प्राइमरी का मास्टर ● इन |
- नई शिक्षानीति में स्थानीय भाषाओं में पठन पाठन की व्यवस्था की बात, फिर भी यूपी बोर्ड में क्षेत्रीय भाषाओं की हालत पतली
- सभी विद्यालयों में रखे जाएंगे ड्रॉप बॉक्स, विद्यार्थियों के प्रश्नों को ड्रॉप बॉक्स में डाल सकेंगे अभिभावक
- संदिग्ध शिक्षकों के केस में रिपोर्ट देने से कतरा रहे अधिकारी, क्षेत्रीय अधिकारियों ने उच्च शिक्षा निदेशालय को नहीं भेजी रिपोर्ट
- अब प्राथमिक विद्यालय और जूनियर हाईस्कूल की मान्यता 60 दिनों में
- सत्यापन रिपोर्ट के इंतजार में अटकी शिक्षकों की जांच
- कक्षा 09 से 12 दूरदर्शन - उ०प्र० तथा स्वयं प्रभा चैनल-22 के माध्यम से वीडियो / वर्चुअल कक्षाओं के संचालन के संबंध में
- यूपी बोर्ड : इस साल आत्मनिर्भर बनाने वाले कोर्स नहीं, नए सत्र में नहीं होगी व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई
- शासन को भेजा प्रस्ताव : छात्रवृत्ति के मास्टर डाटा में 30 सितंबर तक शामिल हो सकेंगे नए शिक्षण संस्थान
- हरदोई : चयन वेतन के नाम पर मांगा जा रहा सुविधा शुल्क
- प्रयागराज : एक साल में नहीं पूरी हो सकी एआरपी की नियुक्ति
- यूपी बोर्ड : ऑनलाइन क्लास में प्रश्नबैंक से होगा छात्रों का मूल्यांकन
Posted: 23 Aug 2020 06:05 PM PDT नई शिक्षानीति में स्थानीय भाषाओं में पठन पाठन की व्यवस्था की बात, फिर भी यूपी बोर्ड में क्षेत्रीय भाषाओं की हालत पतली प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषाओं की हालत बहुत खराब है। हाईस्कूल में 21 भाषाओं में तीन में एक भी विद्यार्थी ने पंजीयन नहीं करया। इंटरमीडिएट में शामिल 20 भाषाओं में से तीन भाषाओं में पंजीयन शून्य रहा। हाल ही में केंद्र सरकार ने नई शिक्षानीति घोषित की जिसमें स्थानीय भाषाओं में पठन पाठन की व्यवस्थ देने की बात कही। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के 2020 के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परीक्षा परिणामों पर नजर डालें तो कई भारतीय भाषाओं में अभ्यर्थियों की संख्या शून्य हो चुकी है। हाईस्कूल के नतीजों के अनुसार गुजराती भाषा में 43 विद्यार्थी पंजीकृत हुए, मात्र दो छात्र पास हो सके। बंगला में 11 छात्र पंजीकृत हुए। मराठी में दो विद्यार्थी पंजीकृत हुए लेकिन पास नहीं हुए। उड़िया में दो पंजीयन हुआ, एक ही विद्यार्थी पास हो सका। कन्नड़ में एक पंजीयन हुआ वह भी अनुत्तीर्ण रहा। कश्मीरी भाषा में 35 पंजीयन हुआ, सिर्फ पांच लोग पास हुए। सिंधी में 77 पंजीयन हुआ। पास होने वालों की संख्या 49 रही। तमिल में दो विद्यार्थी पंजीकृत हुए एक उत्तीर्ण हो सका। तेलगू में 11 पंजीयन हुआ लेकिन कोई भी पास नहीं हुआ। मलयालय, नेपाली, आसामी में एक भी विद्यार्थी ने पंजीकरण नहीं कराया। इंटरमीडिएट में गुजराती में तीन पंजीयन हुए और एक उत्तीर्ण हुआ। बंगला में 11 पंजीयन तो छह उत्तीर्ण हुए। कन्नड़ में 20 में से दो पास हुए। सिंधी में 27 में से 18 लोग पास हुए। तमिल में आठ व तेलगू में एक पंजीकरण हुआ लेकिन कोई भी पास नहीं हुआ। मराठी, आसामी व मलयालम में एक भी विद्यार्थी ने पंजीकरण नहीं कराया। उड़िया में एक और नेपाली में दो पंजीकरण हुआ लेकिन पास कोई भी विद्यार्थी नहीं हुआ। '>>नई शिक्षानीति में स्थानीय भाषाओं में पठन पाठन की व्यवस्था की बात '>>12 वीं में मराठी, आसामी,मलयालम का परीक्षा परिणाम शून्य कॉलेजों में शिक्षक न होने से विद्यार्थियों की संख्या शून्य हो चुकी है। मेरे कॉलेज में उर्दू, अरबी, फारसी के शिक्षक हैं। उनके विद्यार्थी भी पंजीकृत हैं। - देवेंद्र सिंह, प्रधानाचार्य, जीआइसी काफी समय से क्षेत्रीय भाषाओं की तरफ से लोगों का रुझान खत्म हो रहा है। विद्यालयों में इन भाषाओं के अध्यापक भी नहीं हैं जिससे विद्यार्थी भी नहीं हैं। - इंदू सिंह, प्रधानाचार्य, जीजीआइसी |
Posted: 23 Aug 2020 06:04 PM PDT सभी विद्यालयों में रखे जाएंगे ड्रॉप बॉक्स, विद्यार्थियों के प्रश्नों को ड्रॉप बॉक्स में डाल सकेंगे अभिभावक प्रयागराज : छात्र दूरदर्शन और स्वयंप्रभा चैनल के जरिए भी प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों से पठन पाठन को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रत्येक शनिवार को विद्याíथयों से प्रश्न भी पूछे जाएंगे। उनका जवाब लिख कर छात्र-छात्रएं विद्यालय के वाट्सएप ग्रुप पर भेजेंगे। जिनका उत्तर नहीं आएगा उस संबंध में अध्यापक से विमर्श कर सकेंगे। बहुत से ऐसे छात्र हैं जिनके पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है, उनके लिए शासन के निर्देश पर विद्यालयों में ड्रॉप बॉक्स रखे जाएंगे। कक्षा नौ से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए अगल-अलग बाक्स रहेंगे। अभिभावक स्कूलों में जाकर बच्चों के प्रश्न उसमे रख देंगे। प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी होगी कि उसे संबंधित शिक्षक तक पहुंचाएं। अध्यापक उनके जवाब बना कर नोट्स के रूप में फिर उसी ड्राप बॉक्स में डाल देंगे। अभिभावक उसे आकर ले जाएंगे। आवश्यकता के अनुसार शिक्षक विद्यार्थी से फोन पर भी बात कर विषयवस्तु को समझाने की कोशिश करेंगे। डीआइओएस आरएन विश्वकर्मा ने बताया कि प्रधानाचार्य यह सुनिश्चित करेंगे कि जिन विद्यार्थियों के पास टेलीविजन और ऑनलाइन शिक्षा के लिए व्यवस्था नहीं है उनके लिए दूरस्थ शिक्षा से संबंधित पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जाए। प्रधानाचार्यो को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि दूरदर्शन पर प्रसारित वीडियो में जो भी प्रश्न पूछे गए हैं उनके उत्तर शिक्षक वाट्सएप पर जरूर दें। एंड्रॉयड मोबाइल न रखने वाले बच्चों के लिए उठाया गया कदम, विद्यार्थियों के प्रश्नों को ड्रॉप बॉक्स में डाल सकेंगे अभिभावक शनिवार को देंगे प्रश्नों का जवाब सोमवार से शुक्रवार तक हुई ऑनलाइन पढ़ाई के संदर्भ में विद्यार्थी शनिवार को प्रश्न पूछ सकते हैं। वाट्सएप से जुड़े शिक्षक उनके प्रश्नों का जवाब लिखकर या फोन पर देंगे। इसके अतिरिक्त विद्यार्थी माध्यमिक शिक्षा विभाग के यू ट्यूब चैनल पर भी पाठ्य सामग्री हासिल कर सकते हैं। |
Posted: 23 Aug 2020 06:02 PM PDT प्रयागराज : शासन की भ्रष्टाचार खत्म करने की मुहिम को उनके अधिकारी ही पलीता लगा रहे हैं। अधिकारी भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों का पहले खुलासा नहीं करते। अगर खुल जाता है तो गलत लोगों को बचाने के लिए अधिकारी भरसक प्रयास करते हैं। राज्य विश्वविद्यालय व अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कालेजों में कार्यरत शिक्षकों के मामले में कुछ ऐसा ही चल रहा है। शासन के निर्देश पर हुई जांच में 27 शिक्षकों के दस्तावेज संदिग्ध मिले हैं। गड़बड़ी कहां और कैसे हुई? उसकी पड़ताल करके क्षेत्रीय अधिकारियों से 17 अगस्त को अंतिम रिपोर्ट मांगी गई थी। लेकिन, अधिकारियों ने अभी तक रिपोर्ट नहीं भेजी। शासन ने राज्य विश्वविद्यालय व एडेड डिग्री कालेजों में शिक्षकों की नियुक्ति में होने वाली गड़बड़ी रोकने व सारी प्रक्रिया पारदर्शी बनाने का निर्णय लिया है। सारे शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करके उसे ऑनलाइन किया जाएगा। इसके तहत समस्त शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच कराई गई है। बीते 30 जुलाई तक 11,412 शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच हुई। इसमें 27 शिक्षकों के दस्तावेज संदिग्ध मिले थे। सबसे अधिक मेरठ परिक्षेत्र के 22 शिक्षक हैं। इनकी मार्कशीट में नाम बदलने, जन्म तारीख में बदलाव, फर्जी प्रमाण पत्र का मामला सामने आया है। शासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निदेशालय से हर पहलु पर पड़ताल कराकर रिपोर्ट मांगी है। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. वंदना शर्मा ने सारे क्षेत्रीय अधिकारियों को पत्र भेजकर जांच रिपोर्ट मांगी थी। जो अभी तक नहीं भेजी गई। निदेशक डॉ. वंदना का कहना है कि रिपोर्ट देने के लिए दोबारा पत्र भेजा गया है। |
अब प्राथमिक विद्यालय और जूनियर हाईस्कूल की मान्यता 60 दिनों में Posted: 23 Aug 2020 05:59 PM PDT अब प्राथमिक विद्यालय और जूनियर हाईस्कूल की मान्यता 60 दिनों में लखनऊ : प्रदेश में अब प्राथमिक विद्यालय और जूनियर हाईस्कूल स्थापित करने के लिए अधिकतम 60 कार्य दिवसों में मान्यता मिल जाएगी। प्राथमिक विद्यालयों और जूनियर हाईस्कूलों का तय समय में मान्यता दिए जाने संबंधी बेसिक शिक्षा विभाग की इन दो सेवाओं को राज्य सरकार ने उप्र जनहित गारंटी अधिनियम, 2011 में शामिल करते हुए इसके लिए समय सीमा निर्धारित कर दी है।राजनैतिक पंशन विभाग की दो सेवाएं भी जनहित गारंटी अधिनियम में शामिल की गई हैं। |
सत्यापन रिपोर्ट के इंतजार में अटकी शिक्षकों की जांच Posted: 23 Aug 2020 05:58 PM PDT सत्यापन रिपोर्ट के इंतजार में अटकी शिक्षकों की जांच लखनऊ। प्रदेश के बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की जांच माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और विभिन्न विश्वविद्यालयों की सत्यापन रिपोर्ट के इंतजार में अटकी हुई है। सत्यापन रिपोर्ट आने के बाद ही जांच पूरी हो सकेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 14 जून को आयोजित बैठक में बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग के राजकीय और सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेज की जांच के निर्देश दिए थे। तीनों विभागों ने जांच के लिए जिला स्तर पर अपर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की है। हर जिले में जांच समिति ने जिन शिक्षकों के दस्तावेजों को संदिग्ध माना है। उन्हें संबंधित शिक्षा बोर्ड और विश्वविद्यालय को सत्यापन के लिए भेजा है। हजारों की संख्या में ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने देश के अन्य प्रदेशों के शिक्षा बोर्ड और विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल को है। ऐसे में उनके दस्तावेज सत्यापन के लिए अन्य प्रदेशों में भेजे गए हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया कि यूपी बोर्ड और प्रदेश के विश्वविद्यालय भी समय पर सत्यापन रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं। संदिग्ध दस्तावेजों की सत्यापन रिपोर्ट मिलने तक जांच पूरी नहीं हो सकती है। ऐसे में निर्धारित समय से एक महीना बाद 30 अगस्त तक भी जांच पूरी नहीं हो सकेगी। |
Posted: 23 Aug 2020 05:52 PM PDT |
Posted: 23 Aug 2020 05:45 PM PDT प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भरता का नारा बुलंद किया है लेकिन कोरोना के कारण यूपी बोर्ड इस मुहिम में पिछड़ गया है। हाईस्कूल स्तर से ही छात्र-छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने पिछले साल यूपी बोर्ड को प्लम्बर, सोलर सिस्टम मरम्मत, आपदा प्रबंधन और इलेक्ट्रिशियन का कोर्स तैयार करने के निर्देश दिए थे। लेकिन कोर्स निर्धारण का काम पूरा नहीं हो सका। अब चूंकि 2020-21 का शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है, इसलिए ये कोर्स अगले साल शुरू होने की उम्मीद हैं। छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व और कौशल विकास के लिए हाईस्कूल के कोर्स में व्यावसायिक शिक्षा के वैकल्पिक विषय के रूप में इन कोर्स को शामिल करने की योजना है। नौकरी के अवसर सीमित होने और बढ़ती जनसंख्या व उनकी जरूरतों को देखते हुए सरकार ने यह निर्देश दिया था। ताकि हाईस्कूल-इंटर तक की पढ़ाई करने के बाद युवा रोजगार से जुड़ सकें। ये अलग बात है कि इनमें छात्र-छात्राओं की संख्या बहुत कम रहती है। इन पाठ्यक्रमों को पढ़ाने के लिए विषय विशेष शिक्षकों को रखा जाता है। हाईस्कूल में पहले से संचालित पूर्व व्यावसायिक कोर्स पहले से हाईस्कूल स्तर पर 25 पूर्व व्यावसायिक कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं। 10वीं मोबाइल रिपेयरिंग, पर्यटन एवं आतिथ्य, आईटी एवं आईटीईएस, खुदरा व्यापार, सुरक्षा, ऑटोमोबाइल समेत 25 कोर्स पहले से संचालित हैं। |
Posted: 23 Aug 2020 05:37 PM PDT छात्रवृत्ति के अंतिम तिथि बढ़ाने के मास्टर डाटा में नाम शामिल लिए समाज कल्याण कराने के लिए शिक्षण संस्थानों निदेशालय ने शासन को कुछ और समय मिलेगा। कोरोना संकट को देखते हुए को भेजा प्रस्ताव इसके लिए अंतिम तिथि बढ़ाकर 30 सितंबर किए जाने पर विचार किया जा रहा है। समाज कल्याण निदेशालय ने संबंधित प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ लेने के लिए प्री-मैट्रिक से संबंधित नए विद्यालयों के लिए मास्टर डाटा में शामिल होने की अंतिम तिथि 30 जुलाई थी, जबकि पोस्ट मैट्रिक में अंतिम तिथि 31 अगस्त है। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना संकट के कारण बहुत से स्थानों का नाम अभी तक मास्टर डाटा में शामिल नहीं हो सका है। इसलिए प्री-मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक, दोनों में ही अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 सितंबर करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। यह प्रस्ताव शासन की सहमति से ही तैयार किया गया है, इसलिए अंतिम तिथि का बढ़ना तय माना जा रहा है। इसके अलावा प्री-मैट्रिक में जो छात्र 12 सितंबर तक और पोस्ट मैट्रिक में 5 सितंबर तक आवेदन करेंगे, उन्हें 2 अक्टूबर को छात्रवृत्ति एवं शुल्क भरपाई की राशि का भुगतान किया जाएगा। शेष विद्यार्थियों को जनवरी में भुगतान होगा। |
हरदोई : चयन वेतन के नाम पर मांगा जा रहा सुविधा शुल्क Posted: 23 Aug 2020 05:29 PM PDT चयन वेतन के नाम पर मांगा जा रहा सुविधा शुल्क हरदोई। हरपालपुर ब्लाक के दो शिक्षक पिछले कई महीनों से ब्लाक से लेकर बीएसए ऑफिस का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन चयन वेतन का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। शिक्षकों ने सिटी मजिस्ट्रेट को शिकायती पत्र सौंप कर मामले में कार्रवाई की मांग की है। हरपालपुर ब्लाक में कन्या प्राथमिक विद्यालय हरपालपुर के प्रधानाध्यापक राधेश्याम सिंह और प्राथमिक विद्यालय भुसेहरा के प्रधानाध्यापक मिस्टर लाल ने आरोप लगाया कि खंड शिक्षा अधिकारी हरपालपुर और ब्लाक बाबू बिना रुपये लिए उनका चयन वेतन नहीं दे रहे हैं। |
प्रयागराज : एक साल में नहीं पूरी हो सकी एआरपी की नियुक्ति Posted: 23 Aug 2020 05:21 PM PDT प्रयागराज : एक साल में नहीं पूरी हो सकी एआरपी की नियुक्ति। प्रयागराज : उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा को गुणवत्ता युक्त बनाने और इसकी मॉनीटरिंग किए जाने के लिए मिशन प्रेरणा अभियान के तहत पांच सितंबर 2019 को एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई थी। लेकिन, एक साल भी बाद भी यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। मिशन प्रेरणा के तहत प्रत्येक ब्लॉक में पांच-पांच और नगर क्षेत्र में पांच एआरपी की नियुक्ति होनी है। इसके लिए शिक्षकों को पहले लिखित परीक्षा, इसके बाद माइक्रो टीचिंग और फिर इंटरव्यू की प्रक्रिया में शामिल होना है। नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुए एक लसा पूरे होने जा रहे हैं लेकिन अब तक प्रयागराज में केवल 86 एमपी की नियुक्ति प्रक्रिया ही पूरी हो सकी है। शेष पदों पर नियुक्ति के लिए शिक्षकों से आवेदन मांगे गए हैं। चर्चा है कि शिक्षकों की ओर से रुचि न लिए जाने के कारण नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने में देर हो रही है। प्रयागराज में 105 एआरपी की होनी है नियुक्ति |
यूपी बोर्ड : ऑनलाइन क्लास में प्रश्नबैंक से होगा छात्रों का मूल्यांकन Posted: 23 Aug 2020 05:03 PM PDT यूपी बोर्ड : ऑनलाइन क्लास में प्रश्नबैंक से होगा छात्रों का मूल्यांकन। यूपी बोर्ड की ओर से नौवीं एवं ग्यारहवीं की ऑनलाइन कक्षाएं स्वयं प्रभा चैनल-22 एवं दसवीं व बारहवीं की कक्षाओं का प्रसारण दूरदर्शन उत्तर प्रदेश पर किया जा रहा है। इसी के अंतर्गत छात्रों का मूल्यांकन प्रश्नबैंक के आधार पर किया जाएगा। शासन ने छात्रों के लिए प्रश्नबैंक तैयार करने, मूल्यांकन करने और उसकी निगरानी का जिम्मा यूपी बोर्ड सचिव को दिया है। शनिवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि ऑनलाइन-ऑफलाइन के माध्यम से कोर्स 31 जनवरी 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद प्री-बोर्ड परीक्षा फरवरी के तीसरे और चौथे सप्ताह में होगी। सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने बताया कि बोर्ड से संबद्ध विद्यालयों में ऑनलाइन, वर्चुअल स्कूल के माध्यम से पढ़ाई 18 अगस्त से शुरू हो गई है। ऑनलाइन कक्षाओं के निरीक्षण की जिम्मेदारी संयुक्त शिक्षा निदेशक को दी गई है। प्रदेश भर से रिपोर्ट एकत्रित कर सचिव यूपी बोर्ड इसे निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भेजेंगे। उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के चलते नौवीं से बारहवीं तक का 30 फीसदी कोर्स कम कर दिया गया है। संशोधित शैक्षिक पंचाग एवं शैक्षणिक क्रियाकलाप का माहवार एकेडमिक कैलेंडर भी जारी किया जा चुका है। सचिव ने बताया कि शैक्षिक पंचांग के अनुसार कोर्स को पढ़ाने, मूल्यांकन करने, मॉनीटरिंग करने के लिए बोर्ड की ओर से पूरा प्रोग्राम तैयार करके शासन को भेज दिया गया है। नौवीं से ग्यारहवीं की ऑनलाइन कक्षाओं का प्रसारण स्वयंप्रभा चैनल-22 पर सुबह 11 से 1.30 बजे के बीच एवं दसवीं व बारहवीं की कक्षाओं का प्रसारण दोपहर एक बजे से 6.30 बजे के बीच दूरदर्शन उत्तर प्रदेश पर चल रहा है। |
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