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- गलत नहीं है जाति आधारित जनगणना की मांग—प्रथम भाग (CASTE BASED CENSUS IS NOT A WRONG DEMAND—Part I)
- विश्वकर्मा पूजा अवकाश के लिए महासभा ने दिया धरना व ज्ञापन
- राष्ट्रपति के करकमलों से हुआ आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास
गलत नहीं है जाति आधारित जनगणना की मांग—प्रथम भाग (CASTE BASED CENSUS IS NOT A WRONG DEMAND—Part I) Posted: 29 Aug 2021 12:44 AM PDT (CASTE BASED CENSUS IS NOT A WRONG DEMAND—Part I) प्रोफेसर आर पी सिंह, वाणिज्य विभाग, गोरखपुर विश्वविद्यालय E-mail: rp_singh20@rediffmail.com Contact : 9935541965 जाति आधारित जनगणना की मांग विपक्ष की मांग गलत नहीं है। यह सोच खोखली है कि राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, नैतिकता और मानववाद की हवा बहा देने से जातिवाद स्वतः समाप्त हो जाएगा अथवा यह कि आरक्षण हटा देने से। आरक्षण से पहले तो भारत में जातिवाद और भी प्रचंड रूप में था। लोहा ही लोहे को काटता है इसी तर्ज पर जातीय व्यवस्था और जातिवाद का समाधान करना होगा। 13 सौ वर्षों से पाली गई इस बीमारी को असाध्य मानते हुए दीनदयाल उपाध्याय और बाल गंगाधर तिलक जैसे अनेक विचारकों ने तो इसे हिंदुत्व की मूल विशेषता ही मान ली। इसका समाधान कुछ ठोस उपायों से ही किया जा सकता है। जाति की यह बीमारी भारत की सबसे बड़ी कमजोरी और पिछड़ेपन व पतन के लिए जिम्मेदार रही है। राष्ट्र को यदि मजबूत बनाना है तो जातीय पहिचान की बैशाखी के बिना चलना सीखना होगा, जाति भेद का अस्तित्व ही समाप्त करना होगा, इसका कारगर समाधान करना होगा अन्यथा यह हिंदुत्व ही नहीं समूचे भारत के अस्तित्व के लिए भी खतरा बनने जा रही है। सवर्णवादी आरक्षण को हटाने की बात करते हैं जबकि आरक्षण के समर्थक 'पहले जाति तब आरक्षण हटेगा' का आह्वान करते हैं। जाति व्यवस्था भारत की सदियों की गुलामी का कारण रही है पर आज के विज्ञान और टेक्नालजी के युग में जाति-व्यवस्था का उन्मूलन उतना कठिन नहीं है जितना लगता है। संकल्प और युक्ति अपनानी होगी। जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के वकील तथा प्राउटिस्ट समाज व प्रगतिशील बघेली समाज से जुड़े उदय कुमार साहू इसका स्पष्ट, साहसिक, कारगर व रोचक सुझाव देते हैं, "जातीय विवाह प्रथा है जबतक , जातिवाद व आरक्षण है तबतक । अन्तर सम्प्रदायिक विवाह की करो शुरुआत । संप्रदायवाद और जातिवाद से देश पायेगा निजात । 'जातीय विवाह प्रथा' संविधान के लक्ष्य को खासकर मूल अधिकार, समाजवाद, आर्थिक आजादी, स्वतंत्रता तथा राष्ट्रीय एकता के लक्ष्य को प्राप्त करने में बाधक है इसलिये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 के तहत जातीय विवाह प्रथा शून्य है। इस प्रथा को शून्य कराए जाने के लिये न्यायालय के शरण में जाने की जरुरत नहीं है । सभी जातीय या सम्प्रदायिक विवाद का मूल कारण जातीय विवाह प्रथा है जो संविधान विरोधी होने के बावजूद भी सरकारों के द्वारा दन्ड्नीय अपराध नहीं बनाया गया है । राष्ट्र के कल्याण के लिये केंद्र सरकार द्वारा भारतीय दंड संहिता में एक नई धारा 494A जोड़ा जाना चाहिए जिसके तहत जातीय विवाह करने वालों को 10 वर्ष का जेल और 50,000 / रुपए जुर्माने का प्रावधान हो। जातीय विवाह करने वालो को सरकारी नौकरी से वंचित करने का प्रावधान सेवा कानून में किया जाना चाहिए । जातीय परिभाषा में सामान्य, ओबीसी, एससी, एसटी, मुस्लिम ,इसाई,बौध ,पारसी आदि को अलग-अलग जाति माना जाना चाहिए ताकि ओबीसी का विवाह ओबीसी में न होकर किसी अन्य में हो, उसी प्रकार मुस्लिम का विवाह मुस्लिम में ना हो सके, इत्यादि।" मैं समझता हूँ कि इस देश ही नहीं दुनिया में सभ्यताओं के टकराव के समाधान की दिशा में साहू जी के पूर्वोक्त सुझाव सटीक औषधि साबित होंगे। अतः इन्हें हर कीमत पर लागू करना होगा। इन सटीक व उत्तम सुझावों को लागू कर बहुत कम समय, 4 या 5 सालों में ही भारत के जाति और संप्रदाय के ताने-बाने को पूरी तरह से ध्वस्त कर सकते हैं। पर इसमें विचारधारा व परिस्थितियों के अनुरूप कुछ जोड़-घटाना पड़ेगा। जैसे: भारत के भीतर दो विदेशियों के बीच शादी के मामले में यह नियम लागू नहीं होगा लेकिन अगर कोई भी पार्टनर भारतीय मूल का विदेशी नागरिक है तो यह लागू रहेगा। इस तरह के दण्डात्मक उपायों का कुछ लोग इस आधार पर विरोध करते हैं कि ऐसे मामलों में धनात्मक उपाय अपनाएं। पर लम्बे समय से समाज सुधारकों ने सकारात्मक ढंग से भारतीय समाज को जाति और सम्प्रदाय वादों से बाहर निकालने का प्रयास किया पर विफल रहे और स्थितियां और भी जटिल हुई हैं। अतः लाख विरोधों के बावजूद निषेधात्मक व दन्डकारी उपायों का कम से कम बीस वर्षों तक दृढ़ता से उपयोग निश्चित ही सटीक परिणाम देगा। टाईटिल हटाना समाधान है क्या? कुछ लोग नाम से टाइटल हटाते रहे हैं तो भी जाति-व्यवस्था यथावत है। वास्तव में यह पूर्वोक्त कानूनी उपाय के बाद ही प्रभावी हो सकता है। अगले चरण में जाति बोधक टाइटल्स को हटाने व आगे के उपयोग को भी कानूनन प्रतिबंधित करना आवश्यक होगा। टाईटिल हटाना समाधान होता तो सुभाष चंद्र बोस, ज्योतिबा फूले, डा भीमराव अंबेडकर, अरविंद घोष, मोहनदास करम चंद गांधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर, सरदार पटेल, श्री प्रभात रंजन सरकार आदि अनेकों चर्चित नाम हैं जो बड़ी आसानी से टाईटिल हटाकर समाधान दे दिये होते। फिर महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, छ्त्रसाल, राजा सुहेलदेव के नाम के आगे टाईटिल तो नहीं है, पर क्या इनकी जातीय पहिचान खत्म हो गयी? टाईटिल हटाने से कुछ नाम भले ही (सभी नहीं) सूने या अधूरे लगें पर पूर्वकथित कठोर उपायों को लागू किए सिर्फ बिना टाईटिल हटा देने से काम नहीं चलेगा। सारे टाईटिल्स के उपयोग को पहले संवैधानिक/कानूनी तौर पर अंतरजातीय व अंतर्राष्ट्रीय बनाया जाय तथा बाद में जातिबोधक टाईटिल्स को कानूनन प्रतिबंधित किया जा सकता है। हाँ, जाति व संप्रदाय बोधक संगठनों को पहले ही पूरी कठोरता प्रतिबंधित और दंडनीय करना होगा भले ही वे जाति या समुदाय के सुधार पर बनी हों, ताकि वोट की जाति-संप्रदाय वाली राजनीति पर सीधे चोट की जा सके। मुसलमानों में भी जातिवाद है ईसाइयों में भी जातिवाद और नस्लवाद है इस आधार पर हिंदुत्व में जातिवाद को सही तो नहीं ठहराया जा सकता। इन सबसे गंभीर बात है जिसको समझने की आवश्यकता है: यह तो देखे कि ईसाइयत पूरी दुनिया में फैली, 57 देश इस्लामी हो गये और हिंदू भारत तक ही सीमित रह गया और कौन सा भारत जो पिछले 1300 वर्षों में सिमट कर 40% रह गया। जो हुआ उसे भूल जाने को नहीं कहूँगा। लेकिन सोचें कि हम इतने कमजोर कैसे होते गए। लोग बड़ी आसानी से कह देते हैं कि यह जयचंदों की वजह से हुआ है किंतु जयचंद और मीर जाफर किस कौम में नहीं हुए हैं। वास्तविकता बिल्कुल हटकर कर हैं। इस मुद्दे पर अगले अंक में चर्चा होगी। |
विश्वकर्मा पूजा अवकाश के लिए महासभा ने दिया धरना व ज्ञापन Posted: 28 Aug 2021 02:49 AM PDT कैलाश सिंह विकास वाराणसी विश्वकर्मा पूजा अवकाश के लिए महासभा ने दिया धरना व ज्ञापन वाराणसी 27 अगस्त ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के तत्वावधान में समाज के सैकड़ों लोगों ने आज मुख्यालय स्थित शास्त्री घाट पर विश्वकर्मा पूजा अवकाश की मांग को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा के नेतृत्व में धरना दिया एवं जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। धरने में शामिल लोग अपनी मांगों से संबंधित नारे लिखी हुई तख्तियां लिए हुए थे। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने कहा देश में अनेक महापुरुषों देवी देवताओं एवं राजनेताओं के नाम पर उनके सम्मान में अवकाश घोषित है। भगवान विश्वकर्मा देव शिल्पी तथा सृजन एवं रचना के देवता माने जाते हैं। और वह सभी जाति धर्म वर्ग के लोगों की आस्था के प्रतीक हैं। विश्वकर्मा पूजा का पर्व पौराणिक परंपरा के साथ ही विश्वकर्मा समाज की सांस्कृतिक विरासत सामाजिक पहचान और गौरव का प्रतीक पर्व है। उन्होंने बताया पूर्ववर्ती सरकार में विश्वकर्मा पूजा का अवकाश घोषित था।जिसे वर्तमान सरकार ने महापुरुष का दर्जा देते हुए रद्द कर दिया गया है। जिससे भगवान विश्वकर्मा में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों की भावनाओं को गहरा आघात लगा है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने घोषणा किया था कि भगवान विश्वकर्मा के जीवन चरित् को शैक्षिक पाठ्य क्रमों में शामिल किया जाएगा। जिसे आज तक पूरा नहीं किया गया। विश्कर्मा समाज की मांग है की सरकार अपना वादा पूरा करते हुए विश्वकर्मा पूजा पर्व 17 सितंबर का सार्वजनिक अवकाश घोषित करे। धरना के पश्चात पदयात्रा निकालकर अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रेषित किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से श्रीमती रेखा शर्मा चेयरमैन नगर पालिका परिषद रामनगर नंदलाल विश्वकर्मा सुरेश शर्मा एडवोकेट लोचन विश्वकर्मा भैरव विश्वकर्मा रमेश विश्वकर्मा सुरेश विश्वकर्मा महेंद्र विश्वकर्मा मनोज विश्वकर्मा सतनाम सिंह भरत विश्वकर्मा जीऊत विश्वकर्मा श्रीमती श्याम सुंदरी सोनी देवी बबीता विश्वकर्मा समीम अहमद अंसारी राजेंद्र विश्वकर्मा सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे। |
राष्ट्रपति के करकमलों से हुआ आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास Posted: 28 Aug 2021 02:25 AM PDT कृपा शंकर चौधरी राष्ट्रपति के करकमलों से हुआ आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास गोरखपुर। प्रदेश के पहले महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का पिपरी, तरकुलहा भटहट ब्लाक में महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार रामनाथ कोविंद के कर कमलों द्वारा भूमि पूजन शिलान्यास किया गया साथ में देश की प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार आयुष विभाग यूपी डॉ धर्म सिंह सैनी मंत्री सुर्य प्रताप शाही मंत्री अनिल राजभर सांसद रवि किशन विधायक महेंद्र पाल सिंह तथा एडीजी जोन अखिल कुमार एडीजी सुरक्षा विनोद कुमार सिंह डीआईजी गोरखपुर परिक्षेत्र गोरखपुर जे रविंद्र गौड़ कमिश्नर रवि कुमार एनजी जिला अधिकारी विजय किरन आनंद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन ताडा मंच सुरक्षा व्यवस्था देख रहे पुलिस अधीक्षक उत्तरी मनोज कुमार अवस्थी व पुलिस अधीक्षक नगर सोनम कुमार ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/ एसडीएम सदर कुलदीप मीना ज्वाइन्ट मजिस्ट्रेट सुमित महाजन अपर आयुक्त अजय कांत सैनी पुलिस अधीक्षक अपराध डॉ महेंद्र पाल सिंह सहायक पुलिस अधीक्षक राहुल भाटी सहित सुरक्षा व्यवस्था में लगाए गए अन्य अधिकारीगण व सुरक्षा व्यवस्था छावनी में तन्ध्दिल रह पिपरी गोरखपुर एयरपोर्ट से लगाये पिपरी व पिपरी से सोनबरसा तथा सोनबरसा से गोरखनाथ मंदिर व गोरखनाथ से एयरपोर्ट तक हर गली हर मोड़ पर जवान सुरक्षा व्यवस्था के लिए मौजूद रहे।आयुष विश्वविद्यालय का राष्ट्रपति ने किया शिलान्यास |
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