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| सामाजिक दायरे और बंदिशों में बंध कर रह गया है पेशा Posted: 30 Nov 2021 07:26 PM PST एमपी नाउ डेस्क
नज़रिया।भारत विभिन्नता से भरा हुआ देश है.भारत में निवासरत अरबों की जनसँख्या अपनी रोज़ी रोटी सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए किसी न किसी पेशे पर निर्भर है. इन सब के बीच इनमें एक बात में समानता पाई जाती हैं.जब भी हम अधिकतर किसी व्यक्ति को देखते है तो उनका पेशा जातियों के आधार में ही बंटा नजर आता है. जैसे कोई बढ़ई समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है तो उसका पेशा वस्तुओं को आकृति देना होगा एक शिल्पकार होगा,यदि कोई सुनार है तो वह स्वर्ण आभूषणों के पेशे में कार्य करते हुए नजर आता है,वही कोई तेली(साहू) समुदाय से है जो वह व्यपारी होगा या साहूकारी लेंन देन करते नजर आएगा। |
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