दिव्य रश्मि न्यूज़ चैनल |
- भारतीय जन महासभा के द्वारा प्रस्तावित वनभोज स्थगित
- मुख्यमंत्री ने आई0जी0आई0एम0एस0 से बिहार में 15 से 18 आयु वर्ग के बच्चों के कोविड टीकाकरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया, जिनोम सिक्वेंसिंग लैबोरेट्रिज का भी किया निरीक्षण
- ‘जनता के दरबार मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री, 180 लोगों की सुनी समस्याएं, अधिकारियों को दिये आवश्यक दिशा-निर्देश
- मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित ‘पटना साहिब भवन’ का किया उद्घाटन
- मुख्यमंत्री ने सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग के बिहार डायरी एवं कैलेण्डर 2022 का किया लोकार्पण
- 4 जनवरी 2022, मंगलवार का दैनिक पंचांग एवं राशिफल - सभी १२ राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन ? क्या है आप की राशी में विशेष ? जाने प्रशिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. प्रेम सागर पाण्डेय से |
- झारखंड में लॉकडाउन को लेकर हुआ फैसला
- महिला सशक्तिकरण का प्रथम श्रेय सावित्री बाई फुले को : वेद प्रकाश तिवारी
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- राजनीति और महामारी का भारत देश पर 2022 में कैसा रहेगा भविष्य?
- समिति के अभियान से प्रेरित अनेक युवाओं ने‘चैत्र शुक्ल प्रतिपदा’ को ही नववर्ष मनाने का किया संकल्प !
- बिहार का पहला खाद्य प्रसंस्करण कार्यालय का पटना में केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस ने किया उदघाटन
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भारतीय जन महासभा के द्वारा प्रस्तावित वनभोज स्थगित Posted: 03 Jan 2022 07:35 AM PST
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Posted: 03 Jan 2022 07:12 AM PST मुख्यमंत्री ने आई0जी0आई0एम0एस0 से बिहार में 15 से 18 आयु वर्ग के बच्चों के कोविड टीकाकरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया, जिनोम सिक्वेंसिंग लैबोरेट्रिज का भी किया निरीक्षणपटना, 03 जनवरी 2022:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज आई0जी0आई0एम0एस0 से बिहार में 15 से 18 आयु वर्ग के बच्चे-बच्चियों के कोविड टीकाकरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री की उपस्थिति में सुश्री ऋतिका कुमारी को बिहार में 15 से 18 आयु वर्ग की श्रेणी में कोरोना टीका का पहला डोज दिया गया। मुख्यमंत्री ने सुश्री ऋतिका कुमारी से टीका लेने के उपरांत हाल चाल जाना। मुख्यमंत्री ने आई0जी0आई0एम0एस0 में जिनोम सिक्वेंसिंग लैबोरेट्रिज का भी निरीक्षण किया और वहां चिकित्सकों से इसकी पूरी प्रक्रिया की जानकारी ली। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक श्री संजय कुमार सिंह, बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के अपर कार्यपालक निदेशक श्री अनिमेश कुमार पराशर, आई0जी0आई0एम0एस0 के निदेशक श्री एस0 आर0 विश्वास, आई0जी0आई0एम0एस0 के अधीक्षक श्री मनीष मंडल सहित अन्य वरीय पदाधिकारी एवं चिकित्सकगण उपस्थित थे। कार्यक्रम के पश्चात पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आई0जी0आई0एम0एस0 सहित पूरे बिहार में 15 से 18 साल के बच्चों के लिए आज से कोविड वैक्सीनेशन की शुरुआत की गई है। 15 से 18 वर्ष के बच्चे-बच्चियों का सर्वेक्षण भी किया गया है। हमलोग टीकाकरण का कार्य तेजी से करेंगे। राज्य में 10 करोड़ से ज्यादा कोरोना टीकाकरण का डोज दिया जा चुका है। हमलोग सभी को कोरोना टीका लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हमलोगों का लक्ष्य है सभी लोगों का टीकाकरण हो जाए ताकि सबकी सुरक्षा हो सके। पूरी दूनिया, अपने देश और राज्य में भी कोरोना का तीसरा दौर शुरु हो गया है। उन्होंने कहा कि जिनोम सिक्वेंसिंग की जांच के सैंपल बाहर भेजने की बजाए अब इसकी जांच भी आज से यहीं होगी, जिसकी आज से शुरुआत कर दी गई है। इस जांच से पता चल सकेगा कि मरीज ओमिक्रोन से संक्रमित हैं या नहीं। यदि संक्रमित पाए जाते हैं तो उनका इलाज जल्दी से हो सकेगा। स्वास्थ्य मंत्री एवं सभी अधिकारीगण एक-एक चीज पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।लॉकडाउन लगाए जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले से ही 5 जनवरी तक का गाइडलाइन जारी किया गया है। कल शाम में बैठक होगी जिसमें आगे क्या-क्या करना है उसके बारे में निर्णय लिया जाएगा। प्रारंभिक दौर में अगले 5-7 दिन के लिए निर्णय लिया जाएगा और परिस्थिति के अनुसार जैसा होगा आगे किया जाएगा। हमलोग लगातार कोरोना जांच की संख्या बढ़ाते रहे हैं। एक दिन में दो लाख से भी ज्यादा जांच किया गया है। देश में 10 लाख की जनसंख्या पर जितना औसतन कोरोना जांच है उससे हमलोगों के यहां जांच ज्यादा हुई है, हमलोगों के यहां 5 लाख 30 हजार जांच किया गया है, जबकि देशभर में 5 लाख से कम है। पहले जो जांच हो रही थी उसमें संक्रमितों की संख्या कम थी, मगर इधर जो जांच हो रही है उसमें संक्रमितों की संख्या अचानक से बढ़ने लगी है। हमलोगों को निरंतर जांच करते रहना है। समाज सुधार अभियान जारी रखने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी वैसी स्थिति नहीं आयी है। हमलोग जो भी मीटिंग करते हैं सभी लोगों को वहां सुरक्षित तरीके से रखा जाता है। जीविका दीदियां सुरक्षा के साथ आती हैं और उनको वहां बैठाया जाता है। लोगों की बात सुनते हैं। समीक्षा बैठक भी होती है। उन्होंने कहा कि आगे क्या कर सकते हैं इसके संबंध में भी देखा जाएगा। यह समाज सुधार यात्रा नहीं है बल्कि यह एक अभियान है, यात्रा उसका सीमित पक्ष है। विकास के साथ समाज सुधार होना चाहिए, समाज सुधार सबके हित में है। आपस में प्रेम-भाईचारे का भाव रहना चाहिए। कोई कुछ बोलता है उसको इसकी समझ नहीं है तो उससे हमको क्या मतलब है। हमलोग अपना काम करेंगे। कभी न कभी लोगों को समझ में आएगा। जिनके बारे में आप कह रहे हैं वो भी कभी मेरे साथ घूमे हैं। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
Posted: 03 Jan 2022 07:07 AM PST 'जनता के दरबार मुख्यमंत्री' कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री, 180 लोगों की सुनी समस्याएं, अधिकारियों को दिये आवश्यक दिशा-निर्देशपटना, 03 जनवरी 2022:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज 4, देशरत्न मार्ग स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में आयोजित 'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम में शामिल हुये। 'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राज्य के विभिन्न जिलों से आये 180 लोगों की समस्याओं को सुना और संबंधित विभागों के अधिकारियों को समाधान के लिए समुचित कार्रवाई के निर्देश दिए। आज 'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम में सामान्य प्रशासन विभाग, गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग, निगरानी विभाग, खान एवं भू-तत्व विभाग, निर्वाचन विभाग, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के मामलों पर सुनवाई हुयी। मुख्यमंत्री ने 'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम में शामिल होकर लोगों की शिकायतें सुनीं। पूर्वी चंपारण के एक व्यक्ति ने दहेज हत्या मामले पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की शिकायत की तो वहीं अगमकुआं, पटना की दहेज के लिए दर्ज एफ0आई0आर0 पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की शिकायत की। मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक को मामले पर शीघ्र कार्रवाई करने का निर्देश दिया। एक व्यक्ति ने कहा कि मेरी भूमि को कुछ लोगों के द्वारा अतिक्रमित कर लिया गया है। इस संबंध में जिलाधिकारी ने दो बार अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया, फिर भी सी0ओ0 ने अतिक्रमण नहीं हटवाया। मुख्यमंत्री ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को उचित कार्रवाई का निर्देश दिया। मुजफ्फरपुर से आए एक बुजुर्ग ने मुख्यमंत्री से कहा कि उनके बेटे का अपहरण हो गया है। पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने अब तक कुछ भी नहीं किया। मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव गृह विभाग को कार्रवाई करने का निर्देश दिया। रुपसपुर, पटना से आयी एक लड़की ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए कहा कि मेरे साथ रेप किया गया है। हमने रूपसपुर थाने में केस दर्ज कराया है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। साथ ही अब आई0ओ0 और थानेदार फोन तक नहीं उठाते हैं। मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक को कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अररिया से आए एक युवक ने कहा कि मेरे छोटे भाई की हत्या 2020 में हुई थी। हत्या को अंजाम देने के बाद भी अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए डेढ़ साल से हम दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, मगर कुछ नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को जांचकर न्यायोचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। समस्तीपुर से आयी एक महिला ने कहा कि पांच वर्ष पहले हमने पांच कट्ठा जमीन खरीदी थी लेकिन उस पर दूसरे लोगों ने कब्जा कर लिया है। वहीं बेगूसराय के एक व्यक्ति ने कब्रिस्तान की घेराबंदी को लेकर शिकायत की। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को उचित कार्रवाई का निर्देश दिया। 'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री रामसूरत कुमार, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री श्री सुनील कुमार, खान एवं भूतत्व मंत्री श्री जनक राम, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेशक श्री एस0के0 सिंघल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार सहित संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, पटना के जिलाधिकारी श्री चंद्रशेखर सिंह तथा वरीय पुलिस अधीक्षक श्री मानवजीत सिंह ढिल्लो उपस्थित थे। कार्यक्रम के पश्चात् मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत की। बिहार में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले से संबंधित सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली बार की तरह ही इस बार भी कोरोना के मामले अचानक तेजी से बढ़ रहे हैं, यह बड़ा ही दुखद है। जनता दरबार में शामिल होनेवालों का पहले कोरोना की जांच की जाती है। आज की जांच में 6 व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं। खान-पान की व्यवस्था देखने वाले एक व्यक्ति भी कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं। इसको लेकर हम सबों को अलर्ट रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आज पूरे बिहार से कोरोना रिपोर्ट लेने के बाद कल की बैठक में आगे का निर्णय लिया जायेगा। सरकारी कार्यालयों समेत सभी जगहों पर कोरोना की जांच की जा रही है। बिहार में काफी तादाद में कोरोना की जांच की जा रही है। बिहार में प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख लोगों की कोरोना जांच की जा रही है। कुछ दिन पहले तक कोरोना की जांच में कोई व्यक्ति पॉजिटिव नहीं पाये जाते थे। पिछले 8-10 दिनों में कोरोना के मामले में थोड़ी वृद्धि देखी गई लेकिन अभी अचानक मामले में तेजी से बढ़ोत्तरी होने लगी है। बिहार में ओमिक्रॉन की जांच शुरु हो गई है। अभी कई डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं। कोरोना को लेकर सबको सजग रहना जरुरी है। दुनिया भर और देश के साथ ही अब बिहार में कोरोना के मामले अचानक तेजी से सामने आ रहे हैं। समाज सुधार अभियान आगे जारी रखने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज सुधार अभियान के तहत कल के कार्यक्रम में जा रहे हैं। सरकार के द्वारा पहले से ही 5 जनवरी तक का गाइडलाइन जारी किया जा चुका है। अब पूरे बिहार से आज से लेकर कल शाम तक की रिपोर्ट लेने के बाद कल की बैठक में आगे का फैसला लिया जायेगा। अभी तक बिहार में कोरोना संक्रमण कंट्रोल में था, जिसके कारण हमलोग कई तरह के कार्यक्रम कर रहे थे। अब अचानक इसमें वृद्धि देखी जा रही है तो पूरी स्थिति की समीक्षा कर आगे का फैसला लिया जायेगा। इसको लेकर लोगों के बीच जागृति पैदा करना जरुरी है। पिछली बार की तरह इस बार भी उन सभी जगहों पर कोरोना संक्रमितों की इलाज की पूरी व्यवस्था की गई है, दवा का भी प्रबंध किया गया है। ऑक्सीजन की भी कोई समस्या नहीं है। कोरोना से संबंधित हर तरह की तैयारी की गई है। एक बार फिर से कोरोना को लेकर लोगों को जागरुक करना पड़ेगा। कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर यू0पी0 चुनाव टालने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी ऐसा नहीं लग रहा है क्योंकि इतना ज्यादा नहीं है कि चुनाव टाला जाय लेकिन इसको देखना पड़ेगा। कोरोना के दौर में पहले भी कई राज्यों में चुनाव हुए है। बिहार में भी एहतियात के साथ चुनाव कराये गये थे। जातीय जनगणना कराने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसको लेकर सर्वदलीय बैठक होनी है, सबकी सहमति आ जायेगी उसके बाद निर्णय किया जायेगा। हमें नहीं लगता है कि कोई असहमति की बात आयेगी। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित ‘पटना साहिब भवन’ का किया उद्घाटन Posted: 03 Jan 2022 07:01 AM PST मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित 'पटना साहिब भवन' का किया उद्घाटनपटना, 03 जनवरी 2022:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज गुरूद्वारा, गुरू के बाग स्थित परिसर में नवनिर्मित 'पटना साहिब भवन' का फीता काटकर एवं षिलापट्ट अनावरण कर उद्घाटन किया। उद्घाटन करने के पष्चात् मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित भवन का मुआयना किया और अधिकारियों को निर्देष देते हुये कहा कि यहां के व्यवस्थापकों से विमर्ष कर लें और जो भी आवष्यकता हो इनकी मदद करें। इस अवसर पर राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री राम सूरत कुमार, पूर्व मंत्री-सह-विधायक श्री नंद किषोर यादव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेषक श्री एस0के0 सिंघल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, सचिव सूचना एवं जन-सम्पर्क श्री अनुपम कुमार, भवन निर्माण विभाग के सचिव श्री कुमार रवि, मुख्यमंत्री के विषेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, जिलाधिकारी पटना श्री चन्द्रषेखर सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक श्री मानवजीत सिंह ढिल्लो सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
मुख्यमंत्री ने सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग के बिहार डायरी एवं कैलेण्डर 2022 का किया लोकार्पण Posted: 03 Jan 2022 06:55 AM PST मुख्यमंत्री ने सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग के बिहार डायरी एवं कैलेण्डर 2022 का किया लोकार्पणपटना, 03 जनवरी 2022:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 4 देषरत्न मार्ग, मुख्यमंत्री सचिवालय में 'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम के पष्चात् बिहार सरकार के सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग द्वारा प्रकाशित बिहार डायरी 2022 एवं कैलेण्डर 2022 का लोकार्पण कर राज्य की जनता को समर्पित किया। बिहार की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत काफी समृद्ध है। यह भूमि विभिन्न सभ्यताओं के पुष्पित एवं पल्लवित होने का साक्षी है। बिहार में प्रचुर प्राकृतिक विविधता देखने को मिलती है। कहीं पहाड़, कहीं नदियाॅ तो कहीं प्राकृतिक संपदाओं एवं जंगली जानवरों से भरपूर वन। प्रकृति की यह विविधता बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिये पूरी तरह से कृतसंकल्पित है। पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिये किया गया विकास ही टिकाऊ होगा। इसी को ध्यान में रखते हुये महत्वाकांक्षी जल-जीवन- हरियाली अभियान चलाया गया है। बिहार में ऐसे अनेक स्थल हैं जहाॅ पर्यटक प्राकृतिक परिवेष का आनंद उठाने के लिये आते हैं। पर्यावरण को संरक्षित रखते हुये ही इन स्थलों का विकास किया जा रहा है तथा पर्यटकीय सुविधा विकसित की जा रही है। लोगों को इससे अवगत कराने के उद्देष्य से इस वर्ष के कैलेण्डर में ईको टूरिज्म की कुछ जगहों की झलकियाॅ कैलेंडर में दर्षाया गया है। कैलेण्डर के प्रथम पृष्ठ पर बापू के कथन को लिखा गया है कि 'पृथ्वी से हमें जो कुछ मिलता है, वह हमारी आवष्यकता को पूरा करने के लिये पर्याप्त है लेकिन हमारे लालच को पूरा करने के लिये पर्याप्त नहीं है।' कैलेंडर के अलग-अलग पृष्ठों में ईको टूरिज्म की अलग-अलग जगहों की झलकियाॅ दर्षायी गयी है। बिहार में हर वर्ष विदेशों से काफी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। साइबेरिया से आने वाले क्रेन, स्टॉर्क और अनेक पक्षी हजारों मील की यात्रा कर वर्षों से बिहार में अपना प्रवास बनाते हैं। पटना, दरभंगा, जहानाबाद, राजगीर, बेगुसराय, कटिहार, भागलपुर एवं जमुई प्रमुख जिले हैं जहाँ पर पक्षी आते हैं। लालसर, पिनटेल, ग्रे-हॉर्नबिल, परपल सनवर्ड, रोज-रिंग पाराकिट, ब्लैक-हुडेड ओरिओल, ब्राउन-हेडेड बरबेट, कौम्ब डक वर्ड आदि अनेक पक्षी हैं जो तीन-चार माह यहां पर रहते हैं। देश विदेश से आने वाले पक्षियों का प्रवास पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। बिहार प्राकृतिक सौन्दर्य का भंडार है। यहां अनेक जल प्रपात हैं जो पर्यटकों को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं। रोहतास जिले में तुतला भवानी, कैमूर जिले में तेलहर कुंड, करकट गढ़ तथा नवादा जिले में ककोलत जलप्रपात सहित कई जलप्रपात हैं जहां देश-विदेश के पर्यटक इनके सौन्दर्य एवं प्राकृतिक छटा का आनंद लेने के लिए पूरे वर्ष आते रहते हैं। नालंदा जिले के राजगीर में नेचर सफारी, पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। नेचर सफारी में ग्लास स्काई वाक, झूलता पुल, जिप लाइन साइकिल, एडवेंचर पार्क, बटरफ्लाई जोन और प्राकृतिक शिविर जैसे आकर्षक स्थल हैं जो पर्यटकों को रोमांचित करते हैं। गंगा नदी में पायी जाने वाली डॉलफिन का नामकरण गांगेय डॉलफिन किया गया है। बिहार सरकार के अनुरोध पर वर्ष 2010 में भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है। गांगेय डॉलफिन एक नेत्रहीन जलीय जीव है। प्रादेशिक तौर पर इसे 'सोंस' के नाम से भी जाना जाता है। यह इकोलोशन (प्रतिध्वनि) और सूंघने की अपार क्षमताओं के माध्यम से अपना शिकार और भोजन तलाशती है। यह मांसाहारी, स्तनधारी जलीय जीव है। बिहार में कई स्थल हैं जो प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है। जंगलों से घिरे पहाड़ों के बीच प्राकृतिक विशाल जलाशय या मानव निर्मित संरचनाओं के विकास से बने कई जलाशय अत्यंत सुंदर है तथा पर्यटकों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती हैं। मंदार पर्वत लगभग 700 फीट की ऊँचाई पर स्थित एक छोटा सा पहाड़ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मंदार पर्वत को समुद्र मंथन के दौरान मथानी के रूप प्रयोग किया गया था। इस पहाड़ पर एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है। मंदार पर्वत पर एक तालाब है जिसे पापहरनी तालाब के नाम से जाना जाता है। इस तालाब के बीच एक छोटा सा मंदिर है। पर्यटकों के लिए यहाँ पर एक नये रोप-वे का निर्माण कराया गया है तथा अन्य सुविधाएँ विकसित की गई है। घोड़ा कटोरा राजगीर के पास अत्यंत सुंदर पर्यटन स्थल है। छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरी यह झील बहुत सुंदर दिखाई देती है। झील के मध्य में भगवान बुद्ध की आकर्षक प्रतिमा है। यह प्रतिमा एक ही ठोस पत्थर से बनी हुई है जो इसे और भी मनमोहक बना देती है। पर्यटकों के लिए यहाँ पार्क एवं अन्य सुविधाएं भी विकसित की गई है जो इसे इको टूरिज्म के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है। बिहार राज्य के विभिन्न शहरों में कई आकर्षक पार्कों का निर्माण किया गया है। यहाँ पर राजधानी पटना में अवस्थित कुछ मनोरम पार्कों को दर्शाया गया है। राजधानी वाटिका के तीन हिस्सों में एक अंश को इकोलोजिकल पार्क या इको पार्क के नाम से जाना जाता है। इस पार्क में वाटर स्पोर्ट्स तथा बच्चों के खेलने की व्यवस्था मौजूद है। इसके अतिरिक्त बुद्ध स्मृति पार्क पटना जंक्शन के पास 22 एकड़ जमीन पर बना उद्यान है जिसके माध्यम में 200 फीट ऊँचा एक स्तूप बना है। इसमें छह देशों से लाए गए 'बुद्ध अस्थि अवशेष' की मंजूषाए रखी गई हैं। यहाँ अनुराधापुर (श्रीलंका), बोध गया (बिहार) और श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश) से बोधिवृक्ष मंगाकर लगाये गये हैं। धर्मगुरु दलाई लामा द्वारा इस स्तूप को पाटलिपुत्र करुणा स्तूप का नाम दिया गया है। यह दुनिया भर के बौद्ध पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। भीमबांध गंगा नदी के दक्षिण में मुंगेर जिले में स्थित है। यह चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है। घाटी के भागों में और तलहटी में कई गर्म झरने हैं जिनमें भीमबांध, सीता कुंड तथा ऋषि कुंद प्रसिद्ध है। सभी गर्म झरने पूरे वर्ष लगभग समान तापमान बनाए रखते हैं। भीमबांध स्प्रिंग्स इनमें से सबसे गर्म है और इसका तापमान 52 डिग्री सेल्सियस से 65 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। यहां पर्यटकों के लिए पार्क एवं अन्य सुविधाएँ विकसित की गई हैं। बिहार में कई वन्य जीव आश्रयणी हैं जहां वन्य प्राणी अपने प्राकृतिक परिवेश में स्वतंत्र विचरण करते हैं। यहाँ कई जीव पाये जाते हैं जिनमे बाघ, भालू, चीता, चीतल, गैंडा, जंगली भैंसा आदि मुख्य हैं। इनसे आकर्षित होकर वन्य जीव प्रेमी एवं पर्यटक इन जगहों पर वर्ष भर आते रहते हैं। बिहार में लगभग हरेक जिले में कई सुंदर उद्यान का निर्माण किया गया है या पूर्व से मौजूद हैं। इनका विकास समय की जरूरतों और स्थानीय आवश्यकताओं के हिसाब से किया गया है। चेष्टा की गई है कि परिदृश्य से सामंजस्य बिठाया जाय ताकि रमणिक छठा प्रस्तुत हो। खास इस बात का ध्यान दिया गया है कि कम-से-कम स्थूलीय संरचनाओं और ज्यादा प्राकृतिक वनस्पति का विकास हो। आज किसी भी पार्क में सालभर उत्सव सा माहौल बना रहता है। बिहार डायरी एवं कैलेण्डर के लोकार्पण के अवसर पर राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री राम सूरत कुमार, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री श्री सुनील कुमार, खान एवं भूतत्व मंत्री श्री जनक राम, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेषक श्री एस0के0 सिंघल, अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार श्री विवेक कुमार, अपर मुख्य सचिव गृह श्री चैतन्य प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, खान एवं भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती हरजोत कौर, सचिव सूचना एवं जन-सम्पर्क श्री अनुपम कुमार एवं मुख्यमंत्री के विषेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह उपस्थित थे। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
Posted: 03 Jan 2022 06:51 AM PST 4 जनवरी 2022, मंगलवार का दैनिक पंचांग🔅 तिथि द्वितीया रात्रि 08:06:14 🔅 नक्षत्र उत्तराषाढ़ा दिन 01:33:11 🔅 करण : कौलव 17:21:23 तैतिल 27:55:03 🔅 पक्ष शुक्ल 🔅 योग हर्शण 21:35:56 🔅 वार मंगलवार ☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ 🔅 सूर्योदय 06:46:30 🔅 चन्द्रोदय 08:48:00 🔅 चन्द्र राशि मकर 🔅 सूर्यास्त 17:14:25 🔅 चन्द्रास्त 19:22:59 🔅 ऋतु शिशिर ☀ हिन्दू मास एवं वर्ष 🔅 शक सम्वत 1943 प्लव 🔅 कलि सम्वत 5123 🔅 दिन काल 10:22:46 🔅 विक्रम सम्वत 2078 🔅 मास अमांत पौष 🔅 मास पूर्णिमांत पौष ☀ शुभ और अशुभ समय ☀ शुभ समय 🔅 अभिजित 12:05:15 - 12:46:47 ☀ अशुभ समय 🔅 दुष्टमुहूर्त 09:19:11 - 10:00:42 🔅 कंटक 07:56:09 - 08:37:40 🔅 यमघण्ट 10:42:13 - 11:23:44 🔅 राहु काल 15:01:43 - 16:19:34 🔅 कुलिक 13:28:18 - 14:09:49 🔅 कालवेला या अर्द्धयाम 09:19:11 - 10:00:42 🔅 यमगण्ड 09:50:19 - 11:08:10 🔅 गुलिक काल 12:26:01 - 13:43:52 ☀ दिशा शूल 🔅 दिशा शूल उत्तर ☀ चन्द्रबल और ताराबल ☀ ताराबल 🔅 भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती ☀ चन्द्रबल 🔅 मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पं.प्रेम सागर पाण्डेय् 4 जनवरी 2022, मंगलवार का दैनिक राशिफलमेष (Aries): शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थता का अनुभव करेंगे। धर्म का काम करने में धन खर्च की स्थिति आएगी। लुभावने ऑफरों में न पड़ें। जमीन, मकान आदि के दस्तावेजों में ठगी होने की संभावना है। माताजी का स्वास्थ्य खराब होगा। निर्णय शक्ति डवांडोल रहने से दुविधा में फंसे रहेंगे। किसी का जमानतदार बनने के प्रति चेतावनी देते हैं।शुभ रंग = पींक शुभ अंक : 5 वृषभ (Tauras): आज आपकी आय और व्यापार में वृद्धि होने का योग है। व्यापार में नए लाभदायक संपर्क होंगे। कुटुंबीजनों और मित्रों के साथ हंसी-खुशी से पल बिताने का अवसर मिलेगा। प्रवास-पर्यटन का योग है। आज विशेषरूप से महिला वर्ग से लाभ होगा। जीवनसाथी के साथ सम्बंधों में प्रगाढ़ आत्मीयता का अनुभव करेंगे। भाई-बंधुओं से और बुजुर्गों से लाभ होंगे। शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। शुभ रंग = आसमानी शुभ अंक : 2 मिथुन (Gemini): आज आपका हरेक कार्य सरलतापूर्वक सम्पन्न होगा। घर, ऑफिस तथा सामाजिक क्षेत्र में अनुकूल वातावरण बनने से प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। मान-सम्मान में वृद्धि होगी। उच्च पदाधिकारियों के सहयोगपूर्ण व्यवहार के कारण आपकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा। गृहस्थ जीवन में आनंद छाएगा। और उत्तम सांसारिक सुख प्राप्त कर सकेंगे। सरकारी कार्यों में आनेवाले अवरोध दूर होंगे और मार्ग आसान बनेगा। शुभ रंग = क्रीम शुभ अंक : 7 कर्क (Cancer): भाग्यवृद्धि के अवसर आपकी प्रसन्नता में वृद्धि करेंगे। विदेश से शुभ समाचार मिलेगा। धार्मिक कार्य, देवदर्शन और यात्राधाम की मुलाकात से आनंद होगा। पारिवारिक सदस्यों के साथ अच्छी तरह समय व्यतीत कर सकेगें। विदेश जाने के इच्छुक लोगों की संभावना के साथ नौकरी पेशावालों को भी लाभ होने की संभावना देख रहे हैं। शुभ रंग = उजला शुभ अंक : 4 सिंह (Leo): आपको स्वास्थ्य के बारे में विशेष ध्यान रखने की चेतावनी देते हैं। बीमारी के कारण दवाखाने में खर्च करना पड़ेगा। क्रोध और वाणी को वश में रखना पड़ेगा। पारिवारिक सदस्यों के साथ मनमुटाव होगा। बाहर खाने-पीने से तबीयत खराब हो सकती है। आपके मन पर नकारात्मक विचार हावी होंगे। अनैतिक कार्यों में शामिल न हों, इसका ध्यान रखें। इस समय आध्यात्मिकता का सहारा मन को राहत देगा। शुभ रंग = लाल शुभ अंक : 1 कन्या (Virgo): सामाजिक और सार्वजनिक क्षेत्र में लाभ के साथ ख्याति प्राप्त होगी। स्त्री वर्ग से विशेष लाभ होगा। दांपत्यजीवन में परम सुख के पलों का अनुभव होगा। नए वस्त्रालंकारों की खरीदारी करेंगे तथा पहनने का अवसर भी आएगा। विपरीत लिंगीय व्यक्तियों के साथ परिचय होगा। मैत्री स्थापित होगी। भागीदारी के लिए समय अनुकूल है। प्रवास- पर्यटन की संभावना है। शुभ रंग = आसमानी शुभ अंक : 2 तुला (Libra): नौकरीपेशा लोगों के लिए अत्यंत लाभदायक दिन है। काम में यश और सफलता मिलेगी। पारिवारिक वातावरण सौहार्दपूर्ण रहेगा। प्रतिस्पर्धियों के समक्ष विजय मिलेगी। ऑफिस में सहकर्मियों का सहयोग मिलेगा। ननिहाल पक्ष की तरफ से अच्छे समाचार मिलेंगे। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। बौद्धिक चर्चा में भाग लेने का अवसर आएगा। विद्यार्थियों को पढ़ाई में सफलता मिलेगी। धन की योजना बनाने के लिए यह अच्छा दिन है। शुभ रंग = क्रीम शुभ अंक : 7 वृश्चिक (Scorpio): आज आपमें शारीरिक व मानसिक स्फूर्ति और ताजगी का अभाव रहेगा। परिवार में क्लेश कलह का वातावरण रहने से आपका मन उदास रहेगा। अनिद्रा सताएगी। माताजी का स्वास्थ्य खराब होगा। सार्वजनिक जीवन में अपमानित होने का अवसर आएगा। धन की हानि होगी। स्त्रीवर्ग से कोई हानि पहुंचेगी। नदी, तालाब तथा समुद्र जैसे जलाशयों से संभलकर रहें। शुभ रंग = केशरी शुभ अंक : 6 धनु (Sagittarius): आपका आज का पूरा दिन सुखमय बीतेगा। अनुकूल परिस्थिति निर्मित होने पर आप हरेक कार्य आज सरलतापूर्वक पूरा कर सकेंगे। मन में प्रसन्नता रहेगी। व्यापार-धंधे में आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे। भागीदारी में लाभ होगा। भाई-बहनों के साथ अच्छी तरह समय व्यतीत करेंगे। कोई नया कार्य आज शुरू कर सकते हैं। विद्यार्थियों को पढ़ाई में सफलता मिलेगी। मित्रों, स्वजनों की मुलाकात से परिवार में खुशी का वातावरण रहेगा। शुभ रंग = पीला शुभ अंक : 9 मकर (Capricorn): मन की दुविधा आप में निर्णयशक्ति का अभाव पैदा करेगी जिससे उलझन का अनुभव होगा। तबीयत थोड़ी नरम-गरम रहेगी। वाणी पर संयम नहीं होगा और वाद-विवाद में पड़ने से स्वजनों के साथ मनमुटाव होगा। कार्य में कम सफलता मिलेगी। अनावश्यक खर्च और धनहानि का योग है। विद्यार्थियों की पढ़ाई में अवरोध आएगा। शुभ रंग : पींक शुभ अंक : 8 कुंभ (Aquarius): आज आप आनंद, उत्साह और प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। नए कार्य की शुरुआत लाभदायक साबित होगी। मित्रों, स्वजनों के साथ भोजन का आनंद उठाने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा का योग है। लक्ष्मीदेवी की कृपा रहेगी। धार्मिक कार्यों के पीछे खर्च होगा। निर्धारित कार्य सफल होंगे। दांपत्यजीवन में सुख का अनुभव होगा। परिवार में शांति का माहौल बना रहेगा। शुभ रंग = क्रीम शुभ अंक : 7 मीन (Pisces): आनंद- उत्साह और तन-मन की प्रसन्नता आपके दिन में चेतना और स्फूर्ति का संचार करेंगे। नए कार्य हाथ में लेंगे तो उसमें सफलता मिलेगी। धार्मिक मांगलिक प्रसंगों में जाएंगे। मन में कोई निर्णय लेते हुए दुविधा अनुभव करने की स्थिति में निर्णय स्थगित रखने की सलाह है। प्रवास होगा। दांपत्यजीवन आनंदमय रहेगा। शुभ रंग = पीला शुभ अंक : 9 प्रेम सागर पाण्डेय् ,नक्षत्र ज्योतिष वास्तु अनुसंधान केन्द्र ,नि:शुल्क परामर्श - रविवार , दूरभाष 9122608219 / 9835654844 हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews 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झारखंड में लॉकडाउन को लेकर हुआ फैसला Posted: 03 Jan 2022 06:27 AM PST झारखंड में लॉकडाउन को लेकर हुआ फैसलाझारखण्ड से संवाददाता मुकेश कुमार की खबर झारखंड में लॉकडाउन को लेकर हुआ फैसला , रात 8 बजे से बंद हो जायेंगे दुकानें , सिर्फ ये तीन सेवाएं सामान्य समय पर खुलेंगे , स्कूल - कॉलेज बंद , जानें किसको बंद किया गया , किसको खुलने की इजाजत हुई , शादी - विवाह और " अंत्येष्टि श्राद्धकर्म में भी लगी पाबंदी - मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड मंत्रालय में आज कोविड-19 के मद्देनजर प्रतिबंध/छूट के संदर्भ में आयोजित झारखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय, जो 15 जनवरी 2022 तक लागू रहेंगे:- =======================
बैठक में आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री श्री बन्ना गुप्ता , मुख्य सचिव श्री सुखदेव सिंह, अपर मुख्य सचिव-सह-प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग श्री अरुण कुमार सिंह, प्रधान सचिव वित्त विभाग श्री अजय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विनय कुमार चौबे, कृषि सचिव श्री अबू बकर सिद्दीकी, अभियान निदेशक एनएचएम श्री रमेश घोलप, झारखंड एड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री भुवनेश प्रताप सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
महिला सशक्तिकरण का प्रथम श्रेय सावित्री बाई फुले को : वेद प्रकाश तिवारी Posted: 03 Jan 2022 06:23 AM PST महिला सशक्तिकरण का प्रथम श्रेय सावित्री बाई फुले को : वेद प्रकाश तिवारीमंडलेश्वर त्रिपाठी भाटपार रानी, देवरिया।भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के बंगरा बाजार में सोमवार को देश की प्रथम महिला शिक्षिका रही सावित्री बाई फुले की जयंती मनाई गई। इस दौरान उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा हुई । साहित्यकार और पत्रकार डॉ वेद प्रकाश तिवारी ने कहा कि सावित्री बाई फुले ने महिला उत्थान के लिए विशेष कार्य किया।इसके लिए उन्हें अपने घर से भी निष्कासित होना पड़ा। उन्होंने अपने संबोधन में कहाकि सावित्रीबाई फुले को देश की पहली भारतीय महिला शिक्षक और प्रधानाध्यापिका माना जाता है । वर्ष 2018 में कन्नड़ में सावित्रीबाई फुले की जीवनी पर एक फिल्म भी बनायी गयी थी । इसके अलावा 1998 में इंडिया पोस्ट ने उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था । वर्ष 2015 में, उनके सम्मान में पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय कर दिया गया था । यदि मैंं कहूं तो भारत मेंेंेंेंें नारी सशक्तिकरण का प्रथम श्रेय सावित्री बाई फुले को जाता है। उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा करते हुए कवि मक़सूद अहमद भोपतपुरी ने कहा कि 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र में जन्मी देश की प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले ने शिक्षा का अलख जगाकर एक शिक्षित समाज की स्थापना में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।इसके लिए उन्हें तमाम यातनाएं भी झेलनी पड़ी।उन्होंने 1848 में देश मे प्रथम कन्या विद्यालय की स्थापना किया,जिसके लिए शेख उस्मान ने अपना जमीन दिया था।अतः उन्हें भुलाया नहीं जा सकता । पं० मधुसूदन द्विवेदी ने कहा कि सावित्री बाई फुले के जीवन संघर्षों से वर्तमान युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए।अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी जटाशंकर सिंह ने कहा कि सावित्री बाई फुले एक जाने-माने समाजसेविका थी।समाज उनका सदा ऋणी रहेगा। लोकगायक सुबाष यादव व विनीत मिश्र अंकित ने गीत प्रस्तुत किया। यहां मुख्य रूप से हरि गोविंद शुक्ल,शमशेर अली,अक्षयबर साह,मुकेश साह आदि मौजूद रहे। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
समाज सेवा के साथ साहित्य का समन्वय Posted: 03 Jan 2022 06:21 AM PST समाज सेवा के साथ साहित्य का समन्वय(डॉ. दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा) समाज सेवा और साहित्य का क्षेत्र अलग है। लेकिन ऐसे लोगों की कमी भी नहीं जिन्होंने दोनों में सुंदर समन्वय किया। समाज को पूरा समय दिया। इसके साथ ही साहित्य का सृजन भी किया। लखनऊ का लोकभवन ऐसे ही एक समारोह का साक्षी बना। यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर्मयोद्धा राम नाईक की पुस्तक और हृदय नारायण दीक्षित के समग्र साहित्य का विमोचन किया। हृदय नारायण दीक्षित रचनावली में उनकी बत्तीस पुस्तकों का संकलन है। इसके दस खण्ड व सात हजार पृष्ठ हैं। कर्मयोद्धा राम नाईक के पहले खण्ड में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के भाषण का संकलन है। अटल बिहारी वाजपेयी का यह भाषण उस समय हुआ था जब राम नाईक कैंसर से स्वस्थ्य हुए थे। लाल कृष्ण आडवाणी ने राम नाईक के 75वें वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में भाषण दिया था। दूसरे खण्ड में चरैवेति चरैवेति के लोकार्पण अवसरों पर महानुभावों के भाषण संकलित है। तीसरे खण्ड में मुस्लिम विद्वानों के लेख है। इन्होंने राम नाईक के संबन्ध में अपने विचार व्यक्त किये है। राम नाईक अपने को संघ का स्वयं सेवक कहते थे। जनसंघ व भाजपा में छह दशक तक सक्रिय रहे। ऐसे में उनके राज्यपाल बनने पर कुछ लोगों को उनके आचरण को लेकर आशंका थी किंतु राम नाईक ने राज्यपाल के रूप में पूरी तरह संवैधानिक व्यवस्था पर अमल किया। उनके कार्यों से सभी आशंकाए निर्मूल साबित हुई। इस संपादित पुस्तक की प्रस्तावना विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने लिखी है। राम नाईक अपने को एक्सिडेंटल राइटर मानते है। हृदय नारायण दीक्षित अपने को समाज सेवा का कार्यकर्ता कहते हैं लेकिन साहित्य के क्षेत्र में दोनों ने अपने अपने तरीके से योगदान दिया है। राम नाईक की चरैवेति चरैवेति पुस्तक बहुत चर्चित हुई। यह साहित्य की धरोहर बन गई। हृदय नारायण दीक्षित करीब तीन दर्जन पुस्तकें लिख चुके है। इन सभी का अकादमिक दृष्टि से बहुत महत्व है। उनकी भाषा शैली अद्भुत है। उल्लेखनीय यह कि राम नाईक और हृदय नारायण समाज सेवा में अत्यधिक सक्रिय रहे है। आमजन के बीच बने रहना इन दोनों को अच्छा लगता है। राम नाईक तीन बार विधायक, पांच बार लोकसभा सदस्य, केंद्र में राज्यमंत्री कैबिनेट मंत्री रहे। इसके बाद वह उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी बने थे। हृदय नारायण दीक्षित पांच बार विधायक, एक बार विधान परिषद सदस्य, प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। इस समय वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष है। यह सब इनकी सक्रियता के प्रमाण है। इस यात्रा के दौरान साहित्य के लिए समय निकालना आसान नहीं रहा होगा। फिर भी इन्होंने यह कार्य अत्यंत सहज रूप में किया। योगी आदित्यनाथ ने इस कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से समय निकाला। उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी शुरू हो गई। योगी आदित्यनाथ प्रतिदिन किसी न किसी जनपद की यात्रा पर जाते है। वह लगातार विकास कार्यों का लोकार्पण शिलान्यास कर रहे है। इसके अलावा पार्टी के कार्यक्रमों में भी उनकी सहभागिता रहती है। योगी आदित्यनाथ सरकार संस्कृति व साहित्य के प्रति भी संवेदनशील है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के माध्यम से इस तथ्य को उजागर किया। हृदय नारायण दीक्षित का कहना है कि पुस्तक भविष्य का मार्गदर्शन होती हैं। राष्ट्रीय चेतना एवं सामाजिक कुरीतियां दूर करने में सहायक होती हैं। भारत का मूल चेतन प्रकृति, विचार, न्याय, सत्य एवं मर्यादित यह सब कुछ प्राचीन काव्य वांग्मय रही है। सभ्यतायें साहित्य से समृद्ध सशक्त होती है। यदि साहित्य हटा दें तो, हमारी सभ्यताएं व प्रकृति नहीं बचती है। भारतीय दर्शन, वैदिक साहित्य, सामान्य पुस्तकें हमें अपने पूर्वजों का इतिहास याद कराते हैं। ज्ञान को बढ़ाने के लिए सभी को पुस्तकों से प्रेम करना चाहिए। हृदय नारायण दीक्षित विचारक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। प्रायः इस स्तर के विद्वान जमीनी राजनीति में उतरने से बचते हैं। अध्ययन, लेखन और सक्रिय राजनीति के बीच समन्वय बनाना आसान नहीं होता। दोनों की प्रकृति अलग है। दोनों के लिए अलग अलग भरपूर समय की आवश्यकता होती है। यह माना जाता है कि एक पर समय लगाओ तो दूसरे की उपेक्षा होती है। हृदय नारायण दीक्षित का लेखन सामान्य नहीं होता। आलोचना की पद्धति को उन्होंने अपनाया है। इसमें गहन अध्ययन व भौतिक चिन्तन की आवश्यकता होती है। तभी संबंधित विषय की आलोचनात्मक समीक्षा हो सकती है। शायद यही कारण था कि उनके छोटे व अति साधारण घर में बैठने के लिए कम और किताबों की अलमारियों के लिए जगह ज्यादा थी। उन्होंने दोनांे क्षेत्रों में मिसाल कायम की। उनकी राजनीति और उनके लेखन से खासतौर पर नई पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। एक व्यक्तित्व में प्रायः दो विपरीत ध्रुव इस तरह समाहित नहीं होते। उन्होंने राजनेता और उच्चकोटि के लेखन की छवि स्वयं अपनी साधना से बनाई है। बहुत गरीबी देखी। बचपन में अपने पिता को परिवार के जीवन यापन हेतु भटकते देखा। बालक हृदय नारायण उनका हांथ बटाते थे। भविष्य अनिश्चित था। उस स्थिति में बहुत अच्छे भविष्य की कल्पना करना भी संभव नहीं होता। किताब खरीदने तक के पैसे जुटाना मुश्किल था। संघर्षों से पीछे नहीं हटे। अर्थशास्त्र में एम.ए. किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए तो राष्ट्रवाद व निःस्वार्थ समाजसेवा की प्रेरणा मिली। आर्थिक स्थिति कमजोर थी। जनसहयोग मिला। पुरवा विधानसभा क्षेत्र से चनाव लड़ गए। विजयी हुए। राजनीति में आगे बढ़ते रहे। इसके साथ ही उन्होंने साहित्य साधना पर भी अमल किया। इसमें भी उल्लेखनीय कार्य किया। राम नाईक अपने को मूलतः लेखक नहीं मानते। ऐसे अनेक लेखक है जिन्हें केवल एक पुस्तक के कारण अपार ख्याति मिली। इस सूची में राम नाईक का नाम भी शामिल हुआ। उनकी पुस्तक चरैवेति चरैवेति को उल्लेखनीय चर्चा मिल रही है। साहित्य का क्षेत्र बहुत व्यापक होता है। इस पुस्तक ने साहित्य की संस्मरण विधा में गौरवशाली स्थान बनाया है। स्वतंत्रता के बाद राजनीति से जुड़े लोगों की किसी पुस्तक के इतने कम समय में ग्यारह भाषाओं और ब्रेल लिपि की तीन भाषाओं के संस्करण प्रकाशित नहीं हुए। इतना ही नहीं इसके विभिन्न संस्करणों के लोकार्पण समारोहों और उनमें राष्ट्रपति से लेकर विशिष्ट व साहित्य प्रेमी जनों की भागीदारी का भी कीर्तिमान बना। मराठी के दैनिक साकाल ने उनसे संस्मरण लिखने का आग्रह किया था। इसमें उनके जो संस्मरण प्रकाशित हुए। चरैवेति चरैवेति उन्हीं का संकलन है। राम नाईक अपने को भले ही एक्सिडेंटल राइटर मानते हों, लेकिन पुस्तक की विषयवस्तु, भाषा शैली आदि सभी बहुत स्तरीय और रोचक है। मराठी भाषी संस्मरण संग्रह चरैवेति चरैवेति का विमोचन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा पच्चीस अप्रैल दो हजार सोलह को मुंबई में किया गया था। हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू तथा गुजराती संस्करणों का लोकार्पण नौ नवम्बर दो हजार सोलह को राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में,ग्यारह नवम्बर दो हजार सोलह को लखनऊ के राजभवन में तथा गुजराती भाषा संस्करण का तेरह नवम्बर दो हजार सोलह को मुंबई में हुआ। छब्बीस मार्च दो हजार अठारह को संस्कृत नगरी काशी में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा संस्कृत संस्करण का लोकार्पण हुआ। पुस्तक के सिंधी संस्करण का लोकार्पण इक्कीस फरवरी दो हजार उन्नीस को लखनऊ एवं बाइस फरवरी दो हजार उन्नीस को अरबी एवं फारसी भाषा में नई दिल्ली में हुआ। पुस्तक के जर्मन संस्करण का लोकार्पण तीस जून दो हजार उन्नीस को पुणे विश्वविद्यालय और असमिया भाषा संस्करण का छह जुलाई को गौहाटी में लोकार्पण हुआ। संसद में पहली बार 'जन गण-मन' एवं 'वंदे मातरम् का गायन उनके प्रयास से प्रारम्भ हुआ। बाम्बे को उसका मूल नाम मुंबई कराया जिसके बाद अनेक स्थानों के नाम परिवर्तित हुये। कारगिल युद्ध में चार सौ उनतालीस शहीद सैनिकों के परिजनों को सरकारी खर्चे पर पेट्रोल पम्प एवं गैस एजेन्सी का आवंटन कराया। सांसद निधि की शुरूआत करायी। अनेक अभिनव कार्य किये। राज्यपाल के दायित्वों को नया आयाम दिया। कर्मयोद्धा पुस्तक चरैवेति चरैवेति की अगली कड़ी है। इसमें उनका जीवन दर्शन समाहित है। साहित्य जगत में भी इसको प्रतिष्ठा मिली है। (हिफी) हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें 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Posted: 03 Jan 2022 06:18 AM PST 2021 में वैज्ञानिक उपलब्धियां(अचिता-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा) कोरोना की दुखद स्मृतियां देने वाला वर्ष 2021 विज्ञान के क्षेत्र में कई उपलब्धियां भी दे गया है। इस वर्ष चिकित्सा वैज्ञानिकों ने कोरोना इंजेक्शन विकसित किये जो इस महामारी को नियंत्रित करने में काफी मददगार साबित हुए हैं। नासा का सूर्य अभियान तो सभी को चैंका गया जिसे अब तक असंभव माना जाता था। इसी वर्ष मानव इतिहास की नई मानव प्रजाति ड्रैगनमैन की खोज की गयी। चीन तो एक सुपर सोल्जर बना रहा है जिसमें बंदर की मदद ली जा रही है। डार्बिन की थ्योरी के अनुसार बंदर हमारे पूर्वज हुआ करते थे। जलवायु विज्ञान को लेकर भी विज्ञान के दो कदम आगे बढ़े हैं। पशु-पक्षियों को लेकर भी कई खोजें इसी वर्ष हुई हैं। पता चला कि बिना दांत के हाथी पैदा हो रहे हैं और चमगादड़ों ने अपने पंख बड़े कर लिये हैं। द सन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एक ह्यूमनजी का जन्म अमेरिका में एक हाइब्रिडाइजेशन प्रोजेक्ट के दौरान हुआ था, लेकिन उसे लैब कर्मियों ने ही मार दिया था। इस प्रोजेक्ट पर अभी भी चीन की एक लैब काम कर रही है जहां कानूनी मुद्दे कम हैं। इंसानों के पूर्वज बंदर थे। अब चीन इन दोनों के कॉम्बिनेशन से महामानव बना रहा है। चीन के लैब में इंसान और बंदर का हाइब्रिड तैयार हो रहा है, जो सुपर सोल्जर बनेंगे। ये ऐसे सोल्जर होंगे, जिन्हें न तो कभी भूख-प्यास लगेगी और न कभी नींद आएगी। इन्हें स्पेस से लेकर समुद्र की लड़ाई में उतारा जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों की जिंदगी बचाने के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट में इस हाइब्रिड का उपयोग किया जा सकता है। यूएस साल्क इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल स्टडीज के प्रोफेसर जुआन कार्लोस इजपिसुआ बेलमोंटे के नेतृत्व में 2019 में वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी। इस टीम ने कथित तौर पर एक मानव और बंदर का हाइब्रिड तैयार किया था, जो 19 दिनों तक जीवित रहा था। प्रयोग करने वाली वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि उन्होंने ऐसी मानव कोशिकाओं को बंदर में इंजेक्ट किया, जो उसमें भ्रूण बना सके। बच्चे के जन्म लेने से पहले यह प्रयोग रोक दिया गया। दरअसल रूस के वैज्ञानिकों ने यह प्रयोग चीन में किया, क्योंकि उनके देश में ऐसा करने की अनुमति नहीं है। रूस में सोवियत वैज्ञानिकों को 1920 के दशक में तानाशाह स्टालिन ने एक हाइब्रिड एप-मैन (बंदर-मानव) सुपर सैनिक बनाने का आदेश दिया था, जो चरम परिस्थितियों में भी काम करने में सक्षम हो जहां आम इंसानों के लिए जीवित रहना भी मुश्किल था। उस समय के गुप्त दस्तावेज, जिन्हें 1990 के दशक में सार्वजिनक किया गया था, बताते हैं कि क्रेमलिन प्रमुख बेहद ताकतवर लेकिन अविकसित दिमाग वाली मानव-बंदरों की एक सेना चाहते थे जो लचीली और भूख-प्रतिरोधी हो। 1967 में चीन में किए गए मानव-चिंपैंजी क्रॉसब्रीडिंग के एक प्रयोग की जानकारी दी गई। कहा जाता है कि चीनी सरकार ने इस परियोजना को दोबारा शुरू करने के लिए कहा था। इसमें शामिल वैज्ञानिकों में से एक डॉ जी योंगजियांग ने बताया कि उनका लक्ष्य एक ऐसा जानवर पैदा करना था, जो बोल सके और उसमें चिंपैंजी जैसी ताकत हो। साल 2021 में कोविड-19 का साया रहने के बावजूद कई उल्लेखनीय वैज्ञानिक कार्य रहे। यह सच है कि पिछले दो साल में कोविड महामारी के कारण शोधकार्यों की गति धीमी हो गई थी लेकिन 2021 में टीकाकरण और अन्य उपायों के कारण दुनिया के बाकी क्रियाकलापों को कुछ गति मिल सकी। साल 2021 की सबसे बड़ी खोजों में से मानव इतिहास में एक नई प्रजाति ड्रैगनमैन प्रजाति की खोज उल्लेखनीय रही जिससे हमारे मानव इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया। यह प्रजाति होमोसेपियन्स और निएंडरथॉल मानवों के साथ पनपी थी। इस मानव के जीवाश्म को एक किसान परिवार ने 90 साल पहले हासिल किया था और 2018 में एक यूनिवर्सिटी म्यूजियम को सौंपा था। उसके बाद से इस पर गहन अध्ययन चलता रहा और इसे इसी साल पुरातन मानव की एक नई मानव प्रजाति का जीवाश्म घोषित किया गया। इसे होमो लोंगी या ड्रैगन मैन कहा जाता है। इस साल कोविड-19 की वैक्सीन आदि पर शोधों पर बहुत जोर रहा। इसकी वजह से वैज्ञानिक दो एमआरएनए वैक्सीन विकसित करने में सफल रहे। इस साल फाइजर मॉडर्ना को वैक्सीन और कोविडशील्ड समेत कई वैक्सीन लोगों तक पहुंचीं जिससे इस साल के मध्य से बड़ी संख्या में लोगों को कोविड-19 से राहत भी देखने को मिलने लग गई। भारत के 41 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की वैक्सीन के दोनों डोज लग गए। वहीं 141 करोड़ लोगों को कम से कम एक डोज लग चुका है। अमेरिका की 61 प्रतिशत जनसंख्या को दोनों डोज लग चुका है। साल के अंत में ओमिक्रॉन जैसे वेरिएंट के फिर से फैलने से कई देशों में तीसरी लहर आने की खतरा मंडरा रहा है। इसलिए संपूर्ण वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है। इस साल जलवायु परिवर्तन भी काफी सुर्खियों में रहा। 2015 में पेरिस सम्मेलन के बाद इस साल ग्लासगो में सम्मेलन हुआ था। वहीं दूसरी तरह तमाम शोधों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की गंभीरता को और ज्यादा रेखांकित किया। दुनिया ने जगंलों में आग, सूखे और ग्रीष्म लहरों की घटनाओं में तेजी भी देखी, लेकिन सबसे बड़ा प्रभाव समुद्र के अंदर देखने को मिला है। बढ़ते तापमान ने कोरल रीफ यानी मूंगा चट्टानों को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया है। उनके विरंजित होने से अब अस्तित्व का बहुत ज्यादा खतरा मडंरा रहा है। हमारे महासागर 2009 के बाद से एक दशक में 14 प्रतिशत मूंगा चट्टानें गवां चुके हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया 1950 से अब तक आधी मूंगा चट्टानें गंवा चुकी है। इसे पर्यावरण और महासागरीय जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा माना जा रहा है। (हिफी) हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
खाद को लेकर शिवानंद ने नीतीश को घेरा Posted: 03 Jan 2022 06:16 AM PST खाद को लेकर शिवानंद ने नीतीश को घेरा(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा) शराबबंदी के नशे में मदहोश मुख्यमंत्रीजी को किसानों की आवाज सुनाई नहीं दे रही है। बिहार की लगभग 80 फीसद आबादी कृषि पर निर्भर है। न्यूनतम मूल्य पर धान की खरीद नहीं हो रही है। किसान औने-पौने दाम पर धान बेच रहे थे। जो धान कटनी के बाद खेतों में रह गया है, बेमौसम की बारिश में भीग गया है। बारिश की वजह से सब्जी पैदा करने वाले किसान अलग सर पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं लेकिन सरकार की ओर से अब तक किसानों के लिए सांत्वना का कोई बयान भी नहीं आया है। किसानों के नाम पर वोट हासिल करने के लिए तरह-तरह की घोषणाएं की जाती हैं लेकिन उनके मुद्दे नहीं उठाये जाते। बिहार में राष्ट्रीय जनता (राजद) के नेता शिवानंद तिवारी ने नीतीश कुमार को घेरते हुए यूरिया की कमा का मुद्दा उठाया है। इस समय रबी की प्रमुख फसल गेहूं के लिए यूरिया की जरूरत है। बिहार में यूरिया की जबर्दस्त किल्लत बतायी जा रही है। फारविसगंज में खाद लेने के दौरान भगदड़ मचने से 6 किसान घायल हो गये थे। कैमूर में भी खाद न मिलने पर किसानों ने हंगामा किया था। किसान आरोप लगा रहे थे कि गोदामों में खाद भरी है लेकिन मैनेजर कहते खाद नहीं है। यह भी पता चला कि बिहार से खाद नेपाल में बेची जा रही है। इन्हीं सब बातों के चलते शिवानंद तिवारी ने कहा कि किसान अभूतपूर्व यूरिया संकट का सामना कर रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराब बंदी से संबंधित समाज सुधार अभियान को लेकर राज्य में घूम रहे हैं। बिहार के कोसी क्षेत्र में जहां बाढ़ व सुखाड़ के कारण हर वर्ष हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो जाती है। वहीं खाद-बीज के अभाव में भी खेती प्रभावित होती है। विगत तीन वर्षों से जैविक खाद उत्पादन के लिए अनुदान बंद कर दिया गया, जिससे वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन ठप पड़ गया, वहीं रसायनिक खाद की समय पर आपूर्ति नहीं होने से खेती प्रभावित हो रही है। चालू रबी मौसम में यूरिया-डीएपी व अन्य खाद के लिए किसान दर-दर भटक रहे हैं। खाद के अभाव में गेहूं, चना और जौ की खेती प्रभावित हो रही है। जिले में खरीफ की बर्बादी के कारण किसान पूर्व से ही परेशान हैं। ऐसे में रबी की खेती प्रभावित होने से किसानों के समक्ष भुखमरी की नौबत उत्पन्न हो सकती है। हर वर्ष समय पर खाद नहीं मिल पाने के कारण किसानों के बीच हाहाकार की नौबत उत्पन्न हो जाती है। इस वर्ष भी अक्टूबर और नवंबर की मांग से काफी कम खाद मिली, जिससे रबी की खेती करने वाले किसान को खाद नहीं मिल पायी। इस दोनो माह में यूरिया की आपूर्ति योजना 9657 एमटी है, जिसके विरूद्ध 4057 एमटी यूरिया प्राप्त हुआ। 5046 एमटी डीएपी की जगह 2048। 250 एमटी प्राप्त हुआ, इसी तरह 2350 एमटी एनपीके की जगह 1687।700 एमटी प्राप्त हुआ, जबकि 2714 एमटी एमओपी की जगह 180 एमटी प्राप्त हुआ। अर्थात जिले को इस दो माह में लगभग 80 हजार एमटी कम खाद प्राप्त हुई। खाद की कमी के कारण किसान दर-दर भटक रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 के बाद वर्मी पिट, बायोगैस उत्पादन आदि के लिए अनुदान मिलना बंद हो गया। वर्ष 2018 में 2800 कृषकों ने वर्मी पिट बनाया, परंतु मात्र 59 कृषकों को अनुदान प्राप्त हो सका। इससे पूर्व के वर्षों में लगभग दो करोड़ का आवंटन प्राप्त होता था, वह 2018 में घटकर 15 लाख पर पहुंच गया। वर्ष 2019 के बाद पर भी पूरी तरह बंद कर दिया गया। फलस्वरूप जिले के किसानों ने केचुआ आधारित वर्मी खाद बनाना बंदकर दिया। अब जिले में जैविक खाद भी किसानों को नहीं मिल पा रही है। भारत का यूरिया और एनपीके नेपाल में बेचा जा रहा है, जबकि यहां के किसान खाद नहीं मिलने से परेशान होकर सड़क जाम कर रहे हैं। पुलिस की लाठी खा रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि यहां के खाद की नेपाल में तस्करी हो रही है। भारत में 266 रुपए प्रति बोरी मिलने वाला यूरिया नेपाल के तस्करों को 500-600 रुपए और 1,230 रुपए प्रति बोरी मिलने वाला एनपीके नेपाल में 2,500 रुपए तक बिक रहा है। मधुबनी से सटे नेपाल के सीमा क्षेत्र में यूरिया की तस्करी करने वाले गिरोह का सरगना रामसिया नामक व्यक्ति बताया जाता है। उसके पास 200 से 300 पैडलर हैं, जो मुख्य मार्ग को छोड़ खेत, नदी और गांव के कच्चे रास्तों से साइकिल पर यूरिया लादकर इस पार से उस पार करते हैं। रबी फसलों के लिए किसानों को यूरिया संकट का सामना करना पड़ रहा हैं। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों पूरे राज्य में शराबबंदी से संबंधित अपने समाजसुधार अभियान को लेकर दौरा कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने इसे लेकर सीएम को सलाह देते हुए कहा है कि शराब से फुरसत निकालिए मुख्यमंत्री जी। क्योंकि बिहार में यूरिया के लिए किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। खाद के लिए छटपटाते किसानों पर हवाई फायरिंग हो रही है। उन पर टियर गैस के गोले दागे जा रहे हैं। बेमौसम बारिश ने वैसे ही किसानों की जान सांसत में डाल दी है। बारिश की वजह से सब्जी पैदा करने वाले किसान अलग सर पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं लेकिन सरकार की ओर से अब तक किसानों के लिए सांत्वना का कोई बयान भी नहीं आया है। तिवारी के अनुसार, यूरिया का संकट अचानक नहीं पैदा हुआ है। अखबार वाले लगातार यूरिया की कमी और इसको लेकर किसानों में बेचैनी की खबर से अवगत करा रहे हैं। कृषि मंत्री जी ने आश्वासन भी दिया था कि यूरिया की कमी तत्काल दूर होगी लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। चर्चा है कि दिल्ली सरकार, बिहार के हिस्से का यूरिया चुनावी फायदे के लिए उत्तर प्रदेश भिजवा रही है। तिवारी ने कहा, मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि अभी शराब को मुल्तवी रखें और किसानों को संकट से निकालने में अपना समय और ऊर्जा लगाएं। शराबबंदी के नशे में मदहोश मुख्यमंत्रीजी को किसानों की आवाज सुनाई नहीं दे रही है। बिहार की लगभग 80 फीसद आबादी कृषि पर निर्भर है। न्यूनतम मूल्य पर धान की खरीद नहीं हो रही है। किसान औनेपौने दाम पर धान बेच रहे थे। जो धान कटनी के बाद खेतों में रह गया है, बेमौसम की बारिश में भीग गया है। बारिश की वजह से सब्जी पैदा करने वाले किसान अलग सर पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं लेकिन सरकार की ओर से अब तक किसानों के लिए सांत्वना का कोई बयान भी नहीं आया है। (हिफी) हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
उत्तराखण्ड को परियोजनाओं का तोहफा Posted: 03 Jan 2022 06:14 AM PST उत्तराखण्ड को परियोजनाओं का तोहफा(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा) उत्तराखण्ड का जन्म होने से पहले कुमाऊँ क्षेत्र में 1976 में लखवाड़ विद्युत परियोजना के बारे में विचार किया गया था। इसके बाद उत्तराखण्ड अलग राज्य बन गया। अब 46 साल बाद इस परियोजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने किया। नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस को निशाने पर रखते हुए कहा कि उस समय की सरकार ने उत्तर प्रदेश के इस हिस्से का विकास करने पर ध्यान ही नहीं दिया। इसका नतीजा यह रहा कि सैकड़ों गांवों की कितनी ही पीढ़ियां सुविधाओं के अभाव में प्यारा उत्तराखण्ड छोड़कर कहीं और जाकर बस गयीं। अब उत्तराखण्ड का दशक है। डबल इंजन की सरकार उत्तराखण्ड में हर क्षेत्र तक शत-प्रतिशत बुनियादी सुविधाओं को पहुंचाने का निरंतर प्रयास कर रही है। मोदी की उत्तराखण्ड में इस बीच कई यात्राएं हो चुकी हैं और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की आधार भूमि मजबूत हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिनों उत्तराखंड में 17,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली 6 परियोजनाओं का उद्घाटन और लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना सहित 17 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कुमाऊं आने का सौभाग्य मिला तो कई पुरानी यादें ताजा हो गई हैं। अपने संबोधन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्ववर्ती सरकार और उसकी नीतियों पर जबर्दस्त हमला किया। उन्होंने कहा कि ऐसा गुनाह और पाप करने वालों को भूल जाओगे क्या? कोई देश सोच नहीं सकता है कि 5 दशक तक एक योजना फाइलों में इधर-उधर लटकती रहे। मेरा 7 साल का अनुभव है कि ऐसी फाइलों को ढूंढ़ कर काम किया जाना चाहिए। मैं इसको ठीक करूंगा और आप उनको ठीक करिये दृ ठीक है? पीएम ने कहा कि उत्तराखंड में टूरिज्म का विकास हो रहा है। पूरी दुनिया में योग की तरफ बढ़ रहा आकर्षण उत्तराखंड की तरफ ही खींच कर लाने वाला है। ये दशक उत्तराखंड का दशक बनाएंगे। पीएम ने तंज करते हुए कहा कि यहां के लोगो ने दो धाराएं और देखी हैं। एक धारा है पहाड़ को विकास से वंचित रखो और दूसरी है पहाड़ के विकास के लिए दिन-रात एक कर दो। पहली धारा वाले आप लोगों को विकास से वंचित रखने वाले हैं। हमेशा मेहनत से भागते रहे। सैकड़ों गांवों की कितनी पीढ़ियां अच्छी सुविधा के अभाव में प्यारा उत्तराखंड छोड़कर कहीं और जाकर बसीं। आज उत्तराखंड में विकास कार्यों के ये शिलान्यास महज शिला पत्थर नहीं है, ये वे संकल्प शिलाएं हैं, जो डबल इंजन की सरकार सिद्ध करके दिखाएगी। नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को निशाने पर रखते हुए कहा कि पहले जो सरकार में रहे हैं, ये उनका परमानेंट ट्रेडमार्क रहा है। आज यहां उत्तराखंड में जिस लखवाड़ प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ है, उसका भी यही इतिहास है। इस परियोजना के बारे में पहली बार 1976 में सोचा गया था। आज 46 साल बाद, हमारी सरकार ने इसके काम का शिलान्यास किया है। जब हम किसी ऐतिहासिक स्थल पर जाते हैं तो वहां हमें ये बताया जाता है कि इस स्थान को इतने साल पहले बनाया गया था, ये इमारत इतनी पुरानी है। दशकों तक देश का ये हाल रहा है कि बड़ी योजनाओं की बात आते ही कहा जाता था- ये योजना इतने साल से अटकी हैं, ये प्रोजेक्ट इतने दशक से अधूरा है। ऐसा गुनाह और पाप करने वालों को भूल जाओगे क्या? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सबसे ज्यादा नुकसान किसी को भुगतना पड़ा है, तो वह हमारी बेटी-माता को भुगतना पड़ा है। शौचालय नहीं होने की सबसे ज्यादा दिक्कत बहनदृबेटियों को उठानी पड़ी है। छत टपकती है तो बहनों को तकलीफ, स्वास्थ्य सुविधा नहीं तो सबसे ज्यादा दुख मां को। उत्तराखंड अपनी स्थापना के 20 साल पूरे कर चुका है। इन वर्षों में आपने ऐसे भी सरकार चलाने वाले देखे हैं जो कहते थे- चाहे उत्तराखंड को लूट लो, मेरी सरकार बचा लो। इन लोगों ने दोनों हाथों से उत्तराखंड को लूटा। जिन्हें उत्तराखंड से प्यार हो, वो ऐसा सोच भी नहीं सकते। वैसे आज जब जनता जनार्दन इन लोगों की सच्चाई जान चुकी है, तो इन लोगों ने एक नई दुकान खोल रखी है। वो दुकान है- अफवाह फैलाने की। अफवाह बनाओ, फिर उसे प्रचारित करो और उसी अफवाह को सच मानकर दिनरात चिल्लाते रहो। पीएम मोदी ने कहा, 'सच्चाई यही है कि जो पहले सरकार में थे, उन्होंने उत्तराखंड के सामर्थ्य की परवाह नहीं की। राज्य की अधिकतर आबादी को पानी की किल्लत के साथ जिंदगी गुजारनी पड़ रही है। नैनीताल झील की सुध नहीं ली, उसके सौंदर्यीकरण के लिए काम किया जाएगा। आज यहां 17,000 करोड़ रुपये से भी अधिक के विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। ये सभी प्रोजेक्ट्स कुमाऊं के सभी साथियों को बेहतर कनेक्टिविटी और बेहतर सुविधाएं देने वाले हैं। हल्द्वानी वाले के लिए नए साल की एक और सौगात लेकर आया हूं। हल्द्वानी के विकास के लिए लगभग 2 हजार करोड़ रुपये की योजना लेकर आ रहा हूं। हल्द्वानी में पानी, सिवरेज, पार्किंग, स्ट्रीट लाइट सभी जगह अभूतपूर्व सुधार होगा। इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के लिए ऐसे ही विकास कार्यों पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, 'टनकपुर रेल लाइन पर भ्रम फैलाने की कोशिश हुई। हम उत्तराखंड में आवागमन को आसान बना रहे हैं। विकास योजनाओं को 4 दशक तक लटकाया गया। पहले की असुविधा और अभाव को अब सुविधा और सद्भाव में बदला जा रहा है। उन्होंने आपको मूल सुविधाओं का अभाव दिया, हम हर वर्ग हर क्षेत्र तक शत प्रतिशत बुनियादी सुविधाओं को पहुंचाने के लिए दिनरात एक कर रहे हैं।' पीएम मोदी ने कहा, 'विकास परियोजनाओं में बाधा डालने के लिए यह उन लोगों का स्थायी ट्रेडमार्क रहा है जो पहले सरकार में थे। आज शुरू हुई लखवाड़ परियोजना का वही इतिहास है, जिसके बारे में पहली बार 1976 में सोचा गया था। आज 46 साल बाद हमारी सरकार ने इसके काम की आधारशिला रखी है।' अगले साल की शुरुआत में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारी में जुट गई है। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा के लिए कांग्रेस ने दिल्ली में स्क्रीनिंग कमिटी की बैठक बुलाई थी। दिल्ली में होने वाली स्क्रीनिंग कमिटी की बैठक में सभी 70 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा होनी है। कांग्रेस में हरीश रावत को सीएम फेस बनाने का झगड़ा सड़क तक आ चुका था लेकिन उसे दबा दिया गया है। भाजपा में भी हरक सिंह रावत नाराज थे लेकिन पीएम ने उनकी भी नाराजगी दूर कर दी है। कांग्रेस के कई कद्दावर नेता अपने परिवार के अन्य सदस्यों के लिए टिकट मांग रहे हैं। सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने अलावा अपनी बेटी के लिए विधानसभा का टिकट मांग रहे हैं। वहीं नेता विपक्ष प्रीतम सिंह भी अपने बेटे के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष यशपाल आर्य भी अपने साथ अपने बेटे के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। इसलिए राज्य के विकास कार्य ही चुनाव के नतीजे तय करेंगे। (हिफी) हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
भारत के यूपी में किशोरों का वैक्सीनेशन शुरू Posted: 03 Jan 2022 06:12 AM PST भारत के यूपी में किशोरों का वैक्सीनेशन शुरूलखनऊ (भारत)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 3 जनवरी को 15 साल से 18 साल के छात्र-छात्राओं के लिए कोविड टीकाकरण का महाभियान शुरू किया। यूपी में आज से 2150 केंद्रों पर टीकाकरण का अभियान शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री ने लखनऊ के सिविल हॉस्पिटल पहुंचकर किशोरों के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर और ओमीक्रॉन वैरिएंट को देखते हुए सरकार सतर्क है और सभी ऐहतियात बरते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरी लहर में जिस डेल्टा वैरिएंट ने कहर मचाया था उसकी तुलना में ओमीक्रॉन कमजोर है। हालांकि इसकी संक्रमण की दर काफी तेज बतायी जा रही है। मुख्यमंत्री ने टीकाकरण अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से यह टीकरण अभियान शुरू हो पाया है। आज 15 से 18 साल के बच्चों का वैक्सिनेशन शुरू हुआ। प्रदेश में 15 से 18 साल के बच्चों के लिए 1 करोड़ 40 लाख वैक्सीन है। अकेले लखनऊ में 39 वैक्सिनेशन सेंटर बनाए गए हैं, प्रदेश में 2 हजार से ज्यादा वैक्सीन सेंटर बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये सच है की ओमीक्रॉन तीव्र वेरिएंट है, लेकिन सेकंड वेव की यूलना में बहुत हल्का वेरिएंट है। सेकंड वेव में हमने महसूस किया था कि लोग बीमार होते थे उन्हें रिकवर होने में 15 से 20 दिन लग जाते थे, लेकिन ओमीक्रॉन में ऐसा नहीं है। ओमीक्रॉन से घबराने की आवश्यकता नहीं है लेकिन कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना जरुरी है। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
टेस्ला की आटो पायलट टीम के पहले कर्मचारी थे अशोक एल्लुस्वामी: एलन मस्क Posted: 03 Jan 2022 06:10 AM PST टेस्ला की आटो पायलट टीम के पहले कर्मचारी थे अशोक एल्लुस्वामी: एलन मस्कह्यूस्टन (अमेरिका)। सोशल मीडिया के माध्यम से भर्ती करने वाले टेस्ला के संस्थापक और सीईओ एलन मस्क ने खुलासा किया है कि उनकी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी की ऑटो पायलट टीम के सबसे पहले कर्मचारी भारतीय मूल के अशोक एल्लुस्वामी थे। अपने साक्षात्कार से जुड़े एक वीडियो को लेकर जवाब देते हुए मस्क ने ट्वीट कर कहा, अशोक पहले ऐसे व्यक्ति थे जो मेरे ट्वीट के जरिये भर्ती किए गए और इसके साथ ही मैंने कहा कि टेस्ला एक ऑटो पायलट टीम की शुरुआत कर रही है। उन्होंने कहा कि असल में, अशोक ऑटो पायलट इंजीनियरिंग के प्रमुख हैं। मस्क ने कहा, टेस्ला की ऑटो पायलट टीम बेहद कुशल है। इसमें दुनिया के कुछ सबसे कुशल लोग शामिल हैं। टेस्ला में शामिल होने से पहले अशोक फॉक्सवैगन की इलेक्ट्रॉनिक अनुसंधान प्रयोगशाला से जुड़े हुए थे। वह चेन्नई के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। अशोक ने पेनस्लिवेनिया स्थित कारनेगी मेलोन विश्वविद्यालय से रोबोटिक सिस्टम डेवलेपमेंट में परास्नातक की डिग्री हासिल की है। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
अमेरिकी वैज्ञानिक ओमिक्रान के बीच भी आशावान Posted: 03 Jan 2022 06:06 AM PST अमेरिकी वैज्ञानिक ओमिक्रान के बीच भी आशावानवाशिंगटन। अमेरिका कोविड के मामलों में ऊंचाई की ओर तेज वृद्धि का अनुभव कर रहा है। ओमिक्रॉन वैरिएंट देश भर में फैल चुका है। इसकी पीक पर कुछ ही सप्ताह दूर हो सकता है। शीर्ष अमेरिकी महामारी सलाहकार एंथनी फाउची ने यह बात कही। फाउची ने कहा, हम निश्चित रूप से बहुत गंभीर उछाल और मामलों में तेजी के बीच में हैं। इस बढ़ती संक्रमण दर को वास्तव में अभूतपूर्व कहेंगे। दुनिया भर में व्याप्त हो चुके वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के अमेरिका में 31 दिसम्बर को 440,000 से अधिक नए मामले सामने आए। यह पिछले साल फरवरी की तुलना में लगभग 200,000 अधिक थे। हालांकि फाउची ने दक्षिण अफ्रीका के अनुभव को लेकर कुछ आशा जताई, जहां पहली बार नवंबर के अंत में स्ट्रेन का पता चला था और वह जल्द ही चरम पर पहुंच गया, और फिर जल्द ही कम हो गया। उन्होंने कहा कि इस बात के सबूत बढ़ रहे हैं कि ओमिक्रॉन पिछले वेरिएंट की तुलना में हल्का है। अमेरिका में पिछले कोविड की तुलना में हाल के हफ्तों में मौतों और अस्पताल में भर्ती होने की दर बहुत कम रही है। अमेरिका अन्य देशों की तरह अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाए बिना या पुलिसिंग और हवाई यात्रा जैसी प्रमुख सेवाओं पर रोक लगाए बिना सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए एक संतुलन बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है। फाउची ने फिर से माता-पिता से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि उनके बच्चों का टीकाकरण हो, मास्क पहनें और जरूरत पड़ने पर जांच करवाएं। अमेरिकी शिक्षा सचिव मिगुएल कार्डोना ने कहा कि कक्षाओं में वापसी चुनौतीपूर्ण होगी, लेकिन आवश्यक होगी। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
तालिबानों ने शराब बरामद कर नहर में बहा दी Posted: 03 Jan 2022 06:04 AM PST तालिबानों ने शराब बरामद कर नहर में बहा दीकाबुल। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार की खुफिया एजेंसी ने कहा है कि उसके एजेंटों ने छापेमारी में बरामद किए गए करीब 3000 लीटर शराब काबुल में एक नहर में बहा दी है। देश की शीर्ष जासूस एजेंसी ने रविवार को इसकी सूचना दी है। खुफिया महानिदेशालय द्वारा जारी किए गए एक वीडियो फुटेज में दिखाया गया है कि राजधानी काबुल में छापेमारी के दौरान उसके एजेंट बैरल में रखी शराब जब्त कर लेते हैं और बाद में उसे नहर में बहा रहे हैं। ट्विटर पर पोस्ट फुटेज में एक खुफिया अधिकारी ने कहा, मुसलमानों को शराब बनाने और उसकी डिलीवरी से गंभीरता पूर्वक दूर रहना चाहिए। फुटेज से यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि छापेमारी कब की गई थी या शराब नहर में बहाकर कब नष्ट की गई लेकिन एजेंसी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि इस अभियान के दौरान तीन डीलरों को गिरफ्तार किया गया है। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
राजनीति और महामारी का भारत देश पर 2022 में कैसा रहेगा भविष्य? Posted: 03 Jan 2022 05:56 AM PST राजनीति और महामारी का भारत देश पर 2022 में कैसा रहेगा भविष्य?【ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री】 ============================= ✍🏻बर्ष 2022 नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे लोग अपने भविष्य के बारे में जानने के लिए और ज्यादा उत्सुक और जिज्ञासु होते जा रहे हैं, इसी बीच में बहुत से लोगों ने मुझे फोन और संदेश भेजे की मन में यह भी सवाल घूम रहा होगा कुछ मार्गदर्शन करें कि वर्ष 2022 यानी कि आने वाला साल भारत के लिए कैसा रहने वाला है? यह सवाल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बीते 2 वर्षो से कोरोना वायरस ने भारत को ऐसे मोड़ पर ला दिया है जिसके बारे में हम में से कोई भी तैयार नहीं था। अंक ज्योतिष के अनुसार ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि वर्ष 2022 पर शनि ग्रह का शासन होने वाला है और यदि हम इस वर्ष का जोड़ देखे तो यह बनता है अंक 6 (2+0+2+2= 6) ऐसे में संभावना बन रही है कि इस वर्ष महिलाओं का शासन रहने वाला है। इस साल ढेरों शादियों की भी संभावना है, वहीं बात अगर वैश्विक महामारी की करें तो महामारी का असर 2022 में ज्यादा प्रभावशाली नही रहेगा ना के बराबर प्रभाव दिखाएगा जिससे ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नही है। 2022 के संभावित बदलाव और परिवर्तन ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि वर्ष 2022 में अप्रैल महीने में मीन राशि में बृहस्पति का गोचर होने वाला है और राहु और केतु का गोचर मेष और तुला राशि में होगा। वहीं शनि ग्रह अप्रैल 2022 से लेकर जुलाई 2022 तक कुंभ राशि में रहने वाले है, इन सभी कारणों की वजह से वर्ष 2022 की पहली छमाही बहुत ज्यादा अनुकूल नहीं रहने वाली है, इस दौरान देश में कई अहम उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं, जुलाई 2022 तक यानी कि, सरल शब्दों में कहें तो इस साल की पहली छमाही तक स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं और नए वायरस से जुड़ी दिक्कतें लोगों को थोड़ा बहुत तो परेशान कर सकती हैं। हालांकि जुलाई 2022 के बाद देश की स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है वहीं देश की वित्तीय स्थिति की बात करें तो यह वर्ष के अंत तक देखने को अच्छा होगा, अगस्त के बाद नई तकनीकी विकास संभव हो सकते हैं। इस समय अवधि तक बृहस्पति शनि का संयोग खत्म हो चुका होगा और इसके बाद ग्रहों का कोई बड़ा संयोग नहीं होने वाला है। अप्रैल 2022 में बृहस्पति का गोचर मीन राशि में होगा और यह 2023 तक इसी स्थिति में रहने वाला है। बृहस्पति के इस गोचर से देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। वर्ष 2022 में राजनीति में आएंगे क्या बदलाव? ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि जहां तक बात वर्ष 2021 की करें तो राजनीति के क्षेत्र में इस साल बेहद ही उतार-चढ़ाव वाली स्थिति देखने को मिली थी वहीं इसके विपरीत साल 2022 राजनीति के लिहाज से अनुकूल रहने वाला है। विशेष तौर पर जुलाई के बाद सरकार हर क्षेत्र के लिए नीतियों के संबंध में राजनीतिक मोर्चे पर जुर्माने के फैसले ले सकती है। सरकार स्वास्थ्य मोर्चे और वायरस के संबंध में जुलाई के बाद और अधिक जन जागरूकता पैदा कर सकती है और इसके लिए मुमकिन है कि सरकार कोई अलग नीति भी बना दे। वर्ष 2022 के लिए महत्वपूर्ण भविष्यवाणी आचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि वर्ष 2022 में जुलाई के बाद का समय ज्यादा अनुकूल रहने वाला है क्योंकि इस दौरान मीन राशि में बृहस्पति का प्रमुख गोचर होगा और मकर राशि में शनि का गोचर होगा जो कि देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की संभावना पैदा कर रहा है, इस साल में कर्क राशि, मकर राशि, और कुंभ राशि के जातकों को स्वास्थ्य के संदर्भ में ध्यान रखने की ज्यादा आवश्यकता पड़ेगी, जैसा कि हमने पहले भी बताया कि यह साल शुक्र का है और साल की शुरुआत में ही शुक्र शनि के साथ रहेंगे ऐसे में व्यक्तिगत मोर्चे पर इसके अनुकूल परिणाम देखने को मिलेंगे और इस वर्ष ज्यादा विवाह संपन्न होंगे। जैसा कि राहु राशि चक्र की पहली राशि अर्थात मेष में प्रवेश करेगा और केतु सातवें भाव में, ऐसे में विदेशी निवेश की संभावनाएं अधिक रहेंगी और वायरस की तीव्रता में कमी देखने को मिलेगी अप्रैल 2022 से बृहस्पति अपनी ही राशि मीन में स्थित होगे जिससे देश और भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति सकारात्मक दिशा में बढ़ेगी, इसके अलावा दूसरा प्रमुख ग्रह यानि शनि भी जुलाई के दौरान कुंभ राशि से निकलकर वापस मकर राशि में प्रवेश करेगा जिसके कारण देश में रोजगार के नए अवसर, व्यापार में वृद्धि, और सभी अच्छी चीजों के साथ साथ देश में अच्छी और सकारात्मक बदलाव की सौगात देखने मिलेगी, वैश्विक आर्थिक संकट से दूर जो एक अहम संकट दुनिया और भारत को लंबे समय से सता रहा था वह जुलाई के बाद हल होना शुरू हो जाएगा और अगस्त या वर्ष के अंत तक देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक होने लगेगी। अपनी अनुकूल राशि मीन में बृहस्पति की स्थिति से वैश्विक मंदी की स्थिति भी धीरे-धीरे हल होनी शुरू हो जाएगी, भारत के साथ-साथ विभिन्न देशों के बीच जो भ्रम की स्थिति देखने को मिल रही थी वह भी खत्म होने लगेगी। भारत चीन के बीच युद्ध भी 2022 में खत्म हो जाएगा और उनसे जुड़ी सभी परेशानियां भी कम हो जाएंगी सीमाओं पर कोई बड़ी समस्या नही रहेगी। वर्ष 2022 में होगा कोरोनावायरस का अंत? ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि वर्ष 2020 से पूरी दुनिया को सता रही वैश्विक महामारी कोरोनावायरस साल 2022 की दूसरी छमाही यानी अगस्त के बाद धीरे-धीरे समाप्त हो सकती है। हालांकि अभी वायरस की एक और लहर यानी तीसरी लहर आ सकती है लेकिन यह बहुत ज्यादा विकराल नहीं होगी और इसी के साथ महामारी का अंत हो जाएगा। हालाँकि यह वायरस पूरी तरह से खत्म नहीं होगा और मलेरिया आदि के रूप में अपना सिर दोबारा उठा सकता है, नई दवाएं और लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए इस वायरस से काफी हद तक रोकने में सहायक साबित हो सकते हैं। इस समय वायरस के संदर्भ में सरकार और स्वास्थ्य संस्थाओं की तरफ से जारी की गई गाइडलाइंस और नियमों का पालन करना अनुकूल रहेगा दूसरे देश में पाया गया ओमीक्रॉन वायरस से भारत निपट सकता है और दवाएं इस वायरस से निपटने में मदद कर सकती हैं। इस वायरस से निपटने के लिए भारत सरकार कुछ कड़े और महत्वपूर्ण नियम लागू कर सकती है। वायरस से बेहतर ढंग से लड़ा जा सके और उस पर नियंत्रण पाया जा सके इसके लिए बेहद आवश्यक है कि सरकार द्वारा जारी मानदंडों और गाइडलाइंस का पालन किया जाए। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
समिति के अभियान से प्रेरित अनेक युवाओं ने‘चैत्र शुक्ल प्रतिपदा’ को ही नववर्ष मनाने का किया संकल्प ! Posted: 03 Jan 2022 05:50 AM PST समिति के अभियान से प्रेरित अनेक युवाओं ने'चैत्र शुक्ल प्रतिपदा' को ही नववर्ष मनाने का किया संकल्प !पटना - नए वर्ष मनाने के नाम पर ३१ दिसंबर की रात को होनेवाले अनैतिक कुरीतियों के विरोध में बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, सीतामढी, बेतिया में जिलाधिकारी और पुलिस प्रशासन को ज्ञापन दिया | बिहार राज्य के पटना, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गया तथा सोनपुर के १५ से भी अधिक विद्यालयों में इस निमित्त प्रधानाध्यापक को ज्ञापन दिया गया और ४०० से भी अधिक विद्यार्थियों और शिक्षकों का प्रबोधन भी किया गया | विश्वगुरु माने जानेवाले भारत में पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण के कारण हो रही सांस्कृतिक हानि को रोकने की दृष्टि से हिन्दू संगठनों तथा राष्ट्रभक्त अधिवक्ताओं की भी बैठक ली गई | जिसमें सभी ने एकजुट होकर देश की सभ्यता-संस्कृति को रोकने का बीडा उठाया | हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ऑनलाइन के माध्यम से लिए जानेवाले साप्ताहिक धर्मशिक्षा वर्गों, सत्संगों तथा बैठकों में राष्ट्रप्रेमियों को नववर्ष के नाम पर किए जानेवाले राष्ट्रविघातक कृत्यों के बारे में प्रबोधन किया गया | साथ ही सोशल मीडिया के विविध माध्यमों से भी इसके लिए प्रयास किए गए | सेलिब्रेशन के नाम पर देश को रसातल में ले जानेवाली पश्चिमी संस्कृति के बारे में जागृति करनेवाले लेख के माध्यम से भी समाज को जागृत करने का प्रयास समिति के माध्यम से किया गया | समिति ने कैलेंडर_बदलें_संस्कृति_नहीं तथा #MyNewYear_HinduNavVarsh इस हैशटेग के माध्यम से ट्विटर ट्रेंड कर जागृति की, जिसे समाज से अभूतपूर्व प्रतिसाद मिला | हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
Posted: 03 Jan 2022 05:13 AM PST बिहार का पहला खाद्य प्रसंस्करण कार्यालय का पटना में केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस ने किया उदघाटनउत्तर बिहार में खाद्य प्रसंस्करण को लेकर एक विश्वविद्यालय, हाजीपुर में 'क्षमता अभिवृद्धि केन्द्र' का एक बड़ा कार्यालय और खाद्य प्रसंस्करण का एक कारखाना खोला जाएगा : पशुपति कुमार पारस केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, भारत सरकार, पशुपति कुमार पारस ने आज राष्ट्रीय खाद्य प्रौधौगिकी उद्यमशीलता एवं प्रबंधन संस्थान, कुंडली, सोनीपत (हरियाणा) द्वारा बिहार एवं पूर्वोतर राज्यों में खाद्य प्रसंस्करण के संवर्धन हेतु 'क्षमता अभिवृद्धि केन्द्र पटना' का उदघाटन किया। साथ ही उन्होंने सादा और चटपटा स्वाद वाला मखाना किंग- मखाना आधारित वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) ब्रांड लांच किया। दोनों पहल प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) का हिस्सा है। इस मौके पर उन्होनें घोषणा की कि उत्तर बिहार में खाद्य प्रसंस्करण को लेकर एक विश्वविद्यालय, हाजीपुर में 'क्षमता अभिवृद्धि केन्द्र' का एक बड़ा कार्यालय और खाद्य प्रसंस्करण का एक कारखाना खोला जाएगा। केन्द्रीय मंत्री ने इस मौके पर कहा कि बिहार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष रूचि लेते हुए जो जवाबदेही मुझे दी है, उसे मैं पूरा करूंगा। उन्होनें कहा कि पूरे देश में खाद्य प्रसंस्करण का अपना महत्व है। कृषि विभाग अनाज-उत्पादन के लिए और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय उसे बर्बादी से बचाने के लिए पहल करता है। किसानों को कृषि उत्पाद का उचित मूल्य मिले और बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो, इसके लिए देश भर में मेगा फूड पार्क कार्यरत हैं और जल्द ही मिनी फूड पार्क बनाने की योजना है। उन्होनें कहा कि नॉर्थ बिहार में मखाना, लीची, केला, मक्का सहित कई खाद्य पदार्थों का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है लेकिन लोगों को खाद्य -प्रसंस्करण उद्योग की जानकारी बहुत कम है। इसलिए हमारी योजना है कि उत्तर बिहार में एक विश्वविद्यालय खुले। केंन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वे बिहार के मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगें कि वे हमें जमीन दें। उन्होनें कहा कि खाद्य उत्पादों का प्रसंस्करण कर किसानों की आय और रोजगार के अवसर को बढ़ाने की हमारी योजना है। इस दिशा में प्रधानमंत्री की खास रूचि रही है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 'क्षमता अभिवृद्धि केन्द्र' में प्रशिक्षण दिया जाएगा और भविष्य में इसका विस्तार भी किया जाएगा। श्री पारस ने कहा कि हाजीपुर में जमीन भी उपलब्ध है और जल्द हीं वहां पर कार्यालय खोलने की पहल की जाएगी। साथ ही बिहार के सभी जिलों में सर्वे कराया जाएगा और आवश्यकता अनुसार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाए जाएंगे। उन्होने कहा कि बिहार सरकार से बातचीत कर एक बड़ा कारखाना खोला जाएगा, जहां खाद्य प्रसंस्करण के व्यवसाय और रोजगार के अवसर होंगे।मौके पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव मिन्हाज आलम और निफ्टेम, कुंडली के कुलपति डॉ सी बासु देवप्पा मौजूद थे। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
Posted: 03 Jan 2022 05:09 AM PST ![]() सनातन धर्म और आधुनिक भौतिकवादसंकलन अश्विनीकुमार तिवारी बड़ा आश्चर्य है धर्म को समझे बिना ही कथित नास्तिक धर्म पर प्रहार करने लगते हैं , कि 'धर्म ने विज्ञानके द्वारा भौतिक उत्कर्ष नहीं होने दिया और सदियों तक राष्ट्रको गुलाम रखा ।' धर्म को केवल मन्दिर जाकर घण्टा बजाना और अगरवत्ती लगाना समझ रखा है ,तभी ऐसी दुरागृहपूर्ण बातें करते हैं । धर्म के चार चरण धर्म अर्थ काम मोक्ष हैं जो बिना अर्थ और काम के सम्भव ही नहीं ,यही वैदिक भौतिकवाद है , हमारे धर्मज्ञ ऋषियों ने तो यन्त्रविज्ञानका विरोध किया है और न ही भौतिकवादका ही । लङ्का तक सेतु बनाने में भी श्रीरामकी सेना ने बड़े बड़े पत्थरों को ले जाने के लिये यन्त्रोंका ही सहारा लिया था -"पर्वतांश्च समुत्पाट्य यन्त्रै: परिवहन्ति च ।"(युद्ध०२२/६०) ऋषियोंने धर्म पालनके लिये अर्थ को आवश्यक बताया है -"तस्मात्पूर्वमुपादेयं वित्तमेव गृहैषिणा ।"(भविष्य०ब्रह्म०६/६) और अर्थके बिना समस्त धर्म कार्य निषेध किये गए हैं --"तद्वदर्थविहीनां सर्वत्र नाधिकारिता ।"(भविष्य०ब्रह्म०६/१३) फिर भी दुराग्रह पूर्वक यह कहना कि धर्मज्ञ मनीषी यन्त्रविज्ञान और भौतिकता के विरोधी थे ,यह कहना अन्याय होगा । रामराज्यमें पुष्पक विमान जिसे काल्पनिक लगता है उसे कमसे कम आदिकविकी कल्पना पर तो मन्थन करना ही चाहिये , आखिर भौतिकता और यन्त्र विज्ञानके विरोधी ऋषि कल्पनाओं में भी ऐसा वर्णन क्यों करने लगे ? आस्तिक हिंदुओंके लिये तो ऋग्वेदके अश्विनी कुमारों के विमान ,रावणका पुष्पक विमान और त्रिपुरों व शाल्वका शोभ विमान ऐतिहासिक सत्य हैं । भौतिकवादी नास्तिकों को इन पर बेशक विश्वास न हो , महर्षि भरद्वाज रचित 'यन्त्रसर्वस्व' , महर्षि अगस्त्य रचित 'अगस्त्य संहिता' और सम्राट भोज परमार रचित 'समरांगणसूत्र' अवश्य पढ़ना चाहिये जिनमें विमान और विद्युत् शैल बनाने की विधि वर्णित है ,इन्हें कम से कम यन्त्रविज्ञान और भौतिकवादका विरोधी नहीं कहा जा सकता । १७वी शतीमें चार वैज्ञानिक यन्त्रोंमयी वैधशालाओं का निर्माण करने वाले राजा सवाई मिर्जा जय सिंह भी एक धार्मिक राजा थे जिन्होंने २ अश्वमेध यज्ञ किये थे । इस सबका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं कि वैदिक विज्ञानं की उपेक्षा करके वेद विहीन यन्त्रविज्ञान और भौतिकवाद की अति हो । विज्ञान के नाम पर प्रकृतिका दोहन कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता है । धर्म और आधुनिक वेदविहीन विज्ञान ने हमें क्या दिया है ? इस पर विश्लेषण करते हैं , चलिये आपकी बात मान लेते हैं ,कि धर्म ने कोई वैज्ञानिक आविष्कार नहीं किया ,आपके लिये सब पाखण्ड है सब काल्पनिक बातें हैं जिसके कारण पिछड़े ही बने रहे और आधुनिक विज्ञानने हमे प्रगति दी है । यदि धर्म ने कुछ नहीं दिया तो आयुर्वेदके स्वास्थ्य ,योगके द्वारा निरोग और ध्यानके द्वारा मानव को परम् शान्ति का प्रकल्प मनुष्य को किसने दिया ? जिसे आज समूचा विश्व मानने को बाध्य हो चुका है ,विश्वयोगा दिवस , मेडिटेशन और एक्यूप्रेसर-एक्युपंचर आदि वैदिक विधा नहीं तो क्या है ? पुरातात्विक प्रमाणोंसे हिन्दू संस्कृति कमसे कम १०,००० वर्ष पुरानी सिद्ध है , किसी भी देशकी संस्कृतिसे धर्म सूत्र में मणियों की तरह पिरोया हुआ होता है , हमारे धर्मज्ञ मनीषियोंने सदैव प्रकृतिका पोषण किया है , अग्नि ,सूर्य,वरुण ,नदी ,वन और पर्वतोंके रूप में सदैव प्रकृतिका पूजन किया है ,संरक्षण किया है ,कभी प्रकृति को विज्ञान और विकास के नाम पर कुपित और क्षुब्ध नहीं किया । हजारों वर्षों से नदियों-वनों-पर्वतों और प्राणवायु को निर्मल बनाये रखा । भागवताकार ऋषिके द्वारा श्रीकृष्णकी व्रजलीलाका चरित्र भी प्रकृतिका संरक्षण और शोधन है । विषैली यमुनाको विषमुक्त करके जल शोधन -'तदैव सामृत जला यमुना निर्विषाभवत् ।(भा०१०/१७/६७) के द्वारा नदियोंका निर्मलीकरण-शुद्धिकरण जहाँ चरितार्थ है, वहीं -'नित्यं वनौकसस्तात वनशैलनिवासिन:'(भा०१०/२४/२४) गोवर्धन पूजन से पूर्व वनों पर्वतोंके संरक्षण और संवर्धन का महत्त्व बताते हैं । धर्मने जहाँ -"नाप्सु मूत्रं पुरीषं वा ष्ठीवनं वा समुत्सृजेत् ।"(मनु०४/५६) जल में मल-मूत्र त्यागना और थूकना निषेध किया है , वहीं आधुनिक भौतिकवादने नदियों में मल-मूत्र और कारखानों के नाले डालकर दूषित ही किया है कहने का अर्थ है जहाँ वैदिक विज्ञानं ने १०,००० वर्षों में प्रकृति की पूजा की , नदियोंको निर्मल और वनों-पर्वतों की सुरक्षाकी वहीं प्रकृति को कुपित , नदियों को मैला करके क्षुब्ध और लुप्त के कगार पर किसने पहुंचाया ? वनों का अन्त और ८०% ग्लेशियर को किसने नष्ट किया ? अर्थात् जो कार्य धार्मिक मनीषी १०,००० वर्षों में नहीं कर पाये ,वह प्रकृति को कुपित और नदियों को क्षुब्ध करने का कार्य आधुनिक भौतिकवादियोंने १ शतीसे भी कम समय में कर दिखाया ।वायुमण्डल में प्राणवायु (ऑक्सीजन) की कमी का उत्तरदायी कौन है ? आज दिल्ली में स्वांस लेना भी मुश्किल हो गया है इसका उत्तरदायी कौन है ? यदि इसी प्रकार अंधाधुंध विज्ञानके नाम पर विनाश होता रहा तो वो समय दूर नहीं जब मानव सभ्यता रसातल में पहुँच जाएगी । हम नहीं कह रहे यन्त्रविज्ञान का उपयोग न करो , लेकिन केवल यन्त्रों के अधीन होकर रह जाओगे तो विकास के गर्भ से विनास निकलेगा ही । विकास का उद्देश्य होता है मानव जीवन को सुगम और आसान बनाना जिससे बहुमूल्य समय बचाया जा सके ,लेकिन इसका अर्थ ये नहीं स्वयं अकर्मण्य ही हो जाओ , मान लीजिए १ बच्चे को जन्म से इतनी सुबिधा दी जाएं कि उसे कोई काम न करना पड़े , जन्मते ही ऐसीकार में बैठकर ही हर जगह घुमाया जाए , कभी उसे १ कदम चलने न दिया जाए ,तो इसका परिणाम क्या होगा ? निश्चित है उस बच्चेके पैर निष्क्रिय हो जाएंगे ,इसे आप विकास कहेंगे या विनास ? कुछ लोग कहते हैं ,अंग्रेजोंने आकर भारतका विकास किया । ये उन लोगोंका भ्रम ही है , इतिहास-भौतिकवाद और मार्क्सवाद हमने भी पढ़ा है । जो स्थिति आज विश्वमें अमेरिकाकी है , उपनिवेशकाल में जो स्थिति ब्रिटेनकी थी ,वही स्थिति १८वीं शती तक भारतकी थी । सिन्धु सभ्यतासे लेकर मुग़लकाल तक भारतकी आर्थिक स्थिति विश्वको चकाचौंध करती रही , यह स्थिति बिना भौतिक विकासके सम्भव थी क्या ? पाणिनिकाल ,मौर्यकाल,गुप्तकाल ,हर्षवर्द्धनकाल और राजपूतकाल तक भारत में समृद्धि-कला-शिक्षाकी श्रृंखला अपरिच्छिन्न बनी रही । १२३५ वर्षों तक (७१२ ई से १९४७ ई तक ) जिस राष्ट्र को निरन्तर लूटा गया हो क्या वो राष्ट्र विकासरहित था ये सम्भव है ? इस राष्ट्रमें वाराहमिहिर, आर्य भट्ट , भास्कराचार्य जैसे वैज्ञानिकोंने विश्वको गणित सिखाया , जिस देशके तक्षशिला विश्वविद्यालय ,नालन्दा विश्वविद्यालय ,विक्रमशिला विश्वविद्यालय और ऐसे हजारों शिक्षण संस्थान जिसमे पढ़ने आते थे , जिस देशके लोह इस्पात की विश्वमें कोई बराबरी नहीं थी ,१६०० बर्ष पुराना मेहरौली लोह स्तम्भ इस बात की गवाही दे रहा है , वह देश अंग्रेजोंने विकसित किया यह कोरी बकवास नहीं तो क्या है ? भारतने विश्व बाजारमें अपनी जो स्थिति बनाई थी वह हिंसा और लूट के जरिये नहीं बनाई थी । उसने खुली आर्थिक प्रतिद्वन्दिता में अपनी यह स्थिति बनाई थी । यही कारण है ,यूरोप का सोना भारतीय माल के विनियम में यहाँ भेजा गया । मार्क्स ने लिखा है -"अनादि कालसे यूरोप भारतीय श्रमसे तैयार की गई सुन्दर वस्तुएँ प्राप्त करता रहा और बदले में अपनी कीमती धातुएँ भेजता रहा ।" यूरोप के सौदागर भारतीय मालके बदले सोना देने को बाध्य थे क्योंकि उसके बदले में उनके पास देने लायक माल कोई था नहीं । अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मार्क्सवादी विचारक डॉ०रामविलास शर्मा लिखते हैं -- ' भारतीय समाज परिवर्तनशील और विकासमान था , सामूहिक संपत्ति वाले ग्राम-समाजोंका अपरिवर्तनशील भारत अंग्रेजों की गढ़ी गयी दन्तकथा मात्र है '(भारतीय इतिहास और ऐतिहासिक भौतिकवाद पृष्ठ १३) वहीं दुसरी जगह लिखते हैं -'भारतमें अंग्रेजी राज कायम होने के बाद विश्व बाजार में भारतकी स्थिति उलट गई ; पहले वह इस विश्व बाज़ार में माल सप्लाई करता था अब वह विलायत के माल का गोदाम बन गया । ' , ' यह बात मार्क्स ने यों कही : "अनादि कालसे भारत दुनिया के लिये सूती माल पैदा करने वाला बड़ा कारखाना था ,अब वह विलायती बटे हुए धागे और सूती माल की बाढ़ से भर गया " ( वहीं पृष्ठ १) इसीलिए यह कहना कि अंग्रेजोंने भारतमें विकास किया , इससे स्वयं को धोखा देना ही होगा । अंग्रेजोंके आने के बाद भारतकी स्थिति रसातल में चली गयी । अंग्रेजोंने जो रेल आदि चलाई वह भी भारतीय माल के लूट के लिये न कि भारतके आर्थिक विकासके लिये -'रेल चलाने से अंग्रेजों की शोषण व्यवस्था सुदृढ़ हुई , परन्तु इससे भारतका औद्योगिक विकास होने वाला नहीं था ।" (वहीं पृष्ठ १६) भारत यदि विकसित नहीं था तब विदेशी क्यों भारत पर लट्टू थे ? मैक्समूलर (जर्मन विद्वान्) ने कहा था- 'मुझसे यदि कोई पूछे कि किस आकाश तले मानव मन अपने अनमोल उपहारों समेत पूर्णतया विकसित हुआ है , जहाँ जीवन की जटिल समस्याओं का गहन विश्लेषण हुआ और समाधान भी प्रस्तुत किया गया ,जो उनसे भी प्रशंसा का पात्र हुआ जिन्होंने प्लेटो और कांट का अध्ययन किया तो मैं भारतका नाम लूंगा ।' रोम्यारोला (फ्रांस ) ने कहा था -- मानव ने आदिकालसे जो सपने देखने शुरू किये ,उनको साकार होने का इस धरती पर कोई स्थान है तो वि है भारत ।" ऐसे में कोई यदि १८ वीं शती तक के भारत को विकास रहित कहे तो यह उसका अज्ञान ही होगा । यद्यपि भौतिकवाद और यन्त्रविज्ञानकी मानव जीवनमें उपयोगिता किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है सभी जानते हैं कितनी उपयोगिता है ,तथापि आधुनिक भौतिकवाद और यन्त्रविज्ञानकी अतिने जो क्षति की है ,उसका भी विश्लेषण कर लेना चाहिये । एक आध्यात्मिक राष्ट्रके राजा का उद्घोष है - " न मे स्तेनो जनपदे न कदर्यो न मद्यपो नानाहिताग्निर्नाविद्वान्न स्वैरी स्वैरिणी कुतः ।"(छान्दोग्योपनिषद् ५/११/५) - 'मेरे राज्यमें कोई चोर नहीं है तथा न अदाता , न मद्यप , न अनाहिताग्नि , न अविद्वान् और म परस्त्रीगामी ही है फिर स्वेच्छाचारी नारी तो आयी ही कहाँ से ? ' यह आदर्श तो एक आध्यात्मिक राष्ट्रके राजाके राज्यका ही हो सकता है , किन्तु भारतीय ऋषियोंकी वाणी पर आधुनिक भौतिकवादियों को विश्वास नहीं है लेकिन भारतीयोंके चरित्र की विदेश भी सदैव गुणगान करते रहे हैं , ३०० ई पू में ग्रीक राजदूत मेगास्थनीजने कहा था - "भारतियोंके पास परिचयपत्र नहीं होते , उनकी जुवान ही उनका प्रमाण है , वे सदैव सत्य ही बोलते हैं । " , "भारतमें किसी भी घर में ताले नहीं देखे "(अर्थात् चोरों से शून्य था भारतवर्ष) । ३९९ ई में आये चीनी यात्री फाह्यानने कहा था - "अधिकतर व्यक्ति धनवान ,धर्मप्रेमी, दानशील तथा अहिंसाके अनुयायी हैं । चोरोंका तो नामो निशान ही नहीं है ।" मार्कोपोलोने कहा था -"हिन्दू अपनी सत्यवादिताके लिये प्रसिद्ध है और पृथ्वीपर किसी भी वस्तुके लिये वे झूठ नहीं बोलेंगे । " १९ वीं शती में भारतीय किसानों के मध्य रहे ब्रिटिश अधिकारी सर विलयम स्लीमैन ने कहा था - "मेरे सामने एड अनेक उदाहरण है , जिनमे किसी व्यक्ति की संपदा ,आजादी और जीवन उसके एक झूठ पर निर्भर हो फिर भी उसने झूठ बोलने से इंकार कर दिया हो ।" १९ वीं शती तक धर्म की भावना प्रत्येक व्यक्तिमें दृढमूल थी , लेकिन अंग्रेजों के आने के बाद लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीतिने आध्यात्म की भावना समाप्त करके भोगवादी-भौतिकवाद की भावना कूट-कूट भारतीयों में भर दी । इसका परिणाम क्या हुआ भौतिकवाद और भोगवादकी अंधी दौड़ में सभी दौड़ रहे हैं , भारतीयोंका चारित्रिक पतन हो चुका है , उनकी नजर में कैसे भी करके धन कमाओ ,सुख भोग आदि भौतिक ऐश्वर्यों को प्राप्त करना मात्र रह गया है इसके लिये किसी भी स्तर पर जा सकते हैं , आज भारत अपराधों का देश बन चुका है जो कभी अध्यात्मका देश था , कारण है नास्तिकता और भौतिकताकी अंधी दौड़ में अब न तो यमदूतों के पाशोंका कोई डर रहा है , न स्वर्ग को पाने की लालसा जो पाप-पुण्य का विचार करें । उनके लिये कोई यमराज नहीं कोई यमदूत नहीं तो पाप कर्म का दण्ड कौन देगा जो भी जीवन है यही जीवन है ,इसे जितना सुखमय और भौतिक बना लो फिर कहाँ जीवन मिलेगा क्योंकि न तो आत्मा होती है न पुनर्जन्म , न कर्म बन्धन और न धर्मराज ही जो इन सबसे डरकर पाप कर्म न करें और भौतिकता के लिये कोई भी पाप करने से नहीं डरते । मैकाले की भौतिक और भोगवादी शिक्षा ने बचपन से यही दिमाग में भर दिया कि ये बन्दर के संतान हो , आत्मा जैसा कुछ नहीं होता , यह शरीर ही तुम हो इसी को पोषण में लगे रहो चाहे कोई भी अपराध करो। किसका डर है ? आध्यात्मिक भारत में जहाँ सामूहिक परिवार थे वहीं भौतिक भारतमें परिवार केवल स्त्री-पुत्र तक ही सीमित रह गए हैं अपने जन्म दाता माता पिता भी भोगों के पीछे भागने वालों के लिये बोझ बन चुके है । आध्यात्मिक भारत से भोगी और आपराधिक भारत बनने में किसका योगदान है ? पूँजीपतियों के विरुद्ध श्रमवर्ग को खड़ा करने वाले , पूंजीपतियों को शोषक और श्रमवर्ग को शोषित बनाने वाले मार्क्स के अनुयायी वामपंथी कहाँ गए ? आधुनिक यन्त्रोंने कारखानों में श्रमिकोंका रोजगार छीन लिया और वामपंथी चुप हैं । जिन कारखानों में हजारों की संख्या में मजदूर श्रमिकवर्ग काम करते थे आज एक ही ऑपरेटर बड़े बड़े यन्त्रों को ऑपरेट करता है और हजारों मजदूरोंका श्रमिकोंका कार्य एक अकेली मसीन कर देती है ,ऐसे में हजारों - लाखों और करोड़ों मजदूर-श्रमिक बेरोजगार हुए हैं ,अब क्यों नहीं श्रमिकवर्ग की याद आती है वामपंथियों को ? हस्त-कारीगरों और शिल्पियों की कला को छीनकर बेरोजगार बनाने वाली यन्त्र विज्ञान पर अब क्यों नहीं कोई मार्क्स पूँजीवादके विरुद्ध श्रमिकवर्ग को खड़ा करता है ? जब बेरोजगारी बढेगी तो अपराध बढ़ेंगे ही क्योंकि भौतिकवादकी अंधी दौड़ में वे कुचले जाएंगे तो ऐसे में उन्हें भी अंधी दौड़ में दौड़ना ही पड़ेगा और मजबूरी में अपराध करने को विवश होंगे । भारत सहित विश्व में अपराधों से त्रस्त है क्योंकि बेरोजगारी हर देशमें है , अभी कुछ वर्षों में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों पर आक्रमण हुए हैं इसका कारण भी वहां के निवासियो की बेरोजगारी है इसीलिए विदेशी लोगों पर हमले करते हैं , उन्हें लगता है उनकी नौकरी बाहरी लोगों ने छीनी है ,यदि ये न आएं तो हम बेरोजगार न रहे आदि , विकास किसका हुआ ? श्रमिकवर्ग का ?मजदूरों का ? कारीगरों का ? या पूंजीपतियोंका ? । आज यदि भौतिकवादकी अंधी दौड़ की जगह आध्यात्मिक भारत की कल्पना करें तो इन अपराधोंके लिये कोई जगह बचती है ? जहाँ आज गौ माँस भक्षण , शराब और वैश्यावृत्ति की खुली स्वतन्त्रता चाहते हैं , यह तो भौतिकवादी देश में ही सम्भव है , जहाँ एक वृद्धा माँ डेढ़ वर्ष तक बेटे की प्रतीक्षा करते करते कंकाल बन गयी । क्या यही विकास है ? क्या ये सब अध्यात्म ने दिया था भारत को ? और कितना दृश्य दिखाऊं आपको ? भारत कृषि प्रधान देश है , कृषि का अत्याधुनिक विकास हुआ है , फसलों की पैदावार बढ़ गयी है , लेकिन क्या कोई बताएगा , अनाज हों , सब्जी हों या फल ही हों इन्हें विषैला किसने बनाया ? आज कोई भी खाद्य शुद्ध नहीं मिलता इसका जिम्मेदार कौन है ? उत्तर आपके पास ही है अत्याधुनिक रसायनोंका कैमिकलोंका विकास और भौतिकवादकी अंधी रेस । क्योंकि सभी ज्यादा से ज्यादा भौतिक सुख भोग संसाधन प्राप्त करना चाहते हैं , इसके लिये चाहे दालों-अनाजों में सब्जियोमें और फलों में अत्यन्त घातक रसायनों-कैमिकलोंका ही प्रयोग क्यों न करना पड़े ? इसके परिणाम से सभी परिचित हैं , क्यों मिलावटके विरुद्ध आवाज उठाने की आवश्यकता हुई ? इसका जिम्मेदार कौन है ? विरोध न तो भौतिकवादका है न यन्त्रविज्ञानका , विरोध है अतिवादका , भौतिकवाद और यन्त्र विज्ञानका प्रकृतिके साथ संतुलन बनाना आवश्यक है , अन्यथा विकासके गर्भ से विनाश ही निकलेगा । आप मेरी आलोचना कर सकते हैं, आप धर्म की आलोचना कर सकते हैं , लेकिन इस सत्य को छिपा नहीं सकते हैं कि पिछली एक शताब्दी में ही भौतिकवाद और यन्त्रविज्ञान की अति ने मानव सभ्यता के विनाश के मुँह पर लाकर खड़ा कर दिया है । आपने धर्म को भौतिक विकास में बाधा समझा यह आपकी भारी भूल है , अपने धर्म केवल कर्मकाण्ड और पूजापाठ ही समझा , आपने हिन्दू-मुस्लिम,सिक्ख-ईसाई आदि को धर्म समझ लिया किन्तु ये धर्म नहीं सम्प्रदाय हैं मत हैं -- धर्मकी व्युत्पत्ति --- 'धृञ् --धारणे' धातुसे 'अर्तिस्तुसु.....' इस उणादि सूत्र द्वारा 'मन्' प्रत्यय होने पर 'धर्म' शब्द बनता है । जगत् के धारण तत्त्वका नाम 'धर्म' है 'धरति लोकोऽनेन ,धरति लोकं वा' ,धरति विश्वम् इति, धरति लोकान् ध्रियते वा जनैरिति (अमरकोष १/६/३) 'धारणाद्धर्ममित्याहुर्धर्मो धारयते प्रजा:'( महाभारत ) जो जगत् को धारण करे ,जो प्रजा (मानव सभ्यता ) को धारण करे , जो प्रकृति को धारण करे वह धर्म है । "यतोऽभ्युदयनि:श्रेयससिद्धि: स धर्मः'(वैशेषिक दर्शन १/२) जिससे अभ्युदय ( भौतिक जगत् में उत्कर्ष) और निःश्रेयस (परमात्माकी) की प्राप्ति हो वह धर्म है अर्थात् जिससे भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही लाभ हों वह धर्म है , इसीलिए ऐसा कहना मूर्खतापूर्ण ही है कि धर्म भौतिक विकास में बाधा है । अंधाधुंध प्रकृतिका दोहन मानव सभ्यता को रसातल में कुछ ही वर्षों में पहुंचा देगा जबकि धर्म से मानव सभ्यता को कभी भय नहीं हुआ न होगा । प्रकृति को कुपित करके वनों को काटकर ,नदियोंको क्षुब्धकरके जिस अंधाधुंध कॉंक्रीट के निर्माण को विकास के नामपर क्रियान्वित और परिभाषित किया जा रहा है , वह विकास नहीं , विकास के नाम पर विनाश ही है । क्या नदियोंका स्वच्छता-निर्मलीकरण विकास नहीं होगा ? क्या वनोंका संरक्षण विकास नहीं होगा ? ग्रीक के महान् दार्शनिक सुकरात ने सही ही कहा था -- 'वही व्यक्ति धनवान् है जो , प्रकृति के धन का सामग्रीके तौर पर सबसे कम इस्तेमाल करता है ।' हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
हिन्दू जनजागृति समिति का राष्ट्र एवं संस्कृति रक्षा अभियान Posted: 03 Jan 2022 05:02 AM PST हिन्दू जनजागृति समिति का राष्ट्र एवं संस्कृति रक्षा अभियानसमिति के अभियान से प्रेरित अनेक युवाओं ने 'चैत्र शुक्ल प्रतिपदा' को ही नववर्ष मनाने का किया संकल्प ! वाराणसी - नए वर्ष मनाने के नाम पर ३१ दिसंबर की रात को होनेवाले अनैतिक कुरीतियों के विरोध में उत्तर प्रदेश के वाराणसी, सैदपुर, नटवा, जौनपुर तथा भदोही में जिलाधिकारी और पुलिस प्रशासन को ज्ञापन दिया | उत्तर प्रदेश के वाराणसी, भदोही तथा अयोध्या जिले के ३० से भी अधिक विद्यालयों और महाविद्यालयों में इस निमित्त प्रधानाध्यापक को ज्ञापन दिया गया और २१०० से भी अधिक विद्यार्थियों का प्रबोधन भी किया गया | विश्वगुरु माने जानेवाले भारत में पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण के कारण हो रही सांस्कृतिक हानि को रोकने की दृष्टि से हिन्दू संगठनों तथा राष्ट्रभक्त अधिवक्ताओं की भी बैठक ली गई | जिसमें सभी ने एकजुट होकर देश की सभ्यता-संस्कृति को रोकने का बीडा उठाया | हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ऑनलाइन के माध्यम से लिए जानेवाले साप्ताहिक धर्मशिक्षा वर्गों, सत्संगों तथा बैठकों में राष्ट्रप्रेमियों को नववर्ष के नाम पर किए जानेवाले राष्ट्रविघातक कृत्यों के बारे में प्रबोधन किया गया | साथ ही सोशल मीडिया के विविध माध्यमों से भी इसके लिए प्रयास किए गए | सेलिब्रेशन के नाम पर देश को रसातल में ले जानेवाली पश्चिमी संस्कृति के बारे में जागृति करनेवाले लेख के माध्यम से भी समाज को जागृत करने का प्रयास समिति के माध्यम से किया गया | समिति ने कैलेंडर_बदलें_संस्कृति_नहीं तथा _ इस हैशटेग के माध्यम से ट्विटर ट्रेंड कर जागृति की, जिसे समाज से अभूतपूर्व प्रतिसाद मिला | हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
गुरूपर्व में श्रद्धालुओं द्वारा कोरोना गाइड लाइन पालन करने में शिथिलता! Posted: 03 Jan 2022 04:51 AM PST गुरूपर्व में श्रद्धालुओं द्वारा कोरोना गाइड लाइन पालन करने में शिथिलता!पटना सिटी के नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सैकड़ों डाक्टरों व जूनियर्स डाक्टरों के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर महामारी की भयावहता की ओर संकेत करता है। पटना में 20 गुणे दर से कोरोना संक्रमण की खबर आ रही है। मालूम हो कि पिछले दिनों ईसाईयों के पर्व ईस्टर व नववर्ष को सार्वजनिक स्तर पर मनाने सरकारी मनाही का आदेश जारी किया गया था। वहीं दूसरी ओर श्री गुरूगोबिन्द सिंह जी महाराज के अवतरण दिवस को धूमधाम से मनाने की तैयारी जोरों से है। महाराज के 350वें शताब्दी वर्ष 2017 से सरकारी महकमों की जिस प्रकार सक्रियता बनी थी वह कमोबेश आज तक बनी हुई है। प्रशासन को महामारी के बढ़ते फैलाव को रोकने के लिए कोरोना गाइडलाइन का कड़ाई के साथ पालन करवाना चाहिए था। कोरोना के दूसरे लहर के दौरान गुरुद्वारों के इर्दगिर्द के मुहल्लों हरमिंदर गली, कालीस्थान, दीरा ,कचौड़ी गली आदि में कई लोगों की मृत्यु भी हुई थी। गुरूपर्व को लेकर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ रही है और सरकार आने वाले यात्रियों की न जांच कर रही और नहीं किसी गाइडलाइन का पालन करवाया जा रहा है।ऐसे में गुरूपर्व के बाद इस जानलेवा कोरोना वाइरस से सबसे ज्यादा प्रभावित इर्दगिर्द के मुहल्लों के साथ-साथ पटना सिटी की जनता होगी। पटना जिला सुधार समिति के महासचिव राकेश कपूर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध किया है कि जनता की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें श्रद्धालुओं द्वारा कोरोना गाइडलाइन का पालन करवाने के लिए स्थानीय प्रशासन को निर्देश देना चाहिए। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
परदेशी न्यू ईयर पर भी हम बोलते हैप्पी Posted: 02 Jan 2022 07:09 AM PST परदेशी न्यू ईयर पर भी हम बोलते हैप्पी(हृदयनारायण दीक्षित-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा) अंग्रेजी नववर्ष मुझे उल्लास नहीं देता। मन बार-बार सोचता है कि 365 दिन के वर्ष को हम जनवरी से ही क्यों प्रारंभ करें? जनवरी माह में भारत में कोई नया रूपक नहीं खिलता। न कृषि में, न समाज में, न हमारी प्रकृति में। जनवरी की हवायें भी प्रीतिपूर्ण स्पर्श नहीं देती है। वनस्पतियां भी शीत के कारण सिकुड़ी रहती है। हवाओं में मधु नहीं होता। प्रकृति में नवछन्द भी नहीं उगते। जनवरी में सौन्दर्यबोध नहीं। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। वैदिक साहित्य में वर्ष के 720 अहो रात्र की चर्चा है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा 720 अहो रात्र में करती है। अहो रात्र दिन-रात के जोड़े को कहते हैं। 720 अहो रात्र मिलकर वर्ष बनते हैं। पृथ्वी परिक्रमा प्रकृति का नियम है। भारतीय परंपरा में वर्ष की काल गणना चैत्र माह की प्रतिप्रदा से होती है। हैप्पी न्यू ईयर का भारतीय परंपरा से कोई लेना-देना नहीं है। खुमारी के प्रभाव में आलस्य भी होता है। आधी नींद और आधा जागरण साथ साथ चले तो खुमारी। ईसा के नववर्ष पर कहीं दारू भी जमकर चली। आज नववर्ष का दूसरा दिन है। कल से आज तक हैप्पी न्यू ईयर की शुभकामनाएँ जारी हैं। हैप्पी बोलने का अपना मजा है और सुनने का भी। अंग्रेजी न्यू ईयर आधुनिकता का प्रतीक है। यह न्यू ईयर परदेशी है। कुछ लोग विदेशी जीवन शैली को आधुनिकता कहते हैं। कुछ बरस से हमारे गांव, देहात के भी कुछ लोग हैप्पी न्यू ईयर बोल रहे हैं। हम भारत के लोग उत्सव प्रेमी हैं। विदेशी परंपरा के न्यू ईयर को भी हैप्पी बोलते हैं। नववर्ष का 'नव' बड़ा मजेदार है। अंग्रेजी कैलेण्डर का यह नववर्ष विचारणीय है। मेरा ध्यान बार-बार 'नव' पर जाता है। शब्द 'नव' के कई अर्थ है। ज्योतिष में नवग्रह हैं। ज्योतिष के 'नव' का अर्थ नया नहीं है। इसका अर्थ नवां है। नवां बोले तो 'नाइन्थ'। संस्कृत भाषा के 'नवम्' का अर्थ भी नया नहीं है। 9वाँ है। नवरात्रि में भी 'नव' शब्द जुड़ा हुआ है। इस 'नव' का अर्थ संख्यावाची है। लेटिन का नवम्बर का अर्थ भी नौवां है, लेकिन अंग्रेजी कैलेण्डर में यह 11वाँ है। इसी तरह लेटिन सेप्ट अंग्रेजी का सितम्बर 7वाँ और आॅक्ट अक्टूबर 8वाँ है लेकिन कैलेण्डर में अक्टूबर 10वाँ और सितम्बर 9वाँ है। महाप्राण निराला ने "अमृत मंत्र नव भारत में वरदे/वीणा वादिन वरदे लिखा है। यहाँ 'नव भारत' का अर्थ नया है। नव यौवन का अर्थ नौवां यौवन नहीं है। नया यौवन है। हम भारत के लोग यूरोपीय रिनेसा को नव जागरण कहते हैं। इसका अर्थ भी नया है। नव या नये के चक्कर में नवना या झुकना ठीक नहीं माना जाता है। तुलसीदास ने भी झुकने के लिए नवना शब्द का प्रयोग किया है- नवनि नीच की अति दुखदाई। अंग्रेजी नववर्ष मुझे उल्लास नहीं देता। मन बार-बार सोचता है कि 365 दिन के वर्ष को हम जनवरी से ही क्यों प्रारंभ करें? जनवरी माह में भारत में कोई नया रूपक नहीं खिलता। न कृषि में, न समाज में, न हमारी प्रकृति में। जनवरी की हवायें भी प्रीतिपूर्ण स्पर्श नहीं देती है। वनस्पतियां भी शीत के कारण सिकुड़ी रहती है। हवाओं में मधु नहीं होता। प्रकृति में नवछन्द भी नहीं उगते। जनवरी में सौन्दर्यबोध नहीं। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। वैदिक साहित्य में वर्ष के 720 अहो रात्र की चर्चा है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा 720 अहो रात्र में करती है। अहो रात्र दिन-रात के जोड़े को कहते हैं। 720 अहो रात्र मिलकर वर्ष बनते हैं। पृथ्वी परिक्रमा प्रकृति का नियम है। भारतीय परंपरा में वर्ष की काल गणना चैत्र माह की प्रतिप्रदा से होती है। हैप्पी न्यू ईयर का भारतीय परंपरा से कोई लेना-देना नहीं है। घूम-फिरकर वही प्रश्न आता है कि नया साल जनवरी से ही क्यों? बसन्त की मधुछंदा हवाओं के समय क्यों नहीं? फाल्गुन या चैत्र से क्यों नहीं? अंग्रेजी विद्वानों की अपनी सोच है। पहले उन्होंने 10 माह का कैलेण्डर बनाया। उसमें जनवरी, फरवरी नहीं थी। तब सितम्बर सातवां था। अंग्रेजी में सेप्टम्बर था। जनवरी और फरवरी जोड़ने से 7वाँ माह 9वाँ हो गया। 8वाँ अक्टूबर लैटिन में आक्ट था। यह 10वाँ हो गया। दिसम्बर का अर्थ ही 10वाँ होता है। वह 12वाँ हो गया। अंग्रेजी कैलेण्डर में झोल है। मित्र लोग तमाम रंगीन कैलेण्डर और डायरी दे जाते हैं। इनमें विभिन्न उत्पादों के प्रचार होते हैं। सरकारी कामकाज की तारीखें होती हैं। अंग्रेजी कैलेण्डर दीवार पर है। इस कैलेण्डर का अध्ययन जरूरी है। अंग्रेजी सभ्यता प्रभावित विद्वान अंग्रेजी में सोचते हैं। अंग्रेजी में हंसते हैं और हिन्दी में उदास हो जाते हैं। वह जनवरी में नये होते हैं। बसन्त में मधुगंधा नहीं होते हैं। ऋतुराज बसन्त का स्वागत नहीं करते। वैलेन्टाइन को प्रेम का साधुसंत मानते हैं। चर्च की शब्द सूची में वैलेन्टाइन का नाम नहीं है। प्रकृति के अंश प्रतिपल बदलते रहते हैं। सो ग्रीष्म, शीत, वर्षा प्रतिपल नए हैं। देखने और अनुभव करने की भारतीय दृष्टि अखंड है। इसमें भूत और वर्तमान का भेद नहीं है। बीते और प्रत्यक्ष की समय विभाजक रेखा नहीं है। अस्तित्व प्रतिपल नया है। प्रतिपल नया होना इसकी प्रकृति है। हमारी प्रत्येक सांस नई है। छंद नए हैं। भूत और अनुभूत साथ साथ हैं। हम भी प्रतिपल नये हैं। प्रत्येक सूर्योदय नया हैं। हरेक चन्द्र भी। खिलने को व्याकुल कली आज खिल गयी है। पुष्प भी नये हैं। वह बीज बनने को व्याकुल है। पुराने या नये का अलग अस्तित्व नहीं हैं सब कुछ एक प्रवाह में है। पुराना मरता नहीं है। वह नया होकर बार-बार खिलता है। अस्तित्व नूतन या पुरातन नहीं है। यह चिरंतन है। सदा से है। सदा रहता है। कभी नष्ट नहीं होता। काल विभाजित सत्ता नहीं है। काल गणना और विभाजन का काम हम करते हैं। काल भी अस्तित्व का भाग हो सकता है। प्रलय की स्थिति में गति नहीं होती। इसलिए काल भी नहीं होता है। दिवस और रात्रि भी नहीं होते। प्रलय के बाद सृष्टि उगती है। गतिशील होती है। गति से समय आता है। हम उसका विभाजन करते हैं। दिन-रात, मास, वर्ष काल के ही अंग है। कल जनवरी का पहला दिन था। उसके एक दिन पहले हम सब वर्ष 2021 में थे। इन दो दिन के भीतर वर्ष बदल गया, लेकिन दिसम्बर से लेकर आज दो जनवरी तक कहीं कोई परिवर्तन नहीं दिखाई पड़ता। जनवरी भी नई नहीं है। नववर्ष में कुछ भी नया नहीं दिखाई पड़ता है। न गीत, न छन्द, न प्रकृति के आनन्द की अनुभूति। न रूप, न रस, न गंध, न स्पर्श। यहां कुछ भी नया नहीं है और न ही कुछ पुराना। जम्बूद्वीप का भरतखंड नमस्कारों के योग्य है। यहाँ 6 ऋतुएँ आती हैं बार-बार। ढेर सारी नदियाँ हैं, लेकिन जनवरी में नदियाँ भी उल्लासधर्मा नहीं होती हैं। अंग्रेजी नववर्ष के दिनों में कड़ाके की सर्दी और कोहरा है। सर्दी भी कड़ाके की ठन्ड में कांप रही है। सर्दी के साथ वर्षा भी अपना खेल दिखा रही है। पशु-पक्षी सहित सभी जीव शीत पीड़ित हैं। अनेक जीव शीत निष्क्रियता में छुप गए हैं। सांप आदि जीव हाईबरनेशन में हैं। तो भी इस नववर्ष पर भी आप सबको बधाई। भारत का मन चैत्र माह के संवत्सर से बंधा है। संवत्सर सृष्टि सृजन की सुमंगल मुहूर्त है। यही भारत का नववर्ष है और अंतर्राष्ट्रीय नववर्ष भी है। उसी की प्रतीक्षा है। भारत के लिए यह आनंद का मुहूर्त है। (हिफी) हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
Posted: 02 Jan 2022 07:06 AM PST भीख मांगना एक सामाजिक अभिशाप(बृजमोहन पन्त-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा) भिक्षावृत्ति समाज के लिए एक अभिशाप है। हर कस्बे, शहर व महानगर में भिखारी नजर आ जाते हैं। इस गरीब देश में भीख मांगने वालों की तादाद अधिक है। गरीब आदमी रोजी व रोटी के लिए भीख मांगता है। कई लोग जो विकलांग, कुष्ठ रोग से पीड़ित व अन्य शारीरिक विकृति का शिकार होते हैं, भीख मांगने को विवश होते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में गरीबी को भीख मांगने का कारण बताया है। दिल्ली सरकार ने कोरोना काल में भिखारियों को दिल्ली से बाहर करने का प्रस्ताव दिया था। हाईकोर्ट ने एक रिट के जवाब में कहा था कि भिखारियों को दिल्ली से बाहर नहीं भेजा जा सकता। ऐसा करना मानवता के खिलाफ अपराध होगा। भिखारी वह है जिसके पास आजीविका का साधन नहीं है। हाईकोर्ट ने भीख मांगने का अधिकार देने को भी कहा था। भिक्षावृत्ति को कई राज्यों ने अपराध की श्रेणी में रखा है। भिक्षावृत्ति उत्तरप्रदेश भिक्षावृत्ति प्रतिरोध अधिनियम 1975 के तहत अपराध घोषित किया गया है। उत्तराखण्ड ने सन् 2017 में भिक्षावृत्ति पर कानूनी रोक लगायी थी। क्योंकि धार्मिक स्थलों पर भिक्षावृत्ति की समस्या गंभीर है। पुण्य कमाने के लिए लोग भिखारियों को पैसा, कपड़े व दूसरी चीजें दान में देते हैं। तीर्थस्थल पर भिखारी एक जरूरत बन गये हैं जो पुण्य प्रदान करने में सहायक हैं। भिक्षावृत्ति को कानून के द्वारा हटाया नहीं जा सकता। भारतीय समाज में दान देना आस्था का प्रश्न है। यहां दान लेना व देना पुण्य का कार्य है। ज्योतिष विज्ञान में विभिन्न ग्रहों की शांति के लिए निर्देशित वस्तुओं के दान देने की परम्परा है। शास्त्रोक्त विधि के अनुसार यज्ञोपवित संस्कार के बटुकों को भिक्षावृत्ति के लिए भेजा जाता है। भिक्षावृत्ति इसलिए शास्त्र सम्मत है। कई कारणों से भीख मांगने पर रोक नहीं लग सकती। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक याचिका पर कहा कि भिक्षावृत्ति पर रोक नहीं लगा सकते। कोई व्यक्ति यह नहीं चाहता कि वह भीख मांगे परन्तु गरीबी के कारण उसे भीख मांगनी पड़ती है। यह सामाजिक व आर्थिक मसला है। शारीरिक अक्षमता भी एक कारण है। अपंगता भीख मांगने को विवश करती है। कई किशोरों को भीख मांगते देखा जाता है। यह भिक्षावृत्ति अधिनियम व किशोर न्याय अधिनियम के अन्तर्गत आता है। 14 वर्ष से नीचे के किशोर के भीख मांगने पर पहले से ही प्रतिबंध है। यदि उन्हें इस काम से हटा दिया जाय तो फिर भीख मांगना शुरू कर देते हैं। अभिभावकों को भी बच्चों के द्वारा कमाये सिक्के अच्छे लगते हैं। इसलिए वे भी उन्हें भीख मांगने के लिए बाहर भेजते हैं। भारत में एक चैथाई से अधिक लोग गरीबी से नीचे का जीवन निर्वाह कर रहे हैं। भिखारी मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा व अन्य चैरेटेबिल संस्थाओं के आसपास नजर आते हैं। देवी-देवताओं के फोटो लेकर आस्था के बलबूते पर लोगों से भीख मांगते हैं। भिखारी प्रायः अशिक्षित व कम पढ़े लिखे होते हैं। उन्हें कानून की जानकारी नहीं होती है। पुलिस का डर जरूर रहता है। कई स्थानों पर भीख से कमाये पैसे गुंड़े हड़प लेते हैं। एक सर्वे में पता चला है कि कई भिखारी सम्पन्न परिवारों के होते हैं। वे भीख के द्वारा रोज 200 से 500रू0 कमा लेते हैं लेकिन आदत से मजबूर हैं। खनकते सिक्कों की चमक का आकर्षण उन्हें धंधें में लगाये रखता है। उनका सारा जीवन भीख मांगते निकल जाता है। वे आर्थिक असुरक्षा का शिकार होते हैं और सोचते हैं कि भीख मांगना छोड़ देंगे तो बचायी गयी आय भी खर्च कर देंगे। कई भिखारी करोड़पति व अरबपति होते हैं लेकिन भीख का कटोरा उनके हाथ से नहीं छूटता है। कुष्ठ आश्रमों के कुष्ठ रोगी भीख मांगने निकल जाते हैं। समाज कल्याण विभाग उन्हें विकलांग नहीं मानता है। उन्हें चिकित्सा प्रमाणपत्र के लिए भी ठोकरें खानी पड़ती है। सामाजिक संस्थायें उनकी मदद नहीं करती। कभी कोई फल व कंबल बांट जाता है। संतोष इस बात का है कि कुष्ठ रोगियों के बच्चे शिक्षित बन रहे हैं ताकि उनका भविष्य उज्जवल बने। भिखारियों का पुनर्वास व उन्हें मासिक पेंशन देकर उनकी दशा में सुधार आ सकता है। (हिफी) अमीर भिखारी देश के लगभग हर चैराहे, गली मोहल्ले, बस और ट्रेन में आपको भीख मांगते हुए दिख जाते हैं। आप जिन भिखारियों को चिल्लर के रुप में एक-दो या पांच रुपये देते हैं उनके बारे में आपको ये खबर चैंका देगी। जी हां जरा सोचिए कि जिस भिखारी को आप सिक्के देते हैं और वो करोड़पति निकल आए तो आपके चेहरे पर क्या भाव आएगा वो देखने लायक ही होगा। आज हम आपको जिन भिखारियों के बारे में बताने जा रहे हैं वो दरअसल भारत के सबसे अमीर भिखारियों में शामिल हैं। इन भिखारियों के पास वो तमाम सुविधाएं मौजूद हैं जो शायद एक आम आदमी के पास न हो। इनके पास बड़ा बैंक-बैलेंस है, इनके बच्चे कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ते है। पहले नंबर पर आते हैं भरत जैन परेल, ये अपने परिवार के साथ मुंबई के परेल इलाके में रहते हैं। भरत हिन्दुस्तान के सबसे अमीर भिखारी हैं, फिर भी अगर ये परेल पर भीख मांगते दिख जाएं तो हैरान मत होइएगा। पत्रिका में छपी खबर के मुताबिक भरत जैन की गिनती नंबर वन अमीर भिखारी के रूप में होती है। इसके पास दो फ्लैट हैं। इन फ्लैट्स की कीमत करीब 70 लाख है। मुंबई के परेल इलाके के अलावा वह अलग इलाकों में भीख मांगते हैं। करीब-करीब 7,5000 रुपये हर महीने कमाता है। आम आदमी कहां इतनी कमाई महीने में कर पाएगा। हिंदुस्तान की सबसे अमीर भिखारियों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं कोलकाता की रहने वाली लक्ष्मी। लक्ष्मी ने 1964 से कोलकाता में सिर्फ 16 साल की उम्र में भीख मांगना शुरु किया था। पचास सालों से भी ज्यादा जीवन भीख मांगने में बिताया है। भीख से लाखों रुपये जुटाए। इनके पास बैंक बैलेंस अच्छा-खासा है। हर दिन एक हजार रुपये के आसपास कमाई है लक्ष्मी की। अगर महीने के हिसाब से देखा जाए तो इनकी महीने की कमाई 30 हजार के आसपास है। मुंबई की रहने वाली गीता भी अमीर भिखारियों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर आती हैं। गीता मुंबई के चरनी रोड पर भीख मांगती हैं। बताया जाता है उनका अपना फ्लैट है और वो अपने भाई के साथ रहती है। गीता हर दिन करीब 15 सौ रुपये भीख मांगकर कमा लेती हैं। हर महीने इतना कमा लेती है कि ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट भी इनकी इनकम देखकर गश खा जाएं। मीडियो रिपोर्ट के मुताबिक भीख मांग कर गुजारा करने वाले चंद्र प्रकाश आजाद के पास गोवंडी में अपना घर है। 2019 में एक दुर्घटना में जान गंवाने के बाद मुंबई पुलिस ने उनकी सारी प्रॉपर्टी ढूंढ निकाली थी। ये जनाब हैं पप्पू कुमार, पटना के रहने वाले पप्पु भी अच्छे खासे अमीर हैं। वो बिहार के हैं और इनका बैंक बैलेंस 1 करोड़ से भी ऊपर है। फिर भी लोगों से यह कह कर भीख मांगते हैं कि कई दिनों से कुछ भी खाया पीया नहीं हैं, कुछ खाने के लिए रुपए दे दो। अक्सर लोग इनकी हालत देखकर और तरस खाकर भीख दे ही देते हैं। पप्पू कुमार अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाते हैं। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
योगी नहीं, पूर्वांचल की पीठ पर हाथ Posted: 02 Jan 2022 07:02 AM PST योगी नहीं, पूर्वांचल की पीठ पर हाथ(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा) बीते साल के अंतिम महीने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कंधे पर हाथ रखा था, तब पूर्वांचल के भाग्य भी जाग गये थे। प्रधानमंत्री पूर्वांचल की लोकसभा सीट वाराणसी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। काशी में विकास कार्यों की झड़ी लग गयी। कुशीनगर में एयरपोर्ट बन रहा है तो गोरखपुर में खाद कारखाना शुरू हो गया। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे तो जैसे पूर्वांचल का विकास मार्ग ही बन गया है। पूर्वांचल कभी पिछड़ेपन का प्रतीक माना जाता था लेकिन अब विकास के मामले में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी आगे निकल गया है। उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल की पहचान तेजी से बदल रही है। इसके नाम के साथ लगा पिछड़ेपन का दाग धुल रहा है। आधारभूत संरचनाओं के निर्माण के साथ ही अब इसके औद्योगिक विकास की तस्वीर भी साफ दिखने लगी है। जाहिर है अब रोजगार के व्यापक अवसर पैदा होने की संभावनाएं बलवती हो गयी हैं। यह सब हो रहा है पीएम मोदी और सीएम योगी के डबल इंजन वाली सरकार के द्वारा, जो आजकल पूर्वांचल केन्द्रित विकास परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए देश-दुनिया में सुर्खियां बटोर रही हैं। पूर्वांचल के अहम इलाके गोरखपुर की बात करें, तो वहां नये साल में रोजगार के बड़े अवसर युवाओं का इंतजार कर रहे हैं। अकेले गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण ( गीडा) में हजारों लोगों को रोजगार मिलने की गारंटी है। 300 करोड़ की लागत से गीडा में लग रही अंकुर समूह की सरिया बनाने की एकीकृत फैक्ट्री में अप्रैल महीने से उत्पादन शुरू हो जाने की संभावना है। अकेले इस कारखाने से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से 5 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। फैक्ट्री में दो हजार इम्पलाई स्थाई तौर काम करेंगे और इससे दोगुने लोग अप्रत्यक्ष तरीके से लाभान्वित होंगे।। इसी तरह इंडिया ग्लाइकाल्स लिमिटेड (प्ळस्) में अनाज से एथेनॉल बनाने का काम भी मार्च, 2022 में आरंभ हो जाएगा। साल के पहले महीने से ही किसानों से चावल की खरीदारी शुरू होने वाली है। बाजार दर पर किसानों को इसके पैसे मिलेंगे। करीब 100 करोड़ की लागत से स्थापित हो रहे प्लांट से प्रतिदिन एक लाख लीटर एथेनॉल उत्पादन का लक्ष्य है। फैक्ट्री से करीब 500 लोगों को रोजगार मिलेगा। गोरखपुर उद्यमियों का पसंदीदा क्षेत्र बनता जा रहा है। यहां 4 सालों में 259 उद्योगपतियों ने कारखाना लगाने के लिए जमीन ली है।1000 करोड़ का निवेश हो चुका है। गीडा में 2017 से अब तक 259 छोटे बड़े उद्योगपतियों ने भीटी रावत औद्योगिक क्षेत्र में अपनी यूनिट लगायी हैं। हालिया निवेश से 5 हजार लोगों को स्थायी रोजगार मिला है। पूर्वांचल के किसान अपनी उपज को सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भेजने लगे हैं। दो साल पहले ही सरकार ने इशानी एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी चंदौली के डायरेक्टर किसान अजय सिंह को लाइसेंस प्रदान किया था। इसी तरह गाजीपुर में शिवांश एग्रो, वाराणसी में जया एग्रो और मिर्जापुर में नवचेतना एग्रो प्रोड्यूसर को लाइसेंस दिया गया था। चंदौली के प्रसिद्ध काला नमक चावल 80 मीट्रिक टन और 532 मीट्रिक टन क्षेत्रीय चावल जून-दिसंबर, 2020 में कतर निर्यात किये गये। पूर्वांचल क्षेत्र सब्जियों के निर्यात हब के रूप में उभर रहा है। कोविड -19 महामारी के बावजूद ताजी हरी सब्जियों की बड़ी खेप पूर्वांचल से खाड़ी देशों में भेजी गई। विस्तार में जाएं तो इस साल अक्टूबर में प्रयागराज, भदोही और वाराणसी से दो मीट्रिक टन सब्जियों को विमान से दुबई और शारजाह भेजा गया था। खाद्य उत्पाद निर्यात प्राधिकार के प्रभारी सीबी सिंह बताते हैं कि पिछले साल वाराणसी से केवल अप्रैल में तीन मीट्रिक टन और जून में एक मीट्रिक टन से अधिक लंगड़ा आम लंदन भेजा गया था। अब उन्हें अपनी उपज को सुरक्षित रखने के लिए बड़े-बड़े कोल्ड स्टोरेज के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। आईएआरआई पूसा ने सोलर एनर्जी से चलने वाले छोटे-छोटे कोल्ड स्टोरेज गांव-गांव में बनाने की तैयारी की है, जिसे पूसा सनफ्रिज नाम दिया गया है। इसका खर्च बहुत कम होगा और छोटे किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। पीएम मोदी और सीएम योगी के कार्यकाल की एक बड़ी विशेषता है कि विकास योजनाएं समय सीमा में पूरी हो रही हैं। उदाहरण स्वरुप जुलाई 2018 में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास पीएम मोदी ने किया था। 19 महीने कोरोना काल के बावजूद समय सीमा के भीतर इसके निर्माण में सफलता मिली है। श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का मसला भी ऐसा ही है। नरेंद्र मोदी ने मंदिर के विस्तारीकरण और पुनरोद्धार के लिये 8 मार्च, 2019 को विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर का शिलान्यास किया था और 13 दिसम्बर, 2021 को उसका लोकार्पण भी कर दिया। मतलब कि जिस योजना का योगी-मोदी शिलान्यास कर रहे हैं, उसका उदघाटन-लोकार्पण भी कर रहे हैं। इससे विकास के प्रति उनके समर्पण और संकल्पशक्ति का आभास मिलता है। आम जनता में इसका बेहद सकारात्मक संदेश जा रहा है कि यह सरकार जो कहती है, वो कर के दिखा देती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किए जाने के साथ ही पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों में एक नई उम्मीद जगी हैं। उनका मानना है कि लोकार्पण के बाद देश भर के पर्यटकों की नजरें काशी पर आकर टिक गईं हैं। ऐसे में काशी के हस्तशिल्प के उत्पाद का सेक्टर भी उड़ान भरेगा। शिवाला घाट स्थित राजगुरु मठ के पीठाधीश्वर स्वामी अनंतानंद सरस्वती कहते हैं- काशी विश्वनाथ धाम देखने के लिए देश के कोने-कोने से पर्यटक आने लगे हैं। नये स्वरुप में बाबा धाम का नया कलेवर देखने की छटपटाहट लोगों में बढ़ गई है। बाबा विश्वनाथ के दर्शन पूजन और भ्रमण को लेकर पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी है। खिड़किया घाट का भव्य रूप भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। काशी के प्राचीन मठ-मंदिरों के प्रति भी दुनिया का नजरिया बदला हैपीएम मोदी बार बार कहते रहे हैं कि एक्सप्रेस-वे से पूर्वी यूपी की आर्थिक रीढ़ मजबूत होगी। सूबे की अर्थव्यवस्था तेजी के साथ आगे बढ़ेगी। नौजवानों को रोजगार और नौकरी मिलेगी। सीएम योगी कहते हैं कि पूर्वी उत्तरप्रदेश में विकास-रोजगार की संभावनाओं को आगे बढ़ाने का काम निरंतर किया जा रहा है। (हिफी) हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag |
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