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जनजाति संस्कृति से खिलवाड़ कर रही है बीटीपी, जबरन थोंप रही है जय जौहार का संबोधन Posted: 04 Sep 2020 08:10 AM PDT डुंगरपुर /सीमलवाड़ा 4 सितम्बर । हरिप्रकाश डामोरजनजाति संस्कृति से खिलवाड़ कर रही है बीटीपी, जबरन थोंप रही है जय जौहार का संबोधन - संत सुरमालदास की धूणी पर हुई जनजाति संत समाज की बैठक - संत-मेट-कोटवाल ने जताया विरोध, कहा : बीटीपी की गतिविधियों पर लगे अंकुश सीमलवाड़ा। क्षेत्र के ग्राम पंचायत गड़ापट्टापीठ के गांव राजपुर के संत सुरमालदास की धूणी पर शुक्रवार को जनजाति समाज के संत-मेट-कोटवाल तथा समाज प्रतिनिधियों की बैठक पूर्व विधायक शंकरलाल अहारी की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में जनजाति समाज के संत-मेट-कोटवाल ने कहा कि वागड़ क्षेत्र में हाल में राजनैतिक दल के रूप में पैदा हुई भारतीय ट्रायबल पार्टी धर्म-जाति और समाज के नाम पर जनजाति संस्कृति से खिलवाड़ करने, जनजाति समाज के लोगों, युवाओं को भ्रमित करने का काम कर रही है। झारखंड विचारधारा वाला जय जौहार अभिवादन शब्द जबरन थोंपा जा रहा है। हाल ही में बीटीपी के कुछ लोगों ने कुछ मंदिरो पर धर्म पताकाएं हटाकर पूजारियों को धमकाने का काम किया है। जनजाति समाज के वक्ताओं ने कहा कि वागड़ क्षेत्र संत सुरमालदास, गोविंद गुरू और राणा पूंजा भील का अनुयायी रहा है। हाल के दो-तीन वर्षो में यकायक जय जौहार के नारे बुलंद हो गए, जनजाति युवाओं को गुमराह किया गया और मूल संस्कृति से दूर किया जा रहा है। संतो-मेट-कोटवाल ने कहा कि समाज के नाम पर राजनीति करना और संस्कृति को छिन्न-भिन्न करना ठीक नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि बीटीपी समाज में फूट डालो और राज करो की नीति पर काम कर रही है, लेकिन अब जनजाति समाज जाग गया है। दबाव बनाकर संस्कृति को बदलने का षडयंत्र कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। बैठक में जनजाति संतो और मेट-कोटवाल ने कहा कि जनजाति समाज को असली दिशा दिखाने का श्रेय संत सुरमालदास महाराज और गोविंद गुरू को जाता है। वागड़-मेवाड़, संतरामपुर और सांबरकाठा क्षेत्र में दोनों ही संत-महापुरूषों ने आदिवासी समाज में जागृति लाने का काम किया है। संत सुरमालदास महाराज अंग्रेजों से लड़े और जनजाति समाजजनों को धर्म के मार्ग पर लाएं। संतो ने समाज को धर्म और भक्ति का मार्ग दिखाया, शिक्षा की अलख जगाई। आज दक्षिणी राजस्थान के वागड़ क्षेत्र के जनजाति वर्ग के लोग उत्थान की दिशा में आगे बढ़ रहे है। झारखंड की विचारधारा यहां नहीं चल सकती। उन्होंने कहा कि झारखंड में आज भी असाक्षरता, पिछड़ापन दंश बना हुआ है, वहां गांवो का विकास नहीं हुआ है। जबकि वागड़ क्षेत्र के जनजाति समाज के लोग हर दृष्टि से आगे है। पूर्व विधायक शंकरलाल अहारी ने कहा कि रास्तापाल की वीरबाला कालीबाई और नानाभाई खांट ने आदिवासी समाज में शिक्षा की अलख जगाई। आज जनजाति समाज शिक्षा से जुडक़र सामाजिक उत्थान का उदाहरण पेश कर रहा है। बीटीपी के लोग राजनीति चलाने के लिए समाज को गुमराह कर रहे है, जबकि हमारी मूल संस्कृति जय गुरू महाराज, जय सीताराम, राम-राम की है। झारखंड विचारधारा का संबोधन शब्द जय जौहार जनजाति वर्ग पर थोंपा जा रहा है, इसका हम कड़ा विरोध करते है। वक्ताओं ने कहा कि समाज का विघटन किए जाने का षडयंत्र सफल नहीं होने दिया जाएगा। बैठक में पूर्व विधायक शंकरलाल अहारी, अर्जुन महाराज तंबोलिया, रतनलाल महाराज गंधवा, मनजी महाराज गड़ापट्टापीठ, रघू महाराज राजपुर, मणिलाल सारोली, हरिश महाराज मेरोप, सतीश महाराज भंडारा, देवा महाराज राजपुर, खातूराम गंधवा पाल, कांतिभाई कोटवाल, जीवा महाराज शीथल, पूर्व सरपंच रूपचंद भगोरा, वलमा भगत राजपुर, जीवा भगत राजपुर, रूपा भाई सहित संत-मेट-कोटवाल तथा समाजजन मौजूद रहे। उधर बिटीपी के कार्यकर्ताओं ने कहा- कि राजनीतिक स्वार्थ की लालच में आदिवासी समुदाय पर जोहार को लेकर राजनीति नही करे शिक्षित युवा आदिवासी समुदाय के असली इतिहास को खंगाल कर अपनी संस्क्रति परम्परा को जीवित रखते हक अधिकार की लड़ाई लड़ रहा है जोहार शब्द विदेशी नहीँ न ही जबरन थोपा जा रहा है यह उद्बोदन व प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ शब्द है जिसे आदिवासी समुदाय बोलता आया है जोहार का विरोध करना प्रकृति का विरोध करना है जिस किसी को विरोध करना हो करे सच जुठ का निर्णय व परिणाम प्रकृति करेगी सत्य में जोहार की विजय होगी , किस अभिवादन में कितनी शक्ति है इसकी परख गहराई से कर ले , जिसको जो बोलना हो बोले ......जोहार |
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