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Friday, June 11, 2021

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पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के विरोध में कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन

Posted: 11 Jun 2021 06:27 AM PDT

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के विरोध में कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन

जमशेदपुर से हमारे संवाददाता मुकेश कुमार की रिपोर्ट |

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के विरोध में कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के अन्तर्गत झारखण्ड के कई पेट्रोल पंप पर ग्राहकों के साथ ईंधन की बढ़ती कीमतों का कांग्रेस पार्टी के प्रखण्ड स्तर से राज्य स्तर के नेताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया तथा लोगों को मोदी सरकार की असफल नीतियों के बारे में जागरुक किया गया .लोगो को बताया गया कि 2014 से लेकर 2021 तक, पेट्रोल 30 रुपये, डीजल 36 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत देश के हर आम नागरिक की जेब पर असर डालती है. आज देशभर में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं.

देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ौतरी का दौर जारी है. हर साल पेट्रोल-डीजल पहले से ज्यादा महंगा होता जा रहा है. लेकिन पिछले सात सालों में कीमतों में कुछ ज्यादा ही इजाफा हुआ है. इस दौरान पेट्रोल-डीजल में 30-36 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी देखने को मिली है.

साल 2014-15 में पेट्रोल 66 रुपये प्रति लीटर और डीजल 50 रुपये प्रति लीटर था. आज 2021 में पेट्रोल 95 रुपये और डीजल 86 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुका है. आज कुछ जिलों में पेट्रोल 100 रुपये के पार भी बिक रहा है.

पिछले 7 सालों में कितना बढ़ा दाम?

· 2014-15- पेट्रोल 66.09 रुपये प्रति लीटर, डीजल 50.32 रुपये प्रति लीटर

· 2015-16- पेट्रोल 61.41 रुपये प्रति लीटर, डीजल 46.87 रुपये प्रति लीटर

· 2016-17- पेट्रोल 64.70 रुपये प्रति लीटर, डीजल 53.28 रुपये प्रति लीटर

· 2017-18- पेट्रोल 69.19 रुपये प्रति लीटर, डीजल 59.08 रुपये प्रति लीटर

· 2018-19- पेट्रोल 78.09 रुपये प्रति लीटर, डीजल 69.18 रुपये प्रति लीटर

· 2019-20- पेट्रोल 71.05 रुपये प्रति लीटर, डीजल 60.02 रुपये प्रति लीटर

· 2020-21- पेट्रोल 76.32 रुपये प्रति लीटर, डीजल 66.12 रुपये प्रति लीटर

· 11 जून 2021- पेट्रोल 95.85 रुपये प्रति लीटर, डीजल 86.75 रुपये प्रति लीटर

आज पेट्रोल-डीजल की ताजा कीमत
आज पेट्रोल का दाम 29 पैसे प्रति लीटर और डीजल का 28 पैसे प्रति लीटर बढ़ाया गया है. अब दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 95.85 रुपए और एक लीटर डीजल की कीमत 86.75 रुपए हो गई है. वहीं, मुंबई में इस समय पेट्रोल 101.04 रुपए और डीजल 94.15 रुपए प्रति लीटर है.


देश के अलग-अलग हिस्सों में अब पेट्रोल ऐतिहासिक उच्चस्तर पर पहुंच गया है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और लद्दाख समेत छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गया है. तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले 15 दिन के भावों के औसत के आधार पर रोजाना घरेलू बाजार में दाम तय करतीं हैं.

इन्ही मुद्दों पर झारखण्ड कांग्रेस ने आज विरोध प्रदर्शन किया एवं बाइक रैली भी निकाली |

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जामताड़ा पुलिस को बड़ी कामयाबी , साइबर अपराधियों को किया गिरफ्तार |

Posted: 11 Jun 2021 06:50 AM PDT

जामताड़ा पुलिस को बड़ी कामयाबी , साइबर अपराधियों को किया गिरफ्तार |

झारखण्ड से हमारे ब्यूरो श्रीनिवास सिंह की रिपोर्ट 
झारखंड राज्य के जामताड़ा जिला पुलिस को साइबर अपराधियों के खिलाफ अभियान में बड़ी सफलता हाथ लगी है . साइबर अपराधियों के लिए कुख्यात जामताड़ा जिला के करमाटांड़ थाना क्षेत्र के रामपुर माधोपुर में साइबर पुलिस ने छापेमारी करते हुए नौ साइबर अपराधियों को रंगे हाथ धर दबोचा है . जानकारी देते हुए एसपी दीपक कुमार सिन्हा ने बताया कि साइबर अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाया गया था . इसी क्रम में गुप्त सूचना पर करमाटांड़ थाना क्षेत्र के रामपुर माधोपुर में छापेमारी के दौरान यह कामयाबी मिली है . जिसमें 9 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है . ये सभी लोग बैठकर फिक्सिंग का काम कर रहे थे , फर्जी बैंक अधिकारी बनकर बैंक ग्राहकों को फोन कॉल कर ठगने का काम करते हैं . इसी क्रम में छापेमारी किया गया . जिसमे सफलता मिली है । इनलोगों के पास से 13 मोबाइल फोन , 22 सिम कार्ड और एक मोटरसाइकिल बरामद हुआ है .
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झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री ने माँगी माफी |

Posted: 11 Jun 2021 04:53 AM PDT

झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री ने माँगी माफी |

जमशेदपुर से हमारे ब्यूरो श्रीनिवास सिंह की रिपोर्ट 
जमशेदपुर : कोरोना को लेकर झारखंड में लागू आंशिक लॉकडाउन के मद्देनजर अनलॉक -2 के संबंध में नौ जून को स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने नाई समाज के बारे में ऐसी बात बोल दी थी , जिसे भाजपा समेत नाई समाज ने भी मुद्दा बना लिया था . सभी ने स्वास्थ्य मंत्री से तत्काल सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को कहा था . इस पर बन्ना गुप्ता ने माफी मांग ली है . ट्विटर पर उन्होंने कहा ' मेरे नाई समाज के तमाम सम्मानित साथियों , मैं सभी सैलून संचालकों का सम्मान करता हूं . मैंने आर्थिक स्थिति से जूझ रहे सैलून के साथियों को राहत पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री से लॉकडाउन में क्रम में सैलून को खोलने का आग्रह किया था और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मेरे आग्रह को स्वीकार कर सभी प्रकार के सैलून को इस अनलॉक के क्रम में खुलवाया , ताकि आप भाइयों को राहत मिल सके . बधाई देने के क्रम में मुझसे गलती से बोलचाल की आम भाषा ही मेरे मुंह से निकल आया , लेकिन मैंने तुरंत अपने शब्दों को बदल दिया , लेकिन मुझे पता है कि मेरे सामाजिक न्याय के सभी साथियों और समाज के तमाम लोगों को इस बात से दुख पहुंचा होगा . इसके लिए मैं सहृदय क्षमाप्रार्थी हूं . मैं आपका हमेशा हितैषी रहा हूं और भविष्य में भी रहूंगा .
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मुख्यमंत्री ने मीठापुर क्षेत्र के विकास तथा स्मार्ट सिटी पटना के तहत रिडेवलपमेंट ऑफ पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन योजना का लिया जमीनी जायजा, दिए कई आवश्यक निर्देश

Posted: 11 Jun 2021 04:41 AM PDT

मुख्यमंत्री ने मीठापुर क्षेत्र के विकास तथा स्मार्ट सिटी पटना के तहत रिडेवलपमेंट ऑफ पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन योजना का लिया जमीनी जायजा, दिए कई आवश्यक निर्देश

पटना, 11 जून 2021:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज पटना स्थित मीठापुर क्षेत्र के विकास तथा स्मार्ट सिटी पटना के तहत रिडेवलपमेंट ऑफ पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन योजना का जमीनी जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने निर्माण कार्यों एवं विकास कार्यों को लेकर अधिकारियों को कई आवश्यक निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय परिसर पहुंचकर मीठापुर एरिया में स्थापित शैक्षणिक संस्थानों के स्टेट्स की जानकारी ली। परिसर में चलाये जा रहे टीकाकरण केन्द्र जाकर वहां टीकाकरण कार्य की भी जानकारी ली। आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग में नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव श्री आनंद किशोर एवं बी0एस0ई0आई0डी0सी0 के प्रबंध निदेशक श्री संजय कुमार सिंह ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से मीठापुर क्षेत्र के विकास तथा प्रपोजड फैसिलिटी ऑफ मीठापुर इंस्टीच्यूशन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।

मुख्यमंत्री ने निरीक्षण के दौरान निर्देश देते हुए कहा कि पूरे इंस्टीच्यूषन परिसर का चाहारदीवारी निर्माण कराएं। उन्होंने कहा कि मीठापुर तालाब परियोजना का कॉन्सेप्ट बेहतर है। तालाब के चारो तरफ वृक्ष लगाएं ताकि पूरा क्षेत्र हरियालीयुक्त हो। इस परिसर के सभी संस्थानों के लिए तालाब तक सुगमता से पहुंचने के लिए एक कॉमन संपर्क पथ बनाएं ताकि यहां लोग आसानी से आ जा सकें। तालाब में अधिक पानी होने पर उसके निकास की भी समुचित व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि मीठापुर बसस्टैंड से जिन बसों का आवागमन अभी हो रहा है उन्हें भी शीघ्र नए बस स्टैड में शिफ्ट करें। यहां स्थित पॉवर सबस्टेशन को भी अन्यत्र शिफ्ट करें।

मुख्यमंत्री ने स्मार्ट सिटी पटना के तहत रिडेवलपमेंट ऑफ पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन योजना का जमीनी जायजा लिया। जहां उन्हें नगर एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव श्री आनंद किशोर, भवन निर्माण विभाग के सचिव श्री कुमार रवि, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष श्री पंकज कुमार पाल द्वारा मल्टी मॉडल हब प्रपोज्ड सब-वे टू पटना जंक्शन वाया मल्टीलेवल पार्किंग आदि से संबंधित विकास कार्यों की जानकारी दी गई।

भ्रमण के दौरान उपमुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद, मुख्यमंत्री के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्य सचिव श्री त्रिपुरारी शरण, विकास आयुक्त श्री आमिर सुबहानी, पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अमृत लाल मीणा, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री संजय कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव श्री आनंद किशोर, ऊर्जा विभाग के सचिव श्री संजीव हंस, प्रमंडलीय आयुक्त श्री संजय कुमार अग्रवाल, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष श्री पंकज कुमार पाल, भवन निर्माण विभाग के सचिव श्री कुमार रवि, बी0एस0ई0आई0डी0सी0 के प्रबंध निदेशक श्री संजय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, जिलाधिकारी श्री चंद्रशेखर सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक श्री उपेंद्र शर्मा सहित अन्य वरीय अधिकारी मौजूद थे।

भ्रमण के पश्चात् पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आपलोग जानते हैं कि इस एरिया में भीड़-भाड़ रहती है। यहां पास में रेलवे स्टेशन है, लोग आते-जाते हैं। रेलवे स्टेशन पर आने वाले वाहनों को पार्किंग की समस्या होती है। इस खाली परिसर में बिल्डिंग बनाने की योजना है। यहां आने-जाने वाले लोगों को सुविधा हो, पार्किंग की व्यवस्था हो, इसके लिए बगल में पहले से ही मल्टी लेवल पार्किंग की व्यवस्था की गई है, लोग उसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। हमने कहा है कि मल्टी लेवल पार्किंग के ऊपरी हिस्से में भोजन आदि की व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के विकास योजना को लेकर इसके बारे में हमने रिव्यू मिटिंग की थी जिसमें सारी चीजों पर विस्तृत चर्चा हुई थी। उसी दरम्यान यह चर्चा हुई थी कि साइट पर चलकर इन चीजों को देखेंगे। पहले भी हमने कहा था कि ऊपर से और नीचे से भी रेलवे स्टेषन तक आवागमन की व्यवस्था सुनिश्चित करें। जो डिजाइन दिखाया गया है उसके आधार पर काम किया जाएगा। यहां पर अच्छी बिल्डिंग बनेगी, इंस्टीच्यूशन बनेंगे, जो व्यापार करते हैं उन्हें सुविधा होगी, इन सारी चीजों पर काम किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कल हमने दानापुर सहित कुछ क्षेत्रों का भ्रमण किया था उस दौरान देखा कि लोगों की भीड़ ज्यादा नहीं थी लेकिन कुछ लोग मास्क नहीं पहने थे। हमने कहा है कि लोगों को मास्क पहनने के लिए को प्रेरित करें। लोगों का मास्क पहनना बहुत जरुरी है। अभी लॉकडाउन खत्म हुआ है, नाइट कफ्र्यूू जारी है। कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं। लोगों को सुविधाएं दी जा रही हैं। लोग गाइड लाइन का पालन करते हुए मास्क को पहनेंगे तो यह उनके हित में है। उन्होंने कहा कि किसी और दिन दूसरे क्षेत्रों का भी भ्रमण करेंगे। हम हर जगह के लोगों से बातचीत करते हैं। सभी जिलों के जिलाधिकारियों से बात होती है और वे अपना फीडबैक देते हैं। फीडबैक के आधार पर यह तय होता है कि आगे क्या निर्णय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन का बहुत फायदा हुआ है। हमने आज सुबह इन क्षेत्रों का जमीनी मुआयना किया क्योंकि यहां निर्माण कार्य शुरु करना है। कोरोना से बचाव के लिए कार्य किए जा रहे हैं लेकिन उसके साथ-साथ विकास के भी काम किए जा रहे हैं। लोगों को काम का अवसर मिलना चाहिए। हम सबलोगों से निवेदन करते हैं कि मास्क का प्रयोग करें। मास्क का प्रयोग करेंगे तो इससे कोरोना संक्रमण का असर कम होगा। कल हमने पटना भ्रमण के दौरान यह भी जानने की कोशिश की थी कि लोग छूट का उल्लंघन तो नहीं कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के प्रति सभी सतर्क रहें।

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव जी के जन्मदिन के अवसर पर उन्हें जन्मदिन की बधाई भी दी।

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बारिश की बूंदें बचाइए : जहां भी गिरे, जब भी गिरे

Posted: 11 Jun 2021 04:30 AM PDT

बारिश की बूंदें बचाइए : जहां भी गिरे, जब भी गिरे

जल शक्ति अभियान-2 : तकनीकी हस्तक्षेप और सामुदायिक भागीदारी का संयोजन


किसी बच्चे के लिए, मॉनसून की शुरुआत शुष्क और उलझन भरी गर्मी के मौसम में बड़ी राहत लेकर आती है। लेकिन मॉनसून से पहले अत्यधिक तापमान वाले दिनों मेंबाहर खेलना किसी गर्म मिट्टी के चूल्हे पर चलने से कम नहीं होता- अक्सर पैरों में फफोले पड़ जाते हैं। गांव के तालाब सूख जाते हैं और इस कारणबच्चे अपने साथी मवेशियों के साथ पानी में गोता लगाने के अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं।

हालांकि मॉनसून आते ही पूरा परिदृश्य बदल जाता है। पहली बारिश अपने साथ फसलों, गांव के तालाबों, कुओं के लिए पानी और सबसे महत्वपूर्ण- किसानों के लिए एक उम्मीद लेकर आती है। वर्षा के महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि हमारे देश के 60 प्रतिशत किसान (कुल फसली क्षेत्र का 55 प्रतिशत) सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं। इसके अलावा, वर्षा आधारित क्षेत्र देश में 64 प्रतिशत मवेशियों, 74 प्रतिशत भेड़ों और 78 प्रतिशत बकरी आबादी का भरण-पोषण करते हैं। इस तरह से, मॉनसून की तैयारी पूरे गांव के लिए एक पवित्र अनुष्ठान होता है। सामूहिक प्रयासों से तालाबों से गाद निकालकर साफ किया जाता है। खेतों की ठीक तरह से मेड़बंदी की जाती है। लेकिन बच्चों के लिए, हथेलियों पर बारिश के पानी की बौछारें और उसमें 'बारिश को पकड़ना' महसूस करना एक अद्भुत आनंद दे जाता है।

हम अपने समृद्ध इतिहास में गोता लगाएं तो पानी के भंडारण और सिंचाई के लिए जलाशयों की अद्भुत संरचनाओं की जानकारी मिलती है, जिसे मुख्य रूप से पानी की उपलब्धता में मौसमी उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए बनाया जाता था। उन्हें बावरी, बावड़ी, वाव (गुजराती) पुष्करणी (कन्नड़), बारव (मराठी) आदि जैसे अलग-अलग स्थानीय नामों से पुकारा जाता था। ऐसी संरचनाओं की सबसे पहली जानकारी 2500 ईसा पूर्व में मिलती हैं। सिंधु घाटी सभ्यता के तहत मोहनजोदड़ो स्थल पर बेलनाकार ईंटों से बने कुओं और स्नानागार का पता चलता है। सबसे पहले घाट उत्तर भारत में 100 ईसवी के आसपास बनाए गए थे। इनमें से कई संरचनाओं से जटिल इंजीनियरिंग कौशल का पता चलता है और कुछ तो भूकंप में भी सुरक्षित रहे। इनमें से कुछ जलाशय हमारे पौराणिक महाकाव्यों से अटूट रूप से जुड़े हुए हैं। मेरे संसदीय क्षेत्र में मौजूद कालका की बावड़ियों और मोरनी हिल्स के तालों का इस्तेमाल कथित तौर पर निर्वासन काल के दौरान पांडवों द्वारा किया गया था।

अब हम अलग युग में रह रहे हैं। हमें अपनी व्यक्तिगत और विकासात्मक दोनों जरूरतों के लिए पानी की आवश्यकताहै। बढ़ती आबादी के साथ, हमारी पानी की जरूरत भी कई गुना बढ़ गई है। इस जरूरत का अधिकांश भाग भूजल से पूरा किया जाता है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत किसी भी अन्य देश की तुलना में भूजल पर अधिक निर्भर है- यह भूजल की वैश्विक मांग का लगभग एक चौथाई हिस्सा है। आम तौर पर भारत के 1.35 अरब लोगों में से लगभग 80 प्रतिशत लोग पीने के पानी और सिंचाई दोनों के लिए भूजल पर निर्भर हैं। इसके चलते भूजल स्तर में खतरनाक स्तर पर गिरावट आई है।

हमारा देश 18 प्रतिशत वैश्विक मानव आबादी का घर है लेकिन इसके पास केवल 2 प्रतिशत भूमि और 4 प्रतिशत वैश्विक मीठे पानी के संसाधन हैं। भारत में सालाना औसतन करीब 1170 मिमी वर्षा होती है। इसका 80-90 प्रतिशत हिस्सा मॉनसून के दौरान प्राप्त होता है। ऐसे में वर्षा के पानी का दोहन बिल्कुल आवश्यक है।

एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, अगर बारिश के आधे पानी को भी बचा लिया जाए, तो भारत का हर गांव अपनी घरेलू पानी की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा (आर अग्रवाल और अन्य, 2001)। एक अन्य अध्ययन (यूएन-हैबिटेट एंड गवर्नमेंट ऑफ एमपी) में बताया गया है कि 250 वर्गमीटर के भूखंड में छत पर गिरने वाले वर्षा के पानी को संरक्षित किया जाए तो सालभर 5 लोगों के एक परिवार का काम (50 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन) चल सकता है।

बारिश के पानी को बचाने की आवश्यकता को महसूस करते हुए, मोदी सरकार ने साल2019 में देश के 256 जल संकटग्रस्त जिलों को कवर करते हुए जल शक्ति अभियान (जेएसए) शुरू किया। यह अपनी तरह का पहला अभियान था जिसमें सीडब्लूसी और सीजीडब्लूबी के तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम ने संयुक्त सचिव रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में स्थानीय अधिकारियों को बारिश के पानी के दोहन के बारे में जागरूक करने के लिए क्षेत्र का दौरा किया। नतीजे काफी अच्छे रहे। छत के ऊपर गिरने वाली बारिश की बूंदों के संचयन और जल निकायों के कायाकल्प के लिए सफलतापूर्वक हस्तक्षेप किए गए।

अब, माननीय प्रधानमंत्री ने 22 मार्च 2021 को एक राष्ट्रव्यापी अभियान जल शक्ति अभियान 2 (जेएसए-2) शुरू किया है, जिसका शीर्षक है- बारिश की बूंदें बचाइए : जहां भी गिरे, जब भी गिरे। हमारा मकसद सभी बड़े सार्वजनिक और निजी उद्यमों को इस दिशा में अपने कार्यों को समन्वित कर लाभ उठाना है। हमारे मंत्रालय ने 'कैचिंग द रेन' के लिए हाथ मिलाने के लिए रक्षा, ग्रामीण विकास, पर्यावरण और वन मंत्रालय, कृषि, शहरी विकास, रेलवे, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, विश्वविद्यालयों आदि के साथ समन्वय किया है।

कोविड-19 की दूसरी गंभीर लहर के बावजूद, इस अभियान ने साधारण लेकिन महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 1.12 लाख जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन (आरडब्लूएच) संरचनाओं के निर्माण की जानकारी दी है, जिस पर3,671 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं जबकि 1.35 लाख अतिरिक्त संरचनाओं पर कार्य प्रगति पर है। 1660 करोड़ रुपये की लागत से अब तक 24,332 पारंपरिक संरचनाओं और मौजूदा जलाशयों का नवीनीकरण किया गया है और जल्द ही 30,969 अतिरिक्त संरचनाओं का कायाकल्प होने की उम्मीद है। शहरी विकास मंत्रालय ने 897 आरडब्लूएच संरचनाओं का नवीनीकरण किया है जबकि 1.01 लाख नई आरडब्लूएच संरचनाएं बनाई गईं। संरचनाओं के निर्माण तक ही सीमित न होकर, इस अभियान ने फसल विविधीकरण, वनीकरण और जल उपयोग दक्षता (डब्लूयूई) पर सूचना के प्रसार को अपने शासनादेश के तहत आगे बढ़ाया है। कृषि विभाग ने केवीके के माध्यम से 315 प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए हैं जिसमें लगभग 10 हजार किसानों को उपयुक्त फसल और डब्लूयूई पर प्रशिक्षण दिया गया है। किसानों से उपयुक्त फसल लगाने के आग्रह के साथ लगभग 3,604 बीज पैकेट और 44,952 पौधे बांटे गए।

यह सब कोई नया खर्च किए बगैर, केवल विभिन्न विभागों के बीच तालमेल को बढ़ावा देकर और उनके आवंटित बजट का उपयोग करके हमारी सरकार के सिद्धांत - 'न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन' के अनुरूप किया गया है। तर्कसंगत और आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि- ये विभाग, बजट और अधिकारी पिछली सरकारों के लिए भी उपलब्ध थे फिर भी किसी ने इस पैमाने पर जल संरक्षण के महत्वपूर्ण मुद्दे पर परवाह क्यों नहीं की? किसी ने भी ऐसा विजन या मंशा क्यों नहीं दिखाई? मैं इसे आपके विचार के लिए छोड़ता हूं।

इस स्तर का कोई अभियान युवाओं की ऊर्जा को साथ लिए बना सफल नहीं हो सकता था। उन्हें एक महत्वपूर्ण हितधारक बनाने के लिए, नेहरू युवा केंद्र के समर्पित कैडर को 623 जिलों में सशक्त जागरूकता कार्यक्रम चलाने के लिए शामिल किया गया। 700 राज्य/जिला स्तर के एनवाईकेएस समन्वयकों को पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है और लगभग 2.27 करोड़ लोग अब तक उनके माध्यम से आयोजित करीब 16 लाख गतिविधियों में हिस्सा ले चुके हैं।

ऐसा कहा जाता है कि नेतृत्व में विजन को हकीकत में बदलने की क्षमता होती है। मोदी सरकार 2.0 में जल संरक्षण के मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखना श्री नरेन्द्र मोदी का विजन था। लगातार दूसरे कार्यकाल में शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, जल शक्ति मंत्रालय की स्थापना की गई और जेएसए-1 का शुभारंभ किया गया। प्रधानमंत्री मोर्चे पर नेतृत्व कर रहे हैं। इस अभियान की सफलता के लिए उन्होंने सभी ग्राम सरपंचों के साथ-साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर सक्रिय रूप से भाग लेने और योगदान करने को कहा है। उनके प्रयास जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने के दृढ़ संकल्प को व्यक्त करते हैं। मुझे विश्वास है कि ईमानदार प्रयासों और जनभागीदारी से हम जल्द ही 'जल' आंदोलन को 'जन' आंदोलन में बदलने में सक्षम होंगे।

ऋग्वेद का एक श्लोक है जिसमें स्वर्ग के पुत्र 'परजन्य' (बादल) को पृथ्वी पर बारिश करने वाले देवता के रूप में बताया गया है जिसके चलते इस ग्रह पर जीवन का बीज अंकुरित होता है।

जेएसए-2 के साथ, जीवन और आजीविका को बनाए रखने के लिए आइए सामूहिक रूप से बारिश की बूंदों को बचाएं। वास्तव में, बचपन के दिनों में हमने अपने हाथों से जो कोशिश की थी, उसे तकनीकी हस्तक्षेप और जनभागीदारी की मदद से व्यापक रूप से बढ़ाने की जरूरत है।
(लेखक : जल शक्ति राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया)
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ज़िन्दगी हारी कहां हैं मौत से

Posted: 11 Jun 2021 03:34 AM PDT

ज़िन्दगी हारी कहां हैं मौत से

ज़िन्दगी हारी कहां हैं मौत से, 
जिन्दगी तो जूझना सिखाती है।
छोड़ कर नफरतें एक दूसरे से,
जिन्दगी प्यार से रहना सिखाती है।

छोड़कर जाती कभी जब जिन्दगी,
देह वस्त्र बदल आती तब ज़िन्दगी।
कब मरा कोई यहां मौत से, मगर
बुरे कर्मों से मर जाती है ज़िन्दगी।

सत्कर्म होने लगे प्रधान जब,
जिन्दगी को होने लगे गुमान तब।
मर कर भी जीवित शिवा लक्ष्मी,
मौत भी यह देखकर हैरान अब।

अ कीर्ति वर्द्धन
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