देखते हुए लोगों में जागरूकता के लिए विशेष प्रयास किए जाए। क्राईसेस मैनेजमेंट की बैठक में क्षेत्रीय सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि कोरोना के संक्रमण को देखते हुए शहर में सात दिन का लॉकडाउन पूरी शक्ति के साथ लागू किया जाए। ..2 इसके साथ ही कोरोना की सेंपलिंग अधिक से अधिक की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन लागू करने से दो दिन पहले लोगों को उसकी सूचना अवश्य दी जाए। जिला पंचायत की प्रशासकीय समिति की अध्यक्ष श्रीमती मनीषा भुजवल यादव ने कहा कि शहरी क्षेत्र के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय किए जाऐं। पंचायतों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में भी लोग मास्क पहन कर ही घर से निकलें यह सुनिश्चित किया जाए। भाजपा के जिला अध्यक्ष श्री कमल माकीजानी ने कहा कि लॉकडाउन को लोग अब बहुत ही हल्के में ले रहे हैं। बढते हुए संक्रमण को देखते हुए सात दिन का कर्फ्यू लगाया जाना चाहिए। बैठक में काँग्रेस के जिला अध्यक्ष श्री देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि कोरोना के संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन अथवा कर्फ्यू लगाने की अपेक्षा लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ व्यवस्थाओं को और बेहतर किया जाना चाहिए। चेंम्बर ऑफ कॉमर्स के सचिव श्री प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि लॉकडाउन संक्रमण रोकने का उपाय नहीं है। शहर में शराब की दुकानें खुली रहें और लोग अन्य जिलों से शहर में आते रहें तो संक्रमण रूक नहीं सकता है। लॉकडाउन की अपेक्षा व्यवस्थाओं को और बेहतर करने के साथ साथ हमारे शहर में आयुर्वेद के जो बडे जानकार हैं और वेद्य हैं उनसे सलाह मसविरा किया जाना चाहिए। पूर्व विधायक श्री रमेश अग्रवाल ने बैठक में कहा कि व्यापारियों की स्थिति पहले ही खराब है ऐसे में सात दिन पुन: बाजार बंद करना ठीक नहीं है। बाजार बंद करने की अपेक्षा व्यवस्थाओं को और बेहतर करना चाहिए। पूर्व विधायक श्री मदन कुशवाह ने भी कहा कि संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन जरूरी है। समाजसेवी श्री भूपेन्द्र जैन ने भी लॉकडाउन की आवश्यकता बताते हुए कहा कि लॉकडाउन के दौरान गरीब एवं जरूरतमंदों की आवश्यकताओं को भी देखते हुए प्रबंध किए जाना चाहिए। इसके साथ ही शहर में आने एवं जाने वालों के लिए पास की व्यवस्था भी होनी चाहिए। भाजपा के ग्रामीण अध्यक्षय श्री कौशल शर्मा ने भी संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन को आवश्यक बताया। कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने बैठक में कहा कि क्राईसेस मैनेजमेंट की बैठक में जो महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए हैं उनके आधार पर प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जा रहा है। शासन की अनुमति के पश्चात ही विधवत आदेश पारित किए जायेंगे। आदेश पारित करने से पूर्व लोगों को इसकी सूचना दी जाएगी। उसके पश्चात ही लॉकडाउन लागू किया जाएगा। पुलिस अधीक्षक श्री नवनीत भसीन ने कहा कि बढते हुए संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन आवश्यक है। इसके साथ ही हम सब को भी लोगों को जागरूक करने और संक्रमण की रोकथाम के लिए सावधानी बरतने की अपील आमजनों से करना चाहिए। इसके साथ ही शहर में सामाजिक, धार्मिक एवं राजनैतिक ऐसे कोई कार्यक्रम आयोजित ना किए जाऐं जिनमें बडी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। क्राईसेस मैनेजमेंट के सभी सदस्य भी इस दिशा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करें तथा आमजनों को भी कोरोना से संक्रमण की रोकथाम हेतु सावधानी बरतने की अपील करें। |
संपादकीय /दुष्काल मे बुढ़ापा :हमसे क्या भूल हुई जो Posted: 13 Jul 2020 08:04 PM PDT १४ ०७ २०२० *दुष्काल में बुढापा : हमसे क्या भूल हुई, जो ये .....!* कोविड-१९ का दुष्काल सबसे ज्यादा कठिन समय वरिष्ठ नागरिकों के लिए लेकर आया है |इनको विकट स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।वर्तमान स्थिति में ९० प्रतिशत अंतः एवं बाह्य रोगी अस्पताल सेवाएं बंद पड़ी हैं। वरिष्ठ नागरिकों न केवल कोरोना वायरस से संक्रमित होने और इसका परिणाम जानलेवा बनने का खतरा ज्यादा है बल्कि पहले से अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, मसलन हृदय रोग, मधुमेह या मोटापा इत्यादि से ग्रस्त होनेके कारण स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रतिकूलता ज्यादा है | सच में वरिष्ठ नागरिकों को गैर-कोविड संक्रमण और गैर-छूत रोगों से भी उतना ही खतरा है, जितना कि कोरोना वायरस से। एक सर्वे के अनुसार कोरोना काल में ही लगभग लाखों लोगों में तपेदिक रोग पनप सकता है और इनमें से बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिक इसकी चपेट में आ सकते हैं | हृदय, फेफड़ों, गुर्दा, दिमाग, लीवर, कैंसर या मनोरोग इत्यादि बीमारियों से ग्रस्त बड़ी उम्र के लोगों के इलाज में कोरोना काल का यह लम्बा एकांतवास ज्यादा कष्टदायक होने जा रहा है| ज्यादातर मामलों में इलाज में यह अंतराल और अधिक गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है । गैर कोविड-१९ मरीजों के लिए अस्पताल वाले अभी भी बाह्य रोग विभाग खोलने को तैयार नहीं हैं।निजी चिकित्सक आपदा के अवसर को पूरी तरह नहीं बुरी तरह लूट रहे हैं | सब जानते है वरिष्ठ नागरिकों में लगभग ७० प्रतिशत पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं झेल रहे हैं जो इस काल के दौरान और गंभीर बन गई हैं |आज सबसे ज्यादा तकलीफ यही वर्ग झेल रहा है। शारीरिक व्याधियों के अलावा वरिष्ठ नागरिकों की भावनात्मक एवं मानसिक समस्याएं जैसे कि व्यग्रता, अवसाद, उनींदापन, नींद न आना, संत्रास, गुस्सैलपन, नाउम्मीदी, आलस्य और आत्मघाती प्रवृत्ति बनना जैसी मानसिक स्थितियां बनने कोई इंकार नहीं कर सकता है। एक अध्ययन के अनुसार लगभग ६५ प्रतिशत वरिष्ठ नागरिकों को शिकायत है कि लॉकडाउन की वजह से उनकी आजादी, स्वाभिमान और यहां तक कि गरिमा पर गहरा असर हुआ है क्योंकि उन्हें मूल आवश्यकताओं के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहना पड़ा है। कहने को राष्ट्रीय तालाबंदी [लॉक डाउन ] लगभग खत्म हो चुकी है, इसके बावजूद ६५ साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए प्रतिबंध अभी भी कायम हैं , उन्हें बाहर निकलने की मनाही है। इसलिए स्वास्थ्य संबंधी या सुबह की सैर जैसी आम क्रियाओं में राहत मिलने की उम्मीद फिलहाल दिखाई नहीं दे रही है। मुंह पर मास्क का प्रयोग अनिवार्य बनाना बेशक सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है, लेकिन जिनको पहले से ही श्वास संबंधी समस्या है, उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए इस निर्देश ने और तंगी खड़ी कर दी है। वरिष्ठ नागरिकों को घर की चारदीवारी तक सीमित होकर रहना पड़ रहा है, ऐसे में अधिकतर टेलीविजन, कंप्यूटर या मोबाइल फोन इत्यादि चिपके रहने के अलावा कोई विकल्प नही है । लंबे समय तक इनके प्रयोग से दृष्टि में धुंधलापन, आंखों में खुजली-जलन या तीखा सिरदर्द होना आम शिकायत है। लंबे समय तक एक मुद्रा में बैठे अथवा लेटे रहने की वजह से उन्हें शरीर में कई जगह दर्द और ऐंठन का सामना करना पड़ रहा है। क्षीण होती जा रही जीवनशक्ति, अपनों की उपेक्षा के चलते यूं भी वरिष्ठ नागरिक अपने ही घर में हाशिए पर होते हैं। मीडिया में रात-दिन चल रही खबरें कि कोविड-१९ से बुजुर्ग सबसे ज्यादा मर रहे हैं रोज डराती हैं | यह मनोवस्था-सामाजिक असुरक्षा से उनके अंदर एकाकीपन, व्यग्रता और अनिश्चितता की भावना भर रही है, जिससे आगे अवसाद संबंधी मुश्किलें, नींद न आना और गहरा अवसाद पैदा हो सकता है। अकेला पड़ने या प्रियजनों से दूर होने पर पैदा हुई उदासी और छिन जाने की भावना बहुत गहरी और दीर्घकालीन असर दिखा सकती है। सरकारी एजेंसियां, गैर-सरकारी संगठन, परिवार और देखभालकर्मी मिलकर बुजुर्गों को सामाजिक, भावनात्मक, मेडिकल और खुशमिजाजी का संबल दे सकते हैं। अस्पताल उनके लिए आखिरी विकल्प होना चाहिए। अभी तो ये वरिष्ठ नागरिक सिर्फ यही सोच रहे हैं, "हमसे क्या भूल हुई, जो ये सजा ....." |
Posted: 13 Jul 2020 08:19 PM PDT ******************************* मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर समेत देश के अनेक शहरों में प्रशासन को दोबारा 'लाकडाउन' लागू करने के लिए विवश होना पड़ रहा है.इस मजबूरी के पीछे कोरोना का रह-रह कर होने वाला विस्फोट है ,लेकिन सवाल ये है कि क्या हम बिना 'लाकडाउन' के कोरोना विस्फोट को नहीं रोक सकते ? कोरोना के प्रसार को रोकने की कोई और तकनीक हम पिछले चार महीने में ईजाद नहीं कर सके हैं ? क्या 'लाकडाउन 'ही इस महामारी से मुकाबले का पहला और आखरी हथियार है ? महाराष्ट्र समेत देश के अधिकाँश हिस्सों में जैसे-जैसे 'अनलॉक' की प्रक्रिया शुरू हुई वैसे-वैसे कोरोना कई वापसी भी तेज गति से हुई ,इसका सीधा-सीधा सा मतलब है कि कोरोना को न गर्मी मार पा रही है और न बरसात,दवाएं तो हैं ही नहीं,इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाओं के सहारे भी कोरोना को रोका जाना आसान काम नहीं रह गया है .'अनलॉक'-1 और 2 के तहत देश में जैसी गतिविधियां होना थीं वैसी नहीं हुईं.न सार्वजनिक यातायात के लिए सड़कें खुलीं और न रेलें चलीं .हवाई जहाज सेवा भी चलकर लड़खड़ा गयी लेकिन इस बीच सबसे ज्यादा गतिविधियां राजनीतिक चलीं और शायद इसी के कारण कोरोना को दोबारा से वापस लौटने का रास्ता मिल गया . मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल के पुनर्गठन और 25 सीटों के लिए उपचुनाव के कारण राजनीतिक गतिविधियां तमाम प्रतिबंधों को धता बताते हुए जारी हैं. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को गिराने का खेल चल ही रहा है. बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल सड़कों पर हैं.यही हाल बंगाल का है .दिल्ली तो इन राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहता ही है .पहले ये राजनीतिक गतिविधियां 'वर्चुअल'थीं लेकिन अब 'एक्चुअल ' हो गयीं हैं .नेताओं को जनता के जीवन की रक्षा की कोई फ़िक्र है नहीं और जनता तो ठहरी ही बाबली है . अपने शहर ग्वालियर की बात करूं तो यहाँ एक दिन में सौ से लेकर 190 तक कोरोना के नए मरीज सामने आ रहे हैं. आसपास के जिलों का भी यही हाल है .कमोवेश यही स्थिति समूचे देश की है.कहीं कम तो कहीं ज्यादा .मुंबई में सात पहरों के बीच रहने वाले लोग भी कोरोना के शिकार बन रहे हैं,जाहिर है कि कोरोना किसी के बस में नहीं है ,ऐसे में प्रशासन के पास एक बार फिर 'लाकडाउन' का सहारा लेने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है . एक बार फिर जिलों और राज्यों की सीमाएं सील करने की नौबत आ गयी है लेकिन हम सुधरने को राजी नहीं हैं. कोरोना आपदा को अवसर में बदलने वाले लोग शातिर हैं,उन्होंने कोरोना से आतंकित अवाम को जो बेचना था वो बेच लिया है और जो बेचना चाहते हैं वो बेचने में लगे हैं .असहाय जनता को कुछ भी पता नहीं .सब अँधेरे में या किसी अंधी सुरंग में दौड़े जा रहे हैं .अगर कोई सजग है तो केवल नेता हैं,उन्हें अपनी कुर्सी की फ़िक्र है ,जनता की नहीं .जनता कल भी भगवान के भरोसे थी और आज भी है. कल भी उसने नेताओं के कहने पर थाली और ताली बजाई थी और आज भी वो सब कुछ करने को तैयार है लेकिन अब नेताओं के पास शायद कोई टोटका शेष बचा नहीं है . कोरोना काल में हम कितने आत्मनिर्भर हुए हैं हमें पता नहीं.हमारे लिए घोषित किये गए विशेष पैकेज का हमारे ऊपर क्या असर पड़ा है ,हमें पता नहीं क्योंकि हमारी जिंदगी कोरोना के आने के बाद जैसी थी आज भी वैसी ही है .हमारे रोजगार जाने थे सो गए,वे आज तक लौटकर नहीं आये .जो लोग करोड़ों की संख्या में शहरों से जान बचाकर गांवों की और लौटे थे वे 'न घर के रहे और न घाट के' .अब गांवों में भी मौत की गश्त शुरू हो गयी है .हम उन 80 करोड़ लोगों के बारे में कुछ नहीं लिख सकते जिन्हें प्रधानमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत मुफ्त का राशन मिलने का दावा किया जा रहा है .हमें नहीं मालूम कि केवल मुफ्त के अनाज से जीवन कैसे चल सकता है ?क्या उसे नौन,तेल,लकड़ी के अलावा कपड़े और दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती ? आज मै आलोचना के लिए कुछ भी नहीं लिख रहा. मै पूरी तरह 'पोजेटिव्ह' हूँ मेरा तो मानना है कि यदि समय तरीके से देश की जनता और अर्थव्यवस्था की जांच कराली जाये तो सबके सब 'पोजेटिव्ह ' ही निकलेंगे .निगेटिव्ह केवल वे ही लोग हैं जो स्पेशल हैं,जिनके हाथ में सत्ता है,व्यवस्था है,अस्पताल हैं .हमारे-आपके हाथ में कोरोना के सिवाय क्या है भला ?अगर आपके पास कुछ हो तो आप सौभाग्यशाली हैं .इसके लिए आपको ईश्वर का आभार मानना चाहिए . एक हकीकत और है ,जिसे सरकार तो तस्लीम नहीं करेगी लेकिन समाज को करना चाहिए.वो ये है कि बीते चार महीने में कोरोना ने हमारी संवेदनाओं का कत्ल भी कर दिया है .हमारे हाथ से आने-जाने के साधन पहले ही छीन लिए गए हैं. हम अपने नाते-रिश्तेदारों की तो छोड़िये आस-पड़ौस के मित्रों से भी मिलने से कतरा रहे हैं .लोग मर रहे हैं लेकिन कोई मातमपुर्सी के लिए नहीं निकल रहा .हमारी खुशियों को न जाने किसकी नजर लाग गयी है .सबसे करीब का रिश्ता माँ-बाप का होता है ,लोग अब इस रिश्ते का निर्वाह करने के लिए भी तरस रहे हैं .कहीं सीमाएं सील हैं तो कहीं इलाके कैंटोनमेंट जोन बने हुए हैं और यदि कुछ नहीं है तो जाने-आने पर कोरंटीन रहने की मजबूरी तो है ही . हाथ की कलाई पर बंधी घड़ी हो या आपके मोबाइल सब कोरोना मीटर के जरिये आंकड़े दे-देकर तक गए.लेकिन कोई चेतने को राजी नहीं है. आज की तारीख में दुनिया के सवा करोड़ से अधिक लोग कोरोना की चपेट में हैं,575525 अपनी जान गंवा चुके हैं यद्यपि 76 लाख से ज्यादा ठीक भी हुए हैं भारत में भी संक्रमितों का आंकड़ा 9 लाख को पार कर चुका है,23 हजार से ज्यादा अपनी जान से हाथ धो चुके हैं .बी सवाल यही है कि इस कोरोना से लाकडाउन के जरिये निबटा जाये या जान हथेली पर रखकर ही जिया जाये.मान लिया जाये कि-' जिसकी आ गयी है वो जाएगा ही' चाहे उसे कोई सड़क दुर्घटना ले जाये या कोरोना !'तय आपको करना है ,सरकार की चिंताएं कुर्सी की पहले हैं आपकी बाद में .यही परम सत्य है. @ राकेश अचल |
एक करोड़ से अधिक लागत से बनेगी हजीरा पर नवीन सब्जी मंडी- मंत्री श्री तोमर Posted: 13 Jul 2020 09:05 AM PDT ग्वालियर /मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने हजीरा इंटक मैदान में 29400 स्क्वेर फिट क्षेत्रफल में एक करोड 30 लाख रूपए की लागत से बनने वाली नवीन सब्जी मंडी के निर्माण कार्य का भूमि पूजन करते हुए कहा कि मंच बदला है उदेश्य नही। उदेश्य सिर्फ समाज सेवा है जो में निरंतर करता रहूंगा। ग्वालियर के विकास का पहिया अब चालू हो गया है। शहर का चौतरफा विकास किया जा रहा है। रूके हुए सभी कार्य सुचारू रूप से चालू हो गए हैं। वर्षों पुरानी हजीरे पर लगने वाली सब्जी मंडी को नये स्वरूप में एवं नये स्थान पर आमजन की सुविधा और व्यापारियों की परेशानियों को देखते हुए बनाया जा रहा है। नवीन सब्जी मंडी और फल मंडी एक ही जगह लगने से आमजन और व्यापारियों को किसी भी प्रकार की परेशानी नही होगी। प्रदेश सरकार के मंत्री श्री तोमर ने कहा कि पुरानी सब्जी मंडी मे सब्जी विक्रेताओं को काफी समस्याओं का सामना करना पडता था। साथ ही पुरानी सब्जी मंडी में 108 चबूतरे थे जो नवीन सब्जी मंडी में 180 चबूतरे बनाये जायेगें जिससे नये लोगों को भी रोजगार मिलेगा । साथ ही सब्जी मंडी में टीनसेड, सीसी रोड, इंटरलॉकिंग टाइल्स के साथ ग्रीनरी भी की जायेगी। इंटक मैदान में फल के ठेले पहले ही लगाये जा रहे हैं उनके लिए सर्वसुविधा युक्त स्थान बनाया है। इसी प्रकार नवीन सब्जी मंडी में सब्जी विक्रेताओं के लिए सर्वसुविधा युक्त नये स्वरूप में स्थान बनाया जायेगा। जिससे वह सम्मान के साथ अपना व्यवसाय कर सकेगें। मंत्री श्री तोमर ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने सडकों के लिए 35 करोड रूपये की राशि स्वीकृत की है। साथ ही ग्वालियर के युवाओं के लिए ट्रीपल आईटीएम के सामने खेल स्टेडियम के लिए 10 करोड और मनोरंजनालय का 6 करोड की लागत से भव्य रूप में जिर्णोद्धार किया जायेगा। कांचमिल में बडा पार्क, तिकोनिया पार्क तथा सिविल हॉस्पीटल हजीरा में 50 बेडेड अस्पताल का कार्य प्रगती पर है। ग्वालियर का विकास अब रूकने वाला नही है। वर्षों से बनी हुई गंदे पानी और सीवर की समस्या के लिए शहर में नई लाइने डाली जा रही हैं। इंटक मैदान में नवीन सब्जी मंडी के निर्माण कार्य के भूमि पूजन के अवसर पर भाजपा के मंडल अध्यक्ष श्री ब्रजमोहन शर्मा, पूर्व मंडल अध्यक्ष श्री माया राम तोमर, श्री धारा सिंह सेंगर, पार्षद श्री जगराम कुशवाह, पूर्व पार्षद श्री सुरेन्द्र चैहान, श्री ओमप्रकाश नामदेव, श्री महेश गौतम, श्री अरूण तोमर, श्री रामस्वरूप वरैया, श्री रामसहाय प्रजापति, श्री सुरेश मास्टर, श्री आशाराम शर्मा, डॉ. प्रदीप कश्यप, श्रीमती माल्ती प्रजापति आदि बडी संख्या में क्षेत्रीय नागरिकगण उपस्थित थे। |
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