तहकीकात न्यूज़ - 🌐

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Friday, July 17, 2020

तहकीकात न्यूज़

तहकीकात न्यूज़


तृतीय विश्व युद्ध में गोरखपुर

Posted: 16 Jul 2020 10:32 AM PDT


प्रोफेसर आर पी सिंह, वाणिज्य विभाग, 

गोरखपुर विश्वविद्यालय

     विश्वयुद्ध की आहट में हमारी तैयारी


तृतीय विश्व युद्ध में गोरखपुर

कोविड-19 के दौर में आज जो विश्व परिदृश्य उभरा है, उसमें 1980 के दशक के मध्य से चल रही तीसरे विश्व युद्ध की अटकलें अब वास्तविकता की ओर रुझान कर रही हैं । बीबीसी के पत्रकार हम्फ्री हॉक्सले ने 2003 में प्रकाशित अपने उपन्यास 'द थर्ड वर्ल्ड वॉर' में दिलचस्प विश्लेषण पेश किया है कि कैसे चीन, पाक और उत्तर कोरिया के खतरनाक कृत्यों से इस युद्ध की शुरुआत होती है जिसका परिणाम इन खतरनाक षड्यंत्रकारियों के अंत के साथ होता है। इस उपन्यास में उन्होंने गोरखपुर के एयर बेस की भी महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र किया है। एक अन्य लेखक अनिरुद्ध डी जोशी ने 2006 में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'तृतीय विश्व युद्ध' में लेखों की एक श्रृंखला के रूप में इस युद्ध के समय का अनुमान 2026-2031 के निकट लगाया है। 

भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री डॉ रवि बत्रा ने संयुक्त राज्य अमेरिका में व्यापार चक्रों व मौद्रिक प्रवृत्तियों के विश्लेषण के आधार पर  अपनी प्रसिद्ध पुस्तकों 'द ग्रेट डिप्रेशन ऑफ 1990' और ' सर्वाइविंग द  ग्रेट डिप्रेशन ऑफ 1990' में इस युद्ध का समय 2029-2036 के दौरान का संकेत दिया है। लेकिन उपन्यासों में सपने या प्रवृत्तियों के विश्लेषण बिलकुल सही सटीक हों, जरूरी नहीं है । 1898 में प्रकाशित मॉर्गन रॉबर्टसन द्वारा प्रकाशित एक लघु उपन्यास 'फ्यूटिलिटी' में कल्पना के रूप में टाइटन नाम के जहाज की तबाही का सपना (और 1912 में टाइटन के मलबे के रूप में संशोधित) असली आरएमएस टाइटैनिक के डूबने के साथ अपनी समानताओं के लिए प्रसिद्ध रहा है, जो 14 साल बाद अप्रैल 2012 में उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक ब्रिटिश यात्री लाइनर के रूप में घटित हुआ; इस घटना का उपन्यास के विवरण से कुछ अंतर तो था ही । इस तरह के विवरण इतने महत्वपूर्ण नहीं हैं क्योंकि उनकी सटीकता वास्तविक घटकों के कृत्यों से प्रभावित हो सकती है, लेकिन उनके संकेत महत्वपूर्ण हैं ।

खोएँ नहीं यह महान अवसर

आज पूरी दुनिया में  भलेमानुष लोग और उनकी सरकारें खुद को आतंकवादी और मानव विरोधी ताकतों के खिलाफ अपनी लड़ाई में भारत का सहयोग करने के लिए तैयार बैठी हैं, मुख्य रूप से चीन, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया और यहां तक कि नेपाल की सरकारों के खतरनाक मंसूबों और गतिविधियों के कारण । यह भारत के लिए अच्छा संकेत है। भारत को इस महान अवसर को खोना नहीं चाहिए, ऐसे अवसर  बार-बार नहीं आते। हमें अपनी रक्षा और बाहरी रणनीतियों में वास्तव में आक्रामक होने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने 4 जुलाई को भगवान कृष्ण को याद करते हुए अपने लेह संबोधन में आह्वान किया है, ' यह विकासवादी का युग है, विस्तारवाद का नहीं ' । ऐसी मुखरता को वास्तविकता में प्रतिबिंबित कर आगे बढ़ जाना चाहिए । हमें व्यापक रणनीतिक उद्देश्यों के साथ अपनी विदेश नीति में बिल्कुल स्पष्ट और मुखर होने की जरूरत है न कि राष्ट्रीय लाभ की संकीर्ण गणना से संतुष्ट रहे।

हमारी विदेश व प्रतिरक्षा नीतियां अत्यधिक रक्षात्मकऔर फिसड्डी रही हैं । हम ताइवान के साथ राजनयिक संबंध शुरू करने की हिम्मत आजतक नहीं जुटा सके, सिर्फ चीन की नाराजगी से बचने के लिए।  लेकिन अब भारत को विश्व समुदाय को अन्तरिम सरकारों के साथ स्वतंत्र देशों के रूप में हॉन्गकॉन्ग, तिब्बत, बलूचिस्तान, पख्तूनिस्तान, दक्षिण मंगोलिया, पूर्वी तुर्किस्तान व मंचूरिया को मान्यता देने के लिए अग्रणी बन स्पष्ट समर्थन और प्रेरणा देनी चाहिए । चीन और उत्तर कोरिया के तानाशाह  शासकों को राष्ट्रीय संप्रभुता की झूठी धारणाओं के साथ उनका केवल आंतरिक मामला मानकर नहीं छोड़ा जा सकता । एक विशाल चीन पूरी दुनिया के लिए हमेशा के खतरा बना रहेगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अधकचरी समझ और इनका विरोध करने वाले सभी संकीर्ण, भाव-प्रवण और वैचारिक कट्टरपंथों पर भी यही बात लागू होती है । विश्व समुदाय को चाहिए कि ऐसी खतरनाक संकीर्ण भावनाओं को बेरहमी से कुचल दें। राष्ट्रवाद और साम्यवाद का उपयोग निरंकुश नेताओं द्वारा सत्ता पर कब्जा करने और बनाए रखने के औजार के रूप में किया गया है । 

इन मुद्दों पर स्पष्ट रुख अपनाने और दुनिया के लोगों की समूहिक मानसिकता के साथ चलने से पाक अधिकृत कश्मीर, अक्साई चिन, अरुणांचल प्रदेश, नेपाल और भूटान के मुद्दों को अपने दम पर सुलझाने के लिए अवसर स्वतः ही पैदा होंगे। ऐसे मुद्दों को राष्ट्रवाद के जरिए इतनी आसानी से सुलझाया नहीं जा सकता। राष्ट्रवाद ने हमेशा खूनी युद्धों, त्वरित  विनाश, धीमी लेकिन पीड़ायुक्त गड़बड़ी और साम्राज्यवाद, विस्तारवाद, पराधीनता और शोषण की एक और श्रृंखला को पुनः शुरू करने हेतु आमंत्रण ही साबित हुआ है । वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में राष्ट्रवाद काम नहीं कर सकता । यह राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए प्रभावी नहीं है, बल्कि इसका अधीर, उग्र व उथला दर्शन प्रायः राष्ट्रीय हित का परिणामी विरोधी ही सिद्ध हुआ है ।

सोवियत संघ का विघटन—एक भ्रम निवारण       

1987-91 के दौरान सोवियत संघ के विघटन के लिए अक्सर संयुक्त राज्य अमेरिका पर आरोप लगाया जाता रहा है । लेकिन क्या अमेरिका वास्तव में ऐसी ताकतवर महाशक्ति के खिलाफ ऐसे प्रयास में सफल हो सकता है । वास्तविकता यह है: रूसी राष्ट्रवाद और साम्यवाद का मेलजोल ही था जो नियमित रूप से और आंख बंद करके वी आई लेनिन से लेकर आगे के सभी सोवियत तानाशाहों द्वारा स्थानीय आकांक्षाओं, मुद्दों और जरूरतों को दबाने के साथ-साथ राष्ट्रीय हित के नाम पर अधिकतम जानकारी छुपाने के लिए इस्तेमाल किया गया था; और यही वह मेलजोल था जिसके कारण विनिर्माण में निहायत घटिया गुणवत्ता रही और ग्रामीण सोवियतों में उत्पादकता कम हुई—इन सब के कारण सोवियत जनता में काफी हताशा बनी। इस मुद्दे के साथ जुड़ा रूसी तानाशाहों की वोट राजनीति के तहत यूक्रेन, अज़रबैजान, आदि जैसे सोवियत परिसंघ के 16 सदस्य राज्यों को अलग राष्ट्रों के रूप में संयुक्त राष्ट्र परिषद में मतदान करने की अनुमति और नतीजा सोवियत संघ का विघटन । अगर अमेरिका ने भी अपने राज्यों के लिए इसी तरह की नीति अपनाई होती और अपने ५० राज्यों को पृथक राष्ट्रों के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ में मतदान करने की अनुमति दी होती, तो संयुक्त राज्य अमेरिका को भी बहुत पहले ही ऐसे ही विघटन का सामना करना पड़ा होता। इसलिए सोवियत संघ के साथ जो कुछ भी हुआ वह पूरी तरह से उसके अपने तानाशाहों की संकीर्ण व मूर्खतापूर्ण नीतियों के कारण था, और कोई भी ऐसा करने में सक्षम नहीं हो सकता था ।

राष्ट्रवाद और साम्यवाद के इसी तरह के मिश्रण का उपयोग लंबे समय से चीनी तानाशाहों द्वारा किया जाता रहा है और वर्तमान शी जिनपिंग शासन के दौरान फिर से अपने ही लोगों से हरसंभव जानकारी छिपाने और विश्व समुदाय को गुमराह करने की वही प्रवृत्ति है; उसी तरह की खराब गुणवत्ता; पेटेंट और मानव अधिकारों के उल्लंघन; जनता के बीच वैसी ही हताशा;  और पड़ोसी देशों को परेशान करते रहना। इसलिए चीन को अपने तानाशाहों के कृत्यों के कारण किसी भी तरह से टूटना पड़ सकता है । ये सभी कृत्य वर्तमान कोविड की वैश्विक  महामारी में परिणत हो चुके हैं और इस तरह से दुनिया भर की जनता के क्रोध को आमंत्रण मिला है । अमेरिका और उसके सहयोगियों को वैश्विक हितार्थ इस क्रोध को भुनाने का सबसे अच्छा अवसर मिला है ।

पाकिस्तान भी इसी तरह पूरी मानवता के लिए एक खतरे के रूप में उभरा है अपने धार्मिक कट्टरपंथ, इस्लामी आतंकवाद को वहाँ की सरकार और सेना द्वारा खुले समर्थन व संलिप्तता, चीन के साथ अपने मजबूत सहयोग के माध्यम से खतरनाक षड्यंत्र रचने और विश्व समुदाय को गुमराह करने जैसे कृत्यों के द्वारा। यह एक असफल विनाशकारी राज्य है, इसलिए इसे भी अब एक राष्ट्र के रूप में छिन्न-भिन्न होने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए । उत्तर कोरिया को अपने निरंकुश शासन के चंगुल से मुक्त किया जाना चाहिए और बेहतर होगा कि वह दक्षिण कोरिया के साथ विलय के लिए मजबूर हो। ये सब अब वर्तमान में चिढ़े हुए विश्व समुदाय की तत्परता को ध्यान में रखते हुए थोड़े समय में ही पूरा किया जा सकता है । शुरुआती फोकस दो सबसे गैरजिम्मेदाराना सरकारों—चीन और पाकिस्तान को निपटने-निपटाने तक सीमित रहना चाहिए । उनके साथ किसी अन्य सहानुभूतिकर्ता को भी दायरे में लाया जाना चाहिए जब आवश्यक हो ।  

राष्ट्रीय संप्रभुतायें और विश्व सरकार

राष्ट्रीय संप्रभुताओं ने हमेशा संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व व्यापार संगठन, सुरक्षा परिषद, डब्ल्यूएचओ और कई अन्य तथाकथित विश्व निकायों की प्रभावकारिता को बाधित किया है ताकि इन वैश्विक संस्थाओं को  शक्तिशाली राष्ट्रों की संप्रभुता की सहूलियत और दया के के अधीन केवल संधिस्वरूप तक सीमित रखा जा सके ।  राष्ट्रीय संप्रभुताओं को विश्व सरकार के साथ-साथ विश्व समुदाय की शांति और कल्याण की उपसेवा में रखने की आवश्यकता है, अन्यथा यह हमेशा विश्व शांति और सुरक्षा के लिए खतरे पैदा करेगा जैसा कि पहले संकेत दिया गया है । इतिहास में यह भी देखा गया है कि कैसे यूरोप के शक्तिशाली राष्ट्र जैसे जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, स्पेन, पुर्तगाल, इटली आदि ने पहले अपने राष्ट्रीय संप्रभुताओं का प्रसार किया, फिर साम्राज्यवाद को बढ़ावा दिया और उसके बाद सैकड़ों वर्षों तक उपनिवेशवाद को बनाए रखा—ये सब अपने राष्ट्रीय हितों को साधिकार अभिवर्धन के नाम पर ।  20वीं सदी में अमेरिका और रूस ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान और उसके बाद शीत युद्ध के दिनों में एक-दूसरे के सहयोगियों-समर्थकों व तटस्थों के साथ ऐसा ही किया है । अब अपने सहयोगियों के साथ चीन बेहद गैरजिम्मेदाराना और खतरनाक तरीके से ऐसा ही कर रहा है । यूएनओ जैसे विश्व संगठन अब तक इन निकायों को अप्रभावी बनाने वाले पारस्परिक विरोधाभासी और टकराव वाली राष्ट्रीय संप्रभुताओं का सम्मान करने के लिए बाध्य रहे हैं । इसलिए, भारत को भी अमेरिका और उसके सहयोगियों को विश्व समुदाय की सामूहिक मानसिकता को औपचारिक रूप से वास्तविक प्रतिनिधित्व युक्त, जिम्मेदार और उत्तरदायी विश्व सरकार बनाने के लिए राजी करना चाहिए राष्ट्रीय प्रभुताओं का अतिक्रमण करते हुए।

प्रभावी और स्थायी समाधान

अब फिर से निरंकुश और आतंकवाद की  समर्थक सरकारों के खिलाफ दुनिया भर में लोगों की नाराजगी के मुद्दे पर वापस आते है, इस बार मुख्य रूप से Covid-19 के माध्यम से । उनके गैर-जिम्मेदाराना और खतरनाक कृत्यों का एक प्रभावी और स्थायी समाधान न केवल उनके लिए एक सबक के रूप में बल्कि ऐसे सभी अन्य आत्मकेंद्रित औरस्वयंभू अतिवादी हठधर्मी और शोषक प्रवृत्तियों के लिए एक सीख के रूप में भी आवश्यक है । इस आगामी महान वैश्विक उद्यम के दौरान नुकसान को कम करने हेतु भारतीय और यूरोपीय नेताओं के लिए यह आवश्यक है कि वे सोवियत संघ  के विघटन में संयुक्त राज्य अमेरिका की भूमिका के बारे में रूस की गलतफहमियों को दूर करें और साथ ही अमेरिका को अपने स्वार्थी पूंजीवादी और छद्म पूंजीवादी प्रवृत्तियों को कम करने के लिए राजी करें ताकि पूर्वोल्लिखित तानाशाहों के खतरनाक डिजाइनों के खिलाफ अमेरिका के साथ सहयोग करने में रूस की हिचकिचाहट घट सके और ये दोनों ही दुनिया के कल्याणार्थी लोगों के साथ सहयोग कर सकें। दुनिया भर में आधिपत्य और वर्चस्व के लिए इन दो महाशक्तियों का टकराव शांति, सामूहिक कल्याण और सहयोग की वैश्विक खोज में अच्छे नहीं हैं ।

परमाणु शक्ति होना सरकार या देश के लिए आस्तित्विक गारंटी नहीं  

यदि रूसी सरकार कल्याण और शांति उन्मुख देशों के सभी अनुनय-विनय के बाद भी सहयोग नहीं करती है, तो वह अपनी ही जनता के गुस्से को आमंत्रित करेगी । किसी को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि सोवियत संघ  आज से चार गुना अधिक आणविक हथियारों के साथ सबसे बड़ा परमाणु शक्ति था जब वह 1991 में विघटित हुआ। परमाणु शक्ति होना  किसी भी सरकार या देश के लिए कोई आस्तित्विक गारंटी नहीं है—यह एक महान सबक है विशेष रूप से चीन और उसके सहयोगियों के लिए ।  आखिरकार, यह समय अपेक्षाकृत स्थायी विश्व शांति और कल्याण के लिए एक मूल्यवान अवसर है । इस अवसर का दृढ़ता और तेजी से उपयोग किया जाना चाहिए ।

कोरोना अपडेट वाराणसी, कोरोना को काबू करने की जिला प्रशासन ने अब ठान ली है

Posted: 16 Jul 2020 08:43 AM PDT

कैलाश सिंह विकाश

कोरोना अपडेट वाराणसी

वाराणसी। देश में बढ़ रहे कोरोना के मामलों में कमी नहीं आ रही है। वहीं वाराणसी में भी प्रतिदिन कोरोना से संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। यहां हर रोज नए मरीजों का मिलना बदस्तूर जारी है। गुरुवार को सुबह 11 बजे तक आई रिपोर्ट में 40 लोग पॉजिटिव पाए गए, वहीं शाम को आई रिपोर्ट में नए 28 मामलों की पुष्टि हई है। गुरुवार को जिले में कुल 68 नए मामलों की पुष्टि हुई है। वाराणसी में इस खतरनाक बीमारी से अबतक कुल 30 लोगों की जान जा चुकी है। जिले में कुल कोरोना मरीजों की संख्या 1047 हो गया है। जबकि 495 मरीज स्वस्थ होकर अपने अपने घरों के लिए डिस्चार्ज हो चुके हैं। वर्तमान में एक्टिव कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 522 है।


कोरोना को काबू करने की जिला प्रशासन ने अब ठान ली है

लोगों के कोरोना जांच उनके मोहल्लों में ही करके कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज अब उनके मोहल्लों एवं घरों में ही होगा

कमिश्नर एवं डीएम ने 15 मोबाइल वार्ड क्लीनिक वाहनों को हरी झंडी दिखाकर मोहल्लों में एक माह तक घूम घूम कर लोगों का जांच एवं इलाज करने के लिए किया रवाना

मोबाइल वार्ड क्लीनिक वाहन में डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, जीवन रक्षक दवाओं के साथ हैं आवश्यक मेडिकल जांच उपकरण

कोरोना संक्रमित लोगों को उनकी सुविधा के अनुसार चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराए जाने में निश्चित रूप से यह मोबाइल वार्ड क्लीनिक सार्थक साबित होगा-कमिश्नर दीपक अग्रवाल

कोरोना के जाँच एवं इलाज के लिये अब लोगों को ओपीडी, ईएसआई एवं अन्य अस्पतालों में आने की जरूरत नहीं होगी- जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा


 वाराणसी जिले में विगत 15 दिनों के अंदर कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में हुए बढ़ोतरी को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए इस पर तत्काल रोक लगाए जाने की अब ठान ली है। अब कोरोना सिम्टम्स के जांच एवं इलाज के लिए लोगों को ओपीडी एवं अस्पतालों में नही जाना पड़ेगा, बल्कि उनके मोहल्ले में ही डॉक्टर जाकर उनका जांच कर इलाज सुनिश्चित करेंगे।
         वाराणसी जिला प्रशासन द्वारा गुरुवार को शुरू किए गए इस नए व्यवस्था के 15 मोबाइल वार्ड क्लीनिक वाहनों को कमिश्नर दीपक अग्रवाल एवं जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कमिशनरी स्थित कार्यालय परिसर से संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी के संक्रमण एवं उससे बचाव के साथ-साथ संक्रमित लोगों को उनकी सुविधा के अनुसार चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराए जाने में निश्चित रूप से यह मोबाइल वार्ड क्लीनिक के लिए सार्थक साबित होगा। उन्होंने बताया कि इस मोबाइल वार्ड क्लीनिक वाहन में डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, एलोपैथिक, होम्योपैथी व आयुर्वेद के जीवन रक्षक दवाओं एवं आवश्यक मेडिकल जांच उपकरण की उपलब्धता सुनिश्चित कराया गया है।
        जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि मोबाइल वार्ड क्लीनिक के माध्यम से एक माह का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। प्रत्येक थाना क्षेत्र में एक-एक मोबाइल वार्ड क्लीनिक वाहन आगामी एक माह तक चक्रमण करेंगी। उन्होंने बताया कि मोहल्ले में लाउड हेलर, आशा एवं एएनएम के माध्यम से लोगो को एकत्र कर उनका मौके पर ही स्क्रीनिंग एवं जांच कराए जाएंगे। कोरोना के लक्षण मिलने पर संबंधित व्यक्ति का मौके पर ही इलाज शुरू कर दिया जाएगा। इससे अब लोगों को ओपीडी, ईएसआई एवं अन्य अस्पतालों में आने की जरूरत नहीं होगी। जिलाधिकारी ने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि विगत 15 दिनों में कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए यह व्यवस्था सुनिश्चित कराया गया है, ताकि कोरोना के संक्रमण पर रोक लगाया जा सके। उन्होंने बताया कि इस मोबाइल वार्ड क्लीनिक द्वारा जिन लोगों को शुगर एवं ब्लड प्रेशर आदि बीमारी पूर्व से है, उनका भी इलाज किया जाएगा ताकि वे भविष्य में कोरोना वायरस से संक्रमित न होने पाए। उन्होंने बताया कि मोबाइल वार्ड क्लीनिक वाहन में डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं एवं मेडिकल जांच उपकरण की उपलब्धता सुनिश्चित कराया गया है।
          जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि जनपद में सभी कोरोना संक्रमित मरीजों का पूरी तरह देखभाल एवं इलाज किया जा रहा है। होम कोरोन्टाइन की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि वाराणसी में 800 से अधिक कोरोना के एक्टिव मरीज हैं, सभी का इलाज अस्पताल में चल रहा है। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या एक हजार भी हो जाएगा तो कोई परेशानी नहीं होगा। तीन हजार तक भी कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ेगी तो कुछ स्कूल भवन चिन्हित किए गए हैं उन्हें अस्पताल में कन्वर्ट कर मरीजों का इलाज सुनिश्चित कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुछ निजी विद्यालय जो अच्छे हालत में हैं उनके प्रबंधन से वार्ता करके सूची तैयार कर ली गई है, कुछ इंटर कॉलेज भवन में भी व्यवस्था जरूरत के अनुसार बेड एवं डाक्टर तथा पैरामेडिकल स्टाफ की व्यवस्था करके किया जाएगा। इसके साथ ही यदि आवश्यकता पड़ी तो शहर के कुछ चिकित्सालयो के बेड, वहां के स्वास्थ कर्मी तथा वेंटीलेटर आदि को सरकारी अस्पताल से जोड़कर भी चलाया जाएगा और यदि जरूरत नहीं पड़ा तो सरकारी अस्पताल में ही इलाज होता रहेगा। जिलाधिकारी ने बताया कि मैन पावर एवं लैब टेक्नीशियन की भी व्यवस्था सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि जिले में ए सिंप्टोमेटिक मरीजों की संख्या है जो वास्तव में चिंता का विषय है। किंतु सभी के स्वास्थ्य की पूरी तरह रखवाली जिला प्रशासन करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि बीएचयू में 400 बेड की व्यवस्था है, अभी वहां पर केवल 150 बेड क्षमता का संचालन हो रहा है। जरूरत के अनुसार 50-50 बेड की बढ़ोतरी करके जरूरत के अनुसार पूरी क्षमता पर इसे संचालित कराया जाएगा।

अमेठी: थाना जामो पुलिस द्वारा 01 नफर वांछित अभियुक्त गिरफ्तार

Posted: 16 Jul 2020 08:40 AM PDT

मयंक पाण्डेय अमेठी

थाना जामो पुलिस द्वारा 01 नफर वांछित अभियुक्त गिरफ्तार 
    
      पुलिस अधीक्षक अमेठी डा0 ख्याति गर्ग के निर्देशन में अपराध एवं अपराधियों के धर पकड़ हेतु चलाये जा रहे अभियान के क्रम में आज दिनांक 16.07.2020 को उ0नि0 ब्रह्मानन्द यादव थाना जामो मय हमराह द्वारा मु0अ0सं0 83/20  धारा 147,148,323,504,506,308 भादवि में वांछित अभियुक्त राम उजेरे वर्मा पुत्र जागेश्वर वर्मा नि0 पूरे जवाहरलाल मजरे बलभद्रपुर थाना जामो जनपद अमेठी को ग्राम बलभद्रपुर के पास से समय 11:15 बजे दिन में गिरफ्तार किया गया । थाना जामो पुलिस द्वारा विधिक कार्यवाही की जा रही है

ये अमेठी है,सड़क पुल टूटा, सफर बाधित, प्रशासन बेखबर

Posted: 16 Jul 2020 08:37 AM PDT

मयंक पाण्डेय अमेठी

 ये अमेठी है,सड़क  पुल टूटा, सफर बाधित, प्रशासन बेखबर 

केन्द्रीय सड़क निर्माण निधि योजना में बजट की लीपापोती

 अमेठी। लोहिया नगर कालिकन बिशेषरगंज-सैठा मार्ग पर केन्द्रीय सड़क निर्माण निधि से बजट दिया गया। जिस पर सुदृढ़ीकरण, चौड़ीकरण के लिए बजट का स्टीमेट लोक निर्माण विभाग प्रान्तीय खण्ड अमेठी के अभियन्ताओ ने भारत सरकार को भेजा गया। बजट मिलने के बाद काम भी किया गया। अभियन्ताओ की चूक आज सड़क मार्ग पर लगा ग्रहण लोगों के गले के नीचे उतर नहीं रहा है।

 पहली बात कालिकन भवानी मन्दिर को जाने वाली सड़क का पुल टूटा। और सोनारी कनू और  संग्रामपुर गांव का सम्पर्क टूट गया। सड़क मार्ग का यातायात भी बाधित हो गया है।

       इसी सड़क मार्ग पर सुक्खा का पुरवा धनापुर में नाले पर बना पुल भी बीचोंबीच टूटा और 13 जुलाई 2020 से यातायात बाधित हो गया। इस तरह से उदासीन रवैये से निजात पाने के लिए लोग क्या करें। लोगों का यातायात को लेकर काफी परेशानी हो रही है। प्रशासन बेखबर है।

     इतना भारी भरकम बजट खर्च करने के बाद भी लोगों की समस्याओं में इजाफा हो रहा। पुल टूटने से नाराज होकर क्या करें। नेता चुनाव में मिलेंगें। अभी उनकी कोई सुन नहीं रहा है।

  अरूण कुमार, पिन्टू, कालिका प्रसाद, शमशेर, अवधेश, सरिता सरोज, राजकुमार सिंह आदि सांसद और बिधायक की जिम्मेदारी बताते हैं कि लापरवाह अभियन्ताओ की खबर लेते नहीं। सरकारी धन का खुलम खुल्ला लूट करार दे रहे है जिलाधिकारी, कमिश्नर से मामले की जांच करवाने की मांग की है।

अभियन्ताओ का कहना है कि पुल पुराने जमाने के हैं। पहले हालत ठीक थी। अब टूट गया है तो बिभागीय ने बचाव कार्य कर दिए। अब शासन-प्रशासन लिखा पढी करेगा। तभी पुल बनेगा।

गौण्डा: भारी तबाही सरयू घाघरा के घटते जलस्तर के कारण 300 बीघे से अधिक जमीन काटकर किया नदी में समाहित

Posted: 16 Jul 2020 08:34 AM PDT

राकेशो सिंह गोण्डा 

 भारी तबाही सरयू घाघरा के  घटते जलस्तर के कारण 300 बीघे से अधिक जमीन काटकर किया नदी में समाहित

 करनैलगंंज ,गोण्डा । सरयू (घाघरा) का जलस्तर तेजी से घट रहा है। तेजी से घट रहे जलस्तर से नदी के किनारे खाली पड़ी जमीनों को निगल रही है। 24 घंटे में घाघरा नदी खतरे के निशान से 2 फीट ऊपर के बजाय अब 19 सेंटीमीटर नीचे पहुंच गई है। तेजी से घट रहे जलस्तर से सबसे अधिक नुकसान किसानों का हो रहा है। जहां घटता हुआ जलस्तर नदी के किनारे खाली पड़ी जमीनों को काटकर नदी में समाहित करती जा रही है।

ग्राम बेहटा, कमियार, परसावल एवं माझा रायपुर के पास नदी बांध से कुछ दूरी पर है। वहीं ग्राम बांसगांव के पास घाघरा सीधे बांध से टकराकर बह रही है। घाघरा नदी का घटना खतरनाक होता है और घटते हुए जलस्तर में कटान का खतरा अधिक बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में बीते 24 घंटे में घाघरा का जलस्तर खतरे के निशान से 60 सेंटीमीटर ऊपर के बजाय घटकर 19 सेंटीमीटर नीचे पहुंच गया है। जिसमें करीब 300 बीघा से अधिक जमीन काटकर नदी में समाहित कर लिया है। बताया जा रहा है कि बीते 4 दिनों से बारिश कम होने एवं पहाड़ी क्षेत्र में भी बरसात न होने के कारण विभिन्न बैराजों से पानी कम छोड़ा जा रहा है और लगातार डिस्चार्ज भी कम हो रहा है। ऐसी स्थिति में जलस्तर घट रहा है।

गोण्डा: बिजली विभाग से नाराज ग्राम प्रधान ने लगायी मुख्यमंत्री से गुहार

Posted: 16 Jul 2020 08:32 AM PDT

राकेश सिंह ग़ोण्डा
 
बिजली विभाग से नाराज ग्राम प्रधान ने लगायी मुख्यमंत्री से गुहार

।गांव में लगा ट्रांसफार्मर मात्र हवाई विद्युत लाइनें तो दौडी लेकिन नही मिल रही ग्राम वासियों को विद्युत की सुविधा ।

प्राप्त विवरण के अनुसार मामला ग्राम पंचायत सिसई ब्लॉक क्षेत्र मुजेहना भीखपुर का है जहां की प्रधान निशा वर्मा ने विद्युत विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे ग्राम क्षेत्र में लगे विद्युत ट्रांसफार्मर जो मात्र दिखावा साबित हो रहे हैं वही भीखपुर गांव में जाने वाली विद्युत कनेक्शन पूरी तरह से अवरोधित है । जो कलेक्शन कराया गया वह मात्र हाथी के दांत समान साबित हो रहे हैं ढीले तारों की सप्लाई कर मात्र खानापूर्ति कर दी गई जिसकी सूचना ग्राम प्रधान सिसई भीखपुर की निशा वर्मा ने अपने प्रार्थना पत्र के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ, ऊर्जा मंत्री के साथ ही सहायक अभियंता विद्युत विभाग गोंडा को एक शिकायती पत्र लिखकर अवगत कराया साथ ही साथ यह भी कहा कि इसकी सूचना इसके पूर्व कई बार संबंधित विभागों को दी जा चुकी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी सवाल ये उठता है कि जहां एक तरफ प्रदेश व केंद्र की सरकार बार-बार यह कह रही है कि प्रत्येक घरों तक विद्युत व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी तो क्या ऐसे में जनपद की विद्युत विभाग केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार को ठेंगा दिखा यक्ष प्रश्न।

बस्ती : कई सौ करोड़ की ठगी करने वाला व्यक्ति गिरफतार

Posted: 16 Jul 2020 08:30 AM PDT

आलोक चौधरी बस्ती

कई सौ करोड़ की ठगी करने वाला व्यक्ति गिरफतार

बस्ती । रुपए दोगुना करने और प्लॉट उपलब्ध कराने के नाम पर देशभर में करीब 284 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वाले अंतरराज्जीय गिरोह के सक्रिय सदस्य को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बस्ती जिले में इस गैंग ने जमाकर्ताओं से करीब 4.60 करोड़ रुपये की ठगी की है।
पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा ने बुधवार को पुलिस कार्यालय में खुलासा किया कि कोतवाली में करीब एक साल पहले दर्ज मुकदमें में पांच नामजद व अन्य अज्ञात पर केस दर्ज हुआ था। गांधीनगर के रहने वाले एक व्यक्ति ने करीब 75 लाख रुपये की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। तफ्तीश में पता चला कि एक दर्जन से अधिक अन्य लोगों के साथ ठगी हुई, लेकिन उन्होंने आरोपी के झांसे में आकर केस दर्ज नहीं कराया।
इस तरह जिले में पैसे दोगुना करने के नाम पर करीब 4.60 करोड़ की ठगी हुई। कोतवाल रामपाल यादव की टीम ने मुखबिर की सूचना पर विवेचना में प्रकाश में आए हेल्प फाइनेंस कंपनी के डायरेक्टर मनोज अधिकारी को बुधवार को दिन में कचहरी चौराहे के पास से दबोच लिया। वह मकान नंबर 75बी, संतगढ़ निकट कन्धारी चौक, थाना तिलकनगर, नई दिल्ली का रहने वाला है।
इस गिरोह ने दिल्ली एनसीआर, पंजाब, राजस्थान व अन्य राज्यों में जमाकर्ताओं से धोखाधड़ी कर करीब 284 करोड़ की संपत्ति अर्जित की है। बस्ती जिले में इस गैंग ने जर्माकर्ताओं से करीब 4.60 करोड़ रुपये की ठगी की है। आरोपी मनोज जिस फाइनेंस कंपनी का डायरेक्टर है, उसका पंजीकरण आरबीआई ने 19 मई 2020 को निरस्त कर दिया था। इस गिरोह का सरगना रविन्द्र सिंह सिद्दू निवासी अमृतसर पंजाब वर्तमान में केन्द्रीय कारागार तिहाड़ जेल दिल्ली में बंद हैं।

बस्ती । रुपए दोगुना करने और प्लॉट उपलब्ध कराने के नाम पर देशभर में करीब 284 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वाले अंतरराज्जीय गिरोह के सक्रिय सदस्य को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बस्ती जिले में इस गैंग ने जमाकर्ताओं से करीब 4.60 करोड़ रुपये की ठगी की है।
पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा ने बुधवार को पुलिस कार्यालय में खुलासा किया कि कोतवाली में करीब एक साल पहले दर्ज मुकदमें में पांच नामजद व अन्य अज्ञात पर केस दर्ज हुआ था। गांधीनगर के रहने वाले एक व्यक्ति ने करीब 75 लाख रुपये की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। तफ्तीश में पता चला कि एक दर्जन से अधिक अन्य लोगों के साथ ठगी हुई, लेकिन उन्होंने आरोपी के झांसे में आकर केस दर्ज नहीं कराया।
इस तरह जिले में पैसे दोगुना करने के नाम पर करीब 4.60 करोड़ की ठगी हुई। कोतवाल रामपाल यादव की टीम ने मुखबिर की सूचना पर विवेचना में प्रकाश में आए हेल्प फाइनेंस कंपनी के डायरेक्टर मनोज अधिकारी को बुधवार को दिन में कचहरी चौराहे के पास से दबोच लिया। वह मकान नंबर 75बी, संतगढ़ निकट कन्धारी चौक, थाना तिलकनगर, नई दिल्ली का रहने वाला है।
इस गिरोह ने दिल्ली एनसीआर, पंजाब, राजस्थान व अन्य राज्यों में जमाकर्ताओं से धोखाधड़ी कर करीब 284 करोड़ की संपत्ति अर्जित की है। बस्ती जिले में इस गैंग ने जर्माकर्ताओं से करीब 4.60 करोड़ रुपये की ठगी की है। आरोपी मनोज जिस फाइनेंस कंपनी का डायरेक्टर है, उसका पंजीकरण आरबीआई ने 19 मई 2020 को निरस्त कर दिया था। इस गिरोह का सरगना रविन्द्र सिंह सिद्दू निवासी अमृतसर पंजाब वर्तमान में केन्द्रीय कारागार तिहाड़ जेल दिल्ली में बंद हैं।

कोरोना की काट मास्क, इसे लगाए बिंदास

Posted: 16 Jul 2020 08:26 AM PDT

कैलाश सिंह विकाश

कोरोना की काट मास्क, इसे लगाए बिंदास

वाराणसी। 16 जुलाई, शासन-प्रशासन द्वारा लोगों को माक्स पहनने के लिए दिए गए दिशा- निर्देश का अवहेलना कर रहे लोगों से माक्स पहनकर घर से बाहर निकलने की अपील के साथ सामाजिक संस्था सुबह बनारस क्लब एवं लक्ष्मी हॉस्पिटल के बैनर तले संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल एवं लक्ष्मी हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक डॉ अशोक कुमार राय के संयुक्त नेतृत्व में मैदागिन चौराहे पर एक जन जागरूकता अभियान चलाया गया। उपरोक्त अवसर पर संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल एवं प्रबंध निदेशक डॉ अशोक कुमार राय ने कहां की पूरे विश्व के साथ जिस गति से हमारे देश मे कोरोना का  प्रकोप बढ़ा है,  उससे अछूता  हमारा शहर वाराणसी नहीं है। वाराणसी में भी करोना से संक्रमित लोगों की वृद्धि हुई है। यह हमारे शहर के लिए घातक हो सकती है। जिसके लिए हम लोगों को सावधानी बरतना जरूरी है। कुछ लोग ऐसे हैं जो लापरवाही पूर्वक बिना मास्क लगाए सड़क पर घूमते नजर आ रहे हैं।ऐसे लोगों पर प्रशासन भी सख्त है। हमारा ऐसे लोगों से पुरजोर ढंग से अपील है, की वे जब भी बाहर निकले सामाजिक दूरी का पालन करें और अपने मुंह पर मास्क अवश्य लगाएं। यह उनके तथा उनके परिवार के जीवन के लिए अति आवश्यक है। थोड़ी सी लापरवाही से बहुत बड़ी दुर्घटना की संभावना बढ़ जाएगी। श्री जायसवाल एवं डा० राय ने लोगों में मास्क का वितरण भी किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से- मुकेश जायसवाल, डॉ अशोक कुमार राय, राजन सोनी, अमरेश जायसवाल,अनिल केशरी, शामिल थे।

Lucknow-आईएएस हीरा लाल को मिलेगा राष्ट्रीय जल पुरस्कार*

Posted: 16 Jul 2020 06:42 AM PDT

लखनऊ : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अपर निदेशक, आइएएस हीरा लाल को रजत की बूंदें राष्ट्रीय जल पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। नीर फाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाना यह पुरस्कार जल एवं पर्यावरण के क्षेत्र में खास योगदान के लिए प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।

 श्री हीरा लाल को यह पुरस्कार बांदा का जिला अधिकारी रहते हुए पारंपरिक जलश्रोतों के उन्नयन एवं पानी के प्रति जनजागरूकता फैलाने के लिए दिया जा रहा है। श्री हीरा लाल को यह पुरस्कार 26 जुलाई को दिया जाएगा। श्री हीरा लाल के अलावा पर्यावरण, प्रदूषण एवं जल संकट जैसी समस्याओं के समाधान की दिशा में उल्लेखनीय योगदान के लिए श्री अतुल पटेरिया (दैनिक जागरण, नई दिल्ली), सुश्री नीलम दीक्षित (महाराष्ट्र), संत बलबीर सिंह सींचेवाल (पंजाब), शिव पूजन अवस्थी (मध्य प्रदेश), विनोद कुमार मेलाना (राजस्थान) एवं श्री उमा शंकर पाण्डेय (उत्तर प्रदेश) को भी दिया जा रहा है।

श्री हीरा लाल ने पुरस्कार के ऐलान के बाद कहा कि जिस प्रकार से वर्ष प्रतिवर्ष जल संकट गहराता जा रहा है, सतही व भू-जल प्रदूषित हो रहा है तथा छोटी व बरसाती नदियां प्रदूषित का शिकार हो चुकी हैं तथा मरणासन्न हैं। यह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। जल को संरक्षित करने, प्राकृतिक जल संरचनाओं को संवारने, प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाने तथा नदियों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को और भी गतिशील बनाए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इस दिशा में सराहनीय काम किए हैं जिनमें से बुंदेलखंड के हर घर में नल से जल जैसी योजना प्रमुख है। सरकार के इन प्रयासों में जन भागीदारी बढ़ाए जाने की प्रबल जरूरत है।

Post Bottom Ad

Pages